गोआ की इलियाना डिक्रूज ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत टौलीवुड से की. करीब 18 फिल्मों के बाद अनुराग बसु की फिल्म ‘बर्फी’ से बौलीवुड में कदम रखते हुए उन्होंने एक संजीदा अदाकारा के रूप में अपनी पहचान बनाई. मगर उस के बाद वे ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’, ‘मैं तेरा हीरो’, ‘हैप्पी ऐंडिंग’ जैसी कमर्शियल फिल्में करती रहीं. पर इस बार फिर इलियाना डिक्रूज ने रिश्तों की बात करने वाली एक संजीदा फिल्म ‘रुस्तम’ में अक्षय कुमार के साथ अभिनय कर सब को चौंका दिया है. इस में इलियाना ने एक ऐसी औरत का किरदार निभाया जो अपने पति को धोखा दे कर दूसरे पुरुष के साथ प्रेम संबंध बनाती है. चूंकि फिल्म बेहद सफल हो चुकी है और उन का काम भी खासा पसंद किया जा रहा है तो उन का उत्साहित होना स्वाभाविक है.
इलियाना से जब मुलाकात हुई, तो उन के कैरियर के अलावा रिश्तों को ले कर भी बातचीत हुई, बौलीवुड में ‘बर्फी’ से ले कर ‘रुस्तम’ तक के अपने कैरियर को ले कर वे कहती हैं, ‘‘मैं ने कभी कुछ प्लान नहीं किया. मुझे जो भी अवसर मिले वे अच्छे ही मिले. मैं हमेशा कहानी, किरदार आदि पर ध्यान देते हुए सोचती हूं कि यह फिल्म अच्छी है. लोगों को पसंद आएगी, उन्हें मनोरंजन मिलेगा, तो मैं कर लेती हूं. सच कह रही हूं मैं ने ‘बर्फी’ भी प्लान कर के नहीं की थी. ‘रुस्तम’ भी प्लान कर के नहीं की.’’
फिल्म ‘रुस्तम’ में सिंथिया का किरदार निभाया जो कि वैवाहिक होते हुए भी दूसरे पुरुष के साथ संबंध रखती है. क्या समाज में आप को ऐसे पात्र नजर आते हैं? इस पर उन का जवाब है, ‘‘जी हां, अब यह सब बहुत आम नजर आने लगा है. मुझे लगता है कि पहले भी यह सब होता था, पर शायद पुराने जमाने में इस बारे में बातें नहीं होती थीं. पर अब लोग इतने स्वतंत्र हो गए हैं कि खुल कर बातें करते हैं. सिर्फ पति की ही तरफ से नहीं, बल्कि पत्नी की तरफ से भी समस्याएं पैदा होती हैं. दोनों के अवैध संबंध हो सकते हैं. मुझे लगता है कि वर्तमान में पति व पत्नी दोनों ने समझौता कर लिया है. दोनों को पता होता है कि कौन क्या कर रहा है. दोनों के बीच अनकहा समझौता है कि, ‘हां मुझे पता है कि तुम घर से बाहर क्या कर रहे हो या कर रही हो, पर हम उस मुद्दे पर कभी बात नहीं करेंगे और हम साथ में रहेंगे.’ सच कहूं तो इस तरह एकसाथ रहना या इस तरह का अनकहा समझौता मेरी समझ से परे है. आज की तारीख में हर रिश्ता बहुत ज्यादा उलझा और बहुत अलग है.’’
तो क्या वे इस तरह के समझौतावादी रिश्तों के खिलाफ हैं? इस पर वे कहती हैं, ‘‘मैं कौन होती हूं किसी की जिंदगी पर टिप्पणी करने वाली. हर मर्द और औरत अपने हिसाब से जिंदगी जीने के लिए स्वतंत्र है. मुझे पता है कि मेरी कुछ सहेलियां और कुछ सहकलाकार भी इसी तरह के रिश्ते में रह रहे हैं. मैं ने कई बार उन से सवाल किया कि क्या उन्हें अच्छा लगता है कि उन के पति या पत्नी या जो आप के पार्टनर हैं,किसी और के साथ रिश्ता रखते हैं? तो उन्होंने बहुत साधारण सा जवाब दिया कि इस में कुछ भी गलत नहीं है. उन के जवाब से मुझे लगा कि जैसे यह सामान्य सी बात है.
‘‘शायद उन कपल्स के बीच इतना अधिक प्यार है कि उन्हें सबकुछ सामान्य लग रहा है. उन्हें लगता है कि पति या पत्नी का किसी अन्य से संबंध रखना एक छोटी सी बात है, इस से उन के अपने रिश्ते या वैवाहिक जिंदगी पर असर नहीं पड़ेगा. पर जहां तक मेरा अपना सवाल है, मैं इस तरह के रिश्तों से रिलेट नहीं कर सकती. मुझे नहीं लगता कि मैं कभी ऐसा कर पाऊंगी. मैं कभी किसी के साथ अपने पति को बांट नहीं पाऊंगी या अपने प्रेमी को बांट नहीं पाऊंगी. पर इन दिनों जिस तरह से समाज में रिश्ते जटिल होते जा रहे हैं, ऐसे में यदि 2 लोगों के बीच एक समझदारी है, एकदूसरे के प्रति इज्जत है, तो ठीक है. यह उन की अपनी समझ है.’’
तो क्या वे यह मानती हैं कि इस तरह के जो रिश्ते पल्लवित हो रहे हैं, वहां प्यार के बजाय एकदूसरे की जरूरत पूरी करना ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया है? इस सवाल का जवाब वे कुछ यों देती हैं, ‘‘शायद, आज की तारीख में हर इंसान को धनदौलत व शोहरत चाहिए. हर कोई प्रतिस्पर्धा में आगे रहना चाहता है. इस के लिए लोग एकदूसरे पर निर्भर हो जाते हैं. शायद उन्हें लगता है कि एकदूसरे के सहयोग से ही वे जीवन में आगे बढ़ सकते हैं. इसलिए भी आपसी रिश्तों में समझौता कर लेते हैं. इस संबंध में मैं गारंटी के साथ कुछ नहीं कह सकती. पर मैं ने ज्यादातर इस तरह के रिश्तों में देखा है कि वहां इज्जत का अभाव होता है. पति व पत्नी दोनों एकदूसरे की इज्जत नहीं करते हैं. दोनों को लगता है कि हम एकदूसरे की जरूरतें पूरी कर रहे हैं.’’
वे आगे कहती हैं, ‘‘मैं जब दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम कर रही थी तब मेरे एक सहकलाकार ने मुझे बताया था कि वह नारी स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाती है. तो मैं ने उस से कहा था कि नारी स्वतंत्रता के मुद्दे पर इतना हंगामा करने की जरूरत क्या है, नारी अपनेआप में महान है. बेवजह नारी स्वतंत्रता और नारी सशक्तीकरण के नारे लगाना बेवकूफी है. इस तरह की नारेबाजी कर के हम स्वयं नारी के महत्त्व को कम कर रहे हैं.’’
निजी जिंदगी में रोमांस को ले कर वे सोचते हुए बताती हैं, ‘‘मैं प्यार में यकीन करती हूं, शादी में यकीन करती हूं. मेरा मानना है कि कोई भी रिश्ता हो या शादी ही क्यों न हो, उस में खुशी ही मिलती है. पर इसे बनाए रखने के लिए हमें काफी मेहनत करनी पड़ती है. मैं खुशहाल औरत की जिंदगी जीना पसंद करती हूं. शादीशुदा जिंदगी सदैव खुशहाल नहीं हो सकती है. पर हमें उस के लिए प्रयास करने पड़ेंगे. रिलेशनशिप को मजबूत करने के लिए काम करना पड़ता है. उस में जितना अधिक परिवर्तन करते हैं,उतना ही वह टिकाऊ हो सकती है.’’
‘बर्फी’ जैसी फिल्म के बाद बौलीवुड में जो मुकाम मिलना चाहिए था, वह क्यों नहीं मिला? इस बाबत इलियाना कहती हैं, ‘‘देखिए, ‘बर्फी’ की रिलीज के बाद मेरे पास ‘बर्फी’ जैसी बंगाली लड़की के किरदार के औफर बहुत आए. पर मैं किसी एक तरह की इमेज में बंधना नहीं चाहती थी. दक्षिण भारत में 15 सुपरहिट फिल्में कर के सुपरस्टार बनने के बाद बर्फी जैसी एक लीक से हट कर फिल्म में अभिनय करना मेरे लिए एक चुनौती थी. मैं ने अपने कैरियर में पहली बार ‘बर्फी’ जैसी फिल्म की थी. जिसे करने के लिए मेरे कई सहकलाकारों ने मना किया था. इस से पहले मैं ने टौलीवुड में कमर्शियल व मसाला फिल्में ही की थीं. पर मैं ने बौलीवुड में कुछ अलग काम करने के मकसद से ‘बर्फी’ की थी.’’
किसी फिल्म के किसी किरदार ने आप की जिंदगी पर प्रभाव डाला? इस सवाल पर वे कहती हैं, ‘‘यों तो हर किरदार का मेरी जिंदगी पर कुछ न कुछ असर रहा है पर ‘बर्फी’ और ‘रुस्तम’ के किरदारों ने मेरी जिंदगी पर काफी असर डाला. ‘बर्फी’ करते हुए मुझे लगा कि मैं थोड़ा मैच्योर हो रही हूं. मुझे लगा कि अब रिश्ते ज्यादा समझ में आने लगे हैं जबकि ‘रुस्तम’ करने के बाद तो रिश्तों के प्रति समझदारी बढ़ी है. पतिपत्नी के रिश्ते में भावनात्मक संबंध बहुत जरूरी होता है. यदि यह कहूं तो इन 2 फिल्मों के किरदारों ने मुझे जिंदगी व रिश्तों को समझने में मदद की, तो कुछ भी गलत नहीं होगा.’’
‘बर्फी’ और ‘रुस्तम’ में जो रिश्ते चित्रित किए गए हैं, उन में उन्हें क्या अंतर लगता है? इस पर वे कहती हैं, ‘‘दोनों फिल्मों की कहानी और इन फिल्मों में जो रिश्ते दिखाए गए हैं, उन में जमीनआसमान का अंतर है.‘बर्फी’ में मेरा किरदार टीनएजर का था. उस में मैच्योरिटी नहीं थी. उस वक्त मेरी समझ में भी नहीं आ रहा था कि यह लड़की क्या करेगी? जबकि ‘रुस्तम’ में मेरा सिंथिया का किरदार एक मैच्योर औरत का है. वह शादीशुदा है. वह एक ऐसी परिपक्व औरत है जो कि गलती करती है. उसे गलती का एहसास भी है और उस गलती से उबरना चाहती है. गलती का एहसास भी होने के बाद उसे समझ में नहीं आता कि वह क्या करे? ‘बर्फी’ में मेरा किरदार मासूम था, ‘रुस्तम’ में मैच्योर है पर मजबूर है.’’
दक्षिण टौलीवुड को हमेशा के लिए बायबाय कहने की बात पर इलियाना कहती हैं, ‘‘फिलहाल तो पूरा ध्यान बौलीवुड में है. पर कल को कुछ बहुत ही चुनौतीपूर्ण व एक्साइटिंग किरदार निभाने का औफर मिले, तो दक्षिण में फिर से जा कर काम कर सकती हूं. दोनों में संतुलन बिठाना पड़ता है. रही बात दोनों इंडस्ट्री के फर्क की तो दक्षिण भारत में मैं सिर्फ शूटिंग करती थी. वहां पर मैं डबिंग नहीं करती थी. यहां पर हमें शूटिंग पूरी होने के बाद डबिंग भी करनी पड़ती है. डबिंग करने का अर्थ होता है फिल्म को फिर से करना. वहां पर प्रमोशन भी नहीं होता था, तो मेरा इन्वौल्वमैंट कम होता था. बौलीवुड में रिहर्सल बहुत होते हैं. मुझे दक्षिण भारत में काम करने का बहुत अनुभव है मगर बौलीवुड में काम करने का अनुभव एकदम अलग है. मैं यह नहीं जानती थी कि कभीकभी डबिंग अभिनय में मददगार भी होती है.’’