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जॉन अब्राहम बने अरुणाचल प्रदेश के ब्रांड एम्बेसेडर

पर्यटन रोज़गार का एक बड़ा माध्यम है इससे कई लोगो को काम मिलता है इसी सोच को ध्यान में रखते हुए ‘लैंड ऑफ़ राइजिंग सन’ अर्थात अरुणाचल प्रदेश के टूरिज्म विभाग ने बी ई वायोकॉम 18 के साथ मिलकर इसे पूरे देश-विदेश में फ़ैलाने का संकल्प लिया. उत्तरी पूर्वी प्रान्त का यह भाग अभी भी लोगो की पहुँच से दूर है.

सेवेन सिस्टर्स ऑफ़ इंडिया में अरुणाचल प्रदेश सबसे बड़ा क्षेत्र है. यहाँ की आबादी बहुत कम है हरे-भरे जंगलों से भरा यह राज्य पर्यटन के लिए ख़ास है.अभिनेता जॉन अब्राहम इस अभियान के ब्रांड एम्बेसडर हैं, उनका कहना है कि मुझे प्राकृतिक सुन्दरता बहुत पसंद है, सुदूर प्रान्त की यह खुबसूरती मेरे लिए खास है. इससे जुड़ना मेरे लिए खुशी की बात है.

जॉन अब्राहम नार्थ ईस्ट फुटबाल टीम के ओनर हैं और इससे पहले वे मैराथन ‘रन फॉर नार्थ ईस्ट’ में भी भाग ले चुके हैं. जीवन की आपाधापी से दूर उन्हें ये स्थान बहुत पसंद है. जॉन कहते हैं कि अगर आपने अरुणाचल प्रदेश नहीं देखा है तो आपको हमारे देश की खूबसूरती का पता नहीं चल पायेगा. मुझे बाइकिंग, फोटोग्राफी, राफ्टिंग सब पसंद है. यहां 85 प्रतिशत जंगल है. यहां की आबादी कम है और यही इस क्षेत्र की सबसे अधिक खास बात है. यहां के लोग बहुत साधारण हैं और मेहमान नवाज़ी को तवज्जों देते हैं. जिस तरीके से वे लोगो की आवभगत करते है वह काबिले तारीफ़ है. यहां की ‘जीरो फेस्टिवल’ को मैं एन्जॉय करना चाहता हूँ. जो 22 सितम्बर से 25 सितम्बर तक चलता है. इसके अलावा मेरी कोशिश यह रहेगी कि बॉलीवुड भी इस प्राकृतिक सुन्दरता को फिल्मों में अधिक से अधिक लायें.

अरुणाचल प्रदेश के टूरिज्म सेक्रेटरी जोरम बेडा कहते है कि अरुणाचल एक बहुत ही सुंदर जलवायु वाला प्रदेश है, यहाँ कुछ प्रतिबन्धित क्षेत्र भी हैं. जो विदेशी यहाँ आते हैं, उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है. पहले यहाँ की यातायात की व्यवस्था अच्छी नहीं थी, जो अब काफी अच्छी हो चुकी है. गौहाटी या इटानगर आने पर लैंड परमिट दी जाती है. इसे आसान बनाया गया है ताकि पर्यटक को कोई असुविधा न हो. यहाँ की संस्कृति और खुबसूरती को लोग जानते नहीं है. यहाँ आने से लोग डरते हैं, क्योंकि यहाँ आदिवासी हैं. लेकिन यह राज्य काफी बदल चुका है, यहाँ की मानसिकता बदल चुकी है. वे अब प्रोग्रेसिव विचार रखते हैं. यहाँ की फेस्टिवल काफी कलरफुल है. यह स्थान एथनिक और एक्सोटिक है.

पैरालम्पिक के लिए सबसे बड़ी भारतीय ब्रिगेड तैयार

ब्राजील के रियो डि जिनेरियो में ओलम्पिक खत्म होने के बाद पैरालम्पिक शुरु हो रहा है. 7 से 18 सितंबर तक चलने वाले पैरालम्पिक खेलों में 19 सदस्यीय भारतीय दल हिस्सा ले रहा है.

अपने अब तक के सबसे बड़े दल के साथ भारत ब्राजीलियाई महानगर रियो डी जनेरियो की मेजबानी में शुरू हो रहे पैरालम्पिक खेलों में हिस्सा लेने के लिए पूरी तरह तैयार है. रियो पैरालम्पिक में कुल 4300 पैरा एथलीट 23 खेलों में प्रतिस्पर्धा करते दिखेंगे.

भारत की तरफ से पदक की सबसे बड़ी उम्मीद भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया हैं. एथेंस पैरालम्पिक 2004 में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले झाझरिया का यह चौथा पैरालम्पिक है.

तींरदाजी के अलावा एथलेटिक्स, बोस्सिया, साइकिलिंग, पैरा कैनो, घुड़सवारी, फुटबाल (पांच खिलाड़ी और सात खिलाड़ी की टीम), गोलबॉल, जूडो, पैर-ट्रायथलॉन, पावरलिफ्टिंग, रोइंग, सेलिंग, निशानेबाजी, तैराकी, टेबल टेनिस, वॉलीबाल, व्हीलचेयर बास्केटबाल, व्हीलचेयर तलवारबाजी, व्हीलचेयर टेनिस, व्हीलचेयर रग्बी जैसे खेल भी इस साल इन पैरालम्पिक खेलों का हिस्सा होंगे.

भारत ने अब तक इन खेलों में कुल आठ पदक अपने नाम किए है जिनमें दो स्वर्ण, तीन रजत और तीन कांस्य पदक शामिल हैं. इन आठ पदकों में से एक स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य एथलेटिक्स में मिले हैं. वहीं तैराकी और पावरलिफ्टिंग में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक हासिल हुआ है.

भारतीय पैरालम्पिक टीम

पुरुष

मारियप्पन थांगावेलु (ऊंची कूद)

वरुण सिंह भाटी (ऊंची कूद)

शरद कुमार (ऊंची कूद)

रामपाल चाहर (ऊंची कूद)

सुंगर सिंह गुर्जर (भाला फेंक)

देवेंद्र झाझरिया (भाला फेंक)

रिंकू (भाला फेंक)

नरेंद्र रनबीर (भाला फेंक)

संदीप (भाला फेंक)

अमित कुमार सरोहा (क्लब थ्रो)

धर्मबीर (क्लब थ्रो)

अंकुर धामा (1,500 मीटर दौड़)

बाशा फरमान (पावरलिफ्टिंग)

सुयश नारायण जाधव (तैराकी)

नरेश कुमार शर्मा (निशानेबाजी)

महिला

पूजा (तीरंदाजी)

दीपा मलिक (गोला फेंक)

करमज्योति दलाल (चक्काफेंक)

फोन की लॉक स्क्रीन को मनोरंजक बनाएगा ये एप

फनलॉकर सुविधाजनक तरीके से डिजाइन किया गया एंड्रॉयड एप है. सुंदर वॉलपेपर के साथ-साथ यह एप खास तौर पर आपके मनोरंजन के लिए इंटरनेट की दुनिया से छांटी गई ट्रेंडिंग न्यूज, वीडियो, गाने, गेम्स, स्कोर और फोटो आपके फोन की लॉक स्क्रीन पर ही दिखा देता है.

लॉक स्क्रीन पर दिखाएगा सबकुछ

Funlocker app से आप किसी भी नई खबर, नए मूवी ट्रेलर, नए गाने या आपके पसंदीदा कलाकारों के फोटो से अनभिज्ञ नहीं रहेंगे, क्योंकि ये सब आपके पर ही मौजूद रहेंगे. इन सबके के अलावा इस एप में सुंदर वॉलपेपर थीम भी है जिनका उपयोग कर के आप अपने पसंदीदा स्टार्स को अपनी लॉकस्क्रीन पर दिन-रात निहार सकते हैं. क्रिकेट स्कोर के लिए भी आपको कोई एप या ब्राउजर खोलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह भी आपकी लॉक स्क्रीन पर ही उपलब्ध रहेगा.

दिखाएगा सुन्दर वॉलपेपर थीम्स

Funlocker की विभिन्न विशेषताओं में से सबसे खास विशेषता है इनकी सुन्दर वॉलपेपर थीम्स, जिसके जरिये आप अपने फोन की लॉक स्क्रीन को अलग-अलग तरह की थीम जैसे आपके पसंदीदा व्यक्ति, प्यारे पशु-पक्षी, बेहतरीन कारें, बाइक, प्रकृति या अन्य की वॉलपेपर फोटो के साथ सजा सकते हैं. 200 से अधिक थीम गैलरियों को आपके फोन के रेजोलूसन के हिसाब से अनुकूल किया गया है ताकि यह सब फनलॉकर के मीडिया लॉक स्क्रीन पर के दृष्टिकोण में सुंदर तरीके से समाहित हो सके और आप एक क्लिक में मनोरंजन का लुत्फ ले सकें.

अंग्रेजी के साथ 9 भाषाओं में करता है काम

फनलॉकर के सह-संस्थापक पीयूष पॉल का कहना है, हम दुनिया भर के स्मार्ट फोन उपयोगकर्ताओं के लिए मीडिया उपयोग को आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. दुनिया के सिर्फ छह फीसदी लोग अंग्रेजी भाषा का उपयोग करते हैं लेकिन इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषी वेबसाइट्स का शासन है, जिससे अन्य भाषाओं के मोबाइल उपभोक्ताओं को अपने पसंदीदा मनोरंजक साधनों तक पहुंचने के लिए बहुत सारी अंग्रेजी भाषी वेबसाइट्स को खंगालना पड़ता है. उन्होंने कहा, फनलॉकर इसी मनोरंजन केंद्रित मोबाइल सफर को आसान बनाने में लगा है, और जल्द ही आप यह एप हिंदी और इंग्लिश के साथ-साथ, 9 और भाषाओं में इस्तेमाल कर पाएंगे.

हर चीज से अपडेट रखेगा ये एपकई अध्ययन रिर्पोटों में विवरण दिया गया है कि आज का युवा अपना फोन दिन में पचास से अधिक बार उठा कर अनलॉक करता है. फनलॉकर इसी अनलॉक करने की गतिविधि को एंटरटेनमेंट और मजे से भरपूर तो बनाता ही है, पर उसके साथ-साथ उपयोगकर्ता को दुनिया भर की नवीनतम फैशन, म्यूजिक, राजनयिक खबरों इत्यादि से अपडेट भी रखता है.

सोशल मीडिया में वायरल हुआ शाहरुख खान की पहली फिल्म का वीडियो

बॉलीवुड के बादशाह और लाखों करोड़ों दिलों की धड़कन बन चुके शाहरुख खान आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक हर उम्र के लोग उनकी फैन लिस्ट में शामिल हैं. खासतौर पर आज के युवा वर्ग पर उनका जादू सर चढ़कर बोलता है. एक सुपरस्टार के रूप में उन्हें मिली यह पहचान महज संयोग की बात नहीं है. इस सफलता के पीछे छिपी है उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष.

70 से ज्यादा फि‍ल्में, 8 से ज्यादा अवॉर्ड अपने नाम करने वाले बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ हर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर काम करना चाहता है. लेकि‍न कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें शाहरुख के साथ काम करने का मौका मि‍ला. बादशाह आमतौर पर अपने दोस्तों के साथ ही काम करना पंसद करते हैं. आपको सुन कर अजीब लगेगा लेकि‍न शाहरुख के पास मुन्भानाई से लेकर भुवन बनने तक का मौका था. जी हां, मुन्नाभाई एमबीबीएस के लि‍ए सबसे पहले शाहरुख से बात की गई थी. सोचने वाली बात यह है कि‍ अगर ये फिल्में भी बादशाह के नाम दर्ज हो जातीं तो बॉलीवुड में उनका मुकाबला शायद कोई भी न कर पाता.

पर सोशल मीडिया में हाल ही में वायरल हो रही उनकी ये फिल्म कुछ खास है. असल में ये फिल्म तब बनी थी जब आज से 25 साल पहले शाहरुख ने बॉलीवुड की शुरुआत की थी. इस फिल्म को करने के लिए शाहरुख को 3000 रुपये मिले थे.

आप भी देखिए ये फिल्म और पहचानिए अपने चहेते स्टार को.

वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें

वायरल हुआ शाहरुख खान की पहली फिल्म का वीडियो

बिलकुल ज्यादा बात नहीं. सीधे वीडियो तक आपको ले जाएंगे. लेकिन उससे पहले इस वीडियो के बारे में 5 बातें, जो आपको जान लेनी चाहिए. ताकि जब आप वीडियो देखो तब आपको एहसास हो जाए आपके सामने क्या चल रहा है? जो आप देख रहे हैं ये कोई ऐरा-गैरा वीडियो नहीं है. ये वो शॉर्ट फिल्म है जिसके बारे में ऐसा दावा किया जा रहा है कि शायद शाहरुख़ खान को भी अपनी ये फिल्म याद न हो.

