VIDEO : सिर्फ 1 मिनट में इस तरह से करें चेहरे का मेकअप
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सवाल मेरी उम्र 33 साल है. मेरी कंटूरिंग मेकअप करने की इच्छा है, क्योंकि उस से चेहरे की कई कमियां छिप जाती हैं. कृपया मुझे कंटूरिंग मेकअप की जानकारी दें?
जवाब
– नाक को पतला दिखाने के लिए उस की दोनों तरफ डार्क शेड फाउंडेशन अप्लाई करें.
– यदि नाक लंबी है, तो उस के नीचे डार्क शेड लगाएं. ऐसा करने से वह छोटी नजर आएगी.
– डबल चिन को छिपाने के लिए चिन के नीचे ब्राउन कलर लगाएं.
– फौरहैड चौड़ा है तो ब्रौंजर की मदद से दोनों तरफ 3 बनाएं. ऐसा करने से फेस पतला नजर आएगा.
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क्या है कंटूरिंग मेकअप?
कॉन्टूरिंग मेकअप करने की एक तकनीक है, इसे रियैलिटी टीवी स्टार किम करदाशियां ने मशहूर कर दिया है. इसमें हाइलाइटर्स, ब्रॉन्जर्स और फाउंडेशन का यूज भी शामिल है. इससे चेहरे में डेफिनिशन ऐड किया जाता है और चेहरे को शेप भी मिलता है. बड़े-बड़े मेक-अप आर्टिस्ट और सेलीब्रिटीज अपने फीचर्स को और पतला दिखाने के लिए कॉन्टूरिंग की ही मदद लेते हैं. इस तकनीक से आप अपनी जॉलाइन को उभार सकते हैं और चिन को पतला दिखा सकते हैं. वैसे तो ये सुनने में मुश्किल लग रहा है पर कॉन्टूरिंग मेकअप के जरिए इसे करना आसान होता है. यह एक ऐसी कला है जिसमें मेकअप की मदद से आपके चेहरे पर बेहतरीन आकार और कर्व्स बनाए जा सकते हैं.
कॉन्टूरिंग को समझने का एक और तरीका, चेहरे के विभिन्न कोणों पर परछाई का निर्माण करना है. ये परछाइयाँ काफी प्रभावी होती हैं, क्योंकि ये आपके चेहरे के गुणों को और भी सामने लेकर आती हैं. अगर आप कॉन्टूरिंग की मदद से मेकअप करने के लिए तैयार हैं तो इस प्रक्रिया का कदम दर कदम पालन करना काफी महत्वपूर्ण होगा.
कॉन्टूरिंग करने का तरीका
कॉन्टूरिंग करने का सबसे सही तरीका है कि आप सबसे पहले एक सही बेस के साथ इसकी शुरुआत करें. इसके लिए आपको अपनी स्किन टोन का फाउंडेशन लेना होगा ताकि आपका रंग और साफ लगने लगे. फाउंडेशन अप्लाई करने के बाद और आई, चीक और लिप्स का मेकअप करने से पहले आप यह मेकअप ट्रिक्स अपना सकती हैं. इसके लिए आपको बस एक अच्छे कॉन्टूरिंग ब्रश, कॉन्टूरिंग पाउडर या क्रीम की जरूरत होती है. स्किन टोन से दो या तीन शेड डार्क फाउंडेशन भी इसके लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
ब्रोन्जर का इस्तेमाल चेहरे को कॉन्टूर करने के लिए किया जाता है, ना की उसे हाईलाइट करने के लिए. इसलिए आपका ब्रोन्ज मैट होना चाहिए. एक ऐसे ब्रोन्ज का इस्तेमाल करें जो आपकी त्वचा से दो शेड डार्क हो ताकि आपका नैचुरल लुक सामने आ सके. ब्रोंजर को लगाने के लिए आपके लिये चेहरे के छोटे भागों पर फैन ब्रश या फिर आई शैडो फ्लफ ब्रश का प्रयोग करना ही उचित रहेगा. चेहरे के बड़े भागों पर कोणों वाले ब्रश का प्रयोग करें.
कॉन्टूरिंग का एक और महत्वपूर्ण भाग हाईलाइटिंग करना है, जिससे आपके चेहरे पर एक उजला प्रभाव आएगा. अपने फाउंडेशन के साथ थोड़ा सा हाईलाइटर भी लगाएं, क्योंकि इससे आपकी त्वचा पर एक नयी चमक आएगी.चीक्स और चिन के कॉन्टूरिंग के लिए एंगल्ड ब्रश यूज कर सकते हैं.
अगर आप रात को कहीं घूमने जा रही हैं तो शिमर का प्रयोग भी कर सकती है. चेहरे को पतला दिखाने के लिए आप शिमर का भी प्रयोग कर सकती है इसे आप अपने कॉलरबोन और चिकबोन पर इस्तेमाल कर सकती है.
एक बार अगर आप अपने चेहरे पर कॉन्टूर कलर का इस्तेमाल करती हैं तो ऐसे में आपका चेहरा नैचूरल शेड बनाने लगता है. इसी के साथ आपको एक अच्छी गुणवत्ता और घना पैक ब्लेंडिंग ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि आपके चेहरे पर सब कुछ सहज लगे.
कॉन्टूरिंग को आप नियमित किये जाने वाले मेकअप में शामिल नहीं कर सकते, क्योंकि इसे लगाने में समय लगता है. लेकिन विशेष अवसरों में आपके चेहरे को स्लिम दिखाने के लिए यह खूबसूरती से काम करता है.
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EPFO ने पीएफ का पैसा निकालने के नियम में बदलाव कर दिया है. अब पीएफ खाते से 10 लाख रुपए से ज्यादा रुपए निकालने के लिए औनलाइन आवेदन करना होगा. इसके लिए औफलाइन आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसके अलावा EPFO ने कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) 1995 से 5,00,000 रुपए से ज्यादा की निकासी के लिए भी औनलाइन आवेदन जरूरी कर दिया है.
मतलब इसके लिए भी अब औफलाइन किए गए आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे. आपको बता दें कि पेंशन योजना के तहत, पेंशन की आंशिक राशि की निकासी का प्रावधान है. इसे पेंशन के पैसे का रूपान्तरण कहा जाता है. फिलहाल ईपीएफओ अंशधारकों को औनलाइन के साथ मैनुअल तरीके से भी दावा दाखिल करने की अनुमति है.
EPFO की तरफ से यह कदम क्लेम सेटलेमेंट के दौरान फ्रौड होने की आशंका के चलते उठाया गया है. इसका मतलब यह है कि अब आप अपना 10 लाख से ज्यादा का पीएफ औफलाइन मोड से नहीं निकाल पाएंगे. बता दें कि मौजूदा समय में आपकी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी पीएफ के तौर पर कटता है. इसका 8.66 फीसदी आपके पेंशन खाते में जाता है. अगर आप औनलाइन पीएफ निकालना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपना पीएफ अकाउंट अपने आधार से लिंक करना जरूरी है.
अगर आपका पीएफ अकाउंट आधार से लिंक नहीं होगा, तो आप औनलाइन पीएफ निकालने के लिए अप्लाई नहीं कर पाएंगे. सिर्फ 10 लाख से ज्यादा की रकम ही नहीं, बल्कि आप इससे कम पीएफ अमाउंट को निकालने के लिए भी औनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि बिना आधार लिंक किए आप यह काम औनलाइन नहीं कर पाएंगे.
आधार से ऐसे करें पीएफ अकाउंट लिंक
सबसे पहले EPFO की वेबसाइट gov.in पर जाएं, होम पेज पर ही मौजूद ‘Online Services’ के ‘e-KYC Portal’ के लिंक पर क्लिक करें.
‘e-KYC Portal’ पर क्लिक करते ही नया वेबपेज खुलेगा. यहां पर आपको ‘LINK UAN AADHAAR’ के लिंक पर क्लिक करना होगा.
अब एक और नया वेबपेज खुलेगा जहां आपको अपनी जानकारी भरनी होंगी.
डीटेल्स में आपको अपना UAN और मोबाइल नंबर देना होगा. ध्यान रहे आपका मोबाइल नंबर UAN के साथ रजिस्टर होना चाहिए.
डीटेल्स देने के बाद रजिस्टर मोबाइल नंबर पर OTP आएगा.
OTP भरने के बाद आपको आधार नंबर भरना होगा और फिर से सबमिट पर क्लिक करना होगा.
इसके बाद एक और OTP आएगा. यह OTP उस मोबाइल नंबर पर आएगा जिससे आपका आधार लिंक होगा.
आखिरी OTP वैरिफिकेशन के बाद UAN आधार से लिंक हो जाएगा.
भारती सिंह लल्ली के किरदार में काफी मशहूर रहीं. फिलहाल वे कौमेडी के साथसाथ ऐक्टिंग की दुनिया में भी हाथ आजमा रही हैं.
महिलाओं से जुड़े कई टैबू सब्जैक्ट्स को अदिति मित्तल कौमेडी की आड़ में बड़ी सख्ती से कह जाती हैं.
सुमुखी हास्य को महिलाओं का मजाक उड़ाने वाले चुटकुलों से हट कर कुछ अलग तरह से कौमेडी करने में विश्वास करती हैं.
सोनाली ठक्कर के अंधविश्वास, रूढि़वादी सोच व रीतिरिवाजों पर कटाक्ष करते हुए चुटकुले काफी पसंद किए जाते हैं.
दिल्ली में लड़कियों की शौपिंग व लड़कों की छेड़छाड़ जैसे विषयों पर मल्लिका दुआ के कौमिक वीडियोज काफी पौपुलर हैं.
कौमेडी का नया फंडा है ‘स्टैंडअप कौमेडी.’ इस के बारे में तो आप जानते ही होंगे और अगर नहीं जानते हैं, तो कपिल शर्मा को टीवी पर जरूर ही देखा होगा. उसी तरह की हास्यकला को दर्शाते हुए होती है ‘स्टैंडअप कौमेडी’ जिस में एक हास्य कलाकार स्टेज पर खड़ा हो कर अपने सामने बैठे दर्शकों को हंसाहंसा कर लोटपोट करता है. वह अपनी बातों व टिप्पणियों से अपने दर्शकों को हंसाता है. उस के चुटकुलों में समाज में चल रहे मुद्दे शामिल होते हैं.
देश में बहुत से ऐसे पुरुष हास्य कलाकार हैं. मगर, अब कई महिलाएं भी इस क्षेत्र में काम कर रही हैं. कौमेडी क्वीन्स कही जाने वाली ये हास्य कलाकार अंधविश्वास, कुरीतियों, रूढि़यों, पुरुषप्रधान समाज आदि पर हास्य के माध्यम से चोट करती हैं.
भारती का हास्यनामा
भारत में किसी स्टैंडअप महिला हास्य कलाकार का नाम लें तो सब से पहले नाम आता है कौमेडी क्वीन का तमगा हासिल कर चुकीं छोटे परदे की लल्ली उर्फ अमृतसर की भारती सिंह का. जो अपनी फुजूल की निरर्थक व बचकानी बातों से दर्शकों को गुदगुदाती हैं. भारती सिंह लल्ली नाम के बारे में कहती हैं, ‘‘मैं जब 2008 में अपने पहले टीवी शो में आई, तो लल्ली नाम से फेमस हुई. अधिकतर लोग तो मेरा सही नाम जानते ही नहीं थे. लेकिन लल्ली अब समय के साथ जवान हो कर भारती बन गई है. हमेशा बच्ची थोड़े ही रहेगी.’’
भारती कौमेडी शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ सीजन 4 की दूसरी रनरअप भी रहीं, जहां इन की स्टैंडअप कौमेडी के काल्पनिक पात्र लल्ली की काफी प्रशंसा हुई. वे प्रतियोगी के रूप में ‘कौमेडी सर्कस’ की 2010 की सीरीज ‘कौमेडी सर्कस के सुपरस्टार्स’ और ‘कौमेडी सर्कस का जादू’ में भी शामिल हुईं. 2011 में उन्होंने ‘जुबिली कौमेडी सर्कस,’ ‘कौमेडी सर्कस के तानसेन’ और कौमेडी सर्कस का नया दौर’ में भी भाग लिया. 2011 में टीवी शो ‘प्यार में ट्विस्ट’ में भी अभिनय किया. इस के अतिरिक्त सैलिब्रिटी डांस रिऐलिटी शो ‘झलक दिख ला जा 5’ में भी वे एक प्रतियोगी के तौर पर आईं. ये सालों से स्टैंडअप ऐक्ट कर रही हैं.
ये कई टीवी रिऐलिटी शोज में दिखाई दीं और कई इनाम भी जीते. टीवी शोज के अलावा, वे पंजाबी फिल्मों जैसे ‘एक नूर’ और ‘यमला जाट यमला’ में भी दिखाई दीं. उन्होंने अपनी फिल्म ‘खिलाड़ी 786’ के साथ बौलीवुड में कदम रखा. भारती सिंह एक एपिसोड में अभिनय के लिए 25 से 30 लाख रुपए लेती हैं और 15 लाख रुपए लाइव इवैंट में परफौर्म करने के लेती हैं. उन की सालाना इनकम लगभग 8 करोड़ रुपए है.
व्यंगबाण छोड़तीं अदिति
अदिति मित्तल देश की चर्चित हास्य कलाकार हैं. उन का शो किसी अन्य की तुलना में काफी प्रभावशाली माना जाता है. वे एडिनबर्ग फैस्टिवल और बीबीसी में अपने शो के जरिए तेजी से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना मुकाम बनाती जा रही हैं. बीबीसी रेडियो पर उन्होंने एक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया ‘अ बिगनर्स गाइड टू इंडिया’ के नाम से. उन्होंने अपने पहले शो में दुनिया को भारत की महिलाओं के बारे में बताया.
वे हर विषय पर बात करती हैं. वे 1991 से भारतीय अर्थव्यवस्था से ले कर राजनीति, भारतीय महिला धावकों को अनदेखा करने पर भी व्यंग्य करती हैं. अदिति असल में भारतीय समाज की सोच पर चोट करती हैं. उन के शोज के विषय ऐसे होते हैं कि आप हंसते हुए लोटपोट तो होंगे ही, साथ ही अंदर ही अंदर शर्म से पानीपानी भी हो जाएंगे.
अदिति ने भारतीय समाज की कड़वी सचाइयों को मजाक के रूप में प्रस्तुत किया है. उन के मजाक में महिलाएं तो ठहाके लगाती ही हैं, पर लड़कों के लिए वहां बैठे रहना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. वे देश में महिला हास्य कलाकारों की कमी पर भी मजाक करती है, कहती हैं, ‘‘आप देश में महिला कौमेडियनों की संख्या गिनो तो आप जीरो की खोज कर लेंगे.’’ अदिति अपनी कौमेडी से लोगों के दिलोदिमाग पर छा रही हैं.
अदिति मित्तल तमाम विषयों पर ऐसीऐसी बातें करती हैं कि आप हंसते ही रह जाओगे. उन्हें भारत की सब से फनी महिलाओं में और भारत के सब से अच्छे कौमेडियनों में से एक माना जाता है. विदेशों में भी उन्हें अपने ऐक्ट दिखाने के मौके मिल चुके हैं. अदिति की खास बात यह है कि वे ऐसी बातों को मजाकमजाक में कह जाती हैं जो आप भारत में लड़कियों से सुनने की उम्मीद भी नहीं कर सकते. वे ब्रा और ब्रैस्ट से जुड़ी बातों को बहुत तीखे अंदाज में कहती हैं. और साथ ही, वे संदेश भी देती हैं कि ब्रैस्ट कैंसर को ले कर जागरूक रहना चाहिए. सोशल नैटवर्किंग साइट ट्विटर पर स्टैंडअप कौमेडियन अदिति मित्तल ने अभिषेक बच्चन का मजाक उड़ाते हुए लिखा, ‘ऐश्वर्या को पहले एक पेड़ से शादी करनी पड़ी, ताकि बाद में वे एक चट्टान से शादी कर सकें मतलब अभिषेक से ऐक्टिंग नहीं होती, है न?’
महिला और कौमेडी!
‘‘हे भगवान, तुम एक औरत हो, तुम किसी को कैसे हंसा सकती हो?’’ कुछ ऐसी ही प्रतिक्रियाओं से गुजर कर भारत की युवा उभरती हास्य कलाकार जोड़ी ऋचा कपूर और सुमुखी सुरेश ने पुरुष प्रधान समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. ये बस कुछ ही पंक्तियां हैं जो ऋचा और सुमुखी को अकसर सुनने को मिलीं. हालांकि सुमुखी को एक और संदेश मिला वह भी किसी के मैट्रिमोनियल प्रोफाइल से, जिस में लिखा था कि वह अपने परिवार में एक ऐसे शख्स को चाहेंगे जो सब का मनोरंजन कर सके.
उन के सफर की कहानी जानने को उत्सुक लोगों को वे बताती हैं कि ये सब एक ऐसा सफर है जिस पर महिलाओं के कदम कभीकभी ही पड़े हैं. लोगों को लगता है कि महिलाएं लोगों को नहीं हंसा सकतीं. बस, यही धारणा तोड़ने के लिए उन्होंने इस ओर कदम बढ़ाया. इस दौरान कुछ ऐसे लोग मिले, जो थे तो बिलकुल अलग, फिर भी उन में कुछ अजीब तरह की समानताएं थीं.
ऋचा और सुमुखी की मुलाकात एक केंद्रीय मंच ‘द इम्प्रूव’ के साधारण से कौमेडी शो में हुई. सुमुखी जब इस मंच से जुड़ीं तो ऋचा को यह शो करते 2 साल हो चुके थे. सुमुखी कहती हैं, ‘‘हम ने साथ मिल कर इस में सुधार की कोशिश की और तब हमें महसूस हुआ कि हम दोनों बिलकुल अलग हो कर भी आपस में काफी मिलतेजुलते हैं. इस से हमें यह समझ आया कि हम एक टीम के रूप में बेहतर काम कर सकते हैं. फिर हम ने अपने हास्य नाटक खुद लिखने और उन्हें रंगमंच पर उतारने का फैसला किया.’’
बहुत से नाटक करने के बाद उन्होंने फैसला लिया कि वे इसे आधिकारिक तौर पर शुरू करेंगी और फिर यूट्यूब पर ‘स्केच इन द सिटी’ नाम से एक चैनल शुरू हुआ. ऋचा और सुमुखी को इस बात पर बहुत गुस्सा आता है जब लोग हैरानी जताते हैं कि 2 लड़कियां लोगों को कैसे हंसा सकती हैं? क्या वाकई इन लड़कियों में वह कला है? हालांकि वे दोनों समझती हैं कि लोगों की इस विचारधारा को गलत साबित करने का एक ही तरीका है, और वह है हर बार बेहतर प्रदर्शन, अपने हर शो को ऐसे पेश करना जैसे यह उन का आखिरी शो हो.
उन दोनों का कहना है, ‘‘हम ने शर्मिंदा होने के मजे लिए और उन चीजों से भी प्यार किया जो अपमानित करने वाली थीं. इन चीजों में दिमाग लगाने के बदले काम पर ध्यान देने की हमारी सोच ने हमें बांधे रखा और हर जोखिम लेने के लिए तैयार किया.’’
जोखिम लेना जरूरी
सुमुखी के मुताबिक, ‘‘हमारे देश में लोग इतना नहीं हंसते जितना हंसना चाहिए और खुद पर तो बिलकुल भी नहीं. देश हंस तो रहा है, लेकिन ज्यादातर लोगों की हंसी की वजह ऐसे चुटकुले हैं जो आमतौर पर पत्नियों, महिलाओं, महिलाओं से जुड़ी बातों, परेशान करती प्रेमिकाओं और कपड़ों को ले कर होते हैं या फिर सैक्स को ले कर.’’ वे आगे कहती हैं, ‘‘इसे रोकने की जरूरत है. हम ने एक छोटी सी शुरुआत की है.
‘‘उम्मीद है कि हम आगे बढ़ेंगे. एक ऐसे देश में जहां हास्य अनकही बातों को कहने और असहज मुद्दों पर चर्चा का एक जरिया बन पाए और हास्य कलाकार को यह कहने में कोई डर न हो.’’
ऋचा कहती हैं, ‘‘आगे बढ़ो और अपने अंदर के बेवकूफ को बाहर निकालो. खुद को समझा लो, अभी नहीं, तो कभी नहीं.’’ ऋचा अपनी जोड़ी के लिए गाते हुए संदेश देती हैं, ‘‘जब तक हम अपने लक्ष्यों के प्रति सचेत हैं, दुश्वारियां कमजोर पड़ने लगती हैं. ऐसे मौकों पर आप को खुद को अपना सब से बड़ा हथियार बनाना पड़ेगा.’’
यह बात इन अदाकाराओं के बारे में दिए जाने वाले लगभग हर इंटरव्यू में कही जाती है, यहां तक कि अब ये खुद अपने कार्यक्रमों के दौरान यह बात दोहराना नहीं भूलतीं. कौमार्य झिल्ली वाला चुटकुला तो इन के द्वारा उठाए जाने वाले अनेक मुद्दों का एक छोटा सा उदाहरण मात्र है. इन के द्वारा चर्चा किए जाने वाले विषयों की लंबी फेहरिस्त है, जो सैक्स से जुड़े मुद्दों की है.
बढ़ती संभावनाएं
आज नीति पल्टा, वासु प्रिम्लानी और राधिका वाज के साथसाथ अदिति मित्तल की गिनती भारत की चुनिंदा 4 महिला कौमेडियनों में की जाती है. नीति पल्टा दिल्ली से हैं और एक फेमस स्टैंडअप कौमेडियन हैं. वे अपने ह्यूमर में नारीवादी सोच रखती हैं. अपने यूट्यूब चैनल के अलावा वे दूसरे चैनलों पर भी दिखती हैं. वे भारत के बेहतरीन स्टैंडअप कौमेडियनों में से एक हैं.
पिछले ढाई वर्षों से चार्टर्ड अकाउंटैंसी की छात्र सोनाली ठक्कर भी तेजी से इस क्षेत्र में उभर रही हैं. वे कहती हैं, ‘‘कौमेडी के क्षेत्र में संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. जितनी डिमांड है उतनी सप्लाई नहीं है.’’ सोनाली अंधविश्वासों और गुजराती होने पर जो चुटकुले और व्यंग्य सुनाती हैं वे काफी लोकप्रिय हैं.
बेंगलुरु हो, दिल्ली हो या फिर देश का कोई भी कोना, महिलाओं के लिए कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है. वे छोटे कपड़े पहनें या फिर बुर्का, उन के साथ छेड़छाड़ तो होनी ही है, लेकिन कौमेडियन मल्लिका दुआ ने सारी लड़कियों को इस छेड़खानी से बचने का एक तरीका सुझाया है, मेकअप के जरिए. मल्लिका सोशल मीडिया पर मेकअप दीदी के नाम से वीडियो सीरीज करती हैं जिस में वे अलगअलग लुक्स के साथ कौमेडी करती दिखती हैं.
मल्लिका अपने सरोजिनी नगर वाले वीडियो से मशहूर हुईं और इस के बाद वे आज हर इंटरनैटप्रेमी के दिल में बसती हैं. उन्होंने एक वीडियो बनाया. यह वीडियो सरोजिनी नगर मार्केट पर बनाया गया था. इस में मल्लिका ने अलगअलग तरह की कई लड़कियों की भूमिकाएं निभाई थीं. मल्लिका कहती हैं कि उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ था कि उन का यह मजाकमजाक में बनाया गया वीडियो इतना हिट हो जाएगा.
दरअसल, इन दिनों हास्य कलाकारों की बाढ़ आई हुई है. ‘जो मांगोगे वही मिलेगा’ वाली हालत है. कोई परिवारों का मनोरंजन कर रहा है, तो कोई इस के जरिए सामाजिक व्यवस्था पर प्रहार कर रहा है, कोई सिर्फ चुटकुलेबाजी कर रहा है तो कोई सैक्स कौमेडी. तरीके भले ही बहुतेरे हों मगर हर कौमेडी का ही मकसद होता है हंसाना और उसे ये कलाकार पूरा करने की बखूबी कोशिश कर रहे हैं.
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पाकिस्तानी पंजाब के जिला डेरा गाजीखान में 1 मार्च, 1990 को बलोच परिवार में पैदा हुई फौजिया अजीम की 5 बहन थीं और 6 भाई. बचपन से ही वह अपनी उम्र के बच्चों से हर मामले में आगे थी. पढ़ाई में वह ठीक थी. उस की आकांक्षाएं बहुत ऊंची थीं. बचपन से ही उस की खूबसूरती आंखों में बस जोने वाली थी. साधारण तरीके से बात करते हुउ भी उस की भावभंगिमाएं अलग ही नजर आती थीं.
फौजिया अपनी फ्रैंडस से अकसर कहा करती थी कि वह बड़ी हो कर पहले मौडल बनेगी और फिर अदाकारा. हकीकत यह है कि उस वक्त वह खुद नहीं जानती थी कि यह उस की महत्वाकांक्षा थी, या फिर शेखी बघारने की बालसुलभ प्रवृत्ति. लेकिन इस तरह की बातों से उस ने अपने लिए अच्छीखासी समस्या खड़ी कर ली. फौजिया की फ्रैंड्स घर जा कर उस की इन बातों को अपने परिवार में बताया करती थीं.
परिणाम यह निकला कि उन के परिवारों के बुजुर्ग यह सोच कर खौफजदा होने लगे कि कल को अगर उन की लड़़कियां भी फौजिया के नक्शेकदम पर चलने को आमादा हो गईं तो उन की बच्चियों का क्या होगा? लिहाजा वे बेटियों के सामने फौजिया की गलत तसवीर पेश कर के उन के भविष्य का स्याह पक्ष दिखलाने की कोशिश करते और उस से दूर रहने को कहते. फौजिया की आजाद सोच को ले कर होने वाले विरोध संबंधी कुछ शिकायतों का सामना उस के पिता मोहम्मद अजीम को भी करना पड़ा. सुन कर वह काफी परेशान हुए. लेकिन अपनी बेटी से प्यार और सकारात्मक सोच की वजह से उन्होंने फौजिया को कुछ नहीं कहा.
खानदान बाद की बात होती तो मोहम्मद अजीम संभाल लेते, लेकिन वे शिया सोच वाले अपने उस समुदाय के बनाए नियमों से बाहर जाने की सोच नहीं भी सकते थे, जो अपने कट्टरपन के लिए जाना जाता था.
दूसरा कोई चारा न देख, मोहम्मद अजीम ने बेटी का निकाह आशिक हुसैन से पढ़वा दिया. उस वक्त फौजिया की उम्र 18 साल थी. निकाह के साल भर के भीतर वह एक बेटे की मां बन गई. लेकिन अपने शौहर से उस की ज्यादा दिनों तक नहीं निभी. वह जब भी अपने अब्बू के पास आती थी तो शौहर के बारे में उन्हें बताती थी कि वह हमेशा उस से बुरा व्यवहार करता है.
मोहम्मद अजीम बेटी को समझाया करते थे कि जैसे भी हो अपने शौहर का दिल जीतने की कोशिश करे और उस के साथ रहती रहे. अब तो वैसे भी वह एक बच्चे की मां बन गई है.
लेकिन फौजिया के लिए वह वक्त यूं ही बेकार गुजरने वाला नहीं, बल्कि बेशकीमती था. जिस समय वह अपनी प्रतिभा को उभारने के लिए ऊंची उड़ान भरने की सोच सकती थी. उस वक्त उस के पंख काट कर वैवाहिक जीवन में बांध दिया गया था.
इस मुद्दे पर फौजिया ने पूरी गहराई से सोचा. आखिर वह इस निष्कर्ष पर पहुंची कि अगर उसे जिंदगी में ऊंचा उठने के सपने पूरे करने हैं तो सारे बंधन तोड़ कर एक बार खुले आसमान में उड़ान भरनी होगी.
और उस ने ऐसा ही किया भी…
उस रोज उस के निकाह को ठीक एक साल हुआ था. जब वह अपने शौहर व बच्चे को छोड़ कर अपनी ससुराल को हमेशा के लिए अलविदा कह गई.
ऐसे में न तो उस ने किसी अपने से सहारे की दरकार की, न किसी रिश्ते के साथसाथ पुराने नाम को अपने साथ घसीटा. अब उस ने अपना पुराना नाम बदल कर नया नाम रखा- कंदील बलोच. इस के साथ ही उस ने अपना गैटअप भी पूरी तरह बदल लिया. अपनी इस नई पहचान के साथ वह मौडलिंग की दुनिया में कूद गई.
कंदील का अर्थ होता है—प्रकाश. फौजिया को यह नाम बहुत रास आया. कुछ ही दिनों में न केवल उस का यह नाम बल्कि उस की प्रतिभा भी प्रकाश में आ गई. हालांकि मौडलिंग में उसे बड़ी कंपनियों के अनुबंध मिलने शुरू नहीं हुए थे, लेकिन वह दिन पर दिन इस क्षेत्र में लोकप्रिय होती जा रही थी. उस ने कुछ नाटकों व धारावाहिकों में अभिनय कर के काफी वाहवाही लूटी थी. वह गाती भी बहुत अच्छा थी. चर्चा यह थी कि वह जल्दी ही बड़े पर्दे पर दिखाई देगी.
अमूमन यह सब हो जाने के बाद ही कलाकार वांछित लोकप्रियता की सीढि़यां चढ़ने लगता है. मगर कंदील बलोच एक ऐसा ब्रांड नेम बनता जा रहा था जो इस मुकाम पर पहुंचने से पहले ही काफी प्रसिद्धि बटोरने लगा था.
कंदील की लोकप्रियता की मुख्य वजह थी आज के जमाने का ब्रह्मास्त्र कहलाए जाने वाला सोशल मीडिया. अपने फेसबुक एकाउंट से ले कर ट्विटर तक के सहारे वह अनगिनत लोगों से जुड़ती जा रही थी. वक्त के साथ उसे चाहने वालों की संख्या भी खूब बढ़ रही थी.
कंदील पहले अपनी सफलताओं का ब्यौरा ही फेसबुक पर साझा किया करती थी, जिन पर उसे खूब लाइक्स और कमेंटस मिला करते थे. फिर एक दौर ऐसा भी आया जब उस ने अपने थोड़े बोल्ड फोटो अपलोड करने शुरू कर दिए. साथ ही उस ने ट्विटर पर भी अजीबोगरीब जुमले कसने शुरू कर दिए. इस से जहां वह कुछ ज्यादा ही चर्चा में आने लगी, वहीं उस के विरोध में भी आवाजें उठने लगीं.
इन में कुछ आवाजें उस के अपनों की भी थीं. जो भी था, कंदील बलोच अपने तरीकों से खुद को स्थापित करने में लगी थी. उस का कहना था कि पाकिस्तान में औरतों की आजादी के लिए वह अपनी एक अलग जंग छेड़ेगी.
बांग्लादेश की चर्चित लेखिका तस्लीमा नसरीन को कंदील ट्विटर पर फौलो करती थी. दूसरी ओर कंदील के अपने फेसबुक एकाउंट पर उस के 7 लाख फौलोअर्स थे और ट्विटर पर थे 43 हजार. यह अपने आप में एक बड़ी बात थी.
कंदील के आचरण का एक पहलू यह भी सामने आया कि वह हर लिहाज से बेबाक थी. एक वीडियो में उस ने भारतीय प्रधानमंत्री को ‘डार्लिंग मोदी’ व ‘चाय वाला’ कह डाला था. हालांकि बाद में उस ने दूसरा वीडियो जारी कर के अपनी इस बेहूदगी पर माफी मांगते हुए यह भी कहा कि वह पीएम मोदी की दिल से इज्जत करती है और उन से संबंधित पूर्व में दी अपनी स्टेटमेंट पर बेहद शर्मिंदा है.
मार्च, 2015 में टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान कंदील ने शाहिद अफरीदी को औफर दी कि अगर पाकिस्तानी टीम ने इस मैच में भारतीय टीम को हरा दिया तो वह उस के सामने स्ट्रिप डांस करेगी.
लेकिन जब भारतीय खिलाडि़यों के हाथों पाकिस्तानी टीम हार गई तो उस ने विराट कोहली को मैसेज भेजा ‘विराट बेबी, अनुष्का शर्मा ही क्यों?… फीलिंग इन लव…’
कई बार उस ने पूर्व क्रिकेटर एवं विपक्षी नेता इमरान खान के साथ निकाह करने की इच्छा भी जताई थी. तब तो हद हो गई, जब उस ने एक मुस्लिम धर्मगुरू के साथ अपनी विवादास्पद तसवीरें सोशलमीडिया पर पोस्ट कर दीं. अहम बात यही थी कि रूढि़वादी मुस्लिम देश में रह कर कंदील को सोशल मीडिया पर खुलेपन वाले वीडियो पोस्ट करने के लिए जाना जाता था. यहां तक कि उसे पाकिस्तान की पूनम पांडे भी कहा जाने लगा था.
इस तरह कंदील बलोच अपने बोल्ड अंदाज और विवादों में रहने की वजह से अकसर मीडिया में छाई रहती थी. भले ही अलग तरह से सही, दिन पर दिन उस की लोकप्रियता में इजाफा होता जा रहा था. इसी तरह वक्त अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता जा रहा था. कंदील बलोच को लोकप्रियता हासिल करते एक लंबा अरसा गुजर गया.
लेकिन 2016 आतेआते उसे इस तरह की धमकियां मिलने लगीं कि अगर उस ने प्रसिद्धि हासिल करने का अपना यह शर्मनाक रास्ता बंद नहीं किया तो उसे भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, जिस में उस की जान भी जा सकती है. उसे अकसर धमकियों भरे फोन भी आने लगे थे.
कंदील ने पहले तो इस सब की परवाह नहीं की. वह ऐसी धमकियां को गीदड़भभकियां कहते हुए अपने ट्विटर पर साहसिक अंदाज में ट्वीट करती रही. एक ट्वीट में उस ने लिखा—‘आज के युग की एक महिला के तौर पर हमें अपने लिए खड़े होना है, दूसरी तमाम महिलाओं की आजादी के लिए.’ फिर एक दफा उस ने ट्वीट किया—‘जिंदगी ने कम उम्र में ही मुझे सबक सिखा दिया था. एक साधारण सी लड़की से आत्मनिर्भर महिला बनने का मेरा सफर इतना आसान नहीं था. अगर आप में इच्छाशक्ति है तो कोई भी आप को नहीं झुका सकता. मैं हक के लिए लडूंगी और अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचूंगी, इसे पाने से कोई मुझे रोक नहीं सकता.’
अपनी एक फेसबुक पोस्ट में कंदील ने लिखा, ‘भले ही मुझे कितनी ही बार गिराया जाए मैं गिर कर भी हर बार उठ खड़ी होऊंगी. मैं एक फाइटर हूं, वनमैन आर्मी. उन महिलाओं को मैं प्रेरणा देती रहूंगी, जिन के साथ बुरा व्यवहार होता है. मुझ से कोई कितनी भी नफरत करता रहे, मैं अपने चेहरे पर आत्मविश्वास लिए इसी रफ्तार से आगे बढ़ती रहूंगी. कुछ लोग कहते हैं कि मैं पाकिस्तान को बदनाम कर रही हूं. लेकिन मैं रुकूंगी नहीं. इतना तो तय है कि मैं सिर पर दुपट्टा भी नहीं लेने वाली हूं.’
लेकिन कंदील को धमकियां देने वाले पीछे नहीं हटे. अब तो फोन पर उस से साफसाफ कहा जाने लगा कि जितना फुदकना है फुदक ले, तेरी जिंदगी अब चंद रोज की है. इस से कंदील थोड़ा भयभीत हुई. जून, 2016 के आखिरी ह़फ्ते में उस ने सुरक्षा हासिल करने के लिए गृहमंत्री, एफआईए (फेडरल इन्वेटिगेशन अथौरिटी) के महानिदेशक एवं इस्लामाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखे.
लेकिन इस से पहले कि उस की सुरक्षा के लिए कुछ हो पाता, 16 जुलाई की सुबह कंदील बलोच जिला मुल्तान के शहर करीमाबाद स्थित पिता के घर में अपने बिस्तर पर मृत पाई गई.
कंदील के पिता की तबीयत कुछ दिनों से नासाज चल रही थी, जिन की खैरियत जानने और ईद की मुबारकबाद देने वह 15 तारीख को उन के यहां आई थी. रात में हंसीखुशी का माहौल रहा. कंदील के छोटे भाई वसीम अजीम ने बहन के घर आने पर कुछ ज्यादा ही खुशी का इजहार किया था. मगर सुबह वह अपने बिस्तर पर मृत पाई गई.
कंदील के पिता मोहम्मद अजीम ने इस मौत को कत्ल की संज्ञा देते हुए पुलिस के पास जो एफआईआर लिखवाई, उस में अपने ही 2 बेटों वसीम अजीम व असलम शाहीन को नामजद किया.
मामला दर्ज कर के 16 जुलाई की शाम को पुलिस ने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया. प्रारंभिक पूछताछ में ही वसीम ने अपना गुनाह कबूल करते हुए माना कि कंदील की हत्या उस ने अपने 3 दोस्तों के साथ मिल कर की है, इस में उस के भाई का कोई हाथ नहीं है. लिहाजा असलम शाहीन को छोड़ दिया गया.
वसीम ने अपना अपराध कुबूलते हुए पुलिस को बताया कि वह कंदील के फेसबुक पोस्ट और विवादित वीडियो से बहुत परेशान था. वह समाज, कौम और यहां तक कि अपने समुदाय की भी परवाह नहीं करती थी. इसे ले कर उस के कई दोस्तों ने उसे खूब जलील किया कि कंदील पूरी तरह बिगड़ चुकी है. वह अपने दोस्तों को समझाया करता था कि इस सब से वह खुद बहुत परेशान है, लेकिन जब भी उसे मौका मिलेगा, वह उन की मौजूदगी में ही अपनी बहन की हत्या करेगा.
वसीम ने बताया, ‘‘मैं ने कंदील को गुप्त रूप से धमकियां दे कर समझाने और हड़काने की कोशिश की. मगर वह नहीं मानी. 15 तारीख को वह खुद हमारे यहां चली आई. मैं ने उस के आने पर खुशी का इजहार करने का नाटक किया. इस से उसे मुझ पर जरा भी शक नहीं हुआ. रात में मैं ने कंदील के खाने में नशे की गोली मिला दीं. बिस्तर पर लेटते ही वह गहरी नींद में चली गई.
घर में सभी के सो जाने के बाद आधी रात में मैं ने अपने दोस्तों हक नवाज अब्दुल बासित और जफर खोसा को बुलाया और हम सब ने मिल कर कंदील की गला दबा कर हत्या कर दी. मुझे अपनी बहन को मारने का कोई अफसोस नहीं है.’’
पुलिस ने वसीम के दोस्तों को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद सभी को जेल भेज दिया गया. पुलिस ने समयावधि के भीतर चारों अभियुक्तों के खिलाफ आरोपपत्र तैयार कर अदालत में दाखिल कर दिया. इस के बाद 8 दिसंबर, 2016 को अदालत ने चारों के खिलाफ आरोप तय कर दिए.
मगर इस के बाद अचानक मोहम्मद अजीम ने केस वापस लेने की अर्जी लगा दी, जो अंतिम रूप से नामंजूर तो हुई ही अदालत ने इस सिलसिले में मोहम्मद अजीम के खिलाफ काररवाई करने की संस्तुति भी कर दी. तदनंतर, पाकिस्तान की अदालतों में हड़ताल चलती रही, जिस वजह से यह केस लटकता गया. अब इस में फिर से सुनवाई शुरू हो गई है.
बहरहाल, कंदील बलोच को ले कर लेखिका तस्लीमा नसरीन की यह टिप्पणी काबिलेगौर है कि कुछ लोगों के अनुसार कंदील अमेरिका की किम कार्दशियां की तरह थी, जिस ने अपना जिस्म दिखा कर नाम कमाया. जो काम करते हुए किम ने अमेरिका में करोड़ों डौलर कमाए, वही काम करते हुए पाकिस्तान में कंदील बलोच को अपनी जान गंवानी पड़ी.
पाकिस्तान में वह खूब लोकप्रिय थी, भले ही वह सस्ती लोकप्रियता रही हो. क्या सस्ती लोकप्रियता वाली शख्सियतों को जीने का अधिकार नहीं है? कल को कंदील के हत्यारों को भले ही बड़ी से बड़ी सजा मिले, लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि फौजिया को कंदील बलोच बन कर आखिर क्या मिला?
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दिल्ली के बेहद पौश माने जाने वाले महारानी बाग निवासी गौरव कुमार बिजनैस के सिलसिले में सिंगापुर गए हुए थे. कोठी में उन की पत्नी स्वाति अकेली ही थीं. साफसफाई का काम करने वाली मार्गरिटा 23 मई, 2017 को बैडरूम की सफाई कर रही थी तो उसे लगा कि बैडरूम की खिड़की का शीशा अपनी जगह से थोड़ा हटा हुआ है. देख कर ही लगता था कि किसी ने शीशे को बाहर से खोलने की कोशिश की थी.
मार्गरिटा ने यह बात स्वाति को बताई तो उन्होंने भी शीशे को गौर से देखा. सचमुच खिड़की का शीशा अपनी जगह से हटा हुआ था. उन्होंने अन्य नौकरों को बुला कर दिखाया तो सभी ने एक राय से कहा कि कुछ गड़बड़ जरूर है. स्वाति ने नौकरों की मदद से कोठी के सामान की जांच की तो सब कुछ अपनी जगह था.
गौरव कुमार का औफिस कोठी में ही था. औफिस के रिसैप्शन पर रखी सेफ में काफी कैश रखा रहता था. स्वाति ने सेफ खोली तो उस में रखे करीब 3 लाख रुपए और 250 यूएस डौलर गायब थे. स्वाति ने फोन कर के यह बात पति को बताई तो उन के कहने पर स्वाति ने तुरंत कपड़े बदले और मार्गरिटा तथा अन्य नौकरों को साथ ले कर थाना न्यू फ्रैंड्स कालोनी जा पहुंची.
थानाप्रभारी सुशील कुमार से मिल कर उन्होंने अपनी कोठी पर घटी वारदात के बारे में बताया. थानाप्रभारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ड्यूटी अफसर को केस दर्ज करने का आदेश दे दिया.
ड्यूटी अफसर ने इस मामले को भादंवि की धारा 457, 180 के अंतर्गत दर्ज कर लिया. तत्पश्चात इस केस की जांच एएसआई सुरेश कुमार को सौंप दी गई. सुरेश कुमार शाम को महारानी बाग स्थित गौरव कुमार की कोठी पर गए. उन्होंने घटनास्थल का मुआयना करने के साथ स्वाति से पूछताछ की. स्वाति ने उन्हें बैडरूम में ले जाकर वह खिड़की भी दिखाई, जिस का शीशा हटा कर चोर बैडरूम में दाखिल हुआ था.
सुरेश कुमार ने उस खिड़की को गौर से देखा, जिस का शीशा बड़ी सफाई से हटा कर चोर अंदर आया था. उसे देख कर सुरेश कुमार को समझते देर नहीं लगी कि चोरी करने वाला काफी शातिर था. उन्होंने फोन कर के क्राइम टीम को बुला लिया और सारे सबूत जुटाए. क्राइम टीम ने चोर के फिंगरप्रिंट्स तथा पैरों के निशान भी उठाए. इस काररवाई के बाद सुरेश कुमार थाने लौट आए.
उन्होंने अपनी रिपोर्ट थानाप्रभारी सुशील कुमार को दे दी. थानाप्रभारी ने इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी. चोरी का यह मामला दिल्ली जैसे महानगर के लिए कोई बड़ा तो नहीं था, लेकिन चूंकि इस तरह के कई मामले अन्य थानों में लगातार दर्ज हुए थे, इसलिए महत्त्वपूर्ण भी था और अपराध के नजरिए से गंभीर भी.
इस घटना की सूचना मिलने के बाद दक्षिणपूर्वी दिल्ली के डीसीपी रोमिल बानिया ने इस केस को हल करने की जिम्मेदारी औपरेशन सेल के एसीपी के.पी. सिंह को सौंप कर चोरों को जल्दी से जल्दी पकड़ने का आदेश दिया.
एसीपी के.पी. सिंह ने चोरों को पकड़ने के लिए दिल्ली के दक्षिणपूर्वी जिले के स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र सिंह, एसआई प्रवेश कसाना, एएसआई दयानंद, हैडकांस्टेबल नरेश कुमार और दयानंद की एक टीम बनाई. वह खुद भी टीम के साथ उन चोरों की तलाश में जुट गए, जो दक्षिणपूर्वी दिल्ली की पौश कालोनियों में चोरियां कर रहे थे. इन चोरों के निशाने पर कोठियां ही होती थीं.
इंसपेक्टर राजेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ महारानी बाग स्थित स्वाति की कोठी पर पहुंचे और उन से सारी जानकारी ली. अपना बयान दर्ज कराने के दौरान स्वाति ने उन्हें एक मोबाइल फोन देते हुए बताया कि यह फोन उन्हें बैडरूम में मिला था. हो सकता है, यह फोन उसी चोर का हो, जिस ने उन के यहां चोरी की थी.
मोबाइल फोन को देख कर राजेंद्र सिंह को लगा, इस से उन की राह आसान हो गई है. वह सैमसंग कंपनी का कीमती मोबाइल फोन था. मोबाइल एसआई प्रवेश कसाना को सौंप कर राजेंद्र सिंह कोठी के अन्य नौकरों से पूछताछ की. इस के बाद वह अपनी टीम के साथ वापस लौट आए.
मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की गई तो पता चला कि वह मोबाइल फोन इरफान नाम के किसी व्यक्ति का था. उस के दूसरे नंबरों के बारे में पता कर के उन्हें सर्विलांस पर लगा दिया गया. एसआई प्रवेश कसाना यह देख कर हैरान थे कि चोर न केवल बारबार अपना नंबर बदल रहा था, बल्कि वह अपना मोबाइल फोन भी कुछ ही दिनों में बदल देता था.
राजेंद्र सिंह ने चोर के ठिकाने का पता लगाने की जिम्मेदारी एसआई प्रवेश कसाना को सौंप रखी थी. वह उस चोर के बारे में पता करने के लिए रातदिन एक किए हुए थे. आखिर जुलाई के पहले सप्ताह में उन्होंने चोर का पता लगा ही लिया. उस का नाम इरफान ही था और वह बिहार के जिला सीतामढ़ी के गांव जोगिया का रहने वाला था. उस समय उस की लोकेशन उस के गांव की ही मिल रही थी.
6 जुलाई को स्पैशल स्टाफ की यह टीम बिहार के जिला सीतामढ़ी पहुंची और स्थानीय पुलिस की मदद से इरफान को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई तो उस ने न्यू फ्रैंड्स कालोनी सहित दिल्ली में हुई कई अन्य चोरियों का अपराध स्वीकार कर लिया.
8 जुलाई को सीतामढ़ी की अदालत में पेश कर के इरफान को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया और दिल्ली की साकेत अदालत में पेश कर के चोरी का सामान बरामद करने के लिए उसे 7 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड अवधि के दौरान इरफान से की गई पूछताछ और चोरी के सामानों की बरामदगी की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी—
रफान उर्फ उजाला उर्फ आर्यन खन्ना बिहार के जिला सीतामढ़ी के थाना पुकरी के छोटे से गांव जोगिया का रहने वाला था. उस के परिवार में अब्बा मोहम्मद आबिद, मां रेहाना तथा 2 भाई सलमान और गुलफाम थे. गांव में इरफान का छोटा सा मकान था. पूरा परिवार उसी में रहता था. पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. गांव में मेहनतमजदूरी कर के वह किसी तरह परिवार को पाल रहे थे. जहां घर का खर्चा ही मुश्किल से चल रहा हो, वहां आबिद अपने बच्चों को पढ़ानेलिखाने की कहां से सोचता. उस के तीनों बेटे स्कूल तो गए, पर 8वीं से ज्यादा कोई नहीं पढ़ सका.
गरीबी की मार ने इरफान और उस के भाइयों को कमउम्र में ही रोजीरोटी की तलाश में घरपरिवार छोड़ कर बाहर जाने को मजबूर कर दिया. एकएक कर के तीनों भाई मांबाप को छोड़ कर नौकरी की तलाश में दिल्ली आ गए.
सब से पहले सलमान दिल्ली आया. वह बैग और पर्स बनाने का काम करने लगा. दिल्ली में पैर जमाने के बाद उस ने छोटे भाई गुलफाम को भी अपने पास बुला लिया. दोनों भाई दिल्ली से घर रुपए भेजने लगे तो घर की आर्थिक स्थिति कुछ संभल गई. धीरेधीरे सब कुछ ठीक हो गया. इस के बाद एकएक कर के तीनों भाइयों की शादियां भी हो गईं.
सब से छोटा इरफान गांव में ही बीवी के साथ रहता था. वह वहीं छोटामोटा काम कर के और बड़े भाइयों की मदद से अपना गुजारा कर रहा था. लेकिन जब वह एक बेटी का बाप बना तो जिम्मेदारी बढ़ने से वह भी गांव छोड़ कर दिल्ली चला आया और भाइयों के साथ बैग, लेडीज पर्स और बटुए बनाने का काम सीख कर काम करने लगा.
इरफान के ही गांव का सलीम भी दिल्ली में रहता था. ये सभी दिल्ली के तुर्कमान गेट में रहते थे. एक ही गांव के होने के कारण कुछ ही दिनों में सलीम और इरफान में गहरी दोस्ती हो गई. दोनों अपनी कोई भी बात एकदूसरे से नहीं छिपाते थे.
इरफान ने कुछ दिनों तक तो बैग, पर्स आदि बनाने का काम किया, उस के बाद उस ने सलीम के साथ मिल कर बाहरी दिल्ली के बवाना में बैग और पर्स की दुकान खोल ली. दोनों ने इस उम्मीद से दुकान खोली थी कि इस से उन्हें ठीकठाक कमाई होगी, लेकिन 2 साल तक दुकान चलाने के बाद फायदा होने की कौन कहे, उन्हें काफी नुकसान हो गया. मजबूरन उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी.
इस बीच इरफान एक और बच्ची का बाप बन गया था. खर्चा बढ़ गया था, जबकि कमाई का साधन खत्म हो गया था. वह घर रुपए नहीं भेज पाया तो परेशान हो कर उस की पत्नी दोनों बेटियों को उस के हवाले कर के मायके चली गई. इरफान दोनों बेटियों को मां को सौंप कर दिल्ली चला आया.
इरफान का दोस्त सलीम काम करने के अलावा छोटीमोटी चोरियां भी करता था, लेकिन वह कभी पकड़ा नहीं गया. उस ने इरफान को भी चोरी करने की सलाह दी. इरफान को थोड़ा डर तो लगा, लेकिन और कोई रास्ता न देख वह सलीम के साथ चोरी में किस्मत आजमाने के लिए तैयार हो गया. सलीम ने उसे चोरी के सारे गुर बता दिए.
उस के पास मोटरसाइकिल थी, जिस से वह ऐसे घरों की तलाश में निकलता था, जिस में रहने वाला परिवार कहीं बाहर गया होता था. इरफान उस घर में घुसता और सारा माल समेट कर कुछ दूरी पर इंतजार कर रहे सलीम को फोन कर देता. सिगनल मिलते ही वह उसे लेने पहुंच जाता. कुछ घरों में चोरी करने के बाद जब इरफान के हाथ काफी रकम और सोने के गहने लगे तो उन्हें बेच कर दोनों ठाठ की जिंदगी जीने लगे. अब दोनों की लाइफस्टाइल भी बदल गई थी.
इरफान बचपन से ही कपड़ों का शौकीन था. वह फिल्मी हीरो जैसे कपड़े पहनना चाहता था, लेकिन पैसों के अभाव में उस का यह शौक पूरा नहीं हो रहा था. लेकिन जब चोरी से पैसे आए तो सब से पहले उस ने ब्रांडेड कपड़े, महंगा स्मार्ट फोन और घूमने के लिए नई मोटरसाइकिल खरीदी. यही नहीं, पत्नी तो थी नहीं, इसलिए वह बाजारू लड़कियों के साथ अय्याशी करने लगा. उसे कोई रोकनेटोकने वाला था नहीं, इसलिए उस के मन में जो आता, वह वही करता था.
इरफान और सलीम ने चोरी को ही अपनी कमाई का जरिया बना लिया था. यह सौ फीसदी मुनाफे का धंधा था. चूंकि वे दोनों कभी पकडे़ नहीं गए, इसलिए उन की हिम्मत बढ़ती गई. इरफान काफी खुश था. वह जब भी गांव जाता, काफी बनठन कर जाता. उस के हावभाव और शाही खर्च देख कर गांव वाले हैरान थे. सभी को यही लगता था कि इरफान बहुत बड़ा बिजनैसमैन है. गांव वालों की नजरों में खुद को बड़ा आदमी दिखाने के लिए वह गांव वालों की भलाई के काम करने लगा. उस ने कई गरीब लड़कियों की शादी कराई, गांव में बीमार लोगों के इलाज के लिए हेल्थ कैंप लगवाए.
इरफान द्वारा किए गए कामों से घरघर में उस की चर्चा होने लगी. जिस का उस ने इलाज करवाया, जिन गरीबों की बेटियों की शादियां करवाईं, उन की नजर में वह भगवान तो नहीं, लेकिन वे उसे उस से कम भी नहीं मानते थे.
वह गांव में अकसर नेताओं की तरह कुरतापैजामा पहनता था, जबकि दिल्ली में अपटूडेट शहरी बन कर रहता था. उस ने दिल्ली में अपने लिए कार भी खरीद ली थी और शाहीन बाग में किराए का मकान भी ले लिया था.
उसे बेटियों की पढ़ाई की चिंता हुई तो उन का दाखिला दिल्ली के किसी अच्छे स्कूल में कराने के लिए वह उन्हें दिल्ली ले आया. लेकिन काफी प्रयास के बाद भी किसी अच्छे स्कूल में उन का दाखिला नहीं हो सका. मजबूर हो कर वह उन्हें अपनी मां के पास गांव छोड़ आया.
इरफान दिलफेंक और अय्याश युवक था. अय्याशी के लिए वह दिल्ली और मुंबई के डांस बारों के चक्कर लगाने लगा. अगर कभी उसे किसी डांसर से अपनी पसंद का गाना सुनना होता तो इस के लिए वह 10-20 हजार रुपए देने से भी पीछे नहीं हटता था.
वह लाखों रुपए दोस्तों और लड़कियों पर खर्च कर देता था. रुपयों के लालच में दिल्ली ही नहीं, मुंबई में भी उस की कई गर्लफ्रैंड थीं. जिन से वह अलगअलग समय पर मिल कर मौज करता था.
2 साल पहले उस की मुलाकात आगरा की रेशमा से हुई थी. वह अपनी छोटी बहन शबनम के साथ बिहार के दरभंगा में प्रोग्राम देने गई थी. इरफान भी वहां गया था. इरफान ने रेशमा और शबनम के एकएक ठुमके पर हजारों रुपए लुटा दिए थे. उस के ठाठबाट और शाही खर्च देख कर रेशमा उस पर मर मिटी.
प्रोग्राम खत्म होने के बाद रेशमा इरफान से मिली. इस मुलाकात में इरफान भी रेशमा को दिल दे बैठा. रेशमा भोजपुरी फिल्मों में छोटेमोटे रोल भी करती थी. इस के बाद इरफान कई बार रेशमा के साथ मुंबई गया, जहां दोनों ने खूब सैरसपाटे किए. इरफान के रुपए खत्म हो जाते तो वह चोरी करने दिल्ली आ जाता. एक बार उस ने जालंधर में भी चोरी की थी.
22 मई की रात को उस ने महारानी बाग के बिजनैसमैन गौरव कुमार की कोठी में चोरी की. माल समेटने के दौरान उस का मोबाइल गिर गया, जिस से सुराग लगा कर स्पैशल स्टाफ की टीम उस के गांव जा पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने उस की निशानदेही पर 250 ग्राम सोना बरामद किया है. उस के साथ धर्मेंद्र को भी गिरफ्तार किया गया है. इरफान चोरी का सारा सामान उसे ही बेचता था.
रिमांड अवधि खत्म होने पर इरफान को दिल्ली की साकेत की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में था.
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19 जून, 2017 को मनोज चौधरी की बेटी की शादी थी. वह रीयल एस्टेट के एक बड़े कारोबारी हैं. गुड़गांव में उन का औफिस है. उन्होंने बेटी की शादी एक संभ्रांत परिवार में तय की थी. अपनी और वरपक्ष की हैसियत को देखते हुए उन्होंने शादी के लिए दक्षिणपश्चिम दिल्ली के बिजवासन स्थित आलीशान फार्महाउस ‘काम्या पैलेस’ बुक कराया था.
बेटी की शादी के 3 दिनों बाद ही उन के बेटे की भी शादी थी. बेटे की लगन का दिन भी 19 जून को ही था, इसलिए उस का कार्यक्रम भी उन्होंने वहीं रखा था.
