Download App

फेसबुक ने कंपनियों के लिए लॉन्च किया ‘वर्कप्लेस’

सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने अपने नए फीचर ‘वर्कप्लेस’ का कमर्शियल लॉन्च किया है. कंपनी इससे दुनिया की सभी कंपनियों को वर्कप्लेस में फेसबुक के इस्तेमाल का मेसेज देना चाहती है. ऑफिशल कम्यूनिकेशन में आमतौर पर ईमेल का इस्तेमाल होता है. फेसबुक इसे ‘वर्कप्लेस’ से बदलना चाहती है. भारत इस नए टूल का इस्तेमाल करने में दूसरे देशों से आगे है.

फेसबुक फॉर वर्क को कंपनी ने वर्कप्लेस का नाम दिया है. इसे कंपनी ने पायलट प्रॉजेक्ट के तहत 18 महीने पहले लॉन्च किया था. इस टूल का इस्तेमाल अभी स्टारबक्स से डेनॉन, भारत में गोदरेज से लेकर यस बैंक, सिंगापुर की गवर्नमेंट टेक्नोलॉजी एजेंसी और ऑटो रिक्शा एग्रीगेटर जुगनू, लॉजिस्टिक कंपनी डेलीवेरी में हो रहा है. फेसबुक ऐट वर्क के एशिया पैसिफिक हेड रमेश गोपालकृष्ण ने कहा, ‘फेसबुक यूज करने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है. यह सिंपल है. भारत में पहले से ही 16 करोड़ लोग हमारे यूजर्स हैं. हम इसका फायदा उठाना चाहते हैं.’

फेसबुक ऐट वर्क को 1,000 से ज्यादा कंपनियों ने अपनाया है. वर्कप्लेस यूजर्स में भारत के बाद नॉर्वे, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का नंबर है. फेसबुक ने वर्कप्लेस को सोमवार से सभी कंपनियों के लिए खोल दिया. जो कंपनियां अब फेसबुक की इस सर्विस का इस्तेमाल करना चाहती हैं, उन्हें पहले 1,000 मंथली ऐक्टिव यूजर्स के लिए प्रति यूजर 3$, 1,001 से 10,000 मंथली यूजर्स के लिए प्रति यूजर 2$ और 10,000 से अधिक मंथली यूजर के लिए 1$ प्रति यूजर के हिसाब से पेमेंट करना होगा.

एंटरप्राइज सेगमेंट में फेसबुक की एंट्री देर से हुई है. ऑफिस स्पेस में दूसरी कंपनियां भी जोर-आजमाइश कर रही हैं. इनमें माइक्रोसॉफ्ट के यमर और फेसबुक के वॉट्सएप जैसे प्रॉडक्ट्स शामिल हैं. ये दोनों छोटी कंपनियों में पॉप्युलर हैं. फेसबुक ने एक बयान में कहा, ‘वर्कप्लेस का एक्सपीरियंस फेसबुक अकाउंट जैसा है. इसमें लाइव, रिऐक्शन, सर्च और ट्रेंडिंग पोस्ट जैसे फीचर्स हैं. आप इसके जरिए अपने ऑफिस मित्र के साथ दुनियाभर में कही भी रियल टाइम में चैट कर सकते हैं.’

कंपनी के मुताबिक एंप्लॉयी के फेसबुक अकाउंट से वर्कप्लेस बिल्कुल अलग है. वर्कप्लेस में खुद का चैट ऐप ‘वर्कचैट’ है. यह मोबाइल डिवाइस और डेस्कटॉप दोनों के लिए अवेलेबल है. स्टरलाइट पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड एक महीने से ‘फेसबुक एट वर्क’ का इस्तेमाल कर रही है. कंपनी के मुताबिक इससे उसके इंटरनल कम्यूनिकेशन में सुधार हुआ है. इस समय कंपनी के 97 पर्सेंट एंप्लॉयीज इस प्लैटफॉर्म पर एक्टिव हैं.

