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दीपा लौटाएंगी तोहफे में मिली BMW!

रियो ओलंपिक में धमाकेदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय जिम्नास्ट दीपा करमाकर तोहफे में मिली बीएमडब्ल्यू कार लौटाने वाली है. दीपा करमाकर ने रियो ओलंपिक में इतिहास रचा था जब वे ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट बनी थीं. वे मामूली अंतर से कांस्य पदक चूकी और उन्हें चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा था.

दीपा को इस शानदार प्रदर्शन पर हैदराबाद जिला बैडमिंटन संगठन के अध्यक्ष वी. चामुंडेश्वरनाथ की तरफ से भारत के पदक विजेता खिलाडि़यों पीवी सिंधु, साक्षी मलिक और सिंधु के कोच पुलेला गोपीचंद के साथ बीएमडब्ल्यू कार प्रदान की गई थी. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के हाथों उन्हें यह कार प्रदान की गई थी.

दीपा के परिजनों से ज्ञात हुआ कि दीपा इस तोहफे को लौटाना चाहती है क्योंकि इतनी महंगी कार को मैंटेन करना उनके लिए आसान नहीं है. उनका परिवार अगरतला में एक छोटे शहर में रहता है जहां उनके लिए इसे चला पाना भी मुश्किल है.

दीपा इस समय नवंबर में जर्मनी में होने वाले एक्सपोजर टूर और चैलेंजर्स कप में हिस्सेदारी को लेकर चल रही अनिश्चितता को लेकर परेशान है. जिम्नास्टिक्स महासंघ ने दीपा के कोच बिश्वेश्वर नंदी को सूचित किया है कि यदि भारत की छह सदस्यीय टीम चैलेंजर्स कप में भाग लेगा तो ही दीपा को उसमें खेलने दिया जाऐगा. नंदी ने कहा कि स्पर्धा में हिस्सेदारी के लिए हमारी कम से कम तीन सदस्यीय टीम को हिस्सा लेना होगा.

BSNL की इस स्कीम से झूम उठेंगे प्रीपेड ग्राहक

सार्वजनिक क्षेत्र की BSNL ने दशहरे और मुर्हरम के मौके पर प्रीपेड ग्राहकों के लिये एक खास पेशकश की है. इसके तहत प्रीपेड ग्राहकों के लिये विशेष टैरिफ वाउचर (एसटीवी) पेश किया गया है जिस पर उन्हें दोगुना डाटा मिलेगा.

भारत संचार निगम लि. (BSNL) ने एक बयान में कहा, ‘त्यौहारों के दौरान देशभर में चार नया डाटा एसटीवी पेश किया गया है. इसकी वैधता 365 दिन है जिसमें 10 से 31 अक्टूबर 2016 तक दोहरा डाटा मिलेगा.’

इस पेशकश के तहत 1,498 रुपये में नौ जीबी डाटा के बदले 18 जीबी डाटा मिलेगा. 2799 रुपये में 18 जीबी के बजाए 36 जीबी और, 3,998 रुपये में 30 जीबी के बदले 60 जीबी और 4,498 रुपये में 40 जीबी के बजाए 80 जीबी डाटा मिलेगा.

BSNL के निदेशक आर के मित्तल ने कहा, ‘कंपनी अपने ग्राहकों भरोसेमंद और सस्ती सेवाएं देने के लिये प्रतिबद्ध है.’

कीवियों का सफाया, लगी रिकॉर्ड की झड़ियां

भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज को क्लीन स्वीप कर दिया है. इंदौर टेस्ट में चौथे दिन भी रविचंद्रन अश्विन की फिरकी का ही जादू चला और न्यूजीलैंड की पूरी टीम 153 पर ढेर हो गई.

भारत ने आखिरी टेस्ट मैच में 321 रनों की जीत दर्ज की. यह रनों के लिहाज से भारत की दूसरी सबसे बड़ी जीत है. मेहमान टीम को जीत के लिए 475 रनों का टारगेट मिला था.

बतौर कप्तान विराट कोहली की ये 10वीं जीत है. भारत इसके साथ ही पाकिस्तान (111 अंक) को पीछे छोड़कर 115 अंक के साथ आधिकारिक रूप से आईसीसी टेस्ट टीम रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गया. पाकिस्तान ने अगस्त में भारत को ही पीछे छोड़कर नंबर एक रैंकिंग हासिल की थी.

इंदौर टेस्ट में जीत के हीरो अश्विन रहे. करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी करते हुए उन्होंने दूसरी पारी में सात विकेट लिए, जबकि पहली पारी में छह खिलाड़ियों को आउट किया था. 27 विकेट लेकर अश्विन मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज बने. चौथे दिन चेतेश्वर पुजारा की सेंचुरी खास रही.

