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कोहली बने ‘भुवन’ और अश्विन ‘कचरा’

भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में न्यूजीलैंड का क्लीन स्वीप कर दिया. कोहली की कप्तानी और अश्विन की फिरकी को लेकर खूब बात हो रही है. सचिन तेंदुलकर से लेकर वीरेंद्र सहवाग तक ने इंडियन टीम को बधाई दी. सोशल मीडिया यूजर्स कहां पीछे रहने वाले थे. अपने-अपने अंदाज में सभी ने वाहवाही दी.

इनमें से एक फनी विडियो तो वायरल हो गया, जिसे खुद रविचंद्रन अश्विन ने भी ट्विटर पर शेयर किया. अश्विन ने विडियो का लिंक शेयर करते हुए लिखा, 'मुझे नहीं पता मेरी हंसी कब रुकेगी.'

आखिर ऐसा क्या है विडियो में?

सस्पेंश को खत्म करते हुए आपको बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है. आपको फिल्म 'लगान' तो याद ही होगी. आमिर खान के किरदार भुवन और आदित्य लखिया के रूप में कचरा को कौन भूल सकता है. इस विडियो में भी आपको लगान की ही कहानी दिखेगी, नए किरदारों के साथ.

लगान फिल्म के सीन को एडिट कर इसमें नए किरदारों को जोड़ा गया है. भुवन की जगह इसमें आपको कप्तान विराट कोहली नजर आएंगे और कचरा बने हैं अश्विन. विडियो में हरभजन सिंह, रिद्धिमान साहा, मार्टिन गुप्टिल और रोस टेलर भी दिख रहे हैं.

फौजियों को मिलेगा दिवाली का बोनस गिफ्ट

सरकार ने फौजियों को अंतरिम भुगतान का शानदार दिवाली गिफ्ट दिया है. उधर, डिफेंस चीफ और सरकार आर्म्ड फोर्सेज के लिए नए पे ग्रेड पर चल रहा विवाद निपटाने में लगे हुए हैं.

पे कमीशन का नोटिफिकेशन पेंडिंग होने के चलते प्रेजिडेंट ने उनके लिए अस्थायी तौर पर बकाया भुगतान को मंजूरी दी है. सभी जवानों को मिलने वाला बकाया उनकी मौजूदा सैलरी (डीए सहित) का 10 पर्सेंट होगा, जिसकी गणना जनवरी 2016 के बाद से होगी. इसका मतलब सभी रैंक के जवानों को बोनस के तौर पर एक महीने की पूरी सैलरी मिलेगी. कोशिश की जा रही है कि जवानों को यह रकम दिवाली से पहले मिल जाए. इस साल दिवाली 30 अक्टूबर को है.

सिविल सर्विसेज के उलट आर्म्ड फोर्सेज को पे कमीशन की वजह से बकाया अभी तक नहीं मिला है. उनके लिए नया सैलरी स्केल भी अभी तक लागू नहीं हुआ है. बकाया भुगतान में देरी फोर्सेज के लिए कमीशन के कंपनसेशन स्ट्रक्चर की विसंगतियां दूर करने के मामले में तीनों सेनाओं के प्रमुखों के दखल की वजह से हुई है. सेना प्रमुखों ने कहा है कि जब तक डिसेबिलिटी पे और पेंशन के मामले में विसंगतियों को ठीक नहीं किया जाता, तब तक पे कमीशन की सिफारिशें उन्हें मंजूर नहीं हैं.

त्योहारी सीजन से पहले अडिशनल पेमेंट नहीं मिलने के आसार को देखते हुए सशस्त्र बलों के सेवारत और सेवानिवृत जवान और अधिकारी निराश थे. तीनों आर्म्ड फोर्सेज के प्रमुखों को भेजे गए ऑर्डर के मुताबिक, 'बकाये की गणना के लिए जनवरी 2016 की सैलरी को आधार बनाया जाएगा. अभी दी जा रही रकम रिवाइज्ड पे स्केल पर एरियर के फाइनल कैलकुलेशन से एडजस्ट की जाएगी.'