इस तरह आसानी से करें डाटा रिकवर

स्मार्टफोन आज हर कोई इस्तेमाल करता है. लोग अपने कॉन्टैक्ट्स, एसएमएस, ईमेल, फोटो-वीडियो, जरूरी डॉक्यूमेंट्स समेत तमाम महत्वपूर्ण चीजें इसमें सेव करके रखते हैं. ऐसे में अगर आपके स्मार्टफोन की स्क्रीन टूट जाए तो क्या करते हैं आप? फोन से जरुरी डाटा रिकवर करना बेहद मुश्किल हो जाता है. ये मुश्किल तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब फोन टच स्क्रीन हो. हर किसी ने कभी न कभी इस परेशानी का सामना जरुर किया होगा. इसी के चलते हम आपके लिए लाएं हैं कुछ टिप्स जिसके जरिए फोन टूटने पर भी डाटा सुरक्षित किया जा सकता है.

स्क्रीन टूट जाने पर डाटा कैसे करें रिकवर

अगर आपके फोन की स्क्रीन टूटी है लेकिन डिस्पले सही है तो ये तरीका अपनाया जा सकता है. इस परेशानी से निजात पाने के लिए आपको यूएसबी ओटीजी (ऑन द गो) और माउस की जरुरत होगी. इसके लिए आपको गूगल पर जाकर ये पता करना होगा कि आपका फोन ओटीजी को सपोर्ट करता है या नहीं. अगर आपका फोन ओटीजी सपोर्ट करता है तो इसमें ओटीजी केबल लगाएं और फिर केबल के दूसरे पोर्ट में माउस की यूएसबी लीड कनेक्ट करें. माउज कनेक्ट होते ही आप फोन का पैटर्न लॉक या पासवर्ड खोल पाने में सक्षम होंगे. जैसे ही आपका फोन अनलॉक हो जाए आप फोन को पीसी से कनेक्ट करें और सारा डाटा कॉपी कर लें.

स्क्रीन ही बंद हो जाए तो कैसे करें डाटा रिकवर

इसके लिए आपको वीएनसी प्रोग्राम की जरूरत पड़ सकती है. बाजार में ऐसे कई प्रोग्राम मौजूद हैं. प्रोग्राम डाउनलोड करने से पहले ये सुनिश्चित करें कि वो सेफ और फ्री है. यह वीएनसी प्रोग्राम आपके स्मार्टफोन के एंड्रायड इंटरफेस को पीसी में भेज देते हैं ताकि आप इसे पीसी से कंट्रोल कर पाएं. ध्यान रहे कि इस प्रोसेस से पहले आपको अपने पीसी और एंड्रायड डिवाइस में प्रोग्राम को डाउनलोड करना होगा.

एयरड्रॉयड से कैसे करें फाइल रिकवर

एयरड्रॉयड नाम का सॉफ्टवेयर आपके स्मार्टफोन को कंप्यूटर से कनेक्ट कर देता है. आप इसे वेब इंटरफेस या कंप्यूटर एप्लीकेशन के जरिए यूज कर सकते हैं. इसे केवल आपको अपने पीसी और एंड्रायड डिवाइस पर इंस्टॉल करना होगा. अकाउंट के जरिए आप दोनों डिवाइस से कनेक्ट हो जाएंगे जिसके बाद आपको फाइल ट्रांसफर, बैकअप या एप अनइंस्टॉलिंग जैसे कई आइकन दिखाई देंगे. यहां से आप डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं.

कुरसी बड़ी या रिश्ता

उत्तर प्रदेश में सास बहू की सी लड़ाई बेटे, पिता, चाचा में हो रही है. अखिलेश यादव सरकार अपनी तरह चलाना चाहते हैं, पिता और चाचा यानी ससिया चाची और सास मिल कर अपने रंग दिखा रहे हैं. भारतीय पारिवारिक परंपरा का यह उदाहरण न पहला है न अंतिम. पौराणिक ग्रंथ भी इन से भरे हैं, लोक कथाएं इन से भरी हैं और अदालतों के फैसले इन से भरे हैं.

निकटता जहां प्रेम व भरोसा पैदा करती है, वहीं असहजता भी पैदा करती है. अनजानों से लेनदेन बकाया नहीं रहता. अपनों से खाता कभी बंद नहीं होता और बैक डेटेड ऐंट्रियां होती रहती हैं और अखिलेश, मुलायम व शिवपाल इसी चक्कर में हैं और वह भी तब जब 2017 के चुनाव सिर पर हों. जिसे लगता है कि उसे उतना लाभ नहीं हो रहा है जितना वह उठा सकता है, वह विद्रोह का झंडा सास या बहू की तरह उठा लेता है.