भारत ने तीन या इससे अधिक टेस्ट मैचों की सीरीज में चौथी बार क्लीन स्वीप किया है. इससे पहले टीम इंडिया ने 1992-93 में इंग्लैंड को 3-0, 1993-94 में श्रीलंका को भी 3-0 और 2012-13 में आस्ट्रेलिया को 4-0 से हराया था. भारत की रनों से लिहाज से सबसे बड़ी जीत 337 रन की है, जो उसने पिछले साल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दिल्ली में हासिल की थी.

इंदौर के होल्कर स्टेडियम में जीत के साथ ही घरेलू सरजमीं पर टीम इंडिया ने जीत का एक नया रिकॉर्ड बना दिया है. यह न केवल भारतीय पिचों पर विराट कोहली की कप्तानी में छठी टेस्ट जीत है बल्कि इसके साथ ही टीम इंडिया ने किसी भी टेस्ट टीम के खिलाफ अपनी सरजमीं पर सबसे अधिक टेस्ट मैच जीतने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

इस टेस्ट मैच में जीत के साथ ही भारतीय पिचों पर इंग्लैंड के खिलाफ 15 टेस्ट मैचों में जीत का रिकॉर्ड तोड़ दिया. यह न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत की 16वीं जीत है.

इंदौर में भारतीय कप्तान विराट कोहली ने अपनी कप्तानी में भारत को 17वें टेस्ट में 10वीं जीत दिलाई तो घरेलू मैदानों पर विराट की सफलता का औसत 85 फीसदी से ऊपर जा पहुंचा. घरेलू सरजमीं पर विराट की कप्तानी में टीम सातवां टेस्ट खेल रही थी.

इंदौर के ऐतिहासिक टेस्ट में जीत के साथ ही 3-0 से सीरीज क्लीन स्वीप करने वाली टीम इंडिया ने अपने कारनामे से क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक को एक बार फिर एडिट करने पर मजबूर कर दिया.

यह टीम इंडिया का 502वां टेस्ट मैच था. भारतीय टीम की यह 132वीं जीत रही. घरेलू सरजमीं पर 251वें टेस्ट में 90वीं जीत.

भारतीय पिचों पर पिछले 28 सालों से न्यूजीलैंड एक अदद टेस्ट जीत को तरस रहा है. अपने घरेलू मैदानों पर न्यूजीलैंड के खिलाफ 34 टेस्ट में 16वीं जीत थी. न्यूजीलैंड भारत में अब तक केवल दो टेस्ट जीत सका है. यह न्यूजीलैंड के खिलाफ 57वें टेस्ट में 21वीं जीत है.

पूर्व टेस्ट कप्तानों नवाब पटौदी और सुनील गावस्कर के जीत के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए चौथे सबसे सफल भारतीय टेस्ट कप्तान बन गए हैं. उनसे ऊपर 21 जीत के साथ सौरव गांगुली और 14 जीत के साथ मोहम्मद अजहरुद्दीन हैं जबकि महेंद्र सिंह धोनी 27 टेस्ट जीत के साथ भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान हैं.

इंदौर में न्यूजीलैंड को हराने के साथ ही भारतीय टीम ने 3-0 से सीरीज जीत ली. पहली बार विराट की कप्तानी में टीम इंडिया ने टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप किया. हालांकि यह भारतीय टीम का ओवरऑल चौथा क्लीन स्वीप है. इससे पहले अजहर ने दो बार (श्रीलंका और इंग्लैंड के खिलाफ) जबकि धोनी ने एक बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐसी बड़ी कामयाबी दर्ज की थी.

घरेलू मैदान पर विराट की यह लगातार चौथी सीरीज जीत है. इससे पहले भारत ने विराट की कप्तानी में 2015 में श्रीलंका को 2-1, 2015-16 में साउथ अफ्रीका को 3-0, 2016 में वेस्टइंडीज को 2-0 से हराया.

इस मैच को जीतने के साथ ही होल्कर स्टेडियम में भी भारत का रिकॉर्ड 5-0 का हो गया है. भले ही यह इस मैदान पर पहला टेस्ट मैच था लेकिन इससे पहले यहां चार वनडे खेले जा चुके हैं और वो चारों ही मैच भारतीय टीम की झोली में गिरे.

इंदौर का नाम मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, लखनऊ और नागपुर के साथ जुड़ गया क्योंकि इन सभी शहरों में एक से अधिक स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेली जा चुकी है. इंदौर में भी नेहरू स्टेडियम पहले से मौजूद है जिसमें अब तक नौ वनडे मैच खेले जा चुके हैं. इंदौर में खेले गए पहले टेस्ट मैच के साथ ही होल्कर स्टेडियम भारत का 22वां टेस्ट मैदान भी बना.

होल्कर स्टेडियम में अब तक केवल भारतीय खिलाड़ियों ने ही शतक लगाए हैं. इस पहले टेस्ट में विराट कोहली (213) के दोहरे शतक के साथ ही अजिंक्य रहाणे और दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा ने शतक जड़े. जबकि इस टेस्ट से पहले खेले गए दो वनडे मैचों में यहां वीरेंद्र सहवाग (219) और युवराज सिंह (118) शतक बना चुके हैं.

