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मोहनजो दाड़ोः कालखंड का मजाक, बोरियत से भरी फिल्म

फिल्म की कहानी हड़प्पपा और मोहनजो दाड़ो सभ्यता के काल की है. कहानी की शुरुआत होती है नील की खेती करने वाले आमरी गांव से, जहां सरमन (हृतिक रोशन) अपने चाचा दुर्जन (नितीश भारद्वाज) व चाची के साथ रहता है. एक दिन नील की खेती के व्यापार के लिए सरमन अपने चाचा की इजाजत लेकर गांव के दूसरे व्यापारियों के साथ मोहनजो दाड़ो पहुंचता है. दुर्जन ने चलते समय सरमन को एक पोटली में बांधकर एक ताम्रचिन्ह यह कहकर दिया था कि जब उसके सामने जीवन मरण का सवाल उठेगा, तो यह ताम्रचिन्ह उसकी मदद करेगा. मोहनजो दाड़ो पहुंचते ही सरमन को अहसास होता है, जैसे कि वह इस शहर से पूर्व परिचित है.

मोहनजो दाड़ों में सरमन की मुलाकात विभिन्न लोगों से होती है. उसे वहां पर कई तरह की अजीबो गरीब घटनाएं देखने को मिलती है. धीरे धीरे उसे पता चलता है कि मोहनजो दाड़ो का प्रधान महम (कबीर बेदी) कितना क्रूर है. वह अपनी शक्तियों के बल पर सब पर शासन करना चाहता है. पता चलता है कि महम पहले हड़प्पा शहर में व्यापार प्रमुख था. मगर उसके गलत कारनामे की वजह से देश निकाला दिया गया था. तब वह मोहनजो दाड़ो आया था और सिंधु नदी पर बांध बनवाने, तस्करों से सोने के बदले तांबे के शस्त्र खरीदने लगता है.

मोहनजो दाड़ो में सरमन की पहली मुलाकात मोहनजो दाड़ो के रखवाले प्रमुख धागो से होती है. फिर उसकी मुठभेड़ महम के बेटे मूंजा (अरूणोदय सिंह) से होती है. उसके बाद उसकी मुलाकात वहां के पुजारी की बेटी चानी (पूजा हेगड़े) से होती है, जिन्हे षशहर वासी नवलोकनी के नाम से पुकारते हैं. लोगों का मानना है कि नवलोकनी की ही वजह से शहर में नया सूरज उगेगा. चानी और सरमन पहली मुलाकात में ही एक दूसरे को अपना दिल दे बैठते हैं. तो दूसरी तरफ प्रधान महम शहर वासियों पर कर बढ़ा देते हैं, जिसका विरोध सरमन करता है और वहां के व्यापारियों का नेता बन जाता है.

सरमन अपने चाचा दुर्जन के दिए गए ताम्रचिन्ह की बदौलत उस इलाके में पहुंच जाता है, जहां उच्च वर्ग के लोग रहते हैं. चानी को एक बैल के गुस्से से भी बचाता है. वहीं पुजारी से उसका परिचय होता है. वह पुजारी को अपने पास का ताम्रचिन्ह दिखाकर सवाल करता है, पर सब कुछ जानकर भी पुजारी चुप रहता है. इधर चानी व सरमन की मुलाकातें बढ़ती हैं, तो मूंजा अपने पिता महम से शादी की बात करता है. महम ने चानी के जन्म होते ही उसकी शादी अपने बेटे मूंजा से कराने की बात कही थी. महम, पुजारी से कहता है कि दो सूरज के बाद यानी कि दो दिन बाद चानी व मूंजा की शादी होगी. शादी वाले दिन महम की मां चानी से कहती है कि उसे पता है कि वह मूंजा से नहीं सरमन से प्यार करती है, पर उसे लगता है कि चानी उसके बेटे मूंजा को शादी के बाद सुधार देगी. मूंजा भी अपने पिता की ही तरह गुस्सैल है. किसी का खून बहाना उसकी फितरत सी है. उसी वक्त वहां पर सरमन पहुंच जाता है, वह चाहता है कि चानी अपने दिल की सुनकर शादी से इंकार कर दे, पर चानी अपने पिता की जिंदगी को लेकर चिंतित है.

वहां सरमन पर नजर पड़ते ही मूंजा आ जाता है. मूंजा व सरमन में युद्ध होता है, पर ऐन वक्त पर महम, पुजारी व उनके रक्षक पहुंच जाते हैं. अब मूंजा चाहता है कि सरमन को प्राणदंड दिया जाए, पर पुजारी कहता है कि सरमन दूसरे गांव से आया है, जिसे मोहनजो दाड़ो के नियम नहीं पता, इसलिए माफ कर दिया जाए. महम माफ करने की शर्त रखता है कि उसे बकर व जुबेर से युद्ध में जीतना होगा. सरमन की शर्त है कि जीत हसिल करने पर चानी का विवाह, मूंजा से नहीं होगा. सभी जानते है कि अब तक बकर व जुबेर के हाथों लोगों की मौत ही होती रही है.

सरमन का बकर व जुबेर से युद्ध होने तक सरमन को बंदी बना लिया जाता है. रात में पुजारी सरमन से मिलता है और वह उस ताम्र चिन्ह का सच बताता है कि सरमन का पिता सुजन (नरेंद्र झा) मोहनजो दाड़ो का प्रधान था. उसी ने शहर को विकसित किया था. पर झल कपट से महम ने सुजन को प्राणदंड देकर खुद प्रधान बन बैठा. उसका चाचा दुर्जन उसे लेकर आमरी गांव चला गया. पुजारी स्वीकार  करता है कि उस वक्त विराट सभा में पुजारी ने महम का साथ दिया था, जबकि दुर्जन ने चुप्पी साध ली थी.

