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वाहबिज ने खोले दिल के राज

मौडलिंग की दुनिया से एक्टिंग में कदम रखने वाली और पुणे की रहने वाली वाहबिज दोराबजी पारसी बिरादरी की हैं. लाइफ ओके के सीरियल ‘बहू हमारी रजनी कांत’ में वाहबिज दोराबजी पंजाबी परिवार की बहू मैगी कांत का किरदार निभा रही हैं.

मैगी के किरदार में वह बेवकूफों वाली हरकतें करती हैं. वह कहती हैं ‘मैगी जैसे कई नाम पंजाबी परिवारों में खूब रखे जाते हैं. यह पूरी तरह से ठेठ पंजाबी किरदार है. कई मामलों में मेरी सास के साथ बहुत बनती नहीं है. मैं अपनी सास के साथ संबंधों का सुधारते नजर आती हूं.’

सीरियल में बेवकूफों की तरह हरकतें करती नजर आने वाली वाहबिज निजी जिदंगी में एकदम स्ट्रेट फारवर्ड और स्मार्ट हैं. अपने दिल के राज खोलते हुए वह कहती हैं मैं रियल लाइफ में एकदम सीरियल जैसी नहीं हूं. मैं अपनी फिल्म और मौडलिंग की दुनिया को पूरी तरह से समझती हूं. इसके पहले कई सीरियल कर कर चुकी हूं. यहां पर लंबा सघर्ष किया है. अपनी मेहनत से जगह बनाई है. मुझे बेस्ट सपोटिंग कैरेक्टर का अवार्ड भी मिल चुका है.

‘बहू हमारी रजनी कांत’ सीरियल में वाहबिज के पति की भूमिका निभा रहे मेहुल निसार कहते है ‘यह सीरियल सास बहू के दूसरे सीरियल से पूरी तरह से अलग है. इसमें किचन पालिटिक्स नहीं है. इसमें ड्रामा और कामेडी का मिलाजुला रूप ड्रैमेडी है.’          

 

गौतम ने किया पाकिस्तान का ‘गंभीर’ विरोध

लंबे समय बाद टीम इंडिया में वापसी करने के बाद राहत महसूस कर रहे बाएं हाथ के ओपनर गौतम गंभीर ने पाकिस्तान से रिश्तों को लेकर जारी बहस के बीच उसके साथ क्रिकेट खेलने को लेकर अपनी राय दी है.

उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान की ओर से जारी आतंकवाद ने खेल संबंधों को नुकसान पहुंचाया है. इस समय पाक के साथ कोई सीरीज खेलना उचित नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा कि क्रिकेट से ज्यादा जरूरी भारतीयों का जीवन है.

गौतम गंभीर ने कहा, 'हम पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने के बारे में सोच भी नहीं सकते. खेलों से ज्यादा जरूरी भारतीयों का जीवन है.'

गौरतलब है कि हाल ही में उरी में सेना के कैंप पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. जहां बॉलीवुड के हिस्से ने इस हमले के बाद पाक कलाकारों के भारत में काम करने को लेकर सवाल उठाए हैं, वहीं भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने पाक के साथ कई देशों वाले टूर्नामेंटों में भी नहीं खेलने का संकेत दिया है.

बीसीसीआई ने आईसीसी से कहा है कि भविष्य में वह दोनों देशों की टीमों को एक ही ग्रुप में नहीं रखें. उरी पर आतंकी हमले और फिर भारतीय सेना का नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है जिसके कारण इस मसले पर बीसीसीआई की विशेष आमसभा की बैठक से इतर इस पर भी चर्चा की गई.

बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा था, ‘सरकार ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने की नई रणनीति अपनाई है. उसे और देश की आम जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हमने आईसीसी से आग्रह किया है कि वह बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत और पाकिस्तान को एक ही ग्रुप में नहीं रखे.’

