हाल ही में एक आंकड़ा आया कि सस्ती सेवा देने वाली घरेलू विमान कंपनी इंडिगो ने अगस्त में 40 फीसदी बाजार पर कब्जा कर लिया. इस दौरान दूसरे स्थान पर रहने वाले जेट एयरवेज का 20, एअर इंडिया का 15 और स्पाइस जेट का 13 फीसदी बाजार पर कब्जा रहा. बाजार में कब्जे को ले कर सस्ती सेवाएं देने वाली विमान कंपनियों में मची होड़ के बीच अब उन्हें मोटी कमाई करने का एक बेहतर अवसर देने की तैयारी भी चल रही है. सरकार विमान कंपनियों को उड़ान के दौरान यात्रियों को वाईफाई सेवाएं उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है और जल्द ही इस मामले में फैसला लिया जा सकता है. विमान कंपनियों की योजना एक घंटे की सेवा पर ढाई से तीन सौ रुपए वाईफाई सेवा के रूप में वसूलने की है. विदेशों में 5 डौलर प्रति घंटे की दर पर वाईफाई सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. यह सेवा विमान कंपनियों के लिए दुधारू गाय साबित हो सकती है. इस के लिए प्रति विमान पर वाईफाई सेवा देने के लिए सिस्टम विकसित करने में 30-32 लाख रुपए के खर्च आने की संभावना है. यह एक बार किया जाने वाला खर्च है.

मोटा अनुमान यह है कि वाईफाई में हुए निवेश को विमान कंपनियां एक माह में ही वसूल लेंगी. विमान में मौजूद 90 सीटों में से यदि 50 फीसदी यात्री भी इस सेवा का इस्तेमाल करते हैं तो करीब 1 हजार रुपए प्रति उड़ान कंपनी को मिलेंगे. एक दिन में एक विमान 5 या 6 उड़ान भरता है और इस तरह कंपनी 75 हजार रुपए प्रतिदिन वाईफाई से कमा लेगी और एकडेढ़ माह में विमान कंपनी वाईफाई पर हुए खर्च की वसूली कर लेगी. उस के बाद इस से जो पैसा आएगा वह कंपनी के लिए कमाई का बेहतर जरिया बनेगा. एअर इंडिया में इस तरह की सुविधाएं अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में भी देने की योजना बन रही है.

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