ओला और उबर जैसी ऐप आधारित कैब सेवाओं द्वारा व्यस्त समय में किराया बढ़ाने को झटका देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 अगस्त की समयसीमा तय की जिसके बाद कोई भी टैक्सी यात्रियों से सरकार द्वारा तय दामों से अधिक किराया नहीं ले पाएगी.
22 अगस्त की समय-सीमा तब तय की गई जब उबर ने न्यायमूर्ति मनमोहन को बताया कि उन्हें यह तय करने के लिए अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव करने के लिए 10 दिन चाहिए कि यात्रियों से जून 2013 में दिल्ली सरकार द्वारा तय दरों से अधिक दाम नहीं लिए जा सकें.
ओला ने अदालत को बताया कि उसने यात्रियों से अधिसूचित दरों से अधिक किराया लेना पहले ही बंद कर दिया है. तय दरों के मुताबिक, इकोनॉमी रेडियो टैक्सी का किराया 12.50 रुपए प्रति किलोमीटर है जबकि गैर एसी काली-पीली टाप टैक्सी के लिए किराया 14 रुपए प्रति किलोमीटर और एसी वाली काली पीली टाप टैक्सी का किराया 16 रुपए प्रति किलोमीटर है.
रेडियो टैक्सी कैब के लिए अधिसूचित किराया 23 रुपए प्रति किलोमीटर है. अतिरिक्त रात्रि शुल्क (किराए का 25 फीसद) रात 11 बजे से सुबह पांच बजे तक लागू होगा. दाम बढ़ाने के मुद्दे पर गौर करते हुए अदालत ने कहा कि ओला और उबर जैसी टैक्सी सेवाओं ने सार्वजनिक परिवहन पर दबाव को कम किया है लेकिन उनके नियम के लिए ‘एक समान नीति होनी चाहिए’.
यह निर्देश उस समय आया जब केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील मनीश मोहन और कीर्तिमान सिंह ने कहा कि परिवहन मंत्रालय ने भारत में टैक्सियों को लाइसेंस जारी करने के मुद्दे पर गौर करने के लिए 25 मई 2016 को एक समिति का गठन किया है.