महिला कबड्डी टीम का दमखम

भारत की महिला बीच कबड्डी टीम ने 5वें एशियाई बीच खेलों में लगातार 5वीं बार खिताब जीता जो मौजूदा खेलों में देश का पहला स्वर्ण पदक है. भारतीय टीम ने थाईलैंड को 41-31 से हराया. वहीं भारतीय पुरुष टीम को फाइनल में पाकिस्तान के हाथों हार का सामना करना पड़ा और रजत पदक से संतोष करना पड़ा. इन खेलों का आयोजन हर 2 साल में किया जाता है.

कबड्डी हमेशा से ही लोकप्रिय और मनोरंजक खेल रहा है, खासकर गांवदेहातों में. सही माने में क्रिकेट जैसी लोकप्रियता कबड्डी को मिलनी चाहिए क्योंकि यह खेल न सिर्फ विशुद्ध भारतीय है बल्कि क्रिकेट से पहले से खेला जाता रहा है. क्रिकेट जहां शहर व उच्च वर्ग की रुचि का नतीजा है वहीं कबड्डी में गांवकसबों व मध्यवर्ग की सक्रियता दिखती है.

जब से महिला कबड्डी चैलेंज की शुरुआत हुई है तब से महिलाओं में भी कबड्डी के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है. इस से महिला कबड्डी खेल को एक नई रूपरेखा मिली है. वैसे भी, भारतीय महिला कबड्डी टीम वर्ष 2010 और वर्ष2014 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल कर चुकी है. 2012 और 2013 में हुए विश्वकप खेलों में भारतीय महिला टीम को जीत हासिल हुई थी.

अफसोस बस इतना है कि इतना कुछ करने के बाद भी भारतीय महिला टीम को वह पहचान नहीं मिल पाई जिस की वह हकदार थी. मगर ‘महिला कबड्डी चैलेंज’ के आने से अब धीरेधीरे महिला कबड्डी को पहचान मिलने लगी है. जैसा कि पिछले दिनों महिला कबड्डी चैलेंज की 3 टीमों आईस रिवाज, स्टौर्म क्वींस और फायर बर्ड्स की कप्तानों ने माना था कि जब से महिला कबड्डी चैलेंज की शुरुआत हुई है तब से पहचान मिलने लगी है. हालांकि टीवी चैनल्स को इस में भी व्यापक भूमिका निभाने की आवश्यकता है.

वैसे कबड्डी का खेल इतना आसान भी नहीं है. इस के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से काफी बल का प्रयोग करना पड़ता है, खासकर महिलाओं को अपने बदन को गठीला बनाना पड़ता है. उन्हें छुईमुई वाली छवि से बाहर निकलना पड़ता है, तभी सफलता हाथ लगती है. 

बीसीसीआई की दादागीरी

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से फटकार लगाई और कहा कि उस के पदाधिकारी खुद सीधे हो जाएं, वरना उसे आदेश के जरिए उन्हें सीधा करना पड़ेगा, बीसीसीआई खुद को कानून के ऊपर न समझे.

सुप्रीम कोर्ट को ऐसा इसलिए कहना पड़ा क्योंकि उस ने कुछ समय पूर्व बीसीसीआई में पारदर्शिता और क्रिकेट में सुधार लाने के लिए जस्टिस आर एस लोढ़ा समिति का गठन किया था. लोढ़ा समिति ने छानबीन कर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंप दी. सुप्रीम कोर्ट ने समिति की सिफारिशों को मानते हुए बीसीसीआई को उन पर अमल करने के लिए कहा. लेकिन दुनिया की सब से रईस क्रिकेट संस्था उन सिफारिशों की अनदेखी कर अपनी मनमानी करती रही.

इस बात से नाराज हो कर जस्टिस आर एस लोढ़ा समिति ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि बीसीसीआई हर कदम पर सुधारों को रोकने में लगा हुआ है.

दरअसल, लोढ़ा समिति की सिफारिशों में कहा गया है कि 9 वर्ष से ज्यादा पुराने अधिकारियों को हटाया जाए और 9 वर्ष पुराने अधिकारियों के लिए दोबारा चुनाव न कराए जाएं. एक बार में 3 वर्ष से अधिक पद पर रहना संभव नहीं. 3 बार से ज्यादा कोई भी बीसीसीआई का पद नहीं ले सकता. 70 वर्ष से अधिक उम्र वालों को रिटायर किया जाए.

