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भाजपा सांसद वरुण गांधी को फिर दादी याद आईं

भाजपा सांसद वरुण गांधी को सौवीं पुण्यतिथि पर अपनी दादी इंदिरा गांधी की याद इतनी शिद्दत से आई कि बेहद जज्बाती हो कर उन्होंने इंदिरा गांधी को राष्ट्रमाता का दरजा दे डाला. पिछले कुछ दिनों से वरुण का अपने खानदान के प्रति मोह खूब उमड़घुमड़ रहा है. इस के पहले वे कह चुके थे कि महज 29 साल की उम्र में वे गांधी सरनेम की वजह से सांसद बन पाए थे.

लगता ऐसा है कि योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से वरुण को भाजपा में घुटन सी होने लगी है जिसे व्यक्त करने का वे कोई मौका नहीं छोड़ते. अब दादी को याद करने पर तो भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई एतराज जता नहीं सकते जो एक पोते का हक है. नरेंद्र मोदी देश को कांग्रेस यानी गांधी परिवार मुक्त करने का खूब ढिंढोरा पीट चुके हैं जिस पर उन्हीं के खेमे के इस युवा ने इंदिरा गांधी को राष्ट्रमाता का दरजा देते असमंजसभरी और तकनीकी चुनौती पेश कर दी है, जिस की पेशी आज नहीं तो कल, भगवा अदालत में होनी तय है.

लागी छूटे न… : इस प्रदेश पर है अब मायावती और अखिलेश की नजर

उत्तर प्रदेश में मुंह की खाने के बाद मुलायम व अखिलेश यादव की तरह जो नेता उम्मीदभरी निगाहों से इधरउधर खासतौर से मध्य प्रदेश की तरफ देख रहे हैं, बसपा सुप्रीमो मायावती उन में से एक हैं. मध्य प्रदेश, गिन कर ही सही, बसपा को कुछ सीटें जरूर हर विधानसभा चुनाव में देता रहा है. इस बार मायावती की कोशिश दहाई का आंकड़ा पार करने की दिख रही है. इस बाबत बसपा ने उन की एक कथित विशाल आमसभा का आयोजन भी भोपाल में कर डाला जिसे सुपर फ्लौप कहने से कोई परहेज नहीं कर रहा क्योंकि भीड़ उम्मीद से बहुत कम थी.

इस रैली या सभा का इकलौता आकर्षण मायावती को चांदी की थाली में रख कर दी गई चांदी की ही तलवार और उन के सिर पहनाया गया सोने का मुकुट था जिस से संदेशा यह गया कि बसपा अब गरीबगुरबों की पार्टी नहीं रह गई है. इस दृश्य को ले कर कइयों ने शायराना अंदाज में चुटकी जरूर ली. पर अल्पमात्रा में बचे बुद्धिजीवी बसपा समर्थकों की राय यह रही कि अब तो बहनजी को स्वर्ण मोह छोड़ देना चाहिए वरना मध्य प्रदेश में भी हश्र उत्तर प्रदेश से जुदा नहीं होगा.

परदा है परदा : कहीं अब मोदी और योगी ये न कहने लगें कि…

मुसलमानों से कोई खतरा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हो न हो, पर मुसलमानों को जरूर उन्हें ले कर हर कहीं जिल्लत और जलालत से रूबरू होना पड़ता है. 22 नवंबर को उन की बलिया वाली रैली में एक मुसलिम महिला सायरा का बुर्का पुलिस वालों ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते उतरवा लिया तो किसी की हिम्मत प्रथा या रिवाज का हवाला देने की नहीं पड़ी.

अब कट्टर मुसलिमवादियों को नया डर यह जरूर सता सकता है कि कहीं अब योगी-मोदी यह भी न कहने लगें कि मुसलिम बहनों को बुर्के में घुटन होती है, इसलिए परदा करने की जरूरत नहीं है जैसे तीन तलाक खत्म हो गया वैसे यह भी…

अफ्रीकी देशों का न्यूयौर्क बनता मोरक्को

मोरक्को का सब से बड़ा शहर कैसाब्लांका इन दिनों अफ्रीका महादेश की वित्तीय राजधानी बनने जा रहा है. ऐसा हो भी क्यों नहीं, जहां अन्य अफ्रीकी देश आतंकवाद व गृहयुद्घ में तबाह हो रहे हैं, वहीं मोरक्को में निर्माण, बैंकिंग, दूरसंचार और ऊर्जा के क्षेत्र में भारी निवेश हो रहा है. इस कारण फ्रैंच भाषा प्रचलित मोरक्को अब अंगरेजी वाले अन्य अफ्रीकी देशों को कड़ी चुनौती दे रहा है. मोरक्को अब पूरे अफ्रीका का स्थापित बिजनैस हब का दरजा पाने को है.

2015 में मोरक्को को अफ्रीकी क्षेत्र का सब से सुरक्षित देश घोषित किया गया था. ग्लोबल फाइनैंशियल सैंटर इंडैक्सन ने भी मोरक्को को अफ्रीका का दूसरा फाइनैंशियल हब करार दिया था.

देश के राजा मोहम्मद की दूरदर्शिता के कारण ही मोरक्को इतनी तरक्की कर पाया है. उन्होंने देश के बिजनैस माहौल को सुधारने का सुझाव दिया था, जिसे वहां के निजी क्षेत्र, जैसे निजी बैंक, निर्माण, दूरसंचार व ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों ने अपनाया है.

पहले ज्यादातर यूरोप की अर्थव्यवस्था पर आश्रित रहने वाली मोरक्को की कई कंपनियों ने अब अपनी नीति में बदलाव करते हुए वापस वहीं अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं. मोरक्को की अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता का यूरोप के आर्थिक पतन से कोई लेनादेना नहीं है. अफ्रीका भी बदल रहा है और कुछ देशों को छोड़ दें, तो अन्य देश तेजी से तरक्की को प्रयासरत हैं.

पिछले एक दशक में अफ्रीका में काफी बदलाव आए हैं. यही नहीं, अर्थव्यवस्था में अफ्रीका ने यूरोप से भी तेज छलांग लगाई है. यह मोरक्को के लिए अच्छा ही है कि उस ने इस बात को जल्द ही समझ लिया कि अपने छोटे उद्योगों पर अधिक निर्भरता उस के पिछड़ेपन का कारण बन सकती है, इसलिए वह अब अंतरमहादेशीय पार्टनरशिप पर ध्यान दे रहा है.

मोरक्को में उन कंपनियों व प्रतिष्ठानों के लिए ऐसा पारिस्थितिक तंत्र तैयार हो रहा है जो अफ्रीका में निवेश करने को इच्छुक हो. इसी के तहत 2014 में कैसाब्लांका वित्तीय नगरी की स्थापना की गई, जो मल्टीनैशनल कंपनियों की पसंदीदा बनती जा रही है.

यही नहीं, अफ्रीका में निवेश करने आने वाली कंपनियों के लिए मोरक्को सब से अच्छा एंट्री पौइंट हो सकता है क्योंकि यहां से कंपनियां अफ्रीकी महादेश की आर्थिक व्यवस्था को बेहतर तरीके से समझ पाती हैं. फ्रांसीसी उपनिवेश होने की वजह से मोरक्को का ध्यान ज्यादातर फ्रैंच बोलने वाले अफ्रीकी देशों पर ही था. इस वजह से वह अंगरेजी बोलने वाले नाइजीरिया और केन्या की तरह आर्थिक रूप से विकास नहीं कर पाया था. अब हालात बदल रहे हैं और वह नएनए अवसरों को तलाश रहा है. अगर ऐसा हुआ तो जल्द ही मोरक्को अफ्रीकी महादेश का न्यूयौर्क बन जाएगा.

निसंतान दंपती बच्चे को कैसे लें गोद, समझें क्या है इसकी कानूनी प्रक्रिया

शादी के बाद हर दंपती की चाहत संतानप्राप्ति की होती है. कुछ दंपती ऐसे होते हैं जिन की यह चाहत पूरी नहीं हो सकती. ऐसे में उन के पास एक विकल्प यह रहता है कि वे किसी बच्चे को गोद ले कर उसे अपने बच्चे के रूप में पालेंपोसें. किसी बच्चे को गोद लेने की एक कानूनी प्रक्रिया है. आइए, जानते हैं इस के विभिन्न पहलुओं को :

गोद लेने की प्रक्रिया के तहत कोई व्यक्ति किसी बच्चे को तभी गोद ले सकता है जबकि उस की अपनी जीवित संतान न हो, फिर भले ही वह संतान लड़का हो या लड़की. हां, किसी भी बच्चे को गोद लेने के लिए पतिपत्नी दोनों की सहमति आवश्यक है. यदि महिला या पुरुष अविवाहित, तलाकशुदा, विधवा है तो उस की अकेले की ही सहमति पर्याप्त है.

वैधानिक कार्यवाही

गोद लेने की प्रक्रिया आसान है. इस के लिए गोद लेने वाले और गोद देने वाले की सहमति ही पर्याप्त है. हां, यदि बच्चा किसी अनाथाश्रम से गोद लेना हो तो कुछ वैधानिक कार्यवाही अवश्य करनी पड़ती है. एक बार यदि आप ने किसी बच्चे को गोद ले लिया तो वैधानिक रूप से आप ही उस के मातापिता माने जाएंगे और पिता के रूप में गोद लेने वाले व्यक्ति का ही नाम मान्य होगा. लेकिन हां, उसे अपने मूल मातापिता और गोद लेने वाले मातापिता दोनों की संपत्ति में अधिकार मिलता है.

किसी भी निसंतान दंपती को बच्चा गोद लेने का फैसला जल्दबाजी में नहीं, बल्कि धैर्यपूर्वक सोचसमझ कर लेना चाहिए. किसी भी बच्चे को गोद लेने के फैसले से पूर्व मनोवैज्ञानिक रूप से दंपती को तैयार होना चाहिए, न कि किसी के दबाव में आ कर यह निर्णय लेना चाहिए.

बच्चा गोद लेने से पूर्व दंपती को इस बात पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए कि उन्हें लड़का चाहिए या लड़की? जिस पर दोनों सहमत हों, उसे ही गोद लें.

इस बात पर भी विचार कर लेना जरूरी है कि बच्चा किसी निकट के रिश्तेदार से गोद लेना है या अनाथाश्रम से. यदि आप जाति, धर्म, वंश आदि में विश्वास रखते हैं तो बेहतर होगा कि उसी हिसाब से बच्चे को चुनें. यदि आप अनाथाश्रम से बच्चा गोद लेने का निर्णय लेते हैं तो इस के पीछे लावारिस बच्चे के लिए दयाभाव नहीं होना चाहिए और न ही यह सोचें कि आप किसी अनाथ बच्चे का उद्धार कर रहे हैं.

केंद्र सरकार देश में बच्चों को गोद लेने को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उस की प्रक्रिया को ज्यादा आसान बनाएगी, ऐसे संकेत हैं. इस के लिए इंतजार अवधि को एक साल से घटा कर कुछ माह करने तथा अनाथालयों के पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने जैसे बड़े सुधार किए जाएंगे.

गोद लेना होगा आसान

भारत में करीब 50 हजार बच्चे अनाथ हैं. हर साल महज 800 से एक हजार बच्चे ही गोद लिए जाते हैं. इसे बढ़ावा देने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय बड़े सुधार करने की योजना बना रहा है. महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के अनुसार, ‘सभी अनाथालयों के पंजीकरण को अनिवार्य किया जाएगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल बनाई जाएगी.’

सुधारों का मकसद गोद लेने की प्रक्रिया की बाधाओं और भावी अभिभावकों की शंकाओं को दूर करना है. नए दिशार्निदेशों की रूपरेखा का प्रारूप तैयार किया जा रहा है. इस से गोद लेने के लिए इंतजार की अवधि महज कुछ महीने हो जाएगी. फिलहाल इस में एक साल तक का वक्त लगता है. मंत्रालय इसे किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक में विशेषतौर पर पेश करने की दिशा में काम कर रहा है.

इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी  मिलने का इंतजार है. सुधार के तहत फोस्टर केयर (पालनपोषण) व्यवस्था की एक नई शुरुआत करने का विचार है. इस के तहत 6 या 7 साल की उम्र से ज्यादा के बच्चे को लोग बिना गोद लिए अपने घर ले जा सकेंगे. मंत्रालय का कहना है, ‘‘लोग गोद लेना भले नहीं चाहते हों, लेकिन ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं कि घर में बच्चे हों और उन्हें स्कूल भेजा जाए. सरकार उन बच्चों का खर्च वहन करेगी.’’

देश में बेटों से ज्यादा बेटियां गोद ली जा रही हैं. सैंट्रल एडौप्शन रिसोर्स अथौरिटी यानी कारा की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. कारा के मुताबिक, 2014-15 में 2,300 लड़कियां गोद ली गईं. जबकि लड़कों का आंकड़ा 1,688 रहा. यानी लोगों ने बेटों के मुकाबले करीब 36 प्रतिशत ज्यादा बेटियों को चुना. और यह तब है जबकि बेटियों को गोद लेने के कानून ज्यादा सख्त हैं. मसलन, सिंगल फादर है तो बेटी नहीं मिलेगी.

गोद लेने वाले ज्यादातर लोग कहते हैं कि उम्रदराज होने पर बेटियों के साथ रहना ज्यादा सुरक्षित है. बेटे छोड़ देते हैं, पर बेटियां हमेशा साथ देती हैं.

अभिभावक बनी मां

देश में अब मां कानूनीरूप से बच्चे की अभिभावक बनने की अधिकारी हो गई है. महिलाएं अब बच्चे को गोद भी ले सकेंगी. अब तक सिर्फ पुरुषों को ही गोद लेने व संतान का अभिभावक होने का हक था. संसद ने निजी कानून (संशोधन) बिल 2010 पारित किया था. इस के तहत गार्जियंस ऐंड वार्ड्स एक्ट 1890 तथा हिंदू गोद प्रथा तथा मेंटिनैंस कानून 1956 में संशोधन किया गया है. राष्ट्रपति ने निजी कानून (संशोधन) बिल 2010 को मंजूरी दे दी. यह गजट में प्रकाशित हो चुका है.

हिंदू गोद प्रथा तथा मेंटिनैंस कानून 1956 में संशोधन किया गया. यह कानून हिंदू, जैन, बौद्ध व सिख पर प्रभावी होता है. संशोधन का मकसद विवाहित महिलाओं के लिए गोद लेने की राह से बाधाएं हटाना है.

अब तक अविवाहित, तलाकशुदा तथा विधवा महिलाओं को बच्चे को गोद लेने का हक था लेकिन जो महिलाएं अपने पति से अलग रहते हुए तलाक के लिए कानूनी लड़ाई में उलझती थीं, वे किसी बच्चे को गोद नहीं ले सकती थीं. नए संशोधन के बाद पति से अलग रह रही विवाहित महिला को भी अपने पति की रजामंदी से बच्चे को गोद लेने का हक होगा. यह इजाजत तलाक की प्रक्रिया में भी मांगी जा सकती है. यदि पति अपना धर्म बदल लेता है या विक्षिप्त घोषित कर दिया जाए, तो उस की इजाजत जरूरी नहीं होगी.

भारत में हिंदू दत्तक व भरणपोषण अधिनियम लागू किया गया है. यह हिंदुओं के अलावा जैन, सिख और बौद्ध धर्मावलंबियों पर लागू होता है. मुसलिमों में अपनी पुरानी परंपरा के अनुसार गोद लिया जा सकता है जबकि ईसाई व पारसी समुदायों में इस के लिए कोई धार्मिक कानून नहीं है, पर वे भी बच्चे गोद ले सकते हैं.

कौन गोद ले किस को

यदि कोई पुरुष किसी लड़की को गोद लेना चाहता है तो उस का उस लड़की से उम्र में 21 साल बड़ा होना आवश्यक है. इसी प्रकार यदि कोई महिला किसी लड़के को गोद लेना चाहती है तो उस का उस लड़के से 21 वर्ष बड़ा होना जरूरी है.

आप उसी बच्चे को गोद ले सकते हैं जो पहले से किसी के यहां गोद न गया हो अथवा जिस का अभी तक विवाह न हुआ हो. आमतौर पर 15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकता. हां, यदि उस समाज में ऐसी प्रथा हो तो बात अलग है.

यदि आप अनाथाश्रम के बजाय किसी अन्य माध्यम या रिश्तेदारी से बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो उस के मूल पिता की अनुमति आवश्यक है. हां, यदि पिता जीवित न हो, पागल हो या विधर्मी हो तो अकेली मां की अनुमति चल सकती है. यदि मांबाप दोनों मर गए हों या बच्चे को लावारिस हालत में छोड़ गए हों तो अदालती कार्यवाही के माध्यम से बच्चा गोद ले सकते हैं.

‘विरुष्का’ का 21 दिसंबर को दिल्ली में ग्रैंड रिसेप्शन, तो 26 को मुंबई में पार्टी

अब तक अनुष्का-विराट की शादी के केवल कयास ही लगाए जा रहे थे लेकिन सोमवार रात उन्होंने सीक्रेट शादी कर ली और फिर खुद ही सोमवार रात तबरीबन 9 बजे उन्होंने सोशल मीडिया पर न केवल शादी की पुष्टि की, बल्कि इसकी तस्वीरें भी साझा की. इसके बाद सोशल मीडिया पर इनकी वेडिंग तस्वीरों की जैसे बाढ़ सी आ गई.

विराट-अनुष्का ने तस्वीर साझा कर लिखा, “आज हमने एक दूसरे के प्यार में हमेशा के लिए खो जाने का वादा किया. हम यह खबर आपसे साझा करना चाहते हैं. दोस्तों, परिजनों और प्रशंसकों की दुआओं के कारण यह दिन और भी खास बन गया. हमारे सफर का अहम हिस्सा बने रहने के लिए धन्यवाद.”

आपको बता दें कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने सोमवार को इटली के शहर फ्लोरेंस में बौलीवुड ब्यूटी अनुष्का शर्मा के साथ सात फेरे लिए. जोड़ी परिजनों और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में विवाह बंधन में बंधी.

हमें मिली एक रिपोर्ट के मुताबिक विरुष्‍का की इटली के शहर फ्लोरेंस में शादी के बाद अब दिल्ली के ताज डिप्लोमैटिक एनक्लेव में 21 दिसंबर को रिसेप्शन की पार्टी रखी गई है. इसी के साथ ही अनुष्का के बौलीवुड के करीबी दोस्तों के लिए मुंबई में 26 दिसंबर को पार्टी की जाएगी.

शादी के बाद अनुष्का और विराट साउथ अफ्रीका रवाना हो रहे हैं जहां वो टेस्ट सीरीज का हिस्सा बनेंगे और अनुष्का उनके साथ यहां न्यू ईयर मनाएंगीं. फिर अनुष्का जनवरी के पहले हफ्ते में मुंबई लौटेंगी क्योंकि उन्हें शाहरुख खान के साथ नई फिल्म की शूटिंग शुरू करनी है. इसके बाद वो वरुण धवन के साथ ‘सुई धागा’ की शूटिंग शुरू करेंगी. इसी के साथ ही उन्हें अपने प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही फिल्म ‘परी’ जो कि 9 फरवरी को रिलीज होगी का प्रमोशन भी करना है.

‘दबंग 3’ में सलमान के साथ नजर आएंगे ये सितारे

सलमान खान की ‘दबंग’ सीरीज की तीसरी फिल्म की स्टारकास्ट फाइनल हो गई है. पिछले दिनों दबंग टूर के लिए दिल्ली आए एक्टर ने एक इंटरव्यू के दौरान फिल्म के बारे में बातचीत की. क्रिसमस पर सलमान की फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ रिलीज होने जा रही है और इसी के साथ ‘रेस 3’ की शूटिंग भी शुरू हो गई है. ‘रेस 3’ की शूटिंग के बाद ही सलमान और ‘दबंग 3’ की टीम फिल्म की शूटिंग शुरू कर देगी.

जी हां, सलमान ने एक बातचीत के दौरान कहा है कि उन्हें लगता है कि दबंग 3 पहले की दोनों फिल्मों से अधिक दमदार होगी. उन्होंने बताया है कि वह मार्च में 2018 से शूटिंग शुरू करने जा रहे हैं. फिल्म में उनके साथ सोनाक्षी सिन्हा ही लीड रोल में होंगी और फिल्म में अहम किरदार मक्खनचंद पांडे का होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि चुलबुल पांडे का किरदार मक्खनचंद के बिना अधूरा रहेगा. फिल्म में सलमान के भाई मक्खनचंद पांडेय का रोल अरबाज खान ही निभाएंगे.

अब सलमान ने यह तो स्पष्ट नहीं किया है कि इस फिल्म में वह डबल रोल में होंगे या नहीं लेकिन जैसा कि उन्होंने बताया है कि फिल्म मक्खनचंद के बिना पूरी नहीं होगी, इससे एक बात के संकेत मिल रहे हैं कि चुलबुल और मक्खनचंद दोनों का ही किरदार खास होगा.

सलमान ने अपनी बातचीत में यह भी कहा है कि उन्हें स्क्रिप्ट काफी पसंद आयी है और उन्हें ऐसा लग रहा है कि इसमें ड्रामा, इमोशन, एक्शन सबकुछ है तो फिल्म एंटरटेनिंग होगी.

सलमान खान की पिछली दोनों दबंग को उनके भाई अरबाज ने निदेर्शित किया था लेकिन इस बार दबंग का निर्देशक बदल दिया गया है. प्रभुदेवा फिल्म को डायरेक्ट करेंगे, जिन्होंने साल 2009 में सलमान खान को फिल्म वांटेड को डायरेक्ट किया था और उसी फिल्म के बाद से सलमान खान की किस्मत ने ऐसी करवट ली कि वो सफलता की सीढ़ी चढ़ते ही गए.

क्या शादी के बाद बौलीवुड में अपनी पारी की शुरुआत करेंगे विराट..?

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने बौलीवुड स्टार अनुष्का शर्मा से इटली में शादी कर ली है. उन्होंने चोरी छुपके इटली में ही शादी क्यों की इसकी वजह शायद दोनों अच्छी तरह से जानते होंगे लेकिन खबरों के मुताबिक, उन्होंने मीडिया और भारत में होने वाले शोर-शराबे से बचने के लिए इस जगह को चुना. वैसे वजह कुछ भी हो लेकिन दोनों ने सोशल मीडिया के जरिये खुद ही अपनी शादी की खुशखबरी दी.

विराट में हर वह खूबी है जो किसी हीरो में होने चाहिए. वे फिट हैं. स्मार्ट हैं. गुड लुकिंग हैं. डैशिंग और सबसे बड़ी बात भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी हैं. अब जबकि बौलीवुड अभिनेत्री उनकी जीवन साथी बन चुकी हैं, तो हर किसा के मन में यह दिलचस्प सवाल उठना लाजमी है कि हमेशा मैदान पर स्टाइलिश और एग्रेसिव दिखने वाले विराट कोहली क्या बौलीवुड में भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं?

बौलीवुड स्टार बनने की हर खूबी रखने वाले विराट आज हजारों दिलों की धड़कन बन चुके हैं. ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि क्रिकेट में करियर बनाने के बाद उनका अगला पड़ाव बौलीवुड हो सकता है. वैसे भी अब अनुष्का और विराट के फैन्स उन्हें शादी के बाद एक साथ बड़े पर्दें पर जरूर देखना चाहेंगे. कई विश्लेषक मानते हैं कि अगर विराट बतौर हीरो बौलीवुड में न भी आएं तो वे आने वाले समय में एक प्रोड्यूसर के तौर पर जरूर दिख सकते हैं. इसकी वजह भी साफ है कि अनुष्का इन दिनों एक्टिंग के साथ फिल्में भी प्रोड्यूस कर रही हैं. अब दोनों पति-पत्नी बन गए हैं तो अगर विराट कोहली प्रोडक्शन में हाथ आजमाएं तो यह ताज्जुब की बात नहीं होगी और वैसे भी करण जौहर का विराट कोहली के साथ प्रोजेक्ट करने को लेकर ही अफवाहें उड़ती रही हैं.

अगर विराट कोहली किसी भी तरह से बौलीवुड से जुड़ते हैं तो यह नई बात नहीं होगी क्योंकि क्रिकेटर्स अक्सर बौलीवुड स्टार्स को अपना जीवन साथी बनाने के बाद बौलीवुड में उनके करियर के साथ अपने करियर को निखारने का रास्ता तलाश ही लेते हैं जैसे कि लारा दत्ता से शादी के बाद टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति ने फिल्म प्रोडक्शन में हाथ आजमाया था. देखा जाएं तो विराट को बैलीवुड में करियर बनाने के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत ऊ नही होगी. तो चलिए फिर इंतजार करते हैं विराट की इस नई पारी का.

खुशखबरी : आधी होने वाली है पेट्रोल और डीजल की कीमतें

केंद्र सरकार देश में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को घटाने और पेट्रोल के दाम कम करने के लिए प्रयास कर रही है. इसके लिए सरकार जल्द ही एक नीति घोषित करेगी. पेट्रोल और डीजल की दिन पर दिन बढ़ रही कीमतों से आप परेशान हैं तो. इस बीच आपके लिए सरकार की तरफ से राहत भरी खबर आ रही है. केंद्र सरकार नई रणनीति पर काम कर रही है. सरकार की यदि यह नीति कारगर हुई तो पेट्रोल की कीमतें आधी हो सकती है.

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार जल्द ही पेट्रोल में 15 फीसदी मेथेनौल मिलाने की नीति जारी करेगी. इससे पेट्रोल को सस्ता करने और प्रदूषण घटाने में मदद मिलेगी. एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि ‘संसद के आगामी सत्र में, मैं पेट्रोल में 15 प्रतिशत मेथेनौल मिलाने की नीति की घोषणा करूंगा.’ उन्होंने कहा कि मेथेनौल कोयला से बनाया जा सकता है और इसकी लागत 22 रुपए प्रति लीटर होती है, जबकि पेट्रोल की कीमत 80 रुपए प्रति लीटर पड़ती है.

चीन इसी को 17 रुपए प्रति लीटर की लागत में निर्मित कर रहा है. गडकरी ने कहा, ‘इससे लागत कम होगी, प्रदूषण भी कम होगा.’ उन्होंने कहा कि मुंबई के आसपास लगी दीपक फर्टिलाइजर्स और राष्ट्रीय रसायन एंड फर्टिलाइजर्स जैसे कारखाने मेथेनौल का उत्पादन कर सकते हैं. उन्होंने कहा वोल्वो ने ऐसे इंजन वाली बस का निर्माण किया है जो मेथेनौल पर चल सकती है. वह मुंबई में 25 ऐसी बसों को चलाने का प्रयास भी करेगा जिसमें स्थानीय मेथेनौल का उपयोग ईंधन के तौर पर किया जाएगा.

गडकरी ने कहा कि ऐथेनौल का भी बड़े पैमाने पर उपयोग होना चाहिए. उन्होंने अपनी मंत्रिमंडलीय सहयोगी पेट्रोलियम मंत्री को सुझाव भी दिया है कि वह 70,000 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली पेट्रोल रिफाइनरी स्थापित करने के मुकाबले ऐथेनौल के उपयोग पर ध्यान दे.

हैप्पी बर्थडे रजनीकांत : कंडक्टर से सुपरस्टार बनने तक का सफर

सुपरस्टार रजनीकांत का आज अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं. सुपरस्टार रजनीकांत सिनेमा की दुनिया के जगमगाते सितारे हैं. रजनीकांत के फैंस उन्हें न सिर्फ पसंद करते हैं बल्कि उन्हें पूजते भी हैं. रजनीकांत को थलैवा के नाम से भी जाना जाता है, थलैवा का मतलब बौस, नेता इत्यादि होता है  लेकिन रजनीकांत के लिये इस शब्द का प्रयोग लोग उन्हे इज्जत देने के लिये करते है जैसे कि सर रजनीकांत. रजनीकांत आज इतने बड़े सुपरस्टार होने के बावजूद जमीन से जुड़े हुए हैं.

सुपरस्टार होने के बाद भी रजनीकांत एक आम व्यक्ति की तरह ही रहना पसंद करते हैं. उन्हें ये मुकाम ऐसे ही हासिल नहीं हुआ. साउथ के इस सुपरस्टार ने इसके लिए कड़ी मेहनत की है. रजनीकांत ने एक बढ़ई, बेंगलुरु परिवहन सेवा (बीटीएस) के एक मामूली बस कंडक्टर और कुली से सुपरस्टार बनने तक का सफर तय किया है.

रजनीकांत का जन्म बंगलुरु में 12 दिसंबर 1950 को हुआ. मां जीजाबाई और पिता रामोजी राव गायकवाड़ बचपन में उन्हें शिवाजी राव गायकवाड़ कहकर पुकारते थे. शिवाजी के पिता पेशे से एक हवलदार थे. वहीं 4 साल की उम्र में ही शिवाजी ने अपनी मां को खो दिया था. अपने भाई बहनों में रजनीकांत की सबसे छोटे थे. इस दौरान घर की माली हालत भी कुछ ठीक नहीं थी. परिवार में सबसे छोटे होने के बाद भी उन्होंने इस बारे में सोचा. इस दौरान उन्होंने कुली बन कर लोगों का सामान उठाने का काम भी किया.

रजनीकांत ने अपने करियर की शुरुआत पौराणिक कन्नड़ नाटकों से की थी. इस दौरान वह दुर्योधन बने थे. वहीं उनके जिगरी दोस्त राज बहादुर हमेशा उनके साथ रहते थे. वह अक्सर उन्हें इस क्षेत्र में बेहतर करने के लिए बढ़ावा देते रहते थे. इसके लिए उन्होंने रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए कहा.

इस दौरान कन्नड़ नाटक करते हुए उन्हें डायरेक्टर के. बालचंदर ने नोटिस किया. प्ले खत्म होने के बाद जाते-जाते डायरेक्टर ने उनसे कहा कि, ‘तमिल सीखो’. और फिर क्या था सुपरस्टार रजनीकांत ने तमिल भी सीखा, उसके बाद डायरेक्टर के. बालचंदर के फिल्मों में उन्होंने कई निगेटिव रोल किये, निगेटिव रोल करने के बाद उन्हें एसपी मुथुरमन का पौजीटिव रोल प्ले करने का पहला मौका मिला.

मुंदरू मुगम में रजनीकांत ने ट्रिपल रोल प्ले किया था. इसके लिए उन्हें तमिलनाडू सरकार से बेस्ट एक्टर का अवौर्ड भी मिला था. रजनीकांत ने बौलीवुड में फिल्म ‘अंधा कानून’ से डेब्यू किया. वहीं रजनीकांत साल 1988 में एक अंग्रेजी फिल्म में भी नजर आए- ‘एडवेंचर ब्लडस्टोन’. सुपरस्टार रजनी ने तमिल, हिंदी, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगू के अलावा बंगाली फिल्म ‘भाग्य देवता’ में भी काम किया. रजनीकांत अक्सर अपनी फिल्मों के रिलीज होने के बाद हिमालय की वादियों में जाना पसंद करते हैं.

वहीं दूसरी और उनके जन्मदिन के अवसर पर रजनीकांत की अपकमिंग फिल्म ‘काला’ का दूसरा पोस्टर भी रिलीज कर दिया गया है. इस फिल्म के प्रोड्यूसर धनुष ने ‘काला’ के पोस्टर का पहला लुक रिलीज किया था. यह फिल्म अगले साल रिलीज होने वाली है. जारी किए गए फिल्म के दूसरे लुक में रजनीकांत एग्रेसिव एक्सप्रेशन बनाए हुए हैं. रजनीकांत ने काला चश्मा और काली शर्ट पहनी है, जिसमें वह बहुत हैंडसम लग रहे हैं. वहीं नीचे पोस्टर पर लाल रंग से लिखा गया है, ‘काला’.

बता दें, जल्द ही सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म 2.0 भी आने वाली है. रजनीकांत के अलावा फिल्म में अक्षय कुमार और एमी जैक्सन भी हैं. इस फिल्म का दर्शकों को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार है. फिल्म की दो बार रिलीज डेट सामने आ चुकी है. जिसने दर्शकों को काफी उत्साहित किया था लेकिन उनकी यह खुशी थोड़े से ही समय के लिए रही क्योंकि दोनों बार रिलीज डेट आगे खिसका ली गई. अब फिल्म की तीसरी रिलीज डेट सामने आई है जो 27 अप्रैल है. रिलीज डेट खिसकाने की वजह है एक अमेरिकी कंपनी जिसे कि फिल्म के वीएफएक्स का काम दिया गया था.

कंपनी ने अभी तक इसका काम पूरा नहीं किया है इसी वजह से फिल्म रिलीज नहीं हो पा रही है. 2.0 से जुड़े एक सूत्र ने बताया- वीएफएक्स की डिलिवरी अभी तक अमेरिकन कंपनी ने नहीं दी है, जिसे की पूरी फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स का काम करने का जिम्मा दिया गया था. इसी वजह से हमें फिल्म में से 1000 शौट्स निकालकर उन्हें 10 विभिन्न वीएफएक्स कंपनियों को 100 शौट्स भेजने पड़े हैं.

उन्होंने हमसे 90 प्रतिशत राशि एडवांस के तौर पर ले ली थी और डेडलाइन पर काम पूरा करके नहीं दिया. मैं आपको बताता हूं कि उन्होंने हमें धोखा दिया है और अब हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के बारे में प्लानिंग कर रहे हैं.

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