इमरान और जैक कैलिस को पछाड़ नंबर-2 पर पहुंचे अश्विन. भारतीय उपमहाद्वीप पर अश्विन लगातार अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. इस सीरीज में 27 विकेट चटकाने के साथ ही एक बार फिर मैन ऑफ द सीरीज रहे. अश्विन अब तक 7वीं बार मैन ऑफ द सीरीज बन चुके हैं.

इतना ही नहीं यह अश्विन का सातवां मैन ऑफ द मैच अवार्ड भी था. वो रवि शास्त्री, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, हरभजन सिंह, क्लाइव लॉयड, वकार यूनिस, एलिस्टेयर कुक, जावेद मियांदाद सरीखे खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए माइकल क्लार्क, एडम गिलक्रिस्ट, गैरी कर्स्टन, जवागल श्रीनाथ जैसे पूर्व क्रिकेटरों के साथ 11वें स्थान पर पहुंच गए हैं. गौरतलब है कि टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 22 मैन ऑफ द मैच पाने का रिकॉर्ड जैक कैलिस के नाम है.

चेतेश्वर पुजारा भी इस टेस्ट के साथ ही एक खास क्लब से जुड़ गए हैं. उन्होंने इस सीरीज में कुल 450 से अधिक रन बनाए. तीन मैचों की सीरीज में भारत के लिए यह केवल तीसरे क्रिकेटर हैं जिन्होंने 450 से अधिक रन बनाए हैं. इससे पहले तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में मोहिंदर अमरनाथ और राहुल द्रविड़ यह कारनामा कर चुके हैं.

IT डिपार्टमेंट के नोटिस से काले धन वाले हैरान

टैक्स डिपार्टमेंट के सामने गड़बड़झाले का एक नया पिटारा खुल गया है. करीब 10 दिनों पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच इकाई ने मुंबई में कम-से-कम पांच लोगों को नोटिस भेकर कहा था कि वे चार टैक्स हेवेंस यानी जर्सी, गुएर्नसे, आइल ऑफ मैन और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में अपनी विदेशी कंपनियों और फाइनैंशियल स्ट्रक्चर्स की जानकारी दें. ये नोटिस इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 131 के तहत भेजे गए थे. यह सेक्शन छिपाई गई आमदनी के बारे में सबूत जुटाने से जुड़ा है.

विभाग के कदम ने संबंधित लोगों और उनके फाइनैंशियल अडवाइजर्स को सन्न कर दिया है जो अब यह अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि टैक्स अधिकारियों को उनके बारे में जानकारी कैसे मिली. पनामा पेपर्स या एचएसबीसी जिनेवा अकाउंट्स के मामलों से उलट अब तक ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है, जिसमें कहा गया हो कि लॉ फर्मों, बैंकों या इन टैक्स हेवेंस में दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स के सर्वर्स में हैकरों ने सेंध लगाई है. इन जगहों के साथ भारत ने भले ही सूचना साझेदारी के समझौते किए हों, टैक्स विभाग टैक्स हेवेंस से कोई सूचना तभी हासिल कर सकता है, जब वह भारत में टैक्स कानूनों के उल्लंघन के संदेह में किसी व्यक्ति के बारे में खास सवाल करे.

मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने ईटी को बताया, 'इन पांचों लोगों के पास इन जगहों पर कंपनियां और ट्रस्ट स्ट्रक्चर्स हैं. हालांकि इनमें से किसी के मामले में टैक्स सर्वे, रेड या जांच का कदम नहीं उठाया गया है. विभाग को किसी तरह सूचना मिल गई, लेकिन हमें स्रोत का पता नहीं. इससे ऐसे कई लोगों में खलबली मच गई है, जिन्होंने पिछले साल की ब्लैक मनी स्कीम में खुलासा नहीं किया था. चूंकि सूचना लीक हुए किसी डेटा पर आधारित नहीं है, लिहाजा आरोपी इस आधार पर अपना बचाव नहीं कर सकते हैं कि सूचना चुराई गई है और इसलिए उसे अदालत में सबूत के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है.'

विभाग के नोटिस का जवाब देने के बाद संबंधित व्यक्ति को टैक्स ऑफिस में बुलाया जाता है, जहां उसका हलफनामा लिया जाता है.

टैक्स और फॉरन करेंसी नियमों के इसी तरह के उल्लंघन के मामलों में विभाग को सलाह दे चुके एक सीनियर लॉयर ने कहा, 'नोटिस पाने वाले सभी पांच लोग कमोडिटीज और मैन्युफैक्चर्ड गुड्स के एक्सपोर्टर हैं. विदेश में रखी गई रकम आमतौर पर कमीशन इनकम के रूप में दिखाई जाती है और कहा जाता है कि एक्सपोर्ट ऑर्डर्स हासिल करने में मदद देने वाले विदेशी बिचौलियों को वह पैसा चुकाया गया. हालांकि ज्यादातर मामलों में ऐसे बिचौलियों की भूमिका में एक्सपोर्टर्स की फर्जी कंपनियां ही होती हैं.' इन चार टैक्स हेवेंस में बनाई गई विदेशी कंपनियों की लिस्ट में इन पांच लोगों के नाम कंपनियों के शेयरहोल्डर्स के रूप में भी दर्ज नहीं हैं.

मायावती की रणनीति: ब्राहमण तो बहाना, मुस्लिमों पर निशाना

भाजपा ने जब पाकिस्तान के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करने की योजना पर काम किया तो बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने अपनी रणनीति बदल दी. सर्जिकल स्ट्राइक के पहले मायावती ‘दलित ब्राहमण गठजोड़’ की बात कर रही थीं, अब वह ‘दलित मुस्लिम गठजोड़’ को सफल बनाने की दिशा में जुट गई हैं.

कांशीराम के परिर्निवाण दिवस के मौके पर रैली में मायावती ने करीब 90 मिनट का अपना भाषण दिया. जिससे बसपा की आगे की रणनीति का खुलासा हुआ. मायावती की इस रैली में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से मुस्लिम महिलाओं को रैली में लाया गया था. इनको रैली में अलग से बैठाया गया. जिससे मुस्लिम महिलाओं की संख्या को दिखाया जा सके. अपने भाषण में मायावती ने मुसलिमों को कई बार पुचकारा तो कई बार डराया भी.

असल में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भाजपा ने ‘मोदी का नाम और सेना का काम’ योजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया है. शुरूआती दौर में भाजपा को देश के भीतर लोगों से जिस तरह से समर्थन मिला उसके बाद से भाजपा में उत्साह है. उत्तर प्रदेश में चुनावी साल है. यहां भाजपा ने इस योजना को तेजी से आगे बढ़ाने की तैयारी की है.

रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर का जिस तरह से सम्मान समारोह किया गया उससे यह साफ हो गया कि भाजपा सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण कर रही है. ऐसे में बसपा ने इसका जवाब देने की योजना बनाई और मुसलिमों को अपनी ओर खिंचने के लिये ‘दलित मुस्लिम गठजोड़’ की बात शुरू की.

मायावती का सोचना है कि दलित-मुसिलम गठजोड़ अकेले 40 फीसदी से बड़ा वोट बैंक है. कागजी आंकड़ेबाजी देखें तो मायावती की बात में दम है. जमीनी स्तर पर देखे तो अब दलित मायावती के साथ एकजुट नहीं रह गया है. उसमें बहुत सारी जातियां बसपा से टूट चुकी हैं.

मुस्लिम मायावती पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं कर सकता. दलित जातियों में से बहुत सारे लोग अब पुरानी मनुवादी सोंच छोड चुके है. वह हिन्दू रीति रिवाज और पाखंड को अपना चुके है. ऐसे में वह हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे पर बसपा के साथ खड़े नहीं होंगे.

यह बात सच है कि मुसलिमों का भाजपा के प्रति सहज लगाव नहीं है. पर बसपा से पहले मुस्लिम सपा और कांग्रेस के पक्ष में सोचता है. मायावती को लगता है कि सपा के घरेलू विवाद और कांग्रेस के संगठन के कमजोरी का लाभ बसपा को मिलेगा.

मुसलिमों को लगेगा कि बसपा ही भाजपा के रोक सकती है. ऐसे में वह उनके पाले में खड़ा होगा. जब बात धर्म की आयेगी तो दलित मुस्लिम के साथ खड़ा नहीं होगा. जो मायावती के लिये चुनौती भरा काम होगा.

मुस्लिम को लगता है कि सर्जिकल स्ट्राइक की नहीं तीन तलाक जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा अपना हिन्दूवादी एजेंडा लागू कर रही है. ऐसे में अब वह नई सोंच में है. कांग्रेस के कमजोर होने से उसकी चिंतायें और भी बढ़ गई है.

भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के गालीकांड के बाद मायावती का मन ऊंची जतियों से उचट गया है. ऐसे में वह दलित-मुस्लिम गठजोड़ से उम्मीद कर रही हैं. यह दोधारी तलवार है. मुस्लिम का राग अलापने में दलित दूर हो सकता है.

आज का दलित ऊंची जातियों से अधिक कर्मकांडी हो गया है.उसे लगता है कि समाज में आगे रहना है तो कर्मकांड में बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी करना जरूरी है. दलितों की यह सोंच मायावती की राह में कांटा बन सकती है.

पहले सामाजिक सुधारों की दिशा में काम करने वाले लोग दलितों को पाखंड और कर्मकांड के खिलाफ जगारूक करते थे. मायावती ने ऐसे सामाजिक संगठनों का साथ नहीं दिया.जिससे अब वह हाशिये पर है और दलित चेतना का काम बंद हो चुका है.       

‘रईस’ से माहिरा हुई रिप्लेस

कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि रितेश सिद्धवानी व फरहान अख्तर की कंपनी ‘एक्सेल इंटरटेनमेट’ द्वारा निर्मित फिल्म ‘रईस’ के प्रदर्शन की तारीख बदल दी गयी है. अब यह फिल्म 27 जनवरी 2017 को नहीं रिलीज होगी. ज्ञातब्य है कि फिल्म ‘रईस’ में शाहरुख खान के साथ पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान मुख्य भूमिका में हैं.

अब फिल्म के प्रदर्शन के टलने की वजह इसका पुनः फिल्मांकन किया जाएगा. सूत्रों की मानें तो उरी पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों के खिलाफ बने माहौल के चलते फिल्म ‘रईस’ के निर्माता रितेश सिद्धवानी को बड़े दुखी मन से अपनी फिल्म ‘रईस’ से माहिरा खान को हटाने का निर्णय लेना पड़ा है.

अब निर्माता माहिरा खान की जगह किस भारतीय कलाकार को शामिल करें, इस पर विचार कर रहे हैं. नई अभिनेत्री का नाम तय होने के बाद उन्हें फिल्म को पुन फिल्माना पड़ेगा. क्योंकि फिल्म ‘रईस’ की शूटिंग तो काफी समय पहले ही पूरी हो गयी थी.

‘मिर्जिया’ के बुरी तरह से असफल होने पर उठे सवाल

राकेश ओम प्रकाश मेहरा निर्देशित फिल्म ‘मिर्जिया’ का बॉक्स ऑफिस पर जो हश्र हुआ, उसने बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं. ‘मिर्जिया’ से उषा किरण की पोती सैयामी खेर के साथ अनिल कपूर के बेटे व सोनम कपूर के भाई हर्षवर्धन कपूर ने बौलीवुड में अपने अभिनय करियर की शुरूआत की है.

हजारों वर्ष पुरानी मशहूर प्रेम कथा ‘मिर्जा साहिबां’ पर आधारित फिल्म ‘मिर्जिया’ भी प्रेम कहानी ही है, मगर इस फिल्म की दो कमजोर कड़ियां रहीं हर्षवर्धन कपूर और फिल्म के लेखक व गीतकार गुलजार.

फिल्म ‘मिर्जिया’ को सफल बनाने के लिए हर्षवर्धन कपूर के पूरे परिवार के  साथ साथ आधे से ज्यादा बौलीवुड ने एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए डेढ़ दो माह तक सोशल मीडिया पर हर्षवर्धन की तारीफों के पुल बांधते रहे. कपूर खानदान ने हर्षवर्धन कपूर को स्टार साबित करने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी.

अमिताभ बच्चन से लेकर लगभग हर दिग्गज कलाकार ने सोशल मीडिया पर हर्षवर्धन के अभिनय की तारीफ करते हुए बहुत कुछ पोस्ट किया. अनिल कपूर ने मीडिया के सामने दावा किया था कि बौलीवुड में हर्षवर्धन कपूर जैसा कलाकार अब तक नहीं आया है और अनिल कपूर का यह भी दावा था कि हर्षवर्धन कपूर बहुत बड़ा स्टार कलाकार है. पर उनके दावे की पोल खुल चुकी है.

पर जब फिल्म प्रदर्शित हुई, तो बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने पानी भी नहीं मांगा. मजेदार बात यह है कि शुक्रवार यानी कि प्रदर्शन के पहले दिन इस फिल्म ने दो करोड़ बीस लाख जुटाए. जबकि दूसरे दिन यानी कि शनिवार को छुट्टी का दिन होते हुए भी यह फिल्म दो करोड़ दस लाख ही कमा पायी. जबकि अमूमन होता यह है कि पहले दिन की बनिस्बत दूसरे व तीसरे दिन हर फिल्म ज्यादा कमाती है.

इससे यह बात साफ तौर पर उभरती है कि पहले दिन जिन लोगों ने फिल्म देखकर अपनी राय अपनी मित्र मंडली तक पहुंचायी, उससे दर्शक इस फिल्म से दूर होते गए. परिणामतः दूसरे दिन छुट्टी होने के बावजूद फिल्म का हाल बुरा हुआ. इतना ही नहीं हर्षवर्धन कपूर तो अपनी बहन सोनम के सामने भी नहीं ठहर पाए. सोनम कपूर की पहली असफल फिल्म ‘सांवरिया’ ने पहले दिन चार करोड़ रूपए से अधिक कमाए थे.

राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने फिल्म ‘मिर्जिया’ काफी भव्य स्तर पर बनाया है. फिल्म का एक एक दृष्य आंखों को भाता है. मगर फिल्म की कहानी इतनी लचर है कि वह दर्शक को बांध नहीं पायी. बतौर निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने हर दृष्य को बहुत बेहतरीन तरीके से फिल्माया है. मगर गुलजार की लेखनी इस बार कमाल नहीं दिखा पायी.

हर किसी का मानना है कि गुलजार की पटकथा बहुत कमजोर है. जिसके चलते निर्देशक कुछ नहीं कर पाया. बौलीवुड के कुछ सूत्र कहते है कि पिछले सत्रह वर्षों से गुलजार ने पटकथा लिखने से तोबा कर ली थी. तो अचानक जब वह लिखेंगे, तो वह धार कहां से आएगी? इसके अलावा कुछ लोग पूरी पटकथा को पीढ़ी के अंतर के रूप में भी देख रहे हैं.

वास्तव में इस आधुनिक युग में नई पीढ़ी का प्यार कॉफी डे से शुरू होकर कॉफी डे पर ही खत्म हो जाता है. गुलजार ने जब सुचि व आदिल या मोसीन की प्रेमकथा लिखी तो वह वर्तमान पीढ़ी की इस सोच को नजरंदाज कर गए. इसी वजह से वर्तमान युवा पीढ़ी इस प्रेम कहानी के संग रिलेट नही कर पा रही है.

वर्तमान युवा पीढ़ी के गले यह बात नहीं उतर रही है कि विदेश में पली सुचि जब राजकुमार करण से प्यार करती है और वह करण से शादी करने को भी तैयार है, फिर भी वह अपने बचपन के प्यार को नहीं भूली और अचानक वह बचपन के प्रेमी से मिलते ही उसकी तरफ हो जाती है.

इतना ही नहीं गुलजार की लेखनी की कमी कहें या हषवर्धन कपूर के अभिनय की कमी कहें,सुचि व आदिल के बीच रोमांस की केमिस्ट्री उभर ही नहीं पाती है. शायद इस बात को हर्षवर्धन कपूर समझ चुके थे, इसीलिए हमसे बात करते हुए हर्षवर्धन कपूर ने सैयामी के साथ अपनी केमिस्ट्री की चर्चा करते हुए कहा था, ‘‘सैयामी मेरी तरह मुंबई जैसे बड़े शहर की लड़की नहीं है, वह नासिक से है, तो इसका असर पड़ता है. मेरी व उनकी परवरिश में बहुत बड़ा अंतर है.

हम शहरी युवक बंदिश वाली जिंदगी जीते हैं. हमारे पास आउटडोर गतिविधियों के लिए कोई जगह या साधन नहीं है. जबकि नासिक में यह सब बहुत उपलब्ध है. काश, मुझे भी सयामी जैसे अवसर मिलते. देखिए एक दृष्य के लिए हम दोनों मेहनत करते हैं, पर हम दोनों के मेहनत करने का तरीका अलग है. मुझे दृष्य के साथ बैठना पडता. मेरी तरह वह मैथड अभिनय को नही अपनाती. वह जो अहसास करती है,उसे ही परफार्म करती है. वह बहुत ही ज्यादा स्पॉन्टेनियस कलाकार है. जबकि मैं हर सीन पर बहुत सोचता हूं.’’

अफसोस की बात यह है कि हर्षवर्धन कपूर ही कमजोर कड़ी साबित हुए. उनकी चार वर्ष की अमरीका की फिल्म पटकथा लेखन व अभिनय की पढ़ाई के अलावा उन्हे तैयार करने के लिए राकेष ओम प्रकाश मेहरा द्वारा उठाए गए सारे कदम धराषशाही हो गए.

उधर आज राकेश ओम प्रकाश मेहरा उन लोगों को कोस रहे होंगे, जिन्होंने ‘मिर्जिया’ को लेकर सोशल मीडिया पर तारीफों के पुल बांधे थे. राकेश ओम प्रकाश मेहरा सोशल मीडिया के पक्षधर नही है. पिछले दिनों एक मुलाकात के दौरान राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने सोशल मीडिया की चर्चा करते हुए कहा था, ‘‘सोषल मीडिया से जुड़ाव बढ़ाकर लोगो ने बंदर के हाथ में उस्तरा थमा दिया है, जो कि अपना ही गला काटेगा. समाचार पत्र से बेहतर कोई साधन नहीं. पर ज्यादातर अखबार अब मीडियानेट हो गए हैं. मीडिया नेट वही खरीद पाता है,जिनके पास पैसा हो. फिर चाहे वह कलाकार हो या फिल्मकार हो. जिनके पास पैसा नहीं है, वह सोशल मीडिया पर ही प्रचार कर रहे हैं. पैसा देकर कलाकार या कुछ निर्माता निर्देशक हर दिन अपने बारे में,खबरें छपवा रहा है. कुछ लोग सोशल मीडिया पर अपनी फिल्म को लेकर सब कुछ बक रहे हैं. यह लोग भूल गए कि सिनेमा, सिनेमा के लिए बना है. उपन्यास पढ़कर ही मजा आएगा. इसलिए सस्पेंस खत्म न करें, पर लोग अपने सिनेमा का सस्पेंस खत्म करने पर आमादा हैं. सोशल मीडिया पर कभी भी कुछ भी कमेंट कर देता है. मैंने अपने कलाकारों पर पाबंदी लगा दी है. सेलेब्रिटी को सोशल मीडिया पर नहीं आना चाहिए. पर वह खुद ही सोशल मीडिया पर अपने आपको सेलीब्रेट कर रहे हैं.’’

राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने सोशल मीडिया को लेकर जो कुछ कहा था,वह बात कुछ हद तक हर्षवर्धन कपूर के संदर्भ में एकदम खरी उतरती है.

बहरहाल, अब बॉलीवुड का एक तबका मान रहा है कि फिल्म ‘मिर्जिया’ व हर्षवर्धन कपूर की तारीफों के पुल सोशल मीडिया पर बांधने वालों ने हर्षवर्धन के करियर में कील ठोंकने का काम किया है.

जबकि बौलीवुड का एक तबका मानकर चल रहा है कि सोषल मीडिया पर हर्षवर्धन की अभिनय क्षमता के कसीदें पढ़ने वालों ने तो अनिल कपूर या सोनम कपूर के साथ अपने संबंध ही निभाए हैं. इसी के साथ बौलीवुड में यह चर्चा गर्म है कि अब बौलीवुड को समझ लेना चाहिए कि सोशल मीडिया पर अपनी पीठ थपथपाने या अपने गाल पर थप्पड़ मार कर गाल लाल कर लेने से आप महान नहीं बन सकते और न ही खुशियां पा सकते हैं.

रामू व मनोज का 15 वर्ष बाद मिलन

फिल्मकार राम गोपाल वर्मा पिछले काफी समय से असफलता का स्वाद चखते आ रहे हैं. पर अब वह हर हाल में सफलता के पायदान को छूना चाहते हैं. इसीलिए अब वह अपनी सफलतम फिल्म ‘‘सरकार’’ फ्रेंचाईजी का तीसरा सिक्वल ‘‘सरकार 3’’ बनाने जा रहे हैं.

‘‘सरकार 3’’ में मुख्य भूमिका निभाने के लिए राम गोपाल वर्मा ने ‘सरकार’ के सरकार यानी कि अमिताभ बच्चन को अनुबंधित किया है. मगर वह ‘सरकार 3’ को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाने के हर तिकड़म भिड़ा रहे हैं.

इसी के चलते राम गोपाल वर्मा ने अपनी 1998 की सफलतम फिल्म ‘‘सत्या’’ के भीखू म्हात्रे यानी कि मनोज बाजपेयी को भी अमिताभ बच्चन के  साथ काम करने के लिए ‘‘सरकार 3’’ से जोड़ा है.

राम गोपाल वर्मा के इस कदम पर बौलीवुड के सूत्रों का मानना है कि राम गोपाल वर्मा ने मजबूरी में दुश्मन के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है.

राम गोपाल वर्मा को लग रहा है कि अमिताभ बच्चन और मनोज बाजपेयी की जोड़ी उनके लिए लक्की साबित होगी. इससे पहले अमिताभ बच्चन और मनोज बाजपेयी ‘अक्स’,‘आरक्षण’ और ‘सत्याग्रह’ जैसी सफल फिल्में एक साथ कर चुके हैं.

मनोज बाजपेयी को बौलीवुड में पहचान दिलाने का श्रेय भी राम गोपाल वर्मा निर्देशित फिल्म ‘‘सत्या’’ को ही जाता है. मनोज बाजपेयी ने उसके बाद राम गोपाल वर्मा के साथ ‘कौन’ व ‘शूल’ की थी.

मगर राम गोपाल वर्मा के साथ मनोज बाजपेयी के संबंध 2002 में उस वक्त खराब हो गए थे, जब मनोज बाजपेयी ने रजत मुखर्जी के निर्देशन में ‘रोड’ फिल्म की थी. इस फिल्म के राम गोपाल वर्मा केवल निर्माता थे.

सूत्रों की माने तो ‘रोड’ के बाद राम गोपाल वर्मा ने कई फिल्मों का निर्माण व निर्देशन किया, मगर उन्होने मनोज बाजपेयी से दूरी बनाकर रखा. यदि ‘सरकार’को छोड़ दें, तो राम गोपाल वर्मा की ज्यादातर फिल्में बाक्स आफिस पर बुरी तरह से असफल रहीं.

बहरहाल,अब पूरे 15 वर्ष बाद राम गोपाल वर्मा ने मनोज बाजपेयी के साथ हाथ मिलाने का निर्णय लिया है. अब लोग इसे मजबूरी में दुश्मन को गले लगाना कहें या फिर ‘प्यार व व्यापार में सब जायज’ कहें.

