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भाजपा में ‘बाहर वालों’ से परेशान ‘घर वाले’

भाजपा में ‘बाहर वालों’ बनाम ‘घर वालों’ के बीच पाला खिच चुका है. यह मैच जीत हार के फैसले पर चुनाव के बाद पहुंचेगा. पर इसका असर पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर पड़ेगा. भाजपा के लोग मानते हैं कि जब पार्टी के पक्ष में हवा चल रही है तो बाहरी नेताओं को शामिल क्यो किया जा रहा है? बाहरी नेता घर वालों से तालमेल के पक्ष में न होकर पार्टी हाईकमान के आगे पीछे घूमने में ही लगे हैं. जिससे बाकी संगठन में अंसतोष बढ़ रहा है.

असल में भाजपा में बड़ी संख्या में बाहरी नेताओं को शामिल किया जा रहा है जो दलबदल कर आ रहे हैं. इनमें से ज्यादातर अपने लिये और कुछ लोग अपने परिवार के लोगों के लिये विधानसभा का टिकट मांग रहे हैं और इसी शर्त पर वह भाजपा में शामिल भी हो रहे हैं. इससे भाजपा के वह कार्यकर्ता परेशान हो रहे हैं जो सालों साल से पार्टी के साथ अपना, खून पसीना बहा रहे हैं. बाहर से आने वाले यह नेता पार्टी के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्व भी नहीं है. कई लोग तो ऐसे भी है जो कल तक भाजपा उसकी नीतियों और नेताओं को पानी पी पी कर कोसते थे. अब भाजपा के साथ हैं.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उत्तर प्रदेश में एक ऐसी टीम बनाना चाहते हैं जो पूरी तरह से उनके दबाव में रहे. पार्टी के दूसरे नेताओं के गुट में शामिल न हो. जिससे उनके आदेश का कहीं से कोई उल्लघंन न हो सके. प्रदेश के किसी नेता का कद बढ़ाने का काम नहीं किया जा रहा है. यही वजह है कि भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिये अपना चेहरा सामने नहीं ला रही है. अमित शाह की सोच है कि सीनियर नेताओं को किनारे करके जूनियर नेताओं की एक टीम तैयार हो, जो उनके किसी काम में हस्तक्षेप न कर सके. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 को लेकर भाजपा ने अभी भी अपने सभी प्रत्याशी घोषित नहीं किये हैं. इसकी वजह है कि भाजपा दूसरे दलों से उन लोगों को पार्टी में शामिल कर रही है जो विधानसभा सीट जितवाने की हैसियत रखता हो.

भाजपा के पुराने कार्यकर्ता अभी खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं, टिकट वितरण के समय इन लोगों का गुस्सा सामने आयेगा. कई नेता और कार्यकर्ता चुनाव में पूरी तैयारी के साथ नहीं लगेंगे. जिससे बाहरी नेताओं को हराया जा सके. इस तरह का भीतरघात दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सहना पड़ा था. जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीत लिया. बाहरी नेता केवल अपनी सीट जीतने से मतलब रख रहा है. उसे बाकी काम से मतलब नहीं है. पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं का कहना है कि बाहरी नेता पार्टी के कार्यकर्ताओं से ठीक तरह से व्यवहार नहीं कर रहे.

यह लोग पार्टी कार्यालय तभी आते हैं जब राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी कार्यालय आते हैं. कुछ बडे पदाधिकारियों को छोड़ कर यह बाहरी नेता किसी कार्यकर्ता की बात नहीं सुनते हैं. चुनाव जीतने में बूथस्तर तक के कार्यकर्ता की मेहनत शामिल होती है. यह हर दल को पता होता है. भाजपा में बाहरी नेताओं और घर वालों का जो विवाद चल रहा है उससे साफ लग रहा है कि पार्टी दो हिस्सों में बंटी है. इनके बीच आपस में कोई तालमेल नहीं है. लोकसभा चुनाव में भी यह मानसिकता थी कार्यकर्ता यह सोच रहा था कि उसे मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है. विधानसभा चुनाव में पार्टी का कोई ऐसा चेहरा सामने नहीं है जिसके नाम पर लोग एकजुट हो सके.

‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’ में अब नहीं होगा राहत का गाना

पाकिस्तानी कलाकारों को बैन करने का मसला दिन पर दिन तूल पकड़ता जा रहा है. बौलीवुड दो खेमों में भले ही बंट चुका हो, मगर पाकिस्तानी कलाकारों के पर कतरने का सिलसिला शुरू हो चुका है.

बौलीवुड में चंद लोग पाकिस्तानी कलाकारों को बैन करने के खिलाफ हैं. सैफ अली खान सहित कुछ कलाकारों का मानना है कि किसी भी कलाकार को किसी देश की सीमा में कैद नहीं किया जाना चाहिए. तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम कर चुके फिल्मकारों के खिलाफ विरोध भी बढ़ता जा रहा है. जीटीवी ने अपने ‘जिंदगी’ चैनल से सभी पाकिस्तानी सीरियलों की विदाई कर दी है. तमाम फिल्मकार भी अब पाकिस्तानी कलाकारों से दूरी बनाने पर विचार करने लगे हैं.

मनीष हरीशंकर के निर्देशन में टीपी अग्रवाल द्वारा बनायी जा रही फिल्म ‘‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’’ में विवान शाह, अक्षरा हसन, गुरमीत चैधरी और कविता वर्मा मुख्य भूमिकाओं में हैं. यह फिल्म एक शाही शादी के इर्दगिर्द घूमती है. इसी फिल्म के लिए पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान ने रोमांटिक गाना ‘‘मैंने सोचा ना था..’’अपनी अवाज में रिकार्ड किया था. इस गाने को मार्च माह में विवान शाह और अक्षरा हसन पर कश्मीर में फिल्माया गया था.

बौलीवुड से जुड़े ज्यादातर लोगों की राय में देश की एकता और देश हित सर्वोपरि है. इसी के चलते फिल्म निर्माता टी पी अग्रवाल ने मनीष हरीशंकर निर्देशित अपनी फिल्म ‘‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’’ को लेकर अति महत्वपूर्ण कदम उठाया है. टी पी अग्रवाल ने अपनी इस फिल्म के लिए मशहूर पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान द्वारा स्वर बद्ध गीत ‘‘मैंने सोचा ना था..’’ को अब भारतीय गायक की आवाज में डब कराने का निर्णय लिया है.

इस बारे में ‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए टी पी अग्रवाल ने कहा-‘‘हमारे लिए हमारा भारत देश, हमारे देश की सुरक्षा, हमारे देषश का हित पहली प्राथमिकता है. इसी वजह से हमें अपनी फिल्म के एक गाने को नए सिरे से रिकार्ड कराने का निर्णय लेना पड़ा. हमारी फिल्म का एक गाना ‘मैंने सोचा ना था’ बहुत खूबसूरत गीत है. राहत फतेह अली खान बहुत बड़े गायक हैं. उन्होंने इस गाने को बहुत कर्णप्रिय बनाया है. लेकिन कश्मीर के उरी क्षेत्र में आतंकवादी हमले के बाद राहत फतेह अली खान सहित सभी पाकिस्तानी कलाकारों द्वारा इसकी भर्त्सना ना किया जाना, मुझे तकलीफ दे रहा है. इस बात ने मेरा चैन छीन लिया. मेरा अपना जमीर इससे व्यथित है. मुझे तकलीफ इस बात की है कि राहत फतेह अली खान या किसी अन्य पाकिस्तानी कलाकार ने अब तक आतंकवादी हमले की निंदा नहीं की. जबकि हमने ‘इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन’ की खास बैठक बुलाकर इस आतंकवादी हमले की निंदा करने के साथ साथ पीड़ितों को ट्रिब्यूट देने व उनके परिवार वालों के साथ सहानुभूति व्यक्त की है.’’

फिल्म ‘‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’’ के निर्माता टीपी अग्रवाल के गायक बदलने के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए फिल्म के निर्देशक मनीष हरीषंकर कहते हैं-‘‘पाकिस्तानी कलाकार भारत में काम करके अच्छा खास पैसा कमाते हैं. ढेर सारी शोहरत बटोरते हैं. एक स्टार की जिंदगी जीते हैं. मुझे पता है कि यह सारे लोग भारत और भारतीय जनता की तारीफ भी करते हैं. लेकिन जब हम पर आतंकवादी हमला हुआ, तो वह चुप हैं. इंसानियत के नाते भी उन्हें इस पर खुलकर बात कहनी चाहिए थी.’’

टीपी अग्रवाल आगे कहते है-‘‘ उरी पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों की चुप्पी ने हमें यह सबक दे दिया है कि हम भारतीय फिल्माकारों को उन्हें अपनी फिल्मो में बढ़ावा देने की बजाय अपनी भारतीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए.’’

एशियाई खेलों में भारतीय महिला कबड्डी टीम ने जीता स्वर्ण

भारत की महिला बीच कबड्डी टीम ने पांचवें एशियाई बीच खेलों में रिकॉर्ड लगातार पांचवीं बार स्वर्ण पदक जीता. टीम ने जबरदस्त खेल दिखाते हुए थाईलैंड को मात दी है. भारतीय टीम ने थाईलैंड को 41-31 से हराया.

वर्ष 2008 में इन खेलों की शुरुआत से भारत ने हर बार स्वर्ण पदक जीता है. इन खेलों का आयोजन प्रत्येक दो साल में किया जाता है. दूसरी तरफ थाईलैंड की टीम को लगातार पांचवीं बार फाइनल में भारत के खिलाफ शिकस्त का सामना करना पड़ा. हालांकि यह भारत के खिलाफ उसकी पांच खिताबी मुकाबलों में सबसे करीबी हार है.

भारत की पुरुष टीम को हालांकि फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ 28-30 की शिकस्त के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा. भारत ने 2008 और 2010 में इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था.

दूसरी तरफ कुराश स्पर्धा (उज्बेकिस्तान में कुश्ती का एक रूप) के महिला 70 किग्रा वर्ग में अमिषा टोकस को फाइनल में वियतनाम की एनगुएन थी लान के खिलाफ शिकस्त के साथ रजत पदक मिला. बीच बॉडीबिल्डिंग में मनोज कुमार मजूमदार ने 158 सेमी तक के वर्ग में कांस्य पदक हासिल किया.

भारत ने अब तक एक स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक के साथ कुल छह पदक जीते हैं और पदक तालिका में 15वें स्थान पर चल रहा है.

‘यूट्यूब गो’: कमजोर डेटा कनेक्टिविटी में भी देखें वीडियो

गूगल ने यूट्यूब का नया ऐप यूट्यूब गो लाने का ऐलान किया है. यह उन लोगों के लिए खास तौर पर आ रहा है, जिनके लिए कमजोर डेटा कनेक्टिविटी और डेटा खर्च के मसले हैं. गूगल के मुताबिक, उसकी टीम ने भारत के 15 शहरों में तमाम लोगों पर रिसर्च करने के बाद इस ऐप को तैयार किया है और इसे अगले कुछ दिनों में टेस्टर्स के लिए जारी किया जाएगा ताकि आम लोगों के लिए इसे पेश किए जाने से पहले फीडबैक मिल सके.

यूट्यूब गो में कमजोर डेटा कनेक्टिविटी में भी वीडियो आसानी से ऑफलाइन सेव किए जा सकेंगे. साथ ही, इन्हें अपने परिचितों के साथ शेयर करने के लिए आपको जरा भी डेटा खर्च नहीं करना होगा. यह वीडियो को प्रीव्यू करने की सुविधा देता है ताकि ऑफलाइन सेव करने से पहले आप चेक कर सकें कि कितने डेटा में कैसी क्वॉलिटी आएगी, साथ ही प्रीव्यू से आप चेक कर सकते हैं कि यह सेव करने लायक है या नहीं.

इसके अलावा गूगल ने अपने पर्सनल असिस्टेंट को हिंदी में भी पेश किया है. इंडिया और साउथ ईस्ट एशिया के लिए गूगल के वाइस प्रेसिडेंट राजन आनंदन ने कहा कि इसका प्रीव्यू 2016 के अंत तक पेश किया जाएगा और यह Allo मेसेजिंग ऐप के अंदर होगा. इससे आप अपने ऐप से हिन्दी में बात कर सकेंगे और वह आपके सवालों के जवाब ले आएगा.

गूगल ने बताया कि 50 से ज्यादा स्टेशनों पर हर महीने 35 लाख लोग वाईफाई से कनेक्टिविटी पा रहे हैं. इसके लिए गूगल स्टेशन नाम से नया प्लेटफॉर्म लॉन्च किया जाएगा. गूगल प्ले पर फास्ट ब्राउजिंग भी आ रही है. इसमें वाई फाई ऐक्सेस के दौरान गूगल प्ले के पॉपुलर पार्ट्स प्री-लोड हो जाएंगे, कमजोर डेटा वाले इलाके में इससे गूगल प्ले फास्ट चलेगा और ऐप इंस्टॉल वाई फाई में आने पर करेगा.

सपनों का शहर, अब अमीरों का शहर

देश की वित्तीय राजधानी संपत्ति के मामले में सबसे धनाढ्य शहर है. यहां लोगों के पास कुल 820 अरब डॉलर की संपत्ति है जबकि 45,000 करोड़पति और 28 अरबपति हैं. न्यू वर्ल्ड वेल्थ के अनुसार मुंबई के बाद दिल्ली और बेंगलुरू का स्थान है जो क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.

जहां दिल्ली में 450 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 22,000 करोड़पति और 18 अरबपति हैं वहीं बेंगलुरू 320 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ 7,500 करोड़पति और आठ अरबपति हैं. कुल संपत्ति से आशय निजी संपत्ति से है जो लोगों के पास हैं. रिपोर्ट में संपत्ति को किसी व्यक्ति की शुद्ध संपत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है. इसमें उनकी सभी संपत्ति (संपत्ति, नकद, इक्विटी, व्यापार रूचि) शामिल है जिसमें से बकाये को घटाया गया है. रिपोर्ट में सरकारी कोष को आंकड़े से अलग रखा गया है.

रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल संपत्ति 5,600 अरब डॉलर (जून 2016 तक) आंकी गयी है. देश में कुल 2,64,000 करोड़पति और 95 अरबपति हैं. देश में अन्य उभरते शहरों में सूरत, अहमदाबाद, विशाखापत्तनम, गोवा, चडीगढ़, जयपुर तथा वडोदरा शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार अगले दशक में भारत को स्थानीय वित्तीय सेवा, आईटी, रीयल एस्टेट, स्वास्थ्य तथा मीडिया क्षेत्र में मजबूत वृद्धि से लाभ हो सकता है. करोड़पति या उच्च नेटवर्थ वाले लोगों में वे शामिल हैं जिनके पास शुद्ध रूप से संपत्ति 10 लाख डालर या उससे अधिक है. अरबपति से आशय ऐसे व्यक्ति से हैं जिनके पास शुद्ध संपत्ति एक अरब डालर या उससे अधिक है.

अन्य धनवान शहरों में हैदराबाद (310 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 8,200 करोड़पति, सात अरबपति, कोलकाता (290 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 8,600 करोड़पति और 10 अरबपति), पुणे (180 अरब डॉलर के साथ 3,900 करोड़पति और पांच अरबपति), चेन्नई (150 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 6,200 करोड़पति, और चार अरबपति) और गुड़गांव (110 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 3,600 करोड़पति के साथ दो अरबपति) शामिल हैं.

iOS10: कुछ फीचर्स अच्‍छे तो कुछ बुरे भी

इस साल हुए WWDC सम्मेलन में, एप्‍पल iOS 10 को प्रदर्शित किया गया, जिसे अब तक इस कम्‍पनी का सबसे बड़ा आईओएस माना गया है. हर साल की तरह, एप्‍पल ने इस लेटेस्‍ट ओएस को आईफोन 7 और 7 प्‍लस के बाद, आम जनता के लिए उपलब्‍ध करवाया.

