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हैरान कर देने वाले हैं इस फोन के फीचर्स

कुछ महीने पहले 'हैक न होने वाला' और 'टूटने न वाला' ट्यूरिंग स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी 'ट्यूरिंग रोबॉटिक इंडस्ट्रीज' ने दो नए फोन लाने का ऐलान किया है. इन स्मार्टफोन्स के स्पेसिफिकेशंस हैरान कर देने वाले हैं. इन स्मार्टफोन्स दो से तीन स्नैपड्रैगन 830 प्रोसेसर और 12 से 18 जीबी रैम लगाने का ऐलान किया है.

कंपनी जिन स्मार्टफोन्स को लाने की बात कर रही है, वे आने वाले दो सालों में लॉन्च होंगे. एक फोन का नाम है ट्यूरिंग फोन कडेंजा (Turing Phone Cadenza )और दूसरा है- ट्यूरिंग मोनोलिथ शकॉन (Turing Monolith Chaconne). पहला फोन 2017 में लॉन्च होगा और दूसरा 2018 में.

ट्यूरिंग फोन कडेंजा

ट्यूरिंग फोन कडेंजा में दो स्नैपड्रैगन 830 प्रोसेसर लगे होंगे. इसकी रैम 12 जीबी और इंटनरल स्टोरेज 512 जीबी होगी. इसमें 5.8 इंच का QHD डिस्प्ले होगा. इस फोन में 256 जीबी तक का मेमरी कार्ड लगाया जा सकेगा. कंपनी के मुताबिक इसका बैक कैमरा 60 मेगापिक्सल होगा और फ्रंट कैमरा 20 मेगापिक्सल. यही नहीं, इसमें 100Wh की बैटरी लगी होगी.

ट्यूरिंग मोनोलिथ चैकोन

ट्यूरिंग मोनोलिथ चैकोन की बात करें तो इसमें तीन स्नैड्रैगन 830 प्रोसेसर लगे होंगे. इसकी रैम 18 जीबी होगी और इंटरनल स्टोरेज 786 जीबी होगी. इसमें 6.4 इंच का 4K डिस्प्ले लगा होगा और बैटरी 120 Wh होगी. बाकी स्पेसिफिकेशंस कंडेंजा जैसे ही होंगे.

खास बात यह है कि कंपनी जिन प्रोसेसर्स को लगाने की बात कर रही है, क्वॉलकॉम ने अभी वे लॉन्च ही नहीं किए हैं. ऊपर से एकसाथ 2 या तीन प्रोसेसर लगाना संभव है या नहीं, इस पर भी शक जताया जा रहा है.

दरअसल इस कंपनी ने पिछले साल अगस्त में 'ट्यूरिंग' फोन लाने का ऐलान किया था, जिसे दिसंबर में शिप किया जाना था. मगर कंपनी इस साल जुलाई में उन स्मार्टफोन्स को शिप कर पाई और आधे-अधूरे फीचर्स के साथ. इस फोन में वॉटरप्रूफ नैनो कोटिंग और ब्लूटूथ इयरफोन नहीं थे, जिनका वादा किया गया था. ऐंड्रॉयड 5.1 लॉलिपॉप के बजाय इसमें सेलफिश OS डाला गया था. कंपनी ने ऊपर से अपना Aemaeth UI डाला था. कंपनी का कहना है कि इसे हैक नहीं किया जा सकता.

अब स्लीवलैस पहनने में नो टैंशन

खूबसूरत दिखने के लिए युवतियां अपने चेहरे और बालों पर विशेष ध्यान देती हैं पर अकसर बांहें उपेक्षित नजर आती हैं. खासतौर पर गरमियों के मौसम में स्लीवलैस पहनने पर कुहनियों का रूखापन और कालापन साफ नजर आता है. शरीर के इस भाग को जरूरत होती है नियमित देखभाल की. प्रस्तुत हैं, मेकअप ऐक्सपर्ट रेनू महेश्वरी द्वारा बताए गए कुछ उपाय जिन्हें आजमा कर आप स्लीवलैस पहनने से नहीं हिचकेंगी.

–   तेज धूप में जब भी बाहर निकलें तो फुल स्लीव्स वाले कपडे़ पहन कर ही निकलें.

–   तेज धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लोशन अच्छी तरह से पूरी बांहों में लगाएं.

–   तेज धूप में निकलना है तो भी आप स्लीवलैस के साथ स्किन कलर के ग्लव्स का इस्तेमाल करें. यह फुल और हाफ दोनों साइज में मार्केट में उपलब्ध हैं.

–  हाथों की वैक्सिंग नियमित रूप से कराएं, वैक्सिंग में आप नौर्मल वैक्सिंग न करा कर चौकलेट वैक्सिंग कराएं. इस वैक्सिंग के साथ स्क्रबिंग भी मौजूद होती है.

–  अगर नौर्मल वैक्सिंग करा रही हैं तो बांहों की नियमित स्क्रबिंग बहुत जरूरी है. बाजार में कई अच्छे स्क्रब मौजूद हैं. उन्हें गीले हाथों पर लगा कर हलके हाथों से लगातार मसाज करें. मसाज करते समय स्क्रब को रगड़ें नहीं. इस से त्वचा रूखी हो जाती है और उस में रिंकल्स भी समय से पहले पड़ने लगते हैं.

–  नियमित रूप से रात को कोल्ड क्रीम या मौइश्चराइजर से बांहों की मसाज करना न भूलें. इस से पूरे दिन की थकी हुई, प्रदूषण की मार  झेल चुकी बांहों को न सिर्फ आराम पहुंचता है बल्कि वे कोमल भी होती हैं.

–  बेडौल हाथ या अतिरिक्त चरबी भी बदसूरती पैदा करती है. इसलिए हाथों की कुछ आसान सी ऐक्सरसाइज नियमित रूप से करना न भूलें.

घरेलू उपाय

–  अगर हाथों में टैनिंग हो गई है तो पूरी बांहों पर समयसमय पर ब्लीच करती रहें, जरूरी नहीं कि आप पार्लर जा कर ही ब्लीच करवाएं, यह आप घर पर भी आराम से कर सकती हैं.

–  नीबू प्राकृतिक ब्लीच का काम करता है. नीबू के रस में चीनी मिला कर पूरी बांहों की मालिश तब तक लगातार करें जब तक चीनी के दाने पूरी तरह से घुल न जाएं. 

नये नहीं हैं iPhone 7 के फीचर्स, चाइनीज फोन में पहले से मौजूद

दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी ऐप्पल स्मार्टफोन कंपनियों से मिल रही टक्कर से शायद घबरा गई है. यही वजह है कि कंपनी ने नई सीरीज iPhone 7 में दूसरे स्मार्टफोन्स में पहले से ही मौजूद चर्चित फीचर्स को तवज्जो दी है. यहां तक कि सस्ते चाइनीज मोबाइल में भी ये फीचर्स हैं. उम्मीद थी कि iPhone की गिरती सेल्स के बीच ऐप्पल  कोई एक्सक्लूसिव टेक्नोलॉजी लाएगी, वैसा कुछ भी नहीं हुआ. ऐसा लगता है मानो ऐप्पल  ने जल्दबाजी में प्रोडक्ट उतार दिया…

– अभी करीब 85% स्मार्टफोन मार्केट पर सैमसंग और चीनी कंपनी हुवावे का कब्जा है. ऐसे में ऐप्पल  ने जल्दबाजी में यह नया प्रोडक्ट उतारा है. क्योंकि सैमसंग ने सबसे एडवांस फोन ग्लैक्सी नोट 7 को बैटरी में खराबी के चलते रिकॉल किया है. इस मौके को वह भुनाना चाहता था.

– जून के क्वार्टर में स्मार्टफोन की कुल सेल्स में 86% एन्ड्रॉयड थे. इसमें ऐप्पल  ने चार करोड़ iPhone बेचे, जो दो साल में सबसे कम है.

– iPhone से मिलने वाला रेवेन्यू 23% घटा है. जून तिमाही में चीन में iPhone की बिक्री 33% गिरी है. एक साल पहले की तुलना में ऐप्पल  के शेयर भी 5% नीचे हैं.

– रिसर्च फर्म आईडीसी का अब अनुमान है कि 2015 से 2020 के बीच आईफोन की बिक्री सालाना महज 1.5% रफ्तार से ही आगे बढ़ेगी.

सोशल मीडिया पर भी ऐेसे भड़के यूजर्स

– ''ऐप्पल ऑडियो जैक हटाने की ऐसी पब्लिसिटी कर रही है जैसे यह कोई रॉकेट साइंस हो.''

– ''आज दुनिया पोकेमॉन गो की दीवानी है और ये हमें 15 साल पुराना सुपर मारियो रन खेलने को कह रहे हैं. ये है ऐप्पल  का नया इनोवेशन- पीछे चलो.''

रिसर्च का बजट तीन गुना तक बढ़ाया, फिर भी फायदा नहीं मिला

– 2011 में ऐप्पल  ने रिसर्च और डेवलपमेंट पर 2.4 अरब डॉलर (16,000 करोड़ रुपए) किए थे, पिछले साल यह बढ़कर 54,000 करोड़ रुपए हो गया.]

iPhone में कई फीचर्स पहली बार आए, लेकिन दूसरी कंपनियों के पास पहले से मौजूद

1. डुअल लेंस कैमरा

ऐप्पल पहली बार डुअल लैंस कैमरा लेकर आया. लेकिन चीनी कंपनी हुवेई और होनर कई साल पहले ही यह तकनीक ला चुकी है.

2. फास्ट चार्जिंग

यह टेक्नोलॉजी भी एन्ड्रायड फोन में पहले से मौजूद हैं. मोटो जी4 और जी4 प्लस में टर्बो चार्जिंग है. बाजार में कई एन्ड्रायड फोन में यह फीचर्स हैं.

3. डिस्पले और डिजाइन

iPhone का डिस्प्ले रेजोल्यूशन 1920×1080 है. लेकिन सैमसंग, वन प्लस के प्रीमियम हैंडसेट में इससे ज्यादा रिजोल्यूशन है.

4. वाटर और डस्ट रेजिस्टेंट

यह फीचर भी सैमसंग, सोनी एक्सपीरिया, हुवेई पहले से ला चुके हैं. साथ ही सैमसंग नोट-7 की वाटर रेजिस्टेंट कैपेसिटी भी ज्यादा है.

5. हैडफोन जैक

हैडफोन ऑडियो जैक को हटाने को ऐप्पल  ने साहसिक कदम कहा है. इसे चार्जिंग जैक से कनेक्ट किया है. यानी यूजर्स फोन को चार्ज करते वक्त हैडफोन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. लेकिन हुवेई के पी-9 मॉडल में डुअल कैमरे के साथ हैडफोन जैक अलग से है.

6. माइक्रो एसडी क्षमता

एन्ड्रॉयड हैंडसेट्स में मिल रही बेहतर स्टोरेज कैपेसिटी को देखते हुए ही ऐप्पल  ने इसको एक्सटेंड किया है. यही वजह है मिनिमम स्टोरेज 16 जीबी की है. लेकिन सैमसंग नोट में स्टोरेज कैपेसिटी 64 जीबी है.

7. स्टीरियो स्पीकर

स्टीरियो स्पीकर स्मार्टफोन में नई टेक्नोलॉजी नहीं है. एचटीसी, हु‌वेई और होनर के हैंडसैट में यह फैसिलिटी है. सैमसंग में नहीं है.

सैक्सी पार्टी में सैक्सी स्टाइल

‘4 बोतल वोडका, काम मेरा रोज का…,’ हनी सिंह का यह गीत आज हर युवा की जबान पर है. साथ ही युवाओं की मौजमस्ती का सब से पसंदीदा साधन भी पार्टीज ही होती हैं. जहां मौजमस्ती की खुमारी चढ़ती है. डीजे की धुन पर थिरकते युवकयुवतियां, कम रोशनी में लहराते और एकदूसरे से टकराते जिस्म, हर तरफ धुआं ही धुआं, फिजा में तैरती तीखी और नशीली गंध, सैक्स का कौकटेल, मदहोशी की ऐसी महफिल, जहां हर तरफ  झूमते हुए सैक्सी अंदाज ही दिखेंगे. नशे और नाच के बाद पार्टी का अगला आकर्षण होता है सैक्स. कम उम्र में युवकयुवतियां इस लालच में भी सैक्सी पार्टियों की तरफ आकर्षित होते हैं. नशे में किसे होश रहता है कि वे क्या कर रहे हैं और उन के साथ क्या हो रहा है.

ग्लैमर का जादू

महानगरों में सैक्सी पार्टीज में जाने वालों में युवतियों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. पार्टियों में मौडल्स, सैलिब्रिटीज के आने से इन का अंदाज ही बदल गया है. अगर ऐसी पार्टीज को और सैक्सी बनाना है तो युवतियों को अपने अंदाज में थोड़ा बदलाव लाना पड़ेगा. 

लुक पर दें ध्यान

सब से पहले युवतियां अपने लुक पर ध्यान दें कि किस तरह से आप अपनेआप को सैक्सी पार्टीज के लिए प्रैजेंटेबल बना सकती हैं. उस के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है, जो इस प्रकार हैं :

फिटनैस जरूरी

खूबसूरती को उभारने के लिए आप की बौडी का स्लिमट्रिम और फिट रहना जरूरी है. इस के लिए पौष्टिक डाइट लेने के साथसाथ ऐक्सरसाइज और भरपूर नींद लेना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि जब अंदर से फिट और स्वस्थ रहेंगी तो चेहरे पर ग्लो आएगा और आप खुद को फिट भी रख पाएंगी.

ड्रैस हो खास

सैक्सी फिगर के साथ अगर आप की ड्रैस भी सैक्सी हो तो फिर क्या कहना. सैक्सी पार्टी में जाने के लिए आप ऐसी ड्रैस का चुनाव करें जो खूबसूरत होने के साथ कंफर्टेबल भी हो. जिसे पहन कर आप पार्टी का जम कर मजा ले सकें और आप की फिगर भी उस में उभर कर आए.

सैक्सी ड्रैसेज

गोल्ड मैटेलिक कटआउट मिडी, लाइमशीर टौप, हौट पिंक पौकेट सैक्सी शौर्ट्स, ब्लैक स्ट्रैपलैस कटआउट रोमपर, ब्लैक सिल्वर सैक्सी ट्रैंगल टौप शौर्ट सैट, ग्लैक्सी सैक्सी कटआउट रोमपर क्रौप टौप, क्रिसक्रौस बैक वाला हौल्टर टौप, हौल्टर टाई टौप, फिशनैट टौप, कोरल फिशनैट टौप, बिकिनी टौप, पार्टी नियोन स्कर्ट, लाइमशीर टौप विद विनी हैंड, टोटोन कटआउट टौप डिचेबल ब्लू और्गेंजा टूटू, ये सब ड्रैसेज ब्राइट वाइब्रेट नियोन कलर्स की हों, जो रात की रोशनी में आप के सौंदर्य को एक अलग ही चमक दें.

