Download App

रिबन : कमजोर कहानी व पटकथा

कामकाजी पति पत्नी अपनी दोहरी कमाई से मौज मस्ती में डूबे हों और उसी वक्त उनके घर एक नन्हा बच्चा आ जाए. यानी कि वह माता पिता बन जाए, तो क्या होता है? बच्चे की वजह से पति पत्नी में बढ़ती दूरियां, बच्चे की निरंतर बढ़ती अपनी मांगे, इन सबका दोनों के करियर पर पड़ता असर सहित कई चीजे होती हैं. कुल मिलाकर यह ऐसा मुद्दा है, जिससे आज की युवा पीढ़ी जूझ रही है. इस रोचक मुद्दे पर राखी शांडिल्य की फिल्म ‘‘रिबन’’ बात करती है. मगर कथानक, पटकथा व निर्देशन के स्तर पर यह इतनी कमजोर फिल्म है कि आज की युवा पीढ़ी इस फिल्म के साथ खुद को जोड़ नहीं पाती है.

यह कहानी है महानगर मुंबई में रह रहे माडर्न करण (सुमित व्यास) और सहाना (कलकी कोचलीन) की. यह पति पत्नी दोनो अपने करियर में निरंतर उंचाई छू रहे हैं और संतुष्ट हैं. शराब व सिगरेट से इन दोनों को परहेज नहीं है. जब यह बात उजागर होती है कि सहाना गर्भवती है, तो वह गर्भ गिराना चाहती है, क्योंकि वह अभी मां नही बनना चाहती है. पर जब करण उसे आश्वस्त करता है कि बच्चे के आने के बाद भी वह दोनों मिलकर सब कुछ संभाल लेंगे, तो वह मां बन जाती है.

सहाना एक अच्छी मां, एक अच्छी पत्नी और बेहतरीन प्रोफेशनल के रूप में उभरती है, तो वहीं करण भी कहीं से कमजोर नहीं नजर आता. यह बात युवा पीढ़ी को आनंद देती है. लेकिन जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वैसे वैसे मामला बिगड़ता जाता है. बेटी पैदा होने के बाद सहाना जहां नौकरी कर रही थी, वहां उसकी पदोन्नति होती है, फिर नौकरी चली जाती है. इधर आया, उनकी बेटी को पालने की बजाय अपने पूरे परिवार को उन्हीं के घर से पालने लगती है, कई तरह की समस्याएं आती है, जिससे यह दंपति जूझता है. पर अचानक कहानी बाल यौन शोषण की तरफ मुड़ जाती है. उसके बाद जो कुछ दिखाया गया है, उससे सामंजस्य नहीं बैठ पाता.

राखी शांडिल्य की फिल्म एक घंटा 46 मिनट की है, मगर जिस तरह से अनवांक्षित और बेवजह के दृश्य फिल्म मे भरे गए हैं, वह फिल्म को कमजोर बनाने के साथ साथ दर्शक को सोचने पर मजबूर करती है कि फिल्म कब खत्म होगी. निर्देशक के तौर पर राखी शांडिल्य की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि यह फीचर फिल्म कई जगह पर आभास कराती है जैसे कि डाक्यूमेंट्री चल रही हो.

फिल्म में कलकी कोचलीन के अभिनय को देखकर लगता ही नहीं है कि यह वही कलकी हैं, जिन्होंने फिल्म ‘‘मार्गरीटा विथ ए स्ट्रा’’ में जबरदस्त अभिनय कर शोहरत बटोरी थी. यानी कि वह इस फिल्म में बिलकुल नहीं जमी. सुमित व्यास को अभी काफी मेहनत करने की जरुरत है.

प्रकाश मंडोल व स्वाती मंडोल निर्मित फिल्म ‘‘रिबन’’ की लेखक व निर्देशक राखी शांडिल्य है. फिल्म के कलाकार हैं- कलकी कोचलीन, सुमित व्यास, हितेश मलहन व अन्य.

इत्तेफाक : बेहतरीन रहस्य प्रधान फिल्म

बी आर चोपड़ा निर्मित व यश चोपड़ा निर्देशित 1969 की सफलतम रहस्य प्रधान फिल्म ‘‘इत्तेफाक’’ का 48 वर्ष बाद रीमेक उनके पोते अभय चोपड़ा लेकर आए हैं. फिल्म की पटकथा लिखने के साथ साथ इसका निर्देशन भी अभय चोपड़ा ने किया है. जिन्हें पुरानी ‘इत्तेफाक’ याद है, या जो पुरानी ‘इत्तेफाक’ के प्रशंसक हैं, उन्हें यह फिल्म कम पसंद आ सकती है. वैसे भी इस फिल्म में कई कमियां हैं, जिनके चलते यह फिल्म बाक्स आफिस पर सफलता के झंडे गाड़ेगी, इसमें संशय है.

फिल्म की कहानी शुरू होती है, मशहूर लेखक व अप्रवासी भारतीय विक्रम सेठी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) का पुलिस द्वारा पीछा किए जाने के दृष्य से. पुलिस उसे पकड़ नहीं पाती है, पर जब पुलिस को शेखर सिन्हा के कत्ल की खबर मिलती है, तो शेखर सिन्हा के घर पर विक्रम सेठी, पुलिस की पकड़ में आ जाता है. अब पता चलता है कि पहले पुलिस, विक्रम सेठी को अपनी पत्नी व अपने उपन्यास का प्रकाशन करने वाली कंपनी की सीईओ कैथरीन की हत्या का आरोपी समझकर पकड़ने में लगी हुई थी और अब कैथरीन के साथ साथ शेखर सिन्हा की हत्या का आरोप भी विक्रम सेठी पर लगता है.

उधर पुलिस की शक के घेरे में शेखर सिन्हा की पत्नी माया (सोनाक्षी सिन्हा) भी हैं. इसके अलावा संध्या नामक एक रेप पीड़िता द्वारा आत्महत्या किए जाने पर संध्या के पिता ने उसकी हत्या का आरोप विक्रम सेठी पर लगा रखा है. क्योंकि विक्रम सेठी ने संध्या से हमदर्दी जताते हुए उसकी पूरी कहानी जानकर वादा किया था कि उसका नाम उजागर नहीं होगा पर विक्रम सेठी ने अपने उपन्यास में संध्या का नाम उजागर कर दिया था, इसलिए उसे ताने सुनने पड़ रहे थे. इस अपमान से उबकर उसने आत्महत्या कर ली. बहरहाल, पुलिस को कैथरीन व शेखर सिन्हा के कातिल को कटघरे में पहुंचाना है. जांच अधिकारी देव (अक्षय खन्ना) पूरी तन्मयता के साथ जांच कर रहा है.

माया और विक्रम सेठी अपने आपको निर्दोश बताते हुए अपनी अपनी कहानी सुनाते हैं. देव को दोनों की कहानी सच लगती है. काफी मशक्कत के बाद देव, कैथरीन व शेखर सिन्हा के कातिल की पहचान कर लेता है. पर जब असली अपराधी पकड़ से बाहर हो जाता है, तब पता चलता है कि देव के साथ साथ पूरा पुलिस महकमा किस तरह गलत हो गया?

पटकथा लेखक व निर्देशक अभय चोपड़ा की तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने पुरानी फिल्म की कहानी के प्लाट को उठाकर अच्छी पटकथा लिखी. कम से कम पौने दो घंटे तक दर्शक टकटकी लगाए हुए कातिल को जानने के लिए बेसब्र रहता है. इंस्पेक्टर देव की तरह दर्शक भी कातिल का अनुमान लगाने में तब तक असफल होता है, जब तक पटकथा लेखक व निर्देशक सच सामने नहीं लाता है. निर्देशन में भी उनकी खूबी नजर आती है. मगर पटकथा की कमजोरियां हैं.

फिल्म के अंदर दो हवलदारों के माध्यम से कुछ जगह हास्य के दृश्य डाले गए हैं, जो कि जबरन ठूंसे हुए लगते हैं. फिल्म की गति काफी धीमी है, इसे पटकथा की कमी ही गिना जाएगा. कहानी व पटकथा के स्तर पर रहस्यमय घटनाक्रम से युक्त दृश्यों की काफी गुंजाइश रह गयी है. सिद्धार्थ मल्होत्रा यानी कि विक्रम और सोनाक्षी सिन्हा यानी कि माया के बीच कई दृश्य जोड़े जाने चाहिए थे. यदि लेखक व निर्देशक ने इन कमियों पर गौर किया होता, तो शायद यह फिल्म कुछ ज्यादा बेहतर हो सकती थी.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो सिद्धार्थ मल्होत्रा व सोनाक्षी सिन्हा ने कुछ भी कमाल नहीं किया है. इस फिल्म की कमजोर कड़ियों में सिद्धार्थ मल्होत्रा व सोनाक्षी सिन्हा भी हैं. जबकि पुलिस इंस्पेक्टर देव के किरदार में अक्षय खन्ना ने बेहतरीन, सहज व उम्दा अभिनय किया है. दर्शक फिल्म खत्म होने के बाद भी उन्हें याद रखता है. मंदिरा बेदी को छोटे से किरदार में लेकर भी जाया किया गया.

पुरानी फिल्म की तरह इस फिल्म में भी गाने नहीं हैं. पार्श्वसंगीत कमजोर व भटकाने वाला है.

एक घंटा 47 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘इत्तेफाक’’ का निर्माण गौरी खान, रेणु रवि चोपड़ा, करण जोहर व हीरु यश जोहर ने किया है. पटकथा लेखक व निर्देशक अभय चोपड़ा, संगीतकार तनिस्क बागची तथा कलाकार हैं- अक्षय खन्ना, सिद्धार्थ मल्होत्रा, सोनाक्षी सिन्हा, मनेाज जेाशी पारुल गुलाटी, मंदिरा बेदी, हिमांशु कोहली व अन्य.

फोर्ब्स की लिस्ट में पांच भारतीय महिलाएं शामिल

आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर तथा बौलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा सहित पांच भारतीय महिलाएं फोर्ब्स की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में जगह बनाने में कामयाब रही हैं. इस सूची में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल पहले स्थान पर हैं.

इस सूची में चंदा 32वें तथा एचसीएल कौरपोरेशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रोशनी नादर मल्होत्रा 57वें स्थान तथा बायोकौन की संस्थापक चेयरमैन किरण मजूमदार शौ 71वें स्थान पर हैं. सूची में हिंदुस्तान टाइम्स मीडिया लिमिटेड की चेयरपर्सन शोभना भरतिया 92वें और अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा 97वें स्थान पर हैं.

सूची में जो अन्य भारतीय मूल की महिलाएं शामिल हैं उनमें पेप्सिको की सीईओ इंदिरा नूयी 11वें स्थान पर तथा भारतीय अमेरिकी निक्की हैली 43वें स्थान पर हैं. मर्केल लगातार सातवीं बार इस सूची में पहले स्थान पर कायम हैं और कुल मिलाकर 12 बार वह इस सूची में पहले स्थान पर रही हैं. मर्केल के बाद ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरिजा मे दूसरे स्थान पर हैं.

मेलिंडा और उनके पति बिल ने अभी तक 40 अरब डौलर का अनुदान दिया है और दोनों दुनिया के 100 देशों के संगठनों को मदद उपलब्ध करा रहे हैं. फेसबुक की मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) शर्लिन सैंडबर्ग चौथे और जीएम की सीईओ मैरी बारा पांचवें स्थान पर हैं.

इस बार सूची में 23 महिलाएं पहली बार शामिल हुई हैं. सूची में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पुत्री इवांका ट्रंप 19वें स्थान पर हैं. यह सूची इन महिलाओं के पास धन, मीडिया में उपस्थिति, प्रभाव आदि के आधार पर तैयार की गई है.

फेसबुक और व्हाट्सऐप पर खर्च हो रहा है ज्यादा डाटा? आजमाएं ये टिप्स

व्हाट्सऐप और फेसबुक का इस्तेमाल आजकल लगभग सभी करते हैं, जब आप लोगों ले जुड़ने या अपने विचार लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने स्मार्टफोन पर इनका इस्तेमाल करते हैं तो इसमें आपका काफी डाटा खर्च होता है. अगर आपका फोन ज्यादा डाटा खा रहा है तो हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं जिससे आपके फोन पर इन ऐप्स का प्रयोग करने पर ज्यादा डाटा न लगे. इस उपाय को अपनाने पर आपका कोई चार्ज भी नहीं लगेगा.  इसके लिए आपको बस अपने फोन की सेटिंग्स में कुछ बदलाव करने हैं. तो आइये इनके सेटिंग्स के बारे में जानते हैं कि कैसे फोन कम डेटा खर्च करेगा.

व्हाट्सऐप की सेटिंग्स

व्हाट्सऐप की सेटिंग्स को खोलिये इसके बाद डेटा यूज के विकल्प पर आइये. जब आप डेटा यूज पर टेप करेंगे तो इसमें कई विकल्प दिखाई देंगे. इनमें से सबसे पहले विकल्प पर क्लिक करना है. यह यह आटो मीडिया डाउनलोड का है. इसमें देख लें कि कहीं मीडिया डाउनलोड अपने आप तो नहीं हो रहे हैं. अगर ऐसा है तो इसे बंद कर दें. क्योंकि इसके खुले होने पर जैसे ही आपके व्हाट्सऐप नंबर पर कोई वीडियो या फोटो आादि आता है तो वह अपने आप ही डाउनलोड हो जाता है. जिसे खुद ब खुद डाटा खर्च होने लगता है.

अपने व्हाट्सऐप की सेटिंग्स में जाकर डेटा यूज पर आएंगे. डेटा यूज पर जब टेप करेंगे तो इसमें कई विकल्प दिखाई देंगे. इसमें सबसे नीचे आ रहे लो डेटा यूज पर क्लिक करें. अब आपका फोन व्हाट्सऐप काल के दौरान कम डेटा यूज करेगा. इसके अलावा अपने चैट बैकअप को भी बंद कर दें. इससे भी फोन में काफी डेटा खर्च होता है.

फेसबुक की सेटिंग्स

यदि आप अपने फोन पर फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं और वीडियो सामने आते ही आपने आप प्ले हो जाता है तो इसे अपने फेसबुक ऐप की सेटिंग्स में जाकर बंद कर दें. इससे आपके फोन पर डेटा की बचत होगी.

ऐसा करने के लिए आप पहले अपने फेसबुक ऐप में जाएंगे. यहां आपको सबसे ऊपर की तरफ तीन लाइन दिखाई दे रही होगी. इस पर क्लिक करें. इसके बाद सेटिंग्स में थोड़ा नीचे जाएं. यहां वीडियो आटो प्ले का विकल्प दिखाई देगा. इसे वाई फाई ओनली (Wi-Fi Only) या आफ (Off) कर दें. इससे आपके फोन में फेसबुक के वीडियो अपने आप प्ले नहीं होंगे और आपके डेटा भी ज्यादी खर्च पोने से बच जाएंगे.

जब आशीष नेहरा ने जीता सौरभ गांगुली का दिल

जैसा की आप सभी जानते हैं कि भारतीय क्रिकेटर आशीष नेहरा अपने 18 साल पुराने करियर को अलविदा कह चुके हैं. बुधवार को भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया टी20 मैच आशीष नेहरा का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच था.

दिल्ली स्थित फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में बहुत ही सम्मान के साथ आशीष नेहरा को विदाई दी गई. आशीष को सम्मान देते हुए उनके एक पूर्व साथी क्रिकेटर हेमंग बदानी ने अपने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें उन्होंने नेहरा के साथ क्रिकेट खेलते हुए कुछ यादगरों को पलो को साझा किया है. बदानी ने अपने वीडियो में कहा कि मुझे एक घटना याद है जब सौरव गांगुली की कप्तानी में नेहरा ने उनके न डरने की नसीहत दी थी.

इस घटना का जिक्र करते हुए बदानी ने कहा कि यह साल 2004 की बात है जब भारत और पाकिस्तान के बीच कराची में महत्वपूर्ण सीरीज खेली गई थी. हमने पाकिस्तान के सामने 350 रनों का लक्ष्य रखा था. वहीं पाकिस्तान बहुत अच्छा खेली और आखिरी ओवर में उन्हें 9 या 10 रन मैच को जीतने के लिए चाहिए थे.

उस समय भारतीय टीम दुविधा में थी, किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिरी ओवर किससे कराएं. उस समय आशीष नेहरा फाइन लेग पर खड़े थे और वे दौड़ते हुए सौरव गांगुली के पास आए. गांगुली के पास आकर नेहरा ने उनसे कहा “दादा मैं डालता हूं आप डरो मत, मैं आपको मैच जीताकर दूंगा.”

नेहरा ने जो कहा वह करके दिखाया. नेहरा ने ओवर में तीन रन और एक विकेट लेकर पाकिस्तान को करारी मात दी. आपको बता दें कि बदानी ने अपनी इस वीडियो का कैप्शन लिखा है जिस व्यक्ति ने कहा था दादा डरो मत वह खुद दादा निकला. लड़ने की क्षमता और बड़ा दिल है. आपको रिटायर लाइफ के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आपने भारतीय ध्वज को देश के लिए खेलकर हमेशा उच्च स्थान पर रखा है.

शाहरुख खान की कुछ प्रेरित करने वाली बातें, जो सभी को जाननी चाहिए

शाहरुख खान एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने बिना किसी गौडफादर के ना केवल इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई बल्कि एक कामयाब एक्टर बने हैं. आज उनका नाम किसी ब्रांड से कम नहीं है. अपने 25 साल के फिल्म करियर के दौरान शाहरुख ने एंटी-हिरो से लेकर एक हीरो तक के किरदार को निभाया है.

इसके अलावा उन्होंने खून करने वाले से लेकर एक रोमांटिक एक्टर तक के किरदारों में जान डाल दी. अलग-अलग तरह के किरदार निभाते हुए किंग खान फैंस के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं.

शाहरुख ने डर, अंजाम, दिल से, स्वदेश, माई नेम इज खान और चक दे इंडिया के जरिए अपनी एक्टिंग स्किल को साबित किया है. शाहरुख उन लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष नहीं करना चाहते. उनकी फिल्में और बातों ने बहुत से लोगों को अपने सपनों के पीछे भागने के लिए प्रेरित किया है. आज हम आपको बताते हैं किंग खान की प्रेरित करने वाली वो लाइनें जिन्हें पढ़कर आप निश्चित तौर पर प्रोत्साहित होंगे.

  • मैं रेस में भाग रहा हूं और लोग दूसरे ट्रैक पर, मेरी रेस खुद से है.
  • सफलता कभी अच्छी टीचर नहीं होती, असफलता आपको विनम्र बनाती है.
  • मैं अपने सपनों की दिशा में चलता और दौड़ता हूं. इस दौरान चीजें बदलती हैं, लोग बदलते हैं, मैं बदलता हूं, ये दुनिया बदलती है, यहां तक कि मेरे सपने भी बदलते हैं.
  • जिंदगी का मेरा सबसे बड़ा अफसोस यही है कि मैं अपनी जिंदगी में जितना बड़ा होता हूं उतना ज्यादा अपनी मां को याद करता हूं.
  • कमाने से कभी शर्माओ मत लेकिन अपनी आत्मा मत बेचो.
  • मेरा मानना है कि मेरे अंदर एक छोटा सा नेपोलियन और हिटलर है. अगर मैं कोशिश भी करुं तो भी मैं महात्मा गांधी और मदर टेरेसा की तरह निहस्वार्थ नहीं बन सकता.
  • जिन सपनों का मैंने पीछा किया, वो मुझे यात्रा पर ले गए. एक यात्रा लक्ष्य से ज्यादा फल देती है.
  • अगर लोग मुझे पहचानेंगे नहीं तो मैं मर जाउंगा. अगर लोगों की भीड़ इकट्ठा नहीं होगी तो मैं सड़क पर चल नहीं पाउंगा. इसी वजह से मैं काम करता हूं.

  • आप कभी चांदी नहीं जीतते, आप केवल सोने को खो देते हैं.
  • बहुत कम लोग अपने पैशन को प्रोफेशन में बदल पाते हैं. मैं उन कुछ सौभाग्यशाली लोगों में से एक हूं.

अक्षय ऊर्जा उत्पादन में यूरोपीय संघ को पछाड़ देगा भारत

मौजूदा केंद्र सरकार सौर ऊर्जा को विशेष महत्त्व दे रही है और शुरू से ही वह इस दिशा में निरंतर काम भी कर रही है. सौर ऊर्जा पार्क विकसित करने तथा सौर ऊर्जा के वैश्विक चैंपियन जरमनी से इस दिशा में विशेषज्ञता हासिल करने जैसे कदम उठा कर सरकार ने 2022 तक सौर ऊर्जा क्षमता दोगुना करने का लक्ष्य आसान बना दिया है.

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने भारत सरकार के सौर ऊर्जा कार्यक्रम में आ रही आक्रामकता का जायजा लेते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है और 2022 तक उस की अक्षय ऊर्जा क्षमता दोगुनी हो जाएगी. एजेंसी का कहना है कि सौर ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में भारत तेजी से वृद्धि कर रहा है.

सरकारी आंकड़े के अनुसार, देश की मौजूदा अक्षय ऊर्जा क्षमता 58,300 मेगावाट है और उसे दोगुना करने की योजना है. इस में एक लाख मेगावाट ऊर्जा क्षमता सिर्फ सौर ऊर्जा की होगी. इस क्षमता को हासिल करने के बाद भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में पहली बार यूरोपीय संघ को पीछे छोड़ देगा और 2022 तक भारत-चीन-अमेरिका की वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा हिस्सेदारी दोतिहाई हो जाएगी.

अच्छी बात यह है कि भारत में पवन ऊर्जा की दर 2.44 रुपए प्रति यूनिट और सौर ऊर्जा की दर 3.46 रुपए प्रति यूनिट हो गई. यह दर रिकौर्ड निचले स्तर पर है और अगले 5 वर्षों में इस में और गिरावट आने की उम्मीद है.

नवीकरणीय ऊर्जा भविष्य की ऊर्जा है, यह सस्ती है और प्राकृतिकरूप से उपलब्ध स्वच्छ ऊर्जा है. इसलिए सरकार इसे ज्यादा महत्त्व दे रही है. लोग घरों की छतों पर पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर उसे बेच रहे हैं और घर में पर्याप्त बिजली जला रहे हैं.

दाढ़ी वाले बाबा

पूरी कालोनी शोर के चलते परेशान  हो गई थी. कालोनी में एक सरकारी जमीन का टुकड़ा था. शर्माजी को उस पर कब्जा करना था. उन के मकान से लगालगाया वह टुकड़ा था. उन्होंने थोड़ी सी ईंटें और सीमेंट डलवा कर मंदिर बनवा लिया.

आनेजाने वालों को दिक्कत हो रही थी. लेकिन किसी के बाप की हिम्मत जो भगवान के मंदिर के खिलाफ बोल दे. शर्माजी ने उसी मंदिर से लग कर एक दुकान खोल ली जहां मोटा पेट लिए वे सेठजी बन कर बैठ गए थे. लेकिन अभी उन का मन भरा नहीं था. उन्होंने विचार किया- भगवानजी तो स्वर्ग में रहते हैं, सो उन भगवानजी का ट्रांसफर एकमंजिला बना कर ऊपर कर दें और नीचे पूरा एक हौल निकल आएगा जिस में काफी जगह निकलेगी. उस का गोदाम के तौर पर उपयोग हो जाएगा.

जयपुर से एक पत्थर लाया गया. फिर एकमंजिला ऊंचा मंदिर निर्माण कर के नीचे वाले हिस्से पर शर्माजी ने दुकान और गोदाम निकाल लिया. 5-6 महीने बाद आधी दुकान किराए पर दे कर वे चांदी काटने लगे. लेकिन शर्माजी पूजापाठ करें या दुकानदारी-वे कुछ निर्णय नहीं कर पा रहे थे. इधर कालोनी वाले ईर्ष्या कर रहे थे, शिकायतें भी हो रही थीं. अभी दुकानों की लागत निकली नहीं थी और यदि यह अवैध कब्जा हट गया तो लाखों का नुकसान हो जाएगा. उन्होंने तरकीब भिड़ाई और आननफानन अपने गांव से एक अनाथ प्रौढ़ को बाबा बनवा कर बुलवा लिया. उस बाबा का प्रचारप्रसार कालोनी में हो जाए, इसलिए उन्होंने ध्वनि विस्तारक यंत्र लगा कर धार्मिक दोहों का वाचन रखवा दिया था.

रातदिन चलने वाले इस पाठ का शोर इतना अधिक होता था कि कालोनी में सोने वाले जाग जाए और जागने वाले कालोनी छोड़ कर भाग जाए. लेकिन किसी की हिम्मत नहीं थी कि कोई भगवानजी के खिलाफ आवाज उठाए. शानदार तरीके से शर्माजी ने दुकानदारी जमा ली थी जिस के परिणामस्वरूप मंदिर का चढ़ावा, दुकान का किराया, किराने का फायदा मिला कर शर्माजी धन कूट रहे थे. कालोनी या उस में रहवासी जाए भाड़ में, उन्हें उस से कोई मतलब नहीं था.

इस बीच, शर्माजी ने अपने पुजारी महाराज के चमत्कारों का प्रचार कर दिया था. हवा से भभूत निकालना, पानी में दीपक जलाना, जबान पर कपूर को जलाना…एकदो नहीं पूरे आधा दर्जन से अधिक चमत्कारों को बतलाने के परिणामस्वरूप मंदिर में भीड़ बढ़ गई. चढ़ावा भी बढ़ गया. दुकान की बिक्री भी बढ़ गई. शर्माजी बहुत खुश थे. एक पसेरी उन का वजन और बढ़ गया था. जब दुकान चल निकली तो चमत्कारों को बढ़ाना तथा भक्तिरस में डूबा बताना भी कर्तव्य हो गया.

शर्माजी का मंदिर ही उस जह का नाम हो गया था और भीड़ बढ़ती जा रही थी. लोग अंधश्रद्घा में डूबे रहे. कोई प्रश्न खड़ा ही नहीं करे, इस के लिए शर्माजी ने भजनमंडल, पाठों का आयोजन पूरे डीजे साउंड के साथ शुरू कर दिया ताकि पूरी कालोनी में आवाज जाए. मैं ने सोचा कि अब कालोनी का मकान बेच कर चला जाऊं. सो, मैं ग्राहक खोजने लगा. जिस भी ग्राहक को मेरे घर बेचने का कारण पता चलता, वह मुझे अधर्मी कह कर मकान खरीदने से मना कर देता. मैं बहुत परेशान था.

तब ही हमारी एकमात्र सासूजी अचानक आ गईं. सुबहसुबह का समय था. इतना शोर था कि पक्षी भी कोलाहल करना भूल कर पेड़ छोड़ कर उड़ गए थे. सासूजी ने घर में प्रवेश किया और हमारी एकमात्र धर्मपत्नी का चेहरा देखा तो दंग हो गईं. दरअसल, वह पूरे एक महीने से शोर के चलते सो नहीं पाई थी. मेरे सिर के रहेसहे बाल भी उड़ गए थे और सिर खेल का मैदान हो गया था. सासूजी बहुत दुखी हुईं. यात्रा की थकान के चलते आराम करना चाहा, लेकिन दरवाजेखिड़की बंद कर लेने के बाद भी वे शोर से मुक्ति नहीं पा सकीं और सो नहीं पाईं. दोपहर वे कुछ नाराज हो कर खाने की टेबल पर आईं और बेटी से कह उठीं, मैं लौट कर जा रही हूं.

हमारी पत्नीजी ने दुखी हो कर कहा, ‘मम्मीजी, आप के बुद्धि के चर्चे विदेशों में हैं और आप अगर ऐसी स्थिति में हमें छोड़ कर चली जाएंगी तो आखिर हमारा क्या होगा? उपाय करो, मम्मीजी. हम ने भी हाथ जोड़ लिए, प्लीज सासूजी, कुछ विचार तो करो, आखिर हमारे परिवार का ही नहीं, पूरी कालोनी वालों का सवाल है.’

‘ठीक है,’ कुछ सोचती हुईं सासूजी ने कहा.

हम तो खुशी से गुब्बारे की तरह फूल गए. जानते थे कि प्रत्येक स्थिति में सासूजी ही सब को कंट्रोल कर लेंगी. शाम को भगवे कपड़े पहन कर सासूजी अपनी पूर्व परिचित कालोनी की सहेलियों के साथ मंदिर में दर्शन करने गईं. प्रसाद चढ़ाया, चंदा दिया और हाथ जोड़ कर प्रसाद लिया और अपनी सहेलियों के साथ लौट आईं. अगली सुबह हम सो कर भी नहीं उठे थे कि सासूजी सहेलियों के साथ मंदिर चली गईं जहां भयानक ध्वनिप्रदूषण हो रहा था. उन्होंने तत्काल प्रौढ़ महाराज के हाथों में 500 रुपए का नोट रखा.

महाराज तो दंग रह गया कि आखिर इतना चंदा उसे ही क्यों दिया गया. उस ने खुश हो कर प्रश्न किया, ‘‘मैडमजी, बताइए यह 500 रुपए का चंदा मुझे क्यों दिया जा रहा है?’’

सासूजी की सहेली ने कमान संभाली और कहा, ‘‘पंडितजी, ये 500 रुपए तो कम हैं, इन की इच्छा तो 5,000 रुपए देने की थी.’’

‘‘आखिर क्यों भाई? ऐसी क्या बात हो गई थी?’’

‘‘बात ही कुछ ऐसी थी. इन के पेट में पूरे 3 वर्षों से दर्द था, कल आप का प्रसाद ले गईं…सहेली अपना वाक्य पूरा भी नहीं कर पाई कि पंडित ने कहा, ‘‘ओह, वो खा कर ये ठीक हो गईं?’’

‘‘नहीं जी.’’

‘‘फिर क्या बात हो गई?’’

‘‘पंडितजी, उस प्रसाद में आप की दाढ़ी का एक बाल था. मैडमजी ने सोचा प्रसाद में बाल आया है, निश्चितरूप से इस का कोई महत्त्व तो होगा. बस, उन्होंने उस बाल को अपने पेट में बांध दिया और देखतेदेखते पेट का दर्द गायब हो गया.’’

‘‘धन्य हो पंडितजी,’’ सब सहेलियों ने समवेत स्वर में कहा.

‘‘ऐसे बाल मैं विशेष लोगों को ही देता हूं, जिस को सौ प्रतिशत लाभ देना होता है,’’ पंडित ने आत्मप्रशंसा से भर कर कहा.

‘‘हम धन्य हो गए,’’ कह कर सब सहेलियों ने चरणस्पर्श किए और चली आईं.

बस फिर क्या था-एक ने दूसरे से, दूसरे ने तीसरी से पूरी बात पूरी कालोनी में 1 घंटे में फैला दी गई. लगभग 9 बजे तक वहां एक हजार लोगों की भीड़ जमा हो गई जो पंडितजी से सौ प्रतिशत लाभ लेना चाहते थे. मरता क्या न करता. पंडितजी ने एकएक व्यक्ति से दाढ़ी का बाल नुचवाया, सिर टकला हो गया तो जो श्रद्धालु  (ग्राहक) थे उन्होंने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिए और देखतेदेखते बिना भौंह, बिना पलकों के, टकले, दाढ़ीविहीन पंडित भूत जैसे लगने लगे. पीड़ा से बिलबिला रहे थे.

अभी भीड़ और बढ़ गई थी जो उन की टांगों व बगलों तक के केशलोचन करने के लिए आमादा थी. शर्माजी 11 बजे तक बिजनैस करते रहे. भारी ग्राहकी से वे खुश थे. लेकिन जब ज्ञात हुआ कि गांव से लाया पंडित पीछे के दरवाजे से भागने की कोशिश कर रहा है तो वे उस की छाती पर आ कर डट गए. सैकड़ों लोग उन के सिर पर बाल उगने की प्रतीक्षा में नंबर लगा कर बैठ गए थे. पंडितजी शौचक्रिया के नाम से जो बाहर गए तो फिर दोबारा लौट कर नहीं आए. 2 दिनों में ही शर्माजी का मंदिर श्मशान की तरह सुनसान हो गया था.

जब कोई नहीं रहा तो ग्राहकों ने आना बंद कर दिया. ग्राहक नहीं तो ध्वनि विस्तारक यंत्र बंद हो गया. जब शोर बंद हो गया तो भीड़ लापता हो गई. चढ़ावा खत्म हो गया. मंदिर के देवता एक दिन चोर के हाथों चोरी हो गए.

देखतेदेखते शर्माजी की दुकानदारी पूरी तरह से खत्म हो गई. शर्माजी आजकल हाथठेले पर सब्जी बेच रहे हैं और हमारी सासूजी उन से सब्जी खरीद कर मनपसंद खाना पकवा कर खा रही हैं. है न हमारी सासूजी बुद्धिमान? हम तो यही कामना करते हैं कि सब को ऐसी सास मिले.

यहां जानें ‘सुपर 30’ आनंद कुमार के बायोपिक की रिलीज डेट

बौलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन जल्द ही ‘सुपर-30’ के आनंद कुमार बने नजर आएंगे. जी हां, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए चर्चित संस्थान ‘सुपर 30’ के संस्थापक आनंद कुमार के जीवन पर एक बायोपिक बनाई जा रही है. आखिरी बार फिल्म ‘काबिल’ में नजर आए ऋतिक इस बायोपिक में लीड रोल निभाएंगे, जो अगले साल 23 नवंबर को रिलीज होगी.

ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने अपने एक ट्विटर हैंडल पर बायोपिक की रिलीज डेट को साझा करते हुए लिखा, “ब्रेकिंग न्यूज, ऋतिक रोशन के अभिनय से सजी ‘सुपर 30’ आनंद कुमार की फिल्म 23 नवंबर 2018 को रिलीज होगी.”

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में आगे लिखा, “विकास बहल के निर्देशन में बन रही फिल्म को फैंटम और रिलाइंस इंटरटेनमेंट प्रोड्यूस कर रहे हैं.”

तरण का यह ट्वीट देखते ही देखते सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा. इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कई लोग आगामी बायोपिक को अभी से ‘ब्लौकबस्टर’ बता रहे हैं. वहीं ज्ञानेंद्र झा ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “ये बिहार और बिहारी अस्मिता के लिए गर्व की बात है.”

सूत्रों की माने तो आनंद कुमार की इस बायोपिक में करीब 20 बिहारी कलाकारों को मौका दिया जाएगा. फिल्म के निर्माण के सिलसिले में कुछ दिन पहले ही निर्देशक विकास बहल पटना आए थे. बायोपिक में आनंद के जीवन संघर्ष से लेकर छात्रों के परिवेश को भी प्रदर्शित किया जाएगा.

मालूम हो कि सुपर 30 के अभी तक 450 में से 390 स्‍टूडेंट आईआईटी में चुने जा चुके हैं.

बता दें कि कुछ दिन पहले आनंद कुमार ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की हाट सीट पर अमिताभ बच्चन के साथ नजर आएं थे और कई सवालों का सही जवाब देकर उन्होंने 25 लाख रुपये जीते थे.

‘कौन बनेगा करोड़पति’ को दौरान उन्होंने बताया था कि उनके पिताजी चाहते थे कि मैं और मेरा भाई हम दोनों और पढ़े लिखें, लेकिन उनका अचानक देहांत हो गया. जिसके बाद घर के हालात धीरे धीरे बिगड़ने लगे तब घर चलाने और हमें पढ़ाने के लिए मां ने पापड़ बनाने का काम शुरू किया. मैं और मेरा भाई पापड़ बेचने जाते थे.

वाटर प्रूफ, वाटर रिपेलेंट, वाटर रेसिस्टेंट क्या है इन तीनो में अंतर

स्मार्टफोन आजकल सिर्फ रैम, प्रोसेसर और कैमरा के अच्छे होने से ही स्मार्ट नहीं बन जाते हैं. स्मार्टफोन में कई अलग फीचर्स भी आने लगे हैं, जो इसे स्मार्ट बनाते हैं. अब फोन वाटर और डस्ट रेसिस्टेंट आते हैं. इन फोन्स पर पानी और धूल का भी कोई असर नहीं होता.

ऐसे फोन यूजर्स के लाइफस्टाइल को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं. बाजार में ऐसे कई फोन हैं जिनमे कुछ वाटर प्रूफ, वाटर रिपेलेंट और ज्यादातर फोन वाटर रेसिस्टेंट सर्टिफिकेट के साथ आते हैं.

यूजर्स को इन तीनों तरह के फीचर्स में आमतौर पर कन्फ्यूजन होता है. इस तरह का फोन लेने से पहले तीनों में अंतर जान लेना जरूरी है.

वाटर प्रूफ

वाटरप्रूफ फीचर के साथ आने वाले फोन को पानी में नुकसान नहीं होता. अक्सर कई स्मार्टफोन IP68 और IP67 सर्टिफिकेशन के साथ आते हैं, जिसका मतलब होता है कि फोन को 30 मीटर तक पानी में रखने के बाद भी कुछ नहीं होगा. इसी के साथ इस तरह के फोन्स को पानी के अंदर पिक्चर लेने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. सैमसंग, सोनी और एप्पल के डिवाइस मुख्यत: इस फीचर के साथ आते हैं.

वाटर रिपेलेंट

यह वाटर प्रूफ फीचर से एक स्तर कम है. इस फीचर का मतलब है कि आपके फोन पर एक थिन-फिल्म चढ़ाई गई है जो फोन में पानी नहीं जाने देगी. इसे फोन के अंदर और बाहर दोनों तरफ लगाया जाता है। पानी से बचाने के लिए इस तरह के फोन पर हाइड्रोफोबिक सतह तैयार की जाती है, जिससे फोन पर पानी का असर नहीं होता और वह गंदगी को जमने भी नहीं देता. एक आम डिवाइस की तुलना में इस तकनीक से लैस फोन ज्यादा समय पानी में बिना खराब हुए रह सकते हैं.

वाटर रेसिस्टेंट

वाटर रेसिस्टेंट इस श्रेणी में सबसे छोटे स्तर का फीचर है. अगर आपका फोन वाटर रेसिस्टेंट है तो पानी में जाने पर वो ठीक नहीं रहेगा. इसका मतलब यह है की आपके फोन पर पानी की कुछ छीटें पड़ने के बाद भी नुकसान नहीं होगा. लेकिन, अगर आपका फोन वाटर रेसिस्टेंट है तो आप अपने फोन को पानी में डालने की भूल ना करें.

इन तीनों में अंतर जानने के बाद आपके लिए इन फीचर्स से लैस फोन लेने में आसानी होगी. इसी के साथ आपको पता भी चल जाएगा की आपको कौन-से फीचर से लैस फोन लेना है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें