Download App

रूसी हैकिंग ग्रुप का खुलासा, अमेरिकी एथलीटों को है डोपिंग की इजाजत

रूसी हैकिंग ग्रुप, फेंसी बीयर्स हैक टीम ने विश्व डोपिंग निरोधी एजेंसी (वाडा) का डाटाबेस हैक कर लिया और इस डाटाबेस के आधार पर दावा किया कि अमेरिकी टेनिस स्टार सेरेना विलियम्स, उनकी बहन वीनस विलियम्स और रियो ओलंपिक में चार स्वर्ण जीतने वाली जिमनास्ट सिमोन बाइल्स को प्रतिबंधित दवाओं के सेवन की इजाजत थी.

सूत्रों के मुताबिक हैकिंग साइट ने दावा किया है कि उसने अमेरिकी एथलीटों से जुड़ी कई फाइलों को हैक किया और इसके बाद इस सनसनीखेज बात का पता चला. यह भी दावा किया गया है कि विश्व की पूर्व नम्बर-1 महिला टेनिस स्टार सेरेना को 2010, 2014 और 2015 में ऑक्सीकोडोन, हाइड्रोमोफरेन, प्रेडनीसोन और मिथाइलप्रेडनिसोलोन के सेवन की इजाजत थी.

डोप टेस्ट में फेल होने के बावजूद अयोग्य करार नहीं दिया

हैकिंग ग्रुप ने यह भी दावा किया है कि सिमोन बाइल्स तो एक बार डोप टेस्ट में नाकाम हुई थीं लेकिन इसके बाद भी उन्हें अयोग्य नहीं करार दिया गया. सेरेना की बहन वीनस को 2010, 2012 और 2013 में प्रेडनिसोन, प्रेडनिसोलोन और ट्रायेमसिलोन जैसे दवाओं के सेवन की इजाजत थी.

इस साल अगस्त में बाइल्स को मेथिलफेंडिनेट के सेवन का दोषी पाया गया था लेकिन वह अयोग्य नहीं करार दी गईं. साल 2013 और 2014 में उन्हें डेक्ट्रोएम्फेटामीन के सेवन की इजाजत थी.

10 बार गोल्ड मेडल जीतने वाले बाइल्स डोप टेस्ट में फेल

हैकर्स ने दावा किया कि 10 बार की विश्व स्वर्ण पदक विजेता बाइल्स को अगस्त 2016 में डोप टेस्ट में नाकाम पाया गया था. इसके अलावा उन्होंने दावा किया है कि अमेरिकी बास्केटबॉल स्टार एलेना डेले डोने के ड्रग टेस्ट से पता चला कि उन्होंने भी एम्फेटेमाइन का सेवन किया है. इसके अतिरिक्त 2014 में वह हाइड्रोकार्टिसोन के सेवन की दोषी पाई गई थीं, जो एक प्रतिबंधित दवा है.

क्यों हैक किया वाडा का डाटाबेस

डोपिंग के कारण पूरी रूसी टीम रियो में हिस्सा नहीं ले सकी और इसी के बाद रूसी हैकिंग टीम वाडा की वेबसाइट में सेंध लगाने की कोशिशों में जुटी थी. कुछ समय पहले वाडा ने इसका खुलासा भी किया था कि रूसी हैकर उसकी साइट में सेंध लगाने के प्रयास में हैं.

शिवराज ने दी पेट और गाल की दुहाई

मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों अपनों से बुरी तरह त्रस्त हैं. सूबे में कोई गैर, यानि कांग्रेस तो कहने भर को रह गई है इसलिए झख मारकर विपक्ष की भूमिका भी भाजपा को ही एक हिस्से को निभाना पड़ रहा है जिसके घोषित नेता पूर्व मुख्य मंत्री बाबूलाल गौर और अघोषित नेता कैलाश विजयवर्गीय हैं .