उन्होंने यह भी कहा कि यदि दोनों टीमें सेमीफाइनल में पहुंचती है और एक-दूसरे से भिड़ती हैं तो यह अलग तरह की स्थिति होगी जिससे बचा नहीं जा सकता है. अगला बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट चैंपियन्स ट्रॉफी है जो सात महीने बाद ब्रिटेन में खेला जाएगा. भारत और पाकिस्तान के बीच पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता को ध्यान में रखते हुए आईसीसी अधिक दर्शकों को खींचने के लिये बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट में अक्सर दोनों टीमों को एक ग्रुप में रखती रही है.

ताकि चलती रहे बैटरी सालों साल

स्मार्टफोन्स ने डिजाइन, कैमरा और यहां तक कि प्रोसेसिंग पावर के लिहाज से एक लंबा सफर तय किया है. हालांकि, बैटरी टेक्नॉलजी के मामले में अभी तक कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है. इस वजह से हम यहां ऐसी ट्रिक्स बता रहे हैं, जो आपको अपने स्मार्टफोन की बैटरी के बढ़िया रिजल्ट हासिल करने में मदद करेंगी.

1. वाइब्रेशन और हैप्टिक फीडबैक बंद करें

हमें स्मार्टफोन कीबोर्ड पर टाइपिंग करते हुए हल्का वाइब्रेशन पसंद है, लेकिन यह काफी बैटरी खाता है क्योंकि हम दिनभर में टाइपिंग करने में काफी वक्त लगाते हैं. इसके अलावा, अगर आप नोटिफिकेशन की सूचना वाइब्रेशन के जरिए नहीं चाहते हैं, तो हैप्टिक फीडबैक को बंद कर दीजिए क्योंकि रिंग करने के बजाय वाइब्रेशन में यह ज्यादा बैटरी खाता है. इसे आप सेटिंग्स में जाने के बाद Sound & Vibration से मैनेज कर सकते हैं.

2. गूगल हॉटवर्ड डिटेक्शन का ‘ऑलवेज ऑन’ बंद करें

गूगल के हॉटवर्ड डिटेक्शन को बंद करने से आपके ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन की बैटरी लाइफ में सुधार आता है. यह आपके फोन को हमेशा एक सर्च फंक्शन परफॉर्म करने के लिए किसी कमांड को सुनने के लिए तैयार रहने से रोकता है. आप इसे ऐसे बंद कर सकते हैं- ऐप्स पर जाइए > सेटिंग्स > गूगल सर्विसेज > सर्च एंड नाउ > वॉइस ‘ओके गूगल डिटेक्शन’ पर क्लिक करें और ‘ऑलवेज ऑन’ को ऑफ कर दें.

दूसरा तरीका यह है कि अकाउंट्स में जाने के बाद Google पर जाएं. इसमें बॉटम पर Search & Now दिखेगा. यहां से आप मैनेज कर सकते हैं कि Ok Google को फोन कब-कब डिटेक्ट कर सकता है.

3. ब्लैक या डार्क कलर वाले वॉलपेपर सेट करें

अगर आपके स्मार्टफोन में एमोलेड डिस्प्ले है, तो ब्लैक कलर के वॉलपेपर लगाने से आपको बैटरी लाइफ बचाने में मदद मिलेगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि एमोलेड डिस्प्ले को बनाने वाले पिक्सल केवल हल्के रंगों को दिखाने के लिए बैटरी पावर का इस्तेमाल करते हैं और इन्हें ब्लैक कलर के लिए एनर्जी की जरूरत नहीं होती. सीधे शब्दों में, जितने ज्यादा डार्क या ब्लैक पिक्सल आपकी एमोलेड डिस्प्ले पर होंगे, उतनी ही कम पावर यह उन्हें दिखाने में करेगा. ऐसे में बैटरी लाइफ बचती है.