युद्ध के मैदान में सरमन के हाथों बकर व जुबेर मारे जाते हैं. पिता महम के कहने पर मूंजा मंदिर में पहुंचकर पुजारी की हत्या कर देता है, वह चानी की भी हत्या करना चाहता है. पर ऐन वक्त पर सरमन आ जाता है और सरमन के हाथों मूंजा मारा जाता है. उधर शहर वासियों के सामने चानी बताती है कि उसके पिता पुजारी को पता चल गया था कि सरमन, सुजन का बेटा है. फिर पूरे शहर के वासी व विराट सभा के सदस्य प्रधान महम के खिलाफ हो जाते हैं. दुर्जन पहुंचकर सरमन को प्रधान बनाने की बात कहता है. पर सरमन कहता है कि पूरे नागरिक अब इस शहर को चलाएंगे. महम को प्राण दंड देने के लिए सूली से बांधा जाता है, तभी तेज वर्षा होने लगती है.

खबर मिलती है कि सिंधु नदी का पानी बांध के उपर से बहने लगा है. सरमन सभी से कहता है कि वह अपना सामान लेकर मोहनजो दाड़ो को छोड़कर नदी के दूसरे छोर की पहाड़ी पर चले. नदी पर कई नावों को एक दूसरे से बांधकर पुल बनाया जाता है. सभी सुरक्षित पहाड़ी पर पहुंच जाते हैं. प्रलय रुकने पर जो नदी बचती है, उसे सरमन, गंगा नदी का नाम देता है.

हडप्पा व मोहनजो दाड़ो सभ्यता व संस्कृत के विनाश के बाद सिंधू सभ्यता व गंगा नदी के जन्म की कथा बताने वाली स्तरहीन फिल्म का नाम है-‘‘मोहनजो दाड़ो. जिसे अपने आपको महान इतिहासकार साबित करने पर तुले हुए फिल्मकार आषुतोष गोवारीकर लेकर आए हैं. फिल्म देखकार इतिहासकर ही बताएंगे कि आषुतोष गोवारीकर ने कई वर्षों के गहन व वृहद शोधकार्य के बाद कौन से इतिहास को पेश किया है. वैसे फिल्मकार ने इतिहास का मजाक बनाकर रख दिया है. पूरी फिल्म बदले और दूसरों पर शासन करने की कहानी है. इस तरह की कहानी पर अब तक हजारों फिल्में बन चुकी हैं. यदि दर्शक महसूस करता है कि फिल्म ‘अग्निपथ’ और ‘मोहनजो दाड़ो’ की कहानी का प्लाट एक ही है, तो गलत नही होगा. फिल्म के कई सीन बेवजह बहुत लंबे रखे गए हैं. फिल्म में चानी व सरमन का प्रेम भी ठीक से उभकर नही आता. आशुतोष गोवारीकर फिल्म में इतिहास, हजारों साल पहले का कालखंड, प्रेम कहानी, बदले की कहानी, शासक का अत्याचार, ड्रामा कुछ भी सही ढंग से पेश नहीं कर पाएं. हां! उनकी कल्पना की आप तारीफ भले कर लें.

फिल्म ‘‘मोहनजो दाड़ो’’ में जब सरमन मोहनजो दाड़ो शहर में प्रवेश करता है, तो उसके हाव भाव वैसे ही होते हैं जैसे कि कोई दूर दराज गांव का लड़का पहली बार मुंबई या दिल्ली शहर पहुंच जाए. लेखक, पटकथा लेखक व निर्देशक आषुतोष गोवारीकर बुरी तरह से मात खा गए हैं. दर्षक को बोरियत का अहसास होता है.. फिल्म का गीत संगीत भी बहुत घटिया है. फिल्म में जब गाने शुरू होते हैं, तो दर्शकों के मुंह से हंसी छूटती है. शायद आशुतोष गोवारीकर का तर्क होगा कि मोहनजो दाड़ो कालखंड के गीत संगीत को आज के आधुनिक दर्शक क्या समझेंगे.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो सरमन के किरदार में हृतिक रोशन प्रभावित नहीं करते. उनके अभिनय में उनकी कई पुरानी फिल्मों के कुछ दृश्य, उन फिल्मों की उनकी चाल ढाल याद आने लगती है. यदि यह कहा जाए कि अभिनय के नाम पर हृतिक रोशन ने सिर्फ अपने आपको दोहराया है, तो कुछ भी गलत नहीं होगा. दक्षिण में तीन फिल्में करने के बाद ‘मोहनजो दाड़ो’ से हिंदी फिल्मों में कदम रखने वाली पूजा हेगडे़ के पास तो कुछ दृश्यों में सुंदर लगने व कुछ दृश्यों मे रोते रहने के अलावा कुछ करने को था ही नहीं. वह अपने आपको बेहतरीन अदाकारा साबित करने में विफल रही हैं. आशुतोष गोवारीकर ने अपने नाम व अपनी दोस्ती के चलते नितीश भारद्वाज, नरेंद्र झा सहित कई कलाकारों की प्रतिभा को जाया किया है. प्रधान महम के बेटे मूंजा के किरदार में अरूणोदय सिंह का अभिनय भी प्रभावित नहीं करता. कबीर बेदी का अभिनय भी डर नहीं पैदा करता.