इन दोनों की अनर्गल बयानबाजी और उल्टी सीधी हरकतों का बुरा असर शिवराज सिंह की सेहत पर पड़ने लगा है. कटनी जिले के कस्बे विजयराघवगढ़ की एक सभा में उन्होंने अपना दर्द यह कहते हुए बयां किया कि वे तो अपनों के फूलों के प्रहार से घायल हैं और सी एम बनने के 11 साल गुजर जाने के बाद भी न तो उनके गाल लाल हुए और न ही पेट निकला. किसी कानून या संविधान में नहीं लिखा है कि मुख्य मंत्री बनने के बाद गाल लाल होना और तोंद निकलना कोई अनिवार्यता है.

इसके बाद भी सच यही है कि ऐसा अक्सर होता है जो उनके साथ नहीं हुआ. तो उन्होंने अपने पिचके गाल और पेट का वास्ता जनता को दे डाला और कभी जरूरत पड़ी तो हनुमान की तरह ह्रदय भी चीर कर दिखा देंगे जिस पर लिखा होगा जनता का सेवक. शिवराज सिंह को हमेशा प्रदेश के विकास की चिंता लगी रहती है और इस बाबत वे हमेशा ही दौड़ते रहते हैं, जाहिर है इसकी कीमत उनके गाल और पेट पिचक कर चुका रहे हैं इसके बाद भी अपने ही उन पर निशाना साधते रहें तो उन पर लानतें ही भेजी जा सकती हैं.

भाजपा और सूबे में शिवराज सिंह की इमेज पहले जैसी नहीं रह गई है. आये दिन उन्हें आर एस एस की मीटिंग में भी सर झुकाकर अपने न किए की सफाई देनी पड़ती है. बेलगाम होती अफसरशाही पर सफाई देनी पड़ती है तो आम लोगों को उनसे उतनी ही हमदर्दी होने लगती है जितनी साल 2003 के पहले दिग्विजय सिंह से होती थी. यानि खासतौर से अंदरूनी हालात कतई अच्छे नहीं हैं इसलिए अब वे जनता की निगाह में लोकप्रिय बने रहने के लिए गाल बजा रहे हैं और जनता बेचारी विकास ढूंढ रही है कि आखिरकार वह हुआ कहां है?

फ्री क्लाउड स्टोरेज में फाइल कैसे करें मैनेज

आजकल सभी को एक से ज्यादा क्लाउड स्टोरेज की जरूरत पड़ती है.

एक क्लाउज स्टोर में फाइल स्टोर करने के लिए जितना भी फ्री स्पेस मिलता है उसके बाद भी लोग दूसरी फ्री स्टोरेज वाली सर्विस ढूंढते हैं.

सभी क्लाउड स्टोरेज पर 1-2 गीगाबाइट स्टोरेज फ्री होता है ताकि लोगों को अपने फाइल ऑनलाइन स्टोर करने की आदत पड़े.

लेकिन यदि आपने अपने डिजिटल डाटा को एक से ज्यादा क्लाउड स्टोरेज में रखा हुआ है तो ऐसे में आपको फाइल ढूंढने में मुश्किल हो सकती है. आपके लिए कुछ चुने हुए फोटो या फाइल ढूंढना आसान नहीं होगा. ये परेशानी किसी को भी आ सकती है.

ऐसी परेशानियों से निकलने में आपको मेटा से मदद मिल सकती है. मेटा से आप अपने गूगल ड्राइव, ड्रॉपबॉक्स, स्लैक, जीमेल और एवरनोट को कनेक्ट कर सकते हैं.

अगर फ्री अकाउंट इस्तेमाल करेंगे तो इनमें से सिर्फ दो अकाउंट को उससे कनेक्ट कर सकते हैं. लेकिन करीब साढ़े छह सौ रुपये महीने खर्च करने पर इन सभी को आप मेटा से कनेक्ट कर सकते हैं.

अगर आप एक से ज़्यादा एंड्राइड डिवाइस इस्तेमाल करते हैं तो उसके क्लाउड स्टोरेज को मैनेज करने के लिए यूनीफाइल का इस्तेमाल करें. इससे फोटो, डॉक्यूमेंट, ईमेल वगैरह को संभाल कर रखना आसान हो जाता है.

लेकिन ध्यान रखें कि यूनीफाइल की सर्विस फ्री नहीं है. जो भी यहां अकाउंट बनाता है उसे हर महीने पैसे देने ही होंगे.

जोलीक्लाउड से क्लाउड स्टोरेज को मैनेज करना बहुत आसान हो सकता है. लेकिन यहां पर हर महीने का सब्सक्रिप्शन लेने के बाद किसी भी फाइल को एक से दूसरी जगह बहुत ही आसानी से ले जाया जा सकता है.

इस अकाउंट में ये साफ दिखाई देगा कि उसमें किसी ने कितनी जगह इस्तेमाल की है और कितनी जगह बाकी है.

अगर क्लाउड स्टोरेज मेनेजर के और भी विकल्प ढूंढ रहे हैं तो आप ऑटिक्सओ, क्लाउडएचक्यू और ओनक्लाउड को भी देख सकते हैं.

जेवलिन थ्रो में देवेंद्र झाझरिया ने जीता गोल्ड, तोड़ा अपना ही विश्व रिकॉर्ड

रियो पैरालंपिक 2016 में भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है. भारत के देवेंद्र झाझरिया ने जेवलिन फेंक प्रतियोगिता में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता है. पुरुषों के जैवलिन थ्रो F46 इवेंट में गोल्ड जीतने वाले 35 वर्षीय देवेंद्र का पैरालंपिक में यह उनका दूसरा गोल्ड है.

12 साल पहले 2004 एथेंस पैरालंपिक में भी उन्होंने गोल्ड जीता था. इस पदक के साथ ही रियो पैरालंपिक में भारत के कुल पदकों की संख्या 4 हो गई है, जिसमें 2 गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज है.

बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

देवेंद्र ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ ये पदक हासिल किया. देवेंद्र ने 63.97 मीटर दूर जेवलिन फेंक कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. एथेंस पैरालंपिक में उन्होंने 62.15 मीटर जेवलिन फेंका था, जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था.

35 वर्षीय देवेंद्र राजस्थान के चुरू के रहने वाले हैं. झाझरिया ने 2002 में साउथ कोरिया में हुए FESPIC गेम्स और 2013 में आईपीसी ऐथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. इसके अलावा उन्होंने इसी इवेंट में सिल्वर मेडल जीता था. वहीं 2014 के एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था. उन्हें 2012 में पद्मश्री मिला था.

आर्थिक मुश्किलें भी नहीं रोक सकी रास्ता

झाझरिया की राह में आर्थिक मुश्किलें खड़ी हुईं लेकिन वह लगातार आगे बढ़ते रहे. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'मैं आठ या नौ साल का था जब मुझे बिजली का करंट लगा. मैं गांव में एक पेड़ पर चढ़ रहा था तभी मेरा हाथ बिजली की तार से टकरा गया. शायद यह 11000 वॉल्ट की तार थी. इस दुर्घटना की वजह से मेरा बायां हाथ खराब हो गया.'

द्रोणाचार्य अवॉर्डी आरडी सिंह कोच

रेलवे के पूर्व कर्मचारी झाझरिया अब स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ काम करते हैं. झाझरिया को द्रोणाचार्य अवॉर्डी आरडी सिंह कोचिंग देते हैं.

भारत के तीन एथलीटों ने जैवेलिन में लिया हिस्सा

इस साल पैरालंपिक में भारत की ओर से जैवेलिन में तीन एथलीट ने हिस्‍सा लिया था. देवेंद्र के अलावा रिंकू सिंह जैवेलिन थ्रो में पांचवें स्‍थान पर रहे. तीसरे पैराएथलीट सुंदर सिंह गुर्जर से भी मेडल की बड़ी उम्‍मीदें थीं लेकिन वे इवेंट के लिए वक्त पर वह स्‍टेडियम ही नहीं पहुंच पाए.

खेलों से खिलवाड़ क्यों

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रथम एशियाई खेलों के दौरान कहा था कि खेल को खेल की भावना से खेला जाना चाहिए पर वक्त के साथसाथ खेल भी बदल गए और भावनाएं गायब हो गईं. अब न तो खिलाडि़यों को पहचानने वाले लोग रहे और न ही खेल को आगे बढ़ाने वाले. खेलों में राजनीति और भ्रष्टाचार हावी हो गया. विडंबना यह है कि राजनीति करने वाले लोग कहते फिरते हैं कि खेल को राजनीति से दूर रखना चाहिए और खुद ही कुरसी छोड़ने को तैयार नहीं. इन्हें खेल से कोई लेनादेना नहीं होता. इन की प्राथमिकता होती है राजनीति करना. इन्हें खेलों के जरिए पब्लिसिटी, पावर और पैसा चाहिए. खेलों का आधार कितना मजबूत हुआ, खेलों की सुविधाओं में इजाफा हुआ कि नहीं, इन्हें इस से दूरदूर तक कोई वास्ता नहीं. बीसीसीआई में यही तो हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में पारदर्शिता और खेल में सुधार लाने के लिए लोढ़ा समिति की रिपोर्ट को मानते हुए अमल में लाने का निर्देश दे रखा है लेकिन पदाधिकारी इस निर्देश का पालन करने के बजाय अदालत में पुनर्विचार के लिए अर्जी लगा रहे हैं. कितनी शर्म की बात है. ये लोग नहीं चाहते हैं कि खेल सुधरे. इन्हें बस पैसा और पावर चाहिए.

यूपीए सरकार के समय जब अजय माकन खेल मंत्री थे तब उन्होंने खेल संघों को सुधारने की दिशा में कुछ कदम उठाए थे लेकिन उस दौरान अरुण जेटली, अनुराग ठाकुर, राजीव शुक्ला, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे लोग एक हो गए और अजय माकन को झुकना पड़ा. ऐसे में खेल की क्या हालत है, यह रियो ओलिंपिक में दिख चुका है. महज 2 मैडलों में रजत और कांस्य से भारत को संतुष्ट होना पड़ा. वह भी खेल पदाधिकारियों व सरकार की सुविधाओं की वजह से नहीं, बल्कि साक्षी मलिक और पी वी सिंधु की अपनी मेहनत की वजह से मैडल प्राप्त हुए हैं. जिस तरह से मैडल के बाद दोनों खिलाडि़यों पर धनवर्षा हुई, यदि यही धनवर्षा रियो से पहले खिलाडि़यों पर होती तो शायद आज पदकों की संख्या कुछ और ही होती.

हौकी में जहां हम नंबर वन हुआ करते थे, अब कहीं नहीं हैं. तकरीबन एक दशक तक हौकी की कमान केपीएस गिल के हाथों रही. नतीजा क्या हुआ? वर्ष 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में क्वालिफाई तक नहीं कर पाए. वर्ष 2012 में लंदन ओलिंपिक में 12वें स्थान पर रहे. राजनेताओं और पदाधिकारियों की गुटबाजी से हौकी का सत्यानाश हो गया. फुटबौल में तो हम कहीं हैं ही नहीं. फीफा में भारत का स्थान 170वां है. जब से राजनेताओं की फुटबौल में घुसपैठ हुई है तब से केवल नीतियां बनाई जाती हैं. इन्हीं नीतियों की वजह से आज भारत की हालत यह है. हां, वर्ष 2017 में अंडर 17 फुटबौल विश्वकप की मेजबानी भारत कर रहा है, इस से जूनियर खिलाडि़यों को जरूर फायदा मिलेगा. उन्हें विश्वस्तरीय खिलाडि़यों के साथ खेलने का मौका मिलेगा. भारतीय ऐथलीटों का हश्र क्या है, यह किसी से छिपा नहीं है. दीपा कर्माकर भले ही रियो में चौथे स्थान पर रही मगर यदि दीपा को आधुनिक तकनीकों से ट्रेनिंग कराई जाती तो शायद दीपा पदक ले आती. सुरेश कलमाड़ी ने ऐथलेटिक्स को आगे बढ़ाने के लिए जरूर कुछ कदम उठाए थे पर कौमनवैल्थ गेम्स में उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा और वे जेल की हवा भी खा आए. ऐसे में पदाधिकारियों से क्या उम्मीद की जा सकती है?

जूडो में यदि खिलाडि़यों के नाम पूछे जाएं तो शायद ही एक भी खिलाड़ी का नाम आप के जेहन में आए. ऐसा करने का श्रेय कांग्रेस के दिग्गज नेता जगदीश टाइटलर को जाता है. ढाई दशक तक जूडो संघ में जगदीश टाइटलर का कब्जा रहा. नतीजा ढाक के तीन पात. जूडो में भारत का अतापता नहीं है. कुश्ती के अखाड़े में क्या हो रहा है, यह जगजाहिर है. नरसिंह यादव के मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हो चुकी है. ऊपर से हरियाणा के एक मंत्री और एक नेता रियो जा कर अपनी इज्जत उतरवा चुके हैं. रहीसही कसर एक केंद्रीय मंत्री ने सैल्फी के चक्कर में पूरी कर दी. जब ओलिंपिक के पदाधिकारियों ने कार्यवाही की चेतावनी दी तो मंत्रीजी को होश आया और वे चुपचाप वहां से निकल लिए. खेल संघ ऐसे हाथों में जकड़ा हुआ है कि उस से उबर पाना संभव नहीं लगता. जब तक ऐसे हाथों में खेल का भविष्य होगा तब तक न तो खेलों का उद्धार होगा और न ही खिलाडि़यों का. खिलाडि़यों की कमी नहीं है इस देश में, उन्हें न तो अब तलाशने वाले हैं और न ही उन्हें तराशने वाले. दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान करोड़ोंअरबों रुपए खर्च कर के स्टेडियम बना दिए गए पर उन स्टेडियमों में न तो कोई खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं और न ही उन में खिलाडि़यों को प्रैक्टिस करने का मौका दिया जाता है. रियो में यदि खिलाडि़यों का खराब प्रदर्शन रहा है तो सिर्फ सिस्टम की वजह से, पदाधिकारियों के स्वार्थ की वजह से, राजनीतिक दखलंदाजी की वजह से और चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी की वजह से. अगर खेलों का कबाड़ा हो रहा है तो इस के जिम्मेदार खिलाड़ी नहीं, इस देश का सिस्टम है.

गोलियां और बम सब बेअसर हैं इस ऑडी पर

नेताओं और बड़े बिजनसमैन के काफिले में चलने वाली गाड़ियां आम दिखती हैं लेकिन अक्सर आम नहीं होतीं. जी हां, उन गाड़ियों में सिक्यॉरिटी के पूरे बंदोबस्त रहते हैं. बड़ी-बड़ी बंदूकों की गोलियां इन गाड़ियों को बेध नहीं पातीं. ऐसी ही एक कार है ऑडी ए8 एल सिक्यॉरिटी. यह कार वीआर9 बैलिस्टिक प्रॉटेक्शन से लैस है और छोटे-मोटे बम धमाकों को झेल जाना इसके बाएं हाथ का खेल है. इस कार की कीमत 9.15 करोड़ (एक्स-शोरूम) है, जो पहली नजर में तो आपको ज्यादा लग सकती है, लेकिन इसकी खासियतें जानने के बाद यह भी कम ही लगेगी.

ऑडी ए8 एल सिक्यॉरिटी के नाम से ही जाहिर हो जाता है कि यह एक बेहद ही सुरक्षित गाड़ी होगी. इस कार में आर्मर्ड कम्यूनिकेशन बॉक्स, इमर्जेंसी फ्रेश एयर सिस्टम, सेलेक्टिव डोर अनलॉकिंग और अग्निशमन प्रणाली जैसे जबर्दस्त सिक्यॉरिटी फीचर्स शामिल हैं. इस कार का फ्रेम बनाने के लिए बेहद ही हाई क्वॉलिटी की ऐल्युमिनियम का इस्तेमाल किया गया है. यह ऐल्युमिनियम हल्का तो है ही, साथ ही बेहद मजबूत भी है.

आर्मर्ड स्टील से मिला कार को दम

ऑडी की इस कार को बुलेटप्रूफ बनाने में आर्मर्ड स्टील, ऐरमाइड फैब्रिक्स और ऐल्युमिनियम की स्पेशल मिश्रधातु का बड़ा हाथ है. इस कार को खरीदने वाले ग्राहकों को पहले ही इसका ऑर्डर देना होता है, फिर लगभग 6 से 9 महीने के इंतजार के बाद इस कार की चाबी आपके हाथों में होगी. उसके बाद तो आपका और आपकी इस कार का बाल भी बांका करने के लिए आपको दुश्मनों को 100 बार सोचना होगा.

गोलियां, बम या केमिकल अटैक, सब झेल जाएगी

ऑडी ए8 एल सिक्यॉरिटी पर आप गोलियों की पूरी मैगजीन खाली कर दें तो भी कोई असर नहीं होगा. जी हां, एके-47 की गोलियों से लेकर छोटे-मोटे बम धमाकों का इस कार पर कोई असर नहीं होता. इसपर यदि चारों तरफ से भी हमला हो जाए तो भी कोई बात नहीं, क्योंकि पहली बात तो इसका दरवाजा हर कोई नहीं खोल सकता, और दूसरे ऐसी स्थिति से निपटने के लिए इसमें छोटे ग्रेनेड्स लगाए गए हैं. ​गोलियों से बात नहीं बनती है तो बड़े हमलावर केमिकल अटैक करते हैं, लेकिन इस कार पर ऐसे हमलों का भी कोई असर नहीं होता. दरअसर केमिकल अटैक होने की सूरत में इस कार के चारों तरफ एक छतरी जैसी संरचना बन जाती है और अगले 10 मिनट तक कार के अंदर बैठे व्यक्ति को ऑक्सिजन मिलती रहेगी. इतनी देर में यह कार उसे किसी सुरक्षित स्थान पर ले जा सकती है.

टायरों में भी है अच्छा-खासा दम

इस कार के टायर्स में अगर गोली लग जाती है और वे पंक्चर हो जाते हैं तो भी इसे कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. ऐसी दशा में भी ऑडी ए8 एल सिक्यॉरिटी कम से कम 80 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है. इस कार के माइलेज की बात करें तो वह 9 किलोमीटर/लीटर है.

इंजन और बॉडी भी है चकाचक

इस कार का दरवाजा लगभग 160 किलो का है और इसे बंद करने के लिए अच्छी-खासी ताकत लगानी पड़ती है. ऑडी की इस कार में इंजन के लिए आपके पास चार विकल्प होंगे- ए8 एल टीएफएसआई क्वॉट्रो, ए8 एल 50 टीडीआई क्वॉट्रो, ए8 एल डब्ल्यू12 क्वॉट्रो और ए8 एल 60 टीडीआई क्वॉट्रो. यह कार 5265एमएम लंबी, 1949एमएम चौड़ी और 1471एमएम ऊंची है. कार का वीलबेस 3122एमएम है. इस गाड़ी में एलईडी हेडलाइट्स के साथ-साथ एलईडी डेटाइम रनिंग लाइट्स और एलईडी रियर लाइट्स भी दी गई हैं. इन सबके अलावा इसमें टू-पीस पैनॉर्मिक सनरूफ, रियर सीट एंटरटेनमेंट और रियर सीट एग्जेक्युटिव पैकेज भी मौजूद हैं.

कार एक, बैटरियां पांच

इस कार में 360 डिग्री कैमरा, हेड्स अप डिस्प्ले और बोस सराउंड सिस्टम जैसे कई शानदार फीचर्स शामिल हैं. एक और खास बात, अधिकांश कारों में एक बैटरी होती है, लेकिन इस खास कार में कुल मिलाकर पांच बैटरियां लगाई गई हैं. ऑडी ए8 एल सिक्यॉरिटी को आप 210 किमी/घंटा की अधिकतम सफ्तार से दौड़ा सकते हैं.

एनपीए बढ़ने से बैंक चिंतित

बैंकों की गैरनिष्पादित निधि यानी एनपीए बैंकिंग क्षेत्र के लिए चिंता की वजह बना हुआ है. यह चिंता स्वाभाविक है. रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 के दौरान सरकारी बैंकों का एनपीए 9.92 फीसदी तक पहुंच गया है जो वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान 5.43 फीसदी था. रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक बैंकों में एनपीए रोकने के लिए ठोस पहल नहीं की गई तो चालू वित्त वर्ष के अंत तक एनपीए 10 प्रतिशत की सीमा से पार निकल सकता है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि छोटे कर्ज के कारण बैंकों का एनपीए बहुत प्रभावित नहीं होता. यह सही है कि घर बनाने अथवा अपनी छोटी जरूरत को पूरा करने के लिए जो व्यक्ति बैंक से ऋण लेता है उस की कोशिश उस ऋण से जल्द मुक्ति पाने की होती है. बहुत विपरीत परिस्थिति में ही जनसामान्य बैंक का कर्ज चुकाने में कोताही बरतता है.

बैंक का एनपीए बड़े कारोबारी और उद्योगपतियों को दिए जाने वाले कर्ज के कारण बढ़ता है. इस का सब से ताजा उदाहरण शराब कारोबारी विजय माल्या है जो बैंकों से करीब 10 हजार करोड़ रुपए ले कर फरार हो गया है. इस तरह के असंख्य भगोड़े हैं जो बैंकों से मोटा ऋण ले कर फरार हैं. ऋण लेने की प्रक्रिया जनसामान्य के लिए कठोर है. सामान्य व्यक्ति महज 2-4 लाख रुपए का कर्ज बैंक से लेता है तो उस की वसूली के लिए बैंक अपने स्तर पर पुख्ता इंतजाम करते हैं. बड़े कर्जदारों को बैंक किस आधार पर इतना कर्ज देते हैं, इस की भी जांच होनी चाहिए. बैंक अधिकारी ईमानदारी से मोटा कर्ज देने को मंजूरी तब तक नहीं दे सकते जब तक उन्हें वसूली सुनिश्चित नहीं लगे. करोड़ों रुपए का ऋण विजय माल्या जैसे व्यक्ति को बैंक पारदर्शी तरीके से नहीं दे सकते. बड़ी बात यह है कि इस तरह की असंख्य मछलियां खुले में तैर रही हैं. जाल में फंसी बड़ी मछली अब बैंक ऋण प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठा रही है.

पकड़ी गई मुथूट फाइनैंस की चोरी

गैरबैंकिंग वित्तीय कंपनी मुथूट फाइनैंस की चोरी पकड़ी गई है. आयकर विभाग ने केरल के 6 शहरों में कंपनी के 56 दफ्तरों में छापे मारे हैं. विभाग ने कई संदिग्ध दस्तावेजों के साथ ही अवैधरूप से रखा गया 26 किलोग्राम सोना भी बरामद किया है. विभाग ने पिछले दिनों लगातार 5 दिन तक कंपनी के कार्यालयों पर छापे मारे. आयकर विभाग को छापों के दौरान कंपनी के पास 250 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध संपत्ति मिली. आयकर विभाग का कहना है कि कंपनी पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी और उस के आकलन के आधार पर छापे मारने की योजना बनाई गई. छापे में बरामद दस्तावेजों का आकलन किया जा रहा है.

उधर, मुथूट समूह का कहना है कि उस ने किसी तरह की धांधली नहीं की है. गैरबैकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा हाल के वर्षों में लोगों को लूटने की घटनाएं लगातार हुई हैं. मुथूट समूह रियल एस्टेट का कारोबार भी करता है. अब इस कंपनी में चोरी पकड़े जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि गैरबैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर भरोसा सोचसमझ कर ही किया जाना चाहिए. यह ठीक है कि मुथूट लोगों का सोना ले कर फरार नहीं हुई है लेकिन आयकर में अनियमितता को भी फरार होने से कम नहीं माना जा सकता. पारदर्शी कारोबार जरूरी है, आइडिया अनूठा ही क्यों न हो. सरकार भी लोगों की तिजोरी से सोने को बैंकों के लौकर तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है लेकिन उसे उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल रही है जबकि सोने के बदले कर्ज के कारोबार के आइडिया से इस कंपनी ने खूब तरक्की की.

महिलाओं की वित्तीय भागीदारी पर जोर

विश्व मुद्रा कोष यानी आईएमएफ की अध्यक्ष क्रिस्टाइन लगार्डे ने बजट में महिलाओं को वित्तीय आधार पर मजबूती प्रदान करने के उपाय करने की सलाह दी है. आईएमएफ की प्रमुख बनने से पहले क्रिस्टाइन लगार्डे ने वित्त मंत्री के रूप में जरमनी में लैंगिक आधार पर समानता लाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं. वित्तीय क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़े, इस के लिए उन्होंने जरमनी में कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं के लिए 40 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की थी. इस व्यवस्था के बल पर जरमनी में वित्तीय क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है. आईएमएफ के 80 देशों में वित्तीय क्षेत्र में लिंगभेद समाप्त करने तथा महिलाओं को अधिक अवसर देने संबंधी एक अध्ययन की समीक्षा के दौरान उन्होंने भारत की तारीफ की लेकिन हिदायत भी दी कि लिंगभेद कम करने के लिए महिलाओं को ज्यादा वित्तीय अधिकार देने की बजट में व्यवस्था की जानी चाहिए. जलवायु परिवर्तन को 10वें वित्त आयोग द्वारा संज्ञान में लेने की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि जब जलवायु परिवर्तन को वित्तीय पूल में हिस्सेदार बनाया जा सकता है तो महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए.

उन्होंने उम्मीद जताई कि अगला वित्त आयोग महिलाओं को वित्तीय मजबूती प्रदान करने के लिए बजट में व्यवस्था करने को कहेगा. बाजार नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी कंपनियों को निदेशक मंडल में महिला निदेशक की नियुक्ति का सख्त आदेश पहले ही दे चुका है और बड़े स्तर पर इस आदेश का पालन भी किया जा रहा है.

उर्जित पटेल के नाम से बाजार को मिली ऊर्जा

बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई में वैश्विक बाजारों तथा देश के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े में गिरावट व महंगाई के आंकड़े में 22 माह में सर्वाधिक तेजी रहने के कारण दबाव बना रहा और अगस्त के तीसरे सप्ताह में बाजार की 3 सप्ताह की तेजी पर ब्रेक लगा. इसी बीच, सरकार ने रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर तथा बैंक के मौद्रिक विभाग के प्रभारी उर्जित पटेल को केंद्रीय बैंक का अगला गवर्नर बनाने की घोषणा की तो इस से बाजार में ‘ऊर्जा’ का माहौल बना और निवेशकों में उत्साह

देखने को मिला. सूचकांक बढ़ कर बंद हुआ हालांकि इस दौरान रुपए में कोई सुधार देखने को नहीं मिला. उर्जित पटेल के नाम की घोषणा के बाद बाजार को ऊर्जा मिली और सूचकांक  28 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर पर टिका रहा. इस से करीब 3 सप्ताह पहले बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई थी और उस के बाद सूचकांक लगभग दबाव में ही रहा. इसी दौरान दबाव में चल रहे निवेशकों में उत्साह भरने के लिए अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने और सार्वजनिक खर्च को ले कर सरकार द्वारा उपाय करने संबंधी खबरों ने बाजार पर बने दबाव को कम करने का प्रयास किया. हालांकि वैश्विक माहौल तथा कई कारणों की वजह से बाजार में दबाव की स्थिति पूरी तरह से दूर नहीं हो सकी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें