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अब नहीं मिलेगी सिलिंडर पर सब्सिडी

केंद्र सरकार एलपीजी यानी रसोई गैस सिलिंडर पर सब्सिडी जरूरतमंद लोगों तक सीमित करने जा रही है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बातचीत में साफ तौर कहा है कि एलपीजी सब्सिडी जरूरतमंद लोगों को ही दी जाएगी. जो जरूरतमंद नहीं हैं, उनको सब्सिडी नहीं दी जाएगी. यानी उनके लिए सब्सिडी खत्म कर दी जाएगी. उन्हें मार्केट रेट पर ही रसोई गैस सिलिंडर लेना होगा.

पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस बारे में रोडमैप बनाने का काम शुरू हो चुका है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के बाद इस योजना पर काम शुरू हो जाएगा. देश में इस वक्त 16 करोड़ एलपीजी कनेक्शन धारक हैं. धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार अब तक 1.10 करोड़ लोगों ने अपनी इच्छा से एलपीजी सब्सिडी को छोड़ दिया है.

दो चरणों में लागू होगी योजना

सूत्रों के अनुसार जो जरूरतमंद नहीं हैं, उनके लिए एलपीजी सब्सिडी खत्म करने की योजना दो चरणों में लागू की जाएगी. पहली योजना के तहत जिनकी सालाना आमदनी 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा है, उनके लिए सब्सिडी खत्म कर दी जाएगी.

तेल कंपनियां ऐसे ग्राहकों को एलपीजी पर सब्सिडी खत्म करने का नोटिस भेजने के साथ एसएमएस भेजेंगी. आमदनी से जुड़े ब्योरे पेट्रोलियम मंत्रालय ने इनकम टैक्स विभाग, बैंकों, इनडायरेक्ट टैक्स विभाग, आधार, पैन नंबर के जरिए जुटाए हैं. योजना के दूसरे चरण में, जिनकी सालाना आमदनी पांच लाख रुपये या उससे ज्यादा है, उनके लिए एलपीजी सब्सिडी खत्म करने का अभियान शुरू किया जाएगा.

पेट्रोलियम मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी का कहना है कि वैसे सरकार की योजना रसोई गैस सिलिंडर पर दी जाने वाली सब्सिडी को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले यानी बीपीएल परिवारों तक सीमित करने की है. मगर ऐसा करने में अभी समय लगेगा. फिलहाल हम ज्यादा आमदनी वालों के लिए सब्सिडी खत्म पर ध्यान देंगे.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मिट्टी हुई खराब

खेती किसी भी मुल्क की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है और खेती के लिए सब से जरूरी है उम्दा मिट्टी. अगर मिट्टी ही खराब हो जाए तो खेती चौपट हो जाती है. मिट्टी खराब होने की वजह होती है, उस में जरूरी तत्त्वों की कमी होना. कुछ ऐसा ही गड़बड़ हाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ मिट्टी का हो रहा है.

पिछले दिनों सामने आई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में मिट्टी के नमूनों की जांच के बाद यह सच्चाई सामने आई है. जांच की रिपोर्ट के मुताबिक जैविक खाद, पोटाश व फास्फोरस के कम इस्तेमाल की वजह से वेस्टउत्तर प्रदेश की मिट्टी तबाह हो रही है. भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में गुजरे साल के दौरान मिट्टी के 5500 नमूनों की जांच की गई थी और मौजूदा साल में अब तक 2035 मिट्टी के नमूनों की जांच की गई?है. इन परीक्षणों में जीवांश कार्बन न्यूनतम आया है, जो कि मध्यम होना चाहिए.

जीवांश कार्बन का आशय है मिट्टी में जीवों का जीवित रहना. ये जीव मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को दूर करते हैं. दरअसल नाइट्रोजन की कमी होने से मिट्टी चिपक जाती है, नतीजतन पानी पौधों की जड़ों तक नहीं पहुंच पाता है. इन जांचों में फास्फोरस की मात्रा भी बेहद कम पाई गई है. फास्फोरस की कमी से पौधों की बढ़वार रुक जाती है. इसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मिट्टी में पहले पोटाश काफी मात्रा में मौजूद था, मगर इन जांचों में यह मध्यम मात्रा में मिट्टी में पाया गया है.

यह हकीकत खेती से जुड़े तमाम लोगों को मालूम है कि नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश खेती के खास पोषक तत्त्व हैं. इन के बगैर कोई भी फसल सही तरीके से नहीं पनप पाती, लिहाजा मिट्टी में इन की कमी हो जाना खेती के लिहाज से बहुत बुरा होता है. इन की कमी से खेत की उत्पादन कूवत घट जाती है.

भूमि परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष एसपी सिंह के मुताबिक नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए किसान खेती में यूरिया खाद डालते हैं, मगर वे पोटाश व फास्फोरस की कमी की परवाह नहीं करते.

आमतौर पर खेत की मिट्टी में यूरिया, फास्फोरस और पोटाश 4:3:1 के अनुपात में मौजूद होने चाहिए. यह अनुपात गड़बड़ हो जाने से मिट्टी बरबाद हो जाती है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जैसे इलाकों में काफी मात्रा में जैविक खाद तैयार किया जा रहा है. गोबर और केंचुए से बनने वाला यह खाद जीवांश कार्बन पैदा करने में बेहद कारगर होता है. इस के इस्तेमाल से फसलों का उत्पादन बढ़ता है और वेकतई शुद्ध होती है. मगर किसान इन का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते. दरअसल, किसानों ने तमाम दवाओं व रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर के मिट्टी की कुदरती कूवत खत्म कर दी है. ऐसी खराब मिट्टी पर जैविक खाद का असर 2-3 सालों बाद ही पड़ता है.

मोदी सरकार ने पिछले 2 सालों से मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड की मुहिम चला रखी?है. इस का मकसद रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल में करीब 20 फीसदी की कमी लाना है. बहरहाल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मिट्टी खराब होना बहुत चिंता वाली बात है. इस के लिए सरकारी स्तर पर मुहिम तेज कर देना बहुत ज्यादा जरूरी है.                                  

 

बांग्लादेश दौरे में खेलने से किया मना तो…

इंग्लैंड की टीम को बांग्लादेश के दौरे पर जाना है, लेकिन खिलाड़ी इस पर फैसला नहीं कर पा रहे, वहीं बोर्ड ने हिदायत दी कि अगर मना किया तो टीम में जगह खत्म हो सकती है.

इंग्लैंड क्रिकेट टीम के निदेशक एंड्रयू स्ट्रास ने बांग्लादेश दौरे के लिए खिलाड़ियों को फैसला करने के लिए तीन दिन की समयसीमा दी है. खिलाड़ी बांग्लादेश दौरे में सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. स्ट्रास ने उन्हें वे तीन दिन के अंदर किसी निर्णय पर पहुंचने को कहा है.

इसी साल जुलाई में एक कैफे पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था. इस हमले में 20 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद से इंग्लैंड के बांग्लादेश दौरे को लेकर संशय बना हुआ है. हालांकि ऑलराउंडर मोइन अली और क्रिस जार्डन ने दौरे के लिए अपनी सहमति जता दी है. माना जा रहा है कि टेस्ट कप्तान एलिस्टयर कुक भी दौरे का हिस्सा हो सकते हैं.

जुलाई में हुए आतंकी हमले के बाद इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने टीम के दौरे से पहले अपना सुरक्षा जांच दल बांग्लादेश भेजा था जिसने बाद में अपनी रिपोर्ट में बोर्ड ने दौरे करने का फैसला किया. इंग्लैंड टीम को अगले महीने बांग्लादेश के साथ 3 मैचों की वनडे सीरीज के बाद 2 मैचों की टेस्ट सीरीज भी खेलनी है.

