ऊंची जातियों के गुंडों को गौरक्षक कार्ड दे कर हरियाणा सरकार एक पैरेलल पुलिस बनवा रही है, जिस में तिलक और भगवा दुपट्टा ही मैरिट होगा. इस गौरक्षक कार्ड का इस्तेमाल मुसलमानों और दलितों के खिलाफ तो होगा ही, हरेक भगवाई अपने कार्ड के बलबूते बिना कानूनी दम पर सड़कों पर रोब मारता फिरेगा  यह पक्का है कि यह कार्ड उन को मिलेगा जो भगवाई संस्थाओं से जुड़े हैं और जो जुड़े हैं वे निठल्ले हैं, बेकार हैं और गैंग बना कर या तो अखंड जागरण के नाम पर चंदा जमा करते हैं या भगवाई आयोजन कराते हैं और अपनी पार्टी के लिए भीड़ जुटाते हैं. गायों को बचाने के लिए जुटी सरकार का यह गौप्रेम असल में एक दिखावा है और अपनी एक फौज तैयार करना है, जो दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को पीटपाट कर भगा सके और महल्लेकसबे में अपना एकलौता राज स्थापित कर सके. इस कार्ड के बल पर छोटे दुकानदारों से वसूली होगी और मजदूरों को जबरन काम पर लगाया जाएगा. पुलिस को इन की सुननी होगी.

गाय से ज्यादा इस देश में सुरक्षा की जरूरत लड़कियों को है. क्या नरेंद्र मोदी से ले कर मनोहर लाल खट्टर उन के लिए कुछ कर रहे हैं? देशभर की लड़कियों को छेड़खानी से बचने के लिए अब अपने मुंह पर दुपट्टा बांध कर चलना पड़ रहा है, ताकि उन का रंगरूप देख कर उन पर फिकरे न कसे जा सकें. उन के लिए कोई सरकार कार्ड जारी नहीं कर रही है, क्योंकि हमारे ग्रंथों में गायों को सैकड़ों देवताओं का निवास माना गया है और औरतों को पाप योनि की पैदाइश. यह बात दूसरी है कि गायों की देखभाल के लिए कोई आगे नहीं आ रहा. सब गाय का चमड़ा उतारने वालों या गायों का व्यापार करने वालों के पीछे पड़े हैं. गौशालाओं में क्या इन भगवाइयों को गोबर उठाते, गायों को नहलाते, इन्हें गौग्रास के नाम पर एक टुकड़ा खिलाने के अलावा किसी ने देखा है?

क्या गौररक्षक का कार्ड पाने वाले अपने ड्राइंगरूम में बिना दूध देने वाली 2 गाएं बांधेंगे और उन्हें तब तक रखेंगे जब तक वे खुद मर न जाएं? जो लोग अपनी जिंदा मां का खयाल नहीं रख रहे, उन्हें अकेला छोड़ रहे हैं, उन को परेशान कर रहे हैं, उन्हें सिर्फ संपत्ति के लिए मानते हैं, वे क्या गौमाता की सेवा करेंगे? गाय का किसानी में काफी इस्तेमाल होता था, पर यही वह संपत्ति थी जिसे ब्राह्मण दान में ले जा सकता था. सदियों से गरीब किसानों के पास गाय और बैल बस फसल उगाने और थोड़ा सेहतमंद खाना पैदा करने के लिए होते थे. बैल तो पंडों के किसी काम के नहीं थे, इसलिए गाय को देवता बना कर दान की चीज बना दी गई. अगर गाय माता है, तो उस का व्यापार कैसे? उस के दूध पर बछड़े का हक है, आदमी का हक कैसा? अगर गाय से प्रेम है तो बछड़े से भी करो, सारा दूध उसे पीने दो, जैसे बाकी दूध देने वाले जानवरों के साथ होता है. गाय तो केवल राजनीति का लबादा है, जिसे ओढ़ कर भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को तरहतरह के हक देना चाहती है और दलितों व मुसलमानों को कंट्रोल में रखना चाहती है.

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