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कुछ ऐसा हो दुलहन का श्रृंगार

अपनी शादी में हर कोई खूबसूरत दिखना चाहता है और खूबसूरती उभारने में वस्त्र और आभूषणों के साथसाथ मेकअप का भी बड़ा योगदान होता है. अलगअलग क्षेत्रों में मेकअप के अंदाज भी अलगअलग होते हैं.

गृहशोभा के फेब सेमिनार में मेकअप आर्टिस्ट शिवानी गौड़ ने इंडियन और पाकिस्तानी ब्राइडल मेकअप के गुर दिए:

इंडियन ब्राइडल मेकअप

आई मेकअप : मेकअप की शुरुआत आंखों से करें, क्योंकि चेहरे का पहला आकर्षण आंखें ही होती हैं. इन का मेकअप शुरू करने के लिए सब से पहले क्रीज लाइन ड्रा करें और फिर उसे ब्लैंड कर दें. लाइट कलर से शुरुआत कर डार्क कलर की ओर बढ़ें और उसे ब्लैंड करती जाएं. आउटर कौर्नर्स को थोड़ा स्मोकी लुक देने के लिए डार्क ब्राउन कलर का प्रयोग कर सकती हैं.

ब्राइडल मेकअप में गोल्डन ग्लिटर का इस्तेमाल अच्छा लगता है. पर आप और कोई मनचाहा रंग भी इस्तेमाल कर सकती हैं. अब मसकारा लगा कर आर्टिफिशियल आईलैशेज लगाएं. इस से आंखें बड़ीबड़ी दिखती हैं. फिर वाटरलाइन को काजल से फिल कर थोड़ा सा स्मज कर लें. इस से आंखें खूबसूरत दिखेंगी.

बेस तैयार करें : पहले स्किन को मौइश्चराइज करें. स्किन औयली है तो ज्यादा मौइश्चराइजर का प्रयोग  न करें. जरूरी हो तो औयलफ्री मौइश्चराइजर लगाएं. फिर प्राइमर लगाएं. इस के बाद इफैक्टेड ऐरिया को कंसील करें ताकि दागधब्बे बिलकुल नजर न आएं. अब लिक्विड/क्रीमी बेस्ड फाउंडेशन अच्छी तरह स्किन पर अप्लाई करें. इस के बाद ट्रांसल्यूशन पाउडर से बेकिंग करें ताकि काजल नीचे फैले नहीं और मेकअप लंबे समय तक टिका रहे. अब फेस कंटूरिंग करेंगे ताकि फेस को सुंदर शेप दी जा सके और फीचर्स उभर कर आएं. फिर ब्लशर अप्लाई करें और इस के ऊपर चीकबोंस एरिया पर हाईलाइटिंग करें.

लिप मेकअप : पहले अपने होंठों पर लिपबाम लगा कर उन्हें स्मूथ कर लें. इस के बाद लिप पैंसिल से शेप दें और उसी रंग की लिपस्टिक अप्लाई करें. मेकअप के बाद फिक्सिंग स्प्रे करें ताकि मेकअप लंबे समय तक टिका रहे.

पाकिस्तानी ब्राइडल मेकअप

पाकिस्तानी ब्राइडल मेकअप में कुछ बातों के अलावा बाकी चीजें इंडियन ब्राइडल मेकअप की तरह ही होती हैं. पाकिस्तानी ब्राइडल मेकअप में इन बातों का खयाल रखें:

– पाकिस्तानी ब्राइडल मेकअप के दौरान आईलाइनर मोटा लगाया जाता है.

– इस में कट ऐंड क्रीज आई मेकअप होता है.

– हैवी आईलैशेज का प्रयोग किया जाता है.

– आंखों पर ग्लिटर और पिगमैंट्स का इस्तेमाल होता है.

– फेस कंटूरिंग थोड़ी ज्यादा डार्क होती है.

– हेयरस्टाइलिंग भी हैवी होती है. हाई पफ बनता है. बड़ीबड़ी स्टफिंग और ऐक्सटैंशंस का इस्तेमाल होता है.

हेयर बन

हेयर स्टाइलिश सिल्की बाली ने एक खूबसूरत हेयर बन बनाने का तरीका बताया.

पहले बालों में हेयरमूज लगाएं. इस से सिल्की स्मूथ बाल थोड़े रफ हो जाएंगे और उन की पकड़ आसान हो जाएगी. इस के बाद बालों को क्रिंपिंग मशीन से क्रिंप करें ताकि बालों में वौल्यूम नजर आए.

अब आगे से ‘ए टु ए’ सैक्शन निकालें और क्राउन एरिया वाले बालों को बैक कौंब कर के पफ बनाएं. पीछे के बालों को इकट्ठा कर के पोनी बना दें. पोनी में कर्ल्स करें. अब एक राउंड स्टफिंग लगाएं और कर्ल किए बालों को थोड़ा डिजाइन कर के स्टफिंग को कवर्ड करें. अब फ्रंट सैक्शन स्टार्ट करें. सैंटर पार्टिंग निकालें. फिर कई पतले सैक्शन ले कर अच्छी तरह बैक कौंब करें. अपने फेस के अनुरूप फौल दे कर पिन लगा दीजिए. ऐक्सैसरीज लगा कर और अधिक आकर्षण बढ़ा सकती हैं.

पुलिस वहशी थी, है और रहेगी

यह शायद पहला मौका था, जब खुद सरकार ने माना था कि पुलिस वालों ने वहशीपन किया है. मामला मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के टीकमगढ़ जिले का है. यहां बीती 3 अक्तूबर को कुछ किसान कलक्टर को ज्ञापन देने गए थे कि टीकमगढ़ जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए. जैसा कि आमतौर पर होता है कलक्टर साहब ने हैरानपरेशान किसानों से मिल कर उन का दुखड़ा सुनना फुजूल की बात समझी और अपने कमरे से भी बाहर नहीं आए.