कहने को तो हम नारे लगाते रहते हैं कि सास मांजी होती है, बहू बेटी होती है पर इन के बीच एक अदृश्य दीवार मोटी होती है और पैतरेबाजी हर समय चलती रहती है. इस से परिवार टूटते हैं, मातापिता यानी सासससुर भी नुकसान में रहते हैं और नातीपोते भी. पर यह प्रकृति का नियम है और इस पर गम नहीं करना चाहिए.

उत्तर प्रदेश में जो हुआ वह इंदिरा गांधी के घर में हो चुका है. वह जयललिता के साथ हुआ,

आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के साथ हुआ, शिवसेना के बाल ठाकरे परिवार के साथ हुआ. इसलिए न यह अनूठा है और न चिंता की बात. राज्य की सरकार चलती रहेगी, रसोई में खाना पकता रहेगा बस बरतन जरा जोर से पटके जाएंगे.

मनुष्य को साथ रहने के गुण मिले हैं पर ये गुण हमारे जीन्स में इतने गहरे नहीं गए हैं कि सभी मानव एकसाथ एकजैसा सोचने लगें. ऐसा होता तो न सदियों से युद्ध होते, न करोड़ों मारे जाते और न ही तलाक होते. मनुष्य अपने हितों के कारण साथी ढूंढ़ता है और जब बात हितअहित की सीमा तक पहुंच जाए तो अलग होना ही एक तरीका बचता है.

अखिलेश को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की गद्दी छोड़नी पड़ सकती है और हो सकता है 2017 के चुनावों में कोई पक्ष जा कर भाजपा या मायावती से जा मिले. ऐसा होता है तो समाजवादी दल चाहे समाप्तप्राय हो जाए पर दूसरों की थाली में हलवापूरी बिना मेहनत के आ जाएगी. यह मामला थोड़ा चौंकाने वाला है पर अजीब नहीं और इसीलिए 2-4 महीनों बाद उस की लकीरें भी रेत की जमीन पर न रहेंगी.

 

श्री राजपूतः जहां लड़की को पढ़ाया नहीं जाता

भारत में लड़कियों को लेकर जिस तरह से बदलाव आ रहा है, उसकी जीती जागती मिसाल हैं अभिनेत्री श्री राजपूत. तीन सौ से अधिक विज्ञापन फिल्में, कई नाटकों में अभिनय, ‘‘लाइफ ओके’’ चैनल के सीरियल ‘‘रिश्तों के सौदागार बाजीगर’’ में नैना नामक  उस नारी का चरित्र निभा चुकी जो कि शादीशुदा होते हुए पर पुरुष से  संबंध रखती है तथा दो हिंदी फिल्मों में पुलिस अफसर के किरदार निभा रही अभिनेत्री श्री राजपूत को देखकर यह नहीं सोच सकते कि वह ऐसे सामाजिक परिवेश से हैं, जहासं लड़कियों को पढ़ाया तक नहीं जाता. जी हां! यह कटु सत्य है.

एक दकियानूसी परिवार में जन्मी व पली बढ़ी श्री राजपूत ने खुद इस बात को कबूल करते हुए ‘‘सरिता’’ पत्रिका को बताया-‘‘मेरा जन्म ऐसे परिवार में हुआ है, जहां लड़की को पढ़ाया नहीं जाता. मगर मेरे माता पिता मुंबई मे रह रहे थे, इसलिए उन्होंने मुझे स्कूल भेजा और मेंने इकोनामिक्स आर्ट की पढ़ाई की. फिर मैंने किसी तरह माता पिता को मनाकर छह माह के लिए ट्रेनिंग व नया अनुभव की बात कहकर एचडीएफसी बैंक में नौकरी करनी शुरू की. नौकरी करते करते मैं ‘‘कर्मकला नाट्य ग्रुप’’ से जुड़ गयी. उसके बाद मैं पार्ट टाइम नौकरी करती थी और बाद में नाटक में रिहर्सल करती थी. जब भ्रूण हत्या पर सामाजिक संदेश देने वाले नाटक ‘‘एक नन्ही चीख’’ का मंचन हो रहा थे, तो मैं वह नाटक देखने के लिए अपने माता पिता को ले गयी. मेरा नाटक देखकर वह खुश हुए और उन्हें पहली बार पता चला कि मैं नाटक में अभिनय कर रही हूं. फिर मुझे नाटकों में काम करने की इजाजत मिल गयी. मेंने कई नाटकों में अभिनय किया. उसके बाद मुझे पहला सीरियल ‘‘रिश्तों का सौदागर बाजीगर’’ मिला, तो मैंने घर में बिना बताए इसकी शूटिंग की. जब पहला एपीसोड प्रसारित हुआ, तो रिश्तेदारों ने हंगामा मचा दिया. लेकिन मेरे पिताजी के दोस्तों ने उनसे मेरी इतनी तारीफ की, कि मेरे घर का माहौल ठंडा हो गया. अब तो मुझे माता पिता का पूरा समर्थन मिल रहा है.’’