आशुतोष गोवारीकर को अब अभिनय का सहारा

आशुतोष गोवारीकर ने बौलीवुड में अपने करियर की शुरूआत 1984 में केतन मेहता की फिल्म ‘होली’ में बतौर अभिनेता की थी. उसके बाद उन्होंने ‘सर्कस’, ‘सीआईडी’ सीरियलों के अलावा ‘नाम’, ‘चमत्कार’ सहित कई फिल्मों में अभिनय किया. पर अभिनय की गाड़ी को रफ्तार न पकड़ते देख आशुतोष गोवारीकर ने 1993 में ‘पहला नशा’ फिल्म निर्देशित कर निर्देशन के क्षेत्र में कदम रख दिया.

फिल्म ‘लगान’ ने उन्हें निर्देशक के तौर पर एक पहचान दिलायी. लेकिन अफसोस की बात यह रही कि ‘लगान’ के बाद उनकी किसी भी फिल्म ने सफलता नहीं बटोरी. हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ ने तो उनको काफी नुकसान  पहुंचाया. सूत्रों की माने तो फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ की असफलता ने आशुतोष गोवारीकर को पुनः अभिनय की तरफ मोड़ दिया.

मजेदार बात यह है कि एक वक्त वह था जब आशुतोष गोवारीकर ने प्रियंका चोपड़ा को फिल्म ‘व्हाट इज योर राशि’ में अभिनय करने का अवसर दिया था, और अब प्रियंका चोपड़ा ने अपनी होमप्रोडक्षन की मराठी भाषा की फिल्म ‘वेंटीलेटर’ में अभिनय करेन का अवसर दिया है, जिसका निर्देशन ‘सफारी की सवारी’ जैसी सफलतम हिंदी फिल्म के निर्देशक राजेश मपुस्कर ने निदेर्शित किया है.

यह एक अलग बात है कि फिल्म ‘वेंटीलेटर’ के निर्देशक राजेश मपुस्कर का दावा है कि उन्होंने ही आशुतोष गोवारीकर को अपनी फिल्म में अभिनय करने के लिए तैयार किया. वह कहते हैं, ‘‘आशुतोष के पास समय नहीं था. वह तो अपनी फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ में व्यस्त थे. पर मुझे अपनी फिल्म ‘वेंटीलेटर’ के एक किरदार के लिए वही चाहिए थे. इसलिए मैंने उनसे कई बार निवेदन किया. जब वह तैयार हुए, तो मैं खुश हो गया. अब जबकि फिल्म प्रदर्शन के लिए तैयार है, तो मैं कह सकता हूं कि आशुतोष गोवारीकर ने जबरदस्त परफार्मेंस दी है.’’

वैसे यह कोई नई बात नहीं है. कई असफल फिल्में निर्देशित करने के बाद अनुराग कश्यप भी फिल्म ‘अकीरा’ में विलेन के किरदार को निभाते हुए यानी कि अभिनय करते हुए नजर आए हैं. फिलहाल बतौर निर्देशक आशुतोष गोवारीकर कुछ कर भी नहीं रहे हैं, तो अभिनय ही सही.

5G नेटवर्क के बारे में ये बाते जानते हैं आप?

अगर आपको आपके फोन में मौजूदा 4G नेटवर्क से 20 गुना ज्यादा इंटरनेट स्पीड मिले तो क्या होगा? ये बात अभी चौंकाने वाली जरूर लग सकती है लेकिन चीन, जापान और साउथ कोरिया जैसे देश इसे सच करने में जुटे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं 5जी नेटवर्क की. आगे जानिए 5G नेटवर्क के बारे में ये बातें…

– 5G यूजर्स को 4G नेटवर्क से 20 गुना ज्यादा स्पीड मिलेगी. इस स्पीड का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं एक पूरी एचडी फिल्म सिर्फ 1 सेकंड में डाउनलोड की जा सकेगी.

– 5G यूजर्स को भीड़ में भी अपने मोबाइल प्रोवाइडर से कनेक्ट होने में 3G और 4G नेटवर्क्स के मुकाबले कोई दिक्कत नहीं होगी.

– एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट तक डेटा का एक पैकेट पहुंचने में जितना समय लगता है उसे लेटेंसी कहते हैं. 5G के केस में, लेटेंसी रेट 1 मिलिसेकंड होगा जबकि 4G नेटवर्क में यह रेट 10 मिलिसेकंड होता है.

– 5G नेटवर्क के अडवांस्ड ऐप्लीकेशन के रूप में आप स्व:चलित गाड़ियों को नियंत्रित कर सकेंगे. ये गाड़ियां 5G नेटवर्क के जरिए नियंत्रित की जा सकेंगी.

– 5G का कमर्शल इस्तेमाल 2020 से होने की संभावना है. हालांकि, साउथ कोरिया ने 2018 के विंटर ओलिंपिक्स तक इसे शुरू करने का लक्ष्य रखा है.

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