इस बात पर गुस्साए किसानों ने धरनाप्रदर्शन और आंदोलन कर डाला, जो उन का हक था. इन किसानों के हाथ में कोई हथियार नहीं थे, न ही ये कोई हिंसा या तोड़फोड़ कर रहे थे, बल्कि अपनी एक जायज मांग से जिले के मुखिया को वाकिफ कराते हुए उन का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे थे, जिस से सरकारी इमदाद और राहत मिल सके.

जाने क्यों पुलिस को किसानों का प्रदर्शन करना इतना नागवार गुजरा कि उस ने गांवों की तरफ लौट रहे किसानों की ट्रौलियां रोकीं और उन्हें गिरफ्तार करना शुरू कर दिया.

इस ज्यादती पर किसानों ने विरोध दर्ज कराया, तो देखते ही देखते पुलिस वाले वहशी हो उठे. टीकमगढ़ के देहात थाने में किसानों को ले जा कर उन के बदन पर चड्डी छोड़ कर सारे कपड़े उतरवा दिए गए और उन की बेरहमी से धुनाई की गई.

दुनावर गांव के एक किसान रतिराम का कहना है, ‘हम तो घर वापस जा रहे थे, पर पुलिस वालों ने हमें रोका और कोतवाली ले जा कर खूब मारापीटा. 2 घंटे नंगधड़ंग हालत में थाने में भूखाप्यासा बिठाए रखा.

‘हमारा कुसूर इतना भर था कि हम चाह रहे थे कलक्टर साहब हमारी मांगें सुन लें. इस का खमियाजा हमें यों पीट कर और बेइज्जत हो कर भुगतना पड़ेगा, यह तो हम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.’

थाने में किसानों को अधनंगा बिठा कर उन की धुनाई की जा रही है, यह बात फैली तो एक कांग्रेसी नेता और मंत्री रह चुके यादवेंद्र सिंह अपने समर्थकों समेत थाने गए और जैसेतैसे दहशत में आ गए थरथर कांपते किसानों को छुड़ाया.

राज्य में इस वहशीपन को ले कर हल्ला मचा, तो सरकार के कान खड़े हो गए और उस ने मामले को ठंडा करने के लिए जांच का ऐलान कर दिया.

जांच हुई और इस की रिपोर्ट राज्य के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के पास गई, तो उन्होंने माना कि रिपोर्ट में थाने के  मुलाजिमों को कुसूरवार पाया गया है,

पर कपड़े उतरवाने की बात पर उन्होंने बचकाना बयान यह दिया कि चूंकि कपड़े पहने लोग खुदकुशी कर लेते हैं, इसलिए कपड़े उतरवाए गए होंगे. कुसूरवारों को लाइन हाजिर कर दिया गया है.

जाहिर है, यह कोई सजा नहीं है, बल्कि पुलिस की बर्बरता को ढकने का रिवाज भर है. मध्य प्रदेश के ही नीमच में किसान आंदोलन में 6 किसान गोली चलने से मारे गए थे. इस गोलीकांड की जांच भी चल रही है और उम्मीद है कि तब तक चलती रहेगी, जब तक लोग इसे भूल नहीं जाएंगे.

पूरे कुएं में ही भांग है

टीकमगढ़ की घटना के दूसरे दिन ही उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के थाना रसूलपुर में एक नौजवान मुकेश राठौड़ को पुलिस ने इतनी बेरहमी से धुना था कि वह मौत के मुंह तक पहुंच गया था.

मुकेश की आसफाबाद रेलवे फाटक के नजदीक कपड़े की छोटी सी दुकान थी. हादसे के दिन उस की मामूली कहासुनी पड़ोसी दुकानदार राजाराम से बाइक खड़ी करने पर हुई थी. राजाराम ने तो मुकेश को मारा ही और पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी.

पुलिस मुकेश को उठा कर थाने ले गई और वहां उस की पिटाई जानवरों की तरह की गई. बेतहाशा पिटने पर उसकी हालत बिगड़ी, तो उस के पिता रामगोपाल को खबर कर दी गई.

तकरीबन मरने की सी हालत में पुलिस उसे आगरा इलाज के लिए ले गई और अस्पताल में भरती करा कर वापस चली आई.

बाद में मुकेश के घर वाले उसे इलाज के लिए फिरोजाबाद ले आए और पुलिस के आला अफसरों से शिकायत की. इस मामले में भी कार्यवाही के नाम पर जांच का भरोसा दे कर चलता कर दिया गया.

मुकेश तो वक्त पर इलाज मिलने से बच गया, लेकिन बिहार में गोपालगंज के बाशिंदे धीरज गुप्ता को कोई डाक्टर नहीं बचा सका.

एक मामले में धीरज जेल में बंद था यानी विचाराधीन कैदी था. गोपालगंज जेल में बीती 18 अक्तूबर को पुलिस वालों ने मारमार कर उस की हत्या कर दी.

धीरज के घर वालों ने उस की मौत का जिम्मेदार पुलिस को ठहराया था, लेकिन पोस्टमार्टम के बाद जांच का राग अलाप कर पुलिस के वहशीपन पर परदा डाल दिया गया.

पुलिस वाले कितनी बेरहमी से आम लोगों पर मामूली बात या फिर बिना बात के भी कहर ढाते हैं, इस की एक मिसाल 4 अक्तूबर को ही पंजाब के मोहाली में देखने में आई थी.

दशहरे के दिन पुलिस ने चोरी के इलजाम में कुमड़ा के 6 नौजवानों को उठा कर हवालात में बंद कर दिया था.

जबरन चोरी की वारदात कबूल करवाने के लिए पुलिस ने इन नौजवानों के साथ जो सुलूक किया, उसे सुन कर किसी का भी दिल दहल सकता है. लगातार 5 दिनों तक सिकंदर, राम, हरप्रीत, अनिल, कपिल और हीरा नाम के नौजवान को बारीबारी से दिनरात मारापीटा गया.

बेतहाशा पिटाई के बाद भी ये खुद को बेगुनाह बताते रहे, तो झल्लाई और गुस्साई पुलिस ने इन्हें बिजली का करंट भी लगाया.

इधर, इन के घर वाले 5 दिनों तक थाने के चक्कर काटते रहे, पर उन की कोई सुनवाई नहीं हुई, तो वे हाईकोर्ट गए और वहां इंसाफ की गुहार लगाई. इस पर मदहोश पुलिस वालों को होश आया, क्योंकि हाईकोर्ट ने इन्हें रिहा करने का हुक्म दिया था.

बाद में पता चला कि इन नौजवानों की कार में सवार कुछ लोगों से मामूली बात पर कहासुनी हो गई थी, तो इन रसूखदारों ने उन्हें चोरी के इलजाम में फंसा दिया.

इन में से एक नौजवान सिकंदर का कहना है कि कार वालों की शिकायत पर पुलिस ने उन्हें पकड़ा और कुछ देर बेवजह इधरउधर घुमाती रही, बाद में इन्हें खरड़ के सीआईए के दफ्तर में ले जा कर चोरी की वारदात कबूल करने का दबाव बनाया गया. बात न मानने पर प्राइवेट पार्ट और छाती में करंट लगाने जैसी वहशी हरकत की गई.

गरीबों पर कहर

दरअसल, पुलिस के वहशीपन में दबंगों का भी बड़ा हाथ रहता है. इन की ज्यादती के शिकार ज्यादातर गरीब, बेबस, मजलूम और छोटी जाति के ही लोग होते हैं. इस तबके के लोगों का कोई माईबाप नहीं होता, न ही इन की सुनवाई कहीं होती, इसलिए ये पुलिस के लिए सौफ्ट टारगेट होते हैं.

जो दबंग और रसूखदार खुद सीधे गरीबों को मारने से कतराते हैं, वे घूस दे कर पुलिस का सहारा लेते हैं. कभी किसी रईस आदमी को पुलिस की ज्यादती का शिकार होते शायद ही किसी ने देखा या सुना हो.

मेरठ के गैसूपुर गांव के दबंग बाशिंदे शिवम का मोबाइल फोन चोरी हो गया था. महज शक की बिना पर शिवम और उस के साथियों ने 7 साला राजा और 11 साला अक्षय को चोरी का जुर्म कबूलवाने के लिए कुएं में उलटा लटका दिया और राजा के हाथ की उंगलियां काट कर उसे डराया गया.

इस पर भी बात नहीं बनी, तो शिवम और उस के साथी इन दोनों को आसफाबाद पुलिस चौकी ले कर पहुंच गए. हैवानियत की यह इंतिहा ही थी कि पुलिस चौकी में पुलिस वालों ने शिवम के साथ मिल कर इन दोनों को खूब मारापीटा.

खबर मिलने पर इन दोनों के घर वालों ने चौकी जा कर गुहार लगाई, तो उम्मीद के मुताबिक कोई सुनवाई नहीं हुई. बच्चों की हालत जब ज्यादा बिगड़ गई, तो उन्हें उन के घर वालों के हवाले कर दिया गया.

गरीब घर वालों ने हिम्मत जुटाते हुए एसएसपी मंजिल सैनी से शिकायत की और बच्चों के बदन के जख्म दिखाए, तो दोनों की मैडिकल जांच कराई गई. एसएसपी मंजिल सैनी की पहल पर शिवम और उस के साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.

मेरठ का ही एक और चिंताजनक मामला शास्त्रीनगर का है, जिस में पुलिसिया कहर की शिकार एक बेगुनाह दलित औरत सरोज बाई बनी.

सरोज ने इसी साल जून महीने में सोनू नाम के नौजवान को शादी के बाबत 20 हजार रुपए उधार दिए थे. तयशुदा वक्त पर सोनू ने सरोज के पैसे वापस नहीं किए, तो उस ने इस की शिकायत पुलिस में की.

गई थी इंसाफ मांगने, पर मिली यातना. पुलिस वालों ने ग्राम प्रधान बाबूराम के इशारे पर सरोज को थाने बुला कर लाठीडंडों से पीटा. इतना ही नहीं, पुलिस वालों ने उस के ही खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया.

सरोज की हालत बिगड़ी, तो पुलिस वालों ने इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया. 4 दिन तक जेल में सरोज को इतनी यातनाएं दी गईं कि वह 22 अक्तूबर तक इलाज कराती फिरी. लेकिन हिम्मत न हारते हुए उस ने पुलिस ज्यादती के खिलाफ एससीएसटी अदालत में मामला दर्ज कराया.

अदालत ने सरोज के आरोपों को सही ठहराते हुए थानेदार समेत पूरे थाने के ही खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का हुक्म दे दिया.

पैसा हो तो बच जाते हैं

भोपाल के एक सीनियर पुलिस अफसर की मानें, तो सच तो यह है कि पुलिसिया कहर से बचने का एकलौता रास्ता चढ़ावा है, जो ज्यादातर लोग देते भी हैं, फिर भले ही इस के लिए उन्हें जमीनजायदाद और जेवरात बेचने पड़ें या भारी सूद पर कर्ज लेना पड़े.

रिटायर होने जा रहे इस इंस्पैक्टर के मुताबिक, पुलिस ज्यादती के महज 10 फीसदी मामले उजागर हो पाते हैं और कोई इन मामलों पर ध्यान नहीं देता.

खबरिया चैनलों पर धर्म पर बहस होती है, राजनीति पर बहस होती है, लेकिन कभी पुलिस ज्यादती पर नहीं होती. जाहिर है, यह जागरूकता की कमी की वजह से है.

पुलिस ज्यादती के 90 फीसदी शिकार गरीब और दलित तबके के लोग ही होते हैं. 10 फीसदी लोग थोड़े पैसे वाले और अकसर ऊंची जाति के होते हैं.

ये लोग कुछ लेदे कर ठुकाई से बच जाते हैं, जबकि इन्होंने वाकई में छोटा हो या बड़ा जुर्म किया होता है, लेकिन गरीब अकसर शक की बिना पर पकड़े जाते हैं और हवालात में लातघूंसे और बिजली का करंट खाते हैं.

खौफनाक तरीके से पिटाई

सच उगलवाने के नाम पर पुलिस जिन तरीकों का इस्तेमाल करती है, बोलचाल की जबां में उन्हें थर्ड डिगरी कहते हैं. इस पिटाई के जो स्पैशल तरीके चलन में हैं, उन में पहला है गिरफ्तार किए गए कैदी को ऐसी जगह मारना, जहां निशान कम पड़ें, जिस से पेशी के वक्त अदालत में पुलिस ज्यादती न दिखे.

एक खास किस्म की स्पैशल पिटाई जिसे देशभर में ‘आन मिलो सजना’ कहा जाता है, के तहत कैदी को नंगा कर हाथपैर बांध कर पीठ के बल लिटा

दिया जाता है. अव्वल तो इतने में ही कैदी कराहने लगता है, इस पर भी भारीभरकम डीलडौल वाला कोई पुलिस वाला उस के बदन पर चढ़ कर बैठ जाता है. फिर शुरू होती है बैल्ट या डंडे से कैदी की धुनाई, जो उसे उस की नानी याद दिला देती है.

एक और तरीका हैलीकौप्टर पिटाई के नाम से मशहूर या बदनाम है, जिस में कैदी के हाथपैर बांध कर उलटा लटका दिया जाता है. ऐसी हालत में खून का बहाव सिर की तरफ ही जाता है, जिस से कैदी को बेहद तकलीफ होती है और उस के सोचनेसमझने की ताकत जाने लगती है. इसी हालत में बैंतों से उस के जिस्म पर जगहजगह पिटाई की जाती है.

तीसरी तरह की खतरनाक पिटाई में कैदी के हाथपैर बांध कर उस की उंगलियों के बीच डंडा फंसा कर लगातार उसे दबाया जाता है. यह तरीका देशभर के थानों में आमतौर पर अपनाया जाता है, जिसे पुलिसिया जबां में ‘गिल्लीडंडा’ कहा जाता है.

सच उगलवाने के नाम पर झूठा जुर्म कबूलवाने के लिए कैदियों को भूखाप्यासा रखा जाता है और उन्हें सोने नहीं दिया जाता. ऐसे में हर कोई भले ही उस ने जुर्म न किया हो, मंजूर करने में ही अपनी भलाई और सलामती समझता है.

नहीं सुधरेंगे

भोपाल की एक आला अफसर बताती हैं कि आप या किसी भी पुलिस वालों से सुधरने की उम्मीद न रखें, क्योंकि हम पर नेताओं, अफसरों और बड़े कारोबारियों का दबाव रहता है. मीडिया वाले भी पीछे नहीं रहते. अगर मुजरिम जुर्म न कबूले, तो हमारी खाल उतारने में कोई रहम नहीं करता, फिर हम क्यों किसी से हमदर्दी से पेश आएं.

किसी मामले में हल्ला ज्यादा मचता है, तो कुसूरवार पुलिस वालों को कुछ वक्त के लिए सस्पैंड या लाइन हाजिर कर दिया जाता है, जो फिर वापस नौकरी पर आ जाते हैं. इस पर हर किसी का ध्यान नहीं जाता, क्योंकि तब तक मामला ठंडा पड़ चुका होता है.

समयसमय पर पुलिस की इमेज सुधारने की हर कहीं मुहिम चलती हैं, पर वह टांयटांय फिस होे कर रह जाती है, क्योंकि खुद पुलिस वाले नहीं चाहते कि उन की इमेज सुधरे. सुधरेगी तो उन्हें घूस मिलना बंद हो जाएगी और सारा रुतबा कोने में रखा रह जाएगा.

नरेंद्र मोदी सरकार ने 2 साल पहले पुलिस की इमेज सुधारने और दूसरी सहूलियतों के लिए 25 हजार करोड़ रुपए की भारीभरकम रकम मंजूर की थी. अब न तो सुधार का कहीं कोई पता है, न ही इस रकम का कि यह कहां गई?

कहीं आपके फोन में वायरस तो नहीं..? ऐसे लगाएं पता

दुनियाभर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला औपरेटिंग सिस्टम है ऐंड्रायड. आज इसके दुनियाभर में 100 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं. कई बार कुछ ऐप डाउनलोड करते वक्त आपके स्मार्टफोन में वायरस आ जाते हैं जिससे आप अंजान रहते हैं. और इन्हीं वायरस की मदद से हैकर्स आपसे जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर लेते हैं. फोन में एक बार वायरस का प्रवेश आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसे में आप कुछ टिप्स अपनाकर अपने फोन में वायरस का पता लगा सकते हैं और उसे हैकर्स से भी बचा सकते हैं.

तो चलिए आज हम इस आर्टिकल में आपको आपके स्मार्टफोन में वायरस का पता लगाने का तरीका बताते हैं.

ज्यादा डाटा खर्च

अगर अचानक से आपके मोबाइल का डाटा पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से खर्च होने लगे, तो इसकी एक वजह आपके मोबाइल में घुसपैठ करने वाले वायरस भी हो सकते हैं. यदि पिछले महीने की तुलना में बगैर ज्यादा इस्तेमाल किए आपका डाटा ज्यादा खर्च हुआ है, तो समझ जाएं कि आपका मोबाइल या टैब वायरस की चपेट में है.

ज्यादा बैटरी खर्च होना

वायरस से न सिर्फ आपके मोबाइल का डाटा खर्च होता है बल्कि आपके मोबाइल की बैटरी पर भी यह काफी प्रभाव डालता है. एक बार वायरस वाले ऐप को डाउनलोड करने के बाद आपके फोन की बैट्री काफी जल्दी खत्म होने लगती है.

फोन में अनचाहे ऐप

कुछ ऐसे भी ऐप होते हैं जो बिना आपकी जानकारी के ही आपके मोबाइल में इंस्टौल हो जाते हैं. ट्रोजन मैलवेयर के जरिए आपके मोबाइल फोन को नुकसान पहुंचाने वाले ऐप औटोमैटिक डाउनलोड हो जाते हैं. यदि फोन में आपको ऐसे ऐप दिखें जो आपने इंस्टौल न किए हों तो उन्हें तुरंत हटा दें.

पौप-अप्स

अगर आप पौप अप्स, नोटिफिकेशन्स, अनचाहे रिमाइंडर और सिस्टम वार्निंग जैसे नोटिफिकेशन्स पर क्लिक करते हैं तो इससे भी आपके डिवाइस में वायरस बढ़ता जाता है. इसलिए ऐसे रिमाइंडर्स और सिस्टम वार्निंग्स पर क्लिक करने से बचें.

मोबाइल बिल में SMS का एक्स्ट्रा चार्ज

अगर आपके मोबाइल बिल में अनावश्यक SMS चार्ज लिया जा रहा है तो सम्हल जाइये क्योंकि आपके फोन में वायरस हो सकता है. आप इस बात का पता लगाइये कि कहीं आपके फोन से प्रीमियम रेट नंबर पर SMS तो नहीं भेजे जा रहे हैं और वह भी बिना आपकी जानकारी के. प्रीमियम रेट नंबर एक स्पेशल नंबर होता है जिसपर मेसेज भेजने का चार्ज सामान्य के मुकाबले कहीं ज्यादा होता है.

बड़े खर्चों लिए जरूरी है छोटी प्लानिंग

क्या आप लंबे समय से कार खरीदने या अपना नया घर लेने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन समय समय पर बड़े खर्चे आने के कारण आपको अपने इस ड्रीम प्‍लान को बार बार आगे खिसकाना पड़ रहा है. बार बार किसी समय जब आप अपनी पसंदीदा कार के डाउनपेमेंट के लिए राशि जुटा पाते हैं, तो पता चलता है कि कार की कीमत भी और बढ़ गई है या फिर मकान की किमत भी बढ़ गई है. तब आपको एक बार फिर से अपने सपनो को पूरा करने के लिए रूकना पड़ता है और एक बार फिर से पैसे जमा होने का इंतजार करना पड़ता है. अक्‍सर आपके साथ ऐसा होता होगा.

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अगर आप आने वाले एक या दो साल में कुछ बड़ा खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए जरूरी है सही प्लानिंग. इसके लिए कुल राशि को जानें और उसे बराबर हिस्सों में बांट लें. ऐसा करने से आपको पैसे जमा करने का पर्याप्त समय मिल जाएगा. मंहगी चीज जैसे की मकान, गाड़ी या स्कूटी के लिए पहले से प्लानिंग जरूरी है.

जानिए आप कैसे कर सकते हैं प्लानिंग.

अपने टार्गेट अमाउंट को जानें

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किसी भी चीज को खरीदने से पहले उसकी कीमत जान लें. इसके बाद अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार फैसला करें क्या आप उसे खरीदने की स्थिति में हैं या नहीं. महंगी चीज खरीदने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपकी जरूरतें कितनी है. उदाहरण के तौर पर अगर आप 60,000 रूपये की स्कूटी खरीदना चाहते हैं तो यह राशि आपका टार्गेट अमाउंट है.

अपने टार्गेट अमाउंट को बराबर हिस्सों में बांट लें

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एक बार अपनी टार्गेट राशि को जानने के बाद इसे बांट लें. मान लीजिए जैसे आपका टार्गेट अमाउंट 60,000 रूपये हैं तो इसे 12 महीनों में बांटने से हर महीने का 6000 रूपये बनेगा. ऐसा करने से आप पूरे साल अपने टार्गेटेड अमाउंट को ध्यान में रखकर बचत कर पाएंगे.

क्या करें अगर टार्गेटेड अमाउंट बहुत ज्यादा हो

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मान लीजिए कि आपकी टार्गेटेड राशि 2.5 लाख रूपये हैं. ऐसे में आपको 21000 रूपये की हर महीने बचत करनी होगी. ऐसे में यह राशि बैंक में जमा करने से आपको ज्यादा ब्याज नहीं मिलेगा. निवेश और पूंजी बढ़ाने के लिए ऐसे निवेश विकल्प का चयन करें, जिससे आपको ज्यादा से ज्यादा ब्याज मिल सके. इस स्थिति में सिर्फ बचत काम नहीं आएगी आपको निवेश की ओर भी बढ़ना होगा.

इस टार्गेट अमाउंट को जमा करने के लिए कैसे करें निवेश

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जमा करने के लिए आप हर महीने अपनी सैलरी से बचत कर के बैंक में जमा कर सकते हैं या फिर कोशिश करें कि अपने पैसे को ऐसी जगह निवेश करें जहां से आपको ज्यादा से ज्यादा ब्याज मिल सकता है. इससे आप साल के अंत तक अपनी अनुमानित राशि से ज्यादा जमा कर पाएंगे.

क्या भारत साउथ अफ्रीका को टक्कर दे पायेगा..?

साल 2017 में एक बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली टीम इंडिया क्या साउथ अफ्रीका के खिलाफ भी अपने इस विजय रथ की लहर को जारी रख पायेगी? यह सवाल आजकल हर तरफ पूछा जा रहा है. बेशक अगर इस साल का पन्ना उठा के देखा जाये तो टीम इंडिया की कई ऐसी अद्भुत पारी थी जो उनके उत्कृष्ट होने की गवाह थी. पर इनमे उन स्थितियों को नकारा नहीं जा सकता जिनमें सब कुछ अनुकूल होते हुए भी हार का सामना करना पड़ा था. इसमें पाकिस्तान के साथ खेली गयी पारी भी शामिल है.

खेले गए 29 मैच में से 21 में जीत दर्ज करने वाले टीम इंडिया के उतार चढ़ाव भरे करियर को देखते हुए, अफ्रीकी दौरे को लेकर टीम मैनेजर लालचंद राजपूत से पूछे गए सवाल के जवाब में उनका कहना था,” जिस तरह से भारतीय टीम खेल रही है, वह बेहद अच्छा है. विराट कोहली एक कप्तान होने के साथ साथ एक आक्रामक प्लेयर भी हैं. वह जो आक्रामकता दिखाते हैं, उसका असर अन्य खिलाडियों पर भी देखने को मिलता है. उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वे किसी भी कीमत पर जीतना चाहते हैं और वे विरोधियों को कुचलने का साहस रखते हैं. ”

भारत क्रिकेट टीम जनवरी और फरवरी 2018 में दक्षिण अफ्रीका का दौरा करने के लिए तीन टेस्ट, छह वनडे अंतरराष्ट्रीय (वनडे) और तीन T-20 इंटरनेशनल (टी -20) मैच खेलेगी. पूर्व भारतीय कोच अनिल कुंबले ने विश्वासपूर्वक भविष्यवाणी की कि भारत दक्षिण अफ्रीका में इतिहास बना देगा.

कुंबले ने कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि जो टीम हमारे पास है वह निश्चित रूप से दक्षिण अफ्रीका में इतिहास बनाने के लिए आगे बढ़ेगी. राजपूत ने भारतीय गेंदबाजों को बेहद प्रभावी बनाया और 20 विकेट लेने और टीमों को मैच में महत्वपूर्ण दौरों में जीत दिलाने में मदद की.

मैच की रणनीति के बारे में पूछने पर लालचंद राजपूत का कहना था की, “एक टेस्ट मैच जीतने के लिए, हमें 20 विकेट लेने की जरूरत है. हमारे पास गेंदबाज हैं जो 20 विकेट ले सकते हैं. भुवनेश्वर कुमार शिखर पर है, उमेश यादव ने अच्छा प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा, यदि विकेट से थोड़ी भी मदद मिली तो हमारे खिलाड़ी खतरनाक साबित हो सकते हैं.”

भारत के लिए चुनौतियां

इतनी सफलता के बावजूद, भारत के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं. उनका कोलकाता और धर्मशाला में श्रीलंका के खिलाफ श्रृंखला में दो हार का सामना हुआ.

मध्य क्रम शुरू से भारत का कमजोर बिंदु रहा है. जब शिखर धवन और विराट कोहली जैसे खिलाड़ी जल्दी आउट होते हैं, तो अगले बल्लेबाजों में आने वाले खिलाड़ियों को चुनौती का सामना करना पड़ता है, जैसा कि पाकिस्तान के खिलाफ चैंपियंस ट्राफी फाइनल में था.

उम्मीद करते हैं टीम इंडिया का ये दौरा भी मील का पत्थर साबित होगा. यदि कोहली की कप्तानी में टीम यह श्रृंखला जीतती है, तो 2017 की उपलब्धियों में यह एक सुनहरा अध्याय होगा.

क्या ‘पद्मावती’ के फैंस को करना पड़ेगा लंबा इंतजार..?

फिल्मकार संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म ‘पद्मावती’ पर चल रहा विवाद अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस फिल्म को पहले 1 दिसंबर को रिलीज किया जाना था, लेकिन भारी विवाद के चलते इस फिल्म पर रोक लग गई और इसकी रिलीज डेट टालनी पड़ गई थी. लेकिन फिल्म की रिलीज डेट टालने के बाद से ही दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह जैसे सितारों से सजी इस ऐतिहासिक फिल्म का फैन्स बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात सामने आई है उससे तो यही लगता है कि ‘पद्मावती’ के फैन्स को यह फिल्म देखने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा.

इसका कारण यह है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने इस फिल्म को अब भी देश में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए प्रमाणपत्र नहीं दिया है. इसकी जानकारी खुद सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ (सेवानिवृत्त) ने सोमवार को राज्यसभा को दी.

उन्होंने बताया कि यह फिल्म चलचित्र अधिनियम 1952, चलचित्र (प्रमाणन) नियमावली 1983 तथा उसके अंतर्गत बनाए गए दिशानिर्देशों के अनुसार प्रमाणन की प्रक्रिया से गुजरेगी. जिसके लिए 68 दिन का समय लगेगा. राठौड़ ने बताया कि यदि फिल्म में दर्शाए गए विषयों पर विशेषज्ञों की राय अपेक्षित होगी तो सीबीएफसी के अध्यक्ष अतिरिक्त समय सीमा के संबंध में निर्णय करेंगे.

बता दें कि यह पहला मौका नहीं था जब सेंसर बोर्ड ने फिल्म ‘पद्मावती’ को बिना पास किए वापस लौटाया हो. जहां एक ओर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, समेत कई राज्यों ने इस फिल्म को अपने राज्य में बैन कर दिया है वहीं दूसरी ओर अभी तक इसकी कोई रिलीज डेट फाइनल नहीं हो पाई है.

सरकार के इस फैसले के बाद ऐप्पल ने महंगे किये आईफोन

सरकार ने पिछले सप्ताह मोबाइल हैंडसेट पर कस्टम ड्यूटी 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दी थी. इसके बाद देश के स्मार्टफोन विक्रेताओं में सबसे पहले ऐप्पल ने अपने आईफोन के सभी मौडलों की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है. इसमें Apple iPhone SE शामिल नहीं है, क्योंकि कंपनी इसे अपने बेंगलुरू के प्लांट में असेंबल करती है. काउंटर प्वाइंट रिसर्च के एसोसिएट निदेशक (मोबाइल डिवाइस और इकोसिस्टम) तरुण पाठक ने बताया, “जैसा कि उम्मीद थी, ऐप्पल ने आईफोन की कीमतें बढ़ा दी है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पर भारत में ऐप्पल समुदाय की प्रतिक्रिया क्या होगी.”

पाठक ने आगे कहा, “इससे यह भी संकेत मिलता है कि ऐप्पल को भारत में अपने उत्पादों के निर्माण पर गंभीरता से विचार करना होगा.” दिल्ली में ऐप्पल के अधिकृत विक्रेताओं ने भी कीमतों में बढ़ोतरी की पुष्टि की है. अब iPhone X (64 GB वेरिएंट) खरीदने के लिए 92,430 रुपये खर्च करने होंगे, जबकि पहले यह 89,000 रुपये में उपलब्ध था. वहीं, इसके 256GB वाले वेरिएंट की कीमत बढ़कर 1,05,720 रुपये हो गई है, जबकि पहले यह 1,02,000 रुपये में बिक रहा था.

आईफोन 8 की कीमत अब 66,120 रुपये (64 GB वेरिएंट) और 79,420 रुपये (256 GB वेरिएंट) है. वहीं, आईफोन 8 प्लस की कीमत अब 75,450 रुपये (64 GB वेरिएंट) और 88,750 रुपये (256 GB वेरिएंट) है.

आईफोन 6, 32GB की कीमत 29,500 रुपए है, यह 30,780 रुपए में मिलेगा. आईफोन 6s 32GB की कीमत 40,000 रुपए है, यह 41,550 रुपए में मिलेगा.  आईफोन 6s 128GB की कीमत 49,000 रुपए है, यह 50,650 रुपए में मिलेगा. आईफोन 6s plus 32GB की कीमत 49,000 रुपए है, यह 50,740 रुपए में मिलेगा. आईफोन 6s 128GB की कीमत 58,000 रुपए है, यह 59,860 रुपए में मिलेगा. आईफोन 7 32GB की कीमत 49,000 रुपए है, यह 50,810 रुपए में मिलेगा. आईफोन 7 128GB की कीमत 58,000 रुपए है, यह 59,910 रुपए में मिलेगा. आईफोन 7plus 32GB की कीमत 59,000 रुपए है, यह 61,060 रुपए में मिलेगा. आईफोन 7plus 128GB की कीमत 68,000 रुपए है, यह 70,180 रुपए में मिलेगा.

बैंक में रखे लोगो के पैसे सुरक्षित, FRDI में होगा बदलाव

बैंकों में जमा आम आदमी के पैसों पर कोई आंच न आए, इसके लिए इंडस्ट्री बौडी एसोचैम ने  फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपौजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल में सरकार को जरूरी बदलाव करने की हिदायत दी है.

हटाया जाए ‘बेल-इन’ प्रस्ताव

एसोचैम ने कहा है कि बिल में आम आदमी की जमा पूंजी की सुरक्षा को लेकर तस्वीर साफ की जानी चाहिए. उसने सरकार को ये भी हिदायत दी है कि वह एफआरडीआई बिल के ‘बेल-इन’ प्रस्ताव को हटा दे, जो जमाकर्ता को भी क्रेडिटर्स के तौर पर गिनता है.

ध्यान में रखकर पेश हो‍ बिल

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एसोचैम ने एक बयान जारी कर बताया कि बिल के इस ‘बेल-इन’ प्रस्ताव ने आम लोगों के बीच बैंक में जमा अपने पैसे को लेकर संशय की भावना पैदा कर दी है. एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि बिल में दिए गए इस प्रस्ताव को भारतीयों को ध्यान में रखकर पूरी तरह निकाल दिया जाना चाहिए. क्योंकि आम आदमी के पैसे की रक्षा हर हाल में की जानी चाहिए.

बैंकों में टिकेगा लोगों का विश्वास

रावत ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो बैंकों में लोगों का जो विश्वास बना है. वह खत्म हो जाएगा. इसकी वजह से सरकार के सामने नई चुनौतियां आएंगी. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जो पैसा बैंकों में जमा हो रहा है. इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद वह अन्य गैरजरूरी क्षेत्रों में लगना शुरू हो जाएगा.

लोग बैंकों में पैसा रखने से बचने के लिए उसे रियल इस्टेट, सोना और ज्वैलरी खरीदने में खर्च करेंगे. इसके अलावा लोग अपनी जमा पूंजी को असंगठित संस्थानों में लगाएंगे और इससे वित्तीय गड़‍बड़ी की स्थ‍िति तैयार होने की आशंका है.

बैंक सामाजिक सुरक्षा का मजबूत आधार

रावत ने आगे कहा कि भारत में मध्यम वर्गीय व्यक्‍ति और वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक में रखी जमा पूंजी ही सामाजिक सुरक्षा का एक मजबूत आधार है. बैंक में रखी जमा पूंजी ही उनकी वित्तीय सुरक्षा होती है. उन्होंने सुझाव दिया कि भारत में पश्च‍िमी देशों में लागू किया गया मौडल नहीं लाया जाना चाहिए.

क्या है बेल-इन प्रस्ताव

एफआरडीआई बेल में दिए गए बेल इन प्रस्ताव का मतलब है कि जब भी कोई बैंक दिवालिया होगा, तो उसे बचाने का भार सिर्फ सरकार ही नहीं उठाएगी. बल्क‍ि बैंक को बचाने के लिए जमाकर्ता को भी थोड़ा भार उठाना पड़ेगा.

गर्लफ्रेंड के साथ घूम रहे रहाणे को जब लड़की की मां ने देख लिया

भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान अजिंक्य रहाणे मैदान पर काफी शांत दिखाई देते हैं. रहाणे ने अपनी बचपन की दोस्त राधिका धोपावकर के साथ शादी की थी. लेकिन शादी से पहले उन्होंने कई सालों तक राधिका को डेट किया था. राधिका धोपावकर और रहाणे पड़ोसी थे और बचपन से ही दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी.

रहाणे ने एक शो के दौरान एक बार कहा था कि शादी से पहले जब वह राधिका को डेट कर रहे थे तो एक बार कुछ ऐसा हुआ जिसे वो आज भी नहीं भूल पाए हैं. दरअसल, रहाणे राधिका के साथ फिल्म देखकर घर की तरफ लौट रहे थे. तभी राधिका की नजर अपनी मां पर गई, उन्होंने रहाणे से कहा – ‘मेरी मां इधर ही आ रही हैं’.

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ये कहकर राधिका गाड़ी की सीट के नीचे छिप गई. रहाणे उस दौरान कार चला रहे थे लेकिन राधिका की बात सुनकर वो भी परेशान हो गए. उन्होंने वहां से निकलने के लिए जल्दबाजी में गाड़ी पीछे की. गाड़ी जाकर पीछे खड़ी एक औटो से टकरा गई.

रहाणे को तो बस उस समय वहां से निकलना था. औटो वाला आवाज देता रह गया लेकिन रहाणे ने उसे अनसुना कर कार की स्पीड तेज की और वहां से निकल गए. रहाणे ने कहा कि शायद उस दौरान राधिका की मां ने हमें देख लिया था.

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रहाणे ने शो पर कहा कि उसके बाद हम मौल में जाकर ही रुके. इसके साथ ही रहाणे ने कई और किस्सों को इस शो पर लोगों के साथ शेयर किया. बता दें कि 2014 में अजिंक्य रहाणे और राधिका ने परिवार वालों की मर्जी से लव-अरेंज्ड मैरेज की.

अजिंक्य रहाणे और राधिका अक्सर अपनी तस्वीरें इंस्टाग्राम पर शेयर करते रहते हैं. दोनों ही सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. बता दें कि रहाणे को श्रीलंका के खिलाफ खेले गए वनडे सीरीज में टीम में शामिल किया गया था. लेकिन उन्हें सीरीज का एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला.

पापा सैफ अली खान संग घुड़सवारी करते दिखे तैमूर

बौलीवुड एक्टर सैफ अली खान और एक्ट्रेस करीना कपूर के नन्हे शहजादे तैमूर अली खान का बुधवार को पहला जन्मदिन है. वह अपना पहला जन्मदिन पटौदी में मनाएंगे और पटौदी पेलेस में उनके जन्मदिन की तैयारियां काफी जोर-शोर के साथ चल रही है. कुछ दिन पहले तैमूर, सैफ और करीना के साथ एयरपोर्ट पर भी स्पौट हुए थे. अब हाल ही में करिश्मा कपूर ने तैमूर की एक क्यूट तस्वीर शेयर की है.

इस तस्वीर में तैमूर, करीना और सैफ तीनों साथ में नजर आ रहे हैं. सैफ घोड़े पर बैठे हुए दिख रहे हैं और उन्होंने तैमूर को गोद में उठाया हुआ है तो वहीं करीना घोड़े के साथ खड़ी हुई नजर आ रही हैं. सैफ, तैमूर और करीना की यह तस्वीर बेहद ही प्यारी है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक तैमूर के पहले जन्मदिन पर एक छोटे से फैमिली गेट टुगेदर का आयोजन किया जाएगा. इस गैट टुगेदर में केवल परिवार के सदस्य ही शामिल होंगे और इसी सिलसिले में करीना की बहन करिश्मा पटौदी गई हुई हैं. खबरों की माने तो इस पार्टी में शाहरुख खान के बेटे अबराम और करण जौहर अपने बच्चों रूही और यश के साथ शामिल होंगे. वहीं सोहा अली खान भी तैमूर के पहले बर्थडे सेलिब्रेशन में शामिल होंगी.

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करीना कपूर के बेटे के जन्म के बाद जब सैफ ने अपने बेटे का नाम तैमूर तय किया तो तमाम लोग इसके विरोध में आ गए. तमाम लोगों का यह तर्क था कि सैफ एक क्रूर शासक के नाम पर अपने बेटे का नाम कैसे रख सकते हैं. हालांकि तैमूर की मासूमियत और उसके भोलेपन वाली तस्वीरों के बीच यह बहस भी कहीं खो सी गई. देखना यह होगा कि तैमूर के बर्थडे पर क्या कुछ खास होता है.

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