मुद्दे की बात:

1. ये वीडियो एक शॉर्ट फिल्म है. जिसे शाहरुख़ के थिएटर के टाइम के एक दोस्त दिनेश लखनपाल ने बनाई है.

2. ये फिल्म तब बनी थी जब आज से 25 साल पहले शाहरुख़ ने बॉलीवुड की शुरुआत की थी.

3. वैसे तो शाहरुख ने बॉलीवुड में जो अपनी पहली फिल्म साइन की थी, वो ‘दिल आसना है’ थी. लेकिन किन्हीं कारणों से दिल आसना है रिलीज़ नहीं हो पाई थी. और उनकी पहली फिल्म रही दीवाना. जिसमें शाहरुख़ ने दिव्या भारती के साथ काम किया था.

4. जिस आदमी ने ये वीडियो लगाया है. और जो बातें यू-ट्यूब पर लिखी हैं. वो जिस अंदाज़ में लिखी गई हैं. ये आदमी दिनेश लखनपाल का कोई करीबी है.

5. एक और बात जो वीडियो के साथ लिखी गई है. वो ये कि इस फिल्म को करने के लिए शाहरुख को 3000 रुपये मिले थे. और आज वही शाहरुख़ खान अपनी एक फिल्म के लिए लाख-दो लाख नहीं करोड़ों लेते हैं.

आप वीडियो देखिए. ये ऐसे वीडियो हैं जो आसानी से नहीं मिलते. ऐसे ही किसी आर्काइव में पड़े-पड़े बर्बाद हो जाते हैं. लेकिन खुशकिस्मती से ये वीडियो सामने आया है.

इस शॉर्ट फिल्म का नाम है- महान कर्ज

कम्प्यूटर वायरस को कैसे पहचानें

ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चलता, कि कब उनके Computer में कोई Virus या स्पाईवेयर आ गया है. स्पाईवेयर एक तरह का Virus है, जो आपके Computer में चुपचाप रहते हुए आपके सीक्रेट डेटा पर नजर रखता है और जरूरी सूचनाओं को अपने निर्माता हैकर्स के पास भेज देता है. आपके Computer में Virus इन्फेक्शन महीनों तक रहता है और Virus या स्पाईवेयर आदि मजे से अपना काम करते रहते हैं. पता तब लगता है, जब Hard Disk क्रैश या डेटा लॉस जैसा कोई बड़ा नुकसान हो जाता है. Virus या स्पाईवेयर इन्फेक्शन को पहचानना बहुत मुश्किल नहीं है. Virus इन्फेक्शन के गंभीर रूप लेने से पहले Computer में उनके संकेत दिखाई देते हैं.

कंप्यूटर बहुत धीमा

कंप्यूटर बहुत धीमा हो गया है और किसी भी Software को खोलने में ज्यादा समय ले रहा है, तो इसका मतलब है कि Computer की मेमोरी और सीपीयू का एक बड़ा हिस्सा Virus या स्पाईवेयर की प्रोसेसिंग में व्यस्त है. ऐसे में कंप्यूटर शुरू होने और इंटरनेट एक्सप्लोरर पर वेब पेज खुलने में देर लगती है.

ब्राउजर सेटिंग्स में बदलाव

आपके ब्राउजर का होमपेज अपने आप बदल गया है, तो बहुत संभव है कि आपके Computer में किसी स्पाईवेयर का हमला हो चुका है. होमपेज उस वेबसाइट या वेब पेज को कहते हैं, जो इंटरनेट ब्राउजर को चालू करने पर अपने आप खुल जाता है. आमतौर पर हम Tools मेन्यू में जाकर अपना होमपेज सेट करते हैं, जो अमूमन आपकी पसंदीदा वेबसाइट, सर्च इंजन या ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सविर्स जैसे ई-मेल आदि होता है. पीसी में घुसा स्पाईवेयर आपको किसी खास वेबसाइट पर ले जाने के लिए इसे बदल देता है.

कंप्यूटर हैंग

Computer बार-बार जाम या अचानक हेंग होने लगा है, तो यह इन्फेक्शन के कारण हो सकता है. खासकर तब, जब आपने Computer में कोई नया Software या हार्डवेयर भी इंस्टॉल न किया हो.