इस के अलावा कई और ऐसी सिफारिशें की गई हैं जो बीसीसीआई में बैठे पदाधिकारियों को रास नहीं आ रही हैं. वे बौखलाए हुए हैं कि यदि ऐसा हो गया तो सबकुछ उन के हाथ से निकल जाएगा. न पद मिल पाएगा और न ही पैसा. इसलिए ये लोग तिकड़म लगा रहे हैं कि पैसा और पावर की धौंस बनी रहे.

बीसीसीआई के लिए यह बड़े शर्म की बात है कि देश की सर्वोच्च अदालत बीसीसीआई और खेल की भलाई के लिए सुधार की बात कर रहा है और ये सुधरने के बजाय तिकड़मबाजी और धौंसबाजी दिखा रहे हैं. जबकि इस से बीसीसीआई में कामकाज के तरीके भी बदलेंगे और खेल की दशा में भी सुधार आएगा. बीसीसीआई को तो खुद आगे बढ़ कर लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर अमल करना चाहिए और सहयोग देना चाहिए. लेकिन वे इसलिए नहीं करना चाहते हैं क्योंकि ऐसा करने से उन के हाथ से सबकुछ निकल जाएगा और वे कहीं के नहीं रहेंगे.

नए अवतार में अश्मित

अभिनेता अश्मित पटेल फिल्मों में पिटने के बाद टीवी शो ‘बिग बौस’ में नजर आए लेकिन वहां भी उन के कैरियर की गाड़ी को धक्का नहीं लगा. जब फिल्मों में पूरी तरह नाउम्मीद हुए तो सोचा टीवी में ही कैरियर बनाया जाए. वे एक टीवी सीरियल में नजर आएंगे. इस सीरियल का नाम है ‘अम्मा’.

अश्मित इस शो में फैसल के रोल में नजर आएंगे जो इस शो में आए 15 साल के लीप के बाद टैलीविजन पर अपना फिक्शन डेब्यू करेंगे. फैसल अम्मा का गोद लिया बेटा है. अपनी मां जीनत उर्फ अम्मा से प्रेरित फैसल का एकमात्र लक्ष्य है अंडरवर्ल्ड पर राज करना और अपनी मां से ज्यादा ताकतवर बन कर उभरना.

अश्मित पटेल बताते हैं, ‘‘टीवी पर यह मेरा पहला फिक्शन शो है और किसी शो के साथ अपना नया सफर शुरू करने के लिए ‘अम्मा’ से बेहतर और क्या हो सकता है. देखते हैं यह सीरियल उन के कैरियर को कितना आगे बढ़ाता है.   

मनसे का राग पाकिस्तानी

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे, जैसा कि हमेशा से ही वह ऊलजलूल और बचकानी धमकियों भरे बयानों के लिए जानी जाती है, ने एक बार फिर बचकाना काम कर डाला है. इस बार उस के निशाने पर हैं पाकिस्तानी फिल्म कलाकार. हाल में मनसे ने भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी ऐक्टर्स को धमकी दी थी कि अगर वे लोग 25 सितंबर तक भारत नहीं छोड़ते हैं तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इस खबर को ले कर अफवाहों का दौर यों चला कि खबर आने लगी कि सलमान खान ने अपनी अगली फिल्म से पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

कोई भी आर्टिस्ट किसी धर्म या देश से नहीं होता. और छद्म देशभक्ति से पीडि़त मूर्ख संगठन इस तरह की बयानबाजी से अपना वोटबैंक मजबूत करने की फिराक में लगे रहते हैं. इस मामले में सैफ का बयान गौरतलब है कि यह सरकार को निर्णय करना है कि किसे यहां काम करने की इजाजत दी जाए, किसे नहीं.

लीजा की शादी

फिल्म ‘क्वीन’ में उन्मुक्त महिला के किरदार से प्रशंसित अभिनेत्री लीजा हेडन असल जिंदगी में भी बेहद उन्मुक्त हैं. अपनी जिंदगी के जीने के तरीकों से ले कर इस से जुड़े फैसले भी वे बेहद आजादखयाली से लेती हैं. उन्हें न सिर्फ अकेले भ्रमण करना पसंद है बल्कि निजी रिश्तों को ले कर वे मुखर भी रहती हैं. जहां उन का कैरियर मौडलिंग और फिल्मों में ठीकठाक चल रहा है, वहीं उन्होंने शादी का निर्णय भी ले लिया और उसे अन्य कलाकारों की तरह आखिर तक छिपाने के बजाय खुल कर स्वीकार भी कर डाला.