फिल्म का वीएफएक्स बहुत  ही घटिया स्तर का है. फिल्म के क्लायमेक्स में प्रलय के दृश्यों का वीएफएक्स अपनी छाप नहीं छोड़ता. बाढ़, नदी का बांध टूट कर बहने आदि के दृश्य बहुत ही ज्यादा बनावटी लगते हैं. इतना ही नहीं, वीएफएक्स की मदद से मोहनजो दाड़ो में ईंट से बनी कई मंजिली इमारते दिखाने का आशुतोष का प्रयास भी फिल्म को कमजोर बनाता है.

आषुतोष गोवारीकर ने आमिर खान के साथ भुज में फिल्म ‘लगान’ फिल्मायी थी. अब उन्होंने वहीं पर ‘मोहनजो दाड़ो’ फिल्माई है. दो घंटे 35 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मोहनजो दाड़ो’’ के लेखक, पटकथा लेखक, निर्देशक आशुतोष गोवारीकर, निर्माता सिद्धार्थ राय कपूर और सुनीता गोवारीकर, संगीतकार ए आर रहमान तथा कलाकार हैं- हृतिक रोशन, पूजा हेगड़े, कबीर बेदी, अरूणोदय सिंह, नितीश भारद्वाज व अन्य.

शादी के इतने सालों बाद सलमान, ऐश्वर्या और अभिषेक का ये वीडियो हुआ वायरल

एक वक्त था जब सलमान और ऐश्वर्या बॉलीवुड के सबसे क्लासिक कपल माने जाते थे. दोनों की लव स्टोरी ‘हम दिल दे चुके सनम’ के सेट से शुरू हुई थी. लेकिन अफसोस इनकी लव स्टोरी ज्यादा दिन नहीं चल सकी. उसके बाद ऐश्वर्या ने अभिषेक बच्चन से शादी कर ली. सलमान अभी तक कुवांरे हैं, लेकिन खबर है कि वो भी जल्द ही अपनी गर्लफ्रेंड लूलिया से इसी साल शादी करने वाले हैं.

पर क्या आप जानते हैं कि एक्स कपल रह चुके सलमान खान और ऐश्वर्या राय की आखिरी फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ नहीं थी. इन दोनों ने उसके बाद भी एक फिल्म में साथ काम किया था. इतना ही नहीं उस फिल्म में सलमान और ऐश्वर्या के साथ अभिषेक बच्चन भी थे.

यकीन नहीं हो रहा तो आप खुद वीडियो देख लीजिए. ये वीडियो सोशल साइट पर बहुत तेज़ी से वायरल हो रहा है.

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Salman, Aishwarya and Abhishek rare scene from a film goes VIRAL

जी हां, ये सच है. अभी तब सबको लगता था कि सलमान और ऐश्वर्या को एक साथ ‘हम दिल दे चुके सनम’ में देखा गया था. उसके बाद इस जोड़ी को सिल्वर स्क्रीन पर दोबारा न देखा गया और न देखा जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं है सलमान, ऐश्वर्या और अभिषेक तीनों ने एक साथ एक फिल्म में काम किया है.

फिल्म का नाम है ‘ढाई अक्षर प्रेम के’. इसमें सलमान खान ने भी एक छोटी-सी भूमिका निभाई थी. सलमान फिल्म में ट्रक ड्राइवर बने थे. इन तीनों का साथ में एक सीन भी था. यकीन नहीं हो रहा तो आप खुद वीडियो देख लीजिए. ये वीडियो सोशल साइट पर बहुत तेज़ी से वायरल हो रहा है.

सलमान-ऐश्वर्या की वो ‘प्रेम कहानी’ जो रह गई अधूरी!

सलमान खान और ऐश्वर्या की लव स्टोरी बॉलीवुड की प्रेम कहानियों में कभी ना भूली जाने वाली कहानी है. जो सलमान इस लव स्टोरी के नायक थे, वो आशिकी की आग में ऐसे झुलसे कि खलनायक बन गए. ये कहानी है एक आशिक की बेपनाह मोहब्बत की, जो प्यार में कुछ भी कर गुजर जाने को तैयार था, लेकिन अपनी ही गलतियों की वजह से अपने खूबसूरत रिश्ते को खो बैठा.  हम आपको बता रहे है ऐसी प्रेम कहानी जो रह गई अधूरी.

ऐसे शुरू हुआ रिश्ता

सलमान और ऐश्वर्या की प्रेम कहानी 1997 में शुरू हुई, सलमान उस वक्त सुपरस्टार बन चुके थे. वहीं ऐश्वर्या ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने के बाद बॉलीवुड में अभी एंट्री ही की थी. ये वो दौर था जब सलमान का दिल सोमी अली के लिए धड़कता था. उस दौर की फिल्मी मैग्जीन में छपी खबरों के मुताबिक सलमान सोमी को लेकर काफी सीरियस थे और उनसे शादी भी करना चाहते थे, लेकिन उसी वक्त सलमान की नजर ऐश्वर्या पर पड़ी, और सलमान का दिल कब सोमी को छोड़कर ऐश के लिए धड़कने लगा ये खुद सलमान को नहीं पता चला.

एक वेबसाइट पर दिए एक इंटरव्यू में सोमी ने खुलासा किया था कि ऐश्वर्या की वजह से उनका और सलमान का रिश्ता टूट गया. सोमी इतनी आहत हुई थीं कि वो हिंदुस्तान छोड़कर चली गईं. एक मैग्जीन के मुताबिक मंसूर अली की फिल्म जोश को करने से सलमान ने सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया, क्योंकि उस फिल्म में उन्हें ऐश्वर्या के भाई का किरदार निभाना था.

सलमान ने की ऐश्वर्या की मदद

कहते हैं कि सलमान ने ऐश्वर्या का करियर बनाने का बीड़ा उठाया और कई प्रोड्यूसर से उनकी सिफारिश भी की. सलमान की वजह से ही ऐश्वर्या को 'हम दिल दे चुके सनम' जैसी बड़ी फिल्म मिली. सलमान के दोस्त संजय लीला बंसाली ने ऐश को इस फिल्म में ब्रेक दिया. यही वो फिल्म थी, जहां से सलमान और ऐश्वर्या की प्रेम कहानी की शुरुआत हुई. फिल्म की शूटिंग के साथ दोनों एक दूसरे के करीब आने लगे. दोनों एक दूसरे के प्यार में जैसे डूब गए. कहते हैं इस फिल्म में दोनों की शानदार केमेस्ट्री के पीछे दोनों की असली मोहब्बत थी.

सलमान के दोस्त कहते थे भाभी

ऐश्वर्या धीरे-धीरे सलमान की जिंदगी में दाखिल होने लगीं, वो उनके परिवारवाले के भी करीब आने लगीं. बताया जाता है कि सलमान के दोस्त ऐश्वर्या को भाभी कहकर बुलाते थे. हालांकि कई मैग्जीन में छपी खबरों के मुताबिक ऐश्वर्या के माता-पिता को ये रिश्ता मंजूर नहीं था, यहां तक कि उन्होंने सलमान से दूरी बनाने को कहा, जिससे वो इतनी नाराज हुईं कि घर छोड़कर अकेले रहने लगीं.

ऐसे टूटा दोनों का रिश्ता

दोनों सितारों की लवस्टोरी चल रही थी, कि उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान आया जिसने सबकुछ हिलाकर रख दिया. एक दिन आधी रात को सलमान ऐश्वर्या के घर पहुंच गए और उनका दरवाजा जोर से पीटने लगे. सलमान ने गुस्से में 19वीं मंजिल से कूदने की धमकी भी दी और सुबह 3 बजे तक दरवाजा पीटते रहे, कहते हैं कि दरवाजा पीटते-पीटते उनका हाथ जख्मी हो गया. आखिर सुबह 6 बजे घर का दरवाजा खुला. सलमान के हंगामे के पीछे की वजह ये बताई जाती है कि वो ऐश्वर्या से शादी करना चाहते थे, लेकिन ऐश कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ रही थीं और इस वक्त पर शादी नहीं करना चाहती थीं. इस घटना के बारे में सालों के बाद सलमान ने खुद एक मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में कबूला था कि वो ऐश्वर्या के घर गए थे.

बाद में ये भी खबरें आई कि ऐश्वर्या के पिता ने सलमान के खिलाफ थाने में केस भी दर्ज कराया. इन सारी खबरों की वजह से सलमान की काफी बेइज्जती भी हुई. धीरे-धीरे सलमान और ऐश्वर्या के बीच दूरियां बढ़ती गईं. खबरों के मुताबिक इसी बीच सोमी अली का सलमान के पास फोन आया कि उनके पिता का ऑपरेशन होने वाला है और वो उनकी मदद करें. सलमान बिना ऐश्वर्या  को बताए अमेरिका चले गए, जब ऐश को ये बात पता चली तो वो बेहद नाराज हुईं और उन्होंने ये रिश्ता खत्म करने का फैसला कर लिया.

इसी के बाद सलमान ने एक और तूफान खड़ा किया जिससे इनके रिश्ते के अंत पर मुहर लग गई. खबरों के मुताबिक सलमान ने ऐश्वर्या की फिल्म कुछ ना कहो के सेट पर हंगामा खड़ा कर दिया. इस फिल्म के हीरो अभिषेक बच्चन थे, कहते हैं कि सलमान ने उनकी कार तक में तोड़फोड़ भी की. इसी बीच 2002 में एक अवॉर्ड फंक्शन में ऐश्वर्या फैक्चर हाथों में पहुंची, उनकी हालत देखकर लोग यही कहते थे कि सलमान ने उनके साथ मारपीट की. कुछ सालों के बाद एक मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में ऐश ने माना कि सलमान ने उनके साथ मारपीट की थी. उन्होंने बताया कि जब वो सलमान का फोन नहीं उठातीं तो सलमान झगड़ा करते थे. आखिरकार एक लवस्टोरी का इस तरह दुखद अंत हुआ.

आईटी रिटर्न फाइल करने का अब भी है विकल्प

यदि आप नौकरीपेशा हैं तो इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइलिंग के महत्‍व के बारे में जानते ही होंगे. वहीं जिस तरह सरकार ने इनकम टैक्‍स रिटर्न की प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश की है, इससे भी लोगों का रुझान तेजी से इस ओर बढ़ा है. लेकिन तमाम सहूलियतों और ऑनलाइन सुविधाओं के बावजूद अगर आप इनकम टैक्स  रिटर्न (Return) फाइल करने की आखिरी तारीख यानि 5 अगस्त से चूक गए हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है. ड्यू टैक्स पर लेट पेमेंट के रूप में भुगतान करने के बाद इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा.

टैक्स कानून के तहत आप 31 मार्च तक रिटर्न फाइल कर सकते हैं. इसके लिए 5 अगस्त से हर महीने लेट पेमेंट के रूप में 1 फीसदी की दर से ब्याज लगाया जाएगा.

आखिरी तारिख पर रिटर्न फाइल करने से चूंकने के बाद बेहतर है कि बैंक ट्रांजेक्शन, अन्य रिकॉर्ड और 26एएस स्टेटमेंट को इनकम टैक्स वेबसाइट पर से जांच लें, ताकि टैक्स गणना के समय किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े.

फॉर्म 26एएस में आपकी आय में होने वाली टैक्स कटौती, एडवांस टैक्स भुगतान, सेल्फ एसेस्मेंट टैक्स पेमेंट, टैक्सपेयर (पैन धारक) की ओर से जमा कराए गए  टैक्स, वित्त वर्ष शेयर, म्यूचुअल फंड आदि के रुप में मिले गए रिफंड आदि की जानकारी जुटाकर जल्‍द से 31 मार्च 2017 से पहले रिटर्न फाइल जरूर कर दें.

आखिरी तारीख से चूंकने का मतलब यह होता है कि टैक्सपेयर कैपिटल मार्केट में हुए नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड नहीं कर सकता. हालांकि हाउस प्रॉपर्टी में हुए नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड किया जा सकता है.

साथ ही अगर टैक्सपेयर 31 मार्च, 2017 की अंतिम तारीख से भी चूक जाता है तो उसे 5000 रुपए का जुर्माना देना पड़ता है.

करदाताओं को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इनकम टैक्स विभाग और कर निर्धारण प्राधिकारी किसी भी व्यक्ति की ट्रांजेक्शन डीटेल्स सेविंग एकाउंट में जमा कैश (10 लाख रुपए से ऊपर), चल अचल संपत्ति की खरीदारी या सेल (30 लाख रुपए से ऊपर), 2 लाख रुपए से ज्यादा की क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान आदि के आधार पर नॉन फाइलिंग ऑफ रिटर्न का नोटिस भेजा जा सकता है.

अगर आपकी ओर से दिया जाने वाला रिफंड कुल देनदारी का 10 फीसदी से ज्यादा है तो आपको 1 अप्रैल से 0.5 फीसदी की दर से ब्याज देना होगा. यदि आप 5 अगस्त के बाद रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपको 1 अप्रैल से लेकर रिटर्न फाइल करने की तारीख तक का ब्याज नहीं मिलेगा. इसके अलावा फॉर्म में किसी भी तरह की गलती करने पर आप रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने का अधिकार खो देते हैं. इसलिए रिटर्न फाईल करते समय सभी लेनदेन से जुड़ी जानकारी ध्यान से भरें.

मैटरनिटी बैनिफिट बिल पर जल्द बनेगा कानून

मैटरनिटी बैनिफिट बिल राज्यसभा में पास हो गया. अब इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा. इसके कानून बनने के बाद प्राइवेट और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर की कामकाजी महिलाओं को 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलेगी. प्राइवेट कंपनियों को भी उन्हें 26 सप्‍ताह की लीव देनी पड़ेगी. बता दें कि कैबिनेट पहले ही मैटरनिटी बैनिफिट एक्ट 1961 में बदलाव को मंजूरी दे चुका है. सरकारी डिपार्टमेंट में काम करने वाली महिला इम्प्लॉइज को पहले से ही 26 हफ्ते की मैटेरनिटी लीव मिलती है.

मैटरनिटी बेनिफिट्स बिल के 10 बड़े फायदे

1. इस बिल के कानून बनने से सरकारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलने का रास्ता साफ होगा. अभी 12 हफ्ते के मातृत्व अवकाश का प्रावधान है.

2. इस बिल के मुताबिक 10 या इससे ज्यादा कर्मचारियों वाले सभी संस्थानों पर मैटरनिटी लीव के प्रावधान लागू होंगे, और इस बिल के कानून बनने के बाद ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की करीब 18 लाख वर्किंग वुमन को फायदा मिलेगा.

3. इस बिल में 50 से ज्यादा कर्मचारियों वाले किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में क्रेच की व्यवस्था करने का भी इंतजाम है. बच्चे की मां को दिन में 4 बार क्रेच में जाने की अनुमति होगी. यह इंतजाम न करने पर दंड का प्रावधान किया गया है.

4. मैटरनिटी लीव के दौरान महिलाओं को वेतन भी मिलेगा और 3 हजार रुपये का मातृत्व बोनस भी दिया जाएगा.

5. इस बिल के कानून बनने से भारत दुनिया के उन 40 देशों में शामिल हो जाएगा, जहां 18 हफ्ते से ज्यादा की मैटरनिटी लीव दी जाती है. अभी भारत का नाम उन देशों में शुमार है, जहां प्रेग्नेंसी के कारण नौकरी छोड़ने वाली महिलाओं की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है.

6. बिल के प्रावधानों के मुताबिक 2 बच्चों तक 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलेगी और उसके बाद 2 और बच्चों के लिए 12 हफ्ते की.

7. इसी तरह अगर कोई महिला बच्चा गोद लेती है या सरोगेसी के जरिए उसे बच्चा मिलता है तो उसे बच्चे की देखभाल के लिए 12 हफ्ते तक की लीव मिलेगी.

8. पहले मैटरनिटी लीव के लिए डिलिवरी से 6 हफ्ते पहले अप्लाई किया जा सकता था. अब यह अवधि 8 हफ्ते की होगी.

9. इस बिल में यह प्रावधान भी है कि मैटरनिटी लीव खत्म होने के बाद अगर महिला ऑफिस का काम घर से कर सकती है तो उसे यह सुविधा देनी होगी.

10. इस बिल पर सदन में हुई बहस के दौरान कई सदस्यों ने सरोगेट मदर्स को भी मैटरनिटी लीव का फायदा दिए जाने की मांग की थी. सरकार ने इस मसले पर विचार करने का भरोसा दिया है. अगर ऐसा होता है तो सरोगेट मदर्स के लिए भी यह एक बड़ा तोहफा होगा.

रेडियो कैब्स का किराया तय करेगी सरकार

ओला और उबर जैसी ऐप आधारित कैब सेवाओं द्वारा व्यस्त समय में किराया बढ़ाने को झटका देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 अगस्त की समयसीमा तय की जिसके बाद कोई भी टैक्सी यात्रियों से सरकार द्वारा तय दामों से अधिक किराया नहीं ले पाएगी.

22 अगस्त की समय-सीमा तब तय की गई जब उबर ने न्यायमूर्ति मनमोहन को बताया कि उन्हें यह तय करने के लिए अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव करने के लिए 10 दिन चाहिए कि यात्रियों से जून 2013 में दिल्ली सरकार द्वारा तय दरों से अधिक दाम नहीं लिए जा सकें.

ओला ने अदालत को बताया कि उसने यात्रियों से अधिसूचित दरों से अधिक किराया लेना पहले ही बंद कर दिया है. तय दरों के मुताबिक, इकोनॉमी रेडियो टैक्सी का किराया 12.50 रुपए प्रति किलोमीटर है जबकि गैर एसी काली-पीली टाप टैक्सी के लिए किराया 14 रुपए प्रति किलोमीटर और एसी वाली काली पीली टाप टैक्सी का किराया 16 रुपए प्रति किलोमीटर है.

रेडियो टैक्सी कैब के लिए अधिसूचित किराया 23 रुपए प्रति किलोमीटर है. अतिरिक्त रात्रि शुल्क (किराए का 25 फीसद) रात 11 बजे से सुबह पांच बजे तक लागू होगा. दाम बढ़ाने के मुद्दे पर गौर करते हुए अदालत ने कहा कि ओला और उबर जैसी टैक्सी सेवाओं ने सार्वजनिक परिवहन पर दबाव को कम किया है लेकिन उनके नियम के लिए ‘एक समान नीति होनी चाहिए’.

यह निर्देश उस समय आया जब केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील मनीश मोहन और कीर्तिमान सिंह ने कहा कि परिवहन मंत्रालय ने भारत में टैक्सियों को लाइसेंस जारी करने के मुद्दे पर गौर करने के लिए 25 मई 2016 को एक समिति का गठन किया है.

इमोजी के बाद अब आई यूमोजी की बारी

सोशल साइटों पर चैटिंग के दौरान इमोजी का इस्तेमाल जल्द ही बीते दिनों की बात हो जाएगी. फेसबुक अपने यूजर के लिए ‘यूमोजी’ लाने की तैयारी कर रहा है. इसके जरिए लोग अपनी तस्वीरों का इमोजी के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे. दरअसल, फेसबुक ने मार्च 2016 में यूमोजी का पेटेंट दाखिल किया था. इसकी खास बात यह है कि फेसबुक कोई भी इमोजी टाइप करते ही उसके भाव से मेल खाती तस्वीर चुनकर उसका यूमोजी बना देगा.

शब्दों से अधिक कारगर

कई बार चैटिंग के दौरान भावनाएं जाहिर करने के लिए इमोजी शब्दों से अधिक कारगर साबित होते हैं. अब सोशल मीडिया की दुनिया का बेताज बादशाह फेसबुक भावनाएं बयां करने के इस तरीके को एक कदम आगे ले जाना चाहता है.

उसने ‘यूमोजी’ फीचर का पेटेंट दिया है, जिसके तहत अगर कोई यूजर फेसबुक पर खुशी या गम जताने वाले दो इमोजी में से किसी एक इमोजी का इस्तेमाल करता है तो फेसबुक इन इमोजी के भाव के आधार पर उस व्यक्ति की ऐसी ही तस्वीर अपनी साइट से खोजेगा. फिर इसे इमोजी के रूप में बदलकर पेस्ट कर देगा.

उदाहरण के लिए अगर किसी यूजर ने खुशी जताने वाला इमोजी टाइप किया है तो फेसबुक उस व्यक्ति को खुश दिखाने वाले किसी फोटो को इमोजी के रूप बदलकर पेश करेगा. अगर फेसबुक पर किसी व्यक्ति ने अपनी तस्वीरें अपलोड नहीं की हैं तो वह कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर की तस्वीर का यूमोजी बना सकता है.

एप से बनाएं खुद का इमोजी

फेसबुक पर जब तक यूमोजी का फीचर नहीं आता है तब तक आप एप के जरिए अपनी फोटो का इमोजी बना सकते हैं. इन इमोजी में अपने चेहरे के अलग-अलग भाव को शामिल किया जा सकता है. यहां तक कि खुद के बनाए गए इमोजी फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य सोशल एप पर शेयर किए जा सकते हैं. गूगल प्ले और आईट्यूंस स्टोर पर फोटो को इमोजी में ढालने के लिए imoji एप सबसे लोकप्रिय है.

इस एप को फोन में डाउनलोड कर लें. उसके बाद एप खोलने पर एक गोलाकार स्क्रीन दिखाई देगी. यहां फोन में मौजूद फोटो को अपलोड करने का विकल्प आएगा. अपनी फोटो को अपलोड करने के बाद चेहरे को क्रॉप करने का विकल्प दिखाई देगा.

एप की खूबी

इस एप की खूबी यह है कि यह सिर्फ चेहरा क्रॉप करता है और उसके बैकग्राउंड को खुद-ब-खुद हटा देता है ताकि इमोजी में चेहरे के भाव दिखाई दें. इमोजी का आकार भी आप खुद तय कर सकते हैं. ‘आईमोजी’ एप की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गूगल प्ले से अब तक 5 लाख से अधिक यूजर इसे डाउनलोड कर चुके हैं.

रियो: सानिया-बोपन्ना मिश्रित युगल क्वार्टर फाइनल में

भारत की सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना की जोड़ी ऑस्ट्रेलिया की सामंथा स्टोसुर और जॉन पीयर्स को सीधे सेटों में हराकर रियो ओलंपिक मिश्रित युगल वर्ग के क्वार्टर फाइनल में पहुंच गई है. ओलंपिक में भारत की पदक उम्मीद माने जा रहे सानिया और रोहन ने पहले दौर का मुकाबला 73 मिनट में 7-5, 6-4 से जीता.

चौथी वरीयता प्राप्त भारतीय जोड़ी को जमने में समय लगा लेकिन लय हासिल करने के बाद उसने मुड़कर नहीं देखा. दुनिया की नंबर एक महिला युगल खिलाड़ी सानिया ने जीत के बाद कहा, ‘ओलंपिक में पदक जीतना बेहतरीन होगा क्योंकि मैने अभी तक नहीं जीता है. हमारे लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धि होगी. हम इसके लिये पूरा प्रयास करेंगे.’

टेनिस सेंटर पर सर्द हवाओं के बीच भारी संख्या में भारतीय समर्थक यहां मैच देखने के लिए जुटे थे. रफेल नडाल और मार्क लोपेज के पुरुष युगल सेमीफाइनल मैच के दो घंटे से अधिक खिंच जाने के कारण यह मैच विलंब से शुरू हुआ. दर्शकों में लिएंडर पेस, खेलमंत्री विजय गोयल और साइ महानिदेशक इंजेती श्रीनिवास शामिल थे.

पहले सेट में दोनों टीमों ने नौवें गेम तक कोई अंक नहीं गंवाया. इसके बाद पीयर्स की सर्विस टूटी और भारतीय जोड़ी ने 5-4 से बढ़त बना ली. अगले गेम में हालांकि भारतीयों ने बढत खो दी और स्कोर 5-5 हो गया. सेट हाथ से निकलने से पहले भारतीयों ने विरोधी की सहज गलती का फायदा उठाकर लगातार चार अंक बनाये और स्टोसुर की सर्विस तोड़कर 36 मिनट में पहला सेट जीत लिया.

दूसरे सेट में ऑस्ट्रेलियाई जोड़ी दबाव में दिखी और पीयर्स के डबलफाल्ड से भारतीयों ने 3-2 की बढ़त बना ली. दर्शक दीर्घा से ‘कम ऑन इंडिया’ का शोर भी तेज होने लगा था. सानिया और रोहन ने 4-2 की बढ़त कर ली और दसवें गेम में तीन ऐस लगाकर बोपन्ना ने मैच का फैसला कर दिया.

उन्होंने अपने पर से दबाव हटाने का श्रेय सानिया को देते हुए कहा, ‘मुझे मजबूती से खेलना ही था. हवाओं से मुझे परेशानी हुई और जमने में समय लगा.’ उन्होंने कहा, ‘मैं बेहतर महसूस कर रहा था क्योंकि उनके साथ मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाता हूं. हमने विरोधी टीम पर काफी दबाव बनाया. पहले सेट में उतना अच्छा नहीं खेल सके लेकिन दूसरे सेट में धैर्य बनाये रखते हुए मैंने सानिया की सर्विस पर आक्रामक प्रदर्शन किया.’

क्वार्टर फाइनल में भारतीय जोड़ी का सामना ब्रिटेन के गैर वरीय एंडी मर्रे और हीथर वाटसन की जोड़ी से होगा जिन्होंने स्पेन के डेविड फेरर और कार्लो सुआरेज नवारो को 6-3, 6-3 से हराया. बोपन्ना ने कहा,‘एंडी सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से है और कोर्ट को बखूबी कवर करता है. हमें अपने खेल पर फोकस करना होगा.’

चार साल पहले लंदन में सानिया और लिएंडर पेस मिश्रित युगल क्वार्टर फाइनल में पहुंचे थे. रियो में महिला और पुरुष एकल युगल में भारतीय चुनौती पहले ही दौर में खत्म हो गई.

क्यों नहीं धर्म नशे को बंद करा सका

हर धर्म एक बात से सब से ज्यादा डरता है और वह है खुली  स्वतंत्र बात. धर्म अपने विरोधियों के बल और आक्रमण को तो सह लेता है पर अपनों में से किसी की भी कैसी भी आलोचना से बहुत डरता है. हिंदी फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ से पंजाब की धार्मिक पार्टियों- अकाली दल व भारतीय जनता पार्टी का डर निर्मूल न था और इसीलिए परम भक्त और सैंट्रल बोर्ड औफ फिल्म सर्टिफिकेशन के चैयरमैन पहलाज निहलानी ने उस पर मनचाही कैंचियां चलवाईं.

फिल्म में न तो नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कुछ है न प्रकाश सिंह बादल की अकाली सरकार के खिलाफ पर 2017 के चुनावों से पहले यह रंग देना कि मादक नशीली दवाओं का धंधा पंजाब के घरघर में घुस गया है और औरतें भी इस धंधे को चलाने में मदद करती हैं, ऐसी स्वीकारोक्ति है जिस से डरना स्वाभाविक है.

पंजाब में ड्रग्स का धंधा असल में शराब की बोतलों पर चढ़ कर आया है. वहां शराब पीनापिलाना फैशन और शान की बात है. हर घर में शराब की बोतलों को सजा कर रखा जाता है. औरतें भी जम कर पीती हैं. पंजाब के गानों में शराब और नशे की ऐसी जम कर महिमा गाई गई है कि देवीदेवता भी ईर्ष्या कर बैठें.

फिर जब पंजाब में बिहार से मजदूर पहुंचे तो उन से जम कर काम लेने के लिए उन्हें नशे की आदत डाली गई. तंबाकू, खैनी के आदी तो वे थे ही, नशे को उन्होंने दोनों हाथ लिया. जब नशे की खेती हो रही हो तो कौन बचेगा? धर्म का पंजाब में खूब जोर है. क्यों धर्म नशे को बंद नहीं करा सकता? जहां लोगों को पूजास्थल पर ले जाने के लिए लाखों में तैयार करा जा सकता है, अपनी तरह की पोशाक पहनने की जबरदस्ती की जा सकती है, खानेपीने पर बंदिशें लगाई जा सकती हैं, तो वहां नशे की सूइयां लगाने को बंद क्यों नहीं करा जा सकता?

पंजाब तो ऐसा इकलौता राज्य है, जहां धर्म के नाम पर बनी 2 पार्टियों का राज है. वहां पहलाज निहलानी को फिल्म सैंसर करने का हुक्म तो दिया जा रहा था, पर जनता को नशे की गिरफ्त से निकालने का नहीं. ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म अपनेआप में अकहानी फिल्म है. निर्मातानिर्देशक नशे को दिखाने में इतने मगरूर हो गए कि कहानी नशेबाजों के बीच खो गई. ये वही फिल्मकार हैं, जो आजकल शराब का जम कर प्रचार कर रहे हैं और हर दूसरी फिल्म में नायक ही नहीं नायिकाएं भी शराब के घूंट भरती नजर आ रही हैं.

जब एक नशे को मान्यता मिलती है तो दूसरे को क्यों नहीं? सिगरेट पर लंबी धार्मिक पाबंदी से साफ है कि धर्म ने कभी इस नशे पर एतराज जताया था पर अब बाकी नशों पर वह पाबंदी उड़ गई. पंजाब से तो उड़ ही गई.

एंड्रायड फोन में कैसे बढाएं स्‍पेस

क्‍या आप एंड्रायड फोन यूजर हैं और फोन इस्‍तेमाल करने के कुछ ही समय बाद, आपके फोन में स्‍पेस की दिक्‍कत आने लगी है जिसके कारण न तो आप तस्‍वीरें ले पाते हैं और न ही कोई गाना या वीडियो डाउनलोड कर पाते हैं.

कई एंड्रायड यूजर्स को इस समस्‍या से गुजरना पड़ता है. इस तरह की दिक्‍कत, कम स्‍पेस की वजह से आती है या फिर फोन पूरी तरह से भर जाता है. कई ट्रिक्‍स के जरिए आप फोन में स्‍पेस को खाली कर सकते हैं और इतनी जगह बना सकते हैं कि किसी एप को इंस्‍टॉल कर सकें या बाकी के शौक पूरें कर पाएं.

आइए जानते हैं कि किस प्रकार एंड्रायड फोन में स्‍पेस को बनाएं और अपर्याप्‍त स्‍टोरेज की समस्‍या को दूर करें

एप कैच डेटा हटा दें

हर एप का कैच डेटा होता है जो फोन में जगह घेरता है. आप फोन के फाइल मैनेजर में जाकर डिलीट कैच एप डेटा कर दें. इससे थोड़ा स्‍पेस हो जाएगा. हर एप में ऐसा करें.

वाट्सएप डाउनलोड पर नियंत्रण रखें

वाट्सएप में आने वाली हर इमेज और वीडियो को डाउनलोड न करें और अगर करते हैं तो देखने के बाद डिलीट कर दें. इससे काफी स्‍पेस की बचत होगी.

बेकार के एप हटाएं

जो एप का इस्‍तेमाल आपके द्वारा नहीं किया जाता है उन्‍हें फोन में कतई न रखें. वो सिर्फ जगह घेरती हैं.

ब्राउज हिस्‍ट्री क्‍लीयर करें

आप इंटरनेट पर जो भी सर्च करें, उसे भी क्‍लीयर कर दें. इससे फोन, उस हिस्‍ट्री को बनाएं रखने मे स्‍पेस की खपत नहीं करेगा.

बैकअप फोटो हटाएं

जो फोटो आपने पहले से बैकअप में ले ली हों, उन्‍हें फोन से हटाने में ही समझदारी है. इससे काफी स्‍पेस आपके पास होगा.

डाउनलोड फोल्‍डर को क्‍लीन कर दें

आपके फोन में जो भी डाउनलोड फोल्‍डर हो, उसे हटा दें. इससे फोन में काफी स्‍पेस आ जाएगा.

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