पॉप अप विंडोज

इंटरनेट ब्राउजर को चालू करते ही उसमें एक के बाद एक कई तरह की पॉप अप विंडोज खुलने लगती हैं, तो हो सकता है कि इनमें से कुछ में किसी खास चीज या वेबसाइट का विज्ञापन किया गया हो या फिर वे अश्लील वेबसाइट्स के लिंक्स से भरी पड़ी हों.

चेतावनियां (थ्रेट्स)

स्क्रीन पर ऐसे मेसेज बॉक्स दिखाई देने लगें जिनमें कहा गया हो कि Computer पर Virus या स्पाईवेयर का हमला हो चुका है, साथ ही आपको किसी फ्री स्पाईवेयर स्कैनिंग वेबसाइट पर जाने की सलाह दी जाए.

अजीब से आइकन

आपके डेस्कटॉप या सिस्टम ट्रे में अजीब किस्म के आइकन आ गए हों, जबकि आपने ऐसा कोई Software भी इंस्टॉल नहीं किया है. क्लिक करने पर वे तेजी से अश्लील वेबसाइट्स को खोलना शुरू कर देते हैं.

अनजाने फोल्डर और फाइलें

आपके Computer की किसी ड्राइव या डेस्कटॉप पर कुछ ऐसे फोल्डर दिखाई देते हैं जिन्हें आपने नहीं बनाया. उनके अंदर कुछ ऐसी फाइलें भी हैं, जिन्हें न तो आपने बनाया और न ही वे किसी Software के इंस्टॉलेशन से बनीं. इसके अलावा उन्हें डिलीट करने के बाद भी वे कुछ समय बाद फिर से आ जाती हैं.

– आपके ई-मेल क्लाइंट के Sent फोल्डर में ऐसे ई-मेल मेसेज दिखाई देते हैं, जिन्हें आपने कभी नहीं भेजा.

– इंटरनेट ब्राउजर में कुछ-नए टूलबार आ गए हों. आप इन्हें हटाने की कोशिश करते हैं लेकिन वे या तो हटते ही नहीं या फिर कुछ देर बाद फिर आ जाते हैं.

– Computer शांत है लेकिन Hard Disk में फिर भी घूमने की आवाजें आ रही हों.

गोल्ड में नहीं बदलेगा योगेश्वर का ब्रॉन्ज

योगेश्वर दत्त का लंदन ओलंपिक खेलों का कांस्य पदक स्वर्ण पदक में नहीं बदलेगा क्योंकि यूनाईटेड विश्व कुश्ती (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने स्पष्ट किया कि पुरुष 60 किग्रा फ्रीस्टाइल में शीर्ष पर रहे तोग्रुल असगारोव कभी प्रतिबंधित पदार्थ के लिए पॉजीटिव नहीं पाए गए.

वैश्विक संस्था ने अपने आधिकारिक टि्वटर हैंडल से ट्वीट किया, “खबरों के विपरीत, 2012 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता तोग्रुल असगारोव ने कभी यूडब्ल्यूडब्ल्यू की डोपिंग रोधी नीति का उल्लंघन नहीं किया है.”

इससे पहले इस तरह की रिपोर्ट आई थी कि अजरबैजान के असगारोव को शक्तिवर्धक दवाओं के लिए पॉजीटिव पाया गया है. लेकिन वैश्विक संस्था ने पुष्टि की कि अजरबैजान के पहलवान ने कोई डोप अपराध नहीं किया है.

पुरुष 60 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग के रजत पदक विजेता रूस के बेसिक कुदुखोव को प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन का दोषी पाया गया था जिसके बाद चार बार के विश्व चैम्पियन और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता कुदुखोव का पदक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर को मिलने की संभवना थी. कुदुखोव की 2013 में दक्षिण रूस में कार दुर्घटना में मौत हो गई थी.

योगेश्वर क्वार्टर फाइनल में कुदुखोव से हार गए थे लेकिन बाद में उन्होंने रेपेचेज के जरिये कांस्य पदक जीता था.

अब चंद घंटों में मिलेगा लोन

2013 में सिद्धार्थ रविंद्रन को अपने फैमिली में एक मेडिकल इमर्जेंसी का सामना करना पड़ा. अगर उनके पास अपनी सेविंग्स और मेडिकल इंश्योरेंस नहीं होता तो उनके लिए इस स्थिति से निपटना आसान नहीं होता. हालांकि, उन्होंने किसी तरह से चीजों को मैनेज किया. रविंद्रन बताते हैं, 'मैंने जिस स्थिति का सामना किया वह उन लोगों के मुकाबले कहीं बेहतर थी, जिन्हें तत्काल लोन की जरूरत पड़ती है. लेकिन पेचीदा प्रक्रिया के कारण अक्सर उन्हें दिक्कत झेलनी पड़ती है. मैं ऐसी स्थिति से बाल-बाल बचा हूं.'

छोटी अवधि के लिए नकदी की किल्लत के अनुभव ने उन पर गहरा असर डाला. साथ ही, इससे उन्हें एक ऐसा वेंचर शुरू करने की प्रेरणा मिली, जो लोगों को ऐसी स्थिति से निपटने में मदद कर सके. दो साल बाद अगस्त 2015 में रविंद्रन ने कस्टमर्स को शॉर्ट टर्म क्रेडिट मुहैया कराने के लिए रुपीलेंड नाम की डिजिटल फाइनेंस कंपनी लॉन्च की. स्टार्टअप के फाउंडर और सीईओ रविंद्रन का कहना है, 'बैंक नए कस्टमर्स को लोन देने के लिए आमतौर पर 7-10 दिनों का वक्त लेते हैं.

हमने लोन डिस्बर्समेंट के लिए लगने वाले समय को घटाने के लिए Rupeelend की शुरुआत की.' स्टार्टअप नए कस्टमर्स को दो घंटे में लोन देती है. वहीं, रिटर्निंग कस्टमर को 10 मिनट में ही लोन मिल जाता है. रविंद्रन ने अपनी फैमिली और दोस्तों से पैसे लेकर 1.3 करोड़ रुपये के इनवेस्टमेंट से Rupeelend की शुरुआत की. Rupeelend कस्टमर एक्विजिशन, सेल्स, कस्टमर एक्सपीरियंस मैनेजमेंट और ऑपरेशनल एफिशिएंसी सुधारने के लिए क्लाउड बेस्ड सिस्टम का इस्तेमाल करती है.

रविंद्रन का कहना है, 'हमारा कस्टमर एक्विजिशन और सभी तरह के वेरिफिकेशन 100 फीसदी ऑनलाइन हैं. हमारे पास आर्टिफिशल इंटेलिजेंस आधारित डिसीजन मेकिंग सिस्टम्स है.' स्टार्टअप ने चार एनबीएफसी के साथ टाई-अप किया है और पिछले 12 महीनों में 3 करोड़ रुपये से ज्यादा के शॉर्ट टर्म लोन बांटे हैं. जब Rupeelend की शुरुआत हुई तो इसकी राह में कई अड़चनें आईं. रविंद्रन बताते हैं कि लोग कॉस्ट मॉडल को लेकर आशंकित थे. स्टार्टअप फिलहाल 30 दिनों के लिए 10,000-1 लाख रुपये तक के लोन देती है.

वह नए कस्टमर्स से रोजाना का 1 फीसदी इंटरेस्ट और रिपीट कस्टमर्स से 0.1 फीसदी का ब्याज लेती है. हालांकि, यह लोन के साइज और उसकी अवधि पर निर्भर करता है. रविंद्रन का कहना है कि Rupeelend का फोकस लोन जल्द देने पर है. फिलहाल Rupeelend एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में ऑपरेट कर रही है और अब वह अपने बिजनस को पुणे, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद और कोलकाता में बढ़ाना चाहती है. Rupeelend में अभी 50 लोग काम कर रहे हैं. इसने सालाना 62 लाख रुपये का रेवेन्यू जेनरेट किया है और अब यह एसएमई सेक्टर के लिए फाइनेंशियल मैनेजमेंट सॉल्यूशंस डिवेलप करना चाहती है.

देश में खुलेगा इस्लामिक बैंक

केंद्रीय रिजर्व बैंक ने ब्याज मुक्त बैंकिंग शुरू करने के लिए सरकार से साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया है. आरबीआई के रुख में इस बदलाव के पीछे की वजह धार्मिक कारणों से वित्तीय सेवाओं से अलग-थलग पड़े समूहों को भी बैंकिंग की मुख्यधारा में शामिल करना है. इस प्रक्रिया के बाद खासकर मुस्लिमों के लिए इस्लामिक फाइनैंस के रास्ते खुल जाएंगे.

आरबीआई ने पिछले सप्ताह जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इसके लिए प्रस्ताव दिया है. इसे आरबीआई के रुख में एक बड़े बदलाव की तरह लिया जा रहा है. पहले आरबीआई ने इस्लामिक फाइनैंस को लेकर अलग रुख अपनाया था. आरबीआई ने कहा था कि इस्लामिक फाइनैंस को नॉन-बैंक चैनल्स जैसे इन्वेस्टमेंट फंड्स या को-ऑपरेटिव्स के जरिये प्रभावी किया जा सकता है.

आरबीआई के पूर्ववर्ती रुख से एक बात तो तय थी कि भारत का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह यानी मुस्लिम इस्लामिक बैंकिंग का फायदा नहीं उठा पाएंगे. धार्मिक वजहों से इस्लाम में ब्याज आधारित बैंकिंग की मनाही है. अब आरबीआई ने कहा है कि वह सरकार के साथ मिलकर इंट्रेस्ट फ्री बैंकिंग शुरू करने की संभावनाओं पर काम करेगा.

इस्लामिक फाइनैंस के एक्सपर्ट और बेंगलुरु की इनफिनिटी कंसल्टेंट के मैनेजिंग पार्टनर सैफ अहमद ने इसे काफी महत्वपूर्ण कदम माना है. सैफ अहमद का कहना है कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण बदलाव है. पहली बार आरबीआई ने कहा है कि वह इस्लामिक बैंकिंग की दिशा में सरकार के साथ मिलकर काम करेगी.

पाकिस्तान: आतंकवाद की बदलती प्रकृति

पाकिस्तान में साल 2014-15 की आतंकी घटनाओं से जुड़ी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में जिन आंकड़ों के खुलासे हुए हैं, उनसे कई सारे पाकिस्तानी पहले से वाकिफ हैं. आतंकी हमलों की तादाद घट रही है, मगर उनका रूप ज्यादा खतरनाक हो रहा है. अमेरिकी अध्ययन के मुताबिक, साल 2015 में 1,009 आतंकी घटनाएं हुईं, जबकि 2014 में 1,823 वारदात हुई थीं. 45 फीसदी की कमी. साल 2015 के आतंकी हमलों में 1,081 लोग मारे गए, जबकि 2014 में मरने वालों की संख्या 1,761 थी. मरने वालों की संख्या में 39 प्रतिशत की कमी.

लेकिन साल 2015 में मौत की दर जहां प्रति वारदात 1.10 रही, तो वहीं 2014 में यह 0.99 थी. यह बढ़ोतरी यूं तो मामूली-सी लगती है, मगर यदि हम इसी दौरान की पेशावर आर्मी पब्लिक स्कूल व क्वेटा नेशनल हॉस्पिटल जैसी घटनाओं के नुकसान पर गौर करें, तो शायद हम देश के भीतर आतंकवाद की बदलती प्रकृति को समझ सकेंगे.

जब कबाइली इलाके दहशतगर्दों और उनसे गुर्गों के प्रभाव में थे, तब आतंकी हमलों के पीछे का मकसद अपने उस दबदबे को बनाए रखना था, इसलिए आतंकी निशाने पर फौजी लोग व प्रतिष्ठान होते थे. कुछ संप्रदायों को निशाना बनाने वाली छिटपुट घटनाएं भी घटती थीं, ताकि वैचारिक कट्टरपंथ का मुखौटा कायम रहे. जब से कबाइली इलाकों में फौज ने अपना अभियान छेड़ा है, और दहशतगर्दों को वहां से भागने या छिपने को मजबूर किया है, वे या तो अफगानिस्तान की सरहद से लगे इलाकों की तरफ जा रहे हैं या फिर कराची व लाहौर जैसे बडे़ शहरों को अपना घर बना रहे हैं.

चूंकि पुरानी जगहों को फिर से जीत पाना उनके लिए मुमकिन नहीं रहा, इसलिए उनके हमलों ने अब बदले की शक्ल अख्तियार कर ली है. अब हमलों के पीछे किसी रणनीतिक फायदे की सोच नहीं होती, बल्कि मुमकिन मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुंचाना है. प्रति वारदात मरने वालों की दर में वृद्धि इसीलिए हुई, क्योंकि घनी आबादी वाले इलाके हमलों के लिए चुने गए. पाकिस्तान को रणनीति भी अब बदलनी चाहिए, क्योंकि दहशत से जंग का मैदान अब ये शहर दिख रहे हैं.

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