भारत में पति को परमेश्वर माना जाता है, इस बात की पुष्टि अब सरकार ने भी कर दी है. हाल ही में राज्यसभा में मैरिटल रेप यानि शादीशुदा रेप के बारे में एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा था कि भारत में मैरिटल रेप की अवधारणा को लागू नहीं किया जा सकता है और सरकार का इसे अपराधों की श्रेणी में लाने का कोई इरादा नहीं है.
महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने राज्यसभा में कहा कि भले ही पश्चिमी देशों में मैरिटल रेप की अवधारणा प्रचलित हो लेकिन भारत में गरीबी, शिक्षा के स्तर और धार्मिक मान्यताओं के कारण शादीशुदा रेप की अवधारणा फिट नहीं बैठती, इसलिए इसे भारत में लागू नहीं किया जा सकता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि एक तरफ तो सरकारें रेप के खिलाफ कड़े कानून बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं तो वहीं दूसरी और घर की चाहरदीवारी में किसी अपने द्वारा किए जाने वाले रेप के प्रति सरकार उदासीन क्यों बनीं हुई है? आखिर क्यों सरकार पतियों द्वारा की जाने वाली घरेलू यौन हिंसा को अपराध मानने को तैयार नहीं है?
पति परमेश्वर रेप नहीं करते? भले ही इस देश में सदियों से पतियों को परमेश्वर मानने की धारणा प्रचलित रही हो लेकिन व्यवहारिक तौर पर ये बात पूरी तरह सच नहीं है. बल्कि इससे सिर्फ महिला-पुरुष असमानता को बढ़ावा देने और पुरुष प्रधान समाज द्वारा महिलाओं को दोयम दर्जे का शामिल करने की कोशिशें दिखती हैं. खैर, सरकार इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती और इसलिए उसने भारत में शादीशुदा रेप की अवधारणा को मानने से इनकार कर दिया.