ऐक्सैसरीज

सैक्सी पार्टी में कलरफुल ऐक्सैसरीज से आप अपने लुक को डिफरैंट बना सकती हैं. आप बौब विग या कलरफुल लाल, नीला, पीला और हरा किसी भी कलर की विग कैरी कर खुद को और सैक्सी बना सकती हैं. रात की रोशनी में हाथों के लिए इलैक्ट्रिक पार्टी ग्लो ग्लव्स का प्रयोग करें. नेल्स को डिफरैंट दिखाने के लिए कलरफुल नेलपैंट्स के साथ स्टोन का प्रयोग करें.

मेकअप हो डिफरैंट और सैक्सी

आप सैक्सी पार्टी में जा रही हैं तो नौर्मल मेकअप न करें. दूसरों को आकर्षित करने के लिए ऐसे मेकअप कलर्स का चुनाव करें जिस से लोगों की नजरें आप पर ही ठहर जाएं.

सब से पहले फेस क्लीन कर के चेहरे पर शाइन प्राइमर लगाएं. फिर स्किन से मैच कर के फाउंडेशन का चुनाव करें, इसे ब्रश या उंगलियों से अच्छी तरह से मर्ज करते हुए लगाएं. फिर कौंपैक्ट लगाएं.

आइज मेकअप

सैक्सी पार्टी में जाने के लिए आंखों का मेकअप डार्क ही रखें. डार्क ग्रीन शैडो के साथ कलरफुल आई लैशेज का इस्तेमाल करें या डबल शेड्स की आईलैशेज भी चुन सकती हैं, आईब्रो को पैंसिल से फाइन शेप दें. अगर लाइनर का प्रयोग कर भी रही हैं तो ब्लू या सी ग्रीन लाइनर का प्रयोग करें.

लिप मेकअप

लिप की आउटलाइन को बनाते हुए नियोन कलर की लिपस्टिक लगाएं जो ग्लौसी लुक दे. इस पर ग्लिटरी ग्लौस का इस्तेमाल करने पर आप का लुक हौट लगेगा.

चीक्स मेकअप

चीक्स बोन को हाइलाइट करते हुए, अपने मेकअप को फाइनल टच दें. चीक्स बोन एरिया में पिंक कलर का ही ब्लशर लगाएं और इस पर ब्रश से थोड़ा सा ग्लिटर ले कर लगाएं. आप का लुक सैक्सी पार्टी के लिए एकदम परफैक्ट लगेगा. अब इस सैक्सी लुक के साथ सैक्सी पार्टी का जम कर मजा लें.                           

प्यार में न लांघें सीमाएं: डायना पेंटी

फिड्डल्म ‘कौकटेल’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली डायना पेंटी एक मौडल और अभिनेत्री हैं. बचपन से ही चुनौतीपूर्ण काम करने की इच्छा रखने वाली डायना ने मुंबई के सेंट जेवियर कालेज से मास मीडिया में अपनी पढ़ाई पूरी की. वर्ष 2005 में उन्होंने मौडलिंग के क्षेत्र में कदम रखा और कुछ ही दिनों में सुपर मौडल बन गईं. शायद ही कोई ऐसा डिजाइनर होगा जिस के डिजाइन किए गए कपड़े पहन कर डायना रैंप पर न चली हों.

मौडलिंग को डायना इत्तफाक बताती हैं. उन के चाचा जो फैशन फोटोग्राफर हैं, को वे अपना रोल मौडल भी मानती हैं, जिन्होंने डायना का फोटो ले कर ‘इलीट मौडल्स इंडिया’ में भेजा और वहां उन का फोटो चुन लिया गया. वे उस समय कालेज में थीं इसलिए अपनी पढ़ाई छोड़ कर मौडलिंग नहीं करना चाहती थीं, लेकिन फिर उन्होंने मौडलिंग को पार्टटाइम करने का निश्चय किया.

पढ़ाई पूरी करने के बाद वे पूरी तरह से मौडलिंग में उतरीं. वे अपने काम को ले कर हमेशा वचनबद्ध रहती हैं. इस समय वे डायमंड मर्चैंट हर्ष सागर को डेट कर रही हैं, लेकिन अपनी सीमाओं में रहना पसंद करती हैं. वे कहती हैं कि हमें प्यार में सीमाएं नहीं लांघनी चाहिए. इस समय उन का सब से अधिक ध्यान कैरियर पर है. इतना ही नहीं, आज डायना कई बड़ीबड़ी कंपनियों की ब्रैंड एंबैसेडर भी हैं.

मौडलिंग कैरियर जब पीक पर था तभी उन्हें रोमांटिक फिल्म ‘कौकटेल’ में काम करने का औफर मिला. फिल्म की कहानी और साथी कलाकारों को देख कर वे उत्साहित हो गईं. उन्होंने इसी फिल्म से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. फिल्म अच्छी चली पर डायना को अपने मन मुताबिक काम नहीं मिल रहा था, वे 3 साल तक अच्छी कहानी तलाशती रहीं. फिर उन के हाथ लगी कौमेडी फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ जिस की कहानी काफी अलग है. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश :

इस फिल्म को ले कर इतनी उत्साहित क्यों हैं?

मुझे काफी लंबे अंतराल के बाद अपनी पसंद की फिल्म मिली है इसलिए काफी उत्साहित हूं. इस में मेरी जो भूमिका है वह काफी अलग है, लेकिन मैं ने अपने समक्ष आई सभी चुनौतियों को स्वीकार किया है.

कौमेडी करना कितना मुश्किल था?

कौमेडी करना बहुत कठिन था, लेकिन मैं ने की. जब आप के साथ अभय देओल, जिम्मी शेरगिल और अली फजल जैसे कलाकार हों तो काम करना आसान हो जाता है, वे काफी अच्छा परफौर्म करते हैं. उन्हें देखदेख कर मेरे लिए भी अभिनय करना आसान हो गया था.

फिल्म के किस भाग को करने में अधिक कठिनाई आई?

पूरी फिल्म ही कठिन है, क्योंकि मुझे कंफर्ट जोन से निकल कर काम करना था. हैप्पी शादी से भाग जाती है और भागते हुए पाकिस्तान पहुंच जाती है और वहां अभय देओल से मिलती है. वह कैसे वहां से निकलती है, इस में दिखाया गया है. मेरे लिए शुरुआत में मेरा चरित्र जो लाउड दिखाया गया है, मुझ से काफी अलग था. मैं इतनी लाउड नहीं हूं, थोड़ी शाय हूं. उसे तोड़ने में समय लगा. मुश्किलें आईं पर करतेकरते आसान हो गया. जब फनी सीन्स शूट हो रहे थे तो मैं अपनेआप को हंसने से नहीं रोक पा रही थी. इसलिए बारबार कट करना पड़ रहा था, लेकिन धीरेधीरे सब ठीक होता गया.

अभय देओल के साथ पहली बार काम करने का अनुभव कैसा रहा?

वे एक अनुभवी कलाकार हैं. मैं ने उन्हें देख कर काफी चीजें सीखी हैं. एक कलाकार को टीवी या हौल में देखने और सामने ऐक्टिंग करते हुए देखने में भी काफी अंतर होता है, लेकिन मैं यही कहूंगी कि मैं ने उन्हें देख कर खुद में काफी सुधार किया है.

बिना गौडफादर के बौलीवुड में अपनी जगह बनाना कितना मुश्किल रहा?

मुझे अधिक मुश्किल नहीं हुई. मैं ने जितने लोगों के साथ काम किया वे सभी अच्छे थे. उन लोगों ने मेरा कठिन परिस्थिति में भी साथ दिया. ऐसा लगा कि सभी मुझे गाइड कर रहे हैं, मैं ने कुछ मिस नहीं किया. आशा है, आगे भी वैसा ही रहेगा. मेरे हिसाब से आप को अंत में यह प्रूव करना पड़ता है कि आप कितने प्रतिभावान हैं.

लोग ऐसा कहते हैं कि मौडल्स ऐक्टिंग नहीं कर सकतीं. इस में कितनी सचाई है?

मेरे हिसाब से अधिकतर अभिनेत्रियां पहले मौडल रही हैं और यह बात बिलकुल सही नहीं है.

फिल्म को चुनते समय किस बात का ध्यान रखती हैं?

स्टोरी, चरित्र और मेकर, ये चीजें अवश्य देखती हूं. अगर स्टोरी पसंद आ जाए तो निर्माता को देखना जरूरी है. यह  बात भले ही बाद में आती है पर उसे देख लेना सही होता है.

सोशल मीडिया पर आप कितनी ऐक्टिव हैं?

सोशल मीडिया की वजह से ही तो आज मैं यहां तक पहुंची हूं. इस के माध्यम से लोग हमें पहचानते हैं और हमें प्रसिद्धि मिलती है. अभी मैं ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक सभी पर हूं.

तनाव होने पर क्या करती हैं?

किताबें पढ़ती हूं, गाने सुनती हूं, इस के अलावा परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताती हूं, क्योंकि उस से मुझे खुशी मिलती है. सकारात्मक सोच वाले लोगों के बीच में रहना पसंद करती हूं, क्योंकि उन के बीच रहने से मुझ में पौजिटिव ऊर्जा आती है.

आप के यहां तक पहुंचने में परिवार का कितना सहयोग रहा है?

परिवार का बहुत सहयोग रहा है. वे मुझे और मेरे काम को सम्मान देते हैं और मुझ पर उन्हें पूरा भरोसा है. इस से मुझे आगे बढ़ने में काफी आसानी हो रही है.

आप की नजर में सफलता क्या है?

मेरे हिसाब से सफलता का अर्थ सब के लिए अलग है.

फिटनैस पर कितना ध्यान देती हैं?

मैं थोड़ी आलसी हूं इसलिए जिम नहीं जा पाती, मैं बहुत फूडी हूं इसलिए डाइटिंग नहीं कर पाती, लेकिन अगर लगने लगता है कि ज्यादा औयली खा लिया है तो लाइट फूड लेने लगती हूं.

कितनी फैशनेबल हैं?

फैशन मुझे पसंद है. मैं अपने हिसाब से तैयार होती हूं. अपने परिधान मैं खुद डिजाइन करती हूं. मैं वही पहनती हूं जो मुझे आरामदायक लगे. किसी की डै्रस देख कर मैं कपड़े नहीं पहनती. मुझे जीन्स, टीशर्ट और चप्पल अच्छे लगते हैं. कलर्स और प्रिंट्स बहुत पसंद हैं.

मेकअप कितना पसंद करती हैं?

मैं हमेशा नैचुरल मेकअप पसंद करती हूं. वही मुझ पर सूट भी करता है. मेरी स्किन अच्छी है इसलिए अधिक ध्यान नहीं देना पड़ता. बारिश के मौसम में मेकअप को और अधिक लाइट रखती हूं. स्मच फ्री काजल लगाती हूं. इस के अलावा थोड़ा फाउंडेशन और लिप ग्लौस लगाती हूं. शाम को मैं डार्क कलर लगाना पसंद करती हूं. काजल और लिप बाम मैं अपने पर्स में हमेशा रखती हूं.

समय मिले तो क्या करती हैं?

काफी किताबें पढ़ती हूं या अगर किसी फिल्म पर काम कर रही हूं तो उस की रिसर्च करती हूं.

किस बात से गुस्सा आता है?

अगर कोई झूठ बोले तो मुझे बहुत गुस्सा आता है.

खुश रहने का मंत्र क्या है?

आप को जो मिले उसी में खुश रहो.

पसंदीदा पर्यटन स्थल कौन सा है?

मुझे देश की उत्तरी सीमा पर जाना पसंद है. लेह, लद्दाख, कुल्लू मनाली आदि सभी स्थानों पर घूमने जाना चाहती हूं. 

गौरक्षा का खेला कार्ड

ऊंची जातियों के गुंडों को गौरक्षक कार्ड दे कर हरियाणा सरकार एक पैरेलल पुलिस बनवा रही है, जिस में तिलक और भगवा दुपट्टा ही मैरिट होगा. इस गौरक्षक कार्ड का इस्तेमाल मुसलमानों और दलितों के खिलाफ तो होगा ही, हरेक भगवाई अपने कार्ड के बलबूते बिना कानूनी दम पर सड़कों पर रोब मारता फिरेगा  यह पक्का है कि यह कार्ड उन को मिलेगा जो भगवाई संस्थाओं से जुड़े हैं और जो जुड़े हैं वे निठल्ले हैं, बेकार हैं और गैंग बना कर या तो अखंड जागरण के नाम पर चंदा जमा करते हैं या भगवाई आयोजन कराते हैं और अपनी पार्टी के लिए भीड़ जुटाते हैं. गायों को बचाने के लिए जुटी सरकार का यह गौप्रेम असल में एक दिखावा है और अपनी एक फौज तैयार करना है, जो दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को पीटपाट कर भगा सके और महल्लेकसबे में अपना एकलौता राज स्थापित कर सके. इस कार्ड के बल पर छोटे दुकानदारों से वसूली होगी और मजदूरों को जबरन काम पर लगाया जाएगा. पुलिस को इन की सुननी होगी.

गाय से ज्यादा इस देश में सुरक्षा की जरूरत लड़कियों को है. क्या नरेंद्र मोदी से ले कर मनोहर लाल खट्टर उन के लिए कुछ कर रहे हैं? देशभर की लड़कियों को छेड़खानी से बचने के लिए अब अपने मुंह पर दुपट्टा बांध कर चलना पड़ रहा है, ताकि उन का रंगरूप देख कर उन पर फिकरे न कसे जा सकें. उन के लिए कोई सरकार कार्ड जारी नहीं कर रही है, क्योंकि हमारे ग्रंथों में गायों को सैकड़ों देवताओं का निवास माना गया है और औरतों को पाप योनि की पैदाइश. यह बात दूसरी है कि गायों की देखभाल के लिए कोई आगे नहीं आ रहा. सब गाय का चमड़ा उतारने वालों या गायों का व्यापार करने वालों के पीछे पड़े हैं. गौशालाओं में क्या इन भगवाइयों को गोबर उठाते, गायों को नहलाते, इन्हें गौग्रास के नाम पर एक टुकड़ा खिलाने के अलावा किसी ने देखा है?

क्या गौररक्षक का कार्ड पाने वाले अपने ड्राइंगरूम में बिना दूध देने वाली 2 गाएं बांधेंगे और उन्हें तब तक रखेंगे जब तक वे खुद मर न जाएं? जो लोग अपनी जिंदा मां का खयाल नहीं रख रहे, उन्हें अकेला छोड़ रहे हैं, उन को परेशान कर रहे हैं, उन्हें सिर्फ संपत्ति के लिए मानते हैं, वे क्या गौमाता की सेवा करेंगे? गाय का किसानी में काफी इस्तेमाल होता था, पर यही वह संपत्ति थी जिसे ब्राह्मण दान में ले जा सकता था. सदियों से गरीब किसानों के पास गाय और बैल बस फसल उगाने और थोड़ा सेहतमंद खाना पैदा करने के लिए होते थे. बैल तो पंडों के किसी काम के नहीं थे, इसलिए गाय को देवता बना कर दान की चीज बना दी गई. अगर गाय माता है, तो उस का व्यापार कैसे? उस के दूध पर बछड़े का हक है, आदमी का हक कैसा? अगर गाय से प्रेम है तो बछड़े से भी करो, सारा दूध उसे पीने दो, जैसे बाकी दूध देने वाले जानवरों के साथ होता है. गाय तो केवल राजनीति का लबादा है, जिसे ओढ़ कर भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को तरहतरह के हक देना चाहती है और दलितों व मुसलमानों को कंट्रोल में रखना चाहती है.

उम्मीद

संतू किसी ढाबे पर ट्रक रोकने का मन बना रहा था, तभी सड़क के किनारे खड़ी सांवरी ने हाथ दे कर ट्रक रुकवाया और इठलाते हुए कहा, ‘‘और कितना ट्रक चलाएगा… चल, आराम कर ले.’’

संतू ने सांवरी पर निगाह डाली. ट्रक की खिड़की से सांवरी के कसे हुए उभारों को देख कर संतू एक बार तो पागल सा हो गया. संतू को अच्छी तरह मालूम था कि इस रास्ते पर ढाबे वाले ग्राहकों को लुभाने के लिए लड़कियों का सहारा लिया करते हैं. उस ने ट्रक सड़क किनारे लगाया और सांवरी के बताए रास्ते पर चल कर उस की झोंपड़ी में पहुंच गया. सांवरी कह रही थी, ‘‘अरे, ढाबे वाले अच्छा खाना कहां देते हैं, इसलिए तुझे यहां अपना समझ कर ले आई. अब तू आराम से खापी, मौज कर. सुबह निकल लेना.’’

संतू के ऊपर सांवरी की खुमारी चढ़ती जा रही थी. चूल्हा अभी गरम था. रोटी और मटन की खुशबू ने संतू की भूख और बढ़ा दी थी. चूल्हे की लौ में सांवरी की देह तपे हुए सोने सी लग रही थी. उस ने देशी दारू का पौवा निकाला और संतू को पिला कर दोनों ने खाना खाया. खाना खाने के थोड़ी देर बाद ही वह सांवरी के आगोश में समा गया. सुबह 5 बजे जब संतू जागा, तब उस ने देखा कि न वहां सांवरी थी और न ही सड़क किनारे ट्रक. ट्रक में कम से कम एक लाख रुपए का सामान भरा हुआ था. अब अगर वह बिना सामान के लौटेगा, तब कंपनी को क्या जवाब देगा और जेल की हवा खानी पड़ेगी सो अलग. तभी कुछ दूरी पर संतू को अपना ट्रक खड़ा दिखा. जब वह वहां पहुंचा, तब उस ने देखा कि उस का सामान गायब था, लेकिन कुछ दूर खड़ी सांवरी हंस रही थी.

संतू कुछ बोले, इस के पहले ही सांवरी ने संतू से कहा, ‘‘ऐ ड्राइवर, अब चुपचाप निकल ले. इसी में तेरी भलाई है, वरना…’’

संतू ने कहा, ‘‘तू ने अपनी कातिल निगाहों से तो मुझे घायल कर ही दिया है, अब एक एहसान और कर कि इस चाकू से मुझे भी घायल कर दे, ताकि…’’

खून से लथपथ संतू किसी तरह ट्रक चला कर कंपनी के दफ्तर पहुंचा. कंपनी ने संतू को इलाज के लिए 10 हजार रुपए दिए और एक महीने की छुट्टी दी. कंपनी वाले इसलिए खुश हो रहे थे कि सामान भले ही गया, पर उस का बीमा तो मिल जाएगा, लेकिन संतू ट्रक सही सलामत ले आया था. अब घर पर रमिया संतू की दवादारू कर रही थी. संतू ठीक हो गया था और रात को ट्रक ले कर इस उम्मीद से उसी रास्ते से गुजर रहा था कि सांवरी उसे फिर मिलेगी.

शहर में डाले डेरे, बेखौफ हुए चेन लुटेरे

जयपुर में पुलिस की ढिलाई से चेन खींचने वाले गिरोहों की भरमार हो गई है. तकरीबन 15 साल पहले शहर में चेन खींचने की वारदातें करने वाले इंदर सिंधी और विनोद लांबा के 2 गिरोह थे, लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस की कड़ी कार्यवाही की कमी के चलते सरेराह चेन खींचने वालों की तादाद लगातार बढ़ती ही गई. इस के चलते शहर में आज 2 दर्जन से ज्यादा चेन खींचने वाले गिरोह बन गए हैं. यही वजह है कि महज पिछले 5 महीनों में ही चेन खींचने वाले 60 से ज्यादा वारदातें कर शहर से तकरीबन 60 लाख रुपए की कीमत की चेन लूट ले गए हैं. चेन खींचने की लगातार बढ़ती वारदातों को देखते हुए पिछले दिनों पुलिस कमिश्नर खुद गश्त पर निकले, लेकिन गश्त ढीली पड़ने के साथ ही चेन खींचने वाले गिरोह फिर से हरकत में आ जाते हैं. पुलिस सूत्रों ने बताया कि तकरीबन 15 साल पहले शहर में केवल इंदर सिंधी और विनोद लांबा के गिरोह ही इस तरह की वारदातों को अंजाम देते थे. हर वारदात के बाद पुलिस इन दोनों शातिर गिरोह की लोकेशन को ही सब से पहले ट्रेस किया करती थी.

इस के बाद खानाबदोश परिवारों के कुछ नौजवान शहर में चेन तोड़ने लगे, लेकिन पुलिस की ढिलाई और अनदेखी के चलते आज शहर की गलीगली में चेन खींचने वाले गिरोह बन गए हैं और ऐसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

लगाते चोरी की धारा

सूत्रों ने बताया कि ऐसे गिरोह खड़े होने के पीछे पुलिस का काम करने का तरीका बड़ी वजह है. पुलिस ने अपना रिकौर्ड अच्छा रखने के चक्कर में चेन खींचने की वारदातों को लूट की  धाराओं में दर्ज करने के बजाय चोरी की धाराओं में ही दर्ज करने का सिस्टम बना लिया है. शिकार लोग फौजदारी धाराओं के इस खेल को इतना समझते नहीं हैं. इस वजह से चेन तोड़ने का अपराध ज्यादा आसान लगने लग गया है. दूसरे अपराधों से जुड़े कई अपराधी भी इस के चलते चेन खींचने वाले अपराधी बन गए हैं. इस के अलावा आदतन चेन खींचने को चोरी की धारा के चलते जमानत मिलने में आसानी हो गई है. जमानत पर जेल से बाहर आने के साथ ही ये अपराधी फिर से अपने धंधे में जुट जाते हैं.

नाकाम रहती है नाकाबंदी

चैन खींचने वाले शातिर हर वारदात से पहले इलाके की रेकी कर के ही इस को अंजाम देते हैं. फिर वे अपने शिकार को टारगेट करते हैं. मसलन, कोई औरत रोज मंदिर जाती है, तो उस के आनेजाने का समय नोट किया जाता है. साथ ही, उस के साथ जाने वाले लोग कहां तक उस के साथ जाते हैं, इसे भी ध्यान में रखा जाता है. चेन तोड़ने वाले गिरोहों द्वारा वारदात करने से पहले एक रूपरेखा तैयार की जाती है कि चेन किस जगह से तोड़नी है और वहां से निकलने के लिए किस रास्ते से वे आसानी से भागने में कामयाब हो सकते हैं. यही वजह है कि वारदात के बाद पुलिस नाकाबंदी के दौरान आज तक एक भी चेन खींचने वाला नहीं पकड़ा गया है. इस के पीछे पुलिस की लापरवाही को ही खास वजह माना गया है. पुलिस चेन खींचने वाले की लोकेशन पर निगाह रखने में नाकाम रहती है.

इस से चेन चोरों का हौसला बढ़ जाता है.

महीनों काचैन

पकड़ में आए कुछ चेन खींचने वालों ने बताया कि जिस चेन को वे तोड़ते हैं, वह कम से कम डेढ़ से 3 तोले के बीच होती है. 3 तोले चेन की कीमत 80 से 90 हजार रुपए बैठती है. ऐसे में वे चेन को बेचने सुनार के पास जाते हैं, तो उन्हें अच्छाखासा पैसा मिल जाता है. महज कुछ पल की मेहनत के बाद उन्हें दोढ़ाई महीने तक काम की चिंता नहीं रहती. पैसा पूरा होने के बाद दूसरे टारगेट पर निशाना साधने निकल जाते हैं. वकील बीएस चौहान का कहना है कि पुलिस को चेन खींचने के मामलों को लूट की धाराओं में ही दर्ज करना चाहिए. आईपीसी की धारा 309 में 10 साल की सजा का प्रावधान है, वहीं चोरी की आईपीसी की धारा 379 में महज 3 साल की सजा का प्रावधान है.

बरामदगी नहीं हो पाती

कई मामलों में पुलिस चेन खींचने वालों को पकड़ लेती है, मगर उन से बरामदगी नहीं कर पाती है. पुलिस का कहना है कि वारदात के बाद चेन खींचने वाले सुनार के पास जा कर उसे गलवा देते हैं.  हालांकि कई सुनारों को भी गिरफ्तार किया है, लेकिन यह भी नाकाफी है. बरामदगी नहीं होने और सुबूत नहीं मिल पाने से चोरों को सजा में राहत मिल जाती है.

मुहिम से पकड़ में आएंगे

चेन खींचने की वारदातों ने आम आदमी का चैन छीन लिया है. टोंक फाटक कालोनी की रहने वाली साक्षी शर्मा का कहना है कि चेन खींचने वालों को पकड़ने की मुहिम चलानी चाहिए. इस में एक महिला कांस्टेबल को चेन पहना कर सुबह की सैर पर भेजना चाहिए, ताकि बदमाशों को रंगे हाथों दबोचा जा सके. महेश नगर इलाके में रहने वाली सोनाली शर्मा का कहना है कि पुलिस सुबह के समय नियमित रूप से गश्त करे, ताकि सुबह की सैर और मंदिर जाते समय चेन तोड़ने की वारदातों पर रोक लगाई जा सके.

ऐसे हो सकता है बचाव

चेन खींचने की वारदातों के लिए पुलिस को जन सहयोग से जगहजगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए, ताकि किसी तरह का भी अपराध होता है, तो वारदात करने वाले बदमाश उस में तसवीर के रूप में कैद हो जाएं. जितने भी कैमरे लगाए जाएं, वे नाइटविजन वाले होने चाहिए, ताकि रात में भी अपराधियों का चेहरा पूरी तरह से साफ नजर आए. साथ ही, कैमरों की मौनीटरिंग रोजाना हो और इस के लिए पुलिस वाले रोजाना अपडेट लेते रहें. संदिग्ध लगने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखी जाए. पुलिस के कुछ जवानों को भीड़ भरे बाजार और यातायात के बीच से मोटरसाइकिल चलाने की ट्रेनिंग देनी चाहिए, ताकि वे बदमाशों को पकड़ने का हुनर सीख सकें. इस के लिए किसी गैरसरकारी संस्था की मदद भी ली जा सकती है.

औरतें ये सावधानियां बरतें

* साड़ी या सूट इस तरह पहनें कि गले से चेन दिखाई नहीं दे.

* सुबह की सैर व मंदिर जाते समय निगाह रखें कि कोई उन का पीछा तो नहीं कर रहा है.

* वारदात के बाद बदमाशों का गाड़ी नंबर जरूर देखें और उसे याद रखें.

* असली गहने पहनने से अच्छा है कि नकली गहने पहन कर अपना शौक पूरा कर लें.

* किसी अनजान को घर के आसपास घूमता देख तुरंत पुलिस को सूचना दें.

कमजोरों पर भारी पड़ता तलाक तलाक तलाक

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ इलाके की रहने वाली रेहाना की शादी 16 साल की उम्र में लखनऊ के परवेज से हो गई थी. रेहाना का परिवार गांव में रहता था. वह वहां के रहनसहन की आदी थी. 5वीं जमात तक पढ़ी रेहाना को पढ़नेलिखने का शौक था. उस के वालिद ने आगे स्कूल भेजने से बेहतर उस की शादी करना मुनासिब समझा. रेहाना को समझा दिया गया कि निकाह के बाद लखनऊ जाना, तो वहां पढ़ने के लिए अच्छेअच्छे स्कूल मिलेंगे.

रेहाना निकाह के बाद लखनऊ आ गई. वहां पर उस ने अपनी पढ़ाई की बात की, तो किसी ने उस की बात को तवज्जुह नहीं दी. धीरेधीरे वह रोजमर्रा की जिंदगी में उलझ गई. शादी के सालभर बाद ही रेहाना को एक बच्चा भी हो गया. रेहाना का पति नौकरी करने विदेश चला गया. अब वह कुछ दिन लखनऊ रहती, तो कुछ दिन मायके हैदरगढ़ चली जाती. इस बीच ससुराल में उस का कुछ मनमुटाव भी होने लगा. यह बात विदेश में नौकरी करने गए रेहाना के पति परवेज को भी पता चली, तो वह उसी को जिम्मेदार ठहराने लगा. रेहाना को यह पता नहीं था कि परवेज के मन में क्या है?

एक दिन फोन पर बात करते ही दोनों के बीच झगड़ा होने लगा. गुस्से में आ कर परवेज ने रेहाना को ‘तलाक तलाक तलाक’ कह कर तलाक दे दिया.इस बात की जानकारी रेहाना के मायके और ससुराल वालों को भी हुई. उन लोगों ने बात को संभालने के बजाय दोनों का अलगाव कराने का फैसला कर लिया. निकाह के 4 साल के अंदर ही 20 साल की रेहाना तलाकशुदा औरत बन कर ही मायके में रह कर मेहनतमजदूरी कर के अपना पेट पालने को मजबूर हो रही है.

यह केवल रेहाना की बात नहीं है. गांवों और कसबों में रहने वाली कमजोर परिवार की बहुत सारी मुसलिम लड़कियां इस तरह की परेशानियों से गुजर रही हैं. कुछ सालों में उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवकसबों में रहने वाली लड़कियों के मातापिता उन की शादी शहरों में करने लगे हैं, ताकि वे सुखी जिंदगी गुजरबसर कर सकें. शादी के समय अपनी अच्छी माली हालत बताने वाले लड़कों के परिवार शादी के बाद लड़कों को नौकरी करने किसी और देश या शहर भेज देते हैं, जहां पर वे नौकरी करते हैं. घर में उन का रहना कम होने लगता है.पतिपत्नी के अलग रहने से दोनों के बीच दूरियां बढ़ती जाती हैं. एक समय ऐसा आता है कि ये दूरियां तनाव, लड़ाईझगड़े में बदल जाती हैं. फोन, ह्वाट्सऐप और सोशल मीडिया के बढ़ते चलन से बातबात पर तलाक देने की घटनाएं बढ़ गई हैं. छोटीछोटी बातचीत और लड़ाईझगड़े में ये मर्द अपनी औरतों को तलाक देने लगे हैं. मुसलिम तलाक कानून 3 तलाक को ले कर पसोपेश की हालत में है. ऐसे में इस का खमियाजा औरतों को उठाना पड़ता है.

आंकड़े बताते हैं कि साल 2014 में महिला शरीआ अदालतों में 235 तलाक के मामले आए थे. इन में से 66 फीसदी मामलों में बातचीत करतेकरते मुंहजबानी तलाक ही लिया गया था. जिन औरतों को तलाक मिला, उन में से 90 फीसदी से ज्यादा औरतें इस तरह के तलाक से खुश नहीं हैं. मुसलिम समाज में आज भी 55 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में ही कर दी जाती है. इन में से आधी औरतों के पास निकाहनामा नहीं होता है. मुसलिम समुदाय में इस तरह के तलाक की अहम वजह किसी और से शादी भी होती है. 90 फीसदी औरतें अपने पतियों की दूसरी शादी के खिलाफ हैं. मुसलिम समाज में घरेलू हिंसा के मामले भी बढ़े हैं. औरतें बातबात पर तलाक के डर से अपनी बात किसी से कहने में डरती हैं. उन को लगता है कि इस से उन का पति उन को तलाक दे देगा. तलाक के डर से वे मारपीट को चुपचाप सहती रहती हैं.

छोटी छोटी वजहें

बातबात पर तलाक देने के मामलों को देखा जाए, तो बहुत छोटीछोटी वजहें सामने आती हैं. रेहाना ने बताया कि उस के पति ने लड़ाईझगड़ा शुरू करने से पहले कहा था कि तुम को खाना बनाना नहीं आता. जब भी तुम गोश्त बनाती हो, उस में तेल ज्यादा रहता है. उस को खाने के बाद हमारे घर वालों का पेट खराब हो जाएगा. वे बीमार हो जाएंगे. जब तुम घर के लोगों के लिए खाना तक नहीं बना सकती हो, तो तुम्हारे साथ निकाह कर के रहने का क्या फायदा? इस के बाद ही उस ने तलाक दे कर रेहाना को छोड़ दिया. दरअसल, मुसलिम कानून में औरतों के बजाय आदमियों को ज्यादा हक दिए गए हैं. ऐसे में औरतें हमेशा अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं. आदमियों को लगता है कि 3 बार तलाक कहने से उन को बीवी से छुटकारा मिल जाएगा. एक बार तलाक हो जाने के बाद कोई भी औरत की बात को सही नहीं मानता. ऐसे में आदमियों के हौसले बढ़ते जाते हैं.

समाज के दूसरे तबकों को देख कर मुसलिम बिरादरी की लड़कियां भी फैशनेबल पोशाक में रहना चाहती हैं. जब वे ऐसा करती हैं, तो उन के समाज के कट्टरवादी लोग एतराज करते हैं. यहीं से औरतों का विरोध होने लगता है.

20 साल की फरहाना ने बताया कि उस ने इंटर तक की पढ़ाई पूरी की थी. शादी के बाद वह अपनी सहेलियों से मिलती, तो वे सब फैशन से रहती थीं. एक बार उस ने भी फैशनेबल पोशाक पहन ली. इस से उस की सास नाराज हो गईं और इस बात की शिकायत उस के पति को कर दी, जिस के बाद मारपीट से शुरू हुई कहानी तलाक तक पहुंच गई. इस तरह के हालात का सामना कर रही रजिया ने बताया कि उस का तलाक इसलिए हो गया, क्योंकि अपनी ननद की शादी में उस ने कपड़ों और गहनों की खरीदारी की थी. यह बात ननद की ससुराल वालों को पसंद नहीं आई. ननद की ससुराल वालों की शिकायत पर उसे तलाक दे दिया.

पहले भारतीय समाज में शादी टूटने की घटनाएं कम होती थीं. हाल के कुछ सालों में ये घटनाएं बढ़ चुकी हैं. शादी टूटने की सब से ज्यादा घटनाएं मुसलिम बिरादरी में बढ़ रही हैं. महज 10 सालों के अंदर शादी टूटने की घटनाएं 3 गुना ज्यादा बढ़ गई हैं. छोटेबड़े सभी शहरों में एकजैसे हालात हैं. देश में सब से ज्यादा तलाक मुंबई में होते हैं. एक साल में मुंबई में औसतन 11 हजार, दिल्ली में 8 हजार और लखनऊ में 3 हजार तलाक होते हैं. दिल्ली में हर साल फैमिली कोर्ट में 15 हजार से ज्यादा अर्जियां तलाक के लिए डाली जाती हैं. केरल, पंजाब और हरियाणा में तलाक के मामले तेजी से बढ़े हैं. वहां हर साल 3 से 6 हजार तलाक के केस फाइल होते हैं.

तलाक की कहानी

मुसलिम तबके में किसी आदमी को अपनी पत्नी से छुटकारा पाने के लिए तलाक शब्द को कहने का हक हासिल है. 3 बार तलाक शब्द को दोहरा कर वह पत्नी को तलाक दे सकता है. मुसलिम धर्म के जानकार मानते हैं कि इस तरह बातबात पर तलाक लेना सही नहीं है. तलाक शब्द को एकसाथ ही 3 बार में नहीं बोला जा सकता है. एक महीने में एक बार ही तलाक बोला जा सकता है. इस से पतिपत्नी को तलाक लेने में 3 महीने तक का समय मिल जाता है.

सही बात यह है कि लोग इस बात का पालन नहीं करना चाहते. लोग एक बार में ही तलाक शब्द को 3 बार में बोल कर तलाक लेना पसंद करते हैं. मुसलिम तबके के लोग भी इस बात को ज्यादा प्रचारित नहीं करना चाहते कि तलाक को किस तरह से देना होता है. मर्द इस भ्रम को बनाए रखना चाहते हैं, जिस से वे औरतों का शोषण कर सकें. कम पढ़ीलिखी लड़की इस तरह के दबाव में आ कर टूट जाती है. वह 3 बार कहे गए तलाक को ही सही मान लेती है. वह इस को अपनी किस्मत मान कर समझौता कर लेती है. कम उम्र में तलाक होने से औरतें जिंदगीभर दुख भोगती रहती हैं. इस में से कई दिमागी बीमारियों का शिकार हो कर टूट जाती हैं.

रेहाना कहती है, ‘‘तलाक देने के तरीकों से मुसलिम औरत हमेशा नुकसान में रहती है. जब तक 3 तलाक को सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, तब तक मर्द मनमानी करते रहेंगे.’’ तलाक को ले कर सुप्रीम कोर्ट ने भी सुझाव दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शादी का रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही शादी में दिए गए स्त्रीधन और मिलने वाले सामान की पूरी लिस्ट भी बनाई जाए. इस के बाद भी अभी तक इस बात पर अमल नहीं किया गया है. अगर 3 तलाक के गलत इस्तेमाल से शादियों को टूटने से बचाना है, तो सुप्रीम कोर्ट की बात को मानना ही पडे़गा. मर्दों को लगता है कि अगर तलाक देने के तरीके में कोई रुकावट आएगी, तो उन की मनमानी पर असर पड़ेगा, जिस से वे औरत को आसानी से तलाक दे कर दूसरी शादी नहीं कर सकेंगे.

सोशल साइटें बनीं सौतन

पिछले 4-5 सालों में सोशल साइटों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, जिस में आदमी और औरत दोनों ही अलगअलग दोस्त बनाते हैं. सब से बड़ा जरीया फेसबुक और ह्वाट्सऐप हैं. पहले यह लत शहरों तक ही सिमटी थी, पर अब मोबाइल फोन, फेसबुक और ह्वाट्सऐप गांवकसबों तक पहुंच गए हैं. बातबात पर तलाक के मामलों को अलग कर के देखा जाए, तो सोशल साइटें तलाक की अहम वजहें बन रही हैं. स्कूल में पढ़ाने वाली सलमा फेसबुक और वाट्सऐप दोनों का इस्तेमाल करती थीं. वे जब स्कूल से वापस आतीं, तो कुछ देर सोशल साइट्स पर बिताती थीं. एक बार उन के पति ने उन का फोन देखा तो पता चला कि सलमा रात को किसी मर्द दोस्त से चैटिंग कर रही थी. पति ने इस बात को ले कर पहले झगड़ा शुरू किया और बाद में सलमा को तलाक दे दिया. मुसलिम बिरादरी में अभी भी औरतों पर तमाम तरह की पाबंदी हैं. ऐसे में सोशल साइटें सौतन बन गई हैं. बातबात पर होने वाले तलाक में फेसबुक और ह्वाट्सऐप की बातों को सुबूत की तरह से पेश किया जाने लगा है. 50 फीसदी से ज्यादा लोग अपने साथी के अकाउंट पर नजर रखते हैं. 60 फीसदी लोग यह चाहते है कि उन की पत्नी अपने मोबाइल फोन में किसी तरह का पासवर्ड लौक न लगाएं.

30 फीसदी लोगों में फेसबुक और वाट्सऐप को ले कर हफ्ते में एक बार झगड़ा जरूर होता है. सोशल साइटों ने शादीशुदा जिंदगी में परेशानी खड़ी कर दी है. इस का सब से ज्यादा असर मुसलिम बिरादरी पर पड़ रहा है. अब मुसलिम बिरादरी भी इन मामलों को ले कर जागरूक होने लगी है. 3 तलाक कानून से उस की परेशानियां और भी ज्यादा बढ़ती जा रही हैं.                                 

मुसलिम देश भी हैं परेशान

भारत में 3 तलाक भले ही चल रहा हो, पर मुसलिम देशों में इस पर बैन लगाया जाना शुरू हो गया है. पाकिस्तान में 3 तलाक को बंद कर दिया गया है. मुसलिम देशों में गुस्से, नशे और जोश में दिए गए तलाक को सही नहीं माना जाता है. अलगअलग देशों में तलाक को ले कर अलगअलग कानून हैं. मुसलिम देशों में औरतों की हालत बेहद खराब है. यूरोपीय देशों में मुसलिम जोड़ों के लिए अलग कानून है. 3 तलाक को वहां भी अच्छा नहीं माना जाता है. इस को रोकने के वहां भी अलगअलग कानून बने हैं. उन देशों में रहने वालों के माली और सामाजिक हालात भारत से अलग हैं. ऐसे में भारत में 3 तलाक को ले कर ज्यादा जागरूकता नहीं है. भारत में तमाम औरतों ने अपने संगठन बना कर 3 तलाक  का विरोध करना शुरू किया है. इस से समाज में जागरूकता तो आ रही है, पर अभी भी बड़ा हिस्सा 3 तलाक को सही मानता है. आपसी विरोधऔर सहमति के बीच 3 तलाक का प्रचलन जारी रहने से औरतों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सब से ज्यादा परेशानी गांवकसबों में रहने वाली औरतों के सामने आती है. कम पढ़ीलिखी गरीब औरतें अपनी शिकायत तक सही से नहीं करा पाती हैं. 3 तलाक ने इस तरह की औरतों की जिंदगी को बरबाद कर दिया है.

हार के बाद भी पंटर के लिए खास थी ये सीरीज

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोटिंग इन दिनों भारत में हैं. पंटर के नाम से मशहूर इस बल्लेबाज ने खुलासा किया कि 2001 में भारत के साथ खेली गई टेस्ट सीरीज उनके करियर की सबसे यादगार सीरीज में शुमार है. हालांकि यह सीरीज भारत ने जीती थी.

भारत ने 2001 में हुई ये सीरीज ऑस्ट्रेलिया से जीती थी जिसके बारे में पोंटिंग ने कहा, '2001 की सीरीज उन सीरीज में सबसे यादगर थी जिसमें मैं खेला. हम सीरीज हार गए लेकिन सीरीज के दौरान क्रिकेट का स्तर और जिस जज्बे के साथ यह खेली गई और पूरी सीरीज के दौरान दर्शकों की मौजूदगी अविश्वसनीय थी.'

उन्होंने कहा, 'जब आप (कमेंटेटर) हर्षा भोगले से पूछो कि उनका सबसे यादगदार टेस्ट कौन सा है. मुझे यकीन है कि कोलकाता टेस्ट टॉप में शामिल होगा. फॉलोआन के बाद (वीवीएस) लक्ष्मण के 280 रन, (राहुल) द्रविड़ के 180 रन. भारत ने कुछ सौ रन की बढ़त बनाने के बाद पारी घोषित की और उनके पास हमें आउट करने के लिए एक सत्र से कुछ अधिक का समय था और उन्होंने ऐसा कर दिया.'

भारत ने की थी शानदार वापसी

पोंटिंग ने कहा, 'यह हमारा सबसे गौरवांवित लम्हा नहीं था लेकिन निश्चित तौर पर भारतीय क्रिकेट का सबसे गौरवांवित लम्हा था. फिर तीसरा टेस्ट (चेन्नई में) भी भारत ने जीतकर सीरीज जीत ली. यादगार सीरीज. ऑस्ट्रेलिया ने मुंबई में पहले टेस्ट में भारत को 10 विकेट से हराया था लेकिन मेजबान टीम ने कोलकाता और चेन्नई में अगले दो टेस्ट जीतकर तीन मैचों की सीरीज 2-1 से अपने नाम की थी.'

लक्ष्मण ने फॉलोआन के बाद कोलकाता टेस्ट में 281 रन की पारी खेली और द्रविड़ के साथ पूरा दिन क्रीज पर टिके रहे. इस बीच पोंटिंग ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली सीरीज शानदार होगी क्योंकि क्रिकेट की ये दो बड़ी टीमें काफी प्रतिस्पर्धी हैं और जब ये एक दूसरे के आमने-सामने होंगी तो इन्हें देखना बेहतरीन होगा.

उनके पास वर्ल्ड क्लास हाशिम, डिविलियर्स और डुमिनी हैं

पोंटिंग ने कहा, 'मेरे कहने का मतलब है कि दोनों टीमों ने फिलहाल बराबरी की हैं. दोनों के पास अच्छा तेज गेंदबाजी आक्रमण है, मिशेल स्टार्क (ऑस्ट्रेलिया के) लाल गेंद के साथ अपने खेल को नए स्तर पर ले गए हैं. दक्षिण अफ्रीका के नजरिए से लगता है कि डेल स्टेन ने एक बार फिर लय हासिल कर ली है जो शानदार है.'

उन्होंने कहा, 'उनके पास हाशिम अमला, एबी डिविलियर्स, जेपी डुमनी हैं जो वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी हैं.' दक्षिण अफ्रीका को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच वनडे और तीन टेस्ट की सीरीज खेलनी है. पहला वनडे 30 सितंबर को खेला जाएगा.

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