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टैक्नोलौजी अपनाएं और अपनी लाइफ को ईजी बनाएं

पति अमित को औफिस और बच्चे प्रथम को स्कूल भेजने के बाद आज नव्या को बहुत सारा काम करना था. आज उस के बेटे का जन्मदिन जो था और शाम को घर पर पार्टी की सारी व्यवस्था भी करनी थी.

घर की साफसफाई, खानेपीने का मेन्यू बनाना और इन सब के साथसाथ एक बेहतरीन बर्थडे थीम से घर को डैकोरेट करना नव्या के आज के टास्क थे. डैकोरेशन का काम काफी समय लेने वाला होता है और जब साथ में दूसरे काम भी करने हों तो काफी तनाव हो जाता है.

मगर इस के बावजूद भी नव्या के माथे पर सिकन होने की बजाय उस के चेहरे पर खुशी और मुस्कराहट थी. और ऐसा इसलिए था क्योंकि उस के पास है एचपी प्रिंटर, वायरलेस प्रिंटिंग तकनीक के साथ.

इस के इस्तेमाल के लिए उस ने अपने स्मार्टफोन में एचपी की ऐप भी डाउनलोड की हुई है. इस ऐप की सहायता से वह घर के दूसरे कामों को निपटाने के साथसाथ घर के किसी भी कोने से प्रिंट कमांड दे कर डैकोरेशन के  लिए जरूरी पिक्चर्स के प्रिंटआउट्स ले सकती है.

नव्या के बेटे को मिकी माउस और डिजनी कारों से बेहद लगाव है, तो उस ने पार्टी थीम को नाम दिया ‘मिकी औन द डिजनी राइड’. फटाफट उस ने मिकी माउस कैरेक्टर और डिजनी कारों की इमेज को स्मार्टफोन में डाउनलोड करना शुरू किया.

साथसाथ वह घर के दूसरे काम निपटाती रही और डाउनलोडेड पिक्चर्स को अपने हिसाब से ऐडिट कर एचपी ऐप और वायरलेस  प्रिंटिंग तकनीक से घर के किसी भी कोने से प्रिंट कमांड दे कर प्रिंटआउट्स लेती रही. पार्टी को और भी रोचक बनाने के लिए उस ने मिकी माउस के फेस के प्रिंटआउट्स भी निकाले ताकि उन्हें काट कर बच्चों के लिए कलरफुल मास्क बना सके.

तकनीक से मल्टीटास्किंग हुई आसान

ड्राइंगरूम से बैडरूम, किचन से बौलकनी और टैरेस से लौन तक इस बीच सारे काम करती जा रही थी और एचपी प्रिंटर की वायरलेस तकनीक से प्रिंट ले कर डैकोरेशन की तैयारी भी चल रही थी.

दोपहर को अपने स्टडी रूम में जा कर जब उस ने प्रिंटआउट्स चेक किए तो उस की खुशी का ठिकाना न था. बेहतरीन क्वालिटी के प्रिंटआउट्स और वह भी बिना किसी झंझट के और किफायती दाम में.

उसे लगा इस से बेहतर तकनीक भला और क्या होगी.

नव्या को यकीन नहीं हो रहा था कि घर के काम निपटने के साथसाथ डैकोरेशन के लिए जरूरी प्रिंटआउट्स भी आ चुके थे और उसे इन के लिए अलग से समय निकाल कर लैपटौप ले कर बैठना भी नहीं पड़ा.

घर के डैकोरेशन में फनी मिकी और बेहतरीन डिजनी कारों के प्रिंटआउट्स का नव्या ने इतना अच्छा इस्तेमाल किया था कि इसे देख कर और अपने लिए मिकी माउस के फेस मास्क पा कर प्रथम और उस के दोस्तों के चेहरे पर खिली मुस्कान देखने वाली थी.

टैक्नोलौजी ने आजकल मल्टीटास्किंग को बहुत आसान बना दिया है. जिस तरह एचपी ऐप की सहायता से घर के किसी भी कोने से प्रिंटआउट लेने की सुविधा ने नव्या की लाइफ को ईजी बना दिया वैसे ही आप भी बना सकती हैं, बस जरूरत है टैक्नोसैवी बनने की और एचपी प्रिंटर घर लाने की.

प्यार जबरदस्ती नहीं होता : एकतरफा प्यार में पागल प्रेमी की कहानी

24 अप्रैल, 2017 की दोपहर के यही कोई 1 बजे मुंबई से सटे जिला थाणे के उपनगर दिवां मुंब्रा के जय हनुमान गणेशनगर परिसर की वेलफेयर सोसाइटी के मकान नंबर 2 की रहने वाली मृणाल अपने घर की ओर तेजी से चली जा रही थी. उस समय उसे पता नहीं था कि सिरफिरा अतुल सिंह उस का पीछा करता हुआ आ रहा है. मृणाल का मकान काफी घनी आबादी वाली बस्ती में था, जिस से वह काफी सुरक्षित माना जा सकता था. इस के अलावा घर के बाहर लोहे की मजबूत ग्रिल लगी थी, जिस से घर भी काफी सुरक्षित था. मृणाल जैसे ही लोहे की ग्रिल में लगा दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुई, वैसे ही एकदम से अतुल सिंह भी उस के पीछे अंदर दाखिल हो गया.

मृणाल कुछ कर पाती उस के पहले ही उस ने ग्रिल में लगा दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. अचानक अतुल को घर के अदंर देख कर मृणाल घबरा गई. उस की शक्ल देख कर ही उसे उस का इरादा भांपते देर नहीं लगी. सहमी आवाज में उस ने कहा, ‘‘तुम यहां क्यों आए हो?’’

‘‘वही लेने, जो तुम मुझे देना नहीं चाहती. आज मैं फैसला करने आया हूं.’’ अतुल सिंह ने धमकी भरे लहजे में कहा, ‘‘तुम जानती हो कि मैं तुम्हें अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूं. लेकिन तुम्हें तो मेरे प्यार की कोई परवाह नहीं है. खूब सोचसमझ कर बताओ, तुम्हें मेरा प्यार स्वीकार है या नहीं?’’

मृणाल न जाने कितनी बार उसे मना कर चुकी थी. इसलिए अतुल की धमकी पर ध्यान न देते हुए उसे अपने घर से निकल जाने को कहा. लेकिन अतुल उस के घर से बाहर जाने को तैयार नहीं था. दोनों में जोरजोर से कहासुनी होने लगी. जिसे सुन कर आसपड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए.

लेकिन ग्रिल का दरवाजा अंदर से बंद था, इसलिए वहां इकट्ठा लोगों में से कोई भी मृणाल की मदद नहीं कर पा रहा था. सभी बाहर से ही दोनों को समझा रहे थे. मृणाल की तो कोई बात ही नहीं थी, अतुल के सिर पर प्यार का ऐसा भूत सवार था कि उस पर किसी की बात का कोई असर नहीं हो रहा था.

हद तो तब हो गई, जब अतुल ने धक्का दे कर मृणाल को जमीन पर गिरा दिया और चीख कर बोला, ‘‘तू खुद को समझती क्या है? मैं बेवकूफ हूं, जो तुझे इतना प्यार करता हूं. आज मैं अपने इस प्यार का किस्सा ही खत्म किए देता हूं. न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी… समझी…?’’

इतना कह कर अतुल ने पैंट की जेब में रखा चाकू एवं कटर निकाल लिया. उस के हाथों में खुला चाकू और कटर देख कर मृणाल डर गई और छोड़ देने के लिए गिड़गिड़ाने लगी. अतुल का इरादा भांप कर बाहर खड़े लोग भी सहम गए. डरीसहमी मृणाल ने आखिरी प्रयास करते हुए कहा, ‘‘अतुल, तुम यह ठीक नहीं कर रहे हो. मुझे मार कर तुम भी बच नहीं पाओगे.’’crime news

अतुल तो निर्णय कर के आया था, इसलिए मृणाल की बातों का उस पर कोई असर नहीं हुआ. बाहर खड़े लोग भी अतुल को समझाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन अतुल जो निर्णय कर के आया था, उस पर अटल रहते हुए उस ने पागलों की तरह जमीन पर गिरी पड़ी मृणाल के शरीर पर चाकुओं से वार करना शुरू कर दिया.

मृणाल ने उसे रोकने की कोशिश तो की, लेकिन निहत्थी मृणाल उस के चाकू के वारों को कैसे रोक सकती थी. अतुल मृणाल पर वार पर वार कर रहा था. बाहर खड़े लोग उस से मृणाल को छोड़ देने के लिए अनुनयविनय कर रहे थे. इस के अलावा वे और कुछ कर भी नहीं सकते थे, क्योंकि बाहर लगी लोहे की ग्रिल काफी मजबूत थी.

इतनी जल्दी वह कट भी नहीं सकती थी. इसलिए बाहर खड़े लोग मृणाल की कोई मदद नहीं कर सके. उन्हीं के सामने सिरफिरे अतुल ने मृणाल को तड़पातड़पा कर मार डाला. इसे संयोग ही कहा जा सकता है कि जिस समय अतुल मृणाल की हत्या कर रहा था, उसी समय मृणाल के पति मंगेश घड़ीगांवकर ने मृणाल के मोबाइल पर फोन किया.

मृणाल तो मर चुकी थी, फोन अतुल ने उठाया. उस की आवाज सुन कर मंगेश घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘अतुल, तुम मेरे घर में क्या कर रहे हो?’’

‘‘मुझे जो करना था, वह मैं कर चुका हूं. मैं ने जो किया है, तुम आ कर देख लो. मैं तो जेल जा कर जल्द ही बाहर आ जाऊंगा. लेकिन तुम क्या करोगे?’’ इतना कह कर अतुल ने फोन काट दिया.

अतुल की आधीअधूरी बातें सुन कर मंगेश बुरी तरह घबरा गया. उसे समझते देर नहीं लगी कि मृणाल के साथ कोई अनहोनी हो चुकी है. क्योंकि अतुल की फितरत से वह अच्छी तरह वाकिफ था. उस ने तुरंत कंपनी से छुट्टी ली और घर के लिए चल पड़ा. मंगेश अपने घर पहुंचता, उस के पहले ही उस के घर के बाहर खड़े लोगों में से किसी ने फोन कर के पुलिस को बुला लिया था.

घर पहुंच कर मंगेश ने पत्नी की हालत देखी तो बेहोश हो गया. पड़ोसियों ने किसी तरह उसे संभाला. दिनदहाड़े हुई इस हत्या से पुलिस भी हैरान थी.

सूचना मिलते ही थाना मुंब्रा के थानाप्रभारी रविंद्र तायडे़ एआई मनोहर पाटिल, इंसपेक्टर सदाशिव निकंब, एसआई महानन, सिपाही संतोष राऊत, गणेश देशमुख और राहुल शैलार के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. थाने से चलने से पहले उन्होंने इस घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी.

रविंद्र तायड़े सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां इकट्ठा लोग काफी घबराए हुए थे. पुलिस उन्हें हटा कर दरवाजे पर पहुंची तो वहां की स्थिति दिल दहला देने वाली थी. बाहर वाले कमरे में खून ही खून फैला था. उसी खून के बीच एक महिला की लाश पड़ी थी. लाश के पास ही अतुल चुपचाप सिर झुकाए बैठा था.

पुलिस को देखते ही अतुल ने उठ कर दरवाजा खोल दिया. दरवाजा खुलते ही पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.

रविंद्र तायडे़ घटनास्थल का निरीक्षण शुरू करने वाले थे कि सीपी परमवीर सिंह, डीसीपी आशुतोष डुबरे, एसीपी रमेश धुमाल भी आ पहुंचे. अधिकारियों के साथ फोरैंसिक टीम भी आई थी. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

चूंकि अभियुक्त पकड़ा जा चुका था, इसलिए इस मामले में अधिकारियों को करने के लिए कुछ नहीं था. अधिकारी तुरंत लौट गए. उन के जाने के बाद रविंद्र तायड़े ने घटनास्थल की औपचारिक काररवाई निपटा कर मृणाल की लाश को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भिजवा दिया. अतुल ने जिस चाकू और कटर से मृणाल की हत्या की थी, वे वहीं पड़े थे. पुलिस ने उन्हें कब्जे में ले लिया.

इस के बाद पुलिस अतुल सिंह एवं मंगेश घड़ीगांवकर को साथ ले कर थाने आ गई और उस की शिकायत पर मृणाल की हत्या का मुकदमा अतुल सिंह के खिलाफ दर्ज कर लिया. इस के बाद उस से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में अतुल सिंह ने मृणाल की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह एकतरफा प्यार में पागल प्रेमी की कहानी थी—

22 साल का अतुल सिंह जिला थाणे के दिवां पूर्व मुंब्रा देवी कालोनी स्थित श्रीकृष्णा सोसाइटी के एक चालनुमा मकान में रहता था. उस के पिता कमलेश सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर के रहने वाले थे. मुंबई में वह एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी सुपरवाइजर थे.

उन के परिवार में पत्नी के अलावा बेटी और बेटा अतुल सिंह था. इस समय वह कालेज में पढ़ रहा था. पढ़ने में वह ठीकठाक था, जिस सोसाइटी में कमलेश सिंह परिवार के साथ रहते थे, उसी में उन के घर के ठीक सामने वाले मकान में मंगेश घड़ीगांवकर अपनी 32 साल की पत्नी मृणाल के साथ रहता था. जिस समय मंगेश पत्नी के साथ वहां रहने आया था, उस समय अतुल काफी छोटा था. तब वह स्कूल में पढ़ रहा था.crime news

मंगेश घड़ीगांवकर बेलापुर, नवी मुंबई स्थित एक प्रतिष्ठित फर्म में नौकरी करता था. उस की पत्नी मृणाल मुंब्रा में एक कंप्यूटर सैंटर में नौकरी करती थी. वह सुबह 9 बजे जाती थी तो दोपहर 12 बजे तक घर आ जाती थी. इस के बाद शाम 5 बजे जाती थी तो 8 बजे रात को वापस आती थी.

34 साल का मंगेश घड़ीगांवकर महाराष्ट्र के सोलापुर का रहने वाला था. सन 2006 में उस ने मृणाल से प्रेम विवाह किया था. मृणाल तन से जितनी खूबसूरत थी, मन से उतनी ही सरल और चंचल थी. स्वस्थ, सुंदर, सौंदर्यमयी मृणाल आधुनिक विचारों वाली थी. किसी से भी बात करने में वह झिझकती नहीं थी. पतिपत्नी का स्वभाव एक जैसा था. शायद इसीलिए सोसाइटी के सभी लोग उन्हें पसंद करते थे.

आमनेसामने रहने की वजह से कमलेश सिंह के परिवार से उन का कुछ ज्यादा ही लगाव था. मृणाल को जब भी समय मिलता था, वह कमलेश सिंह के घर आ जाती थी और सभी से बातें करती थी. यही हाल मंगेश का भी था.

मृणाल अतुल से 10 साल बड़ी थी इसलिए वह उसे छोटा भाई मानती थी. उस से व्यवहार भी उसी तरह करती थी. अतुल भी उस के साथ वैसा ही व्यवहार करता था. लेकिन समय के साथ सब बदल गया. अतुल जैसे ही बड़ा हो कर कालेज की ड्योढी पर पहुंचा, उस पर कालेज का रंगढंग चढ़ने लगा.

उस के दिलोदिमाग पर मृणाल की सुंदरता छाने लगी. वह मन ही मन मृणाल को चाहने लगा. इस बात से अंजान मृणाल उस से पहले की ही तरह मिलती रही. उसी तरह हंसतीमुसकराती और मीठीमीठी बातें करती रही.

मृणाल की बातों और मुसकराहट को अतुल गंभीरता से लेने लगा. वह उसे चाहने लगा. वह अपना प्यार मृणाल पर जाहिर कर पाता, उस के पहले ही मृणाल के उस घर का एग्रीमेंट खत्म हो गया और उसे वह मकान छोड़ कर कहीं और जाना पड़ा.

जनवरी, 2016 में मृणाल वह मकान खाली कर के पति के साथ दिवां पूर्व दातीवली तालाब परिसर के ओमकार दर्शन सोसाइटी में जा कर रहने लगी. इस बात से अतुल काफी दुखी हुआ. कुछ दिनों तक तो वह मृणाल की याद में इधरउधर भटकता रहा, लेकिन जल्दी ही उस ने मृणाल का नया मकान खोज लिया और मंगेश की अनुपस्थिति में उस से मिलने उस के घर आनेजाने लगा.

पुराना पड़ोसी होने के नाते मृणाल अतुल से उसी तरह बातव्यवहार करती रही, जैसे पहले किया करती थी. उसी बीच एक दिन अतुल मृणाल के घर पहुंचा और मौका देख कर उस ने मृणाल से अपने प्यार का इजहार कर दिया. मृणाल के करीब जा कर बिना किसी भूमिका के उस का हाथ अपने हाथ में ले कर उस ने कहा, ‘‘मृणाल, तुम मेरी बात का बुरा मत मानना. मैं तुम से प्यार करने लगा हूं और तुम से विवाह करना चाहता हूं.’’

अतुल सिंह की ये बातें सुन कर मृणाल सन्न रह गई. अपना हाथ झटके से छुड़ा कर उस ने कहा, ‘‘तुम पागल तो नहीं हो गए हो? मैं तुम्हें अपना छोटा भाई मानती हूं, भाई की तरह प्यार करती हूं और तुम मुझ से यह क्या कह रहे हो? मेरी और तुम्हारी उम्र में कितना अंतर है. मैं शादीशुदा हूं, किसी की पत्नी हूं, हमारी भी कुछ मर्यादाएं हैं. हमारी अपनी एक जिंदगी है, जिस में हम बहुत खुश हैं.’’

‘‘मेरी बात तो सुनो…’’ अतुल सिंह अपनी बात पूरी कर पाता, उस के पहले ही मृणाल ने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘तुम ने हिम्मत कैसे की मुझ से इस तरह बात करने की और फिर मैं तुम्हारी बात क्यों सुनूं? तुम मुझ से इस तरह की बात करोगे, मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था.’’

‘‘मेरी बात मानो मृणाल, मैं तुम्हें बहुत सुखी रखूंगा. तुम्हारे सारे सपने पूरे करूंगा, तुम्हें कभी किसी बात की शिकायत नहीं होने दूंगा.’’

‘‘अब बहुत हो गया अतुल. अच्छा होगा कि तुम चुपचाप यहां से चले जाओ और फिर कभी यहां आना भी मत.’’ इतना कह कर मृणाल ने अतुल को धक्का दे कर घर से बाहर कर दिया.crime news

मृणाल के इस व्यवहार से अतुल काफी दुखी हुआ. वह मृणाल के घर के बाहर तो आ गया, लेकिन जाते हुए उस ने धमकी दी, ‘‘मैं तुम्हे प्यार करता हूं और करता रहूंगा. तुम्हें हर हाल में मेरे प्यार को स्वीकार करना होगा. अगर तुम ने मेरे प्यार को स्वीकार नहीं किया तो परिणाम बहुत बुरा हो सकता है.’’

मृणाल ने उस समय तो अतुल को अपने घर से भगा दिया था, लेकिन वह उस की धमकी से काफी डर गई. शाम को जब मंगेश घर आया तो उस ने सारी बात उसे बता दी. अतुल की इस हरकत के बारे में जान कर मंगेश का खून खौल उठा. उस ने अतुल को फोन कर के अपने घर बुलाया और उसे खूब डांटाफटकारा. इस के बाद माफी मांगने को कहा.

इस पर अतुल और मंगेश में विवाद हो गया तो गुस्से में मंगेश ने अतुल को कई थप्पड़ जड़ दिए, साथ ही चेतावनी दी कि आज के बाद वह उस के घर के आसपास भी दिखाई दिया तो वह उसे पुलिस के हवाले कर देगा.

मंगेश ने अतुल सिंह के साथ जो किया सो तो किया ही, उस के पिता कमलेश सिंह से भी उस की शिकायत कर दी. कमलेश सिंह ने बेटे को आड़े हाथों लिया और मंगेश से माफी मांगते हुए कहा, ‘‘जाने दो भाईसाहब, अभी यह नादान है. मैं इसे समझा दूंगा. अब यह इस तरह की हरकत कभी नहीं करेगा.’’

पिता के डांटनेफटकारने से कुछ दिनों तक तो अतुल शांत रहा, लेकिन कुछ दिनों बाद वह फिर पुरानी राह पर चल पड़ा. इस बार वह कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो गया था. वह मृणाल को फोन कर के भी परेशान करने लगा था. अलगअलग नंबरों से फोन कर के वह मृणाल से सौरी बोलता और अपने प्यार का इजहार करता.

अतुल की इस हरकत से परेशान हो कर मृणाल ने मंगेश से शिकायत की तो उस ने अतुल की जम कर पिटाई कर दी. उस ने मृणाल का नंबर ही नहीं बदल दिया, बल्कि बिना किसी को बताए घर भी बदल दिया. इस बार वह गणेशनगर में आ कर रहने लगा था.

लेकिन मृणाल के प्यार में पागल अतुल ने जल्दी ही उस का यह मकान भी खोज लिया. अब वह मृणाल से मिलने और उसे फोन करने के मूड में नहीं था. अब वह उस से अपने अपमान का बदला लेना चाहता था. क्योंकि अब उसे पूरा विश्वास हो गया था कि जिस मृणाल के प्यार में वह पागल है, वह उसे कभी नहीं मिल सकती. यही सोच कर उस ने मृणाल के प्रति एक खतरनाक फैसला ले लिया.

फैसला ले कर अतुल ने उसे खत्म करने की जो योजना बनाई, वह उसे साकार करने का मौका तलाशने लगा. आखिर उसे वह मौका 24 अप्रैल, 2017 को तब मिल गया, जब मृणाल कंप्यूटर सैंटर से घर लौट रही थी.

चाकू और कटर का उस ने पहले ही इंतजाम कर लिया था. उस का सोचना था कि अगर मृणाल के दिल में उस के लिए प्यार नहीं है तो उसे जीने का कोई हक नहीं है. यही सोच कर अतुल ने उसे खत्म कर दिया. उस ने उस की हत्या कर मंगेश का बसाबसाया घर उजाड़ दिया. मजे की बात तो यह है कि उस ने जो किया है, उस का उसे जरा भी पश्चाताप नहीं है.

पूछताछ के बाद पुलिस ने अतुल सिंह के खिलाफ मृणाल की हत्या का मुकदमा दर्ज कर अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. उस ने जो लड़कपन किया, उस से उसे क्या मिला, एक जिंदगी तो गई ही, एक घर बरबाद कर के वह भी जेल चला गया. मांबाप का वह एकलौता बेटा था, वे जिंदगी भर अब उस के लिए तड़पते रहेंगे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मोहब्बत की मकड़ी : अपने ही जाल में फंसी सैक्स रैकेट की सरगना

बुधवार, 17 मई, 2017 का दिन ढल चुका था और रात उतर आई थी. 9 बजे के करीब राजस्थान के जिला कोटा के थाना नयापुरा के थानाप्रभारी देवेश भारद्वाज के चैंबर में जिस समय 2 लड़कियां दाखिल हुई थीं, उस समय वह बाहर निकलने की तैयारी कर रहे थे. उन लड़कियों के नाम पूजा और स्वाति थे. दोनों की ही उम्र 30-32 साल के बीच थी. वे थीं भी काफी आकर्षक. अपना परिचय देने के बाद पिछले पौन घंटे के बीच उन्होंने हिचकियां लेले कर रोते हुए जो कुछ बताया था, उस ने देवेश भारद्वाज को पशोपेश में डाल दिया था.

पूरी बात पूजा ने बताई थी. स्वाति तो बीचबीच में हौसला बढ़ाते हुए उस की बातों की तसदीक कर रही थी और जहां पूजा रुकती थी, वहां वह उसे याद दिला देती थी. उन की बातें सुन कर देवेश भारद्वाज उसे जिन निगाहों से ताक रहे थे, उस से पूजा को लग रहा था कि शायद वह उस की बातों पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं. शायद इसी वजह से एक बार तो लगा कि वह फूटफूट कर रो पड़ेगी. लेकिन किसी तरह खुद को संभालते हुए आखिर उस ने पूछ ही लिया, ‘‘सर, क्या आप को हमारी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है?’’

देवेश भारद्वाज ने पानी का गिलास पूजा की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘आप को ऐसा क्यों लग रहा है? आप ने अपने ऊपर हुए जुल्मों के बारे में जो बताया है, उसे एक कागज पर लिख कर रिपोर्ट दर्ज करा दीजिए.’’

युवती, जिस ने अपना नाम पूजा हाड़ा बताया था, उस के बताए अनुसार, वह कोटा के कुन्हाड़ी की रहने वाली थी. आर्थिक तंगी की वजह से वह नौकरी करना चाहती थी. नौकरी की तलाश में उस की मुलाकात लालजी नमकीन भंडार के मालिक अशोक अग्रवाल से हुई. उन्होंने उसी दिन यानी 17 मई की दोपहर लगभग 3 बजे नयापुरा स्थित एक रेस्तरां में नौकरी की खातिर बातचीत करने के लिए उसे बुलाया.

बातचीत के दौरान अशोक अग्रवाल ने सौफ्टड्रिंक औफर किया. व्यावहारिकता के नाते मना करना ठीक नहीं था, इसलिए पूजा ने भी मना नहीं किया. उसे पीते ही पूजा पर नशा सा चढ़ने लगा. उस में शायद कोई नशीली चीज मिलाई गई थी. वह जल्दी ही बेसुध हो गई.

होश आया तो पूजा को पता चला कि नौकरी के बहाने बुला कर अशोक अग्रवाल ने उस की अस्मत लूट ली थी. होश में आने पर पूजा ने यह बात सब को बताने की धमकी दी तो उन्होंने उसे बेइज्जत कर के भगा दिया.

पूजा के साथ स्वाति उस की घनिष्ठ सहेली थी. जब यह पूरा वाकया पूजा ने उसे बताया तो हिम्मत दिला कर वह उसे थाने ले आई. अशोक अग्रवाल पैसे वाले आदमी थे, वह कुछ भी करा सकते थे, इसलिए पूजा ने अपनी जान का खतरा जताया.

रिपोर्ट दर्ज करा कर पूजा और स्वाति ने देवेश भारद्वाज के पास आ कर कहा, ‘‘सर, अब हम जाएं?’’

देवेश भारद्वाज ने अपनी घड़ी देखी. उस समय रात के 11 बज रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, तुम लोग इतनी रात को अकेली कैसे जा सकती हो? अकेली जाना तुम दोनों के लिए ठीक नहीं है. क्योंकि अभी तुम्हीं ने कहा है कि तुम्हारी जान को खतरा है.’’

इस के बाद ट्रेनी आरपीएस सीमा चौहान की ओर देखते हुए देवेश भारद्वाज ने कहा, ‘‘मैडम, आप अपनी जिप्सी से इन्हें इन के घर पहुंचा दीजिए.’’

‘‘नहीं सर, इस की कोई जरूरत नहीं है. मैं खुद चली जाऊंगी और पूजा को भी उस के घर पहुंचा दूंगी.’’ स्वाति ने कहा, ‘‘मैं ही इसे ले कर आई थी और मैं ही इसे इस के घर छोड़ भी आऊंगी. पूजा को घर पहुंचाना मेरी जिम्मेदारी है. आप इतनी रात को मैडम को क्यों परेशान करेंगे?’’crime news

देवेश भारद्वाज स्वाति की इस बात पर हैरान रह गए. उन की समझ में यह नहीं आया कि पुलिस की गाड़ी से जाने में इन्हें परेशानी क्यों हो रही है? आखिर उन्हें शक हो गया. क्योंकि इधर लगभग रोज ही अखबारों में वह पढ़ रहे थे कि लड़कियों ने फलां व्यापारी को दुष्कर्म में फंसाने की धमकी दे कर मोटी रकम ऐंठी है, इसलिए उन्होंने दोनों लड़कियों को चुपचाप पुलिस जिप्सी में बैठने को कहा.

आखिर वही हुआ, जिस का अंदेशा देवेश भारद्वाज को था. करीब डेढ़ घंटे बाद उन्हें पता चला कि सीमा चौहान को स्वाति और पूजा करीब एक घंटे तक कुन्हाड़ी की गलियों में घुमाती रहीं, लेकिन उन का घर नहीं मिला. जब वे अपना घर नहीं दिखा सकीं तो वह उन्हें ले कर थाने आ गईं.

सीमा चौहान ने यह बात देवेश भारद्वाज को बताई तो उन्होंने कहा, ‘‘अब समझ में आया कि स्वाति और पूजा आप के साथ क्यों नहीं जाना चाहती थीं. स्वाति क्यों कह रही थी कि पूजा को मैं खुद उस के घर छोड़ आऊंगी.’’

इस के बाद पूजा और स्वाति शक के घेरे में आ गईं. देवेश भारद्वाज ने पूजा के बयान पर विचार किया तो उन्हें सारा माजरा समझ में आने लगा. भला दिनदहाड़े रेस्तरां में ग्राहकों की आवाजाही के बीच कोई किसी के साथ कैसे दुष्कर्म कर सकता है? दुष्कर्म की छोड़ो, छेड़छाड़ भी मुमकिन नहीं है. लड़की शोर मचा सकती थी. हां, लड़की चाहती तो कुछ भी हो सकता था. इस का मतलब शिकारी भी वही है और शिकार भी वही है.

इस के बाद पूजा और स्वाति से सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों टूट गईं और उन्होंने जो बताया, उस से एक ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ, जो खूबसूरत औरतों का चारा डाल कर शहर के रसूखदार लोगों को दुष्कर्म में फंसाने की धमकी दे कर मनमानी रकम वसूल रहा था. इस पूछताछ में जो खुलासा हुआ, वह काफी चौंकाने वाला था.

पूजा का असली नाम पूजा बघेरवाल था. वह कोटा के अनंतपुरा की रहने वाली थी. पुलिस ने उस के घर पर छापा मार कर वहां से जो कागजात बरामद किए थे, उस के अनुसार उस की उम्र 20 साल थी. स्वाति इस रैकेट की सरगना थी. उन के गिरोह में नाजमीन भी शामिल थी. पुलिस ने उसे भी अनंतपुरा से गिरफ्तार कर लिया था.crime news

पूछताछ में स्वाति ने स्वीकार किया कि नमकीन कारोबारी अशोक अग्रवाल तक पूजा को उसी ने पहुंचाया था. पूजा और स्वाति ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो देवेश भारद्वाज ने देर रात नमकीन कारोबारी अशोक अग्रवाल को बुला कर पूजा और स्वाति के खिलाफ धारा 420 और 384 के तहत मुकदमा दर्ज करा कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

इस तरह आढ़त और नमकीन के बड़े कारोबारी अशोक अग्रवाल इस गिरोह का आखिरी शिकार साबित हुए. जब उन से पूछा गया कि उन्हें कैसे फंसाया गया तो उन्होंने जो बताया, उस के अनुसार 7 मई, 2017 को जब वह बूंदी जा रहे थे तो उन के मोबाइल पर एक फोन आया. वह फोन उन्हें पूजा हाड़ा ने किया था.

पूजा ने उन से कहा कि उसे नौकरी की सख्त जरूरत है. वह बड़े आदमी होने के साथसाथ जानेमाने कारोबारी भी हैं. वह चाहें तो उसे कहीं न कहीं नौकरी मिल जाएगी. किसी अजनबी लड़की द्वारा इस तरह बेबाकी से नौकरी मांगना अशोक अग्रवाल के लिए हैरानी की बात थी. उन्होंने पूछा, ‘‘तुम मुझे कैसे जानती हो, मेरा मोबाइल नंबर तुम्हें कैसे मिला?’’

इस पर पूजा ने कहा, ‘‘तरक्की के इस दौर में आप जैसी जानीमानी हस्ती के मोबाइल नंबर हासिल कर लेना कोई मुश्किल काम नहीं है.’’

पूजा ने अपनी गरीबी और लाचारी का हवाला दिया तो अशोक अग्रवाल ने उसे कहीं नौकरी दिलाने की बात कह कर टालने की कोशिश की. लेकिन पूजा उन्हें लगातार फोन करती रही. यह सिलसिला लगातार जारी रहा. 17 मई की दोपहर को जब पूजा ने फोन कर के कहा कि वह उन से मिल कर अपनी परेशानी बताना चाहती है तो वह पिघल गए.

संयोग से अशोक अग्रवाल उस समय नयापुरा किसी काम से गए हुए थे. पूजा की परेशानी पर तरस खा कर वह उस के बताए रेस्टोरेंट में मिलने पहुंच गए. जिस समय वह रेस्टोरेंट में पहुंचे थे, उस समय वहां गिनेचुने लोग ही थे. कोने की एक मेज पर अकेली लड़की बैठी थी, जिसे देख कर वह समझ गए कि वही पूजा होगी. वह उन्हें देख कर मुसकराई तो उन्हें विश्वास भी हो गया. वह उस की ओर बढ़ गए.

कुरसी से उठ कर नमस्ते करते हुए उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम पूजा है. आप ने मेरे लिए इस दोपहर में आने का कष्ट किया, इस के लिए आप को बहुतबहुत धन्यवाद.’’

अशोक अग्रवाल उस के सामने पड़ी कुरसी पर बैठते हुए बोले, ‘‘अब बताओ, मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं?’’

‘‘मैं अपनी परेशानी इतनी दूरी से नहीं बता सकती.’’ पूजा ने अशोक अग्रवाल की आंखों में आंखें डाल कर मुसकराते हुए कहा, ‘‘आप यहां मेरे बगल में आ कर बैठें तो मैं आप को अपनी परेशानी बताऊं.’’

इतना कह कर पूजा दोनों हाथ टेबल पर रख कर झुकी तो उस के वक्ष झांकने लगे. अशोक अग्रवाल यह देख कर हड़बड़ा उठे, क्योंकि उन्होंने ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की थी. उन्होंने इधरउधर देखा, संयोग से उन की ओर कोई नहीं देख रहा था. लेकिन उस तनहाई में उस के इस रूप को देख कर वह पसीनेपसीने हो गए. उन का हलक सूख गया. जुबान से हलक को तर करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह क्या है?’’

‘‘वही, जो एक औरत किसी मर्द को खुश करने के लिए करती है.’’ अधखुले वक्षों की ओर ताकते हुए पूजा ने मदभरी आवाज में कहा, ‘‘इधर आओ न?’’

परेशान हो कर अशोक अग्रवाल ने इधरउधर देखा. इस के बाद नाराज हो कर उठते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं ने तुम्हें क्या समझा था और तुम क्या निकली?’’

पूजा ने आंखें तरेरते हुए कहा, ‘‘सही बात यही है कि मैं वही हूं, जो तुम ने नहीं समझा था. मैं तुम्हें इज्जत दे कर वह देना चाहती थी, जिस के लिए लोग तरसते हैं. लेकिन शायद तुम्हें हसीन तोहफा पसंद नहीं है. फिलहाल तो जो कुछ भी तुम्हारे पास है, चुपचाप निकाल कर रख दो, वरना अभी शोर मचा कर लोगों को इकट्ठा कर लूंगी कि तुम नौकरी देने के बहाने यहां बुला कर मेरी इज्जत पर हाथ डाल रहे हो?’’

अशोक अग्रवाल पसीनेपसीने हो गए. कांपती आवाज में उन्होंने कहा, ‘‘तुम ने यह ठीक नहीं किया.’’

इतना कह कर उन्होंने अपनी जेब से सारी नकदी निकाल कर मेज पर रख दी. उस समय उन के पास करीब 8 हजार रुपए थे. पूजा ने फौरन सारे पैसे समेटे और तेजी से यह कहती हुई बाहर चली गई कि इतनी रकम से मेरी इज्जत की भरपाई नहीं होनी सेठ.

अशोक अग्रवाल हक्काबक्का उसे जाते देखते रहे. हैरानपरेशान कांपते हुए वह अपनी दुकान पर पहुंचे. वह अभी सांस भी नहीं ले पाए थे कि एक नई मुसीबत आ खड़ी हुई. अचानक एक मोटरसाइकिल उन की दुकान पर आ कर रुकी. उस से मवाली सरीखे 3 लोग आए थे.

अशोक अग्रवाल उन से कुछ पूछ पाते, उस से पहले ही उन में से एक युवक उन के पास आ कर उन्हें डांटते हुए बोला, ‘‘इतना बड़ा कारोबारी है, फिर भी लड़कियां फंसाता घूमता है? तू ने पूजा के साथ क्या किया है, उस रेस्टोरेंट में? 50 लाख का इंतजाम कर ले, वरना दुष्कर्म के मामले में ऐसा फंसेगा कि सीधे जेल जाएगा. बदनामी ऐसी होगी कि किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगा.’’

डरेसहमे अशोक अग्रवाल के मुंह से बोल नहीं निकले. वह यह भी नहीं पूछ पाए कि वे आखिर हैं कौन और दिनदहाड़े इतना दुस्साहस करने की उन की हिम्मत कैसे हुई? उन्हें जैसे सांप सूंघ गया था. यह नौकरों की मौजूदगी में हुआ था, इसलिए बेइज्जती और धमकी से परेशान हो कर वह सिर थाम कर बैठ गए.

अशोक अग्रवाल के बयान के आधार पर उन्हें दुष्कर्म में फंसाने की धमकी दे कर 50 लाख रुपए की मांग करने वाले तीनों लोगों को भी थाना नयापुरा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन तीनों के नाम थे महेंद्र सिंह तंवर उर्फ चाचा, फिरोज खान और शानू उर्फ सलीम. महेंद्र सिंह रंगपुर रोड स्थित रेलवे कालोनी का रहने वाला था तो फिरोज खान साजीदेहड़ा का. शानू उर्फ सलीम कोटडी का रहने वाला था.

तीनों ने स्वाति के साथ मिल कर पूरी योजना तैयार की थी. उसी योजना के तहत तीनों ने अशोक अग्रवाल की दुकान पर जा कर रुपए मांगे थे. पूजा और स्वाति के साथ गिरफ्तार की गई नाजमीन भी रसूखदार लोगों को फंसाने में उन्हीं की तरह माहिर थी. उस की 3 बहनें हैं. पिता की मौत हो चुकी है. उस की मां भी अपराधी प्रवृत्ति की है. मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में वह 10 साल की सजा काट चुकी है.

शहर के रसूखदारों को हनीट्रैप में फंसाने वाला रैकेट सामने आया तो पुलिस ने विस्तार से पूछताछ की. इस पूछताछ में उन्होंने एक और खुलासा किया. स्वाति उर्फ श्वेता और पूजा बघेरवाल ने मिल कर बैंकिंग सेक्टर में एजेंसी चलाने वाले प्रदीप जैन के खिलाफ थाना गुमानपुरा में छेड़छाड़ और दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था. अक्तूबर, 2016 में इन लोगों ने प्रदीप जैन से 8 लाख रुपए मांगे थे. हालांकि बाद में दोनों अपने इस बयान से मुकर गई थीं.

इस के बाद प्रदीप जैन से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें औफिस में काम करने वाले कर्मचारियों की जरूरत थी, जिस के लिए उन्होंने अखबार में विज्ञापन दिया था. उसी विज्ञापन के आधार पर पूजा बघेरवाल ने खुद को निशा जैन बताते हुए उन से संपर्क किया. उस ने करीब 3 महीने तक उन के यहां नौकरी की.

वह काम करने के बजाय दिन भर फोन पर ही बातें करती रहती थी, इसलिए उन्होंने उसे नौकरी से निकाल दिया. इस के बाद स्वाति उर्फ श्वेता उन के यहां नौकरी करने आई. लेकिन 3 दिन बाद ही वह नौकरी छोड़ कर चली गई. इस के बाद उस ने उन के खिलाफ छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज करा दी, लेकिन प्रदीप जैन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. उन्हें परेशानी तब हुई, जब अक्तूबर, 2016 में पूजा ने थाना गुमानपुरा में उन के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया. उस का कहना था कि 8 महीने पहले जब वह उन के यहां नौकरी करती थी, तब उन्होंने उस के साथ दुष्कर्म किया था.

जब इस बात की जानकारी प्रदीप को हुई तो वह सन्न रह गए. उन का परिवार तनाव में आ गया. लेकिन वह अपनी बात पर अडिग थे, क्योंकि आरोप सरासर झूठा था. पर मित्रों और रिश्तेदारों के कहने पर बेगुनाह होते हुए भी उन्हें भूमिगत होना पड़ा. बाद में डील हुई तो पूजा ने अदालत में अपने बयान बदल दिए. समझौता होने के बाद उस से फिर 50 हजार रुपए मांगे गए. लेकिन उस ने देने से साफ मना कर दिया. उस ने कहा कि अब उस का खेल खत्म हो चुका है.

पुलिस के अनुसार, शहर में यह गिरोह अभी ताजाताजा ही सक्रिय हुआ था. किसी रसूखदार को जाल में फंसाने से पहले ये लोग उस के रिश्तों और कारोबार की पूरी जानकारी जुटाते थे. उस के बाद शिकार की पंसद की लड़की का जुगाड़ किया जाता था, जो उसे फांस सके. शिकार से जो रकम मिलती थी, वह सभी में बराबरबराबर बंटती थी. गिरोह की सरगना स्वाति हनीट्रैप के लिए ‘नई’ और ‘काम की’ लड़कियां तलाशती रहती थी.

स्वाति पति को छोड़ कर साजीदेहड़ा में फिरोज के साथ रहती थी. लोगों की नजरों में वह मेहंदी लगाने और ब्यूटीशियन का काम करती थी. वह इन दिनों एक कोचिंग संचालक को फंसाने की फिराक में थी. उस के लिए वह हाईप्रोफेशनल लड़की ढूंढ रही थी.

लेकिन अशोक अग्रवाल को फंसाने के चक्कर में वह खुद ही फंस गई. अगर ऐसा न होता तो शायद वह उस कोचिंग संचालक को बरबाद कर के ही मानती. पुलिस ने पूछताछ के बाद स्वाति, पूजा, नाजमीन, महेंद्र सिंह तंवर उर्फ चाचा, फिरोज खान और शानू उर्फ सलीम को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

महेंद्र सिंह तंवर, फिरोज खान और शानू उर्फ सलीम को तब गिरफ्तार किया गया, जब स्वाति, पूजा और नाजमीन की गिरफ्तारी की खबर पा कर तीनों शहर छोड़ कर भागने की तैयारी कर रहे थे. लड़कियों के पास से एक डायरी मिली थी, जिस में इन तीनों के नाम और मोबाइल नंबर थे.

स्वाति से बरामद मोबाइल का बिल फिरोज खान के नाम था तो उस में पड़ा सिम महेंद्र सिंह के पिता मोहनलाल के नाम था. शिकार को फंसाने के लिए पूजा और नाजमीन इसी मोबाइल का इस्तेमाल करती थीं. यह मोबाइल स्वाति के पास रहता था. पुलिस अब उस मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस नंबर से किसकिस को फोन किए गए थे.

महेंद्र सिंह तंवर उर्फ चाचा पहले औटो चलाता था. औटो चलाने के दौरान उस की मुलाकात स्वाति से हुई तो वह इस रैकेट से जुड़ गया. जबकि सलीम उर्फ शानू मकानों की मरम्मत का काम करता था. स्वाति 2 साल पहले पति से अलग हुई थी. इस के बाद साजीदेहड़ा में किराए का मकान ले कर वह फिरोज खान के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी थी. उस का बच्चे की सुपुर्दगी को ले कर पति से कोर्ट में केस चल रहा है.

पति से अलग होने के बाद जब वह ब्यूटीपार्लर चला रही थी, तभी फिरोज खान से उस का परिचय हुआ था. उस के बाद वह उस के साथ रहने लगी. स्वाति से बरामद डायरी में अंगरेजी के कुछ ऐसे शब्द लिखे हैं, जो आमतौर पर हाईप्रोफाइल सर्किल में व्यावहारिक तौर पर बोलबाल में इस्तेमाल किए जाते हैं. पुलिस का मानना है कि संभवत: नई लड़कियों को शिकार फंसाने के लिए इन शब्दों का ज्ञान कराया जाता था, ताकि उन की कुलीनता का असर पड़े.

बड़ा सवाल : सुपर चोर बंटी को क्या 10 साल रोक पाएगी जेल

22 मई, 2017 को केरल के तिरुवनंतपुरम की एक अदालत में इसलिए भीड़ जुटी थी, क्योंकि उस रोज देश के चर्चित चोर बंटी को एक केस में सजा सुनाई जानी थी. वही बंटी, जिस की देश भर के थानों में फोटो लगी है, जो केवल दिल्ली में ही 400 से अधिक चोरी की वारदातों को अंजाम दे चुका है. बौलीवुड की सफल फिल्म ‘ओए लक्की लक्की ओए’ इसी शख्स के जीवन पर आधारित थी. इतना ही नहीं, बंटी टीवी के प्रसिद्ध रियलिटी शो बिग बौस के 2010 में प्रसारित चौथे सीजन में भी हिस्सा ले चुका है. यह बात अलग थी कि नियम तोड़ने की वजह से उस की इस शो से शुरू में ही विदाई हो गई थी.

बता दें कि एक ही व्यक्ति द्वारा अपने अकेले के दम पर 300 से अधिक चोरियां करने का रिकौर्ड बनाने पर बंटी का नाम विश्व कीर्तिमान के रूप में गिनीज बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड्स में दर्ज है. इस से पिछला रिकौर्ड 180 चोरियों का था, जो एक विदेशी चोर के नाम था. हालांकि इस चोर की दास्तान एकदम साधारण सी है, जबकि बंटी की जीवनगाथा इतनी रोचक है, जिस के सामने काल्पनिक रोमांच कथाएं भी फीकी पड़ जाएं.

बंटी का जन्म 28 दिसंबर, 1971 को दिल्ली के विकासपुरी निवासी किरपाल सिंह सग्गू के यहां हुआ था. उस का पूरा नाम था देविंदर सिंह सग्गू. परिवार से उसे कभी प्यार या अपनापन नहीं मिला था. जराजरा सी बात पर उस की पिटाई हो जाया करती थी.

पिता की नफरत का शिकार बंटी नौवीं क्लास की पढ़ाई बीच में ही छोड़ घर से भाग निकला था. रात गुजारने का ठिकाना उस ने पालिका बाजार की खुली छत को बनाया और पेट भरने का साधन ढूंढा गुरुद्वारा बंगला साहिब के लंगर में. 2-3 दिनों बाद ही उसे एक कार गैरेज में 10 रुपए रोजाना पर कार धोने की नौकरी मिल गई. एक दिन शाम को जब उसे मेहनताना नहीं मिला तो उस ने महावीरनगर में एक घर से 2 हजार रुपयों की चोरी कर ली. यह उस की पहली चोरी थी.

बस, यहीं से बंटी को पैसा कमाने की सरल, लेकिन गलत राह मिल गई. बंटी दिमाग का तेज था. उस ने अपना सारा दिमाग चोरी में लगा दिया. अपने तेज दिमाग के सहारे बंटी को नए चोर से नामी चोर बनते देर नहीं लगी. वह इस रफ्तार से चोरियां करने लगा कि सुनने वाले को भी विश्वास न हो. खास बात यह थी कि कुछ चोरियां वह पैसे और अपनी जरूरतों के लिए करता था और कुछ मजा लेने के लिए.

बंटी दिल्ली में लगातार चोरियां कर रहा था. इस बीच पुलिस का एक विशेष दस्ता हाथ धो कर उस के पीछे पड़ गया था. 12 सितंबर, 1993 को मुखबिरी के आधार पर बंटी पहली बार पुलिस के हत्थे चढ़ा, लेकिन उसी दिन वह तिकड़म भिड़ा कर हिरासत से फरार हो गया.crime news

थाने से फरार होने के बाद उस ने पटेलनगर में एक शराबी की कमीज जबरन उतरवा कर खुद पहन ली और अपनी शर्ट उसे पहना दी. पटेलनगर की ही एक इमारत के सामने मारुति 800 और कंटेसा क्लासिक कारें खड़ी थीं. मारुति चुराना बंटी को अपने स्तर का न लगा. जबकि कंटेसा को बिना किसी औजार के खोल पाना संभव न था.

बंटी का दिमाग तेजी से घूमा तो उस ने मारुति का साइड मिरर उखाड़ फेंका और भीतर हाथ डाल कर अंदर पड़ा पेचकस निकाल लिया. उसी पेचकस से उस ने कंटेसा का लौक खोला और ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. बैठते ही उस ने कुछ पेंच खोले और फिर तारों को इधरउधर कर के गाड़ी का इंजन चालू कर लिया.

कंटेसा थोड़ी पुरानी थी. कुछ आगे जा कर एक इमारत के सामने उसे एक और कंटेसा खड़ी दिखाई दी. वह नई जैसी लग रही थी. उस ने पहले वाली कंटेसा को वहीं छोड़ा और अपनी जानीमानी तकनीक से नई कंटेसा ले उड़ा. कार की पीछे वाली सीट पर व्हिस्की की 2 बोतलें पड़ी थीं. बंटी ने एक बोतल का ढक्कन खोला और आधी बोतल पी गया. तब तक वह टैगोर गार्डन के एक रेस्तरां के सामने पहुंच गया था. गाड़ी में बैठेबैठे ही उस ने हौर्न बजा कर रेस्तरां से वेटर को बुलाया. वेटर को उस ने गाड़ी में ही खाना लाने का और्डर दिया. कार में बैठेबैठे लजीज खाना खा कर वह बिना बिल चुकाए आगे बढ़ गया.

वहां से थोड़ी दूरी पर विवेक सिनेमा के पीछे पार्किंग थी. वहां काफी गाडि़यां पार्क की हुई थीं. बंटी ने चोरी की कंटेसा उन्हीं कारों के बीच पार्क कर के उस की डिक्की में रखी तिरपाल निकाल कर कार के ऊपर डाल दी और मजे से कार में सो गया. उस की आंख खुली तो अगले दिन की शाम के 5 बज रहे थे. उस वक्त बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं था.

रात के 8 बजे तक वह गाड़ी के भीतर ही रहा, फिर कार के ऊपर से तिरपाल समेट कर डिक्की में रखी और वहां से निकल पड़ा. पहले की तरह ही उस ने एक जगह गाड़ी में बैठेबैठे ही नूडल्स खाए और बिना पेमेंट किए वहां से गाड़ी भगा दी.

राजा गार्डन जा कर उस ने एक जगह खड़ी कंटेसा कार से अपनी कार की नंबर प्लेट की अदलाबदली की. फिर थोड़ी देर बाद उस ने उसी इलाके की एक कोठी की जाली उखाड़ कर अपना काम शुरू किया. वहां से एक विदेशी वीसीआर, 35 हजार रुपए नकद और टाटा सिएरा कार की चाभी बंटी के हाथ लगी.

उस ने टाटा सिएरा कार गैराज से निकाल कर चोरी की कंटेसा वहां पार्क कर दी, साथ ही उन की नंबर प्लेटों की फिर से अदलाबदली कर ली. इस के बाद बंटी ने मुंबई की राह पकड़ ली.

वहां वह कोलाबा स्थित एक रेस्तरां के मालिक शर्मा से मिला. वह बंटी का पूर्व परिचित था. वह नाराजगी जाहिर करते हुए बंटी से बोला, ‘‘तू ने मेरा काफी नुकसान करवा दिया. चोरी की गाड़ी तो दी सो दी, बाद में पुलिस को मेरा नाम भी बता दिया. तुझे पता ही होगा कि दिल्ली पुलिस गाड़ी के साथ मुझे भी पकड़ ले गई. बड़ी मुश्किल से जमानत पर छूट कर आया हूं.’’

इस पर बंटी ने उसे समझाया, ‘‘अरे यार, धंधे में यह सब तो चलता ही रहता है. तुझे क्या पता नहीं था कि वह कार चोरी की है. वैसे भी तू क्या इतना सीधा है कि पुलिस के हत्थे चढ़ जाता? मैं तो तेरे पास इसलिए आया हूं कि तेरे पास कुछ पैसे हों तो दे, 2 दिन में बढि़या चमचमाती मारुति 1000 कार ला कर तुझे दे दूंगा.’’

शर्मा ने बिना कुछ कहे 40 हजार रुपए ला कर बंटी के हाथ पर रख दिए. वादे के अनुसार अगले दिन  बंटी ने लाल रंग की एक मारुति 1000 ला कर उस के हवाले कर दी. इस के बाद वह बस से बंगलौर चला गया. वहां के कृतिका होटल में रहते हुए उस ने शहर में 4 जगह चोरियां कीं, जहां से उस के हाथ 35 लाख रुपए का सामान लगा. एयरपोर्ट के नजदीक डिफेंस कालोनी से नीले रंग की एक कार चुरा वह मद्रास के लिए रवाना हो गया.

वहां वह गोल्डन बीच के होटल यामिनी में ठहरा. पहली वारदात में उस ने फिल्म अभिनेता राज बब्बर के भाई के घर से 200 डीसीएल मर्सिडीज कार चुराई. नंबर प्लेट बदल कर इसी कार में सवार हो कर उस ने चोरी की कुछ अन्य वारदातें कीं.crime news

एक दिन उस ने किट्स कैंप कौर्नर से 22 हजार रुपए का एक खास सूट खरीदा. फिर एक फोटोग्राफर को साथ ले कर चोरी की मर्सिडीज में घूमते हुए दर्जनों फोटो खिंचवाए. यहां तक कि कुछ फोटो उस ने स्टीमर चलाते हुए भी खिंचवाए.

दिन भर मौजमस्ती करने के बाद वह होटल की ओर लौट रहा था. फोटोग्राफर उस की बगल में बैठा था, जिसे रास्ते में उस के स्टूडियो पर ड्रौप करना था. बंटी की निगाहें हमेशा चौकस रहती थीं. अचानक उस की निगाह साइड मिरर पर गईं तो उसे लगा कि उस का पीछा किया जा रहा है. पीछे आ रही एक खुली जीप में 5-6 लोग बैठे थे. बंटी समझ गया कि वे सब पुलिस वाले हैं. उस ने गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी. लेकिन उन लोगों ने भी जीप को गति से दौड़ाते हुए आग्नेयास्त्र निकाल लिए. कोई और चारा न देख बंटी ने गाड़ी रोक दी.

फोटोग्राफर बाईं तरफ का दरवाजा खोल कर भाग गया. उसी की तरफ से बंटी भी भागने को हुआ, लेकिन तभी एक सनसनाता हुआ मुक्का उस की कनपटी से आ टकराया. पलभर को उस की आंखों के आगे अंधेरा छा गया. इस के बाद पुलिस वालों ने बंटी को हथकड़ी लगाईं और उसे जीप में डाल कर वहां से रवाना हो गए. बंटी से बरामद कार को एक सिपाही चला कर ले गया.

अगले दिन बंटी को अदालत में पेश कर 5 दिनों के कस्टडी रिमांड पर लिया गया. इस अवधि में उस ने 4 मारुति 1000 सीसी कारों के अलावा 40 लाख का चोरी का सामान बरामद करवाया. पुलिस रिमांड की समाप्ति पर उसे न्यायिक हिरासत में मद्रास की वेल्लोर जेल भिजवा दिया गया. जेल में उसे एक अलग कोठरी में रखा गया.

इस जेल के अधीक्षक बहुत अच्छे आदमी थे. कैदियों के साथ उन का व्यवहार हमेशा मधुर हुआ करता था. बंटी को वह लगभग रोजाना ही बुरे धंधे छोड़ कर अच्छा आदमी बनने की नसीहत दिया करते थे.

मार्च का महीना आते ही बंटी को मद्रास की गरमी परेशान करने लगी. तब उस ने मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश के राज्यपाल और कानून मंत्री को पत्र लिख कर प्रार्थना की कि वेल्लोर जेल में उस का रह पाना बहुत कठिन हो गया है. अपने इस पत्र में बंटी ने झूठ ही लिख दिया था कि उस का जन्म हिमाचल प्रदेश के शिमला में हुआ था.

इस बीच पुलिस ने बंटी के खिलाफ चोरी के 9 केसों का चालान अदालत में पेश कर दिया था. इन सभी आरोपों को उस ने स्वीकार किया था. न्यायाधीश ने बंटी की उम्र और सच्चाई को देखते हुए उसे कुल 15 महीने की कैद की सजा सुनाई. अब तक न्यायिक हिरासत के तहत बंटी का 3 महीने का वक्त जेल में कट चुका था, जो उस की सजा की अवधि में एडजस्ट कर दिया गया था.

एक दिन जेलर ने बंटी को अपने औफिस में बुला कर समझाया, ‘‘देखो बेटे, तुम्हें यहां इतनी परेशानी है नहीं, जितनी तुम जाहिर कर रहे हो. मैं नहीं समझता कि तुम्हें यहां जैसे अच्छे लोग दूसरी जेलों में भी मिलेंगे. 3 महीने बड़े आराम से निकल गए हैं, आगे का एक साल भी निकल जाएगा. मेरी मानो तो यहीं रह कर अपने आप को बदल डालो.’’

‘‘सर, मेरे लिए आप पिता समान हैं. मैं आप की बहुत इज्जत करता हूं और आप की हर बात से सहमत हूं. लेकिन क्या करूं, सचमुच मुझे बहुत गरमी लगती है.’’

‘‘सुनो बंटी, मैं ने भी बहुत दुनिया देखी है, मैं तुम्हारी हर चाल समझता हूं. तुम यहां से बदले जाने के समय निकल भागने के मंसूबे पाल रहे हो. मगर मेरी बात कान खोल कर सुन लो, अब भागे तो जिंदगी भर भागते रहोगे.’’

‘‘नहीं सर, ऐसा कुछ नहीं है. मैं आप से सिर्फ इतना ही कहूंगा कि मुझे अगर दूसरी जेल में न भेजा गया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा.’’

उस दिन से बंटी पर कड़ी निगरानी रखी जाने लगी. मुख्यमंत्री औफिस से पत्र आ गया कि बंटी का मामला जायज है तो उसे प्रदेश के ठंडे स्थान की किसी जेल में स्थानांतरित कर दिया जाए.

अब तक जेल अधीक्षक का व्यवहार बदल गया था. बंटी का मामला उन्हें किसी भी तरह से जायज नहीं लग रहा था. बंटी के भाग जाने की सोच कर वह परेशान थे. वैसे उन का परेशान होना गलत नहीं था. बंटी निश्चित ही निकल भागने की योजना को कार्यरूप देने में लगा था. जेल परिसर में उगे आक के पौधे का जहरीला दूध उस ने पौलीथिन में इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. थैली को वह पानी के मटके में छिपा कर रखता था.

एक सुबह उस ने मटके से थैली निकालते हुए कोठरी के बाहर खड़े संतरी से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के कह देने के बावजूद आप का जेल मुझे यहां से कहीं और भेजने को राजी नहीं है. मैं ने उन्हें आत्महत्या करने की धमकी भी दी थी, मगर उन पर कोई असर नहीं हुआ. आज मैं अपनी उस धमकी को पूरा करने जा रहा हूं. मेरे हाथ में यह ऐसा जहर है, जिसे पीते ही इस जेल से हमेशा के लिए मुक्ति पा जाऊंगा.’’crime news

‘‘नहीं…नहीं, ऐसा मत करना.’’ संतरी रोकता ही रह गया और बंटी ने थैली का सारा तरल पदार्थ अपने मुंह में उड़ेल लिया.

संतरी ने शोर मचाया तो पूरी जेल में हड़कंप मच गया. संदेश मिलते ही जेलर भी दौड़े आए. जब तक उस की सेल का दरवाजा खुला, बंटी बेहोश हो कर फर्श पर गिर चुका था. उसे तत्काल वेल्लोर अस्पताल भिजवाने का प्रबंध किया गया.

13 दिनों तक बंटी को ग्लूकोज चढ़ता रहा. इस बीच डाक्टरों से दोस्ती गांठ कर उस ने उन की हमदर्दी हासिल कर ली. जिस दिन उसे अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाना था, उस ने दोनों हाथ जोड़ते हुए एक वरिष्ठ डाक्टर से कहा, ‘‘सर, क्या आप मुझे 2 दिन और अपने अस्पताल में रख सकते हैं?’’

इस की वजह पूछने पर बंटी ने डाक्टर को अपनी मजबूरी बताई, ‘‘कल या परसों मेरी गर्लफ्रैंड मुझ से मिलने आने वाली है. जेल में तो उस से खुल कर बातचीत हो नहीं पाएगी. सर, यह सजा पूरी हो जाने के बाद मैं सब बुरे काम छोड़ कर अपनी गर्लफ्रैंड कविता से शादी कर लूंगा. वह आगरा की रहने वाली है. सर, आप हमारी शादी में जरूर आइएगा.’’

डाक्टर ने फिलहाल कुछ नहीं कहा. वह चुपचाप अपने चैंबर में चले गए, साथ ही वह बंटी को 1 दिन और बिस्तर पर रह कर पूरी तरह आराम करने की लिखित नसीहत दे गए.

हालांकि जेल अधिकारियों के आदेश पर बंटी के कमरे के बाहर कड़ा पहरा था. भीतर भी 2 जवान हमेशा साए की तरह उस के साथ रहते थे. लेकिन बंटी ने अपने वाकचातुर्य से उन सब को अपने सम्मोहन जाल में फंसा लिया था. उन का मन इस बात की गवाही देने को कतई तैयार न था कि बंटी जैसा लड़का भागने की सोच भी सकता है. लेकिन यही तो बंटी का खास अंदाज था, जिस के बूते पर वह न जाने कितने लोगों को गच्चा दे चुका था.

अप्रैल, 1994 के अंतिम सप्ताह की रात थी वह. बंटी ने 9 बजे से ही सोने का नाटक शुरू कर दिया, जबकि नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. आधी रात के बाद ढाई बजे जब बंटी ने लोहे की तार से बैड से बंधी हथकड़ी अपने हाथ से उतारी, तब सभी सुरक्षाकर्मी गहरी नींद में थे. खिड़की के रास्ते पिछली तरफ उतर कर बंटी अस्पताल की दीवार फलांगता हुआ मुख्य सड़क पर आ गया. वहां से एक ट्रक वाले से लिफ्ट ले कर वह बंगलौर जा पहुंचा, जहां उस ने एक औरत के गले से सोने की मोटी चेन झपटी. उस चेन को उस ने 24 हजार रुपए में बेचा और मुंबई चला गया.

इस के बाद तो उस का पुराना सिलसिला चल निकला. बंटी देश के प्रमुख शहरों में घूमता और चोरी की वारदात पर वारदात करता रहा. वह दर्जनों बार पकड़ा गया तो कई बार हिरासत से भागा भी. उस पर अनगिनत केस चले, कुछेक केसों में मामूली सजा हुई तो अधिकांश में बरी होता गया. इस की वजह यह थी कि वह पुलिस को भले गच्चा देता रहा हो, पर अदालत में अपने गुनाह बेझिझक स्वीकार कर लेता था.

उस ने तमाम कथित बड़े लोगों के यहां चोरियां कीं. लूट का माल बेच कर वह सारा पैसा मौजमस्ती में उड़ा देता था. अभी तक उसे किसी भी केस में लंबी सजा नहीं हुई थी. लिहाजा उस का ज्यादातर समय जेल के बाहर ही गुजरा था.

मगर एक चोरी ने उस के जीवन की धारा बदल दी. सन 2013 में बंटी ने केरल के नगर तिरुवनंतपुरम में रहने वाले एक एनआरआई के घर में सेंधमारी कर के उस का बेशकीमती सामान चुरा लिया. ऐसा करते समय उस ने घर में लगा हाई सिक्योरिटी अलार्म भी तोड़ दिया था.

इस केस में वह गिरफ्तार हो गया. पुलिस ने बंटी के खिलाफ मजबूत आरोपपत्र तैयार कर अदालत में पेश किया. इस बार बंटी जमानत पर नहीं छूट सका. 22 मई, 2017 की सुबह से ही इस केस का फैसला सुनने के लिए लोग तिरुवनंतपुरम के कोर्ट परिसर में न्यायिक मजिस्ट्रैट पी. कृष्णकुमार की अदालत के पास जुटना शुरू हो गए थे. दोपहर बाद 3 बजे फैसला सुनाया गया.

फैसले के अनुसार, बंटी ने एनआरआई के घर की सुरक्षा बेध कर सेंध लगाई थी. वहां से उस ने 28 लाख कीमत की लग्जरी कार व एक लैपटौप समेत कुछ अन्य कीमती सामान चुराए थे. इसी आरोप में देविंदर सिंह सग्गू उर्फ बंटी को 10 साल की कैद के अलावा 20 हजार रुपए जुरमाने की सजा सुनाई गई. फिलहाल बंटी जेल में है.

व्हाट्सऐप आपके लिए लेकर आया लाइव लोकेशन साझा करने वाला फीचर

व्हाट्सऐप पर पहले से ही लोकेशन शेयर करने की सुविधा रही है. पहले आप इसमे केवल किसी खास लोकेशन को ही डाल सकते थे. लेकिन अब इसमे एक नया फिचर अपडेट किया गया है, जिसके अन्तर्गत आपका लाइव लोकेशन पूरी तरह से आपके मूवमेंट के पर निर्भर करेगा और उसी के साथ बदलता भी रहेगा. यह समय के साथ आपकी लोकेशन को अपडेट करता रहेगा, फिर चाहें व्हाट्सऐप बैकग्राउंड में ही क्यों ना चलता रहा हो.

इस फीचर के बारे में व्हाट्सऐप के प्रोडक्ट मैनेजर जाफिर खान ने बताया, “लाइव लोकेशन की मदद से आप अपनी लोकेशन अपने चैट में शेयर कर सकते हैं. इसके जरिये अब जैसे-जैसे मैप पर वास्तविक लोकेशन अपडेट होगा वैसे वैसे आपसे चैट कर रहे लोग आपके वास्तविक समय का लोकेशन देख पाएंगे. इसका मतलब है कि आप लोकेशन चैट के जरिए साझा कर पाएंगे. आप अपने वास्तविक लोकेशन को किसी एक शख्स के साथ चैट विंडो या ग्रुप चैट में शेयर कर सकते हैं.

कैसे करता है काम

अकाउंट प्राइवेसी सेटिंग्स में नया विकल्प आएगा जिससे आपको व्हाट्सऐप चैट में लाइव लोकेशन शेयरिंग को लेकर विस्तृत जानकारी मिल जाएगी. इसे प्रयोग करने के लिए आपसे पूछा जाएगा कि आप इस लाइव लोकेशन को कितने वक्त तक एक्टिव रखना चाहेंगे. आपके पास 15 मिनट, 1 घंटे और 8 घंटे का विकल्प होगा. चाहें तो आप इसके साथ कमेंट भी जोड़ सकते हैं. आप चैट के दौरान किसी भी वक्त लाइव लोकेशन साझा करना बंद भी कर सकते हैं.

लाइव लोकेशन के शेयर आपको व्हाट्सऐप चैट में थंबनेल के तौर पर दिखेंगे. मैप के निचले हिस्से में आप उन यूजर के नाम देख पाएंगे जिन्होंने अपनी लोकेशन साझा की है. लोकेशन डेटा टाइमस्टैंप के साथ आएगा. आप किसी नाम पर टैप करके या मैप पर प्रोफाइल पिक्चर को टैप करके उस यूजर की रियल टाइम लोकेशन देख पाएंगे.

बता दें कि लाइव लोकेशन शेयरिंग को एंड्रायड और आईओएस के लिए रोल आउट किया जा रहा है. आने वाले दिनों में इसे दुनिया भर में रिलीज कर दिया जाएगा.

वीडियो : जब सचिन तेंदुलकर के बेटे ने कोहली को फेंका बाउंसर

सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन ने वानखेड़े स्टेडियम में भारतीय खिलाड़ियों के लिए नेट्स पर गेंदबाजी की. इस दौरान जब सचिन के बेटे ने कप्तान कोहली और टीम के अन्य खिलाड़ियों के लिए गेंद डाली तब सभी की निगाह उनपर टिकी रही.

भारत के मुख्य कोच रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने भी उन्हें गेंदबाजी करते हुए देखा. दोनों ही अर्जुन की गेंदबाजी को बारीकी से देख रहे थे.

आपको बता दें कि न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज से पहले भारतीय टीम ने जब वानखेड़े स्टेडियम पर अभ्यास शुरू किया तो 18 वर्षीय अर्जुन ने तुरंत ही अपनी कमान संभाल ली थी.

उन्होंने पहले बाएं हाथ के बल्लेबाज शिखर धवन के लिए गेंदबाजी की फिर उन्होंने एक बाउंसर पर कप्तान कोहली को झुकने के लिए मजबूर कर दिया. शिखर धवन भी उनकी बौलिंग का सामना नहीं कर पाए. उन्होंने अजिंक्य रहाणे और मध्यक्रम के बल्लेबाज केदार जाधव के लिए भी गेंदबाजी की. अर्जुन के अलावा बाएं हाथ के एक अन्य गेंदबाज ने भारतीय बल्लेबाजों को प्रैक्टिस करवाई.

जानकारी के लिए बता दें कि जब सचिन भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा थे तब अर्जुन अक्सर उनके साथ भारतीय नेट्स में जाया करते थे. लेकिन भारतीय टीम के बल्लेबाजों को बोलिंग करने का पहला मौका उन्हें काफी समय बाद मिला. इससे पहले जुलाई में जब वेस्ट इंडीज टीम इंग्लैंड दौरे पर थी तब अर्जुन ने नेट्स पर इंग्लिश आलराउंडर जानी बेयरस्टो को एक शानदार यार्कर फेंकी थी जिसके चलते बेयस्टो को बाहर जाना पड़ा था.

बैंक से इतने पैसे निकालने पर देने होंगे आपको ये दस्तावेज

सरकार ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए एक निश्चित सीमा से अधिक का लेनदेन करने वाले लोगों के मूल पहचान दस्तावेजों का प्रतिलिपियों के साथ मिलान करने को कहा है, जिससे जाली या धोखाधड़ी कर बनाए गए दस्तावेजों के इस्तेमाल की संभावना को समाप्त किया जा सके.

वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग ने गजट अधिसूचना जारी कर मनी लौन्ड्रिंग रोधक (रिकौर्ड रखरखाव) नियमों में संशोधन किया है. नए नियमों के तहत रिपोर्ट करने वाली इकाई को ग्राहकों द्वारा दिए गए आधारिक रूप से वैध दस्तावेज का मूल और प्रतिलिपि के साथ मिलान करना होगा. मनी लौन्ड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) देश में मनी लौन्ड्रिंग और कालेधन के सृजन पर अंकुश लगाने का प्रमुख कानूनी ढांचा है.

पीएमएलए और इसके नियमों के तहत बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अन्य बाजार इकाइयों के लिए अपने ग्राहकों की पहचान का सत्यापन करना, रिकौर्ड रखना तथा भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू-आईएनडी) को सूचना देना जरूरी है.

नियम 9 के तहत प्रत्येक रिपोर्टिंग इकाई को किसी के साथ खाता आधारित संबंध शुरू करते समय अपने ग्राहकों और उनकी पहचान का सत्यापन करना और कारोबारी संबंध के उद्देश्य और प्रकृति के बारे में सूचना प्राप्त करना जरूरी है.

शेयर ब्रोकर, चिट फंड कंपनियां, सहकारी बैंक, आवास वित्त संस्थान और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को भी रिपोर्टिंग इकाई के रूप में वगीकृत किया गया है.

रिपोर्टिंग इकाइयों को खाता खोलने वाले किसी व्यक्ति या 50,000 रुपये से अधिक का लेनदेन करने वालों से बायोमीट्रिक पहचान नंबर आधार और अन्य आधिकारिक दस्तावेज लेना जरूरी है. इसी तरह की अनिवार्यता 10 लाख रुपये से अधिक के नकद सौदे या उतने ही मूल्य के विदेशी मुद्रा सौदे के लिए भी है. रिपोर्टिंग नियमों के अनुसार पांच लाख रुपये से अधिक के विदेशी मुद्रा के सीमापार लेनदेन और 50 लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की खरीद भी इसी श्रेणी में आती है.

गजट अधिसूचना में कहा गया है कि यदि आधिकारिक रूप से दिए गए वैध दस्तावेज में नया पता शामिल नहीं है तो बिजली, टेलीफोन बिल, पोस्टपेड मोबाइल बिल, पाइप गैस का बिल या बिजली का बिल पते के प्रमाण के रूप में दिया जा सकता है. हालांकि, ये बिल दो महीने से अधिक पुराने नहीं होने चाहिए.

जब अशोक कुमार को देखने के लिए राज कपूर की पत्नी ने हटा दिया था घूंघट

हिंदी सिनेमा जगत में दादा मुनि के नाम से मशहूर एक्टर अशोक कुमार का फिल्म इंड्रस्टी में दिया योगदान आखिर कौन भुला सकता है. 50 और 60 के दशक में अशोक कुमार का फिल्मों में सिगार फूंकते और मुस्कुराते हुए शख्स का किरदार दर्शकों के लिए जैसे फिल्मों का एक जाना पहचाना और अपनापन वाला सहज चरित्र हो गया था.

अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर में एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था. सभी जानते हैं कि अशोक कुमार पहले एक्टर नहीं बनना चाहते थे. लेकिन क्या आप जानते हैं अशोक कुमार एक लेबोरेट्री में लैब असिस्टेंट का काम करते थे. नहीं जानते तो कोई बात नहीं चलिए आज हम बताते हैं.

एक्टर बनने से पहले अशोक कुमार ने साइंस में ग्रेजुएशन की थी और वो न्यू थिएटर मे बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट काम करते थे. न्यू थिएटर मे लेबोरेट्री असिस्टेंट का काम करते-करते ही अशोक कुमार को अचानक अपनी पहली फिल्म का औफर मिला था.

सभी जानते हैं कि अशोक कुमार का फिल्मी दुनिया में कदम रखना भी इत्तेफाक था. सन् 1936 में बौम्बे टौकीज स्टूडियो की फिल्म ‘जीवन नैया’ के नायक नज्म उल हसन अचानक बीमार पड़ गए थे तब स्टूडियो के मालिक हिमांशु राय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अब करें तो क्या करें.

तब हिमांशु राय की नजर लैबोरेटरी असिस्टेंट अशोक कुमार पर पड़ी और उन्होंने अशोक कुमार को फिल्म में लीड रोल औफर किया. अशोक कुमार ने हिमांशु राय का ये औफर एक्सेप्ट कर लिया और यही से अशोक कुमार का फिल्मी करियर शुरू हुआ था.

झलक पाने के लिए उठा दिया घूंघट

सहज, स्वभाविक अभिनय के साथ पर्दे पर उतरे अशोक कुमार को लोगों ने पलकों पर बिठा लिया. उनकी लोकप्रियता का आलम यूं था कि उनकी एक झलक पाने को राज कपूर की पत्नी ने अपना घूंघट हटा लिया था. हुआ यूं कि जब राज कपूर की शादी के दौरान किसी ने कहा कि अशोक कुमार आए हैं तो राज कपूर की पत्नी ने यह सुनते ही अपना घूंघट उन्‍हें देखने के लिए हटा दिया. इससे राज कपूर अपनी पत्नी से कई दिनों तक गुस्‍सा भी रहे थे.

हिन्दी फिल्मों के शुरुआती दौर में जब अभिनय शैली में पारसी थियेटर का प्रभाव था, उस दौर में अशोक कुमार ऐसे नायक के रूप में सामने आए जिन्होंने अभिनय में सहजता और स्वाभाविकता पर जोर दिया और स्टारडम को नया रूप देते हुए कई सामाजिक एवं मनोरंजक फिल्मों से सिनेप्रेमियों का मन मोह लिया. अशोक कुमार ने अपने दौर की विभिन्न नायिकाओं के अलावा बाद की पीढ़ी की नायिकाओं के साथ भी काम किया. नायक की भूमिका के बाद दादा मुनि बाद में चरित्र भूमिकाओं में आने लगे. इन भूमिकाओं में भी अशोक कुमार ने बेहतरीन अभिनय किया और दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रहे.

दादामुनि का निधन 10 दिसंबर 2001 को 90 वर्ष की आयु में हुआ था. 1999 में उन्‍हें हिंदी फिल्‍मों में योगदान के लिए भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्‍मानित किया गया था.

बिग बौस सीजन 11 में एंट्री के बाद ट्विटर पर छाई ढिंचैक पूजा

आप ढिंचैक पूजा को तो जानते ही होंगे. जी हां, वही सोशल मीडिया सेंसशन जो आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. सेल्फी मैंने ले ली आज…गाने के जरिए चर्चा में आई ढिंचैक पूजा की रविवार रात टीवी के सबसे विवादित शो बिग बौस सीजन 11 में एंट्री हो चुकी हैं. अपने धमाकेदार एंट्री के साथ वह सलमान खान के साथ दिलों का शूटर…, सेल्फी मैंने ले ली आज… जैसे अपने कई गानें गुनगुनाती नजर आईं.

बिग बौस के मंच पर ढिंचैक पूजा ने बताया कि उनका असली नाम पूजा जैन है और जिस नाम को लोग जानते हैं वह उनका स्टेज नेम है. वैसे, बिग बौस के मंच पर सलमान ने ढिंचैक पूजा की काफी तारीफ की, साथ ही उनकी जमकर खिल्ली भी उड़ाई. सलमान उनकी कापी करने की कोशिश करते दिखे और फिर गाने को हिट कराने पर पब्लिक को भी कोसा.

कुछ देर बाद ढिंचैक पूजा ने घर के अंदर प्रवेश किया, जहां घर के सभी सदस्यों ने उनका शानदार तरीके से स्वागत किया, लेकिन हिना खान ने उनका स्वागत नहीं किया, जबकि एपिसोड में शिल्पा शिंदे उनकी खूब बुराई करती दिखीं. बाद में उन्होंने बिग बौस से यह तक कह डाला कि ऐसे लोगों को शो में क्यों बुलाया गया है?


ढिंचैक पूजा के बिग बौस के घर में शामिल होने पर ट्विटर यूजर्स ने खूब चुटकी ली. हिना खान और शिल्पा शिंदे के अजीब बर्ताव को लेकर ट्विटर यूजर्स ने लिखा कि ढिंचैक पूजा के आने से हिना खान और शिल्पा शिंदे काफी इनसिक्योर महसूस करने लगी हैं. कुछ लोगों ने यहां तक लिख दिया कि दोनों जलन का शिकार हो गई हैं.

लोगों ने सलमान खान के साथ ढिंचैक पूजा की केमिस्ट्री को लेकर भी ट्वीट किया. तारीफ करते-करते ढिंचैक पूजा का मजाक बनाने पर सलमान खान की खूब बढ़ाई हुई.

बता दें, सेल्फी मैंने ले ली है… से लाइमलाइट में आईं ढिंचैक पूजा दिलों का शूटर है मेरा स्कूटर…, स्वैग वाली टोपी…, बाबू दे दे थोड़ा कैश… जैसे गाने गाकर चर्चा बटोर चुकी हैं. बता दें कि बिग बौस में शामिल होने से पहले ढिंचैक पूजा के यूट्यूब चैनल पर उनका नया गाना ‘आफरीन फातिमा बेवफा है…’ रिलीज किया गया. उनके गाने का यह टाइटल ‘सोनम गुप्ता बेवफा है..’ से प्रभावित लगता है.

गाने के नाम की तरह इसके लिरिक्स भी बहुत अटपटे से हैं. 2 मिनट के गाने में ढिंचैक पूजा, फातिमा की बेवफाई के चर्चे सुना रही हैं. उनके पिछले गानों की तरह इसमें भी ढिंचैक पूजा की ‘मधुर’ आवाज आपके कानों को चुभ सकती है!

यूपी में काम हमारा और उद्घाटन तुम्हारा का खेल : अखिलेश

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर तंज कसा है. उन्होंने अपने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए लिखा है ‘यूपी में नया खेल निराला काम हमारा, उद्घाटन तुम्हारा.’

अखिलेश यादव ने अपने इस ट्वीट के साथ कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं. इसमें मेयो हाल इलाहाबाद का कायाकल्प की तस्वीर डाली है. इसके साथ ही गोमती रिवर फ्रंट के काराए गए कामों के साथ म्यूजिकल फाउंटेन की तस्वीर भी ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट की है.

सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष समय-समय पर प्रदेश की भाजपा सरकार पर ट्वीट के माध्यम से तंज कसते रहते हैं. चाहे वह मेट्रो के उद्घाटन का मामला हो या फिर पुराने लखनऊ में कराए गए काम. वह ट्वीट कर यह बताते रहते हैं कि उनकी सरकार ने इन कामों को गति दी थी.

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