श्री राजपूत आगे कहती हैं-‘‘अब मेरी दो फिल्में ‘‘गन्स आफ गुजरात’’ और ‘‘मिस खिलाड़ी – परफैक्ट मर्डर’’ प्रदर्शन के लिए तैयार हैं. जिसमें से फिल्म ‘‘मिस खिलाड़ी – परफैक्ट मर्डर’’14 अक्टूबर को प्रदर्शित होगी. इस फिल्म में मैंने सोनल नामक उस पुलिस अफसर का किरदार निभाया है, जो कि हत्यारे की तलाश करती है. इसके अलावा इन दिनों मैं रोमांटिक कामेडी फिल्म ‘‘इश्क दा खूंटा’’ की शूटिंग कर रही हूं.’’ स्व.स्मिता पाटिल को अपना आदर्श मानने वाली श्री राजपूत की तमन्ना अक्षय कुमार के साथ फिल्म करने की है.

भारत में लड़कियों के प्रति सोच कैसे बदलेगी? इस सवाल पर श्री राजपूत कहती हैं- ‘‘सारी जिम्मेदारी पुरुषों पर डालकर हम नारियां अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेती हैं, यह गलत है. हर लड़की को अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने घर में शांतिपूर्ण तरीके से लड़ाई लड़नी पड़ेगी. हर लड़की को चाहिए कि वह अपने माता पिता को समझाए कि दुनिया कितनी बदल रही है. मैंने यही किया और मुझे सफलता मिली. हर लड़की को यह बात याद रखनी होगी कि हर माता पिता अपनी लड़की का भला ही चाहते हैं.’’ 

भारत की पहली ‘थ्रीसम’ फिल्म का हीरो डीएसपी का बेटा

निजी जिंदगी में समाज के हर वर्ग को आदर्शवाद, शालीनता व न्याय का पाठ पढ़ा रहे इंदौर के पुलिस अफसर अशोक रंगशाही के बेटे अक्षय रंगशाही अपने अभिनय करियर की शुरुआत अनुज शर्मा निर्देशित ‘थ्रीसम’ पर आधारित पहली अति बोल्ड और अति सेक्सी फिल्म ‘‘इश्क जुनूनःद हीट इज आन’’ से कर रहे हैं. इस फिल्म में अक्षय रंगशाही और राजवीर दो हीरो तथा दिव्या सिंह हीरोईन हैं.

जी हां! फिल्म ‘‘इश्क जुनूनःद हीट इज आन’’ की कहानी दो गहरे दोस्त वीर (अक्षय रंगशाही) और राज (राजवीर) की है, जो कि बचपन से ही एक दूसरे की हर छोटी बड़ी बात के राजदार हैं. दोनों अपनी जिंदगी की हर बात एक दूसरे न सिर्फ बताते हैं, बल्कि खुशी और दुःख के मौके पर भी एक ही रहते हैं. इनकी दोस्ती को कोई तोड़ नहीं पाता. जबकि उत्तर भारत के एक छोटे शहर की मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की पाखी (दिव्या सिंह) अपने आसमानी सपनों को पूरा करने और एकदम स्वतंत्र जिंदगी जीने की चाह के साथ मुंबई शहर में पहुंचती है, उसे लोडेड यानी कि करोड़पति प्रेमी की तलाश है. पाखी की दोस्ती राज से होती है, पर एक दिन राज के कालेज के समारोह में वीर की मुलाकात राज की प्रेमिका पाखी से होती है और वह उसे दिल दे बैठता है. पाखी, राज व वीर दोनों की प्रेमिका बनी रहने का प्रयास करती है, पर एक दिन तूफान आता ही है.