4. लोकेशन यूज करने वाले ऐप्स को कस्टमाइज करें

आपके स्मार्टफोन में इंस्टॉल्ड ज्यादातर ऐप्स लगातार आपकी लोकेशन को ट्रैक करते हैं, लेकिन जब आपको लोकेशन ट्रैकिंग की जरूरत न हो तो भी दिनभर इन्हें ऑन रखने से स्मार्टफोन की बैटरी की खपत बढ़ती है. जब आप केवल विडियोज देख रहे हैं, ईमेल भेज रहे हों, या ऐसे ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हों, जिनमें लोकेशन ट्रैकिंग की जरूरत न हो, इसे बंद रखिए. इससे आप काफी बैटरी बचा पाएंगे. यह सेटिंग आपको Permissions के अंदर Location permissions में मिलेगी.

5. अपडेट्स को मिस न करें

ऐप्स को अपडेट करना शायद थकाऊ काम लगता है, लेकिन वास्तव में यह आपको ओवरऑल स्मार्टफोन परफॉर्मेंस और बैटरी लाइफ को सुधारने में मदद देता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि डिवेलपर्स लगातार ऐप्स को अपडेट करते हैं और बैटरी और मेमोरी ऑप्टिमाइजेशन को सुधारने की कोशिश करते हैं. ऐसे में यह सुनिश्चित कीजिए कि आपके स्मार्टफोन में लेटेस्ट वर्जन वाले ऐप्स इंस्टॉल हों. यही नहीं, सिस्टम अपडेट्स भी करते रहें. अगर आपके फोन में कस्टमाइज्ड यूजर इंटरफेस है, उसे अपडेट करते रहना भी जरूरी है.

6. एयरप्लेन मोड ऑन करें

आप हर वक्त इस तरीके को नहीं आजमा सकते, मगर कभी बैटरी बचाकर रखनी हो तो इसे ट्राई किया जा सकता है. एयरप्लेन मोड पर स्मार्टफोन की बैटरी ज्यादा टिकती है.

7. ऑन स्क्रीन विजट्स हटाएं

बहुत सारे ऑन सारे विजट्स ऐसे हैं, जो लगातार अपडेट होने के लिए इंटरनेट से जुड़े रहते हैं. मौसम, समाचार वगैरह के ऐसे विजट्स बहुत बैटरी खर्च करते हैं. स्क्रीन को खाली रखें.

8. ऑटो सिंक (Auto Sync) ऑफ करें

जीमेल, कैलंडर, ट्विटर लगातार खुद को रिफ्रेश करते रहते हैं, ताकि लेटेस्ट इन्फर्मेशन ले सकें. अगर आपको तुरंत इन्फर्मेशन वगैरह नहीं चाहिए होती है तो बैटरी बचाने के लिए ऑटो-सिंक ऑफ कर सकते हैं.

9. डोज मोड

अगर आपके फोन में ऐंड्रॉयड मार्शमैलो है, तभी आप इस फीचर का लाभ उठा पाएंगे. यह मोड बैकग्राउंड में काम करता है. जब फोन लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं किया जाता तो फोन अपने आप हाइबरनेशन में चला जाता है.

10. जीपीएस, ब्लूटूथ और NFC सेटिंग चेक करें

कई बार हम जीपीएस, ब्लूटूथ और NFC को ऑन करके छोड़ देते हैं. इन्हें ऑफ रखना जाहिए और जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल करना चाहिए. इससे भी बैटरी बचाने में मदद मिलती है.

खतरे में है आपकी नौकरी…!

पिछले चार साल के दौरान प्रतिदिन 550 नौकरियां ‘गायब’ हुई हैं. यदि यही रुख जारी रहा तो 2050 तक देश में 70 लाख रोजगार समाप्त हो जाएंगे. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. एक अध्ययन में कहा गया है कि देश में आज किसान, छोटे रिटेलर्स, ठेका श्रमिका और निर्माण श्रमिक अपनी आजीविका पर ऐसे खतरे का सामना कर रहे हैं जो उन्हें पहले देखने को नहीं मिला है.

श्रम ब्यूरो के 2016 के शुरू में जारी आंकड़ों के अनुसार 2015 में देश में सिर्फ 1.35 लाख नए रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ. 2013 में 4.19 लाख और 2011 में 9 लाख रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ था. बयान में कहा गया है कि इन आंकड़ों का गहराई से विश्लेषण से और बुरी तस्वीर सामने आती है.

समाप्त हो रहे हैं रोजगार के अवसर

– रोजगार बढ़ने के बजाय देश में प्रतिदिन 550 रोजगार के अवसर समाप्त हो रहे हैं.

– इसका मतलब है कि 2050 तक देश में 70 लाख रोजगार समाप्त हो जाएंगे.

– वहीं इस दौरान देश की आबादी 60 करोड़ बढ़ चुकी होगी.

– आंकड़ों से स्पष्ट पता चलता है कि देश में रोजगार सृजन लगातार घट रहा है, जो काफी चिंता की बात है.

– इन सबके अलावा ऑटोमेशन की वजह से भी भारी संख्या में नौकरी जाने का खतरा है.

साइना बनीं IOC एथलीट आयोग की सदस्य

भारत की शीर्ष महिला बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक की सदस्य समिति में शामिल कर लिया गया है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) एथलीट आयोग ने साइना नेहवाल को अपना सदस्य नियुक्त किया है.

आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाक ने साइना को भेजे पत्र में कहा, 'रियो ओलंपिक के दौरान आईओसी एथलीट आयोग के चुनाव में आपकी उम्मीदवारी को देखते हुए अध्यक्ष से बातचीत के बाद आपको एथलीट आयोग का सदस्य नियुक्त करने में हमें काफी प्रसन्नता हो रही है.'

आयोग की अध्यक्ष एंजेला रूगियेरो हैं. इसमें नौ उपाध्यक्ष और 10 अन्य सदस्य है. आयोग की अगली बैठक अगले महीने छह तारीख को होगी. पूर्व विश्व नंबर वन साइना घुटने की चोट से जूझ रही थीं और अब वह नवंबर में बैडमिंटन कोर्ट पर वापसी करने में जुटी हुई हैं. साइना के पिता हरवीर सिंह ने अपनी बेटी के आईओसी पैनल के सदस्य चुने जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है.

26 वर्षीय साइना अब तक 20 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिताब जीत चुकीं हैं. इसके अलावा वह राजीव गांधी खेल रत्न, पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित की जा चुकीं हैं.

किसानों को रूला रहा ‘प्याज’

अक्टूबर में प्याज की कीमत पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 80% और अक्टूबर 2014 से तकरीबन 66% कम है. साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों की तरफ से खरीदा गया 50% प्याज पहले ही वेयरहाउसों में सड़ रहा है. लासलगांव एपीएमसी में प्याज की न्यूनतम कीमत पिछले दो महीने से 2 रुपये प्रति किलो है, जबकि कर्नाटक से खरीफ सीजन के प्याज की आवक भी शुरू हो गई है.

एसएफएसी केंद्र सरकार की तरफ से तैयार किए गए प्राइस स्टैबलाइजेशन फंड (पीएसएफ) का मैनेजर है. हालांकि, एजेंसी के टॉप अधिकारियों ने इसके प्रोक्योरमेंट ऑपरेशंस के बारे में जानकारी साझा करने से मना कर दिया. महाराष्ट्र के प्याज कारोबार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, नेफेड और एसएफएसी की तरफ से खरीदे गए 50 फीसदी से भी ज्यादा प्याज के सड़ जाने का अनुमान है. बाकी प्याज औसतन खरीद मूल्य के महज 50 फीसदी पर बेचे गए.

एसएफएसी ने 12,567 टन प्याज की खरीदारी की थी और 15 सितंबर के मुताबिक, एजेंसी सिर्फ 5,518.55 टन प्याज बेच सकी. हालांकि, एसएफएसी के टॉप अधिकारियों ने सड़ चुके प्याज और एजेंसी को हुए नुकसान के बारे में जानकारी नहीं दी. मध्य प्रदेश सरकार ने 62 करोड़ का 10.42 लाख टन प्याज खरीदा था. इनमें से 70 फीसदी प्याज वेयरहाउसों में ही सड़ गए. नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड0 ने 5,000 टन प्याज खरीदा था.

धूप से चार्ज होगा ये पावर बैंक

स्मार्टफोन चार्जिंग की समस्या से आप परेशान हैं, तो आपके लिए ये अच्छी खबर है. ट्रैवलिंग से पहले या ऐसी जगह जहां बिजली न हो, तो अब आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं है. क्योंकि बिना बिजली के चार्ज होनेवाला पावरबैंक कम कीमत में आपको मिल जाएगी. दिल्ली की ही एक कंपनी UIMI टेक्नोलॉजी ने ऐसा पावरबैंक लॉन्च किया है जो बिना बिजली के भी चार्ज होता है.

6,000mAh की बैटरी क्षमता वाले इस पावरबैंक की स्नैपडील पर कीमत 699 रुपए है. इसकी वारंटी 1 साल है. इसमें एलईडी इंडीकेटर है, यह माइक्रो यूएसबी से कनेक्ट होता है और पूरी तरह चार्ज होने में 6 घंटे लेता है. कंपनी का दावा है कि यह पहला मेक इन इंडिया पावरबैंक है. खासियत यह है कि इसे धूप से भी चार्ज कर सकते हैं. इसके लिए इसमें सोलर पैनल भी दिया गया है.

यह आम पावरबैंक जैसा ही है जिसे आप बिजली से भी चार्ज कर सकते हैं. इसमें सिंगल इनपुट पोर्ट और दो यूसबी पोर्ट दिया गया है जिसे एक साथ दो डिवाइस चार्ज कर सकते हैं. इसमें एलईडी लाइट है और कंपनी के मुताबिक यह वॉटर और डस्ट प्रूफ भी है.

यह पावर बैंक ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेजॉन, स्नैपडील, फ्लिपकार्ट और पेटीएम पर मिलेगा. इसमें रबर फिनिश दिया गया है और यह डीप स्काई ब्लू और लाइम ग्रीन कलर वैरिएंट में उपलब्ध होगा.

फ्लेक्सी फेयर की स्पीड में स्लो पड़ीं प्रीमियम ट्रेनें

रेलवे को अपनी कमाई बढ़ाने के लिए प्रायोगिक तौर पर राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में फ्लेक्सी किराया प्रणाली लागू करना महंगा पड़ रहा है. इससे इन ट्रेनों के पैसेंजर्स अब दूसरी ट्रेनों में टिकट कराना बेहतर समझते हैं. यही वजह है कि एक ओर शताब्दी और राजधानी जैसी ट्रेनों में सीटें खाली चल रही हैं, वहीं दूसरी एक्सप्रेस ट्रेनों में जगह फुल है.

हफ्ते में कई बार ऐसा भी हो रहा है जब राजधानी, शताब्दी और दुरंतों का टिकट हवाई टिकट के बराबर या उससे भी महंगा हो जा रहा है, ऐसे में लोग इन ट्रेनों के बजाय फ्लाइट को ज्यादा प्राथमिकता देने लग गए हैं. बीते महीने से सितंबर में देश भर की सभी शताब्दी, राजधानी एवं दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू किया था. इससे इन ट्रेनों के 90 फीसदी पैसेंजर्स को पहले के मुकाबले महंगा किराया देकर सफर करना पड़ रहा है. यहां तक कि आखिर में टिकट लेने वालों को डेढ़ गुना तक किराया देना पड़ता है. इसके चलते 30-35 प्रतिशत लोग अब राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों में सफर करने के बजाए सामान्य किराए वाली ट्रेनों में सफर करना बेहतर समझते हैं.

यह हाल है लखनऊ-दिल्ली रूट का

फ्लेक्सी फेयर लागू होने के बाद लखनऊ से नई दिल्ली के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी में भीड़ घट गई है. शताब्दी में जहां रोजाना सैकड़ों सीटें खाली हैं, वहीं गोमती एक्सप्रेस और गरीब रथ जैसी गाड़ियों में एसी चेयरकार फुल है. इसके अलावा पैसेंजर रात की ट्रेन लखनऊ मेल को तरजीह दे रहे हैं. रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल कुमार सक्सेना ने कहा, 'फ्लेक्सी फेयर से रेलवे के फायदे-नुकसान का आंकलन तीन महीने बाद किया जाएगा.'

शताब्दी और राजधानी खाली, गोमती फुल

शताब्दी में 19 अक्टूबर के बाद दिवाली के दौरान छोड़कर अन्य दिनों का आसानी से रिजर्वेशन मिल रहा है. हर ट्रिप में सैकड़ों सीटें खाली हैं. लेकिन गरीब रथ में चेयरकार और थर्ड एसी का टिकट वेटिंग में चल रहा है. इसी तरह राजधानी में सेकंड एसी और थर्ड एसी में कन्फर्म टिकट मिल रहा है. यहां तक कि गोमती एक्सप्रेस में भी चेयरकार और सेकंड एसी फुल है. जबकि दिल्ली जाने वाले पैसेंजर अभी तक गोमती एक्सप्रेस को कोई तवज्जो नहीं देते थे.

340 से 580 रुपये महंगा हुआ सफर

राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली जाने वालों को सेकंड एसी की पहली 10 प्रतिशत सीटों के लिए 1520 रुपये किराया देना पड़ता है. इसके बाद बढ़ते-बढ़ते यह किराया 2100 रुपये तक पहुंच जाता है. वहीं राजधानी के थर्ड एसी से दिल्ली जाने पर पहले 1150 रुपये और आखिर में 1560 रुपये किराया देना पड़ता है. जबकि शताब्दी में सफर करने पर पहले जहां 970 रुपये का टिकट बनता है वहीं आखिर में यह टिकट 1310 रुपये तक पहुंच जाता है.

इस मामले में कोहली का कोई तोड़ नहीं!

टीम इंडिया की नई ‘रन मशीन’ विराट कोहली हर मैच के साथ नए रिकॉर्ड बनाते जा रहे हैं. बीते 16 अक्‍टूबर को न्‍यूजीलैंड के खिलाफ उन्‍होंने 85 रनों की नाबाद पारी खेली, तो 27 साल के इस क्रिकेटर ने एक बात और पुख्‍ता कर दी. वह यह कि रनों का पीछा करते वक्‍त कोहली कुछ अलग टेंपरामेंट से बल्‍लेबाजी करते हैं.

अब अपने दम पर टीम इंडिया को जीत की तरफ ले जाते विराट कोहली को देखकर आश्‍चर्य नहीं होता. आंकड़े भी उन्‍हीं का साथ देते हैं. भारतीय क्रिकेट टीम ने रनों का पीछा करते हुए जो 61 मैच जीते हैं, उनमें खेलते हुए विराट कोहली ने 86.15 के औसत से रन बनाए हैं.

यही नहीं, इन मैचों में उन्‍होंने 13 शतक भी जड़े. ऐसे में अगर यह कहा जाए कि वह रनों का पीछा करने के मामले में माइकल बेवन और एमएस धोनी से बेहतर हैं, तो गलत नहीं होगा. जब बेवन और धोनी ने कई मैचों की सूरत बदली है, कोहली ने अपनी ‘क्‍लास’ बरकरार रखी है. 2008 में डेब्‍यू करने के बाद, कोहली ने हर पायदान पर अपना लोहा मनवाया है. वनडे में खासतौर पर उनका प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है.

सफल मैचों में खेलते हुए धोनी का औसत 102.08 और बेवन का औसत 86.05 है, लेकिन कोहली लगातार अच्‍छा प्रदर्शन कर आगे निकल रहे हैं. कई मौकों पर तो उन्‍हें पूरी पारी को अपने कंधों पर धोना पड़ता है. टेस्‍ट टीम का कप्‍तान बनने के लिए विराट कोहली थोड़े गंभीर जरूर हुए हैं, लेकिन खेल के प्रति उनका एग्रेशन उसी तरह बरकरार है. खुद धोनी इस बात को मानते हैं कि अब वे कोहली से सलाह लेने लगे हैं.

बीते दिनों धोनी ने कहा था, ”मैं कोहली से पहले से ही सलाह लेने लगा हूं. यदि आप किसी मैच को देखेंगे तो आपको लगेगा कि मैं उससे ज्‍यादा बात करता हूं क्‍योंकि किसी बात को लेकर दो लोगों के बयान अलग तरह के होंगे.” कोहली के भीतर अभी सालों का क्रिकेट बाकी है, ऐसे में उम्‍मीद है कि वे रिकॉर्ड्स तोड़ना जारी रखेंगे.

जियो के Blue और Orange पैक में क्या फर्क है?

रिलायंस जियो इंफोकॉम ने सितंबर की शुरुआत में अपनी 4जी सर्विस की शुरुआत की थी. 5 सितंबर से कंपनी वेलकम ऑफर दे रही है, जो 31 दिसंबर तक काम करेगा. वहीं 5 सितंबर से पहले रिलायंस जियो प्रिव्यू ऑफर के तहत सिम बेच रही थी. हालांकि प्रिव्यू ऑफर में भी सिम मुफ्त था और वेलकम ऑफर में भी, लेकिन दोनों के ऑफर्स में थोड़ा फर्क है. प्रिव्यू ऑफर में में 90 दिन के लिए अनलिमिटेड 4जी, अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और एसएमएस जैसी सुविधाएं दी गई थी. वहीं 5 सितंबर से शुरू हुए वेल्कम ऑफर में यह अवधि 31 दिसंबर तक की है. वेलकम ऑफर के आते ही प्रिव्यू ऑफर को खत्म कर दिया गया था.

मुफ्त सुविधाओं के मिलने के कारण देश में रिलायंस जियो की सर्विस का 16 मिलियन ( 1.6 करोड़) लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं अभी कुछ लोग इस सिम को खरीदने की कोशिश में लगे हैं तो कुछ एक्टिवेट होने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन एक बात है जो अधिकतर लोगों के समझ में नहीं आई. कंपनी की ओर से दो तरह के सिम कार्ड दिए गए हैं. एक वो जो ऑरेंज कलर के पैक में थे और दूसरे ब्लू कलर के पैक में हैं. शायद ही किसी ग्राहक को इन दोनों के बीच का फर्क पता हो, लेकिन हम आपको इन दोनों का अंतर समझाने वाले हैं.

ऑरेंज जियो 4जी सिम: रिलायंस जियो ने बाजार में इस सिम को लाने और सभी 4जी उपभोक्ताओं के लिए इसे उपलब्ध कराने से पहले इसकी टेस्टिंग रखी थी. ऑरेंज कलर पैकेट वाले जियो सिम इस दौरान ही आए थे. शुरुआत में ये सिम रिलायंस जियो के कर्मचारियों को दिए गए थे, वहीं बाद में रिलायंल डिजिटल स्टोर्स और एक्सप्रेस मिनी स्टोर्स पर भी इन्हें भेजा गया था.

ब्लू जियो 4जी सिम: इन सिम कार्ड्स को विशेष तौर पर 5 सितंबर से शुरू हुए eKYC प्रोसेस के लिए लाया गया था. हालांकि जब ऑरेंज सिम का स्टॉक खत्म हो गया तब कंपनी को इन सिम का सहारा लेना पड़ा है. वैसे अब अधिकतर जगहों पर ब्लू पैक वाले जियो सिम ही दिए जा रहे हैं.

ऑफर में नहीं है फर्क: हालांकि ऐसा नहीं है कि पैक के बदल जाने से ग्राहकों को मिलने वाले ऑफर में भी फर्क हो. आप किसी भी कलर का सिम लेते हैं तो इसमें एक सामन ही सुविधा होगा. दोनों में ही अनलिमिटेड कॉल्स, एसएमएस और अनलिमिटेड 4जी डेटा का ऑफर दिया जा रहा है.

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