भारत में लड़कियों को लेकर जिस तरह से बदलाव आ रहा है, उसकी जीती जागती मिसाल हैं अभिनेत्री श्री राजपूत. तीन सौ से अधिक विज्ञापन फिल्में, कई नाटकों में अभिनय, ‘‘लाइफ ओके’’ चैनल के सीरियल ‘‘रिश्तों के सौदागार बाजीगर’’ में नैना नामक  उस नारी का चरित्र निभा चुकी जो कि शादीशुदा होते हुए पर पुरुष से  संबंध रखती है तथा दो हिंदी फिल्मों में पुलिस अफसर के किरदार निभा रही अभिनेत्री श्री राजपूत को देखकर यह नहीं सोच सकते कि वह ऐसे सामाजिक परिवेश से हैं, जहासं लड़कियों को पढ़ाया तक नहीं जाता. जी हां! यह कटु सत्य है.

एक दकियानूसी परिवार में जन्मी व पली बढ़ी श्री राजपूत ने खुद इस बात को कबूल करते हुए ‘‘सरिता’’ पत्रिका को बताया-‘‘मेरा जन्म ऐसे परिवार में हुआ है, जहां लड़की को पढ़ाया नहीं जाता. मगर मेरे माता पिता मुंबई मे रह रहे थे, इसलिए उन्होंने मुझे स्कूल भेजा और मेंने इकोनामिक्स आर्ट की पढ़ाई की. फिर मैंने किसी तरह माता पिता को मनाकर छह माह के लिए ट्रेनिंग व नया अनुभव की बात कहकर एचडीएफसी बैंक में नौकरी करनी शुरू की. नौकरी करते करते मैं ‘‘कर्मकला नाट्य ग्रुप’’ से जुड़ गयी. उसके बाद मैं पार्ट टाइम नौकरी करती थी और बाद में नाटक में रिहर्सल करती थी. जब भ्रूण हत्या पर सामाजिक संदेश देने वाले नाटक ‘‘एक नन्ही चीख’’ का मंचन हो रहा थे, तो मैं वह नाटक देखने के लिए अपने माता पिता को ले गयी. मेरा नाटक देखकर वह खुश हुए और उन्हें पहली बार पता चला कि मैं नाटक में अभिनय कर रही हूं. फिर मुझे नाटकों में काम करने की इजाजत मिल गयी. मेंने कई नाटकों में अभिनय किया. उसके बाद मुझे पहला सीरियल ‘‘रिश्तों का सौदागर बाजीगर’’ मिला, तो मैंने घर में बिना बताए इसकी शूटिंग की. जब पहला एपीसोड प्रसारित हुआ, तो रिश्तेदारों ने हंगामा मचा दिया. लेकिन मेरे पिताजी के दोस्तों ने उनसे मेरी इतनी तारीफ की, कि मेरे घर का माहौल ठंडा हो गया. अब तो मुझे माता पिता का पूरा समर्थन मिल रहा है.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...