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6 मजेदार टिप्स :बढाएं सैक्स टाइमिंग

अकसर ऐसा देखा गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष सैक्स के दौरान चरमसुख तक आसानी से पहुंच जाते हैं यानी पुरुषों को और्गैज्म तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता. ऐसे में फीमेल पार्टनर को संतुष्टि नहीं मिलती है. एक पुरुष के लिए यह बात काफी शर्मनाक बात होती है कि वह अपने पार्टनर को सैक्स में आनंद नहीं दे पा रहा. प्रीमैच्योर इजैक्यूलेशन इन दिनों काफी नौर्मल है और ज्यादातर लोग इस से जूझ रहे हैं पर वे शर्म के मारे किसी को नहीं बता पाते और इसे अपने मन में ही रखते हैं.

महिलाओं को भी इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि अगर अपने मेल पार्टनर से वे संतुष्ट नहीं हो पा रही हैं तो ऐसे में उन्हें कोई और रास्ता तलाश करने की बजाए अपने पार्टनर की मदद करनी चाहिए.

आज हम आप को बताएंगे कुछ ऐसे कमाल के टिप्स जिस से आप लंबे समय तक सैक्स कर अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाएंगे.

ज्यादा से ज्यादा करें फोरप्ले

लंबे समय तक सैक्स करने में फोरप्ले काफी लाभदायत साबित होता है. इस में आप को सैक्स से पहले और सैक्स के दौरान अपने पार्टनर के साथ जम कर रोमांस करना है और अपने हाथों और मुंह का इस्तेमाल कर अपने पार्टनर के हर पार्ट को इस तरह से सहलाना है कि आप का पार्टनर आप का दीवाना बन जाए.

अगर सैक्स के दौरान आप को लगता है कि आप अपना स्पर्म लूज करने वाले हैं तो ऐसे में आप को सैक्स से थोड़ा ब्रेक ले कर दोबारा से फोरप्ले करना चाहिए.

कंडोम का करें इस्तेमाल

अगर आप को लगता है कि आप समय से पहले ही अपना स्पर्म लूज कर देते हैं तो ऐसे में आप को कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए. बाजार में कई तरह के कंडोम्स आते हैं लेकिन आप को ध्यान रखना है कि आप को थिक कंडोम लेना है क्योंकि कंडोम जितना पतला होगा जल्दी क्लाइमैक्स तक पहुंचेंगे.

दरअसल, हमारी स्किन काफी सैंसिटिव होती है और सैक्स के दौरान इसी सैंसिटिव स्किन की वजह से यह फील होने लगता है कि हम अपना स्पर्म लूज करने वाले हैं तो ऐसे में कंडोम के जरीए लंबे समय तक सैक्स का मजा लिया जा सकता है.

सैक्स के दौरान बातचीत करें

लंबे समय तक सैक्स करने के लिए सैक्स के दौरान बीचबीच में अपने पार्टनर के साथ बात भी करनी चाहिए और उन की आंखों में आंखें डाल कर उन की तारीफ करनी चाहिए.

सैक्स करते समय सिर्फ सैक्स पर ही फोकस नहीं करना चाहिए बल्कि सैक्स की टाइमिंग बढ़ाने के लिए सैक्स के बीच में ब्रैक भी लेने चाहिए और इन ब्रैक्स में अपने पार्टनर के साथ भरपूर रोमांस का आनंद उठाना चाहिए और फिर से सैक्स करना चाहिए. ऐसा करने से पार्टनर खुद को सैटिस्फाइड फील करेगा.

फिजिकल ऐक्टिविटी है जरूरी

सैक्स के दौरान हमारा स्टैमिना काफी काम आता है. हमारा स्टैमिना जितना अच्छा होता हम उतना ज्यादा सैक्स कर पाएंगे और जल्दी थकेंगे नहीं, तो ऐसे में आप को अपनी डेली रूटीन में फिजिकल ऐक्टिविटीज पर जरूर ध्यान देना चाहिए और जितना हो सके अपना स्टैमिना बढ़ाना चाहिए.

जल्दी थकने के कारण हम अपने स्पर्म को रोक नहीं पाते और समय से पहले ही क्लाइमैक्स तक पहुंच जाते हैं और फिर खुद को वीक फील करने लगते हैं जिस से कि हमारा पार्टनर हम से सैटिस्फाइड नहीं हो पाता.

डाइट का भी रहें खयाल

जैसे हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा खाने की जरूरत होती है ठीक वैसे ही अच्छे सैक्स के लिए भी अच्छी डाइट की जरूरत होती है. हमें ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां खानी चाहिए और अच्छी मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए जिस से कि हमारा शरीर स्वास्थ रहे और सैक्स के दौरान हम जल्दी न थकें.

खराब डाइट के कारण भी हमारा शरीर थका हुआ सा फील करने लगता है जिस से कि हम ठीक से सैक्स नहीं कर पाते. हमें बाहर का फास्ट फूड जितना कम हो सके उतना कम खाना चाहिए.

शराब का सेवन बिल्कुल न करें

कई बार देखा गया है कि पुरुष शराब पी कर सैक्स करते हैं जोकि बिलकुल गलत है. शराब पीने से हमारा माइंड काफी स्लो हो जाता है और कई बार हम शराब के नशे की वजह से ठीक से सैक्स नहीं कर पाते जिस से कि हमारे पार्टनर को काफी बुरा लगता है.

अधिक शराब का सेवन करने के कारण कई बार हमारा अंग ठीक से काम नहीं करता न ही हम खुद सैटिस्फाइड हो पाते हैं और न ही अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाते हैं. ऐसे में सैक्स के दौरान या सैक्स से पहले शराब का सेवन बिलकुल न करें.

अगर शादी कर के अपनी गृहस्थी बना रहे हो तो खुद से जीना सीखें

“ये तेरा घर ये मेरा घर, हमारी हसरतों का घर” घरोंदा फिल्म के इस गीत में वाकई घर की हसरतें झलकती हैं और जब खुद अपने दम पर अपना घरोंदा बसाया जाता है तो उस की ख़ुशी ही अलग होती है. वैसे भी शादी चाहे वह लव हो या अरेंज हो, आप को किसी की तरफ देखने की जरुरत नहीं है. जो करना है आप खुद से ही करें. आप को ये अहसास होना चाहिए जैसे बच्चा एकएक कदम कर के चलना सीखता है वैसे ही मैरिड लाइफ में आप को धीरेधीरे एकएक चीज जोड़नी है. चाहे किराए पर लेना पड़े लेकिन अपने बजट में घर लें और उसे खुद ही सजाएं. अगर आप के मातापिता का घर बहुत बड़ा है तो क्या हुआ आप तो यही छोटा घर अफोर्ड कर सकते हैं, तो कोई बात नहीं. अपनी ज़िंदगी यहां से शुरू करें.

शादी के बाद अपनी गृहस्थी खुद चलाएं

अपने पार्टनर के साथ नई लाइफ शुरू की है, तो कम सहूलियतों के चलते घबराना कैसा. ये आप का घरोंदा है, आप की गृहस्थी है इसे खुशीखुशी अपने हिसाब से चलना सखिए.

अपने सपने बुनें

आपने यह तो सुना ही होगा कि सपने पूरे करने के लिए इन्हें पहले देखना पड़ता है. इसलिए अपने साथी के साथ मिल कर भविष्य के लिए सपने बुनें. आप अपने घर के लिए क्याक्या सामान लेना चाहते हैं, अपनी जौब में आने वाले सालों में खुद को कहां देखना चाहते हैं, बिजनेस करते हैं तो उसे कितनी ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना है. ये सब बातें अपने पार्टनर के साथ मिल कर करें तो साथ में कुछ प्लानिंग भी करें कि कौन सा काम कब करना है और कब तक पूरा करना है.

घर को अपने बजट के अनुसार चलाएं

शादी से पहले आपने जो कुछ भी किया हो वह अलग बात है लेकिन अब आप बैचलर नहीं हो इसलिए जब बात घर को चलाने की आती है, तो पार्टनर्स के साथ मिल कर सब से पहले घर का बजट तय करना चाहिए. बिना प्लान के किसी भी तरह से खर्च करने पर अंत में आप को पैसों की समस्या का सामना करना पड़ता है. इसलिए तय करें कि हर महीने किस चीज पर कितना पैसा खर्च किया जाएगा.

छोटीछोटी बचत करें

शादी के बाद जहां खर्चना अच्छा लगता है वहां पर छोटीछोटी बचत करने का भी अपना अलग ही मज़ा है. जो भी कमाई है उस का कुछ हिस्सा बचा कर रखें क्योंकि अब आप पहले की तरह अपने मातापिता से खर्चा नहीं मांगेगे.

अपनी लड़ाई को खुद ही सुलझाना सीखें

नएनए शादी में दो लोगों को एक साथ एडजस्ट करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. जहां पहले सब कुछ आप का अपना अकेले का था वहीं हर चीज पार्टनर के साथ शेयर करनी पड़ती है. जोइंट फैमिली में लड़ाई को सुलझाना आसान आता है क्योंकि सब यही सोच कर ऊंची आवाज में एकदूसरे पर आप नहीं चिल्लाते और अगर ऐसा होता भी है बहुत से लोग आप की लड़ाई को समझाबुझा के ख़तम करा देते हैं. लेकिन यहां आप अकेले हैं इसलिए समझदारी से चलें. सब से पहले लड़ाई हो तो भी एकदूसरे का सम्मान करना न छोड़ें और अपशब्द न बोलें. साथ ही बोलचाल बंद न करें और रात को झगड़ा सुलझा कर ही सोने का रूल बनाएं फिर चाहे सौरी दोनों में से कोई भी बोलना पड़े.

घर का हर डिसीजन दोनों की सहमति से लिया जाए

शादी के बंधन में बंधने के बाद हर इंसान को अपने पार्टनर के साथ मिल कर सभी फैसले लेने होते हैं. ऐसा करने से ही जीवन लंबे समय तक खुशहाल होता है. भले ही आप हमेशा से अपने मर्जी के मालिक रहे हों, लेकिन जीवनसाथी के आ जाने के बाद इस रवैये को जारी नहीं रखा जा सकता है.

कोई इमेरजैंसी है तो उसे खुद मैनेज करना सीखें

मुसीबत के आने का कोई वक्त मुक़र्रर नहीं होता, लेकिन उस से निपटने के लिए जरूर आप की तैयारी पूरी होनी चाहिए. जैसे कि फाइनेंसियली आप के हर वक्त इमेरजेंसी अमाउंट होना चाहिए. साथ ही आप को अपने औफिस या आसपड़ोस में ऐसे संबंध बना कर रखने चाहिए कि एक आवाज पर लोग मदद के लिए आ जाएं.

अपनी जरूरतें खुद पूरी करें

अपनी जरूरते पूरी करने के लिए किसी का मुंह न देखें. हर छोटी बड़ी बात में मातापिता को तंग न करें, आज हमें इस की जरुरत है आज उस की, ऐसा करना गलत है. ये आप की गृहस्थी है इस की जरूरतें आप की अपनी है उन की कोई जिम्मेदारी नहीं है.

घर का एकएक सामान खुद खरीदें

अपने पार्टनर के साथ मार्किट जा कर खुद एकएक सामान चुन कर खरीदने का मज़ा ही अलग है. जब कोई नया फर्नीचर या कोई अन्य चीज घर आती है जो आपने खुद मेहनत से रिसर्च कर के खरीदी हो तो उसे यूज़ करते समय चीज से लगाव अलग ही नजर आता है जब आप सोफे पर बैठे हों तो साथी बोले अरे गंदे पैर ऊपर मत रखो अभी नया है सोफ. इस से आपदोनों ही चीज की केयर करोगे, दोनों को ही लगाव होगा. जब कोई भी नए चीज खरीद कर अपने घर सामन बढ़ाएंगे तो उस से एक संतुष्टि मिलेगी कि ये हमारी अपनी मेहनत से लाई गए चीज है.

घर के काम मिलजुल कर पूरे करें

माना आपने पहले घर संभालने वाले ये सब काम नहीं किए होंगे. अब तक मातापिता ही अब काम देख रहे होंगे लेकिन अब खुद करने की आदत डालें. घर के कामकाज के लिए मेड आदि रखें. दोनों साथ में काम करें और एक काम के बहाने एकदूसरे के साथ वक्त भी बिताएं.

मैरिज एकदूसरे पर औनरशिप नहीं पार्ट्नरशिप है

“अरे ये क्या पहन रखा है? तुम्हें पता है न कि मुझे तुम्हारा साड़ी पहनना पसंद नहीं है.”

“मैं ने तुम्हें आधे घंटे पहले फोन किया था तुम ने कौल पिक क्यों नहीं की? आधे घंटे बाद रिप्लाई क्यों किया?”

रेस्टोरेंट में आप का मन गोलगप्पे का है लेकिन सामने वाला चाहता है कि चाट खानी चाहिए.

“तुम अपने किस फ्रैंड से बात कर रहे थे? मुझे वह बिल्कुल पसंद नहीं.

तुम्हारा बौस तुम्हें औफिस में लेट क्यों रोकता है?”

ये बातचीत उन दो लोगों के बीच की हैं जो कुछ समय बाद शादी करने का सोच रहे हैं.

आप को देखने में ये कुछ छोटी बातें लग सकती हैं लेकिन क्या आप को नहीं लगता ये छोटी बातें आगे चल कर बहुत बड़ी बन जाएंगी?

ऊपर की बातचीत से क्या आप को भी नहीं लगा रहा कि ये दोनों एकदूसरे को कंट्रोल करने या एकदूसरे का मालिक बनने की कोशिश कर रहे हैं?

शादी का फैसला किसी की भी जिंदगी का सब से बड़ा फैसला माना जाता है. अगर आज आपने अपने लिए सही पार्टनर चूज नहीं किया तो आप की और आप के पार्टनर की जिंदगी खराब हो सकती है. आज हम आप को कुछ ऐसे सवालों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें पूछने के बाद आप को शादी करने का फैसला लेने में मदद मिल सकती है. अगर आपने शादी से पहले अपने पार्टनर से इन टौपिक्स पर बात नहीं की, तो आगे चल कर आप के रिश्ते में दरार भी पैदा हो सकती है.

एकदूसरे को जाननेसमझने का ये प्रोसेस शादी से पहले शुरू हो जाना चाहिए फिर चाहे आप लव मैरिज कर रहे हों या अरेंज मैरिज.

दरअसल, हजबैंडवाइफ ज़िंदगी की गाड़ी के दो पहिए होते हैं. दोनों को ही साथ मिल कर एकदूसरे के साथ चलना होता है ऐसे में अगर दोनों मे से कोई भी ये सोचे कि वो सामने वाले को बेड़ियों में जकड़ सकता है, कंट्रोल कर सकता है, डोमिनेट कर सकता है, उस का मालिक बन सकता है तो ये पूरी तरह से ग़लत है. एकदूसरे पर बातबात पर रोकटोक करने से आप सिर्फ और सिर्फ अपना नुकसान करेंगे और अपने रिश्ते का बरबादी के कगार पर ले आएंगे.

अगर अपनी आने वाली मैरिड लाइफ में नहीं चाहते कलेश तो शादी से पहले ही अपने पार्टनर से जरूर डिस्कस कर लें ये सवाल और उसे अच्छी तरह से टेस्ट कर लें कि उस से आप को शादी करनी भी है या नहीं ?

जानिए कि आप का होने वाला लाइफ पार्टनर आप का सही में पार्टनर होगा या फिर आप का औनर?

दोनों में से कोई किसी को नहीं करेगा कंट्रोल करने की कोशिश

अगर आप चाहते हैं कि आप की आने वाली मैरिड लाइफ अच्छे से चलती रहे तो शादी करने से पहले यह क्लियर कर लें कि कोई भी एकदूसरे को कंट्रोल नहीं करेगा. दोनों की अपनी इच्छाएं, अपनी पसंद, अपने सपने हैं. दोनों एकदूसरे की इच्छाओं, सपनों का सम्मान करेगा. ताकि दोनों का रिश्ता खुल कर सांस ले सके और रिश्ते में घुटन न हो.

दोनों पार्टनर की हो सकती है अपनीअपनी राय

दोनों को इस बात का ख्याल रखना होगा कि किसी भी बात या समस्या पर दोनों की अपनी राय हो सकती है. ऐसे में किसी की भी कही गई किसी भी बात को इग्नोर करने की बजाए सामने वाले की बात को भी ध्यान से सुनना और उस की बात को सम्मान देना होगा.

दोनों पार्टनर की होगी अपनी चौइस

आप अगर अपने पार्टनर के कपड़ों को ले कर रोकटोक करते हैं तो ये आप के रिश्ते की एक बड़ी गलती साबित हो सकती है. आप के पार्टनर को कैसे कपड़े पहनने हैं इसे सिर्फ उन्हें ही डिसाइड करने दें ताकि उन्हें आप के साथ कभी घुटन न महसूस हो और उस ऐसा न लगे कि उस की अपनी कोई चौइस या लाइफ नहीं है. अगर दोनों में से किसी का बिहेवियर है ऐसा, तो समझ जाएं कि आप को कंट्रोल करने या आप का औनर बनने की कोशिश कर रहा है और आगे चल कर आप का रिश्ता सरवाइव नहीं कर पाएगा.

खुद को सही दूसरे को गलत ठहराने की आदत तो नहीं

“तुम ने फलां कंपनी के शेयर में इन्वेस्ट क्यों किया? तुम्हें समझ नहीं है, तो क्यों करती या करते हो”

हर बात में कमियां निकालने की आदत

“तुम ने बेडशीट सही से नहीं बिछाई, कितनी सिलवटें हैं, तुम्हें गाड़ी सही से नहीं चलानी आती, ये कैसी सफाई की है सब कुछ तो गंदा पड़ा है, ये कैसा खाना बनाया है.”

कंट्रोलिंग नेचर वाले पार्टनर की एक बहुत ही खराब आदत होती है कि वह सामने वाले के हर एक काम में कोई न कोई कमियां निकालता रहता है और उस पर सही से काम करने का प्रेशर बनाता रहता है और सामने वाले को किसी काम के काबिल नहीं समझता.

कड़ी नजर रखने की आदत

अगर आप का होने वाला पार्टनर आप कब कहां जा रहे हो, किस के साथ जा रहे हो. बारबार फोन कर के आप के हर एक पल पर नजर रखे हुए है तो ये आप के रिश्ते के लिए सही बात नहीं. ये उन के आप को कंट्रोल करने की निशानी है.

एकदूसरे का सम्मान

अगर आप का होने वाला पार्टनर आप के फाइनेंशियल स्टेटस, पढ़ाईलिखाई, गुण या फिर नौकरी में आप के दोस्तों, जानने वालों के सामने आप को नीचा या छोटा दिखाता है इस का मतलब है कि वह आप का सम्मान नहीं करता और आगे चल कर वह आप पर हावी होने की कोशिश करेगा.

मैरिड लाइफ में दो अलगअलग नेचर के लोग साथ आते हैं ऐसे में दोनों तरफ से सहयोग एक दूसरे की रिस्पेक्ट ही हैप्पी मैरिड लाइफ का मूल मंत्र है लेकिन कई बार एक पार्टनर का नेचर दूसरे को कंट्रोल करने की होती है जो रिश्ते के लिए बिल्कुल सही नहीं होता. कोई भी एक पार्टनर अपने रिश्ते में दूसरे को दबा कर रखना चाहे तो रिलेशनशिप को ज्यादा दिनों तक चला पाना मुश्किल हो जाता है या फिर रिश्ते में घुटघुट कर जीना पड़ता है. अगर दोनों में से किसी का भी है कंट्रोल करने का नेचर है तो समझ जाएं कि सामने वाला आप को अपनी मुट्ठी में रखने की कोशिश कर रहा है और आगे भी करेगा.

अगर आप शादी के बाद अपने पार्टनर के साथ शांति से जीना चाहते हैं, तो शादी करने से पहले अपने पार्टनर से कुछ मुद्दों को ले कर बातचीत जरूर कर लेनी चाहिए-

एकदूसरे के कैरियर गोल्स के बारे में जरूर जानें

आप का पार्टनर आप के कैरियर को ले कर कितना सपोर्टिव है आप के लिए ये जानना भी बेहद जरूरी है. क्योंकि अगर आप का कैरियर उस के लिए महत्व नहीं रखता तो आगे चल कर वह आप पर डोमिनेट करेगा और आप को अपने कैरियर के लिए कौम्परोमाइज करना पड़ना सकता है.

अकेले रहेंगे या फैमिली के साथ

शादी से पहले न केवल अपने पार्टनर के परिवार के बारे में बल्कि उन के साथ आप के पार्टनर की बौन्डिंग के बारे में जानना भी बेहद जरूरी है. शादी के बाद क्या आप का पार्टनर अपने परिवार के साथ ही रहना चाहता है या फिर वो नए घर में मूव औन करना चाहता है. इस तरह के सवालों को ले कर शादी से पहले ही बात कर लेनी चाहिए वरना आगे चल कर इस की वजह से दोनों एक बीच मनमुटाव हो सकता है.

फैमिली प्लानिंग के बारे में भी क्लियर कर लें

अगर आप शादी के बाद दोनों पार्टनर में से कोई एक जल्दी पेरैंट नहीं बनना चाहता इस बारे में भी पहले से ही डिस्कस कर लें क्योंकि शादी के बाद इस के बारे में दोनों की सोच न मिलने की वजह से दोनों के बीच में कलेश पैदा हो सकता है. इसलिए बेहतर यही है कि आप दोनों इस मुद्दे को ले कर शादी से पहले ही बातचीत कर लें.

कुल मिला कर शादी के बाद सब कुछ नया होता है इसलिए शादी करने से पहले आप को यह बात अच्छे से समझ लेनी होगी कि न आप अपनी मर्जी के मालिक नहीं हो सकते हैं न आप अपने पार्टनर पर अपनी मर्जी चला सकते हैं.

हत्या और नशे के कारोबार से जुड़ते बेरोजगार युवा

भाड़े पर हत्या, अपहरण से ले कर नशे की बड़ीबड़ी खेप इधर से उधर पहुंचाने वाले युवा देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं. चंद रुपयों के लालच में वे बहुत आसानी से अपराधी समूहों को जौइन कर रहे हैं. देश की युवा शक्ति को रोजगार से जोड़ कर सही दिशा देने में नाकाम मोदी सरकार की अग्निवीर योजना भी देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक स्थितियां पैदा करेगी, इस में कोई दोराय नहीं.

मुंबई में बाबा सिद्दीकी की हाई प्रोफाइल हत्या के बाद लौरेंस बिश्नोई का नाम फिर चर्चा में है. देशविदेश में पहले भी हो चुकी कई हत्याओं में लौरेंस बिश्नोई का नाम आया है. अब कहा जा रहा है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या भी उसी के गैंग ने की है.

लम्बे समय से लौरेंस बिश्नोई फिल्म स्टार सलमान खान को मारने की फिराक में है, ऐसा पुलिस का कहना है और लौरेंस के कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया पर हैं जिस में वह ऐसा कहते सुना जा रहा है. सिद्धू मूसेवाला की हत्या में पुलिस उस की संलिप्तता मानती है तो वहीं सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या का जिम्मेदार भी लौरेंस को माना जाता है.

यही नहीं कनाडा सरकार ने आरोप लगाया है कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भी लौरेंस गैंग ने की है. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई नागरिकों की टार्गेट किलिंग का आरोप भारत पर मढ़ा है जिस के चलते दोनों देशों के बीच इस कदर खटास आ गई है कि दोनों देशों ने अपनेअपने राजदूतों को देश वापस बुला लिया है.

आखिर कौन है लौरेंस बिश्नोई?

पंजाब के फिरोजपुर जिले के धत्तरांवाली गांव का रहने वाला और पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री प्राप्त सतविंदर सिंह उर्फ़ लौरेंस बिश्नोई की उम्र अभी मात्र 31 साल है और दिलचस्प बात यह है कि वह पिछले 12 साल से जेल में है. यानी मात्र 19 साल की उम्र में वह जेल चला गया था. फिर उस ने ग्रेजुएशन और एलएलबी कब और कैसे की? वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहा. राजस्थान की जोधपुर जेल में रहा.

आजकल लौरेंस गुजरात की जेल में बंद है. पुलिस कहती है कि वह जेल में रह कर अपना गैंग चला रहा है. उस के गैंग में 700 से अधिक क्रिमिनल्स हैं. जो उस के इशारे पर कभी भी कहीं भी किसी का भी गेम बजा देते हैं. क्या जेल प्रशासन और हमारी खुफिया एजेंसियां क्या छुट्टी पर हैं? अगर नहीं, तो फिर कैसे जेल की ऊंची और मजबूत दीवारों में कैद रहते हुए लौरेंस बिश्नोई ने इतना विशाल गैंग खड़ा कर लिया? गोल्डी बरार नाम के अपराधी के संपर्क में वह कब और कैसे आया, जिस को उस के गैंग का लेफ्टिनेंट कमांडर कहा जाता है और जो कई साल से विदेश में है. क्या जेल में रहते हुए किसी से संपर्क करना, किसी की सुपारी लेना, गैंग के सदस्यों से बातचीत करना इतना आसान है? आखिर लारेंस बिश्नोई जेल में बैठ कर कैसे ये सब कर रहा है? गुजरात की जेल में रहने के बावजूद लौरेंस बिश्नोई इतना शक्तिशाली कैसे है? मोदी सरकार लौरेंस बिश्नोई को अन्य मामलों में जांच के लिए गुजरात से बाहर अन्य जेलों में ले जाने के हर प्रयास का विरोध क्यों कर रही है? बिश्नोई जेल में रहते हुए कथित तौर पर भारत और विदेश में हत्याएं और जबरन वसूली कैसे कर सकता है? लौरेंस बिश्नोई को कौन बचा रहा है और किस के आदेश पर वह काम कर रहा है? क्या लौरेंस बिश्नोई जेल में बंद अपराधी है या मोदी सरकार उसे सक्रिय रूप से इस्तेमाल कर रही है? क्या एक गैंगस्टर को जानबूझ कर खुली छूट दी जा रही है? सवाल सैकड़ों हैं.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जिस के सर्वेसर्वा अजीत डोभाल हैं, के मुताबिक लौरेंस गैंग न सिर्फ 700 शूटरों के साथ काम करता है बल्कि गैंग समय के साथ बड़ा होता जा रहा है. इस के औपरेशन जिस तरह 11 राज्यों में फैले हुए हैं, उस से लगता है कि ये गिरोह भी डी कंपनी यानि दाऊद इब्राहिम की राह पर चल रहा है. गौरतलब है कि 90 के दशक में दाऊद इब्राहिम को भी बड़ा डोन अजीत डोभाल ने ही साबित किया था और दाऊद के खिलाफ उन के पास भारत से ले कर पाकिस्तान तक तमाम सबूत भी मौजूद थे, बावजूद इस के दाऊद इब्राहिम कभी उन के शिकंजे में नहीं आया. अब दाऊद की तरह लौरेंस का नाम खूब चर्चा में है. लेकिन यह पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए डूब मरने की बात है कि एक क्रिमिनल 12 साल से आप की निगरानी में जेल में बंद है फिर भी वह इतनी आसानी से बड़ीबड़ी वारदातों को अंजाम दे रहा है.

कभी सलमान खान को धमकी तो कभी उस पर गोली चलवाना, कभी सिद्धू मूसेवाला की हत्या… कभी कनाडा में औपरेशन तो कभी इंग्लैंड में क्राइम. हर बार ऐसे कांडों के बाद लौरेंस बिश्नोई का नाम लिया जाता है तो हैरानी ही होती है कि वो जेल में बैठ कर कैसे ये सब कैसे कर रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि उस के कंधे पर बन्दूक धर कर कोई और इन तमाम सनसनीखेज कांडों को अंजाम दे रहा है?

दाऊद इब्राहिम भारतीय जांच एजेंसियां कहती हैं कि उस ने ड्रग तस्करी, लक्षित हत्याओं, जबरन वसूली रैकेट के जरिए अपने नेटवर्क का विस्तार किया था. बाद में पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मिल कर उस ने डी-कंपनी बनाई. ठीक उसी तरह लौरेंस बिश्नोई ने भी अपना गिरोह बनाया और छोटेमोटे अपराधों से शुरुआत कर वह जल्दी ही उत्तर भारत के अपराध जगत पर छा गया.

लौरेंस बिश्नोई के निकट सहयोगी के रूप में गोल्डी बरार का नाम लिया जाता है. कहते हैं गोल्डी बरार इस गिरोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वह कनाडा या विदेश में कहीं बैठ कर लौरेंस बिश्नोई के मुख्य लेफ्टिनेंट का काम करता है. उस की भागीदारी कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक गतिविधियों और बिश्नोई के साथ रही है.

एएनआई के मुताबिक लौरेंस बिश्नोई गिरोह पहले पंजाब तक ही सीमित था लेकिन अपने करीबी सहयोगी गोल्डी बरार की मदद से लौरेंस बिश्नोई ने हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के गिरोहों के साथ गठजोड़ कर के एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया. ये गिरोह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड सहित पूरे उत्तर भारत में फैल चुका है. मुंबई में सरेआम बाबा सिद्दीकी को गोली मारने के आरोप में पकड़े गए दो शूटर यूपी के बहराइच जिले के एक गांव के हैं, जो अपनी रोजी कमाने के लिए पुणे गए थे. ऐसे लाखों बेरोजगार युवा देश में हैं जिन्हे चंद पैसे का लालच दे कर अपराध की काली दुनिया में घसीट लिया जाता है.

बात करते हैं बाबा सिद्दीकी की, जिन की 12 अक्टूबर की देर रात मुंबई के बांद्रा इलाके में गोली मार कर हत्या कर दी गई. और पुलिस के मुताबिक़ इस हत्या की जिम्मेदारी लौरेंस गैंग ने ली है. बाबा जियाउद्दीन सिद्दीकी भारत के महाराष्ट्र में बांद्रा वेस्ट विधानसभा सीट के विधायक थे. बाबा ने युवावस्था में कांग्रेस ज्वाइन की थी. मुंबई कांग्रेस के एक प्रमुख अल्पसंख्यक चेहरे, सिद्दीकी ने कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के सत्ता में रहने के दौरान मंत्री के रूप में भी कार्य किया था. वह 1999, 2004 और 2009 में लगातार 3 बार विधायक रहे और उन्होंने 2004 से 2008 के बीच मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के अधीन खाद्य और नागरिक आपूर्ति और श्रम राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया.

सिद्दीकी ने 1992 से 1997 के बीच लगातार दो कार्यकालों के लिए नगर निगम पार्षद के रूप में भी काम किया था. अपनी मृत्यु से पहले, उन्होंने मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ उपाध्यक्ष और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के संसदीय बोर्ड के रूप में कार्य किया. 8 फरवरी 2024 को, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और 12 फरवरी 2024 को वे अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए.

सिद्दीकी का संबंध अंडरवर्ल्ड गैंग से माना जाता है. कहते हैं वह दाऊद के करीबी थे. इसी के साथ वह कई फिल्म अभिनेताओं के भी करीबी मित्र थे जिस में सुनील दत्त का नाम भी शामिल है. 2005 में सुनील दत्त की मौत के बाद भी सिद्दीकी उन के घर पर आते रहे. राजनीति में वे प्रिया दत्त के गुरु थे, लेकिन बाद में उन्होंने संजय दत्त को छोड़ कर बाकी दत्त परिवार से खुद को अलग कर लिया. फिल्म अभिनेता सलमान खान और बाबा सिद्दीकी दो दशकों से भी ज़्यादा समय से करीबी दोस्त थे. बौलीवुड के ‘सुल्तान’ हमेशा सिद्दीकी की सालाना इफ्तार पार्टियों में शामिल होते थे. वे हर मुश्किल समय में एकदूसरे के साथ खड़े रहते थे. अनेक फ़िल्मी हस्तियों के घर पर बाबा का उठनाबैठना था.

राजनीति में रहते और अंडरवर्ल्ड से नजदीकियों के चलते बाबा सिद्दीकी ने अथाह दौलत इकट्ठा कर ली. इंफोर्समेंट डायरैक्टर (ईडी) ने साल 2018 में बाबा सिद्दीकी की 462 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच किया था. यह संपत्ति बांद्रा वेस्ट में स्थित थी और इसे धन शोधन निरोधक अधिनियम के तहत जब्त किया गया था. एजेंसी यह जांच कर रही थी कि क्या बाबा सिद्दीकी ने 2000 से 2004 तक महाराष्ट्र हाउसिंग और एरिया डेवलपमेंट अथौरिटी के चेयरमैन के रूप में अपनी पद का गलत इस्तेमाल कर पिरामिड डेवेलपर्स को बांद्रा में विकसित हो रहे स्लम रिहैबिलिटेशन अथौरिटी प्रोजैक्ट में मदद की थी. इस कथित घोटाले की राशि 2,000 करोड़ रुपये बताई गई थी.

कयास लगाए जा रहे हैं कि स्लम रिहैबिलिटेशन अथौरिटी रिडेवलपमेंट का मामला भी बाबा सिद्दीकी की हत्या की वजह हो सकती है, क्योंकि कुछ रोज पहले से इस मामले में बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी, जो खुद एक राजनेता हैं, इस का विरोध कर रहे थे. ईडी इस मामले में बाबा सिद्दीकी की गिरफ्तारी की तैयारी में भी थी कि तभी बाबा की हत्या हो गई.

अगर बाबा सिद्दीकी को ईडी अरेस्ट करती तो जाहिर है स्लम घोटाले से ही नहीं बल्कि बौलीवुड और अंडरवर्ल्ड के बीच कई रिश्तों से भी पर्दा उठता. कई राज बाहर आते. रौ के पूर्व अधिकारी एनके सूद का कहना है कि बाबा सिद्दीकी अंडरवर्ल्ड और बौलीवुड के बीच मध्यस्थ थे. दाऊद की डी कंपनी से उन के आज भी काफी नजदीकी संबंध थे.

उधर लौरेंस बिश्नोई और डी कंपनी के बीच शत्रुता की कहानी भी बांची जा रही है और कहा जा रहा है कि बिश्नोई गैंग डी कंपनी को ख़त्म कर उस की जगह लेने की फिराक में है और बाबा की हत्या कर उस ने डी कंपनी को चुनौती दी है. ऐसे में लौरेंस बिश्नोई, दाऊद इब्राहिम या 462 करोड़ की प्रौपर्टी… बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे बड़ा राज छिपा है. बाबा सिद्दीकी की हत्या में जितना दिख रहा है उस से कहीं अधिक इस में पेंच हैं.

इसी बीच देश में कई जगहों पर बहुत बड़ी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी गई हैं. इतनी भारी मात्रा में ड्रग्स का देश के भीतर आना और खपाया जाना बहुत बड़ी चिंता को जन्म देता है. ड्रग्स का इस्तेमाल युवा वर्ग करता है. स्कूल, कालेज, औफिसेस से ले कर गांवदेहातों तक युवाओं के बीच ड्रग्स की खपत बढ़ रही है. जाहिर है एक बहुत बड़ी साजिश के तहत देश की युवा शक्ति को कमजोर और जर्जर किया जा रहा है.

जिस दिन बाबा सिद्दीकी की ह्त्या हुई उसी दिन यानी 12 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की स्पैशल ब्रांच और गुजरात पुलिस ने एक साझा अभियान में गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर से 518 किलो हेरोइन जब्त की. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस की कीमत 5 हजार करोड़ रुपये आंकी गई.

इस से पहले 10 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने पश्चिमी दिल्ली के रमेश नगर में एक दुकान से नमकीन के पैकेट में रखी 208 किलो कोकीन बरामद की थी. इस की क़ीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब दो हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी. ये ड्रग्स रमेश नगर की एक पतली गली में स्थित एक दुकान में 20 पैकेटों में रखी थी और आगे डिलीवर की जानी थी.

वहीं, एक अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने महिपालपुर में एक वेयरहाउस से 562 किलो हेरोइन और 40 किलो हाइड्रोपोनिक गांजा बरामद किया था. जो ड्रग्स महिपालपुर से पकड़ी गई हैं वो भारत के बाहर से लाई गई थी. 562 किलो कोकीन के अलावा जो 40 किलो हाइड्रोपोनिक गांजा पकड़ा गया था, वो थाईलैंड से आया था.

स्पैशल सेल के एक अधिकारी के मुताबिक़ एक अक्तूबर और 10 अक्तूबर को दिल्ली के दो अलगअलग इलाक़ों से जो ड्रग्स बरामद की गई, वह एक ही ड्रग्स रैकेट से संबंधित हैं. गुजरात के भरूच में बरामद ड्रग्स भी इसी रैकेट से जुड़ी है.

5 अक्टूबर को गुजरात पुलिस ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ मिल कर भोपाल की एक फैक्ट्री से 907 किलो मेफेड्रोन (एमडी) ड्रग्स बरामद की, जिस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1814 करोड़ रुपए आंकी गई. क़रीब 5 हजार किलो कच्चा माल भी इस छापेमारी के दौरान बरामद किया गया. ये ड्रग्स भोपाल के बागोड़ा इंडस्ट्रियल एस्टेट में चल रही एक फैक्ट्री से बरामद की गई थी.

देश में जिस बड़े पैमाने पर ड्रग्स पकड़ी जा रही हैं, यह अभूतपूर्व है. इस तरह के बड़ेबड़े ड्रग नेटवर्क भारत में कैसे काम कर रहे हैं? सीमापार से इतनी भारी मात्रा में ड्रग्स की खेप अंदर कैसे आ रही है? बौर्डर सिक्योरिटी फोर्स और खुफिया एजेंसियां क्या कर रही हैं? ड्रग नेटवर्क भारत की सीमा में कैसे ड्रग्स पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं? इस संबंध में अभी तक कोई बड़ा किंगपिन गिरफ्तार क्यों नहीं हुआ?

बड़ी तादाद में ड्रग्स का पकड़ा जाना ये भी बताता है कि भारतीय बाजार में ड्रग्स की मांग बढ़ रही है और इसलिए ही इस की सप्लाई बढ़ी है. अगर डिमांड नहीं बढ़ती तो इतनी बड़ी मात्रा में सप्लाई नहीं होती. इस कारोबार में पैसा भी बहुत है, इसलिए अपराधी इस की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. पुलिस की कार्रवाई से पता चलता है कि ड्रग्स तस्करी के नेटवर्क और संगठित हुए हैं. हाल के सालों में ड्रग्स से जुड़े अपराध बहुत तेजी से बढ़े हैं.

गौरतलब है कि लौरेंस बिश्नोई को भी अगस्त 2023 में सीमा पार से ड्रग्स की तस्करी के एक मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल से साबरमती सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया था. साफ है कि जो गिरोह आतंक और हत्या का धंधा चला रहे हैं वही ड्रग्स और जिस्मफरोशी का कारोबार भी कर रहे हैं. और यह सब उन के राजनीतिक आकाओं के संरक्षण में फलफूल रहा है.

भारत एक युवा देश है. यहां 18 से 30 आयु वर्ग के लोगों की तादाद सब से ज्यादा है. यह ऊर्जा का बहुत बड़ा और बहुत शक्तिशाली पुंज है. लेकिन मोदी सरकार इस शक्ति को देश के विकास में इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. सरकार इन युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रही है. असंख्य युवा आज बेरोजगार हैं. जिन्हे थोड़े से पैसे का लालच दे कर बहुत आसानी से बरगलाया जा सकता है. चंद रुपयों के लालच में ये किसी की भी जान ले सकते हैं. ह्त्या, अपहरण, देह व्यापर और नशे के कारोबार को बढ़ाने में यही युवा वर्ग बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है.

लौरेंस बिश्नोई या दाऊद की कथित डी कंपनी ऐसे ही बेरोजगार युवाओं का इस्तेमाल कर रही है. वह इन्हें पैसे और हथियार मुहैया करा रही है. बाबा सिद्दीकी की हत्या में जितने युवा पुलिस की गिरफ्त में आते जा रहे हैं वे सभी गरीब घरों के बेरोजगार हैं जो मजदूरी के इरादे से महानगरों की तरफ गए और बड़ी आसानी से अपराधी गिरोहों के जाल में फंस गए. इन के पास से विदेशी असलहे बरामद हुए हैं.

युवा शक्ति को सही दिशा देने में नाकाम मोदी सरकार की अग्निवीर योजना भी देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक स्थितियां पैदा करेगी. 4 साल की नौकरी के बाद इन्हें सेना से निकाल दिया जाएगा. इन के पास कोई नौकरी, कोई पेंशन नहीं होगी. यह एक ऐसी बेरोजगार फौज होगी जिस को हथियार चलाना, गोला बारूद फेंकने में महारत हासिल होगी. ये बेरोजगारों की एक ऐसी फौज होगी जिसे देश की सुरक्षा प्रणाली की पूरी जानकारी होगी. जो यह भी जानती होगी कि सेना किस तरह काम करती है, उस के हथियारों का जखीरा कहांकहां है? उस पर कब कहां और कैसे हमला किया जा सकता है. हमारी सुरक्षा व्यवस्था कहां कहां पर ढीली है. हथियार चलाने में ट्रेंड इस बेरोजगार फौज को अपराधी समूह आसानी से अपनी गैंग में शामिल कर देश विरोधी गतिविधियों में लगा देंगे. यह मादक द्रव्यों के सप्लायर बनेंगे. ये भाड़े पर हत्याएं करेंगे. आका के इशारे पर लोगों का अपहरण करेंगे. ये अपराधी समूहों के शार्प शूटर्स बनेंगे और अपनी दबंगई से देश को थर्राने का काम करेंगे.

मैं ने अपनी फीमेल फ्रैंड को नहाते हुए देख लिया और तब से उस के साथ सैक्स करना चाहता हूं.

अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें..

सवाल –

मेरी उम्र 21 साल है और मेरी एक फीमेल बैस्ट फ्रैंड है जो मेरे साथ स्कूल टाइम से है और अब हम दोनों का कालेज भी सेम ही है तो हम दोनों साथ में खूब मौजमस्ती करते हैं. हम दोनों के घर वालों को भी हमारी दोस्ती के बारे में पता है. रोज हम दोनों कालेज साथ जाते हैं और मैं उस को उस के घर से पिक करता हूं. करीब 1 हफ्ता पहले मैं उस के घर के नीचे पहुंचा और उस को कौल किया पर उस ने कौन पिक नहीं किया. उस के घर का गेट खुला हुआ था तो मैं उस के घर के अंदर चला गया. उस के मम्मीपापा दोनों वर्किंग हैं तो उस समय दोनों अपने औफिस गए हुए थे. जैसे ही मैं उस के घर पहुंचा तो वह मुझे कहीं नहीं दिखी. मैं चैक करने बाथरूम गया तो अंदर का नजारा देख कर दंग रह गया. मेरे सामने मेरी बैस्ट फ्रैंड बिना कपड़ों के खड़ी थी और मदहोश हो कर नहा रही थी. मैं ने उस का फिगर देखा और किसी तरह अपनेआप को बड़ी मुश्किल से रोका. मैं बिना कुछ कहे उस के घर के नीचे आ गया और ऐसा बिहेव किया जैसा मैं ऊपर गया ही नहीं था. फिर कुछ मिनटों बाद उस को कौल किया तब उस ने कौल उठा लिया और वह करीब 10-15 मिनट में नीचे आ गई और फिर हम कालेज चले गए. तब से ले कर अब तक मेरे दिमाग में बस उसी के खयाल आ रहे हैं और मेरा उस के साथ संबंध बनाने का मन कर रहा है. मैं क्या करूं?

जवाब –

आप ने अनजाने ही सही जो किया बिलकुल गलत किया. जब आप को पता था कि आप की फ्रैंड के पेरैंट्स वर्किंग हैं तो आप को उन के घर ऐसे नहीं जाना चाहिए था बल्कि थोड़ी देर अपनी फ्रैंड का कौल पिक करने का इंतजार करना चाहिए था. अगर आप अंदर चले भी गए तो ऐसे में आप को उस को आवाज देनी चाहिए थी और फिर उस के बाथरूम में जाना चाहिए था.

जैसाकि आप ने बताया आप दोनों की दोस्ती काफी पुरानी है तो ऐसे में आप को अपने मन में ऐसे विचार बिलकुल नहीं लाने चाहिए क्योंकि समय के साथ एक लड़की का विश्वास बढ़ता चला जाता है और अगर उसे पता चला कि आप ने उसे ऐसी अवस्था में देखा है तो वह आप को कभी माफ नहीं कर पाएगी.

आप को सोचना चाहिए कि वह आप की बैस्ट फ्रैंड है और उस के घर वाले भी आप के ऊपर भरोसा करते हैं तो ऐसे में आप को किसी का भरोसा नहीं तोड़ना चाहिए.

जो कुछ भी आपने देखा उसे भूल जाइए और इस बात का किसी को पता मत लगने दीजिएगा कि कभी आप ने ऐसा कुछ देखा भी था. अगर आप को उस लड़की से प्यार है तो आप सब से पहले अपने प्यार का इजहार कीजिए और उस लड़की को विश्वास दिलाइए कि आप उस से मोहब्बत करते हैं और उस के बाद ही किसी तरह के संबंध बनाने की कोशिश कीजिए.

हां, अगर आप सिर्फ जिस्मानी संबंध बनाने के लिए ऐसा करने वाले हैं तो आप को ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए क्योंकि आप के कुछ देर के आनंद के लिए किसी की जिंदगी भी खराब हो सकती है तो अगर सच में प्यार है तभी कदम आगे बढ़ाइए वर्ना जैसा चल रहा है वैसे ही चलने दें.

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गली आगे मुड़ती है : क्या विवाह के प्रति उन का नजरिया बदल सका

रिश्ते बिना बंधन के मजबूत नहीं बनते. यह बात रोली, नयना और संजना शायद समझ नहीं पाई थी. शादी को मात्र एक बोझ, एक जिम्मेदारी मान कर तीनों असंतुष्ट थीं. क्या स्थितियों के आगे विवाह के प्रति उन का यह नजरिया बदल सका?

‘‘पि  छले एक हफ्ते से बहुत थक गई हूं,’’ संजना ने कौफी का आर्डर देते हुए रोली से कहा, ‘‘इतना काम…कभीकभी दिल करता है कि नौकरी छोड़ कर घर बैठ जाऊं.’’

‘‘हां यार, मेरे घर वाले भी शादी करने के लिए जोर डाल रहे हैं,’’ रोली बोली, ‘‘लेकिन नौकरी की व्यस्तता में कुछ सोच नहीं पा रही हूं…नयना का ठीक है. शादी का झंझट ही नहीं पाला, साथ रहो, साथ रहने का मजा लो और शादी के बाद के झंझट से मुक्त रहो.’’

‘‘मुझे तो लिव इन रिलेशन शादी से अधिक भाया है,’’ नयना ने कहा, ‘‘शादी करो, बच्चे पैदा करो, बच्चे पालो और नौकरी को हाशिए पर रख दो. अरे, इतनी मेहनत कर के इंजीनियरिंग की है क्या सिर्फ घर चलाने और बच्चे पालने के लिए?’’

‘‘कैसा चल रहा है तेरा पवन के साथ?’’ रोली ने पूछा.

‘‘बहुत बढि़या, जरूरत पर एक दूसरे का साथ भी है लेकिन बंधन कोई नहीं. मैं तो कहती हूं, तू भी एक अच्छा सा पार्टनर ढूंढ़ ले,’’ नयना बोली.

‘‘कौन कहता है कि शादी बंधन है,’’ संजना कौफी के कप में चम्मच चलाती हुई बोली, ‘‘बस, कामयाब औरत को समय के अनुसार सही साथी तलाश करने की जरूरत है.’’

‘‘हां, जैसे तू ने तलाश किया,’’ नयना खिलखिलाते हुए बोली, ‘‘आई.आई.टी. इंजीनियर और आई.आई.एम. लखनऊ से एम.बी.ए. हो कर एक लेक्चरर से शादी कर ली, इतनी कामयाब बीवी को वह कितने दिन पचा पाएगा.’’

जवाब में संजना मुसकराने लगी, ‘‘क्यों नहीं पचा पाएगा. जब एक पत्नी अपने से कामयाब पति को पचा सकती है तो एक पति अपने से अधिक कामयाब पत्नी को क्यों नहीं पचा सकता है. आज के समय की यही जरूरत है,’’ कह कर कौफी का प्याला मेज पर रख कर संजना उठ खड़ी हुई. साथ ही रोली और नयना भी खिलखिलाते हुए उठीं और अपनी- अपनी राह चल पड़ीं.

तीनों सहेलियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बड़ेबड़े ओहदों पर थीं. फुरसत के समय तीनों एकदूसरे से मिलती रहती थीं. तीनों सहेलियों की उम्र 32 पार कर चुकी थी. रोली अभी तक अविवाहित थी. नयना एक युवक पवन के साथ लिव इन रिलेशन व्यतीत कर रही थी और संजना ने एक लेक्चरर से 3 साल पहले विवाह किया था. उस का साल भर का एक बेटा भी था. वैसे तो तीनों सहेलियां अपनीअपनी वर्तमान स्थितियों से संतुष्ट थीं लेकिन सबकुछ है पर कुछ कमी सी है की तर्ज पर हर एक को कुछ न कुछ खटकता रहता था.

रोली जब घर पहुंची तो 9 बज रहे थे. मां खाने की मेज पर बैठी उस का इंतजार कर रही थीं. उसे आया देख कर मां बोलीं, ‘‘बेटी, आज बहुत देर कर दी, आ जा, जल्दी से खाना खा ले.’’

9 बजना बड़े शहरों में कोई बहुत अधिक समय नहीं था, पर किसी ने भी उस का खाने के लिए इंतजार करना ठीक नहीं समझा. भाई अगर देर से आएं तो उन के लिए सारा परिवार ठहरता है. आखिर, वह अपनी सारी तनख्वाह इसी घर में तो खर्च करती है.

मां की तरफ बिना देखे रोली अंदर चली गई. बाथरूम से फ्रेश हो कर निकली तो मां प्लेट में खाना डाल रही थीं. उस ने किसी तरह थोड़ा खाना खाया. इस दौरान मां की बातों का वह हां, ना में जवाब देती रही और फिर अपने कमरे में बत्ती बुझा कर लेट गई. दिन भर के काम से शरीर क्लांत था लेकिन हृदय के अंदर समुद्री तूफान था. लंबेचौड़े पलंग ने जैसे उस का अस्तित्व शून्य बना दिया था.

रिश्ते तो कई आते हैं पर तय हो ही नहीं पाते क्योंकि या तो उसे अपनी वर्तमान नौकरी छोड़नी पड़ती या फिर लड़के का रुतबा उस के बराबर का नहीं होता और दोनों ही स्थितियां रोली को स्वीकार नहीं थीं. इसी कारण शादी टलती जा रही थी. वह हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहती थी. उस के संस्कार उसे नयना जैसा जीवन जीने की प्रेरणा नहीं देते थे और उस का रुतबा व स्वाभिमान उसे अपने से कम योग्य लड़के से शादी करने से रोकते थे.

नयना अपने फ्लैट पर पहुंची तो फ्लैट में अंधेरा था. पर्स से चाबी निकाल कर दरवाजा खोला और अंदर आ गई. ‘पवन कहां होगा’ यह सोच कर उस ने पवन के मोबाइल पर फोन लगाया और बोली, ‘‘पवन, कहां हो तुम?’’

‘‘नयना, मैं आज कुछ दोस्तों के साथ एक फार्म हाउस पर हूं. सौरी डार्लिंग, मैं आज रात वापस नहीं आ पाऊंगा. कल रविवार है, कल मिलते हैं,’’ कह कर उस ने फोन रख दिया.

पवन साथ हो या न हो, एक असुरक्षा का भाव जाने क्यों हमेशा उस के जेहन में तैरता रहता है. यों उन का लिव इन रिलेशन अच्छा चल रहा था फिर भी वह अपनेआप को कुछ लुटा हुआ, ठगा हुआ सा महसूस करती थी. विवाह की अहमियत दिल में सिर उठा ही लेती. वैवाहिक संबंधों पर पारिवारिक, सामाजिक व बच्चों का दबाव होता है इसलिए निभाने ही पड़ते हैं लेकिन उन के संबंधों की बुनियाद खोखली है, कभी भी टूट सकते हैं…उस के बाद…यह सोचने से भी नयना घबराती थी.

नयना ने 2 टोस्ट पर मक्खन लगाया, थोड़ा दूध पिया और कपड़े बदल कर बिस्तर पर निढाल सी पड़ गई. पवन लिव इन रिलेशन के लिए तो तैयार है पर विवाह के लिए नहीं. कहता है कि अभी उस ने विवाह के बारे में सोचा नहीं है. सच तो यह है कि पवन यदि विवाह के लिए कहे भी तो शायद वह तैयार न हो पाए. विवाह के बाद की जिम्मेदारियां, बच्चे, घरगृहस्थी, वह कैसे निभा पाएगी. लेकिन जब अपने दिल से पूछती है तो एहसास होता है कि विवाह की अहमियत वह समझती है.

स्थायी संबंध, भावनात्मक और शारीरिक सुरक्षा विवाह से ही मिलती है. लाख उस के पवन के साथ मधुर संबंध हैं लेकिन उसे वह अधिकार तो नहीं जो एक पत्नी का अपने पति पर होता है. यह सबकुछ सोचतेसोचते नयना गुदगुदे तकिए में मुंह गड़ा कर सोने का असफल प्रयास करने लगी.

संजना घर पहुंची तो नितिन बेटे को कंधे से चिपकाए लौन में टहल रहा था. उसे अंदर आते देख कर उस की तरफ चला आया और बोला, ‘‘बहुत देर हो गई.’’

‘‘हां, नयना और रोली के साथ कौफी पीने रुक गई थी.’’

‘‘तो एक फोन तो कर देतीं,’’ नितिन नाराजगी से बोला.

दोनों अंदर आ गए. नितिन बेटे को बिस्तर पर लिटा कर थपकियां देने लगा. वह बाथरूम में चली गई. नहाधो कर निकली तो मेज पर खाना लगा हुआ था.

‘‘चलो, खाना खा लो,’’ संजना बोली तो नितिन मेज पर आ कर बैठ गया.

डोंगे का ढक्कन हटाती हुई संजना बोली, ‘‘कुछ भी कहो, खाना महाराजिन बहुत अच्छा बनाती है.’’

नितिन चुपचाप खाना खाता रहा. संजना उस की नाराजगी समझ रही थी. आज शनिवार की शाम नितिन का आउटिंग का प्रोग्राम रहा होगा, जो उस की वजह से खराब हो गया. एक बार मन किया कि मानमनुहार करे लेकिन वह इतनी थकी हुई थी कि नितिन से उलझने का उस का मन नहीं हुआ.

खाना खत्म कर के उस ने बचा हुआ खाना फ्रिज में रखा और बिस्तर पर आ कर लेट गई. नितिन सो गया था. आंखों को कोहनी से ढके संजना का मन कर रहा था कि वह नितिन को मना ले, लेकिन पता नहीं कौन सी दीवार थी जो उसे उस के साथ सहज होने से रोकती थी.

वैसे नितिन उस का स्वयं का चुनाव था. जब उस के लिए रिश्ते आ रहे थे उस समय उस की बूआ ने अपने रिश्ते के एक लेक्चरर लड़के का रिश्ता उस के लिए सुझाया था. घर में सभी खिलखिला कर हंस पड़े थे. कहां संजना बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्रबंधक और कहां लेक्चरर.

तब उस की छोटी बहन मजाक में बोली थी, ‘वैसे दीदी, एक लेक्चरर से आप का आइडियल मैच रहेगा. आखिर पतिपत्नी में से किसी एक को तो घर संभालने की फुरसत होनी ही चाहिए. वरना घर कैसे चलेगा. आप पति बन कर राज करना वह पत्नी बन कर घर संभालेगा.’ और बहन की मजाक में कही हुई बात संजना के जेहन में आ कर अटक गई थी.

पहले तो उस के जैसी योग्य लड़की के लिए रिश्ते मिलने ही मुश्किल हो रहे थे. एक तो इस लड़के की नौकरी स्थानीय थी और दूसरे, आने वाले समय में बच्चे होंगे तो उन की देखभाल करने का उस के पास पर्याप्त समय होगा तो वह अपनी नौकरी पर पूरा ध्यान दे सकती है. यह सोच कर उस का निर्णय पुख्ता हो गया. उस के इस क्रांतिकारी निर्णय में पिता ने उस का साथ दिया था. उन की नजर में आज के समय में पति या पत्नी में से किसी का भी कम या ज्यादा योग्य होना कोई माने नहीं रखता है. और इस तरह से नितिन से उस का विवाह हो गया था.

शुरुआत में तो सब ठीक चला लेकिन धीरेधीरे उन के रिश्तों में ख्ंिचाव आने लगा. उस की तनखाह, ओहदा, उस का दायरा, उस की व्यस्तताएं सभी कुछ नितिन के मुकाबले ऊंचा व अलग था. और यह बात संजना के हावभाव से जाहिर हो जाती थी. नितिन उस के सामने खुद को बौना महसूस करता था. संजना सोच रही थी कि काश, उस ने विवाह करने में जल्दबाजी न की होती तो आज उस की यह स्थिति नहीं होती. उस से तो अच्छा रोली और नयना का जीवन है जो खुश तो हैं. नितिन उस की परेशानियां समझ ही नहीं पाता. वह चाहता है कि पत्नी की तरह मैं उस के अहं को संतुष्ट करूं. यही सोचतेसोचते संजना सो गई.

दूसरे दिन रविवार था. वह देर से सो कर उठी. जब वह उठी तो महाराजिन, धोबन, महरी सब काम कर के जा चुके थे और आया मोनू की मालिश कर रही थी. वह बाहर निकली, किचन में जा कर चाय बनाई. एक कप नितिन को दी और खुद भी बैठ कर चाय पीते हुए अखबार पढ़ने लगी.

तभी उस का फोन बज उठा. उस ने फोन उठाया, नयना थी, ‘‘हैलो नयना…’’ संजना चाय पीते हुए नयना से बात करने लगी.

‘‘संजना, क्या तुम थोड़ी देर के लिए मेरे घर आ सकती हो?’’ नयना की आवाज उदासी में डूबी हुई थी.

‘‘क्यों, क्या हो गया, नयना?’’ संजना चिंतित स्वर में बोली.

‘‘बस, घर पर अकेली हूं, रात भर नींद नहीं आई, बेचैनी सी हो रही है.’’

‘‘मैं अभी आती हूं,’’ कह कर संजना उठ खड़ी हुई. नितिन सबकुछ सुन रहा था. उस का तना हुआ चेहरा और भी तन गया.

वह तैयार हुई और नितिन से ‘अभी आती हूं’ कह कर बाहर निकल गई. नयना के फ्लैट में संजना पहुंची तो वह उस का ही इंतजार कर रही थी. बाहर से ही अस्तव्यस्त घर के दर्शन हो गए. वह अंदर बेडरूम में गई तो देखा नयना सिर पर कपड़ा बांधे बिस्तर पर लेटी हुई थी. कमरे में कुरसियों पर हफ्ते भर के उतारे हुए मैले कपड़ों का ढेर पड़ा हुआ था. कहने को पवन और नयना दोनों ऊंचे ओहदों पर कार्यरत थे पर उन के घर को देख कर जरा भी नहीं लगता था कि यह 2 समान विचारों वाले इनसानों का घर है.

‘‘क्या हुआ, नयना,’’ संजना उस के सिर पर हाथ रखती हुई बोली, ‘‘पवन कहां है?’’

‘‘वह अपने दोस्तों के साथ शहर से दूर किसी फार्म हाउस पर गया हुआ है और मेरी तबीयत रात से ही खराब है. दिल बारबार बेचैन हो उठता है, सिर में तेज दर्द है,’’ इतना बताते हुए नयना की आवाज भर्रा गई.

संजना के दिल में कुछ कसक सा गया. यहां नयना इसलिए दुखी है कि पवन कल से लौटा नहीं और उस के पास नितिन के लिए समय नहीं है.

‘‘तो इस में घबराने की क्या बात है. रात तक पवन लौट आएगा,’’ संजना बोली, ‘‘चल, तुझे डाक्टर को दिखा लाती हूं. उस के  बाद मेरे घर चलना.’’

‘‘बात रात तक आने की नहीं है, संजना,’’ नयना बोली, ‘‘पवन का व्यवहार कुछ बदल रहा है. वह अकसर ही मुझे बिना बताए अपने दोस्तों के साथ चला जाता है. कौन जाने उन दोस्तों में कोई लड़की हो?’’ बोलते- बोलते नयना की रुलाई फूट पड़ी.

‘‘लेकिन तू ने कभी कहा नहीं…’’

‘‘क्या कहती…’’ नयना थोड़ी देर चुप रही, ‘‘वह मेरा पति तो नहीं है जिस पर कोई दबाव डाला जाए. वह अपने फैसले के लिए आजाद है, संजना,’’ और संजना की बांह पकड़ कर नयना बोली, ‘‘तू ने अपने जीवन में सब से सही निर्णय लिया है. तेरे पास सबकुछ है. सुकून भरा घर, बेटा और तुझे मानसम्मान देने वाला पति पर मेरे और पवन के रिश्तों का क्या है, कौन सा आधार है जो वह मुझ से बंधा रहे? आखिर इन रिश्तों का और इस जीवन का क्या भविष्य है? एक उम्र निकल जाएगी तो मैं किस के सहारे जीऊंगी?

‘‘जीवन सिर्फ जवानी की सीधी सड़क ही नहीं है, संजना. इस सीधी, सपाट सड़क के बाद एक संकरी गली भी आती है…अधेड़ावस्था की…और जब यह गली मुड़ती है न…तो एक भयानक खाई आती है…बुढ़ापे की…और जीवन का वही सब से भयानक मोड़ है, तब मैं क्या करूंगी…’’ कह कर नयना रोने लगी.

‘‘नितिन तुझ से कुछ कम योग्य सही लेकिन तेरे जीवन की निश्ंिचतता उसी की वजह से है. उसे खोने का तुझे डर नहीं, घर की तुझे चिंता नहीं…बेटे के लालनपालन में तुझे कोई परेशानी नहीं…’’ रोतेरोते नयना बोली, ‘‘मेरे पास क्या है? पवन का मन होगा तब तक वह मेरे साथ रहेगा, फिर उस के बाद…’’

संजना हतप्रभ सी नयना को देखती रह गई. उस की आंखों में, उस के चेहरे पर असुरक्षा के भाव थे, भविष्य की चिंता थी. लेकिन क्यों? नयना खुद इतने ऊंचे पद पर कार्यरत थी, इस आजाद खयाल जीवन की हिमायती नयना के मन में भी पवन के खो जाने का डर है, जीवन में अकेले रह जाने का डर है. पवन के बाद दूसरा साथी बनाएगी फिर तीसरा…फिर चौथा…और उस के बाद जैसे एक विराट प्रश्नचिह्न संजना के सामने आ कर टंग गया था. वह तो अपनी नौकरी के अलावा कभी किसी बारे में सोचती ही नहीं. बस, नितिन का अपने से कम योग्य होना ही उसे खलता रहता है और इस बात से वह दुखी होती रहती है.

‘‘पवन कहीं नहीं जाएगा, नयना, आ जाएगा रात तक. तुम्हारा भ्रम है यह…’’ वह नयना को दिलासा देती हुई बोली. और दिन भर के लिए उस के पास रुक गई. शाम को जब वह घर पहुंची तो घर पर रोली को अपना इंतजार करते पाया.

‘‘अरे, रोली इस समय तुम कैसे आ गईं.’’

‘‘तुझ से बात करने का मन हो रहा था. सो, आ गई. नितिनजी ने बताया कि तू नयना के घर गई है, आने वाली होगी. मुझे इंतजार करने को कह कर वह कुछ सामान लेने चले गए.’’

एक पल चुप रहने के बाद रोली बोली, ‘‘नितिन बता रहे थे कि नयना की तबीयत कुछ ठीक नहीं है, क्या हुआ है उसे?’’

‘‘कुछ नहीं, वह अपने और पवन के रिश्तों को ले कर कुछ अपसेट सी है,’’ संजना सोफे पर बैठती हुई बोली, ‘‘नयना को पवन पर भरोसा नहीं रहा. उसे लग रहा है कि उस की जिंदगी में कोई और है तभी वह उस से दूर जा रहा है.’’

‘‘लेकिन नयना उस से पूछती क्यों नहीं?’’ रोली रोष में आ कर बोली.

‘‘किस बिना पर, रोली. आखिर लिव इन रिलेशन का यही तो मतलब है कि जब तक बनी तब तक साथ रहे वरना अलग होने में वैवाहिक रिश्तों जैसा कोई झंझट नहीं.’’

‘‘और तू सुना, कैसी है,’’ थोड़ी देर बाद संजना बोली.

‘‘बस, ऐसे ही, कल से बहुत परेशान सी थी. घर में रिश्ते की बात चल रही है. एक अच्छा रिश्ता आया है. सब बातें तो ठीक हैं पर लड़का मुंबई में कार्यरत है? मुझे नौकरी छोड़नी पड़ेगी. इसी बात पर घर में हंगामा मचा हुआ था. पापा चाहते थे कि मुझे चाहे नौकरी छोड़नी पड़े पर मैं उस रिश्ते के लिए हां कर दूं. इसी विवाद से परेशान हो कर मैं थोड़ी देर के लिए तेरे पास आ गई.’’

‘‘तो क्या सोचा है तू ने?’’ संजना बोली.

‘‘सोचा तो था कि मना कर दूंगी,’’ रोली खिसक कर संजना के पास बैठती हुई बोली, ‘‘लेकिन नयना के बारे में जानने के बाद अब सोचती हूं कि हां कर दूं. आज की पीढ़ी अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के जाल में उलझी हुई विवाह और विवाह के बाद की जिम्मेदारियों से दूर भाग रही है लेकिन जैसेजैसे उम्र आगे बढ़ती है पीछे मुड़ कर देखने का मन करता है. अगर 10 साल बाद कोई समझौता करना है तो आज क्यों नहीं?’’ पल भर के लिए दोनों सहेलियां चुप हो गईं.

‘‘तू ने सही और समय से निर्णय लिया, संजना. सभी को कुछ न कुछ समझौता तो करना ही पड़ता है. मुझे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ रही है और नयना को भविष्य की सुरक्षा, लेकिन तेरे पास सबकुछ है. नितिन तुझ से कुछ कम योग्य सही लेकिन अयोग्य तो नहीं है. पहले लड़कियां इतनी योग्य भी नहीं होती थीं तो उन्हें अपने से अधिक योग्य लड़के मिल जाते थे लेकिन अब जमाना बदल रहा है. लड़कियां इतनी तरक्की कर रही हैं कि यदि अपने से अधिक योग्य लड़के के इंतजार में बैठी रहेंगी तो या तो नौकरी ही कर पाएंगी या शादी ही.

‘‘ऐसे लड़के का चुनाव करना जिस के साथ घरेलू जीवन चल सके, बच्चों की परवरिश हो सके, बड़ेबुजुर्गों की देखभाल हो सके, अपने से लड़का कुछ कम योग्य भी हो तो इस में कुछ भी गलत नहीं है. समय के साथ यह बदलाव आना ही चाहिए. आखिर पहले पत्नी घर देखती थी आज ऊंचे ओहदों पर कार्य कर रही है तो पति के पास घर की देखभाल करने का समय हो तो इस में कुछ गलत है क्या?’’ यह कह कर रोली उठ खड़ी हुई.

संजना जब रोली को बाहर तक छोड़ कर अंदर आई तो ध्यान आया कि नितिन को बाजार गए हुए काफी देर हो गई और अभी तक वह आए नहीं. आज नितिन के लिए संजना के मन में अंदर से चिंता हो रही थी. तभी कौलबेल बज उठी, सामान से लदाफदा नितिन दरवाजे पर खड़ा था.

‘‘अरे, आप इतना सारा सामान ले आए,’’ संजना सामान के कुछ पैकेट उस के हाथ से पकड़ते हुए बोली, ‘‘बहुत देर हो गई, मैं इंतजार कर रही थी.’’

संजना के स्वर की कोमलता से नितिन चौंक गया. बिना कुछ बोले वह अपने हाथ का सामान किचन में रख कर बेडरूम में चला गया. संजना भी उस के पीछेपीछे आ गई.

‘‘नितिन,’’ पीछे से उस के गले में बांहें डालती हुई संजना बोली, ‘‘चलो, आज का डिनर बाहर करेंगे, फिर कोई फिल्म देखेंगे. आया को रोक लेते हैं. वह मुन्ने को देख लेगी.’’

उस के इस प्रस्ताव व हरकत से नितिन हैरत से पलट कर उस की ओर देखने लगा.

‘‘ऐसे क्या देख रहे हो?’’ संजना इठलाती हुई बोली, ‘‘हर समय गुस्से में रहते हो, यह नहीं की कभी बीवी को कहीं घुमा लाओ, फिल्म दिखा लाओ.’’

आम घरेलू औरतों की तरह संजना बोली तो उस की इस हरकत पर नितिन खिलखिला कर हंस पड़ा.

संजना उस के गले में बांहें डाल कर उस से लिपट गई, ‘‘मुझे माफ कर दो, नितिन.’’

‘‘संजना, इस में माफी की क्या बात है? मेरे लिए तुम, तुम्हारी योग्यता, तुम्हारी काम में व्यस्तता, तुम्हारा रुतबा सभी कुछ गर्व का विषय है लेकिन जब तुम मुझे ही अपनी जिंदगी से दरकिनार कर देती हो तो दुख होता है.’’

‘‘अब ऐसा नहीं होगा. मेरे लिए आप से अधिक महत्त्वपूर्ण जीवन में दूसरा कुछ भी नहीं है. आप में और मुझ में कोई फर्क नहीं, हमारा कुछ भी, चाहे वह नौकरी हो या समाज, जिंदगी भर नहीं रहेगा…लेकिन हम दोनों मरते दम तक साथ रहेंगे.’’

मानअभिमान की सारी दीवारें तोड़ कर संजना नितिन से लिपट गई. नितिन ने भी एक पति के आत्मविश्वास से संजना को अपनी बांहों में समेट लिया.

छोटीछोटी बातों प‍र पतिपत्‍नी का बड़ा झगड़ा

हाल के दिनों में शादी टूटने के मामले बहुत अधिक बढ़ बढ़ रहे हैं. वे पति-पत्नी जो हमेशा एक-दूसरे के साथ रहने की कसम खाते हैं, छोटी-छोटी वजहों से अपनी शादी को अलविदा कह रहे हैं.

शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है. हिंदू धर्म की बात करें तो इस रिश्ते को सबसे पवित्र और अहम माना जाता है . हम सभी को पता है कि जब दो लोग शादी के रिश्ते में जुड़ते हैं तो कुछ चीजें मेल खाती है और कुछ नहीं. ऐसे में विचारों को लेकर थोड़ा मतभेद हो सकता है. लेकिन आजकल छोटी छोटी बातों पर विचार न मिलने से नौबत तलाक तक पहुंच रही है. हाल के दिनों में शादी टूटने के मामले बहुत अधिक बढ़ बढ़ रहे हैं. वे पति-पत्नी जो हमेशा एक-दूसरे के साथ रहने की कसम खाते हैं, छोटी-छोटी वजहों से अपनी शादी को अलविदा कह रहे हैं.आज स्थिति ऐसी हो गई है कि छोटी-छोटी लड़ाई होने पर उसे सुलझाने की जगह बहस की चिंगारी को हवा दी जाती है और फिर बात रिश्ता खत्म करने तक आ जाती है.

छोटी छोटी बातों पर रिश्ता पहुँच रहा है टूटने की कगार पर

आज जहां पसंद का खाना न खिलाने ले जाना , घूमने न ले जाने और शॉपिंग न करवाने जैसी छोटी-छोटी बातों पर लड़ाइयां शुरू हो जाती हैं, वहीं पहले के जमाने में ऐसा नहीं हुआ करता था पहले  रिश्ते  में धैर्य और एक-दूसरे के लिए प्यार हुआ करता था.  पहले लोग किसी भी छोटी बात पर नाराज होकर और मुंह फुलाकर नहीं बैठा करते थे, बल्कि ऐसी बातों को भूल रिश्ते को मजबूत बनाने का प्रयास करते थे लेकिन आज के लोगों में पेशेंस या एक दूसरे के साथ एडजस्ट करने के स्वभाव की बहुत कमी है.

शादी का रिश्ता प्यार ,अपनेपन और विश्वास का रिश्ता है लेकिन आज की मॉडर्न लाइफ में लोगों की लाइफस्टाइल और सोच बदल रही है अब जब तक दोनों एक दूसरे के मन मुताबिक चलते हैं तक तक उनका रिश्ता टिकता है जिस दिन दोनों में से कोई भी एक पार्टनर दूसरे की मर्जी के खिलाफ उस  से अलग जाता है सामने वाले को वह बर्दाश्त नहीं होता और रिश्ता टूटने की कगार पर पहुँच जाता है .

अपने रिश्ते को एक चांस जरूर दें

वर्तमान में कोई किसी के सामने झुकना पसंद नहीं करता है. रिश्तों में अब सहनशीलता खत्म होती  जा रही है. लोगों में अब रिश्ता तोड़ने से पहले अपने रिश्ते को एक चांस देने का सब्र तक नहीं बचा है.  लेकिन ये जल्दबाजी सही नहीं है. कोई भी दो इंसान एक जैसे नहीं हो सकते.  दोनों की आदतें, सोचने और जीने का तरीका अलग हो सकता है.  ऐसे में एक दूसरे में मीन मेख निकालने की बजाय एक दूसरे में खूबियां ढूंढना सही रास्ता है.  किसी को बदलने के बजाय उसे उसी रूप में स्वीकारना चाहिए जैसा वो है.  इससे रिश्ते में अपेक्षाएं कम होती हैं और साथ रहना आसान हो जाता है.

जरूरत से ज्यादा उम्मीदें न रखें

पति-पत्नी में अलगाव की सबसे बड़ी वजह एक दूसरे से जरूरत से ज्यादा उम्मीदें करना है.  दोनों ही जब खुद को सही और साथी को गलत साबित करने की होड़ में लग जाते हैं तो रिश्ते में खटास बढ़ने लगती है.  समझ नहीं आता लोग अन्य रिश्तों में तो आसानी से एडजस्टमेंट कर लेते हैं,लेकिन जब जीवनसाथी की बात आती है तो चाहते हैं कि सामने वाला खुद को हमारे लिए पूरी तरह बदल दे.  ये उम्मीदें पति और पत्नी दोनों की तरफ से हो सकती हैं. और जब उम्मीदें बढ़ जाती हैं कि उन्हें पूरा कर पाना संभव नहीं हो पाता, तो कपल का एक साथ रहना मुश्किल हो जाता है.

जल्दबाजी में फैसला न लें

पति हो या पत्नी, रिश्ता तोड़ने से पहले उन्हें एक बार इस बारे में जरूर सोचना चाहिए कि अगर वो कोशिश करते तो क्या अपने रिश्ते को बचा सकते थे? रिश्ता टूटने में उनका खुद का दोष कितना है.  पार्टनर को दोषी ठहराने से पहले अपने व्यवहार पर ध्यान दें.  कई बार जल्दबाजी में लिए गए फैसले से बाद में पछतावे के सिवाय कुछ हासिल नहीं होता.

शादी निभाना सीखें

शादी का रिश्ता कैसे निभाएं आज यह कोई नहीं सीखा रहा न लड़की के परिवार  वाले न लड़के के परिवार वाले न समाज ,न सोशल मीडिया !
हम हाथ पकड़ कर जैसे एबीसीडी अल्फाबेट सीखते हैं वैसे शादी निभाना क्यों नहीं सीख रहे ? अब लड़कियां गाड़ी चलाना ,अकेले ट्रेवल करना ,हायर एजुकेशन जैसी लर्निंग ले रही हैं लेकिन वैवाहिक जीवन कैसे चलाएं यह कहीं से नहीं सीख रहीं न उन्हें कोई सीखा रहा .
पहले यह जिम्मेदारी पत्रिकाएं निभाती थीं .अब शादी से पहले शादी को कैसे चलाएं यह सीखाने गाइड करने के लिए मैरिज काउंसलर भी हैं लेकिन शादी से पहले वे उनके पास भी नहीं जाते. शादी कैसे चलाएं यह शिक्षा दोनों पार्टनर को मिलनी चाहिए.  पति को भी सीखना चाहिए कि वह पत्नी की इज्जत करे ,उसकी इच्छा का सम्मान करना  सीखे . दोनों का रिश्ता बराबरी का है यह सीखे  . तीन चौथाई पुरुष सोचते हैं कि वह पत्नी को पीट सकते हैं उस पर हाथ उठा सकते हैं इस सोच को बदलने की जरूरत है .

पति पत्नी एक दूसरे को संभाल कर रखें

पति पत्नी दोनों को यह सीखने समझने की जरूरत है कि अगर उन्होंने शादी तोड़ी तो उन्हें बहुत कुछ भुगतना पड़ेगा . पहली बात तो यह है कि इस संबंध में कानूनी व्यवस्था बिल्कुल भी आसान नहीं है.  दूसरा ,अगर सालों बाद किसी तरह अलग हो भी गए तो दूसरा मिलने वाला कोई नहीं है इसलिए पति  पत्नी एक दूसरे को संभाल कर रखें . अदालतों में ही लड़ते लड़ते ज़िंदगी निकल जाए कहीं ऐसा ना हो..

मैं हूं डौन… कुख्यात गैंगस्टर लौरेंस बिश्नोई की कहानी

पहले जहां अपराधी किसी भी क्राइम या घटना को अंजाम देने के बाद छिपतेफिरते थे और चाहते थे कि उन के इस क्राइम के बारे में किसी को पता न चले, वहीं आज एक ऐसा दौर आ चुका है जहां अपराधी क्राइम करने के बाद खुद सोशल मीडिया पर उस क्राइम की जिम्मेदारी लेता है और सरेआम ऐलान करता है कि यह क्राइम हम ने किया है.

यहां बात चल रही है एक ऐसे कुख्यात गैंग्स्टर की जो पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है और जिस ने सोशल मीडिया के जरीए अपनी ऐसी धाक जमा रखी है कि सरकार भी उस का कुछ नहीं कर पा रही.

सिद्धू मूसेवाला की हत्या

लौरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) ने अपनी छवि किसी हीरो से कम नहीं बना रखी. यह तब चर्चा में आया जब 29 मई, 2022 को इस के गैंग के शूटरों ने मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला (Siddhu Moose wala) की सरेआल गोलियां मार कर हत्या कर दी थीं. इतना ही नहीं, बल्कि इस घटना को अंजाम देने के बाद लौरेंस की गैंग ने खुद सोशल मीडिया पर इस बात की जानकारी दी थी कि सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या उन्होंने ही की है.

खुद को भगत सिंह का फैन मानता है लौरेंस बिश्नोई

लौरेंस बिश्नोई खुद को भगत सिंह (Bhagat Singh) का सब से बड़ा फैन मानता है और अकसर उसे भगत सिंह की टीशर्ट पहने देखा गया है. लौरेंस बिश्नोई जिम का बहुत शौकीन है और जेल के अंदर रह कर भी वह खुद को बहुत फिट रखता है.

आमतौर पर लौरेंस बिश्नोई जेल के अंदर रहते हुए ही अपना गैंग चलाता है और इतना ही नहीं बल्कि हाल ही में इस ने जेल के अंदर से ही एक मीडिया चैनल को इंटरव्यू तक दिया था.

ऐसे में, जेल प्रशासन पर सब से बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर लौरेंस बिश्नोई जेल के अंदर बैठेबैठे सबकुछ कैसे कर लेता है और आखिरकार उस के पास अपने गैंग के लोगों से बात करने के लिए फोन कैसे आता है.

सलमान खान को सरेआम धमकी

लौरेंस बिश्नोई ने कुछ समय पहले सरेआम मीडिया से बात करते हुए बौलीवुड सुपरस्टार सलमान खान (Salman Khan) को धमकी दी थी कि वे उसे मारना चाहता है. दरअसल, बिश्नोई समाज में हिरण की पूजा की जाती है और हिरण को काफी सम्मान दिया जाता है और ऐसे में सलमान खान के खिलाफ हिरण का शिकार करने का आरोप भी है जिस के चलते लौरेंस बिश्नोई चाहता है कि सलमान खान उस के समाज से माफी मांगे वर्ना वह उसे भी मार डालेगा.

इस के बाद से ऐक्टर सलमान खान की सिक्योरिटी भी बढ़ा दी गई थी लेकिन फिर भी कुछ समय पहले सलमान खान को डराने के लिए लौरेंस बिश्नोई के कुछ लोगों ने सलमान के मुंबई स्थित घर के बाहर गोलियां भी चलाई थीं.

बाबा सिद्दिकी की हत्या के पीछे लौरेंस बिश्नोई

हाल ही में लौरेंस बिश्नोई के लोगों ने महाराष्ट्र के मशहूर पौलिटिशिन बाबा सिद्दिकी (Baba Siddique) की 12 अक्तूबर, 2024 को गोली मार कर हत्या कर दी और इस का खुलासा भी लौरेंस की गैंग ने खुद सोशल मीडिया पर किया.

बाबा सिद्दिकी के बौलीवुड के लोगों के साथ काफी अच्छे रिश्ते थे. इस घटना के बाद से सलमान खान की सिक्योरिटी को और भी ज्यादा बढ़ा दिया गया.

लौरेंस को जेल में नहीं है कोई भी कमी

लौरेंस बिश्नोई का कहना है कि वह या उन की गैंग में से कोई भी कभी पहल नहीं करते और अगर उन के या उन के किसी अपनों के साथ कुछ गलत होगा तो वे बदला जरूर लेंगे और लौरेंस यह बात सरेआल बोलता है. लौरेंस बिश्नोई को देख कर या उस की बातें सुन कर यह कहना काफी मुश्किल है कि उसे जेल में किसी बात की कोई दिक्कत आ रही है, बल्कि ऐसा लगता है कि जेल ही उस का घर बन चुका है और उसे जेल में हर वह सुविधा मिल रही है जो वह चाहता है, तो फिर इस का जिम्मेदार कौन है?

लौरेंस बिश्नोई को देख जेल प्रशासन और सरकार पर काफी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर एक गैंगस्टर की मनमानी कब तक ऐसे ही चलती रहेगी और क्या वह खुद को डौन मानने लगा है?

ईयरफोन का कितना यूज सही

अपने आसपास हम अकसर देखते हैं कि मेट्रो, बस, कैब में कुछ लोग खुद से ही बातें करते हुए चलते हैं. पहली नजर में तो देखने में लगता है कि यह व्यक्ति पागल है जो खुद से ही हंस रहा है लेकिन दूसरे ही पल समझ में आ जाता है कि वह खुद से नहीं बल्कि ईयरफोन लगा कर किसी से बात कर रहा है.

यह अपनेआप में बहुत फनी लगता है. उस व्यक्ति को यह पता भी नहीं होता कि बात करतेकरते उस की आवाज इतनी तेज हो गई है कि उस की प्राइवेसी की बातें उस के साथ गुजरने वाले हर व्यक्ति के कान में पड़ रही है और अनजान लोग मंदमंद मुसकराते हुए आंखों ही आंखों में मानो एकदूसरे से उस व्यक्ति की चुगलियां करते हुए निकल जाते हैं. उस पर कमाल यह कि ईयरफोन लगाए उस व्यक्ति को इस सब की कोई खबर ही नहीं होती कि वह अपने आसपास लोगों में हंसी का पात्र बन रहा होता है.

यह सोशल एटिकेट्स के भी खिलाफ है. अगर कोई बहुत जरुरी बात है और ईयरफोन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है तब तो ठीक लेकिन बेवजह हर वक्त इन्हें कानों में ठूसे रखना, सोशली एम्बैरस्मेंट का कारण तो है ही साथ ही सेहत के लिहाज से भी ठीक नहीं है.

बौलीवुड की जानीमानी सिंगर अल्का याग्निक ने अभी हाल ही में सोशल मीडिया के जरिये जानकारी दी कि उन्हें अपने कानों से कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है. उन्होंने अपने सुनने की क्षमता खो दी है. अल्का ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, “मेरे सभी फैंस, दोस्त, फौलोअर्स और वेलविशर्स. कुछ हफ्ते पहले फ्लाइट से उतरने पर मुझे अचानक महसूस हुआ कि मैं सुन नहीं पा रही हूं.” अल्का ने आगे लिखा, “मैं अपने फैंस और यंग साथियों को बहुत लाउड म्यूजिक और हेडफोन के कान्टेक्ट में आने को ले कर वार्न करना चाहूंगीं. एक दिन, मैं अपनी प्रोफैशनल लाइफ की वजह से हैल्थ पर होने वाले नुकसान पर भी बात करूंगीं.”

ये एक अकेली घटना नहीं है बल्कि आएदिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिस में ईयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से लोग बहरे हो रहे हैं.

आइए जानें ईयरफोन का अधिक इस्तेमाल कैसे है घातक

आप घर में हैं डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहे हैं और तेज आवाज में म्यूजिक सुन रहें हैं और वहां मौजूद बाकी लोग आप से बात करने की कोशिश कर रहें हैं पर आप को कुछ पता नहीं.

घर में 4 मेहमान आए हैं और आप ड्राइंग रूम में ईयरफोन लगा कर बैठे हैं तो फिर वहां बैठे ही क्यों हैं जब आप वहां होने वाली किसी भी कन्वर्सेशन का पार्ट ही नहीं हैं?

कोई आप से कुछ कह रहा है और आप सुन ही नहीं रहे और कई बार कहने पर ईयरफोन भी कुछ इस तरह बंद किया, मानो सामने वाले पर कोई अहसान कर दिया हो क्या यह सही है?

सोचिए पब्लिक प्लेस में किसी को आप की हेल्प की जरूरत है, जैसे कोई आप से रास्ता पूछ रहा है या फिर कुछ और कहना चाहता है लेकिन आप को कुछ सुनाई नहीं दे रहा?

अगर आप बहरे नहीं हो, तो हर वक्त ऐसी मशीन को कानों में क्यों लगाना जो सोशली आप को लोगों से दूर कर रही है? आप का लगातार इस तरह का व्यवहार आप को एंटी सोशल बना देगा और आप को पता भी नहीं चलेगा.

लोग आप से बात करने में हिचकिचाएंगे

कुछ लोगों की आदत होती है कि वे कुछ सुन रहे हों या न सुन रहे हों हर वक्त इसे कानो में लगाए रखते हैं. इस से सामने वाला बात करने से पहले 10 बार सोचता है कि यह बंदा, तो खुद में ही बिजी है इस से क्या बात करना. ऐसे में बहुत सी जरुरी बातों से आप अनजान रह सकते हैं. इस से धीरेधीरे लोग आप को पूछना और बातें शेयर करना कम कर देंगे और सोशल सर्कल लगभग न के बराबर हो जाएगा.

हेडफोन लगा कर किसी से बात करना अपमानजनक

हां, हेडफ़ोन लगा कर किसी से बात करना अपमानजनक हो सकता है. हेडफ़ोन लगा कर किसी से बात करने से, वह व्यक्ति आप को अनदेखा कर सकता है. लड़कियों को यह पसंद होता है कि लड़का पूरे अटेंशन से उन से बात करने का करे. अगर कोई लड़का हेडफोन हटाने के अनुरोध को नहीं मानता तो लड़कियां उस से विमुख हो सकती हैं. उन्हें लगता है कि व्यक्ति उन्हें इग्नोर कर रहा है जबकि सच तो यह है कि उस व्यक्ति को पता ही नहीं होता कि सामने वाला उस से क्या कह रहा है.

क्या आप यह बताना चाहते हैं कि आप को अकेले रहना पसंद है

लोगों को यह बताने का सब से आसान तरीका है कि आप अकेले रहना चाहते हैं. हेडफोन पहनने से या तो आप दूसरे लोगों को सुन नहीं पाएंगे, या वे मान लेंगे कि आप उन्हें नहीं सुन सकते. इस से नुकसान आप का ही है. वह एकदो बार तो आप से बात करना चाहेंगे लेकिन आप के हर बार ऐसा करने पर वे आप को अकेला छोड़ देंगे और लोंग टर्म में देखा जाए तो इस का नुकसान आप को ही होगा.

पहले जो लोग आप से घंटों बात करते थे वे आप को अकेला छोड़ देंगे. शुरू में हो सकता है आप को यह अकेलापन अच्छा लगे लेकिन कुछ समय बाद आप खुद ही अवसाद से घिर जाएंगे क्योंकि आप के पास अपने मन की बात करने के लिए कोई नहीं होगा.

पीठ पीछे नहीं, आप के सामने आप की बुराइयां करेंगे

अगर लोग मान लेते हैं कि आप सुन नहीं सकते या ध्यान नहीं दे रहे हैं, तो वे आप की पीठ पीछे खुल कर बात करने के बजाए आप के मुंह पर आप के सामने ही बात करेंगे और आप को कुछ पता भी नहीं चलेगा. ये बिलकुल ऐसा होगा जैसे कि अपने सुनने की क्षमता आप खो चुके हों और नहीं पता कौन क्या बात कर रहा है. ये स्थिति सही नहीं होती. ऐसे में लोगों की नजरों में अपना सम्मान खोते देर नहीं लगेगी.

घर में भी किसी अनचाही सिचुएशन में फंस सकते हैं

अगर आप घर में हैं और ईयरबड्स लगाए हुए हों और तेज आवाज में गाने सुन रहे हैं तो आप को पता भी नहीं चलेगा कि साथ वाले कमरे में क्या हो रहा है. हो सकता है आप के घर को चोर आ जाए या फिर आप के पेरैंट्स में से किसी को कोई मैडिकल एमरजैंसी हो और वे आप को बुला रहे हों लेकिन न सुन पाने के कारण वे किसी गंभीर दुर्घटना का शिकार भी हो सकते हैं. ऐसे में आप खुद को पूरी जिंदगी माफ नहीं कर पाएंगे.

मैट्रो या लंबे सफर के दौरान ईयरफोन लगाना खतरनाक

यदि आप भी मैट्रो या लंबे सफर के दौरान कानों में ईयरफोन या हेडफोन लगा कर घंटों गाने सुनते हैं तो सतर्क हो जाने की जरूरत है क्योंकि आप की ये आदत आप को खतरे में डाल सकती है. अगर आप के आसपास कोई अप्रत्याशित घटना घट जाती है तो आप अपने ईयरफोन में इतना मस्त होंगे कि आप को पता भी नहीं चलेगा कि क्या हो रहा है. आप को पब्लिक प्लेस में कोई फौलो कर रहा है इस का अहसास भी नहीं होगा जो किसी बड़े खतरे का कारण भी बन सकता है.

दुर्घटना के शिकार होते हैं ईयरबड्स का इस्तेमाल करने वाले

हेडफोन लगा कर रोड क्रौस करना मतलब जान जोखिम में डालना है. आजकल बहुत सारे एक्सीडैंट हुए वे युवा आते हैं जिन का मुख्य कारण यही है कि ईयर फफोन लगाकर गाड़ी चलाते हैं या पैदल चलते हैं जिस कारण वो पीछे से आ रहे वाहन की आवाज नहीं सुन पाते और दुर्घटना के शिकार होते हैं. अगर आप रोड पर चल रहे हैं तो ईयरबड्स का यूज़ बिलकुल न करें अगर ईयरबड्स का यूज़ करना ही है तो किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज करें ताकि अपने साथ किसी और की जिंदगी को खतरे में न डालें.

हेडफोन लगाने से सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ता है

दरअसल, हमारे कान के अंदर कुछ कोशिकाएं होती हैं जो सुनने के काम में हमारी मदद करती हैं. ये कोशिकाएं, आवाज के रूप में सिग्नल को ट्रांसमिट करने का काम करती हैं. इसलिए, जब हम तेज आवाज सुनते हैं तब इन कोशिकाओं पर उस का असर पड़ता है और इसी वजह से हमें सुनने में समस्या का सामना करना पड़ता है.

इन के अधिक प्रयोग से न केवल हमारी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है बल्कि कई बार बहरेपन की स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है. साथ ही कानों के सुन्न होने की समस्या, कानों में दर्द रहना, सिर में भारीपन रहना, नींद आने में दिक्कत होना, दिमागी रूप से थकान महसूस करना, कानों में इंफैक्शन होना या कानों में हर समय शोर सुनाई देते रहने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

ध्यान दें कि आप हेडफोन को ज्यादा देर तक न सुनें. 60 मिनट के लिए 60 प्रतिशत वौल्यूम पर इसे सुनें और फिर अपने कानों को आराम देने के लिए कम से कम 30 मिनट के लिए ब्रेक लें.

कितनी देरी तक करें ईयरबड्स का इस्तेमाल

बहुत लंबे समय तक हेडफोन और ईयरफोन का इस्तेमाल न करें. अगर आप घंटों तक ईयरबड्स का इस्तेमाल करते हैं तो तुरंत ही उन्हें अपने रूटीन में बदलाव कर लेना चाहिए. 60 मिनट से अधिक समय तक ईयरबड्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस के अलावा बीचबीच में वौल्यूम को भी कम कर देना चाहिए.

आप शायद नहीं जानते, लेकिन हेडफोन इललैक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स पैदा करता है. इसलिए मीटिंग, म्यूजिक या फिर औनलाइन क्लासेस के लिए भी ज्यादा देर तक इस का इस्तेमाल करेंगे तो दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. ईयरफोन के साथ भी यही स्थिति बनती है. इसलिए ईयरफोन हो या हेडफोन इस्तेमाल करते समय अपनी सेहत का ख्याल जरूर रखें.

जब भी हेडफोन से सुने तो धीमे सुनें, नहीं तो बहरा होने या ऊंचा सुनने वालों में आप का भी नाम होगा. साथ ही इस का सीमित इस्तेमाल करें जब बहुत जरुरत हो तभी इस का यूज करें, लेकिन इसे अपनी रोजमर्रा की आदत न बनाएं. नहीं तो आप न घर के रहेंगे न घाट के. अपनी सेहत भी खराब करेंगे और सोशलली भी आप अनमैनेर्ड कहलाएंगे.

आखिर क्यों औनलाइन ट्रैप में फंसती हैं लड़कियां

साधारण सी दिखने वाली रोहिणी को सोशल मीडिया पर एक लड़का मिला जिस ने अपनी मीठीमीठी बातों से रोहिणी को असाधारण साबित कर के उसे अपने प्यार के झांसे में फंसा लिया. धीरेधीरे बात पिक्स एक्सचेंज, वीडियो कौल तक पहुंच गई. एकदूसरे को गिफ्ट्स भेजे जाने लगे. दोनों बाहर मिलने लगे. रोहिणी को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन लड़के के दिमाग में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी. उस का उद्देश्य रोहिणी से पैसे ऐंठना था और जब उस ने देखा कि रोहिणी उस के झांसे में आ चुकी है तो उस ने रोहिणी की चाहत का फायदा उठाया और उस की फोटोज वायरल करने की धमकी दे कर उस को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.

यहां गलती किस की है? उस लड़के की कि वो फ्रौड है उस ने रोहिणी को ट्रैप में फंसाया या फिर रोहिणी की कि साधारण होते हुए भी खुद को किसी दूसरे की नजरों में असाधारण साबित करने की चाहत में वह बिना किसी जानपहचान के, किसी अनजान लड़के पर विश्वास कर के, घर वालों को बिना बताए इतना आगे बढ़ गई. और इस गलती ने रोहिणी को मुसीबत में डाल दिया और वह उस लड़के के जाल में फंस गई.

2 + 2 = 4 ही होगा, 5 होने की चाहत न रखें

लड़कियों को यह समझने की जरूरत है कि 2 + 2 = 4 ही होगा, 5 की चाहत रखने से निराशा, स्ट्रैस और धोखे के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा. आप जो हैं खुद को वैसे ही स्वीकार करें. दूसरों से तारीफ या वेलिडेशन या विलासिता की चाह में कुछ भी गलत कर के भले ही थोड़े समय के लिए कुछ अर्जित हो जाए और वह क्षणिक रूप में सुख भी दे दे लेकिन यह तय है कि अंत में वो दुख और परेशानी में ही तब्दील होगा.

औनलाइन प्यार के ट्रैप में फंसती लड़कियां

कुछ दिन पहले रांची के साइबर क्राइम ब्रांच में एक 25 साल की पढ़ीलिखी युवती मैरिज साइट के जरिए एक लड़के द्वारा 7 लाख रुपये ठगने की रिपोर्ट लिखाने आई. युवती ने बताया कि मैरिज साइट पर उसे एक लड़के का प्रोफाइल पसंद आया. फोन नंबर एक्सचेंज हुए और दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई. दोनों जल्द ही मिलने भी वाले थे लेकिन इसी बीच लड़के ने बताया कि वह दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया है और इस बाबत लड़की से 7 लाख रुपए ठग लिए और पैसे लेने के बाद उस ने अपना प्रोफाइल भी डिलीट कर दिया. अब लड़की के पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बचा.

औनलाइन प्यार की थोड़े दिनों की चैटिंग और बातचीत में लड़कियां इतनी इमोशनल हो जाती हैं कि लड़कों द्वारा कहीं फंस जाने की बात कहे जाने पर तुरंत विश्वास कर लेती हैं और पैसे का भुगतान कर देती हैं जैसे ही पैसे का भुगतान होता है वह फेक प्रोफाइल दिखना बंद हो जाता है और उस के बाद यह समझ में आता है कि औनलाइन प्यार के चक्कर में वह अपना पैसा गवां बैठी है.

रहें सावधान

आजकल डेटिंग ऐप पर भी लड़कियों के साथ कई तरह के फ्रॉड हो रहे हैं. इसलिए किसी भी डेटिंग ऐप या सोशल मीडिया ऐप पर बहुत सावधान रहने की जरूरत है –

* किसी अनजान लड़के से किसी भी होटल, गेस्ट हाउस या अकेले में बिलकुल न मिलें.

* पब्लिक प्लेस पर भी अचानक टकरा गए किसी अनजान से दोस्ती न करें. उस की औफर की कोई ड्रिंक, चाय, कौफी न पिएं.

* डेटिंग ऐेप पर मिले किसी व्यक्ति का का प्रोफाइल अच्छे से चेक करें. उस के अन्य सोशल मीडिया एप्स चेक करें. उस की कंपनी, काम धंधे के बारे में सारी जानकारी लें. उस के बारे में उस से जुड़ी हर जानकारी जुटा लें.

* डेटिंग ऐप पर मिले व्यक्ति से पहली मुलाकात पब्लिक प्लेस पर ही करें.

* अकेली, सैक्शुअली डिप्राइव्ड, रिलेशनशिप की चाहत रखने वाली बहुत डेसपेरेट लड़कियों के ट्रैप में फंसने के चांस ज्यादा होते हैं. इसलिए अपनी इच्छाओं पर काबू रखें, दुख और अकेलेपन के कारण फ्रौड में न फंसें. अकेलेपन से उबरने का कोई क्रिएटिव तरीका ढूंढें.

काबिलियत के अनुसार जो मिला है उस में खुश रहें

कई बार पढ़ीलिखी, आत्मनिर्भर लड़कियां भी भावनात्मक निर्भरता और जल्दी आगे बढ़ने की चाहत में अपना सबकुछ गंवा बैठती हैं. लड़कियों को यह समझने की जरूरत है कि हर किसी को सब कुछ नहीं मिलता. आप सिर्फ ग्रेजुएट हैं तो उसी के अनुसार आप की नौकरी और सैलरी होगी, अगर आप अपनी काबिलियत से ज्यादा की चाहत रखेंगे तो कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि जो है उसे भी गंवा देंगे.

अपनी क्षमताओं और काबिलियत के अनुसार अपनी चाहतों की लिस्ट बनाएं. अपनी काबिलियत के अनुसार जो मिल रहा है उस में सेटिस्फाइड रहें. जब कोई भी अपनी काबिलियत से ज्यादा की चाहत रखता है तो उस के गलत राह में या धोखे में फंसने के चांसेज उतने ज्यादा बढ़ जाते हैं. काबिलियत के अनुसार जो मिला है उस में खुश रहें.

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