फिल्म ‘‘इश्क जुनूनःद हीट इज आन’’ में अक्षय रंगशाही ने दिव्या सिंह के साथ कई अति सेक्सी व बोल्ड सीन किए हैं. जब हमने अक्षय रंगशाही से पूछा कि आपके पिता पुलिस में डीएसपी हैं. ऐसे में अभिनय करियर की शुरुआत इस तरह की सेक्सी फिल्म से करना कितना सही है?

इस पर अक्षय रंगशाही ने कहा- ‘‘निजी जिंदगी को परदे की जिंदगी के साथ मिलाकर नहीं देखा जाना चाहिए. यदि में निजी जिंदगी में इस तरह की कोई हरकत करता, तो मेरे पिता की वर्दी पर आंच आती. पर मैंने तो एक फिल्म में अभिनय करते समय एक किरदार को पटकथा के अनुरूप निभाने का ही काम किया है. मुझे अनुज शर्मा ने एक सशक्त कथानक वाली फिल्म में अभिनय करने का मौका दिया, तो मैं इंकार न कर सका. वैसे आज कई कलाकार बहुत बड़े नेता व सांसद हैं. उन्होंने अतीत में फिल्मों में जो कुछ किया, क्या उसे गलत कहा जाएगा? ऐसा नही होता. अभिनय को निजी जिंदगी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. निजी जिंदगी में मैं बहुत ही शर्मीले स्वभाव का एक नेकदिल व शरीफ लड़का हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि 11 नवंबर को इस फिल्म के प्रदर्शित होने पर लोग मेरे अभिनय की तारीफ करेंगे.’’

अक्षय रंगशाही कहते हैं-‘‘वास्तव में यह हमारी फिल्म उस कटु सत्य का चित्रण करती है, जो आज समाज में नजर आ रहा है. हमारी युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य सभ्यता, बाजारवाद व संस्कृति इस कदर हावी होती जा रही है कि अब उनके लिए जीवन मूल्य, संस्कार वगैरह कोई मायने नहीं रखते. यह फिल्म इस बारे में बात करती है कि नई आंधी के चलते अब जीवन की सही दिशा क्या होनी चाहिए?’’

सत्ता परिवर्तन की फिराक में पीटीआई

अब जब 30 अक्तूबर में कुछ ही दिन ही शेष बचे हैं, तो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) इस्लामाबाद बंद की तैयारियों में जोरशोर से जुट गई है. पार्टी पनामा पेपर मामले में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से इस्तीफा देने की मांग कर रही है. पार्टी की कोशिश इस बार उस विपक्ष को भी अपने साथ जोड़ने की है, जो पहले कभी साथ नहीं आया, लेकिन साफ है कि साथ न मिलने की स्थिति में भी पीटीआई अकेले दम पर ही इस अभियान को सफल बनाएगी.

दरअसल, पीटीआई सत्ता परिवर्तन चाहती है, तो उसके लिए अभी की अपेक्षा बड़े फलक पर जाकर अन्य दलों का समर्थन हासिल करना जरूरी है. पार्टी इसके प्रयास भी कर रही है, ठीक उसी तरह, जैसे उसने डॉक्टर ताहिर कादरी के नेतृत्व वाली पकिस्तान अवामी तहरीक का साथ लिया था. हालांकि बाकी मोर्चों पर उसे दिक्कत आ सकती है.

अंतर्विरोधों से घिरी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेतृत्व के बारे में भ्रम की स्थिति भी एक मुद्दा है, क्योंकि वहां यही साफ नहीं है कि नेतृत्व आसिफ अली जरदारी के हाथ में है या बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी के हाथ. अनबन तब और उभर आती है, जब सीनियर जरदारी अक्सर विदेश में दिखाई पड़ते हैं और पीपीपी का बैनर लेकर खालीपन को भरना छोटे जरदारी की मजबूरी दिखती है. पीटीआई की नजर उन चर्चाओं पर भी है कि पीपीपी मौका लगते ही सत्तारूढ़ पार्टी से गठजोड़ कर सकती है.

ऐसे में, पीटीआई इस फिराक में है कि किसी तरह सीनियर जरदारी को अलग किया जा सके, तो पीपीपी और पीटीआई का गठजोड़ कोई नया गुल खिला सकता है. फिलहाल नजरें 30 तारीख की सफलता पर टिकी हैं. तय है कि सरकार किसी भी हालत में पीटीआई को अपनी ताकत दिखाने में कामयाब नहीं होने देना चाहेगी. लेकिन नहीं भूलना चाहिए कि पीटीआई ने लाहौर रैली में जबर्दस्त ताकत दिखाई थी और इस्लामाबाद में भी वह लाहौर जैसी भारी भीड़ जुटाकर ताकत दिखाने में कामयाब हो सकती है. अगर कहीं उसे मुख्यधारा की किसी पार्टी का समर्थन मिल गया, फिर तो यह बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभरेगी. इंतजार करें 30 अक्तूबर का.

पेरिस समझौते पर जापान का सुस्त रवैया

ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती वाले पेरिस समझौते को मंजूरी देने में शिंजो अबे प्रशासन को अब और ज्यादा वक्त नहीं गंवाना चाहिए. अब लगभग पक्का हो चुका है कि यह अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौता अगले महीने की शुरुआत में 60 से अधिक देशों की मंजूरी के साथ लागू हो जाएगा. अगर इस समझौते के प्रभावी होने के पहले जापान ने इसे अपनी मंजूरी नहीं दी, तो इसे लागू करने के बारे में जो शुरुआती कानून बनेंगे, उस प्रक्रिया में जापान भाग नहीं ले पाएगा.

दुनिया के पांचवें सबसे बड़े उत्सर्जक देश जापान का इस समझौते के बारे में ऐसा सुस्त रवैया काफी अफसोसनाक है, क्योंकि यह समझौता भागीदार देशों से अपेक्षा करता है कि वे समझौते के वक्त की अपनी प्रतिबद्धता से आगे बढ़कर कुछ खास करेंगे. पिछले साल दिसंबर में पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इस ऐतिहासिक करार को स्वीकार किया गया था. इसमें यह लक्ष्य तय किया गया था कि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को औद्योगिक युग से पहले के तापमान के स्तर से दो डिग्री सेल्सियस के भीतर रखा जाए.

साल 1997 के क्योटो प्रोटोकॉल के उलट, जिसने सिर्फ विकसित देशों पर उत्सर्जन कटौती का लक्ष्य थोपा था, पेरिस समझौते में विकसित और विकासशील, दोनों प्रकार के देशों ने स्वैच्छिक रूप से अपने कटौती लक्ष्य तय किए. लेकिन समस्या यह है कि देशों द्वारा प्रस्तावित स्वैच्छिक योजना घोषित लक्ष्य को हासिल करने के लिहाज से आधी-अधूरी है. भारत ने, जो कि कुल वैश्विक उत्सर्जन का लगभग चार प्रतिशत ग्रीन हाउस गैस छोड़ता है, यह एलान किया है कि उसने पेरिस समझौते को मंजूरी देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है. भारत ऐसा करने वाला 62वां देश है.

यूरोपीय संघ इसे मंजूरी देने के संकेत दे चुका है. दुनिया के दो सबसे बड़े ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक देश- चीन और अमेरिका पहले ही इस करार को अपनी मंजूरी दे चुके हैं. पेरिस समझौते के लक्ष्य को पाने के लिए सामाजिक और आर्थिक ढांचे में काफी बड़ा परिवर्तन करना पड़ेगा, लेकिन जापान में अभी इस संदर्भ में कोई गंभीर चर्चा होती हुई नहीं दिख रही.

कबड्डी वर्ल्ड कप: भारत ने बांग्लादेश को रौंदा

भारत ने द एरेना बाय ट्रांसस्टेडिया में एकतरफा मुकाबले में बांग्लादेश को हराकर खुद को कबड्डी वर्ल्ड कप-2016 के सेमीफाइनल की दौड़ में बनाए रखा है.

दक्षिण कोरिया के हाथों पहला मैच हारने के बाद भारत ने अपने दूसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया को हराया था लेकिन बांग्लादेश के साथ होने वाले इस मुकाबले को लेकर उस पर अपेक्षाओं का जबरदस्त दबाव था. इसका कारण यह था कि यह मैच हारने की सूरत में भारत सेमीफाइनल की दौड़ से लगभग बाहर हो जाता.