आनंद एल राय से नाराज हैं दीपिका पादुकोण

बेचारी दीपिका पादुकोण..उनके पैर के नीचे से करियर रूपी जमीन खिसकती जा रही है. उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करें?.. सूत्रों के अनुसार दीपिका पादुकोण को पूरा यकीन था कि फिल्मकार आनंद एल राय अपनी नई फिल्म ‘‘बंधुआ’’ में शाहरुख खान के साथ उन्हे ही हीरोईन बनाएंगे. क्योंकि दीपिका पादुकोण पता था कि फिल्म ‘बंधुआ’ के किरदार में कंगना रानौट फिट नही बैठती हैं. इसलिए हर हाल में उन्हे ही यह फिल्म मिलेगी. इसी के चलते आनंद एल राय से दीपिका पादुकोण ने कई मुलाकातें भी की थीं.

मगर जैसे ही बौलीवुड में खबर आयी कि आनंद एल राय ने दीपिका पादुकोण की बजाय फिल्म ‘बंधुआ’ में शाहरुख खान के साथ कटरीना कैफ को चुना है, वैसे ही वह आग बबूला हो उठी. सूत्रों के अनुसार दीपिका पादुकोण अब फिल्मकार आनंद एल राय से काफी नाराज हैं.

इतना ही नहीं, दीपिका पादुकोण इसलिए भी गुस्से में हैं कि करण जोहर ने भी अपने बैनर की फिल्म ‘‘रात बाकी’’ में फवाद खान के साथ अभिनय करने के लिए कटरीना कैफ को शामिल किया है. जबकि दीपिका पादुकाण को पूरी उम्मीद थी कि यह फिल्म उन्हे ही मिलेगी. उधर बालीवुड के कई सूत्र दावा कर रहे हैं कि दीपिका पादुकोण के यह समझ में क्यों नहीं आ रहा है कि जब शाहरुख खान के साथ उनका मनमुटाव हो चुका है, तो फिर शाहरुख खान के साथ उन्हे कोई फिल्मकार कैसे अपनी फिल्म का हिस्सा बनाएगा.

तो दूसरी तरफ करण जोहर और शाहरुख खान के रिश्ते जग जाहिर हैं. ऐसे में करण जोहर अपनी फिल्म के साथ दीपिका को जोड़कर शाहरुख खान को भला नाराज क्यों करने लगे…? वैसे यह महज संयोग ही है कि कभी कटरीना कैफ ने उनसे उनके प्रेमी रणबीर कपूर को छीना था और अब…या ….

हवन करते हाथ जला बैठी अंकिता लोखंडे

एक बहुत पुरानी कहावत है कि ‘‘हवन करते हाथ जले’’. यह कहावत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व प्रेमिका व अभिनेत्री अंकिता लोखंडे के साथ सच साबित हो गयी. अंकिता लोखंडे अपने घर पर गणेश जी की पूजा करने के बाद वह हवन कर रही थी. अचानक पता नहीं कैसे क्या हुआ कि अंकिता के बेडरूम में आग लग गयी और उस आग को बुझाने के चक्कर में अंकिता अपने दोनों हाथों के साथ साथ गला भी जला बैठी.

बौलीवुड में इस खबर के फैलने के बाद जब मीडिया ने सच जानने के लिए अंकिता को फोन करने शुरू किए, तब अंकिता ने एक अंग्रेजी की वेबसाइट को बताया- ‘‘मुझे खुद नहीं पता कि पूजा व हवन करते हुए मैं खुद को कैसे जला बैठी. मैं हवन कर रही थी. मैंने अपने घर में अरोमा मोमबत्ती जला रखी थी. पता ही नहीं चला कब कैसे घर के पर्दे में आग लग गयी. मेरा बेडरूम जलने लगा. इस आग को बुझाने में मैं अपने दोनों हाथ व गला जला बैठी. मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं, कि मेरा चेहरा सुरक्षित रहा. मेरे चेहरे को आंच तक नही आयी. भगवान का शुक्रिया इसलिए भी अदा करना चाहूंगी, क्योंकि मेरे घर की बालकनी में गैस के चार सिलेंडर रखे हुए थे. आग वहां तक नहीं पहुंच पायी, अन्यथा जो कुछ हो सकता था, उसकी कल्पना से ही मैं कांप रही हूं. शायद मेरे अच्छे कर्मों ने मुझे बचा लिया.’’

वीडियो कॉलिंग के लिए फेसबुक की नई पहल

कई साल पहले स्काइप ने ऑनलाइन कॉल करने वालों के लिए ये सर्विस शुरू की थी. पिछले महीने गूगल ने डुओ लॉन्च करके वीडियो कॉलिंग के बाजार में अपना सिक्का जमाने की कोशिश की है. अब फ़ेसबुक मैसेंजर पर इंस्टैंट वीडियो का फ़ीचर शुरू हो रहा है.

चैटिंग ऐप की सफलता के बाद अब कई कंपनियां वीडियो कॉलिंग के बाजार में नए नए फीचर लेकर ऑनलाइन सब्सक्राइबर की तलाश में हैं.

2011 में लॉन्च होने के बाद गूगल हैंगआउट स्काइप का मुकाबला कर रहा है. फेसबुक का वीडियो चैट फीचर भी उसी साल लॉन्च हुआ था. उसपर ग्रुप चैट का भी विकल्प है. वीचैट , टाइनीचैट , एनीमीटिंग, ओवू, फ्रिंग, टैंगो जैसे कई और ऐप हैं जिन्होंने आपके लिए वीडियो कॉल करना बहुत आसान कर दिया है. बस ऐप डाउनलोड कीजिए और फ्री कॉलिंग शुरू कर दीजिए.

लेकिन फेसबुक अपने मैसेंजर के लिए इंस्टैंट वीडियो मैसेंजर को चैट के अलावा सर्विस के रूप में रखने की सोच रहा है. जब आप किसी से चैट कर रहे हैं और अगर उसे कुछ दिखाना है तो कैमरा ऑन कर लीजिए और स्क्रीन के ऊपरी हिस्से में उसकी तस्वीर दिखाई देगी.

मिलेंगे ये फीचर्स

– इस वीडियो में अगर दूसरे की आवाज सुननी है तो डिफॉल्ट सेटिंग में बदलाव करना होगा. वीडियो कॉल करते समय किसी को कॉल करके देखना होता है कि वो आपसे बात कर सकता है कि नहीं.

– इसके मुकाबले गूगल डुओ ने एक प्रिव्यू फीचर अपनी सर्विस में लॉन्च किया है. जो भी गूगल डुओ पर किसी को कॉल करेगा, कॉल लेने से पहले दूसरी तरफ उसकी तस्वीर दिखाई देगी. लोगों में इस फीचर को काफी पसंद किया जा रहा है.

कॉलेज स्टूडेंट, ऑफिस में बैठ कर काम नहीं करने वाले लोग और छोटी कंपनियों के लिए ये वीडियो कॉलिंग और वीडियो चैट सर्विस बहुत काम की चीज हैं. इससे लंबी दूरी की मीटिंग को भी वीडियो पर किया जा सकता है.

करवाचौथ के कारण बदल गई भारत-न्यूजीलैंड वनडे की तारीख

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई ने ‘करवाचौथ’ त्योहार के कारण भारत और न्यूजीलैंड के बीच फिरोजशाह कोटला पर होने वाले तीसरे वनडे अंतरराष्ट्रीय मैच को 19 अक्टूबर के बजाय 20 अक्टूबर को कराने का फैसला किया है.

बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी और डीडीसीए के उपाध्यक्ष सीके खन्ना ने इसकी पुष्टि की है. खन्ना ने कहा, ‘‘हम बीसीसीआई के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने इस मैच की तारीख एक दिन आगे खिसकाने का आग्रह मान लिया. मुझे इसकी पुष्टि करते हुए पत्र मिल गया है.’’

भारत और न्यूजीलैंड के बीच इस महीने से शुरू होने जा रही सीरीज में दोनों टीमों के बीच तीन टेस्ट और पांच वनडे खेले जाने हैं. इससे पहले मेहमान टीम दिल्ली के ही फिरोजशाह कोटला मैदान पर 16 से 18 सितंबर तक बोर्ड अध्यक्ष एकादश के खिलाफ तीन दिवसीय प्रैक्टिस मैच खेलेगी.

किस वजह से बदली तारीख

डीडीसीए ने इससे पहले बीसीसीआई के सचिव अजय शिर्के को भी चिट्ठी लिखकर करवाचौथ पर मैच ऑर्गनाइज कराने में आने वाली दिक्कतों और दर्शकों की संख्या कम होने की बात कही थी.

ऐसे में बीसीसीआई ने इस पर संज्ञान लेते हुए अब करवाचौथ के दिन मैच कराने के बजाय मैच को एक दिन बाद 20 अक्टूबर कराने का फैसला किया है.

बीसीसीआई के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया में चटखारों का दौर शुरू हो गया.

हैंडल @akashnegi ने लिखा है, “ये सर जडेजा की पत्नी का पहला करवा चौथ है, इसलिए बीसीसीआई ने मैच का दिन बदला है.”

सयोनी अय्यर ने ट्वीट किया, “वनडे मैच को करवाचौथ के लिए टालना तब तो समझ में आता अगर ये महिला क्रिकेट टीमों का मैच होता.”

देवर्षि चक्रवर्ती ने लिखा, “करवाचौथ के कारण मैच का दिन बदलना साबित करता है कि भारतीय क्रिकेट टीम में ज्यादा कंवारे नहीं बचे हैं.”

अंतिल यादव ने ट्वीट किया, “बीसीसीआई ने मैच शिफ्ट कर एक साथ लाखों पतियों को लंबी उम्र दी!”

शिल्पा कन्नन ने ट्वीट किया, “केवल भारत में ही ऐसा हो सकता है. पहले टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार से श्राद्ध के कारण स्पेक्ट्रम नीलामी टालने को कहा और अब बीसीसीआई ने करवा चौथ के लिए वनडे का दिन बदला.”

के कार्तिक ने ट्वीट किया, “हा हा हा! 1980 का पूर्ण चंद्रग्रहण याद करो, तब उसे बॉम्बे टेस्ट में विश्राम का दिन बदल बना दिया गया था. कोई हैरानी नहीं!!”

नागिन आधारित सीरियलों के खिलाफ हल्ला बोल

‘‘कलर्स’’ चैनल पर ‘‘नागिनः मोहब्बत और इंतकाम की दास्तान’’ के दो सीजन के अलावा कुछ दूसरे चैनलों पर भी नागिन पर आधारित सीरियलों के प्रसारण के अलावा कई हिंदी फिल्में भी बन चुकी हैं. इन फिल्मों व सीरियलों में नागिन को हमेशा बदला लेते हुए ही या हिंसा करते हुए और लोगों को नागिन से डरते हुए ही दिखाया गया है.

मगर अब 1980 से सीरियलों के निर्माण से जुड़ी मशहूर ‘‘सिनेविस्टा’’ कंपनी से जुड़े रहे और सिनेविस्टा कंपनी के मालिकों प्रेम किशन व सुनील मेहता में से प्रेम किशन के बेटे सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपनी नई कंपनी बनाकर नए ढर्रे का सीरियल ‘‘इच्छा प्यारी नागिन’’ का निर्माण कर रहे हैं, जिसे सब टीवी ने 27 सितंबर से प्रसारित करने की योजना बनायी है.

सूत्रों के अनुसार सिद्धार्थ मल्होत्रा के सीरियल ‘‘इच्छा प्यारी नागिन’’ में उन सभी सीरियलों व फिल्मों के खिलाफ बात की गयी है, जिनमें नागिन को हिंसात्मक रूप में ही पेश किया जाता रहा है. सिद्धार्थ मल्होत्रा के हास्य सीरियल ‘‘इच्छा प्यारी नागिन’’ में नागिन किसी को डराती नहीं है, बल्कि अच्छे कर्म करती है, इसलिए लोग उसे इच्छा प्यारी नागिन बुलाते हैं.

इस सीरियल को लेकर सिद्धार्थ मल्होत्रा ने चुप्पी साध रखी है. मगर जब हमने इस बारे में ‘‘सब’’ टीवी के सीनियर एक्ज्यूकेटिब वाइस प्रेसीडेंट और बिजनेस हेड अनुज कपूर से बात की, तो अनुज कपूर ने ‘‘सरिता’’ पत्रिका को बताया-‘‘जी हां! सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अब सिने विस्टा से अलग अपनी नई कंपनी बनायी है. जिसके तहत वह हमारे चैनल के लिए एक हास्य सीरियल ‘इच्छा प्यारी नागिन’ का निर्माण कर रहे है. अब तक फिल्मों और सीरियलों में हमेशा नागिन को बुरा ही दिखाया गया है. पर पहली बार इस सीरियल में नागिन को अच्छा दिखाया जाएगा. इसमें इच्छा नागिन का किरदार सोनाली जाफर निभा रही हैं.

इस सीरियल के पहले एपीसोड की शुरूआत होती है कि नागिस्तान में सभी नाग और नागिन टीवी के सामने बैठकर टीवी देख रहे हैं. जब वह टीवी पर इच्छा प्यारी नागिन को देखते हैं, तो सब खुश हो जाते हैं कि पहली बार उन्हें भी अच्छा दिखाया जा रहा है. अन्यथा अब तक सभी सीरियल व फिल्म में नागिन को बदला लेते या हिंसा करते या दूसरों को परेशान करते ही दिखाया जाता रहा है. हमारे चैनल पर प्रसारित होने वाला यह पूरी तरह से नारी प्रधान सीरियल होगा.’’  

गुलजार की सीख पर कायम जिम्मी शेरगिल

1996 में प्रदर्शित गुलजार की निर्देशित फिल्म ‘‘माचिस’’ से अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता जिम्मी शेरगिल ‘‘माचिस’’ के बाद कई फिल्मों में अपनी बेहतरीन अभिनय प्रतिभा का जलवा बिखेरते आए हैं. उन्हें जितना संजीदा किरदारों में पसंद किया जाता है, उतना ही हलके फुलके किरदारों में भी पसंद किया जाता है. वह जो अच्छा काम कर रहे हैं, उसके पीछे उन्हे गुलजार से मिली सीख है.

खुद जिम्मी शेरगिल ने ‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए कहा-‘‘जब गुलजार साहब ने मुझे फिल्म ‘‘माचिस’’ में काम दिया था, तब उन्होंने मुझे दो महत्वपूर्ण सीख दी थी. जिन्हें मैं अपने करियर में लागू करने की कोशिश कर रहा हूं. उनकी बातें मेरे करियर पर लागू होती हैं. पहला कि कलाकार के तौर पर घर पर कभी भी खाली मत बैठो. काम करते रहो. कलाकार के लिए सबसे बुरी बात यही है कि वह घर पर खाली बैठा है. कोई भी दिक्कत आएगी, तो काम आपको हमेशा बचाएगा. दूसरी चीज किसी भी फिल्म को अपनी किस्मत मत बनने दो. मतलब कि एक फिल्म के सफल होने पर सफलता के नशे में पागल नहीं होना चाहिए. या फिल्म के असफल होने पर डिप्रेशन में नहीं जाना चाहिए.

जब आप एक फिल्म की शूटिंग खत्म कर दूसरी फिल्म की शूटिंग शुरू करते हैं, तो आपका ध्यान अपने आप दूसरी जगह चला जाता है. तो जिंदगी में आप आगे बढ़ जाते हैं. शूटिंग खत्म करने के साथ आप अपना काम कर चुके होते हैं. बाकी फिल्म की अपनी किस्मत. पर कलाकार के तौर पर आपको निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए.’’

जिम्मी शेरगिल ने आगे कहा-‘‘मुझे उन किरदारों को करने में ज्यादा मजा आता है, जिन्हें निभाने के बाद चेहरे पर भी खुशी आए. यही वजह है कि मैंने कभी नहीं कहा कि मुझे संजीदा किस्म के किरदार निभाने हैं. जबकि ज्यादातर फिल्मकार मेरे पास संजीदा किरदार लेकर आते हैं. पर जब मेरी पसंद का मसला आता है, तो मैं हल्की फुल्की फिल्में ज्यादा चुनता हूं. ’’

ओबामा का आखिरी एशियाई दौरा

यह राष्ट्रपति बराक ओबामा की एशिया की 11वीं आधिकारिक यात्रा थी, जिसका अंतिम पड़ाव लाओस था. ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने लाओस में कदम रखा. असल में, यह वियतनाम युद्ध की तबाही की जिम्मेदारी लेने के जैसा था. इस यात्रा के संपन्न होने साथ ओबामा के कार्यकाल के आखिरी एशियाई दौरे का भी समापन हो गया. हालांकि ओबामा की एशिया-नीति में कई काम अधूरे रह गए हैं. इनमें 12 देशों के साथ ट्रांस-एशिया पार्टनरशिप ट्रेड डील भी शामिल है.

वह उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को रोकने में भी सफल नहीं हो सके. मगर ओबामा एशियाई देशों को यह आश्वस्त करने में जरूर कामयाब रहे कि अमेरिका चीन की बढ़ती ताकत के खिलाफ, खासकर दक्षिण एशिया की मजबूत आवाज बना रहेगा. ओबामा ने म्यांमार से भी रिश्ते सुधारे, जहां फौजी तानाशाहों ने लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ाए हैं. ओबामा भारत-अमेरिका संबंधों को भी द्विपक्षीय सहयोग की एक नई ऊंचाई पर ले जाने में सफल रहे, जिसे कभी बिल क्लिंटन और बुश के प्रशासन ने सींचा था. उन्होंने भारत के साथ रक्षा समझौते को अंजाम तक पहुंचाया, जो दशक भर से फाइलों में उलझा था.

अमेरिका ने इन तमाम देशों के साथ अपने सैन्य अभ्यासों का विस्तार तो किया ही, अधिकतर एशियाई देशों से हथियारों के सौदे भी किए. इनमें दक्षिण कोरिया को बेचा गया मिसाइल डिफेंस सिस्टम उल्लेखनीय है. बेशक संबंधों की मजबूती के लिए राजनयिकों ने खूब पसीना बहाया, लेकिन चीन की बढ़ती आकांक्षाओं की भी भूमिका इन देशों को अमेरिका के करीब लाने में रही.

जब ओबामा ने पदभार संभाला था, तब उम्मीद जताई थी कि वैश्विक समस्याओं से लड़ने में चीन साथ देगा. मगर चीन की भड़काने वाली कार्रवाई जारी रही. हालांकि ईरान परमाणु करार व पेरिस जलवायु समझौता जैसे उदाहरण भी हैं, जब दोनों देश एक साथ आए. अब तक का वक्त जैसा भी गुजरा हो, दक्षिण चीन सागर पर चीन का आक्रामक रुख बताता है कि वह भविष्य में भी वहां अपना दबदबा बढ़ाएगा. ऐसे में, ओबामा के उत्तराधिकारी के लिए वहां से जटिल चुनौतियां पैदा होंगी.

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