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विदेशी रणनीतिकार

इधर कांग्रेस तो प्रशांत कुमार यानी पीके पीके करती रह गई उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी समाजवादी पार्टी के चुनाव अभियान के लिए एक रणनीतिकार आयात कर लाए. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़े इस शख्स का नाम स्टीव जौर्डिग है जिसे दुनिया के दिग्गज रणनीतिकारों में शुमार किया जाता है. उस के बारे में इतना ही कहना काफी है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति पद के अहम चुनाव में हिलेरी क्लिंटन के लिए भी काम कर रहा है.

उत्तर प्रदेश के चुनाव ठेठ देहाती लहजे के होते हैं जिन में रणनीति की कोई खास जरूरत नहीं पड़ती. बस, जाति की समझ ही पर्याप्त होती है. लेकिन रणनीतिकारों पर तवज्जुह देने का रिवाज जरूर दिलचस्प होता जा रहा है. अब बसपा और भाजपा को भी ऐसा ही कोई गोराचिट्टा रणनीतिकार बुला लेना चाहिए जिस से कल को कुछ कहने को न रहे. बात इन चाणक्यों की भारीभरकम फीस की है तो उस की किसी के पास कमी नहीं.

सरकारी नौकरी डौटकौम है युवाओं की पसंद

आज प्रत्येक युवा का सपना सरकारी नौकरी पाना है. यह केवल सपना है. आज की स्थिति में यह सपना साकार होना आसान नहीं है. कारण, सब को सरकारी नौकरी चाहिए क्योंकि युवा अपने जीवन में स्थिरता का सपना पाले होते हैं. हमारी परंपरा ही जीवन में स्थिरता की रही है. स्थिर जीवन स्थायी नौकरी से संभव है. स्थायी नौकरी आलस्य, मनमानी के साथ ही सुरक्षित भविष्य की गारंटी है. आज नियोक्ता ठेका आधार पर नौकरी को महत्त्व दे रहे हैं. कर्मचारियों के हितों की बात करने वाले संगठित क्षेत्र में कर्मचारी यूनियंस महत्त्वहीन हो रही हैं. सही बात यह है कि मनमानी की यह व्यवस्था ज्यादा दिन चल नहीं सकती, फिर भी सभी युवक सरकारी नौकरी चाहते हैं.

सर्च इंजन गूगल के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, सरकारी नौकरी डौटकौम पर सब से ज्यादा युवकों ने नौकरी खोजी है. वर्गीकृत विज्ञापन देखने के लिए क्लिक करने वाले युवा इस डौटकौम पर जरूर हिट कर रहे हैं. क्लासीफाइड का कारोबार देश में तेजी से बढ़ रहा है और आज यह करीब डेढ़ अरब डौलर का बन चुका है. युवाओं ने बैंकिंग तथा सूचना तकनीकी क्षेत्र में भी रुचि दिखाई है लेकिन 38 फीसदी युवा सिर्फ सरकारी नौकरी डौटकौम पर हैं. यह जिस रफ्तार से चल रहा है उसे देखते हुए 2020 तक इस की भागीदारी 65 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी. इस के साथ ही, औनलाइन कारोबार में क्लासीफाइड का कारोबार 30 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा.

औनलाइन कंपनियों की धोखाधड़ी

हमारे यहां हाट लगने की परंपरा है. हाट बाजार में रौनक रहती थी. सभी घरों के सदस्य अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीदने के लिए हाट बाजार पहुंचते थे. हाट बाजार की जगह अब साप्ताहिक बाजारों ने ले ली है. वहां भी लोग मोलभाव कर के सस्ती दरों पर अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीद लेते हैं. ज्यादा और महंगा सामान खरीदने के लिए लोग बड़े बाजार जाते हैं. खरीदारी की यह परंपरा धीरेधीरे मौल तक पहुंची लेकिन वहां भी अब चहलपहल कम होने लगी है. इस की वजह औनलाइन खरीदारी का प्रचलन है.

औनलाइन खरीदारी महानगरों के बाद अब छोटेछोटे नगरों की तरफ बढ़ रही है और तेजी से बाजार पर कब्जा कर रही है. औनलाइन खरीद के इस बढ़ते प्रचलन को देखते हुए बड़ी संख्या में कंपनियां इस बाजार में प्रवेश कर रही हैं. औनलाइन की नईनई दुकानें खुलने और ग्राहकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि के इस माहौल में अब कंपनियों ने चोरी शुरू कर दी है. घटिया सामान भी ग्राहक को बेचा जा रहा है और ग्राहक की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

केंद्र सरकार को इस संबंध में बड़ी शिकायतें मिल रही हैं. फ्लिपकार्ट सहित

46 कंपनियों के बारे में सरकार को सूचना मिली है कि कंपनियां ग्राहकों की शिकायत का जवाब नहीं दे रही हैं. इन कंपनियों की मनमानी बढ़ गई है. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में सख्त कदम उठाए और कंपनियों पर इतनी सख्ती हो कि वे ग्राहक को लूटने का भूल से भी कोई काम न करें. शिकायतों के निवारण के लिए वे अनिवार्यरूप से ग्राहक केंद्र स्थापित करें. निर्धारित समय में ग्राहक की शिकायतों का समाधान हो. ऐसा नहीं होने पर कंपनी के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की पुख्ता व्यवस्था बनाई जानी चाहिए.

हवाई यात्रा में मिलेगी वाईफाई की महंगी सेवा

हाल ही में एक आंकड़ा आया कि सस्ती सेवा देने वाली घरेलू विमान कंपनी इंडिगो ने अगस्त में 40 फीसदी बाजार पर कब्जा कर लिया. इस दौरान दूसरे स्थान पर रहने वाले जेट एयरवेज का 20, एअर इंडिया का 15 और स्पाइस जेट का 13 फीसदी बाजार पर कब्जा रहा. बाजार में कब्जे को ले कर सस्ती सेवाएं देने वाली विमान कंपनियों में मची होड़ के बीच अब उन्हें मोटी कमाई करने का एक बेहतर अवसर देने की तैयारी भी चल रही है. सरकार विमान कंपनियों को उड़ान के दौरान यात्रियों को वाईफाई सेवाएं उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है और जल्द ही इस मामले में फैसला लिया जा सकता है. विमान कंपनियों की योजना एक घंटे की सेवा पर ढाई से तीन सौ रुपए वाईफाई सेवा के रूप में वसूलने की है. विदेशों में 5 डौलर प्रति घंटे की दर पर वाईफाई सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. यह सेवा विमान कंपनियों के लिए दुधारू गाय साबित हो सकती है. इस के लिए प्रति विमान पर वाईफाई सेवा देने के लिए सिस्टम विकसित करने में 30-32 लाख रुपए के खर्च आने की संभावना है. यह एक बार किया जाने वाला खर्च है.

मोटा अनुमान यह है कि वाईफाई में हुए निवेश को विमान कंपनियां एक माह में ही वसूल लेंगी. विमान में मौजूद 90 सीटों में से यदि 50 फीसदी यात्री भी इस सेवा का इस्तेमाल करते हैं तो करीब 1 हजार रुपए प्रति उड़ान कंपनी को मिलेंगे. एक दिन में एक विमान 5 या 6 उड़ान भरता है और इस तरह कंपनी 75 हजार रुपए प्रतिदिन वाईफाई से कमा लेगी और एकडेढ़ माह में विमान कंपनी वाईफाई पर हुए खर्च की वसूली कर लेगी. उस के बाद इस से जो पैसा आएगा वह कंपनी के लिए कमाई का बेहतर जरिया बनेगा. एअर इंडिया में इस तरह की सुविधाएं अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में भी देने की योजना बन रही है.

सांप्रदायिक हिंसा का नया रूप

सामाजिक कार्यकर्ताओं के आंदोलनों को हलके में लेने की भूल यूपीए सरकार ने की थी जिस का खमियाजा उसे सत्ता गंवा कर भुगतना भी पड़ा. यही गलती अब नरेंद्र मोदी वाली एनडीए सरकार कर रही है. अन्ना हजारे तो कभीकभार मौका ताड़ते हैं पर मेधा पाटकर तो हमेशा आंदोलन करती रहती हैं. अब मेधा नरेंद्र मोदी से भी खफा हो चली हैं तो तय है इस के दीर्घकालिक नतीजे मौजूदा सरकार के हक में अच्छे नहीं निकलने वाले.

पश्चिम बंगाल में सिंगूर के किसानों को जमीनें लौटाने के फैसले से खुश मेधा नर्मदा जल सत्याग्रह की लड़ाई शिद्दत और मुद्दत से लड़ रही हैं. उन का कहना है कि मोदी सरकार 244 गांवों और एक शहर की हत्या कर रही है. बकौल मेधा सांप्रदायिक हिंसा के इस नए रूप को वे लगातार चुनौती देती रहेंगी.

म- प्रदेश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दुख अपनी जगह वाजिब है कि बिहार में शराबबंदी के उन के फैसले को उतनी तारीफ, लोकप्रियता और प्रचार नहीं मिल रहा जितने के वे हकदार हैं. बीते दिनों नीतीश मध्य प्रदेश गए तो वहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर यह ताना कसने से नहीं चूके कि मध्य प्रदेश को म- प्रदेश मत बनाओ. हम से कुछ सीखो और यहां भी शराबबंदी लागू कर दो. इस के कई फायदे हैं. हालांकि बिहार हाईकोर्ट ने प्रदेश में शराबबंदी कानून को असंवैधानिक बताया है.

इधर, शिवराज सिंह चौहान की दिक्कत यह है कि उन्हें हर कोई नसीहत दे जाता है जिन में अपने ज्यादा होते हैं. अब इस जमात में नीतीश भी शामिल हो गए हैं. एक शराबबंदी के फैसले से प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच जाने का ख्वाब देख रहे नीतीश ने मध्य प्रदेश में अपनी पार्टी की संभावनाएं टटोलते युवाओं से राजनीति में आने को कहा और सुशासन की भी व्याख्या विस्तार से की. यह देखना दिलचस्पी की बात होगी कि शिवराज सिंह उन से कुछ सबक लेते हैं या नहीं.

‘ऐ दिल है मुश्किल’ के प्रदर्शन को लेकर बढ़ी मुश्किलें

अब लगभग यह तय हो गया कि 28 अक्टूबर को करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ रिलीज नहीं हो पाएगी. फिल्म के प्रदर्शन को लेकर मुश्किलें बढ़ गयी हैं. फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान के अभिनय को लेकर करण जौहर को इन मुश्किलों का सामना करना पर रहा है.

कुछ दिन पहले ही हमने आपको बताया था कि सिनेमाघर मालिक इस फिल्म को प्रदर्शित नहीं करेंगे. और अब इस बात कि आधिकारिक पुष्टी भी हो गई है.

‘सिनेमा ओनर्स एंड थिएटर एक्जबीटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया’ के अध्यक्ष नितिन दातार ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करेक ऐलान कर दिया है कि उनकी एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि वह उस फिल्म को प्रदर्शित नहीं करेंगे, जिस फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार शामिल होंगे.

नितिन दातार ने कहा कि देश हित और इस वक्त देश का माहौल को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में नितिन दातार ने कहा, ‘‘एसोसिएशन ने अपने सभी वितरकों से दरख्वास्त की है कि ऐसी फिल्म के प्रदर्शन से बचे जिसमें पाकिस्तानी कलाकार, गायक, लेखक, संगीतकार, तकनीशियन, निर्देशक शामिल हों.’’

नितिन दातार फिल्म उद्योग के दूसरे संगठनों के संपर्क में भी है और वह हर संगठन से इस मसले पर सहयोग चाहते हैं. बहरहाल, अभी तक मल्टीप्लेक्स वाले इस मसले पर चुप हैं. देखना है कि आगे आगे क्या होता है.

मगर ‘सिनेमा ओनर्स एंड थिएटर एक्जबीटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया’ के इस निर्णय से ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के अलावा फिल्म ‘रईस’, ‘डिअर जिंदगी’ और ‘मॉम’ के प्रदर्शन पर भी असर पड़ेगा.

जीवन की मुसकान

बचपन में मैं अपने दादादादी के साथ गांव में थी. कार्तिक मास में सवेरे नदी पर स्नान करने की प्रथा है, इसीलिए मेरी दादी और अन्य पड़ोसी महिलाएं, लड़कियां स्नान के लिए चल दीं. दादी ने मुझे किनारे बैठा कर वहीं नहाने के लिए कहा और खुद थोड़े गहरे पानी में चली गईं.

औरतें गपशप करतेकरते नहा रही थीं. मौका देख कर मैं भी गहरे पानी में उतर गई. तभी अचानक पानी का एक जोरदार बहाव आया और मैं पानी के साथ बहती चली गई. मुझे तैरना नहीं आता था. तभी एक 15-16 साल के लड़के ने मुझे लपक कर पकड़ा और किनारे पर ले आया. बड़ों को इस की खबर भी नहीं हुई. स्नान होने के पश्चात दादी और अन्य महिलाएं घर जाने को तैयार हुई ही थीं कि 4-5 लड़के वहां आ गए और बोलने लगे, ‘‘यही लड़की है, यही लड़की है.’’

सब की नजरें मेरी ओर गईं. मैं सहमी सी जमीन में नजरें गड़ाए खड़ी थी. सरला चाची के पूछने पर लड़कों ने सारी बात बता दी. मेरी दादी तो सुनते ही सुधबुध खो बैठीं और मुझे पकड़ कर रोने लगीं. बाद में पता चला कि कुछ लड़के पुल की दूसरी तरफ तैर रहे थे. उन में से एक लड़का तैरता हुआ इस तरफ चला आया. अचानक मैं उसे डूबती नजर आई और उस ने मुझे बचा लिया. जब भी यह घटना याद आती है, मन उस अनजान, लड़के के प्रति आदर से भर आता है.

निधि अग्रवाल, फिरोजाबाद (उ.प्र.)

*

मेरी सगाई के लिए दादाजी बैंक लौकर से जेवर ले कर घर आए. मेहमानों की व्यस्तता और समय की कमी के चलते मम्मी ने सारे जेवर रात में देखे तो उस में कुंदन के गहनों का डब्बा नहीं था. वही हार मुझे पहनना था. शुक्रवार का दिन था. शनिवार व रविवार बैंक बंद था. अब हम सब को टैंशन हो रही थी क्योंकि दादाजी कह रहे थे कि बैंक लौकर में अब केवल 2 डब्बे बचे हैं. इस का मतलब डब्बा लौकर में नहीं है. तो क्या वह रास्ते में गिरा या बैंक में लौकर के बाहर छूट गया? रविवार को सगाई संपन्न हुई. सभी मेहमान सोमवार की सुबह रवाना हो गए.

हम 12 बजे बैंक पहुंचे. वहां बहुत भीड़ थी. जब हमारा नंबर आया, हम लौकर में गए तो अंदर डब्बा नहीं था. हम समझ चुके थे कि बहुत नुकसान हो गया. अब कुछ नहीं हो सकता. हम घर आ रहे थे. इतने में बैंक का चपरासी ने दादाजी को देखा और कहा, ‘‘नमस्ते दादाजी. यह लो आप का सामान. दादाजी, आप लौकर के बाहर बैठ कर बैग में सामान डाल रहे थे तो यह डब्बा लुढ़क कर बैंच के नीचे चला गया. आज सुबह सफाई के समय मुझे मिला.’’ हम सब अपना गम भूल गए.

सोनाली जैन, भिलाई (छ.ग.)

हाल ए दिल

लहराता हुआ ये आंचल मेरा

अकसर तुम को छू जाता है

नहीं है कोई जज्बात

फिर कैसे चाहत बढ़ाता है

इन में जो तारे टिमटिमाते हैं

लगता है तुम्हारे होंठ मुसकराते हैं

नहीं है कोई करीब

फिर भी नजदीकियों का एहसास

सलवटें मेरे आंचल की

जो तुम से लिपटा करती हैं

रहरह कर तुम्हारा हाल ए दिल

मुझ से कहा करती हैं

चाहत है बस इतनी

मेरी आंखों में अब

हो घूंघट में चेहरा मेरा

और उठा लो आ कर तुम.

       

– मोनालिसा पंवार

 

एक हो जाएं हम

तुम प्रीत हो, मनमीत हो

संजो रखा है तुम्हें

इन नयनों की परिधि में

हर सांस में, हर धड़कन में तुम हो

जीवन डायरी के कोरे पन्नों में तुम हो

जब चाहे इसे पढ़ा करती हूं

रिवाजों के खंजरों से बचाए रखा है इसे

नियमोंबंधनों से बंधा पंछी मन

अपने ‘पर’ खोल उड़ चला

अब नभ की ओर

जहां कोई भय नहीं, कोई दीवार नहीं

बस तुम हो और मैं हूं

रातरानी सी महकती रहूं मैं

तुम्हारी बांहों की पनाहों में

गमकती रहूं मैं

हर दीवार गिरा

बस अब एक हो जाएं हम

जीवन के इन पलों को

भरपूर जी जाएं हम.

 

– मीता प्रेम शर्मा

 

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