लीजा हेडन ने अपने बौयफ्रैंड डीनो ललवानी से शादी करने का निर्णय लिया और दिलचस्प अंदाज में एक रोमांटिक तसवीर पोस्ट करते हुए सोशल साइट पर डीनो से अपनी शादी की घोषणा कर दी. डीनो पाकिस्तान में जन्मे ब्रिटिश उ-मी गुलू ललवानी के बेटे हैं, वे लीजा के साथ एक साल से डेटिंग कर रहे हैं.

औस्कर के दरबार में

हर साल की तरह इस बार भी औस्कर के दरबार में भारत की तरफ से एक फिल्म बतौर एंट्री भेजी गई है. फिल्म का नाम है ‘विसरानाई’. चूंकि इस फिल्म को 2015 में सर्वश्रेष्ठ तमिल फीचर फिल्म, सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेता और सर्वश्रेष्ठ संपादन के लिए 3 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले हैं, इसलिए इसे भारत की ओर से भेजा गया है.

हालांकि औस्कर रेस में ‘उड़ता पंजाब’, ‘तिथि’, ‘सैराट’, ‘नीरजा’, ‘फैन’, ‘सुलतान’ ‘एयरलिफ्ट’ जैसी फिल्में भी थीं लेकिन चयनकर्ताओं को यही फिल्म ठीक लगी. फिल्म आटो ड्राइवर आटो चंद्रन द्वारा लिखे उपन्यास पर आधारित है. एक तरह से बायोपिक है क्योंकि कहानी, लेखक की आपबीती है. उसे 1983 में एक झूठे केस में अरेस्ट किया गया और फिर जेल में उस के साथ जिस तरीके से बर्बरता की गई, उन्हीं अनुभवों के आधार पर उन्होंने उपन्यास लिखा.

परिणीति का डर

इरफान खान ने जब से खुद को इंटरनैशनल प्रोजैक्ट्स से जोड़ा है, भारत में उन की डिमांड कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है. पहले वे हिंदी फिल्मों में साइड रोल ही किया करते थे पर अब उन के साथ ज्यादातर बड़ी ऐक्ट्रैस काम करने को आतुर रहती हैं. उगते सूरज को सलाम करने की परंपरा हर क्षेत्र में दिख ही जाती है.

अब अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा को ही ले लीजिए. जब से उन्हें होमी अदजानिया की अगली फिल्म ‘तकदुम’ में अभिनेता इरफान खान के साथ काम करने का मौका मिला है, वे उन के गुणगान गाए जा रही हैं. बकौल परिणीति, मैं उन के साथ काम करने को ले कर बहुत घबराई हुई हूं, लेकिन साथ ही उत्साहित भी हूं. वे एक ग्लोबल आइकन हैं. सैट पर उन के साथ काम करना बहुत रोमांचकारी होगा.

भूखे पेट ज्यादा खरीदारी

यदि आप खरीदारी करने जा रहे हैं, तो पहले कुछ खा लीजिए क्योंकि एक अध्ययन से पता चला है कि भूखे लोग बाजार में जा कर जरूरत से ज्यादा चीजें खरीद लेते हैं और ज्यादा पैसा खर्च करते हैं. और तो और, खरीदारी की यह लालसा सिर्फ खानेपीने की चीजों तक सीमित नहीं रहती. भूखे पेट आप हर चीज ज्यादा खरीदने की कोशिश करते हैं.

इस अध्ययन का विचार मिनेसोटा विश्वविद्यालय की पलिसन जिंग जू को 2007 में आया था. जिंग जू ने एक दिन काफी खरीदारी की थी मगर जब वे एक होटल में बैठ कर कुछ खा चुकी थीं तब उन्हें पछतावा हुआ कि उन्होंने कुछ चीजें जरूरत से ज्यादा खरीद ली थीं. जिंग जू एक शोधकर्ता हैं जो इस बात का अध्ययन करती हैं कि लोग निर्णय कैसे लेते हैं. तो उन्होंने सोचा कि खरीदारी  के निर्णय की खोजबीन करनी चाहिए.

दरअसल, जब हम भूखे होते हैं तो हमारा अमाशय घ्रेलिन नामक एक हार्मोन छोड़ता है जो हमें खाने को प्रेरित करता है.    

 

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