जैसाकि हर तकनीक में होता है कि उसके कुछ अच्‍छे फीचर्स होते हैं और कुछ बुरे फीचर्स भी होते हैं. आइए जानते हैं iOS 10 के अच्‍छे और बेकार फीचर्स के बारे में:

विजेट, रिवैम्‍पड नोटिफिकेशन सेंटर और कंट्रोल सेंटर

iOS 10 के बारे में अच्‍छे फीचर्स की बात करें तो इसके नोटिफिकेशन बहुत रिच हैं और ऊपर दिए गए बाकी के फीचर्स भी काफी अलग और यूजरफ्रैंडली हैं. आपको स्‍क्रीन को अनलॉक करने की जरूरत नहीं होती है, आप डायरेक्‍ट ही इमेज को देख सकते हैं और टेक्‍स्‍ट को पढ़ सकते हैं और रिप्‍लाई बैक कर सकते हैं. राइट साइड स्‍वाइप करने पर विजेट आते हैं जैसे- मौसम, समाचार, म्‍यूजिक, फोटो, रिमाइंडर्स आदि.

आई मैसेज एप

आईमैसेज एप बहुत ही फनी है. आप इसमें इमेज को भेजने के साथ-साथ उसमें एनीमेटेड बैकग्राउंड के साथ भी एड कर सकते हैं.  

इम्‍प्रूव फोटो एप और मेमोरी

इस ओएस में इम्‍प्रूव फोटो एप और मेमोरी को बेहतरीन तरीके से पेश किया गया है.

स्‍मार्टर सिरी

सिरी, थर्ड पार्टी डेवलपर्स के लिए ओपन फीचर है. साधारण शब्‍दों में, आप सिरी से व्‍हाट्सएप को संदेश भेजने का इंस्‍ट्रक्‍शन भी दे सकते हैं.

डिलेटेबल स्‍टॉक एप्‍स

आप कुछ ऐसी एप को हटा सकते हैं जिन्‍हें आपके द्वारा यूज नहीं किया जाता है. बाकी के ओएस में ऐसा संभव नहीं होता है, लेकिन इसमें ऐसा है.

अनलॉक करने के लिए स्‍लाइड करें –

अलविदा फीचर

एप्‍पल ने इस फीचर को हटा दिया और ओएस10 से स्‍लाइड करके अनलॉक करने की विधि समाप्‍त कर दी. अब आपको होम टू ओपन पर प्रेस करके फोन को अनलॉक करना होगा. कई यूजर्स को ये पसंद नहीं आया.

बेकार म्‍यूजिक एप

एप्‍पल ने इस ओएस में एक एप को लांच किया है जिसे यूजर्स ने खासा पसंद नहीं किया है. उनका कहना है कि इसे फॉन्‍ट बहुत बड़े है जो इसे बेकार बनाते हैं. बहुत ज्‍यादा बैट्री की खपत

इस आईओएस में डिवाइस के रन कराने से बैट्री की खपत बहुत ज्‍यादा होती है. हालांकि, एप्‍पल ने इस पर काम किया है लेकिन पूरी तरह से सफलता नहीं मिली है.

रेज टू वेक फीचर में दिक्‍कत

आईओएस 10 के रेज टू वेक फीचर में काफी दिक्‍कत आ रही है. यूजर्स को इसे शुरू करने में ही समस्‍या आ रही है. इसके खिलाफ कई शिकायतें भी हो चुकी हैं. ब्रिकिंग इश्‍यू एप्‍पल के यूजर्स ने इस ओएस में ब्रिक्रिंग इश्‍यू को भी समस्‍याग्रस्‍त बताया है. इसलिए, हम आपको अपनी डिवाइस को अपडेट करने से पहले उसका बैकअप लेने की सलाह देते हैं.

अब युवी की हो सकती है टीम इंडिया में एंट्री

न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के लिए टीम इंडिया में गौतम गंभीर की वापसी के साथ ही सिक्सर किंग युवराज सिंह के लिए एक अच्छी खबर आई है. टीम इंडिया की टेस्ट टीम में दो साल बाद सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर की वापसी हुई तो और अब लग रहा है कि वनडे टीम में युवराज सिंह भी वापसी कर सकते हैं.

बेंगलुरु के नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में हुए फिटनेस टेस्ट में दोनों क्रिकेटरों ने टेस्ट पास कर लिया है. आने वाले समय में टीम इंडिया को कई घरेलू सीरीज खेलनी हैं ऐसे में बोर्ड कुछ क्रिकेटरों का बैक-अप तैयार कर रहे हैं.

टीम इंडिया इस समय न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेल रही है और इसके बाद दोनों टीमों के बीच 5 मैचों की वनडे सीरीज खेली जानी है. युवराज आखिरी बार दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ साल 2013 में वनडे मैच खेले थे. हालांकि इस साल वो टी-20 टीम में वापसी करने में सफल रहे थे.

इसके साथ ही युवराज की शादी की तारीख भी तय हो गई है. युवराज की शादी इसी साल 30 नवंबर को उनके होमटाउन में होगी.

‘इंडिया फोबिया’ का शिकार पाकिस्तान

अफगानिस्तान के खिलाफ पाकिस्तान लगातार ‘प्रोपगेंडा वार’ चला रहा है, और भारत, जो इस क्षेत्र और विश्व की बड़ी ताकतों में से एक है, आतंकी गुटों का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग करने की कोशिशों में लगा है. वाकई इन आतंकी गुटों ने इस पूरे इलाके को दोजख बना रखा है.

अफगान हुक्मरान लगातार पाकिस्तान से यह गुजारिश करते रहे हैं कि वह हक्कानी नेटवर्क, तालिबान और आईएस जैसे वहशी गुटों का साथ देना बंद करे. मगर वह इसे अनसुना करता रहा है. ऐसा लगता है कि इस्लामाबाद की मंशा इनका खाद-पानी बंद करने की है ही नहीं, अलबत्ता वह अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ आरोप-प्रत्यारोप और ‘प्रोपगेंडा वार’ में उलझा हुआ है. यह नीति पाकिस्तान की सेहत के लिए ठीक नहीं. दुष्प्रचार ऐसा कि उसने अपने यहां भी जंगी माहौल बना रखा है.

इस काम में उसकी फौज के आला अधिकारी जुटे हुए हैं, जो सोशल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर बेसिर-पैर की खबरें परोस रहे हैं, ताकि अवाम को झांसा दिया जा सके और उनके बीच अपनी बिगड़ती छवि दुरुस्त की जा सके. इस ‘प्रोपगेंडा’ पर फौज अच्छी-खासी रकम खर्च कर रही है. अवाम को बताया जा रहा है कि पाकिस्तान पर हमला किया जा सकता है.

पाकिस्तानी मीडिया ने ऐसी रिपोर्ट भी दिखाई है कि ईरान के चाबहार के रास्ते भारत अपनी फौज अफगानिस्तान भेजेगा, और अफगान व भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के खिलाफ आपस में साझेदारी कर ली है. हालांकि ये तमाम खबरें झूठी हैं. पाकिस्तानी सेना अपनी जम्हूरी हुकूमत और बाशिंदों को गुमराह कर सकती है, मगर अनुभवी मुल्कों को बेवकूफ नहीं बना सकती. अब अमेरिका भी यह मानने लगा है कि इस्लामाबाद ने दहशतगर्दों का बखूबी इस्तेमाल किया है.

दरअसल, पाकिस्तान ‘इंडिया-फोबिया’ का शिकार है. साथ ही, उसे उन इलाकों को भी खोने का डर है, जिन पर उसने बंदूक के जरिये कब्जा करा है. इसलिए पाकिस्तानी अफसरान अपने लोगों के सामने भारत व अफगानिस्तान को दुश्मन के तौर पर पेश कर रहे हैं, जबकि इसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं.

बांग्लादेश की एक अधूरी कहानी

बांग्लादेश के आर्थिक विकास की कहानी अपने आप में प्रेरणादायी है, और इसकी तस्दीक पूरी दुनिया कर रही है. जाहिर है, इसको लेकर आशंका जताने वाले गलत साबित हुए हैं. लेकिन ठीक यही बात बांग्लादेश अपने लोकतंत्र की तरक्की के बारे में नहीं कह सकता. एक वक्त था, जब लोकतंत्र के नाम पर बांग्लादेश में चारों तरफ गड़बड़ियां फैली हुई थीं.

मसलन, बात-बात पर हड़ताल हो जाती और मासूम लोगों के कत्ल होते रहते थे. साल 2014 के आम चुनाव को नाकाम करने की बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) की हिंसक कोशिशों का भी खुलकर विरोध किया गया. उस चुनाव में 153 सांसद इसी वजह से निर्विरोध जीत गए थे और 2015 में पार्टी ने आम चुनाव की सालगिरह पर भी जमकर हंगामा काटा था. लेकिन अब ऐसा लगता है कि वह बिल्कुल उल्टी दिशा में मुड़ गए हैं.

लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यही है कि उसमें मुखालिफ जमातों और आवाजों को भरपूर इज्जत मिली होती है. मगर अफसोस, आज बहुत कम लोग इस बात को लेकर संजीदा हैं कि बांग्लादेश की मौजूदा सियासत में विरोध की आवाज के लिए कोई जगह नहीं रह गई है. विरोधी पार्टियों के नेताओं को धमकाना, उनके ऊपर बेहूदा आरोपों के तहत मुकदमे लादना और फिर मनमाने तरीके से उन्हें गिरफ्तार करना, मीडिया पर दबाव बनाना आदि अच्छे सियासी माहौल के लक्षण नहीं हैं.

इसमें कोई दोराय नहीं कि लोकतंत्र के बगैर भी माली तरक्की की कई नजीरें दुनिया में मौजूद हैं. लेकिन वे विकास अयूब और मार्कोस की तरह टिकाऊ नहीं रहे हैं. हाल के दिनों में लोकतंत्र और विकास को असंगत ठहराने की प्रवृत्ति देखने को मिली है. ऐसी सोच वालों की दलील है कि मुल्क की माली तरक्की के लिए लोकतंत्र को हाशिये पर रखा जा सकता है. लेकिन इस नजरिये की खामियों को देखने के लिए किसी को राजनीति विज्ञानी होने की जरूरत नहीं है. हम तो यही उम्मीद करेंगे कि बांग्लादेश इस झांसे में न आए. तमाम तरह की चुनौतियों के लिए बांग्लादेश को और अधिक राजनीतिक विस्तार व परिपक्वता की दरकार है.

फ्लिपकार्ट में निवेश कर सकता है वॉलमार्ट

रिटेल सेक्‍टर में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी वॉलमार्ट भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र की प्रमुख कंपनी फ्लिपकार्ट में एक छोटी हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक अरब डॉलर का निवेश कर सकती है. दोनों कंपनियां इस संबंध में बातचीत कर रही हैं. वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट आपस में गठबंधन करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. वॉलमार्ट ने ईमेल के माध्यम से इस संबंध में पूछे गए प्रश्न पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. इसी तरह फ्लिपकार्ट ने भी इस संबंध में कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की है.

जून में वॉलमार्ट ने चीन की दूसरी सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी जेडी डॉट कॉम में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. गौरतलब है कि चीन में भी भारत की तरह ई-कॉमर्स क्षेत्र बढ़ रहा है. बाजार विश्लेषकों के अनुसार फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट के साथ आने से अमेजन को कड़ी टक्कर देने में मदद मिलेगी.

ईबे पर 75 प्रतिशत तक छूट

त्यौहारी मौसम में ई-कॉमर्स क्षेत्र की कंपनी ईबे डॉट इन ने विभिन्न श्रेणी के उत्पादों पर 75 प्रतिशत तक छूट देने की घोषणा की है.

– कंपनी ने बताया कि अपने लाउडेस्ट दिवाली एवर ऑफर के तहत वह विभिन्न श्रेणियों में 75 प्रतिशत की छूट की पेशकश की है.

– यह योजना 31 अक्‍टूबर तक चलेगी.

– इलेक्‍ट्रॉनिक श्रेणी में 53 प्रतिशत, परिधान में 75 प्रतिशत और घरेलू साजसज्जा के सामान की श्रेणी में 50 प्रतिशत तक छूट मिलेगी.

– कंपनी इस योजना के तहत दस करोड़ उत्पादों को अपने मंच पर उपलब्ध करा रही है.

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