भारतीय खिलाड़ियों ने हालांकि इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया और अपने समर्थन में एरेना में जुटे करीब 20 हजार प्रशंसकों की हौसलाअफजाई के बीच बांग्लादेश को 57-20 से हराया. यह ग्रुप-ए में भारत की दूसरी जीत है. इस जीत ने उसे तालिका में पहले स्थान पर पहुंचा दिया है.

भारत के लिए शुरुआत से ही मेहमान टीम पर जबरदस्त दबाव कायम दिया था और इस दबाव को उसने अंत तक कायम रखा और एकतरफा अंदाज में मैच अपने नाम किया. हाफ टाइम तक भारत ने 27-10 की बढ़त हासिल की थी.

उस समय तक सबसे अधिक छह अंक प्रदीप नरवाल ने बनाए थे जबकि अजय ठाकुर को पांच अंक मिले थे. मंजीत चिल्लर तथा कप्तान अनुप कुमार ने तीन-तीन अंक बनाए थे. सुरजीत और संदीप नरवाल को दो-दो अंक मिले थे.

हाफ टाइम तक प्रदीप ने सात रेड में से छह अंक और अजय ने पांच में से पांच अंक बनाए थे. पहले हाफ में दो बोनस अनूप और एक अजय ने बनाया था.

पहले हाफ में भारत ने जहां 14 रेड अंक जुटाए वहीं मेहमान टीम पांच अंक जुटा सकी. इसी तरह भारत को 8 टैकल अंक मिले जबकि मेहमान टीम पांच अंक बना सकी. भारत को चार आल आउट अंक मिले लेकिन इस विभाग में बांग्लादेश का खाता नहीं खुल सका.

दूसरे हाफ में भी भारत ने बांग्लादेश पर अपना दबदबा बनाए रखा और 30 अंक बनाए. इस दौरान मेहमान टीम 10 अंक ही बना सकी. भारतीय टीम ने मैच में रेड से 28, टैकल से 20 और ऑल आउट से 8 अंक अपने खाते में डाले. उसे एक अतिरिक्त अंक भी मिला.

वहीं बांग्लादेश ने मैच में रेड से 12, टैकल से सात अंक जोड़े. उसे एक भी ऑल आउट अंक हासिल नहीं हुआ. उसे एक अतिरिक्त अंक भी मिला.

जीत के बाद भारतीय कप्तान अनूप कुमार ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बांग्लादेश की टीम अच्छी नहीं थी, लेकिन इस मैच में हमारी तैयारी अच्छी थी. हम जानते थे कि हमारे ऊपर दबाव है इसलिए हम पूरी तैयारी से आए थे. भारत को अपने अगले मैच में 15 अक्टूबर को अर्जेंटीना से भिड़ना है.

बस एक क्लिक और घर के काम से छुट्टी

यदि आप बाहर रह रहे हों या फिर घर के कामों में हाथ बंटाने के लिए कोई भी न हो. ऐसे में अब किसी से मदद मांगने की जरूरत नहीं है, आपको सिर्फ मोबाइल या अपने लैपटॉप पर जाकर संबंधित वेबसाइट्स पर जाकर एक क्लिक करना है. फिर क्या, घर की सफाई से लेकर कूड़ा-कचरा सब साफ हो जाएगा.

इतना ही नहीं, बल्कि यदि घर में पानी खत्म हो गया हो या धुलाई के लिए कपड़े देने हो… सब काम अब आपके हाथ में है. आइए आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे वेबसाइट्स के बारे में जिस पर आप अपने घर का भी काम करवा सकते हैं.

1. घर की सफाई से लेकर मेकअप तक कराएं

आप यूआरएल में timesaverz.com टाइप करके यह वेबसाइट खोलिए और आप पेज पर जाएं. इस वेबसाइट पर मदद के लिए सफाई, पुताई, रिपेयरिंग, मेकअप, लॉन्ड्री और पेस्ट कंट्रोल के ऑप्शन दिए हुए है. बस आपको एक क्लिक करके अपना नामक, एड्रेस और नंबर देकर बुकिंग करवाना पड़ेगा. आपका सारा काम आपके निगरानी में करेंगे. यह वेबसाइट मुंबई, पुणे, हैदराबाद, बैंगलुरू, गुड़गांव और दिल्ली में अपनी सर्विसेज प्रोवाइड करा रहा है. काम के बाद वेबसाइट पर दिए गए रेट लिस्ट के अनुसार आपको पैसे पे करने होंगे.

2. किचन और घर का काम कराएं

mydidi.in के नाम से पेज पर जाएं और यहां पर भी ऑनलाइन बाई को बुक कर सकते हैं. हालांकि यह सुविधा अभी सिर्फ महाराष्ट्र के मुंबई और थाने में ही उपलब्ध है. घर के काम के लिए बाई को बुक करने का टाइम सुबह 7 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक है. इतना ही नहीं, यदि आपके पास एंड्रॉयड फोन यूज करते हैं तो प्ले स्टोर पर जाकर ऐप डाउनलोड कर लें और अपने जरूरत के अनुसार बाई को बुक किया जा सकता है.

3. घर पर बुलाएं कबाड़ी

यदि आपके घऱ में कबाड़ या फिर रद्दी सामान पड़े हुए हैं तो कबाड़ वाले का इंतजार करने की जरूरत नहीं है. बस आपको thekabadiwala.com पर जाकर अपने पुराने सामान के हिसाब से रेट लिस्ट देखा जा सकता है. फिलहाल अभी तक यह सिर्फ मध्य प्रदेश के भोपाल और गुजरात के अहमदाबाद शहर में ही इसका लाभ उठा सकते हैं.

4. घर पर ही बुलाएं पार्लर

अगर बाहर बहुत धूप हो आपका पार्लर जाने का मूड नहीं बन रहा हो तो आप घऱ पर ही पार्लर वर्कर को बुला सकते हैं. इसके लिए stayglad.com पर जाकर पार्लर वर्कर को बुक कर सकते हैं. महिलाओं के लिए वेबसाइट बेहद हेल्पफुल है. घर बैठे फेशियल, स्पा, बॉडी पॉलिश जैसी कई ब्यूटी वर्क करा पाएंगे. पार्टी के लिए तैयार होने का सारा घर पर ही हो जाएगा.

5. पानी या धुलाई के लिए कपड़े

पानी की जरूरत हो तो paniwala.in पर जाकर आप घर पर ही पानी मंगवा सकते हैं. इसकी सर्विस सिर्फ दिल्ली-NCR में ही उपलब्ध है. कपड़े धुलाई के लिए pickmylaundry.in पर जाएं और सिर्फ 59 रुपए प्रति किलो के हिसाब से कपड़े धोए जाते हैं. और अगर आप उन्हें प्रेस भी करवाना चाहें तो 89 रुपए प्रति किलो का चार्ज लगेगा. यह सर्विस भी सिर्फ दिल्ली-NCR में ही उपलब्ध है.

कार्ड पेमेंट करते वक्त जरूर बरतें ये सावधानियां

कार्ड पेमेंट शॉपिंग करने का स्मार्ट तरीका है, कार्ड पेमेंट में थोड़ी सी लापरवाही से नुकसान भी हो सकता है, बस अगली बार जब आप कार्ड पेमेंट करें तो इन चीजों का ध्यान रखें…

– एटीएम कार्ड में पीछे की तरफ लिखे सीवीवी (CVV) नंबर को कहीं सुरक्षित जगह पर नोट कर लें और उसे मिटा दें, इस नंबर की मदद से आप की जानकारी और आप के कार्ड के बगैर भी कोई इंटरनेट पर शॉपिंग कर सकता है.

– नेटवर्किंग के लिए हमेशा वर्चुअल कीबोर्ड का प्रयोग करें, इसका ऑप्शन आपको 'ऐंटर पासवर्ड' के पास ही मिलेगा.

– अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड से शॉपिंग करने के बाद उसे लॉग ऑफ करें, ब्राउजर कुकीज को हमेशा डिलीट करें.

– शॉपिंग के दौरान कार्ड को 2 बार स्वाइप न किया जाए, अगर ऐसा होता है तो इसकी जानकारी लें और शॉपिंग की रसीद अपने पास जरूर रखें, अपना पिन डालते वक्त भी सतर्क रहें.

– इंटरनेट पर शॉपिंग के दौरान ट्रांजैक्शन के लिए हमेशा सुरक्षित वेबसाइट का प्रयोग करें, पेमेंट के वक्त https लिंक पर दिखने पर ही पेमेंट करें.

– ट्रांजैक्शन हमेशा अपनी मौजूदगी में ही करवाएं, किसी को भी अपना कार्ड ले जाने न दें, उस समय लापरवाही भारी पड़ सकती है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें