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एक ही ब्राउजर में दो जीमेल या फेसबुक चलाने का ये है आसान तरीका

हम अपने कंप्यूटर में जब एक टैब में जीमेल खोल लेते हैं और अगर दूसरे टैब में दूसरा जीमेल अकाउंट खोलना चाहते हैं तो नहीं खुल पाता है. जैसे ही खोलने की कोशिश करते हैं तो अपने आप वही अकाउंट खुल जाता है जो पहले से चल रहा होता है. तो आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि कैसे आप गूगल क्रोम, मोजिल्ला फायरफोक्स और इंटरनेट एक्सप्लोरर ब्राउजर में एक साथ 2 जीमेल, 2 फेसबुक या फिर दूसरे अकाउंट्स खोल सकते हैं.

गूगल क्रोम

  • सबसे पहले अपने कंप्यूटर में गूगल क्रोम ओपन करें और इसके मेन्यू बार को ओपन करें.
  • इसके बाद इसमें ऊपर सर्च बार के दांयी ओर दिए गए तीन डौट्स पर क्लिक करें. इसके बाद न्यू इनकोनिटो विंडो पर क्लिक करें. इस विंडो को Ctrl+Shift+N से भी ओपन कर सकते हैं. ऐसा करने के बाद आपकी विंडो पर एक निजी ब्राउजर की विंडो ओपन होगी.
  • इसके बाद इस टैब में आप अपनी किसी भी जीमेल आईडी को लौगिन कर सकते हैं. जीमेल के अलावा इसमें निजी ब्राउजिंग भी की कर सकते हैं.

मोजिल्ला फायरफोक्स

  • अगर आप मोजिला फायरफौक्स ब्राउजर का प्रयोग करते हैं तो इसमें भी आप दो से ज्यादा जीमेल अकाउंट चला सकते हैं. मोजिला फायरफौक्स में Private Window ओपन करने के लिए उसके मेन्यू पर क्लिक करें. इसके बाद न्यू प्राइवेट विंडो पर क्लिक कर दें.
  • इसके बाद क्रोम की तरह प्राइवेट विंडो ओपन होगी. इस विंडो को आप Ctrl+Shift+P से भी ओपन कर सकते हैं.
  • इस नए टैब में आप पुरानी जीमेल को लौगआउट किए बिना दूसरा अकाउंट लौगिन कर सकते हैं.

इंटरनेट एक्सप्लोरर

  • इंटरनेट एक्सप्लोरर में भी आप निजी ब्राउजिंग कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले इंटरनेट एक्सप्लोरर ब्राउजर ओपन करके इसकी सेटिंग में जाएं.
  • इसके बाद इसमें दिखने वाले सेफ्टी औप्शन पर क्लिक करें.
  • यहां पर इनप्राइवेट ब्राउजिंग का औप्शन मिलेगा जिस पर क्लिक कर आप अपना दूसरा जीमेल अकाउंट ओपन कर सकते हैं.

सिर्फ एक कान से सुन पाता है टीम इंडिया का यह खिलाड़ी

श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज से टीम इंडिया में जगह पाने वाले वौशिंगटन सुंदर आईपीएल में तो अपनी छाप छोड़ ही चुके हैं लेकिन अब ये खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय मैचों में भी अपना जौहर दिखाने को बेताब है लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि सुंदर सिर्फ एक ही कान से सुन सकते हैं. ये बात जानकर आपको हैरानी जरूर होगी लेकिन सुंदर को ये परेशानी बचपन से ही है.

बीते सीजन वौशिंगटन सुंदर को आईपीएल में राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स की ओर से खेलने का मौका मिला था. बाएं हाथ से बल्लेबाजी और दाहिने हाथ से गेंदबाजी करने वाला ये क्रिकेटर जब महज 4 साल का था तो परिवार को उनकी परेशानी का पता चला, सुंदर की मां सुंदर कई डौक्टरों के पास ले गई. कई अस्पतालों में इलाज हुआ लेकिन बाद में मालूम चला कि ये रोग असाध्य है.

हालांकि सुंदर को भी इसके चलते परेशानी का सामना करना पड़ता था लेकिन उन्होंने कभी अपनी इस कमजोरी को परिस्थितियों पर हावी नहीं होने दिया. वौशिंगटन सुंदर ने क्रिकेट पर फोकस करना शुरू किया और 2016 में तमिलनाडु रणजी टीम में जगह बना ली. यहां से सुंदर को एक बेहतरीन प्लेटफौर्म मिल चुका था. महज एक साल बाद ही आईपीएल में भी सेलेक्शन हो गया.

सुंदर कहते हैं, ‘उन्हें मालूम है कि फील्डिंग के दौरान साथी खिलाड़ियों को उनसे कौर्डिनेट करने में दिक्कत होती है लेकिन मेरे साथियों ने कभी इसके चलते मुझसे शिकायत नहीं की है. वो मुझे मेरी कमजोरी को लेकर कभी कुछ नहीं कहते.’

बता दें कि श्रीलंका के खिलाफ 10 दिसंबर से शुरू हुई तीन वनडे मैचों की सीरीज में चोटिल केदार जाधव के स्थान पर औफ स्पिनर वौशिंगटन सुंदर को भारतीय टीम में जगह मिली है. जाधव को सीरीज शुरू होने से पहले बाएं पैर में मांसपेशियों की समस्या हो गई थी. जाधव इस समय बीसीसीआई की मेडिकल टीम की निगरानी में हैं.

वीडियो : विराट ने अनुष्का के लिए गाया यह खूबसूरत गाना

मीडिया से दूर एक बेहद निजी कार्यक्रम में अपनी शादी रचाने वाले टीम इंडिया के कैप्टन विराट कोहली और फिल्म अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने जब से अपनी शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की है तब से उनके पास बधाइयों का ताता लगा हुआ है.

फैंस से लेकर स्टार तक इस जोड़ी को आने वाली जिंदगी के लिए शुभकामनाएं दे रहे हैं. शादी के बाद उनका रिसेप्शन कार्ड भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है. 21 दिसंबर को दिल्ली में और 26 दिसंबर को क्रिकेटर्स और बौलीवुड स्टार्स के लिए अलग से मुंबई में शानदार रिसेप्शन का आयोजन किया जाएगा.

अब इन सब के बीच एक विडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

ये वीडियो उनकी शादी से पहले के संगीत कार्यक्रम का है जिसमे विराट अनुष्का के लिए किशोर कुमार का गाया सुपरहिट गाना ‘मेरे महबूब कयामत होगी…’ गाते नजर आ रहे हैं. इस गाने के खत्म होने के बाद अनुष्का के चेहरे पर इन दोनों के प्यारें रिश्तों को बयां करती हुई एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है.

टि्वटर पर 45 सेकंड का यह विडियो खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि विराट संगीत कार्यक्रम में अपने रिलेटिव्स के बीच बैठे हैं और फिल्म ‘मिस्टर एक्स इन बाम्बे’ का यह मधुर गीत सुना रहे हैं. विराट की इस सोलो परफार्मेंस का इस कार्यक्रम में मौजूद लोग खूब लुत्फ उठा रहे हैं और विराट के गीत पूरा करते ही यहां उन्हें चीयर करते नजर आ रहे हैं.

बता दें कि विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलकर बीसीसीआई से वनडे और टी20 सीरीज में आराम मांगा था. इसके बाद उन्होंने इटली में जाकर 11 दिसंबर को अपनी प्रेमिका और मशहूर फिल्म अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ शादी रचा ली. शादी के बाद जहां विराट साउथ अफ्रीका के खिलाफ अगले महीने से होने वाली सीरीज की तैयारी करेंगे. तो वहीं अनुष्का भी उनके साथ ही शादी के बाद का अपना पहला न्यू ईयर सेलिब्रेट करेंगी.

बता दें कि भारत और श्रीलंका के बीच इस समय वनडे मैचों का सीरीज खेला जा रहा है जिसमें विराट टीम का हिस्सा नहीं है. ऐसे में पहली मैच में भारतीय टीम को मिली हार से लोग लगातार रोहित शर्मा की कप्तानी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. ऐसे में देखाना दिलचस्प होगा कि रोहित इस सीरीज में किस तरह से वापसी करते हैं.

‘टाइगर जिंदा है’ में सलमान ने किया कुछ ऐसा, जो अब तक किसी फिल्म में नहीं हुआ

बौलीवुड स्टार सलमान खान जल्द ही ‘टाइगर जिंदा है’ में नजर आने वाले हैं. इस फिल्म का सलमान खान के फैंस को बेसब्री से इंतजार है. इस फिल्म में सलमान खतरनाक स्टंट्स करते नजर आएंगे. तो वहीं वह बर्फीले इलाके में खतरनाक जंगली भेड़िये से भिड़ते हुए भी दिखाई देंगे. जी हां, हाल ही में इस फिल्म के सेट से सलमान की एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है. इस तस्वीर में सलमान का सामना एक भेड़िये से होता दिखाई दे रहा है.

अब्बास अली जफर की फिल्म के कुछ सीन हौलीवुड एक्शन डायरेक्टर टौम स्ट्रूथर्स ने कोरियोग्राफ किए हैं. फिल्म से जुड़े एक सूत्र ने बताया, सलमान इस बार एक नए लेवल पर पर जा कर शूट कर चुके हैं. सलमान ने इस दौरान भेड़ियों से भिड़ते हुए एक सीक्वेंस किया है. फिल्म में जो सीन दर्शाया जाएगा वह लोगों ने पहले कहीं नहीं देखा होगा.’ सूत्र के मुताबिक, ‘ये सीन औस्ट्रिया के बर्फीले इलाके में शूट किया गया है.’

Avusturya’dan bir kare Tiger kurda karşı #salmankhan #tigerzindahai #salmankhanworld

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इस सीन को करने में इंटरनेशनल क्रू की मदद ली गई. यह एक बहुत ही खतरनाक सीन है. अली के अनुसार, ‘यह सीन फिल्म का जरूरी भाग है. इस सीन फिल्माने का मकसद था कि कुछ ऐसा किया जाए जो पहले इंडियन स्क्रीन पर कभी देखा नहीं गया हो. यह बहुत ही ड्रमैटिक एक्श न सीक्वेंस है.’

इस फोटो में सलमान बहुत ही स्मार्ट दिखाई दे रहे हैं, उनके हाथो में कुल्हाडी और सामने एक लकड़ी का बड़ा सा टुकड़ा. सलमान उस लकड़ी के टुकड़े की तरफ बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन लकड़ी के टुकड़े के ऊपर से एक भेड़िया सलमान की तरफ कूद कर आता दिख रहा है जिसका मुकाबला करने के लिये सलमान तैयार हैं.

वहीं कुछ दिन पहले ‘टाइगर जिंदा है’ के सेट से एक और तस्वीर वायरल हुई थी, वो एक पेंटिंग की तस्वीर थी और वो पेंटिंग कैटरीना कैफ की थी जिसे सलमान खान ने खुद अपने हाथों से बनाया था. इस पेंटिंग की खास बात यह थी की इस पेंटिंग को सलमान ने पहाड़ों के ऊपर ढ़के बर्फ पर बनाया था, कैटरीना की यह तस्वीर बेहद खूबसूरत थी.

यह फिल्म सिनेमाघरों  में 22 दिसंबर को रिलीज होने वाली है, जिसको लेकर ‘टाइगर जिंदा है’ कि पूरी टीम इस फिल्म के प्रमोशन में जुट गई है.

शादी होते ही विराट ने तोड़ा सचिन का ये खास रिकार्ड

भारतीय खिलाड़ी विराट कोहली इन दिनों जबर्दस्त फौर्म में चल रहे हैं. वे मैदान के अंदर हो या बाहर लगातार कीर्तिमान बनाते रहते हैं. 11 दिसंबर को भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और बौलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा हमेशा के लिए एक दूसरे के हो गए. दोनों का इस तरह गुपचुप तरीके से शादी करना सभी लोगों के लिए काफी चौंकाने वाली खबर थी. शादी होते ही विराट ने सचिन तेंडुलकर का एक खास रिकार्ड ध्वस्त कर दिया.

अब आप ये सोच रहे होंगे कि जब विराट मैदान में नहीं हैं तो उन्होंने सचिन का रिकार्ड कैसे तोड़ा. हम आपकी इस जिज्ञासा को शांत करते हैं. दरअसल विराट ने इस बार सचिन का क्रिकेट मैदान के अंदर नहीं, वरन बाहर का रिकार्ड तोड़ा है.

हम बात कर रहे हैं सोशल मीडिया पर ट्‍वीट के लाइक्स और रिट्‍वीट करने का. विराट और अनुष्का की शादी की फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं. विराट ने जैसे ही भारतीय समयानुसार 11 दसंबर की रात 8.51 बजे ट्‍वीट कर अनुष्का के साथ शादी की खबर दी वैसे ही उसे 24 घंटों के अंदर ही लगभग 80 हजार बार रिट्वीट किया जा चुका है. यह किसी खिलाड़ी के ट्‍वीट को लाइक्स मिलने और रिट्‍वीट करने के मामले में रिकार्ड है.

इससे पहले किसी क्रिकेटर के ट्‍वीट को सबसे ज्यादा लाइक्स मिलने और रिट्‍वीट किए जाने का रिकार्ड सचिन तेंदुलकर ने नाम दर्ज है. सचिन ने 13 नवंबर 2013 को क्रिकेट से संन्यास लिया था और #ThankYouSachin मैसेज ट्‍वीट किया था. उन्होंने अपने फैंस का समर्थन के लिए शुक्रिया अदा किया था. उनके इस ट्‍वीट को करीब 1000 लाइक्स मिले थे और इसे 16500 से ज्यादा बार रिट्‍वीट किया गया था.

दिल से दिल को

तेरे खयालों की जुस्तजू में

रात सारी गई ताकते

सिरहाने की सिलवटें

तेरे दीदार की आरजू में

रात सारी गई सुनते

कदमों की आहटें

उदास शामों की

तनहा तनहाइयों की

गहराती परछाइयों में

खोजते रहे अक्स तेरा

दीवानावार हो कर

बदहवास आंखों के

भीने से कोरों से

बहते अश्कों ने

हौले से पुकारा

कहां हो, चले आओ

अब बेसब्र सी यादों के

पहलू के दरमियां

करनी है कुछ गुफ्तगू

दिल से दिल को

कुछ कहने व सुनने के

दौर पर दौर चले तो

गुम होगी तनहाइयां

संग होंगी परछाइयां

बजने लगेंगी जैसे

जोरों की शहनाइयां.

      – लीना खत्री

प्यार की दीवानगी : एकतरफा प्यार में प्रेमिका के पति को मारने की कोशिश

रोहिणी के सैक्टर-5 में रहने वाले पीयूष मलिक रोजाना की तरह 4 फरवरी, 2017 को भी शाम का खाना खा कर सड़क पर टहल रहे थे. उस दिन उन के साथ उन का एक दोस्त भी था. दोनों लोग बातें करते हुए मेनरोड पर टहल रहे थे. उसी समय किसी ने उन पर गोली चलाई, जो उन के पैरों के पास से निकल कर सड़क पर जा लगी.

पीयूष और उन के दोस्त ने तुरंत पीछे पलट कर देखा तो एक युवक काले रंग की मोटरसाइकिल से तेजी से उन के बगल से निकल गया. वह इतनी तेजी से निकला कि वह उसे पहचान नहीं सके. इस के बाद वह तुरंत घर आए और यह बात अपने घर वालों को बताई.

पीयूष के पिता गुलशन मलिक परेशान हो गए कि रात को उन के बेटे पर हमला किस ने किया? उन की तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. पीयूष प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते थे. उन्होंने सोचा कि कहीं उस की किसी से कोई कहासुनी तो नहीं हो गई.

इस बारे में उन्होंने पीयूष से पूछा तो उन्होंने ऐसी किसी बात से मना कर दिया. गुलशन मलिक मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले थे. वहां उन की अच्छीखासी जमीनजायदाद है. नारनौल में एक पैट्रोल पंप भी है. कहीं हरियाणा के ही किसी व्यक्ति ने तो यह हमला नहीं किया. इस बारे में वह गंभीरता से सोचने लगे.

पीयूष की पत्नी इरा मलिक और मां तो बहुत ज्यादा घबरा गईं. इरा की 2 महीने पहले ही पीयूष से शादी हुई थी. गुलशन मलिक बेटे को ले कर थाना विजय विहार पहुंचे, थानाप्रभारी अभिनेंद्र जैन को पीयूष ने अपने साथ घटी घटना के बारे में बताया. अभिनेंद्र जैन ने भी उन से यही पूछा कि उन की किसी से दुश्मनी तो नहीं है.

मलिक परिवार शरीफ और शांतिप्रिय था, इसलिए उन की किसी से कोई दुश्मनी का सवाल ही नहीं था. पुलिस ने एक बार यह भी सोचा कि कहीं हमलावर का निशाना पीयूष का वह दोस्त तो नहीं था, जो साथ में टहल रहा था. हमलावर से हड़बड़ाहट में गोली पीयूष की तरफ चल गई हो. इसलिए पुलिस ने पीयूष के दोस्त से भी पूछताछ की. उस ने भी किसी से दुश्मनी होने की बात से इनकार कर दिया.

पुलिस से शिकायत कर के गुलशन मलिक घर लौट आए. घर आ कर सभी हमलावर के बारे में कयास लगाने लगे. उधर पुलिस ने मामला दर्ज तो नहीं किया था, पर थानाप्रभारी के निर्देश पर एसआई पवन कुमार मलिक मामले की जांच में जुट गए थे. इस घटना के बाद पीयूष सतर्क हो गए थे. अब रात को उन्होंने मेनरोड पर घूमना बंद कर दिया था. कुछ दिनों की सतर्कता के बाद वह सामान्य तरीके से रहने लगे.

पीयूष की पत्नी इरा मलिक नोएडा की एक निजी कंपनी में नौकरी करती थीं. वह मैट्रो से नोएडा आतीजाती थीं. सुबह पीयूष अपनी कार या स्कूटी से उन्हें रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन पर छोड़ आते थे और जब वह ड्यूटी पूरी कर के लौटती थीं तो पति को फोन कर देती थीं. तब पीयूष उन्हें लेने मैट्रो स्टेशन पहुंच जाते थे.

20 अप्रैल, 2017 को भी पत्नी के फोन करने पर पीयूष रात 8 बजे के करीब उन्हें लेने स्कूटी से रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन पर गए. उन के घर से मैट्रो स्टेशन यही कोई एक, डेढ़ किलोमीटर दूर था, इसलिए वहां आनेजाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता था. पीयूष को इरा मैट्रो स्टेशन के गेट के बाहर तय जगह पर खड़ी मिल गईं.

सैक्टर-5, 6 के डिवाइडर के पास स्थित जूस की दुकान के पास उन्होंने स्कूटी रोक दी. वह वहां रोजाना जूस पीते थे. जूस पी कर दोनों स्कूटी से घर के लिए चल पड़े. स्कूटी इरा चला रही थी और पीयूष पीछे बैठे थे. जैसे ही पीयूष अपने घर के पास वाली गली के चौराहे के नजदीक पहुंचे, पीयूष को अपने दाहिने कंधे पर पीछे की ओर कोई चीज चुभती महसूस हुई. इस के तुरंत बाद बम फटने जैसी आवाज हुई. इस के बाद उन के पास से एक मोटरसाइकिल सवार तेजी से गुजरा. उस की मोटरसाइकिल काले रंग की थी.

पीयूष को जिस जगह चुभन महसूस हुई थी, वहां अब दर्द होने लगा था. उन्होंने उस जगह हाथ रखा तो वहां से खून बह रहा था. खून देख कर वह घबरा गए. इरा ने उन का कंधा देखा तो रो पड़ीं, क्योंकि वहां गोली लगी थी. इरा के रोने की आवाज सुन कर उधर से गुजरने वाले लोग रुक गए. उन में से कुछ पीयूष को जानते थे. उसी बीच किसी ने पीयूष के घर जा कर इस बात की सूचना दे दी. पिता गुलशन मलिक जल्दी से मौके पर पहुंचे और बेटे को नजदीक के डा. अंबेडकर अस्पताल ले गए.

मौके पर मौजूद किसी व्यक्ति ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के पीयूष को गोली मारने की सूचना दे दी थी. सूचना मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम की गाड़ी मौके पर पहुंच गई. चूंकि वह इलाका रोहिणी के थाना विजय विहार के अंतर्गत आता था, इसलिए थानाप्रभारी अभिनेंद्र जैन एसआई पवन कुमार मलिक के साथ मौके पर पहुंच गए.

वहां पहुंचने पर पता चला कि जिस युवक को गोली लगी थी, उसे डा. अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया था. वह डा. अंबेडकर अस्पताल पहुंचे तो वहां के डाक्टरों ने बताया कि पीयूष मलिक नाम के जिस युवक के कंधे में गोली लगी थी, उस के घर वाले उसे सरोज अस्पताल ले गए हैं.

थानाप्रभारी ने जब अस्पताल में भरती पीयूष को देखा तो वह चौंके, क्योंकि यह वही पीयूष था, जिस पर किसी ने 4 फरवरी, 2017 को गोली चलाई थी. इलाज कर रहे डाक्टरों से बात कर के एसआई पवन कुमार मलिक ने पीयूष का बयान लिया. पीयूष ने पुलिस को जो बताया, उस से यही लगा कि कोई व्यक्ति है, जो उन्हें जान से मारने पर तुला है.

पुलिस ने पीयूष की तहरीर पर अज्ञात हमलावर के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया. रोहिणी जिले के डीसीपी के निर्देश पर थानाप्रभारी अभिनेंद्र जैन के नेतृत्व में एक पुलिस टीम इस केस के खुलासे के लिए लग गई. टीम में एसआई पवन कुमार मलिक, विजय कुमार, ट्रेनी एसआई अनुज कुमार, हैडकांस्टेबल जितेंद्र, कांस्टेबल सूबाराम आदि शामिल थे.

पुलिस ने सरोज अस्पताल पहुंच कर पीयूष से बात की. पीयूष प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते थे. कहीं ऐसा तो नहीं था कि पीयूष ने किसी विवादित प्रौपर्टी का सौदा किया हो? बातचीत में उन्होंने पुलिस को बताया कि वह विवादित प्रौपर्टी पर हाथ ही नहीं डालते. उन का किसी से कभी कोई झगड़ा भी नहीं हुआ.

पुलिस के लिए यह मामला एकदम ब्लाइंड था. कोई भी ऐसा क्लू नहीं मिल रहा था, जिस से केस की जांच शुरू की जा सके. पुलिस ने इस मामले पर गौर किया तो पता चला कि पीयूष पर की गई दोनों ही वारदातों में काले रंग की मोटरसाइकिल पर सवार युवक उन के सामने से निकला था. पर उस मोटरसाइकिल का नंबर पुलिस के पास नहीं था, जिस से उस की जांच की जा सकती.

अस्पताल से डिस्चार्ज हो कर पीयूष घर आ गए तो पुलिस ने उन्हें थोड़ा सतर्क रहने को कहा. वारदात के एक महीने बाद 4 मई की शाम को इरा की ससुराल के पास एक शख्स काले रंग की मोटरसाइकिल से आया और एक पत्र फेंक कर चला गया.

इरा ने जब वह पत्र पढ़ा तो पता चला वह किसी युवती की ओर से लिखा गया था. उस ने लिखा था कि पीयूष उस का प्रेमी है. उस ने किसी दूसरी लड़की से शादी कर के उस के साथ धोखा किया है. गुलशन मलिक ने उस पत्र की जानकारी पुलिस को दी. उस पत्र से यही लगा कि यह मामला प्रेमप्रसंग का है, पर जब इस बारे में पीयूष से बात की गई तो उन्होंने ऐसी किसी बात से इनकार कर दिया.

6 मई की शाम को काले रंग की मोटरसाइकिल से एक युवक पीयूष के घर के सामने वाली सड़क पर घूम रहा था. इत्तफाक से उस समय पीयूष के पिता गुलशन मलिक घर के सामने खड़े थे. चूंकि काले रंग की मोटरसाइकिल शक के दायरे में आ चुकी थी, इसलिए उन्होंने उस मोटरसाइकिल को रुकवा लिया.

उन्होंने उस का नंबर नोट कर के उस युवक से नातपता पूछा तो उस ने बताया कि उस का नाम विक्की है और वह बुद्धविहार में रहता है. उन्होंने उस का फोन नंबर पूछा तो उस ने अपना फोन नंबर भी बता दिया. उसी समय उन्होंने अपने फोन से उस का नंबर मिलाया तो उस के फोन की घंटी बज उठी. उन्हें लगा कि यह युवक गलत नहीं है. अगर यह गलत होता तो अपना फोन नंबर सही न बताता.

पीयूष के साथ घटी घटना को एक महीने से ज्यादा हो चुका था, पर काफी भागदौड़ के बावजूद पुलिस को हमलावर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी. गुलशन मलिक बारबार थाने के चक्कर लगा रहे थे. एक दिन वह एसआई पवन कुमार मलिक से बात कर रहे थे, तभी उन्हें बुद्धविहार के रहने वाले विक्की के बारे में याद आ गई.

काले रंग की मोटरसाइकिल के बारे में सुन कर एसआई पवन कुमार मलिक चौंके. क्योंकि घटना के समय काले रंग की ही मोटरसाइकिल नजर आई थी. विक्की नाम के उस युवक का फोन नंबर पवन कुमार मलिक ने अपने फोन के ट्रूकालर में डाल कर चैक किया तो उस में नाम विवेक अग्रवाल आया. उन्होंने उस का नंबर मिलाया तो वह बंद मिला. नंबर बंद मिलने पर उन्हें शक हुआ. विक्की को बुद्धविहार में बिना पते के ढूंढना आसान नहीं था.

इस के बाद पवन कुमार मलिक मोटरसाइकिल के नंबर डीएल4एस एनडी 1560 के आधार पर जांच में जुट गए. उन्होंने मोटरसाइकिल के उक्त नंबर की जांच कराई तो वह पश्चिमी दिल्ली के कीर्तिनगर के रहने वाले बबलू के नाम रजिस्टर्ड थी. पुलिस उस पते पर पहुंची तो वहां कोई और ही मिला. आसपास के लोगों ने बताया कि बबलू और उस का परिवार पहले यहीं रहता था. 2 साल पहले वह यहां से कहीं और चला गया है. पुलिस कीर्तिनगर से बैरंग लौट आई.

इस के बाद पुलिस की जांच एक बार फिर ठहर गई. ट्रूकालर में जो विवेक अग्रवाल का नाम आया था, उस के बारे में पीयूष से बात की गई तो उस ने साफ मना कर दिया कि वह किसी विवेक अग्रवाल को नहीं जानता.

एक दिन गुलशन मलिक के घर में विवेक अग्रवाल के बारे में बात चल रही थी, तभी पीयूष की पत्नी इरा कुछ सोचते हुए बोली, ‘‘कहीं यह विवेक अग्रवाल वही तो नहीं, जो मुझे फोन पर तंग करता था?’’

इरा के मुंह से यह सुन कर घर के सभी लोग उस की तरफ देखने लगे. पीयूष ने कहा, ‘‘तुम ने इस बारे में कभी बताया नहीं.’’

‘‘आप को बताने की जरूरत ही नहीं पड़ी, मैं ने फोन पर ही उसे ठीक कर दिया था. अब फोन में देखती हूं कि यह वही है या कोई और.’’ कह कर इरा अपने फोन के वाट्सऐप मैसेज देखने लगी. वाट्सऐप मैसेज भेजने वाले उस नंबर को इरा ने ब्लौक कर दिया था. जब उस ने उस नंबर को अनब्लौक कर पूर्व में भेजे गए मैसेज देखे तो एक मैसेज में उस युवक का नाम मिल गया. उस का नाम विवेक अग्रवाल ही था.

पीयूष पत्नी के साथ पवन कुमार मलिक के पास पहुंचे. इरा ने पूरी बात पवन कुमार मलिक को बता दी. इस के बाद उस के नंबर पर भेजे गए वाट्सऐप मैसेज पढ़ कर पवन कुमार मलिक को पीयूष पर वारदात करने की वजह समझ में आने लगी.

उन्होंने विवेक अग्रवाल के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. वह अकसर जिन नंबरों पर बात करता था, वे उस के परिजनों और दोस्तों के निकले. पहले दोस्तों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया. दोस्तों से पुलिस को विवेक के घर का पता मिल गया. पुलिस जब उस के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला.

पुलिस विवेक के पिता जगदीश प्रसाद को थाने ले आई. विवेक घर से फरार जरूर था, पर उसे यह जानकारी मिल गई कि पुलिस उस के पिता को थाने ले गई है. यह खबर मिलते ही वह घर लौट आया और आत्महत्या करने के लिए ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियां खा लीं. कुछ ही देर में जब विवेक की हालत बिगड़ने लगी तो उसे डा. अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया. यह 8 मई, 2017 की बात है.

पुलिस को यह जानकारी मिली तो पवन कुमार मलिक हैडकांस्टेबल जितेंद्र के साथ डा. अंबेडकर अस्पताल पहुंचे. वहां डाक्टर विवेक का इलाज कर रहे थे. इलाज होने तक पुलिस विवेक की निगरानी करती रही. 11 मई को विवेक जैसे ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ, थाना विजय विहार पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई.

थाने में विवेक से पीयूष पर की गई फायरिंग के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने उस पर 2 बार जानलेवा हमला किया था. उस ने उस पर हमले की जो वजह बताई, वह एकतरफा प्यार की चाशनी में सराबोर थी—

वेक अग्रवाल पश्चिमी दिल्ली के मानसरोवर गार्डन में रहने वाले जगदीश प्रसाद का बेटा था. विवेक नजदीक ही रमेशनगर में ओम साईं प्रौपर्टी के नाम से अपना धंधा करता था. उस का काम ठीकठाक चल रहा था, इसलिए वह खूब बनठन कर रहता था. उस के प्रौपर्टी डीलिंग के औफिस से कुछ ही दूरी पर कीर्तिनगर में डब्ल्यूएचएस (वेयरहाउस स्कीम) का औफिस था. यह कंपनी विभिन्न हाउसिंग डेवलपमेंट द्वारा बनवाए गए फ्लैटों की मार्केटिंग करती थी.

चूंकि विवेक का काम प्रौपर्टी डीलिंग का था, इसलिए वह भी इस औफिस में आताजाता रहता था. उसी औफिस में एक लड़की को देख कर उस का दिल बेकाबू हो उठा. बेहद खूबसूरत उस लड़की को देख कर अविवाहित विवेक पर ऐसा असर हुआ कि वह किसी न किसी बहाने उस के औफिस के चक्कर लगाने लगा.

उस के लिए उस के दिल में चाहत पैदा हो गई. अपने स्तर से उस ने उस लड़की के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि उस का नाम इरा है और वह रोहिणी सेक्टर-1 में रहती है. इतना ही नहीं, उस ने किसी तरह उस का मोबाइल नंबर भी हासिल कर लिया.

इस के बाद विवेक ने इरा का पीछा करना शुरू किया. इरा को इस बात का अहसास भी नहीं हुआ कि कोई उसे चाहने लगा है. उसे देख लेने भर से विवेक को मानसिक संतुष्टि मिल जाती थी. यह बात सन 2014 की है.

कुछ दिनों बाद इरा का औफिस कीर्तिनगर से नोएडा शिफ्ट हो गया तो उसे भी नौकरी के लिए रोहिणी से नोएडा जाना पड़ा. विवेक को पता चला कि इरा मैट्रो द्वारा रोहिणी वेस्ट स्टेशन से नोएडा जाती है. तब वह सुबह उस के घर से रोहिणी मैट्रो तक उस का पीछा करता. उसी दौरान उस ने इरा को वाट्सऐप पर मैसेज भेजने शुरू कर दिए. इरा ने उस के मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि उस का नंबर ब्लौक कर दिया.

विवेक तो इरा का जैसे दीवाना हो चुका था. उस ने किसी तरह उस के औफिस का फोन नंबर हासिल कर लिया. वह उस के औफिस फोन करने लगा. इरा ने उसे लताड़ा ही नहीं, बल्कि पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी तो उस ने उस के औफिस के लैंडलाइन पर फोन करना बंद कर दिया.

विवेक को लगा कि उस की दाल गलने वाली नहीं है तो उस ने किसी तरह खुद को कंट्रोल किया और इरा की तरफ से अपना ध्यान हटाने की कोशिश की. उस के दिल में इरा बसी हुई थी, पर उस की धमकी की वजह से वह उसे फोन करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था.

सन 2015 की बात है. एक दिन विवेक मोतीनगर मैट्रो स्टेशन के बाहर खड़ा था, तभी उस की नजर कार से उतर रही इरा पर पड़ी. कार कोई अधेड़ उम्र का व्यक्ति चला रहा था. शायद वह उस का पिता था. चूंकि इरा उसे पहचानती नहीं थी, इसलिए वह इरा को तब तक देखता रहा, जब तक वह मैट्रो स्टेशन में नहीं चली गई.

इरा को देख कर विवेक का सोया प्यार फिर जाग उठा. उस ने अब तय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो, वह उस के नजदीक पहुंचने की कोशिश करेगा. अब वह फिर से रोजाना उस का पीछा करने लगा. इतना ही नहीं, उस ने एक नया नंबर खरीदा और उसी नंबर से अपने प्यार का हवाला देते हुए उसे वाट्सऐप मैसेज भेजने लगा.

इरा ने उस के नंबर को ब्लौक कर दिया तो विवेक ने उसे फोन कर के अपने दिल के हालात से रूबरू कराने की कोशिश की. पर इरा ने उसे डपट दिया, साथ ही चेतावनी भी दी. पर विवेक तो जुनूनी प्रेमी बनता जा रहा था. एकतरफा प्यार में वह अपने बिजनैस तक पर ध्यान नहीं दे रहा था. इतना ही नहीं, वह नशा भी करने लगा था.

चूंकि इरा रोहिणी में रहती थी, इसलिए विवेक भी अपने परिवार के साथ रोहिणी के बुद्धविहार में आ कर रहने लगा. उस ने इरा का घर देख ही लिया था. उस के औफिस जाने के टाइम पर वह उस के घर के बाहर मेनरोड पर खड़ा हो जाता और रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन तक उस का पीछा करता. यही काम वह उस के औफिस से घर लौटते वक्त करता. वह उसे परेशान नहीं करता था. केवल चुपचाप पीछा करता था.

नवंबर, 2016 के अंतिम सप्ताह में इरा ने अचानक औफिस जाना बंद कर दिया. विवेक परेशान हो गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि इरा कहां चली गई? जब 2-3 दिन वह नहीं दिखी तो उसे लगा कि शायद उस की तबीयत खराब हो गई है. पर वह लंबे समय तक नहीं दिखी तो उसे यही लगा कि इरा ने शायद नौकरी छोड़ दी है.

विवेक की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. लिहाजा उस ने इरा के औफिस में संपर्क किया तो पता चला कि 10 दिसंबर, 2016 को उस की शादी है.

इस खबर ने विवेक के दिल पर हथौड़े की तरह वार किया. उसे लगा कि उस की प्रेमिका उस के हाथ से निकलने वाली है. उस ने यहां तक पता लगा लिया कि इरा की शादी सेक्टर-15 रोहिणी के रहने वाले पीयूष मलिक के साथ तय हुई है. उस की शादी को वह रोक सके, ऐसी विवेक की क्षमता नहीं थी. क्योंकि पीयूष का परिवार हर तरह से उस के परिवार से ज्यादा सामर्थ्यवान था, लिहाजा विवेक मन मसोस कर रह गया.

शादी के बाद इरा ने जनवरी, 2017 में फिर से औफिस जाना शुरू कर दिया तो विवेक ने फिर से उस का पीछा करना शुरू कर दिया. विवेक ने महसूस किया कि शादी के बाद इरा के रूपरंग में और ज्यादा निखार आ गया है. एकतरफा प्यार में सुलगते हुए विवेक को कई साल बीत गए थे.

इरा को उस का पति ही रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन अपनी कार या स्कूटी से छोड़ने आता और शाम को लेने जाता. इरा को जब अपने पति के साथ वह देखता तो उस के सीने पर सांप लोटने लगता. उसे इरा का पति दुश्मन दिखने लगता.

विवेक ने कई साल पहले शाहरुख खान और जूही चावला की फिल्म ‘डर’ देखी थी. इस फिल्म में शाहरुख खान जूही चावला को प्यार करता था. उसी दौरान जूही की शादी सनी देओल से हो गई थी. तब शाहरुख को सनी देओल दुश्मन दिखता था. जूही को पाने के लिए उस ने सनी देओल पर कई बार जानलेवा हमला किया था. ठीक यही स्थिति विवेक अग्रवाल की भी थी.

विवेक ने अब तय कर लिया कि अपने प्यार को पाने के लिए वह इरा के पति पीयूष को रास्ते से हटा देगा. विवेक ने अपने एक दोस्त से पहले कभी एक देसी तमंचा और कुछ कारतूस लिए थे. वह अपनी मोटरसाइकिल नंबर डीएल 4एसएन डी 1560 से पीयूष की रेकी करने लगा. पीयूष को गोली मारने का वह ऐसा मौका ढूंढने लगा कि अपना काम कर के आसानी से फरार हो सके.

पीयूष शाम को खाना खा कर अपने परिजन या किसी दोस्त के साथ घर के सामने वाली सड़क पर घूमने के लिए निकल जाते थे. यही समय विवेक को उपयुक्त लगा. 4 फरवरी, 2017 की रात करीब 10 बजे पीयूष अपने एक दोस्त के साथ घूम रहे थे. विवेक तो घात लगाए ही था. मौका देख कर उस ने पीयूष को निशाना बनाते हुए गोली चला दी.

इत्तफाक से गोली पीयूष के बराबर से निकलती हुई सड़क से टकरा गई. गोली चला कर विवेक मोटरसाइकिल से भाग गया. गोली की आवाज सुन कर पीयूष घबरा गए. वह सीधे अपने घर गए और पिता को जानकारी दी. बाद में पीयूष ने पुलिस को भी यह जानकारी दे दी.

अगले दिन विवेक ने पीयूष की कालोनी में जा कर पता लगाया तो उसे पता चला कि पीयूष को गोली लगी ही नहीं थी. इस के बाद विवेक उस एरिया में कुछ दिनों तक नहीं गया. पर उस ने इरा का दीदार करने के लिए मैट्रो स्टेशन जाना बंद नहीं किया.

पीयूष को मारने की उस ने ठान ही रखी थी. लिहाजा 2 महीने बाद वह फिर से पीयूष की रेकी करने लगा. पूरी योजना के बाद विवेक 20 अप्रैल, 2017 को रोहिणी सेक्टर-5 में एक डिवाइडर के पास खड़ा हो गया. इरा को रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन से ले कर लौटते समय पीयूष ने जूस की दुकान पर जूस पिया. जूस पीने के बाद वह जैसे ही स्कूटी से इरा के साथ घर की ओर चले, विवेक ने पीछे से पीयूष को निशाना बनाते हुए गोली चला दी.

गोली पीयूष के कंधे पर लगी. गोली चला कर विवेक अपनी मोटरसाइकिल से फरार हो गया. इस बार विवेक को उम्मीद थी कि पीयूष मर गया होगा. पर उस की सोच गलत साबित हुई. बाद में जब विवेक को पता चला कि पीयूष इस बार भी बच गया है तो उसे बड़ा दुख हुआ. पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने वाली बात उसे पता चल गई थी. उस ने ऐसा कोई सबूत नहीं छोड़ा था, जिस से पुलिस उस तक पहुंच पाती.

पुलिस को गुमराह करने के लिए उस ने लड़की की ओर से एक चिट्ठी लिख कर इरा की ससुराल में डाल दी थी, जिस से पुलिस की जांच की दिशा बदल जाए. पर जब पीयूष ने कह दिया कि उस का किसी लड़की के साथ कोई चक्कर नहीं था तो पुलिस ने उस ओर ध्यान नहीं दिया.

काले रंग की मोटरसाइकिल ही शक के घेरे में थी और फिर एक दिन पीयूष के पिता ने उसे अपने घर के सामने काले रंग की मोटरसाइकिल पर घूमते देखा तो रोक लिया. उस समय विवेक ने जल्दबाजी में अपना फोन नंबर सही बता दिया था. उसी फोन नंबर की वजह से वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

पूछताछ के बाद पुलिस ने विवेक अग्रवाल को भादंवि की धारा 307, 27/54/59 आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस मामले की तफ्तीश एसआई पवन कुमार मलिक कर रहे थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कंगाल करने वाला कौलसेंटर : ठगी का ये है नया तरीका

जयपुर के रहने वाले चरण सिंह शेखावत उस दिन घरेलू काम में व्यस्त थे, तभी उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उन्होंने मोबाइल की स्क्रीन पर नजर डाली. जिस नंबर से फोन आ रहा था, वह नंबर उन का जानापहचाना नहीं था. उन्हें वह नंबर राजस्थान से बाहर का लगा. उन का बात करने का मन नहीं था, फिर भी उन्होंने यह सोच कर अनमने मन से फोन रिसीव किया कि फोन किसी परिचित का न हो. फोन रिसीव कर के उन्होंने जैसे ही कान से लगाया, दूसरी ओर से युवती की खनकती सी आवाज आई, ‘‘सर, आप जयपुर से चरण सिंह शेखावतजी बोल रहे हैं न?’’

‘‘जी, मैं चरण सिंह ही बोल रहा हूं.’’ उन्होंने युवती के सवाल पर सहज भाव से जवाब दिया.

‘‘सर, मैं नोएडा से इंडो सफायर जर्नीज लिमिटेड कंपनी से बोल रही हूं,’’ दूसरी ओर से युवती ने कहा, ‘‘हमारी कंपनी शेयर मार्केट से जुड़ी हुई है. हमारी कंपनी की नजर में ऐसी कुछ कंपनियां हैं, जिन में निवेश करने पर आप का पैसा एक साल में ही लगभग दोगुना हो सकता है.’’

एक साल में पैसा दोगुना होने की बात में दिलचस्पी लेते हुए चरण सिंह ने युवती से कई सवाल पूछे. उन के हर सवाल का जवाब उस ने आत्मविश्वास से दे कर उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा, ‘‘सर, आप पूरी तरह से निश्चिंत रहिए, आप का पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा. फिर भी अगर आप को किसी तरह की कोई शंका है तो मैं आप की बात कंपनी के बौस से करा दूंगी.’’

‘‘ठीक है, आप मेरी बात अपनी कंपनी के किसी बड़े औफिसर से करा देना. उस के बाद मैं विचार करूंगा.’’ चरण सिंह ने कहा. इसी के साथ नोएडा से आया फोन कट गया.

यह बात कोई दोढाई साल पहले की है. नोएडा से आए उस फोन के एकदो दिन बाद ही चरण सिंह शेखावत के मोबाइल पर फिर फोन आया. इस बार नंबर दूसरा था. दूसरी ओर से अनजान युवती बड़ी ही शिष्टता से हिंदी और अंगरेजी में बोल रही थी. चरण सिंह के हैलो कहते ही उस युवती ने कहा, ‘‘सर, मैं नोएडा से इंडो सफायर जर्नीज लिमिटेड कंपनी से बोल रही हूं. मैं कंपनी की वाइस चेयरपरसन हूं. एकदो दिन पहले आप की हमारी कंपनी की एग्जीक्यूटिव से बात हुई थी.’’

‘‘जी, नोएडा से एक फोन आया था,’’ चरण सिंह ने कहा, ‘‘एक लड़की बता रही थी कि शेयर कंपनियों में निवेश करने पर एक साल में ही रकम दोगुनी हो जाएगी.’’

‘‘सर, हमारी एग्जीक्यूटिव ने आप को बिलकुल सही बताया है.’’ दूसरी ओर से उस वाइस चेयरपरसन युवती ने कहा.

‘‘ऐसा कैसे संभव है कि एक साल में ही हमारा पैसा दोगुना हो जाएगा?’’ चरण सिंह ने थोड़ा हैरानी से पूछा.

युवती ने चरण सिंह की शंका को दूर करते हुए कहा, ‘‘सर, आप को पता ही होगा कि शेयर मार्केट में लिस्टेड कई कंपनियां ऐसी हैं, जिन के शेयरों के भाव एक साल में ही दोगुने से भी ज्यादा हो जाते हैं. हमारी कंपनी ने शेयर मार्केट के कई विशेषज्ञ हायर किए हुए हैं. वही विशेषज्ञ हमें बताते हैं कि आजकल किन कंपनियों में निवेश करने का अच्छा मौका है. हम आप जैसे लोगों से पैसा जुटा कर वैसी ही कंपनियों में निवेश करते हैं. उस के बदले जो रिटर्न मिलता है, वह हम अपने कस्टमर को दिलाते हैं. हमारी कंपनी इस काम का केवल कमीशन लेती है. यह आप के लिए अच्छा मौका है. आप हमारी कंपनी के साथ जुड़ कर शेयर मार्केट में निवेश कर के अच्छा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.’’

‘‘ठीक है, मैं इस विषय पर सोच कर एकदो दिन में आप को बताता हूं.’’ चरण सिंह ने कहा.

अधेड़ उम्र के चरण सिंह शेखावत को शेयर मार्केट के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी, लेकिन इतना तो पता ही था कि शेयर मार्केट में ऐसी कई कंपनियां हैं, जिन के शेयरों के भाव बहुत तेजी से चढ़तेगिरते रहते हैं. उन्होंने इस बारे में अपने एकदो परिचितों से बात की तो उन्होंने भी यही कहा कि शेयर कंपनियों में निवेश करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन कोई भी निवेश करने से पहले उस कंपनी के बारे में अच्छी तरह से पता जरूर कर लेना.

चरण सिंह शेखावत कुछ समय पहले ही सरकारी नौकरी से रिटायर हुए थे. वह राजस्थान सरकार की सैकेंड ग्रेड की नौकरी में थे. रिटायर होने पर उन्हें ग्रैच्युटी एवं पीएफ वगैरह की एक बड़ी रकम मिली थी. वह रकम उन के बैंक खाते में जमा थी, जिसे वह कहीं निवेश करना चाहते थे. वह चाहते थे कि किसी ऐसी कंपनी में उन का पैसा निवेश किया जाए, जिस से उन्हें अच्छा रिटर्न मिलता रहे, ताकि बुढ़ापे में उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो और जिंदगी आराम से गुजर सके.

कुछ दिनों बाद नोएडा की उस कंपनी से एक बार फिर चरण सिंह के मोबाइल पर फोन आया. इस बार तीसरे नंबर से फोन किया गया था. फोन करने वाली युवती ने अपना परिचय दे कर पूछा, ‘‘सर, आप ने शेयर बाजार की कंपनियों में निवेश के बारे में क्या विचार किया?’’

‘‘निवेश तो हम कर देंगे, लेकिन इस बात पर कैसे भरोसा किया जाए कि मुझे एक साल में करीब दोगुना रिटर्न मिल जाएगा?’’ चरण सिंह ने चिंता जाहिर करते हुए पूछा.

‘‘सर, आप निश्चिंत रहिए. हमारी कंपनी बाकायदा आप को लिखित पेपर्स देगी, जिस में साफ लिखा होगा कि हम आप के पैसों का शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों में निवेश करेंगे और अच्छा रिटर्न दिलवाएंगे.’’ युवती ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा.

‘‘चलो ठीक है, आप की बात मान लेता हूं. लेकिन हमें करना क्या होगा?’’ चरण सिंह ने पूछा.

‘‘सर, आप को पहले हमारी कंपनी में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.’’ युवती ने कहा.

‘‘ठीक है, आप हमारा रजिस्ट्रेशन कर दीजिए.’’ चरण सिंह ने कहा.

‘‘सर, कंपनी में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आप को 12 हजार रुपए जमा कराने होंगे.’’ युवती ने कहा, ‘‘आप चाहें तो यह पैसा हमारी कंपनी के बैंक खाते में औनलाइन जमा करा सकते हैं. आप हमारा बैंक एकाउंट नंबर नोट कर लीजिए.’’

चरण सिंह ने बैंक एकाउंट नंबर नोट करते हुए कहा, ‘‘ठीक है, मैं एकदो दिन में आप की कंपनी के खाते में रजिस्ट्रेशन फीस के 12 हजार रुपए जमा करा दूंगा.’’

चरण सिंह ने युवती द्वारा बताए बैंक एकाउंट में 12 हजार रुपए औनलाइन जमा करा दिए. पैसे जमा कराने के कुछ समय बाद ही उन के मोबाइल पर मैसेज आ गया कि उन का कंपनी में रजिस्टे्रशन हो गया है. उन्हें कंपनी की ओर से एक रजिस्ट्रेशन नंबर भी दिया गया.

कंपनी में रजिस्ट्रेशन होने के बाद चरण सिंह को कंपनी से फोन कर के शेयर मार्केट की अलगअलग लिस्टेड कंपनियों के नाम बता कर उन्हें निवेश की सलाह देते हुए रकम की मांग की जाती रही. इस में खास बात यह रही कि चरण सिंह के पास जब भी नोएडा की उस कंपनी से फोन आता था, नए नंबर से ही आता था. चरण सिंह ने इस बात पर कभी ध्यान नहीं दिया. उन्होंने भरोसा करते हुए अलगअलग समय पर 42 लाख रुपए से ज्यादा की रकम नोएडा की उस कंपनी के बैंक खातों में जमा करा दी.

इस बीच कूरियर से चरण सिंह के पास कागजात भी आते रहे. उन कागजातों में बताया गया था कि कंपनी ने उन की रकम का निवेश शेयर मार्केट की कंपनियों में कर दिया है. बारबार मोटी रकम जमा कराने के बाद जब समय पर रिटर्न नहीं मिला तो चरण सिंह परेशान हुए.

उन्होंने न जाने कितनी बार उन नंबरों पर फोन किया, जिन से उन के पास फोन आते थे. उन नंबरों पर बात करने से चरण सिंह को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. हर बार उन्हें यह कह कर टरका दिया जाता था कि आप को जल्दी ही अच्छा रिटर्न मिल जाएगा. आप का पैसा जल्दी ही आप के बैंक खाते में आ जाएगा.

लंबे इंतजार के बाद भी जब चरण सिंह को कोई रिटर्न नहीं मिला तो उन्हें शक हुआ. उन्होंने अपने रिश्तेदारों और परिचितों से इस बारे में सलाह ली, तब परिचितों ने ठगी की आशंका जताते हुए पुलिस से मदद लेने की सलाह दी.

इसी साल 24 अप्रैल को चरण सिंह अपने कुछ परिचितों के साथ जयपुर दक्षिण के थाना अशोक नगर पहुंचे और थानाप्रभारी को सारी बात बताई. उन की बात सुन कर थानाप्रभारी को तुरंत अहसास हो गया कि चरण सिंह के साथ ठगी हुई है. उन्होंने उसी दिन उन की रिपोर्ट भादंवि की धारा 420 एवं 120बी के तहत दर्ज कर ली.

शेयर मार्केट में निवेश के बाद अच्छे रिटर्न का औफर दे कर लोगों से ठगी करने के इस तरह के एकदो अन्य मामले कुछ दिनों पहले ही जयपुर पुलिस की जानकारी में आए थे. चरण सिंह के साथ 42 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी हुई थी. जयपुर के पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने अपने मातहत अधिकारियों को इस तरह सूचना प्रौद्योगिकी की नई तकनीकों के जरिए आर्थिक अपराध करने वालों का पता लगाने का आदेश दिया.

पुलिस कमिश्नर के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रथम) प्रफुल्ल कुमार एवं पुलिस उपायुक्त (अपराध) डा. विकास पाठक ने कार्ययोजना बना कर पुलिस की एक टीम गठित की. इस टीम में सहायक पुलिस आयुक्त (अन्वेषण) पुष्पेंद्र सिंह, इंसपेक्टर राजकुमार, मुकेश चौधरी, एसआई मनोज कुमार, कृष्ण कुमार, हरि सिंह के अलावा सिपाही राजेश, अभिमन्यु कुमार सिंह, महेंद्र कुमार, बसंत सिंह, बिश सिंह, श्रीमती नीरज एवं श्रीमती मुकेश को शामिल किया गया.

इस टीम में क्राइम ब्रांच की तकनीकी शाखा एवं संगठित अपराध शाखा के अधिकारियों को भी शामिल किया गया. इस टीम ने कई दिनों की जांच के बाद पता लगा लिया कि अभियुक्त संगठित तरीके से कालसैंटर की आड़ में अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. ये अभियुक्त सफेदपोश बन कर अलगअलग कंपनियों की आड़ में नोएडा में कालसैंटर चला कर धोखाधड़ी कर लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी कर रहे हैं.

व्यापक जांच के बाद जयपुर पुलिस की टीम ने 15 जून, 2017 को नोएडा पुलिस की मदद से नोएडा के सेक्टर-2 स्थित प्लौट नंबर ए-74 में बनी बिल्डिंग से संचालित इंडो सफायर जर्नीज लिमिटेड कंपनी के कालसैंटर पर छापा मारा. वहां 2 दरजन से ज्यादा लड़कियां काम कर रही थीं.

पुलिस ने जांच के बाद इस कंपनी के 5 निदेशकों को गिरफ्तार कर लिया, जिन में मोहम्मद इकराम निवासी शाहीन बाग, ओखला, नई दिल्ली, मोहम्मद आमिर निवासी बाटला हाउस, जामियानगर, नई दिल्ली, शाहिद खान एवं मोहम्मद यामीन निवासी ग्राम शीलपुर, पोस्ट कुबाकी, जिला मुरादाबाद तथा मेहराज आलम निवासी इंदिरापुरम, गाजियाबाद शामिल थे.

जयपुर कमिश्नरेट ने इस कालसैंटर पर छापे के दौरान सिम सहित 37 मोबाइल फोन एवं 24 सिम अलग से, 5 लैपटौप, 1 लाख रुपए नकद, 23 इंटरकौम फोन व वौकीटौकी, कई मोहरों सहित ढेर सारे दस्तावेज बरामद किए थे.

नोएडा से पांचों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर पुलिस जयपुर ले आई. पुलिस ने इन से कड़ी पूछताछ के आधार पर सुनील कुमार देवतवाल को गिरफ्तार किया. सुनील कुमार मूलत: राजस्थान के करौली जिले के टोडाभीम कस्बे का रहने वाला था. आजकल वह जयपुर में जगतपुरा में रह रहा था. इन सभी अभियुक्तों से पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

सुनील कुमार देवतवाल कुछ सालों पहले आईसीआईसीआई बैंक में दिल्ली के स्टेट हैड मार्केटिंग के पद पर काम करता था. इस से पहले उस ने आदित्य बिड़ला, अमेरिकन एक्सप्रैस, यस बैंक आदि में भी काम किया था. आईसीआईसीआई बैंक में जब वह स्टेट हैड मार्केटिंग था, तब मोहम्मद इकराम उस के पास सहायक के रूप में काम करता था.

बाद में सुनील कुमार ने आईसीआईसीआई बैंक की नौकरी छोड़ दी और दिल्ली में स्टार ट्रैवल्स नाम से कंपनी खोली. यह कंपनी ज्यादा नहीं चली. इस में उसे घाटा होने लगा तो उस ने यह कंपनी बंद कर दी. इस के बाद उस ने जयपुर की पौश कालोनी सी स्कीम के सुभाषमार्ग पर 506 अलौकिक हाइट्स में एक्सरोस टूर्स एवं एक्सपीयर मैक्स ट्रैवल्स नामक कंपनी खोली.

दूसरी ओर मोहम्मद इकराम ने भी सुनील कुमार के नौकरी छोड़ने के बाद आईसीआईसीआई बैंक की नौकरी छोड़ दी थी. फिर भी दोनों एकदूसरे के संपर्क में बने रहे. चूंकि सुनील कुमार देवतवाल कई नामी बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों में काम कर चुका था, इसलिए उस के पास इन कंपनियों का करोड़ों कस्टमर्स का डाटाबेस था. इन के अलावा भी उस ने कई कंपनियों का डाटा जुटा रखा था. इस तरह करीब 20 कंपनियों का डाटाबेस उस ने अवैध तरीके से हासिल किया हुआ था.

मोहम्मद इकराम को पता था कि सुनील कुमार के पास करोड़ों लोगों का डाटाबेस है. इस में उन लोगों के नामपते व फोन नंबरों के अलावा उन की वित्तीय स्थिति का आकलन था. इकराम शातिर दिमाग था. उस ने आसान तरीके से लोगों को ठग कर पैसा कमाने की योजना बना डाली. इस के लिए उस ने कुछ साथियों की मदद से सुनील से वह डाटाबेस खरीद लिया. करोड़ों लोगों का डाटाबेस हाथ में आने के बाद उस ने अपने भरोसे के साथियों के साथ मिल कर औनलाइन ठगी का धंधा शुरू कर दिया.

पहले उन्होंने छोटे स्तर पर ठगी का धंधा शुरू किया. इस के लिए उन्होंने इंडो सफायर जर्नीज लिमिटेड, सेमटेक्स ट्रैवल, सेमटेक्स फाइनेंसर्स, इंडो सफायर कंसडिंग प्रा.लि. आदि कंपनियां बनाईं. शेयर मार्केट की कंपनियों में निवेश के नाम पर लोगों को ठगने का उन का धंधा चल निकला तो इन्होंने नोएडा के सेक्टर-2 में एक कालसैंटर बना लिया. इस कालसैंटर के आलीशान दफ्तर से 3 दरजन से ज्यादा लड़केलड़कियों को नौकरी पर रखा गया.

ये लड़केलड़कियां लोगों को फोन कर के अपनी लच्छेदार बातों से शेयर मार्केट में निवेश के लिए फांसते थे. ये सभी अवैध तरीके से जुटाए बैंकों व वित्तीय संस्थाओं के डाटा के जरिए ऐसे लोगों को तलाशते थे.

ऐसे लोगों की जानकारी हासिल कर के  ये उसे अपने कालसैंटर के जरिए फोन करते और लगातार संपर्क में रह कर उसे निवेश करने के लिए प्रेरित करते. कालसैंटर से जो फोन किए जाते थे, वे फरजी आईडी से हासिल सिम से किए जाते थे, ताकि पुलिस इन तक पहुंच न सके. जयपुर के रहने वाले चरण सिंह शेखावत को इस कालसैंटर के जरिए 24 अलगअलग मोबाइल नंबरों से फोन किए गए थे.

कोई भी आदमी जब इन की बातों में फंस जाता था तो सब से पहले वे उस से कंपनी में रजिस्ट्रेशन के नाम पर 12 हजार रुपए अपने बैंक खाते में औनलाइन जमा कराते थे. इस के बाद फाइल चार्ज और फिर धीरेधीरे निवेश के नाम पर रकम ऐंठते रहते थे. अपने शिकार से ये पूरी रकम औनलाइन ही ट्रांसफर कराते थे. ठगी की राशि जमा कराने के लिए इन लोगों ने सैंट्रल बैंक औफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, सिंडिकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीबीजे, इंडसइंड बैंक, आईडीबीआई बैंक, एक्सिस बैंक और स्टेट बैंक औफ इंडिया में खाते खुलवा रखे थे. ये सभी खाते अभियुक्तों ने खुद और परिवार वालों के नाम खुलवा रखे थे.

पुलिस जांच में पता चला है कि इन लोगों ने 23 बैंक खातों में पिछले 6 महीने में लगभग 6 करोड़ रुपए की रकम जमा करवाई थी. शिकार से बैंक खाते में रकम जमा कराने के बाद ये चैक से रकम निकाल लेते थे. सभी खातों से ज्यादातर रकम निकाल ली गई थी. पुलिस ने अभियुक्तों के बैंक खातों में जमा 12 लाख 50 हजार रुपए की रकम सीज कराई है.

पूछताछ में पता चला है कि पकड़े गए लोगों ने पिछले करीब एक साल में राजस्थान सहित देश के 23 राज्यों में 256 फरजी मोबाइल नंबरों से 4 हजार 879 से अधिक फोन किए थे. इन में 414 फोन राजस्थान में किए गए थे. राजस्थान का एक भी ऐसा जिला नहीं बचा, जहां इन लोगों ने फोन कर के ठगी न की हो.

इन के पास से डेबिटक्रैडिट कार्ड होल्डर्स, डाक्टर्स, इंश्योरेंस, एटीएम, इनवेस्टर्स, एनआरआई, बजाज अलायंज, सिटी बैंक, होंडा और हुंडई गाड़ी खरीदने वालों के डाटा भी मिले हैं.

गिरफ्तार किए गए सुनील कुमार से इलैक्ट्रौनिक डिवाइस में सैकड़ों फाइलें मिली हैं, जिन में एकएक फाइल में 6 लाख से 20 लाख लोगों तक का डाटा है. एक फाइल में एयरटेल पोस्टपेड मोबाइल धारक 20 लाख उपभोक्ताओं का डाटा मिला है. इन फाइलों में ऐसी भी जानकारी है कि किस आदमी ने किस बैंक या इंश्योरेंस कंपनी से कौन सी पौलिसी करवाई है. वह उस का कितना प्रीमियम देता है. उस आदमी का नामपता, मोबाइल नंबर के साथ अन्य जानकारियां भी हैं.

पूछताछ में सुनील कुमार ने बताया कि वह भी नोएडा जैसा कालसैंटर जयपुर में खोलना चाहता था, लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया. सुनील कुमार ने जयपुर में ट्रैवल एजेंसी के नाम से ठगी की थी. वह जयपुर के अशोकनगर एवं थाना ज्योतिनगर में सन 2016 में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में जेल जा चुका है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. पीडि़त का नाम बदला हुआ है.

चीन बनाम भारत : अलगाव का निशान बनती दीवारें

डोकलाम प्रसंग के बाद चीन ने अपने इलाके में चौड़ी हाईटैक सड़कें बनानी शुरू कर दी हैं. इस के जवाब में भारत को भी हिमालय के दुर्गम इलाकों में महंगी सड़कें बनानी होंगी, हालांकि उन का कोई व्यावसायिक उपयोग न होगा.

ये सड़कें छोटी नहीं, 4,000 मिलोमीटर लंबी पूर्व से पश्चिम तक की होंगी जिन पर, आमतौर पर, सैनिक वाहन दौड़ेंगे. डोकलाम के बाद यह जरूरी हो गया है कि भारत हर समय हिमालय की सीमा पर भी नजर रखे. हिमालय स्वयं देश की रक्षा करेगा, भारत यह भूल जाए.

हिमालय को भेदना अब नई तकनीक और मशीनों के लिए मुश्किल नहीं है और चीन लगातार अपने क्षेत्र में हिमालय की चोटियों के नीचे से रास्ते निकाल कर भारत की सीमा के पास सैनिक पहुंचा रहा है.

चीन की सीमाएं भारत से कहीं ज्यादा लंबी हैं. सीमा के चारों ओर मित्र ही हों, जरूरी नहीं. वहां की सरकार ने हर तरह की तैयारी कर रखी है और भारत को भी यही करना होगा चाहे यह उसे निरर्थक ही क्यों न लगे.

1962 में जब चीन ने भारत की सीमा पर हमला किया था तो जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि वहां तो घास का एक तिनका भी नहीं उगता, उस की चिंता क्या करें. पर, यह महंगा साबित हुआ.

आदर्श स्थिति तो वह होगी जब दोनों देशों में इतना अपनापन व दोस्ती हो कि सीमाएं केवल नक्शों पर हों, जमीनों पर हों तो उन का उपयोग केवल टैक्स के लिए किया जाता हो. अफसोस कि इंटरनैट ने सीमाओं को भेदा जरूर पर सीमाओं को वह तोड़ नहीं पाया. उलटे, दुनियाभर में सीमा विवाद ज्यादा तेज हो गए और दीवारों की बात अमेरिका भी करने लगा. चीन ने एक युग में ग्रेट वौल औफ चाइना बनाई थी. आज सड़कों से दीवारें बन रही हैं, जो सीमा के दोनों तरफ आपस में कहीं मिलती नहीं. उलटे, अलगाव का निशान बनती हैं.

रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्ट से बाजार चढ़ा

शेयर बाजार में नवंबर के दूसरे पखवाड़े में उथलपुथल का माहौल रहा. दूसरे पखवाड़े की शुरुआत में बिकवाली के कारण बाजार में गिरावट का माहौल रहा. इस के अगले सप्ताह बाजार में हलकी तेजी देखी गई. कमजोर आर्थिक आंकड़ों ने बाजार में सुस्ती का माहौल पैदा किया लेकिन इसी दौरान अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश की अर्थव्यवस्था को ले कर सकारात्मक आंकड़े पेश किए जिस के कारण बाजार की सुस्ती धीमी पड़ी और सूचकांक में 28 प्रतिशत की मामूली साप्ताहिक बढ़त रही.

मूडीज और विश्व बैंक की रिपोर्ट ने बीएसई में निवेशकों का उत्साह बढ़ाया. इसी बीच सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार लाने तथा निजी छोटी कंपनियों के बैंकों के ऋण को डकारने की दीवालिया होने की पुरानी रणनीति पर नकेल कसने के लिए संसद में शोधन अक्षमता तथा दीवालियापन (अनसौल्वैंसी ऐंड बैंकरप्सी) विधेयक लाने की घोषणा की. जिस का निवेशकों पर अच्छा असर दिखा और 24 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान बाजार में 337 अंक की साप्ताहिक बढ़त मिली. बीएसई का सूचकांक 33,679 तथा नैशनल स्टौक एक्सचेंज का निफ्टी इस दौरान 10,369 अंक पर पहुंच गया. अच्छे आर्थिक आंकड़ों से निवेशकों में उत्साह है और इस के जारी रहने की उम्मीद है.

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