मैटरनिटी बैनिफिट बिल राज्यसभा में पास हो गया. अब इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा. इसके कानून बनने के बाद प्राइवेट और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर की कामकाजी महिलाओं को 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलेगी. प्राइवेट कंपनियों को भी उन्हें 26 सप्ताह की लीव देनी पड़ेगी. बता दें कि कैबिनेट पहले ही मैटरनिटी बैनिफिट एक्ट 1961 में बदलाव को मंजूरी दे चुका है. सरकारी डिपार्टमेंट में काम करने वाली महिला इम्प्लॉइज को पहले से ही 26 हफ्ते की मैटेरनिटी लीव मिलती है.
मैटरनिटी बेनिफिट्स बिल के 10 बड़े फायदे
1. इस बिल के कानून बनने से सरकारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलने का रास्ता साफ होगा. अभी 12 हफ्ते के मातृत्व अवकाश का प्रावधान है.
2. इस बिल के मुताबिक 10 या इससे ज्यादा कर्मचारियों वाले सभी संस्थानों पर मैटरनिटी लीव के प्रावधान लागू होंगे, और इस बिल के कानून बनने के बाद ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की करीब 18 लाख वर्किंग वुमन को फायदा मिलेगा.
3. इस बिल में 50 से ज्यादा कर्मचारियों वाले किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में क्रेच की व्यवस्था करने का भी इंतजाम है. बच्चे की मां को दिन में 4 बार क्रेच में जाने की अनुमति होगी. यह इंतजाम न करने पर दंड का प्रावधान किया गया है.
4. मैटरनिटी लीव के दौरान महिलाओं को वेतन भी मिलेगा और 3 हजार रुपये का मातृत्व बोनस भी दिया जाएगा.
5. इस बिल के कानून बनने से भारत दुनिया के उन 40 देशों में शामिल हो जाएगा, जहां 18 हफ्ते से ज्यादा की मैटरनिटी लीव दी जाती है. अभी भारत का नाम उन देशों में शुमार है, जहां प्रेग्नेंसी के कारण नौकरी छोड़ने वाली महिलाओं की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है.