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देशभर में लागू हो गया खाद्य सुरक्षा कानून

सरकार ने कहा कि केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों के शामिल होने के साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून इस महीने से पूरे देश में लागू हो गया है. देश की करीब तीन चौथाई आबादी को बहुत सस्ती दर पर हर माह निश्चित मात्रा में अनाज की कानूनी गारंटी वाले इस कार्यक्रम पर सरकार सालाना 1.4 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है. अब देश के 36 राज्यों-केन्द्र शासित प्रदेशों के कम से कम 80 करोड़ लोग इस कानून के दायरे में आ गए हैं.

खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, ‘जब हम सत्ता में आये तब खाद्य कानून केवल 11 राज्यों में लागू था. मुझे इस बात की खुशी है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को अब सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू कर दिया गया है.’ उन्होंने कहा कि केवल दो राज्य केरल और तमिलनाडु छूट गये थे और उन्होंने भी नवंबर से इसे लागू कर दिया है.

इस कानून को वर्ष 2013 में पारित किया गया था. इस कानून के तहत सरकार प्रति व्यक्ति प्रतिमाह एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर से पांच किलो खाद्यान्न देती है. सब्सिडी खर्च के बारे में पासवान ने कहा कि यह करीब 11,726 करोड़ रुपये प्रति माह अथवा करीब 1,40,700 करोड़ रुपये सालाना बैठेगा. उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत 80 करोड़ लोगों को इसके दायरे में लिया गया है.

नन बनी सोफिया ने अंतवस्त्र में शेयर की अपनी बोल्ड फोटो

नन बनकर खुद को मदर बताने वाली बोल्ड एक्ट्रैस और 'बिग बॉस' फेम सोफिया हयात एक बार फिर सुर्खियों में हैं. दरअसल, हाल ही में सोफिया ने इंस्टाग्राम पर एक फोटो पोस्ट की है, जिसमें वो अंडरवियर और स्पोर्ट्स ब्रा में नजर आ रही हैं. सोफिया ने इस पिक्चर के साथ कैप्शन लिखा है- मॉर्निंग वर्कआउट्स…रिजल्ट्स! वर्किंग आउट टू 432 हर्ट्ज एवरी डे.

आपको बता दें कि हाल ही में सोफिया ने अपनी एडल्ट फिल्म 'सिक्स एक्स' के लिए हॉट फोटोशूट कराया था. इसमें सोफिया बिकिनी पहनकर कुछ लोगों के साथ पूल में नहाती नजर आती हैं. सोफिया के साथ इस फिल्म में अमीषा पटेल के भाई अश्मित पटेल भी हैं. यह फिल्म 14 अक्टूबर को रिलीज हो चुकी है.

जेल में बंद कैदियों की दास्तान

मुझे अपनी सहेली, जो कि जज हैं, के साथ जेल में सैक्स अपराधों के आरोपों में बंद कैदियों से बात करने का मौका मिला था. एक 24 साला कैदी ने बताया, ‘‘मैं गांव का रहने वाला हूं. शहर में मैं एक कारखाने में काम करता था. मैं जिस मकान में रहता था, वे दोनों पतिपत्नी ही उस मकान में रहते थे. उन की शादी को कई साल हो चुके थे, मगर उन के कोई बच्चा नहीं हुआ था.

‘‘30 साला मकान मालिक भी एक कारखाने में चौकीदारी करता था और रात की ड्यूटी करता था. एक रात जब वह ड्यूटी पर चला गया, तो वह मेरे कमरे में आई. उस समय मैं शराब पी रहा था. उस ने इतने झीने कपड़े पहन रखे थे कि उस के शरीर के सभी मादक अंग साफसाफ दिखाई दे रहे थे.

‘‘वह मुझे देख कर मुसकराने लगी.  मैं हैरानी से उस की ओर देखने लगा,

तो वह हंसते हुए बोली, ‘मुझे नहीं पिलाओगे क्या?’

‘‘इतना सुन कर मैं ने उसे एक पैग बनाया, तो उसे पी कर वह मुझ से बुरी तरह से लिपट कर बोली, ‘मैं अब रातभर तुम से मजे लूंगी. मेरा पति तो कुछ कर नहीं पाता है. वह जरा सी देर में पस्त हो जाता है. मैं प्यासी ही रह जाती हूं.’ ‘‘इतना कह कर वह मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई और फिर हम दोनों ने वह किया, जो हमें नहीं करना चाहिए था. उस के बाद तो हम दोनों का यह रोजाना का ही खेल हो गया था. ‘‘एक साल तक हम दोनों का यह खेल चलता रहा, मगर एक रात उस का पति अचानक गांव से लौट आया.

‘‘मकान की एक चाबी उस के पास थी. जब कमरे में उस की बीवी नहीं मिली, तो वह मेरे कमरे पर आया. मेरे कमरे की लाइट जली हुई थी और कमरे का गेट भी खुला हुआ था.

‘‘मैं और उस की बीवी अपने खेल में मस्त थे. यह देख कर उस ने अपने रिश्तेदारों को वहां पर बुला लिया. ‘‘जब उस की बीवी ने उन्हें देखा, तो वह रोते हुए उन से बोली, ‘यह मुझे रोजाना जबरदस्ती पकड़ लेता है. मैं मना करती हूं, तो यह मेरे पति को जान से मारने की धमकी देता है. मैं डर कर इस की हवस का शिकार होती हूं. इसे खूब मारो और पुलिस के हवाले कर दो, तभी इस नीच से हमारा पीछा छूटेगा.’ ‘‘उस की इन बातों को सुन कर उस के पति और रिश्तेदारों ने मुझे खूब मारा और फिर पुलिस के हवाले कर दिया था.

‘‘मेरे बारे में जब मांबाप को मालूम हुआ, तो उन्होंने दुखी हो कर खुदकुशी कर ली. मकान मालकिन के चक्कर में मेरी जिंदगी बरबाद हो गई है,’’ कहते हुए वह कैदी बुरी तरह रोने लगा. एक 55 साला कैदी से भी बात करने का मौका मिला. वे बोले, ‘‘मैं एक गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य था. मैं अनुशासनप्रिय था. मेरी इस बात के चलते शहर से रोजाना स्कूल आने वाली 2 टीचर मुझ से नाराज रहती थीं. वे रोज ही देर से स्कूल आती थीं. ‘‘एक दिन देर से आने वाली एक टीचर को अपने कमरे में बुला कर डांटा, तो उस ने अपना ब्लाउज और साड़ी फाड़ कर बुरी तरह से दहाड़ मार कर रोते हुए ‘बचाओ बचाओ’ की आवाज लगा कर स्टाफ को वहां बुला लिया. ‘‘जब स्टाफ वहां आया, तो उस ने रोते हुए बताया कि मैं उस की आबरू से खिलवाड़ कर रहा था. दूसरी टीचर भी सभी से कह रही थी कि यही हरकत मैं कई बार उस से भी कर चुका हूं. ‘‘तब तक गांव के और लोग भी वहां आ गए थे. उन्होंने मुझे टीचर के नाम पर  कलंक मान कर उसी समय पुलिस को फोन कर मुझे गिरफ्तार करा दिया था.

‘‘बाद में मुझे पता चला कि उन्हें अपनी एक रिश्तेदार प्राचार्य को मेरे उस स्कूल में लाना था, ताकि वे अपनी मनमरजी से स्कूल आएं जाएं.’’ उन प्राचार्य की दास्तान सुन कर मुझे और मेरी जज सहेली को यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि स्कूल के एक अनुशासनप्रिय प्राचार्य के साथ ऐसी भी घिनौनी साजिश रच कर उन की जिंदगी बरबाद करने वाली टीचर भी शिक्षा विभाग में मौजूद हैं. फिर हमें सैक्स अपराध के आरोप में जेल में बंद एक 40 साला कैदी ने बताया, ‘‘मैं अपने एक दोस्त की मदद करने की भूल की सजा भुगत रहा हूं.

 ‘‘उस की छोटी बहन की शादी थी. उस ने कहा कि मैं पैसे उधार ले कर उस की मदद कर दूं. मैं ने किसी जानपहचान वाले से पैसे उधार ले कर उस की मदद कर दी.  ‘‘उस की बहन की शादी को काफी समय हो गया था, मगर मेरे उस दोस्त ने मुझे एक भी पैसा नहीं लौटाया था.

‘‘एक दिन मैं ने उस दोस्त से पैसे मांगे, तो वह साफ मुकर गया कि मैं ने उसे पैसे दिए ही नहीं थे. ‘‘मैं ने उसे याद दिलाते हुए पैसों के लिए कहा, तो दोस्त और उस की बीवी ने मुझे सैक्स अपराध के आरोप में जेल भिजवाने की साजिश रची. ‘‘मुझे उस की बीवी ने अपने घर बुलाया. मैं जब उस के घर गया, तो वह बड़े प्यार से बोली, ‘तुम्हारे दोस्त तो पैसों के इंतजाम के लिए बाहर गए हुए हैं.  3-4 दिन बाद लौटेंगे. तब तक आप यहीं रहें. मुझे मर्द के साथ सोए बगैर रात में नींद नहीं आती है. रातभर खूब मजे लेंगे,’ कह कर उस ने मुझे शराब पिलाई. ‘‘शराब पिलाने के बाद वह मुझ से बोली कि मैं उसे अपनी गोद में उठा कर पलंग पर ले जाऊं और उस के बदन के कपड़ों को फाड़ते हुए ऐसा करूं, जैसे तुम मुझ से जबरदस्ती कर रहे हो. 

‘‘उस की इन बातों को सुन कर मैं ने ऐसा ही किया था. जब वह दर्द से चिल्लाने लगी, तो उस का पति आ गया. ‘‘अपनी बीवी को इस हालत में देख वह बौखला गया. बोला, ‘तू ने मेरी बीवी के साथ यह क्या किया. अभी तुझे गिरफ्तार कराता हूं,’ कह कर उस ने मुझे गिरफ्तार करा दिया.’’ उस कैदी की दुखभरी दास्तान सुन कर मैं और मेरी जज सहेली अपने दिल में सोच रहे थे कि यह कैसा जमाना आ गया है कि किसी पर रहम खा कर उस की मदद करते हैं, तो मदद पाने वाला अपनी मदद करने वाले के खिलाफ ही साजिश रच कर उस की जिंदगी तबाह कर देता है. जेल से लौटते समय मैं और मेरी जज सहेली जेल में बंद सैक्स अपराधों के इन आरोपी कैदियों की दास्तान सुन कर इसी नतीजे पर पहुंचे थे कि सैक्स अपराध के ये ज्यादातर आरोपी कैदी दूसरों की साजिश के शिकार हो कर ऐसी बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हो रहे हैं.

फिल्म ‘चिड़ियाखाना’ से मनीष तिवारी फिर सक्रिय

‘दिल दोस्ती इक्सेक्ट्रा’ और ‘इशक’ जैसी फिल्म निर्देशित करने के बाद लंबे समय से गुमनाम रहे फिल्मकार मनीष तिवारी एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं. इन दिनों वह  फिल्म ‘‘चिड़ियाखाना’’ का निर्देशन कर रहे हैं, जिसमें प्रशांत नारायण, राजेश्वरी सचदेव व रवि किशन जैसे कलाकार अभिनय कर रहे हैं. मजेदार बात यह है कि यह तीनों कलाकार इससे पहले मनीष तिवारी की फिल्म ‘इशक’ में भी अभिनय कर चुके हैं, मगर इस बार इनके किरदार विपरीत हैं. मसलन, फिल्म ‘इशक’ में रवि किशन की प्रेमिका राजेश्वरी सचदेव थी, जबकि इस बार फिल्म ‘‘चिड़ियाखाना’’ में प्रशांत नारायण की प्रेमिका हैं राजेश्वरी सचदेव.

फिल्म ‘‘चिड़ियाखाना’’ की कहानी एक ऐसे बिहारी लड़के (रवि किशन) की है, जो कि फुटबाल खिलाड़ी है. जो कि मुसीबत के पलों में अपनी मां के साथ मुंबई की चाल में रहने आता है. उसके सामने कई तरह की समस्याएं आती है. पर एक स्थानीय महाराष्ट्रीयन गैंगस्टर युवक (प्रशांत नारायण) उसकी मदद के लिए आगे आता है और उसके सपनों को पूरा करने में भी मदद करता है.

फिल्म ‘‘चिड़ियाखाना’’ की चर्चा चलने पर मनीष तिवारी कहते हैं-‘‘मैं इस फिल्म को लंबे समय से बनाना चाहता था. यह अच्छी बात है कि इन दिनों खेल से जुड़ी फिल्में दर्शकों द्वारा काफी पसंद की जा रही हैं. मेरी राय मे फिल्म और खेल तभी सफल होता है, जब उसकी टीम अच्छी हो. मुझे ‘चिड़ियाखाना’ के लिए अच्छी टीम मिली है.’’

इस डर से बाहर निकलें

औरतें अकसर सफर में अपने आसपास बैठी दूसरी औरतों से बातचीत शुरू कर देती हैं और यात्रा के कई घंटों में सैकड़ों तरह की जानकारी का लेनदेन हो जाता है. हालांकि इस तरह की बातचीत में कई बार लुट जाने का डर भी रहता है पर यह अच्छा ही है और पुरुषों को भी सलाह दी जाती है कि वे नितांत अजनबियों से बातचीत करने में कतराए नहीं. अमेरिकी लेखिका कियो स्टार्क ने ‘ह्वेन स्ट्रैंजर्स मीट’ में यह वकालत की है कि अमेरिकी, जो आमतौर पर अनजानों से बात नहीं करते हैं, गलत करते हैं. लेखिका का कहना है कि दोस्तों, सहकर्मियों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों से बात करते हुए हमारे बहुत से पूर्वाग्रह रहते हैं और इसीलिए हम सहज हो कर बात नहीं करते पर थोड़े समय के लिए मिलने वाले अजनबियों से कुछ भी बात कर लेने में कोई जोखिम नहीं रहता है.

कियो स्टार्क का यह भी कहना है कि अजनबियों से बात कर के आप उन के धर्म, क्षेत्र, भाषा, जाति, वर्ग, नागरिकता के बारे में अपने बहुत से पूर्वाग्रहों और डरों को भी दूर कर सकते हैं. समाज के लिए यह अच्छा है कि लोग उन से बात करें जिन के बारे में उन्हें कोई डर लगता है. सहज वातावरण में निरुद्देश्य बात से बहुत से डर दूर हो सकते हैं. आदमियों में यह प्रवृत्ति रहती है कि वे घंटों रेल या हवाई यात्रा के दौरान पास बैठे व्यक्ति से बात न कर के कुछ पढ़ने या सोने का अभिनय करते रहते हैं. एकदूसरे को समझने और एकदूसरे की स्थिति के बारे में जानने के लिए अनायास मिलने वाले लोग बहुत लाभदायक होते हैं, क्योंकि वे अपना असली परिचय दिए बिना अपने बारे में बहुत कुछ बता ही नहीं देते, अपने विचार भी खुल कर कह सकते हैं. आजकल पूरी दुनिया में लोग पड़ोसियों तक को शक की निगाहों से देखने लगे हैं और ज्यादातर इधरउधर के आदमियों से बातचीत को अपनी प्राइवेसी में खलल मान लेते हैं.

इस लेखिका ने इस का विरोध किया है. उस का कहना है कि अनजाने, दूसरे देशों, रंग, धर्म या भाषा वालों को समझने के लिए चलतेफिरते छोटीमोटी बातें करना ज्यादा अच्छा है. इसलिए अगली बार रेल या हवाई यात्रा करें तो पास वाला पुरुष ही क्यों न हो महिला होते हुए भी बात करना शुरू कर दें. सफर भी आराम से कटेगा और बहुत कुछ जाननेसमझने को भी मिलेगा. लोग अलगअलग तरह के होते ही हैं, यह स्वीकारना आसान रहेगा. 

कोहली की विराट पारी से बचकर रहनाः पीटरसन

इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज केविन पीटरसन ने अपनी टीम को भारत के खिलाफ होने वाली आगामी पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में क्रिकेट के हर प्रारूप में करियर के सर्वश्रेष्ठ दौर से गुजर रहे भारतीय कप्तान विराट कोहली से बचकर रहने की चेतावनी दी है.

विश्व के तीन शीर्ष बल्लेबाजों में शुमार कोहली की तुलना अक्सर इंग्लैंड के युवा बल्लेबाज जो रूट के साथ की जाती रही है लेकिन पीटरसन का मानना है कि यह सही नहीं है.

खेल पत्रिका 'द क्रिकेटर' को दिए बयान में पीटरसन ने कहा, 'कोहली अपने सर्वश्रेष्ठ फार्म में हैं. रूट के स्कोर अच्छे हैं लेकिन कोहली की तुलना उनके साथ करना सही नहीं होगा. कोहली का बल्लेबाजी अंदाज आक्रामक है और जिस प्रकार वे अपनी टीम के लिए बड़े स्कोर बनाते हैं वह अद्वितीय है.'

अधिकतर टीमों के बल्लेबाज उपमहाद्वीपीय परिस्थितियों में स्पिन गेंदबाजों का सामना करने में नाकाम रहते हैं. ऐसे में पीटरसन ने इंग्लैंड के युवा बल्लेबाजों को भारत के स्पिन गेंदबाजों रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और अमित मिश्रा के खिलाफ सचेत रहने के लिए कहा है.

पीटरसन ने कहा कि इंग्लैंड के बल्लेबाजों को चेन्नई के गेंदबाज अश्विन से सावधान रहना होगा, जिन्होंने भारत के लिए खेले गए 22 टेस्ट मैचों में 153 विकेट लिए हैं. इस समय भारत टेस्ट क्रिकेट प्रारूप में अच्छी फार्म में है.

हाल ही में भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड को तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 3-0 से शिकस्त दी, वहीं इंग्लैंड को बांग्लादेश के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में हार का सामना करना पड़ा है. इंग्लैंड और भारत के बीच टेस्ट सीरीज की शुरुआत नौ नवम्बर से राजकोट से होगी.

बढ़ते प्रदूषण में रखें अपना ख्याल

इस बार त्योहार खुशियों के साथ अपने साथ कुछ और भी लेकर आया है. यहां बात हो रही है, वातावरण में बढ़ते प्रदूषण की. दीवाली के बाद बढ़े हुए प्रदूषण ने हर बार के सारे आंकड़े पार कर दिए हैं. त्योहार खत्म होने के कई दिनों के बाद भी इसका असर खत्म होते नहीं दिख रहा है. ऐसे में सबसे ज्यादा चिंता का विषय कुछ है तो वह है आम लोगों की सेहत.

वैदिक ग्राम के डॉक्टर पीयूष जुनेजा का कहना है कि ऐसे समय में न केवल बीमार व्यक्तियों को बल्कि सेहतमंद लोगों को भी अपना ध्यान रखने की बहुत आवश्यकता है. बाहर की हवा में पटाखों के धुएं की वजह से रासायनिक पदार्थों में अचानक से काफी बढ़ोतरी हो गयी है. ये पदार्थ हवा में मिलकर हमारे फेफड़ों तक पहुंचते हैं, जिससे कई तरह की खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं. हम कुछ छोटी-छोटी बातों को अगर ध्यान में रखें, तो इन चीजों के प्रभाव को कम कर सकते है. कुछ दिनों के लिए सुबह की सैर तथा खुली जगह पर व्यायाम ना करें, हवा के सीधे संपर्क में आने से बचें जिसके लिए बाहर निकलते वक्त अपने मुंह पर मास्क या कपड़ा बांध लें, अपने खाने में शहद, नींबू व गुड का प्रयोग करे जो एन्टीइन्फेक्शन का काम करेगा.

बदलते मौसम और बढ़ते प्रदूषण में अपने शरीर का ख्याल रखना अत्यंत ही जरूरी है. कुछ छोटे कदमों से आप घर में ही इसके खतरनाक प्रभावों को कम कर सकते हैं. एनडीएमसी की रिटायर डायरेक्टर डॉक्टर अल्का सक्ससेना कहती हैं कि इस प्रदूषित हवा से बचने के लिए काफी छोटी छोटी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. जैसे घर की साफ सफाई समय से करें, सोने से पहले भाप का सेवन करें, जिससे दिन भर की गंदगी आपके फेफड़ों से निकल जाएगी. बाहर के खाने से पूरी तरह से दूर रहें. ज्यादा से ज्यादा घर पर बनीं गर्म चीजें ही खाएं. इन सब चीजों से आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकेंगे, जो की आपको बीमारियों से दूर रखेगी.

एक कहानी ऐसी भी

अमित और उनकी पत्नी आकांक्षा मल्टिनैशनल कंपनी में काम करते हैं. दिल्ली में आने के बाद पति-पत्नी दोनों के करियर को परवाज मिली. बेटी सुगंधा के पैदा होने के बाद सब कुछ किसी परीकथा की तरह लग रहा था. एक दिन अचानक हल्की खांसी और बुखार के बाद 2 साल की सुगंधा को दमा डायगनोस हुआ. डॉक्टर ने बताया कि वह जिस इलाके में रह रहे हैं उसकी वजह से ही बच्चे को ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और अगर वह यहीं रहते रहे, तो परेशानी बिगड़ सकती है. सुयश और आकांक्षा ने दिल्ली छोड़ कर बैंगलुरु ऑफिस में ट्रांसफर का मन बना लिया है. उनका कहना है कि इस शहर ने हमें बहुत कुछ दिया है लेकिन अपनी बेटी की कीमत पर अपना करियर हमें मंजूर नहीं है.

हवा में मौजूद हैं ये आठ विलेन

1. PM10 :  पीएम का मतलब होता है पार्टिकल मैटर. इनमें शामिल है हवा में मौजूद धूल, धुंआ, नमी, गंदगी आदि जैसे 10 माइक्रोमीटर तक के पार्टिकल. इनसे होने का वाला नुकसान ज्यादा परेशान करने वाला नहीं होता.

2. PM2.5 : 2.5 माइक्रोमीटर तक के ये पार्टिकल साइज में बड़े होने की वजह से ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.

3. NO2 : नाइट्रोजन ऑक्साइड, यह वाहनों के धुंए में पाई जाती है.

4. SO2 : सल्फरडाई ऑक्साइड गाड़ियों और कारखानों से निकलने वाले धुंए से निकल कर फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचाता है.

5. CO : कार्बनमोनो ऑक्साइड, गाड़ियों से निकल कर फेफड़ों को घातक नुकसान पहुंचाता है.

6. O3 : ओजोन, दमे के मरीज और बच्चों के लिए बहुत नुकसानदेह

7. NH3 : अमोनिया, फेफड़ों और पूरे रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए खतरनाक

8. Pb : लेड, गाडियों से निकलने वाले धुंए के आलावा मेटल इंडस्ट्री से भी निकल कर यह लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला सबसे खतरनाक मेटल हैं.

इन सबको औसत 24 घंटे तक नापने के बाद एक इंडेक्स तैयार किया जाता है. हमारे आसपास की हवा को नापने के लिए देश की सरकार ने एयर क्वॉलिटी इंडेक्स नाम का एक मानक तय किया है. इसके तहत हवा को 6 कैटगिरी में बांटा गया है.

– अच्छा (0-50)

– संतोषजनक (50-100)

– हल्की प्रदूषित (101-200, फेफडों, दमा और हार्ट पेशंट्स के लिए खतरनाक)

– बुरी तरह प्रदूषित (201-300, बीमार लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है)

– बहुत बुरी तरह प्रदूषित (301-400, आम लोगों को सांस की बीमारी की शिकायत हो सकती है)

– घातक रूप से प्रदूषित (401-500, हेल्दी और बीमार दोनों ही तरह के लोगों के लिए खतरनाक)

घर का प्रदूषण

 – किचन में लगे वेंटिलेशन फैन को देखें. अगर उस पर ज्यादा कालिख जम रही है तो जान जाएं कि किचन में हवा नुकसानदायक स्तर तक बढ़ चुकी है.

– एसी का फिल्टर और पीछे की तरफ की वेंट में अगर ज्यादा धूल या कालिख जमा हो रही है तो यह इस बात की ओर इशारा है कि घर बुरी हवा के निशाने पर है.

– बिजी हाईवे या सड़कों के किनारे बने मकान, कारखानों के करीब बने मकानों में स्वाभाविक तरीके से धूल और मिट्टी के साथ कार्बन पार्टिकल पहुंच जाते हैं.

क्या करें

– किचन में इलेक्ट्रॉनिक चिमनी लगवाएं

– किचन में बेहतर वेंटिलेशन रखें

– अगर घर के आसपास बिजी रोज या कारखाने हों तो खिड़की दरवाजों को हैवी ट्रैफिक के वक्त बंद रखें. इससे भले ही पूरा बचाव न हो लेकिन धूल-मिट्टी कम से कम घर में घुस पाएगी.

स्मॉग

स्मॉग शब्द स्मोक और फॉग से मिल कर बना है. मतलब यह कि जब वातावरण में मौजूद धुंआ फॉग के साथ मिल जाता है तब स्मॉग कहलाता है. जहां गर्मियों में वातावरण में पहुंचने वाला स्मोक ऊपर की ओर उठ जाता है, वहीं ठंड में ऐसा नहीं हो पाता और धुंए और धुंध का एक जहरीला मिक्चर तैयार होकर सांसों में पहुंचने लगता है. स्मॉग कई मायनों में स्मोक और फॉग दोनों से ज्यादा खतरनाक होता है.

कैसे बचें

– बीमार हों या हेल्दी, हो सके तो स्मॉग में बाहर न निकलें. अगर निकलना ही पड़े तो मास्क लगा कर निकलें.

– सुबह के वक्त काफी स्मॉग रहता है. इसकी वजह अक्सर रात के वक्त वातावरण में जमा धुंए का न छंट पाना होता है जो सुबह की धुंध में मिल कर स्मॉग बना देता है. – सर्दियों में ऐसा अक्सर होता है इसलिए बेहतर होगा भोर (5-6 बजे) की बजाय धूप निकलने के बाद (तकरीबन 8 बजे) वॉक पर जाएं.

– सर्दियों में जहां एयर पल्यूशन ज्यादा रहता है वहीं लोग पानी भी कम पीते हैं. यह खतरनाक साबित होता है. दिन में तकरीबन 4 लीटर तक पानी पिएं. प्यास लगने का इंतजार न करें कुछ वक्त के बाद 1-2 घूंट पानी पीते रहें.

– घर से बाहर निकलते वक्त भी पानी पिएं. इससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई सही बनी रहेगी और वातावरण में मौजूद जहरीली गैसे अगर ब्लड तक पहुंच भी जाएंगी तो कम नुकसान पहुंचा पाएंगी.

– नाक के भीतर के बाल हवा में मौजूद बड़े डस्ट पार्टिकल्स को शरीर के भीतर जाने से रोक लेते हैं. हाईजीन के नाम पर बालों को पूरी तरह से ट्रिम न करें. अगर नाक के बाहर कोई बाल आ गया है तो उसे काट सकते हैं.

– बाहर से आने के बाद गुनगुने पानी से मुंह, आंखें और नाक साफ करें. हो सके तो भाप लें.

– अस्थमा और दिल के मरीज अपनी दवाएं वक्त पर और रेग्युलर लें. कहीं बाहर जाने पर दवा या इन्हेलर साथ ले जाएं और डोज मिस न होने दें. ऐसा होने पर अटैक पड़ने का खतरा रहता है.

– साइकल से चलने वाले लोग भी मास्क लगाएं. चूंकि वे हेल्मेट नहीं लगाते इसलिए उनके फेफड़ों तक बुरी हवा आसानी से पहुंच जाती है.

इन लक्षणों के होते ही ध्यान दें

– सांस लेने में तकलीफ होने पर या सीढ़ियां चढ़ते या मेहनत करने पर हांफने लगने पर

– सीने में दर्द या घुटन महसूस होने पर

– 2 हफ्ते से ज्यादा दिनों तक खांसी आने पर

– 1 हफ्ते तक नाक से पानी या छींके आने पर

– गले में लगातार दर्द बने रहने पर

इनको जरा बचा कर रखें

– 5 साल से कम बच्चों की इम्युनिटी काफी कमजोर होती है इसलिए उन्हें एयर पल्युशन से रिस्क ज्यादा होता है. इसलिए सर्दियों में उन्हें सुबह वॉक के लिए न ले जाएं.

– अगर बच्चे स्कूल जाते हैं अटेंडेंट्स से रिक्वेस्ट कर सकते हैं कि बच्चों को मैदान में खिलाने की बजाए इनडोर ही खिलाएं.

– धूल भरी और भारी ट्रैफिक वाली मार्केट्स में बच्चों को ले जाने से बचें.

– टू वीलर में बच्चों को लेकर न निकलें.

– बच्चों के कार में बाहर ले जाते वक्त शीशे बंद रखें और एसी चलाएं.

– बच्चों को भी थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी पिलाते रहें जिससे शरीर हाइड्रेट रहे और इनडोर पल्युशन से होने वाला नुकसान भी कम हो.

– बच्चे जब बाहर से खेल कर आएं तो उनका भी मुंह अच्छी तरह से साफ करें.

– उम्रदराज लोगों को बिगड़ती हवा काफी परेशान कर सकती है.

– प्रदूषण स्तर बढ़ने पर बाहर जाने से बचें.

– धूप निकलने के बाद ही घर से बाहर निकलें. धूप निकलने पर हवा में प्रदूषण स्तर नीचे आने लगता है.

– अगर किसी बीमारी की दवाएं ले रहे हैं तो लगातार लेते रहें. ऐसा न करने पर हालत खराब हो सकती है.

– सर्दी के मौसम में ज्यादा एक्सरसाइज (ब्रिस्क वॉक या जॉगिंग आदि) न करें.

– सर्दियों में अगर बाहर निकलना ही पड़े तो अच्छी क्वॉलिटी का मास्क लगा कर निकलें.

– टू व्हीलर या ऑटो में सफर की बजाय टैक्सी या कंट्रोल माहौल वाले मेट्रो या एसी बसों में ही यात्रा करें.

ECB करे खर्च का भुगतान, भारत-इंग्लैंड सीरीज खतरे में

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त लोढ़ा समिति के करीबी सूत्र ने कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के का हठी रवैया इंग्लैंड की पूरी सीरीज को खतरे में डाल रहा है.

बीसीसीआई ने लेखा परीक्षक की नियुक्ति नहीं होने का हवाला देते हुए अभी तक इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के साथ वित्तीय पहलुओं से संबंधित समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. लेकिन सूत्र ने स्पष्ट किया कि यदि ठाकुर और शिर्के अपनी अनुपालन रिपोर्ट जमा नहीं करते हैं और व्यक्तिगत रूप से समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होते हैं तो इंग्लैंड टेस्ट सीरीज अधर में लटकी रहेगी.

सूत्र ने बताया कि लोढ़ा समिति अब भी ठाकुर और शिर्के से हलफनामे का इंतजार कर रहा है. उन्होंने कहा, 'अध्यक्ष और सचिव को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार दो सप्ताह के अंदर हलफनामे पेश करने हैं और फिर समिति के समक्ष उपस्थित होना है. उन्होंने इनमें से कुछ नहीं किया. बीसीसीआई अध्यक्ष को हलफनामा भी पेश करना था. यह भी नहीं किया गया है. यह सब न कर ठाकुर और शिर्के ने इंग्लैंड दौरा खतरे में डाल दिया है.'

जबकि इससे पहले लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई को कहा था कि ईसीबी और उसके बीच प्रस्तावित समझौता (एमओयू) आदेश का हिस्सा नहीं है और जब तक विस्तृत जानकारी नहीं मुहैया करायी जाएगी तब तक भुगतान पर कोई भी निर्देश जारी नहीं किए जा सकते.

सचिव शिर्के ने समिति से निर्देश मांगे थे कि क्या उन्हें ईसीबी से अपने भुगतान करने के लिए बोल देना चाहिए, क्योंकि बीसीसीआई वित्तीय लेनदेन नहीं कर सकता. द्विपक्षीय सीरीज के दौरान दौरा करने वाली टीम के लिए भुगतान और सारे इंतजामात घरेलू बोर्ड द्वारा ही किए जाते हैं.

इसके जवाब में लोढ़ा समिति ने कहा था, 'बीसीसीआई और ईसीबी के बीच प्रस्तावित समझौता द्विपक्षीय क्रिकेट नीति से संबंधित है, जो समिति के आदेश का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. जहां तक भुगतान का संबंध है, अगर ये बीसीसीआई द्वारा सीधे दिये जाते हैं तो इस समिति द्वारा तब तक कोई निर्देश नहीं दिए जा सकते हैं, जब तक बीसीसीआई द्वारा मामले से संबंधित जानकारी मुहैया नहीं करायी जाती. समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायण द्वारा लिखे गए ईमेल में कहा गया, 'क्रिकेट कैलेंडर में किसी भी बाधा से बचने के लिए और खेल प्रेमियों का लुत्फ उठाना सुनिश्चित करने के लिए बीसीसीआई को सलाह दी जाती है कि वह सुप्रीम कोर्ट के 18 जुलाई, 2016, सात अक्टूबर 2016 और 21 अक्टूबर, 2016 के आदेश में दिये गये निर्देशों का पालन करे.'

समिति ने अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और शिर्के को भेजे गए अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि विक्रेताओं (वेंडर) और ठेकेदारों की न तो पहचान करना और न ही उनकी नियुक्ति समिति के काम या गतिविधियों में शामिल हैं, लेकिन उनको एक अंतिम सीमा निर्धारित करनी होगी. लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई को यह भी निर्देश दिया कि वह स्वतंत्र ऑडिटर की नियुक्ति और आठ नवंबर तक आइपीएल की निविदा दिये जाने के संबंध में सभी जरूरी सूचना दें.

आनंद एल राय की फिल्म ‘‘निम्मो’’ में अनूठी प्रेम कहानी

‘‘तनु वेड्स मनु’’, ‘‘रांझणा’’ और ‘‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’’फिल्मों में प्यार व रिश्तों के अलग अलग रूपों का चित्रण कर शोहरत बटोर चुके फिल्मकार आनंद एल राय काफी उत्साहित हैं. वह एक तरफ शाहरुख खान को लेकर एक बौने इंसान की प्रेम कथा वाली फिल्म निर्देशित करने जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ वह एक अलग तरह की ग्रामीण पृष्ठभूमि की प्रेम कथा वाली बाल मनोविज्ञान से परिपूर्ण फिल्म ‘‘निम्मो’’ ’का निर्माण करने जा रहे हैं, जिसका निर्देशन राहुल शांकलय करने वाले हैं. सूत्रों की माने तो इस फिल्म की कथा से प्रभावित होकर धनुष ने इस फिल्म में मेहमान कलाकार के रूप में मुफ्त में काम करने के लिए हामी भरी है. इस फिल्म की नायिका अंजली पाटिल और एक छोटा बालक है.
 
फिल्म‘‘निम्मो’’के कथानक को लेकर आनंद एल राय ने चुप्पी साध रखी है. जबकि उनके नजदीकी सूत्रों की माने तो फिल्म ‘‘निम्मोे’’की कहानी एक गाॅंव में रहने वाले नौ साल के लड़के और उसी गांव की उन्नीस साल की लड़की की प्रेम कहानी है. जब यह लड़की बड़ी हो जाती है,तो उसके माता पिता उसकी शादी करने का निर्णय लेते हैं. इस बात से यह नौ वर्ष का बालक खुश नहीं है. पर इस बालक की भावनाओ व संवेदनाओ की परवाह किए बिना व इस बालक को समझाए बिना ही लड़की की शादी एक युवक से कर दी जाती है. उसके बाद किस तरह की जटिल स्थितियां पैदा होती ,उसका चित्रण इस फिल्म में है. सूत्रों का दावा है कि इस फिल्म की षूटिंग जनवरी 2017 में शुरू होनी है. वैसे अभी तक बाल कलाकार का चयन नहीं हुआ है.
 

बच्चों को दें सम्मान, क्योंकि अमोल गुप्ते ला रहे हैं ‘स्निफ’

‘‘तारे जमीं पर’ ’के लेखक और ‘‘स्टेनली का डिब्बा’’ तथा ‘‘हवा हवाई’’ जैसी सफलतम फिल्मों के लेखक व निर्देशक तथा ‘‘चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी’’ के पूर्व चेअरमैन अमोल गुप्ते अब बाल फिल्म ‘‘स्निफ’’ का निर्माण, लेखन व निर्देशन कर रहे हैं, जो कि बच्चों की पहली रोमांचक फिल्म है.जो कि एक बाल जासूस की कहानी है, जिसके अंदर सूंघने की अद्भुत क्षमता है.
 
‘‘सरिता’’पत्रिका से बात करते हुए फिल्म ‘‘स्निफ’’ के लेखक व निर्देशक अमोल गुप्ते ने कहा-‘‘यह एक रोमांचक फिल्म है.भारत में अब तक किसी ने भी बच्चों के लिए रोमांचक जाॅनर पर काम नहीं किया है. मैं पहली बार प्रयास कर रहा हॅं. यह एक बाल जासूस की कहानी है. हमेन तमाम विदेशी लेखको की जासूसी की पुस्तकें, उपन्यास पढ़े हैं. हमारी फिल्म का बाल जासूस सॅूंघ कर सच जान जाता है. उसके अंदर सूंघने की ऐसी शक्ति है, जिसका कायल हर इंसान हो जाएगा. इसीलिए हमने फिल्म का नाम ‘स्निफ’ रखा है. हमारी पिछली फिल्मों की ही तरह इस फिल्म की अपील युनिवर्सल है और इसे बच्चों के साथ साथ उनके माता पिता भी देखना चाहेंगे. इतना ही नही हमने इस फिल्म में भी एक अहम संदेष दिया है कि आप अपने बच्चों को सम्मान देना कब शुरू करेंगे.’’
 
फिल्म ‘‘तारे जमीं पर’’ में दर्षिल सफारी ने अभिनय किया था, जबकि ‘स्टेनली का डिब्बा’और ‘हवा हवाई’ में अमोल गुप्ते ने अपने बेटे पार्थ गुप्ते को अभिनय करने का अवसर दिया था. पार्थ गुप्ते को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया. मगर अब फिल्म ‘स्निफ’में अमोल गुप्ते ने अपने बेटे पार्थ गुप्ते की बजाय नए बाल कलाकार खुषमीत को अभिनय करने का मौका दिया है. इस पर अमोल गुुप्ते कहते हैं- ‘‘मैं कथानक व चरित्र के आधार पर कलाकार चुनता हूं. मेरा बेटा अच्छा कलाकार है. उसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. मगर अब वह साढ़े पंद्रह वर्ष का हो गया है. जबकि ‘स्निफ’की कहानी एक आठ वर्ष के बालक की है. एक दिन जब मैं कुछ बच्चों के साथ वर्कशॉप कर रहा था, तो वहां पर खुषमीत अपनी मां के साथ आया था. वह बहुत ही ज्यादा इन्नोसेंट नजर आया. बुद्धिमान व सुलझाा हुआ लगा. तो मैने उसे अपनी फिल्म ‘स्निफ’का हीरो बना दिया. अब जब हम उसके साथ शूटिंग कर रहे हैं , तो उसकी परफार्मेंस से मैं भी चकित हो रहा हूं.’’
 
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