मनोज चौधरी की राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्र के लोगों से अच्छी जानपहचान थी, इसलिए बेटे की लगन और बेटी की शादी में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे. मेहमानों के लिए उन्होंने बहुत अच्छी व्यवस्था कर रखी थी. वह आने वाले मेहमानों का बड़ी ही गर्मजोशी से स्वागत कर रहे थे.
बारात के काम्या पैलेस में पहुंचने से पहले ही उन्होंने बेटे की लगन का कार्यक्रम निपटा दिया था. इस के बाद जैसे ही बारात पहुंची, मनोज चौधरी और उन के घर वालों ने धूमधाम से उस का स्वागत किया. रीतिरिवाज के अनुसार शादी की सभी रस्में पूरी होती रहीं. रात करीब पौने 12 बजे फेरे की रस्में चल रही थीं. उस समय तक बारात में आए ज्यादातर लोग सो चुके थे. ज्यादातर मेहमान खाना खा कर जा चुके थे. फेरों के समय केवल कन्या और वरपक्ष के खासखास लोग ही मंडप में बैठे थे. मंडप के नीचे बैठा पंडित मंत्रोच्चारण करते हुए अपना काम कर रहा था. जितने लोग मंडप में बैठे थे, पंडित ने सभी की कलाइयों में कलावा बांधना शुरू किया. वहां बैठे मनोज चौधरी ने भी अपना दाहिना हाथ पंडित की ओर बढ़ा दिया. कलावा बंधवाने के बाद उन्होंने पंडित को दक्षिणा दी. तभी उन का ध्यान बगल में रखे सूटकेस की तरफ गया. सूटकेस गायब था.
सूटकेस गायब होने के बारे में जान कर मनोज चौधरी हडबड़ा गए. वह इधरउधर सूटकेस को तलाशने लगे, क्योंकि उस सूटकेस में 19 लाख रुपए नकद और ढेर सारे गहने थे.
कलावा बंधवाने में उन्हें मात्र 4 मिनट लगे थे और उतनी ही देर में किसी ने उन का सूटकेस उड़ा दिया था. परेशान मनोज चौधरी मंडप से बाहर आ कर सूटकेस तलाशने लगे. इस काम में उन के घर वाले भी उन का साथ दे रहे थे. सभी हैरान थे कि जब मंडप में दरजनों महिलाएं और पुरुष बैठे थे तो ऐसा कौन आदमी आ गया, जो सब की आंखों में धूल झोंक कर सूटकेस उड़ा ले गया.
बहरहाल, वहां अफरातफरी जैसा माहौल बन गया. जब उन का सूटकेस नहीं मिला तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देने के साथ लैपटौप से औनलाइन रिपोर्ट दर्ज करा दी. कुछ ही देर में पीसीआर की गाड़ी वहां पहुुंच गई. पुलिस कंट्रोल रूम से मिली सूचना के बाद थाना कापसहेड़ा से भी पुलिस काम्या पैलेस पहुंच गई. मनोज चौधरी ने पूरी बात पुलिस को बता दी.
चूंकि मामला एक अमीर परिवार का था, इसलिए पुलिस अगले दिन से गंभीर हो गई. दक्षिणपश्चिम जिले के डीसीपी सुरेंद्र कुमार ने थाना कापसहेड़ा पुलिस के साथ एंटी रौबरी सेल को भी लगा दिया. उन्होंने औपरेशन सेल के एसीपी राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की, जिस में इंसपेक्टर सतीश कुमार, सुबीर ओजस्वी, एसआई अरविंद कुमार, प्रदीप, एएसआई राजेश, महेंद्र यादव, राजेंद्र, हैडकांस्टेबल बृजलाल, उमेश कुमार, विक्रम, कांस्टेबल सुधीर, राजेंद्र आदि को शामिल किया गया.
पुलिस ने सब से पहले फार्महाउस काम्या पैलेस में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी. इन में एक फुटेज में एक छोटा बच्चा मनोज चौधरी के पास से सूटकेस उठा कर बाहर गेट की ओर ले जाता दिखाई दिया. इस के कुछ सैकेंड बाद दूसरा बच्चा भी उस के पीछेपीछे जा रहा था. उस के बाद काले रंग की टीशर्ट पहने एक अन्य लड़का सीट से उठ कर उन दोनों के पीछे जाता दिखाई दिया. सभी फुरती से बाहरी गेट की तरफ जाते दिखाई दिए थे.
पुलिस ने उन तीनों बच्चों के बारे में मनोज चौधरी और उन के घर वालों से पूछा. सभी ने बताया कि ये तीनों लड़के उन के परिवार के नहीं थे. ये शाम 8 बजे के करीब काम्या पैलेस में आए थे. कार्यक्रम में ये बहुत ही बढ़चढ़ कर भाग ले रहे थे. डीजे पर भी ये ऐसे नाच रहे थे, जैसे शादी इन के परिवार में हो रही है. जब ये परिवार की लड़कियों और महिलाओं के डीजे पर जाने के बावजूद भी वहां से नहीं हटे तो परिवार के एक आदमी ने इन से डीजे से उतरने के लिए कहा था.
मनोज ने पुलिस को बताया कि छोटा वाला बच्चा महिलाओं के कमरे के पास भी देखा गया था. वह समझ रहे थे कि ये बच्चे शायद किसी मेहमान के साथ आए होंगे. बहरहाल, उन्होंने उन की तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया था और उसी बच्चे ने उन का सूटकेस साफ कर दिया था. उन के कार्यक्रम में जो फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर थे, उन के द्वारा खींचे गए फोटो में भी वे बच्चे दिखाई दिए थे.
पुलिस टीम ने उन्हीं फोटो की मदद से सूटकेस चोरों का पता लगाना शुरू किया. पुलिस ने वे फोटो अलगअलग लोगों को दिखाए. उन फोटो को पहचान तो कोई नहीं सका, पर कुछ लोगों ने यह जरूर बता दिया कि ये बच्चे मध्य प्रदेश के हो सकते हैं.
इस के अलावा पुलिस की सर्विलांस टीम 19-20 जून की रात के डंप डाटा की जांच में जुट गई. पुलिस ने सब से पहले यह पता लगाया कि काम्या पैलेस का इलाका किनकिन मोबाइल टावरों के संपर्क में आता है. इस के बाद यह जानकारी हासिल की गई कि उस टावर के संपर्क में उस रात कितने फोन थे. पता चला कि उस रात कई हजार फोन वहां के फोन टावरों के संपर्क में थे. इसी को डंप डाटा कहा जाता है.
पुलिस को पता लग चुका था कि चोरी करने वाले लड़के मध्य प्रदेश के हो सकते हैं, इसलिए उस डंप डाटा से उन मोबाइल नंबरों को चिह्नित किया गया, जो उस रात मध्य प्रदेश के नंबरों के संपर्क में थे. ऐसे 300 फोन नंबर सामने आए. सर्विलांस टीम ने उन फोन नंबरों की जांच की. अब तक पुलिस को एक नई जानकारी यह मिल गई थी कि मध्य प्रदेश के जिला राजगढ़ के थाना पचौड और बोड़ा के गुलखेड़ी और कडि़या ऐसे गांव हैं, जहां के गैंग बच्चों के सहयोग से शादी समारोह आदि के मौकों पर चोरियां करते हैं.
यह जानकारी मिलते ही एसीपी (औपरेशन) राजेंद्र सिंह ने 26 जून, 2017 को एक टीम मध्य प्रदेश के लिए भेज दी. टीम में इंसपेक्टर सतीश कुमार, एसआई अरविंद कुमार, एएसआई महेंद्र यादव आदि को शामिल किया गया था. टीम ने सब से पहले राजगढ़ जिले में रहने वाले मुखबिर को चोरों के फोटो दिखाए. उस मुखबिर ने 2-3 घंटे में ही पता लगा कर बता दिया कि ये लड़के गुलखेड़ी और कडि़या गांव के हैं और ये दोनों गांव थाना बोड़ा के अंतर्गत आते हैं.
यह जानकारी टीम के लिए अहम थी. इस जानकारी से उन्होंने एसीपी राजेंद्र सिंह को अवगत करा दिया. उन के निर्देश पर टीम थाना बोड़ा पहुंची. वहां के थानाप्रभारी को टीम ने दिल्ली में हुई घटना के बारे में बताते हुए अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में मदद मांगी. थानाप्रभारी ने बताया कि यहां पर कभी मुंबई की तो कभी पंजाब की तो कभी उत्तराखंड तो कभी यूपी की पुलिस आती रहती है. पर चाह कर भी वह इन गांवों में दबिश डालने नहीं जा सकते.
इस की वजह यह है कि इन गांवों में सांसी रहते हैं. जब पुलिस इन के यहां पहुंचती है तो गांव के आदमी और औरतें यहां तक कि बच्चे भी इकट्ठा हो कर पुलिस पर हमला कर देते हैं. महिलाएं पुलिस से भिड़ जाती हैं. कभीकभी ये लोग आपस में ही किसी के पैर पर देसी तमंचे से गोली चला देते हैं. इसलिए इन गांवों में पुलिस नहीं जाती.
थानाप्रभारी ने बताया कि कुछ दिनों पहले पंजाब पुलिस भी आई थी. पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला के परिवार की शादी में किसी ने नकदी और ज्वैलरी का बैग उड़ा दिया था. पंजाब पुलिस भी ऐसे ही वापस लौट गई थी.
स्थानीय पुलिस की मदद के बिना किसी भी राज्य की पुलिस सीधे दबिश नहीं दे सकती. दिल्ली पुलिस की टीम असमंजस में पड़ गई कि ऐसी हालत में क्या किया जाए? सीधे दबिश दे कर दिल्ली पुलिस कोई लफड़ा नहीं करना चाहती थी. पुलिस टीम को यह तो पता चल ही गया था कि सूटकेस चुराने वाले बच्चे किस गांव के हैं. अब पुलिस टीम ने उसी मुखबिर की सहायता से उन चोरों के बारे में अन्य जानकारी निकलवाई.
मुखबिर ने बताया कि इन गांवों में चोरों के अनेक गैंग हैं. चूंकि बच्चों पर कोई शक नहीं करता, इसलिए ये लोग अपने रिश्तेदारों या गांव के दूसरे लोगों के बच्चों को साल भर या 6 महीने के कौंट्रैक्ट पर ले लेते हैं. यह कौंट्रैक्ट लाखों रुपए का होता है. उन बच्चों को ट्रेनिंग देने के बाद उन के सहयोग से ही विवाह पार्टियों में चोरियां करते हैं. दिल्ली में जिन बच्चों ने सूटकेस चुराया था, वे बच्चे राका और नीरज के गैंग में काम करते हैं और राका इस समय अपने घर पर नहीं है. वह दिल्ली के पौचनपुर में कहीं किराए पर रहता है.
यह जानकारी ले कर पुलिस टीम दिल्ली लौट आई. पौचनपुर गांव दक्षिणपश्चिम जिले के द्वारका सेक्टर-23 के पास है. अपने स्तर से पुलिस राका को खोजने लगी. कई दिनों की मशक्कत के बाद पहली जुलाई, 2017 को पुलिस ने उसे ढूंढ निकाला.
राका को हिरासत में ले कर पुलिस ने उस से काम्या पैलेस में हुई चोरी के बारे में सख्ती से पूछताछ की. पुलिस की सख्ती के आगे राका ने अपना मुंह खोल दिया. उस ने स्वीकार कर लिया कि काम्या पैलेस की शादी में उसी की गैंग के बच्चों ने सूटकेस चुराया था. बच्चों के अलावा नीरज भी गैंग में शामिल था. इस के बाद उस ने चोरी की जो कहानी बताई, वह दिलचस्प कहानी इस प्रकार थी—
मध्य प्रदेश के जिला राजगढ़ के थाना बोड़ा के अंतर्गत स्थित हैं कडि़या और गुलखेड़ी गांव. दोनों ही गांव की आबादी करीब 5-5 हजार है. राका गुलखेड़ी गांव का रहने वाला था, जबकि नीरज गांव कडि़या में रहता था. इन दोनों गांवों की विशेषता यह है कि यहां पर सांसी जाति के लोग रहते हैं. बताया जाता है कि यहां के ज्यादातर लोग चोरी करते हैं. इन के निशाने पर अकसर शादी समारोह होते हैं. एक खास बात यह होती है कि इन के गैंग में छोटे बच्चे या महिलाएं भी होती हैं.
चूंकि समारोह आदि में बच्चे आसानी से हर जगह पहुंच जाते हैं, जो आराम से बैग या सूटकेस चोरी कर गेट के बाहर पहुंचा देते हैं. ये बच्चे कोई ऐसेवैसे नहीं होते, उन्हें बाकायदा चोरी करने की ट्रेनिंग दी जाती है. जिन बच्चों को गैंग में रखा जाता है, उन के चुनाव का तरीका भी अलग है.
गैंग का मुखिया सब से पहले अपनी रिश्तेदारी या फिर जानने वाले के बच्चे को तलाशने की कोशिश करता है. वहां न मिलने पर गांव के ही किसी बच्चे का चुनाव करता है. गांव के लोग बचपन से ही अपने बच्चे को छोटीमोटी चोरी करने की प्रैक्टिस कराते हैं. चोरी की प्राथमिक पढ़ाई घर वालों से पढ़ने के बाद हाथ आजमाने के लिए घर वाले इन्हें गैंग के लोगों को 6 महीने या साल भर के लिए सौंप देते हैं.
इन बच्चों के हुनर के अनुसार, उन का पैकेज 6 लाख से 12 लाख रुपए तक होता है. बच्चों के घर वालों को 25 प्रतिशत धनराशि एडवांस में नकद दे दी जाती है, बाकी की हर महीने की किस्तों में. इस तरह यहां के बच्चे बड़े पैकेज पर काम करते हैं.
राका ने पुलिस को बताया कि काम की शुरुआत करने से पहले उन्हें 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग में उन्हें सिखाया जाता है कि लड़की या लड़के की शादी में ज्वैलरी या कैश का बैग किस तरह उड़ाना है.
राका और नीरज, दोनों साझे में काम करते थे. नीरज ने गैंग में अपने बेटे को भी शामिल कर रखा था. इन्होंने गांव के ही बच्चे चीमा (परिवर्तित नाम) को 10 लाख रुपए साल के पैकेज पर अपने गैंग में शामिल किया था. इस के बाद इन्होंने चीमा को बातचीत करने, खानेपीने, कपड़े पहनने, डांस करने की ट्रेनिंग दी. उस की मदद के लिए इन्होंने गांव के ही कुलजीत को अपने गैंग में शामिल कर लिया था.
ये दिल्ली के अलगअलग इलाकों में किराए का कमरा ले कर रहते थे. ये अकसर मोटा हाथ मारने की फिराक में रहते थे. इन्हें पता था कि पैसे वाले लोग अपने बच्चों की शादियां कहां करते हैं. बच्चों को महंगे कपड़े पहना कर ये शाम होते ही औटोरिक्शा से छतरपुर, कापसहेड़ा, महरौली स्थित फार्महाउसों की तरफ घूम कर तलाश करते थे कि शादी कहां हो रही है. फार्महाउसों में ज्यादातर रईसों के बच्चों की ही शादियां होती हैं.
जिस फार्महाउस में शादी हो रही होती, उस के बाहर ही एक साइड में ये औटोरिक्शा खड़ा कर देते और तीनों बच्चे शादी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अंदर चले जाते, जबकि राका और नीरज औटो में ही बैठे रहते. औटो वाले को ये मुंहमांगा पैसा देते थे, इसलिए वह भी कुछ नहीं कहता था.
19 जून को भी इन्होंने ऐसा ही किया. राका और नीरज काम्या पैलेस के बाहर औटो में बैठे रहे और कुलजीत, चीमा तथा नीरज का बेटा मनोज चौधरी की बेटी की शादी समारोह में शामिल होने अंदर चले गए. वे उन के बेटे की लगन के कार्यक्रम में शामिल हुए.
लगन चढ़ने के बाद तीनों को 100-100 रुपए शगुन के तौर पर भी मिले थे. बेटी की शादी की वजह से मनोज चौधरी सूटकेस में अपने घर से कैश और ज्वैलरी ले आए थे. उस समय उन के सूटकेस में ज्वैलरी के अलावा 19 लाख रुपए नकद थे, इसलिए वह उस सूटकेस को अपने हाथ में ही लिए हुए थे.
तीनों बच्चों की टोली ने ताड़ लिया था कि माल इसी सूटकेस में है, इसलिए वे उस सूटकेस पर हाथ साफ करने के लिए उन के इर्दगिर्द ही मंडराते रहे.
शादी में आए मेहमानों की तरह उन्होंने खाना खाया और डीजे पर डांस भी किया. उन की गतिविधियां देख कर कोई शक भी नहीं कर सकता था कि बिन बुलाए मेहमान के रूप में ये चोर हैं.
जब कुलजीत डीजे पर डांस कर रही लड़कियों के साथ डांस कर रहा था, तब कन्यापक्ष के लोगों ने जरूर उस से डीजे से उतर जाने को कहा था. वह मनोज चौधरी का सूटकेस उड़ाने का मौका तलाशते रहे, पर उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी.
रात साढ़े 11 बजे के बाद जब फेरों का कार्यक्रम शुरू हुआ तो उस समय भी वे उन के मेहमानों के बीच बैठ गए तो चीमा मंडप के इर्दगिर्द घूमता रहा. उसी दौरान जैसे ही मनोज ने हाथ में कलावा बंधवाने के लिए हाथ पंडित के आगे किया, तभी चीमा उन के सूटकेस को ले कर फुरती से निकल गया. उस के पीछे कुलजीत और फिर नीरज का बेटा भी निकल गया.
काम्या पैलेस से निकल कर वे सीधे औटो के पास पहुंचे, जहां राका और नीरज इंतजार कर रहे थे. इस के बाद वे औटो से द्वारका स्थित अपने कमरे पर गए और अगले दिन मध्य प्रदेश स्थित अपने घर चले गए. उन्होंने चुराए पैसे आपस में बांट लिए. राका के हिस्से में 4 लाख रुपए आए थे. कुछ दिन गांव में रह कर राका पैसे ले कर दिल्ली में अपने कमरे पर लौट आया.
वारदात करने के बाद ये किसी दूसरे इलाके में कमरा ले लेते थे. पूछताछ में राका ने बताया कि उस ने मुंबई के एक कार्यक्रम में शिल्पा शेट्टी का बैग चुराया था. उस ने बताया कि उस के गांव के लोग देश के तमाम बड़े शहरों में यही काम करते हैं. किसी गैंग में छोटे बच्चों के साथ महिला को भी रखा जाता है. लेकिन सारा कमाल ये बच्चे ही करते हैं.
राका से विस्तार से पूछताछ के बाद एंटी रौबरी सेल ने उस की निशानदेही पर 4 लाख रुपए कैश और कुछ ज्वैलरी बरामद कर ली. इस के बाद उसे कापसहेड़ा थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया, क्योंकि इस मामले की रिपोर्ट उसी थाने में दर्ज थी.
इस मामले की जांच एसआई प्रदीप को सौंपी गई थी. एसआई प्रदीप ने राका से पूछताछ की तो उस ने गुड़गांव की एक घटना का खुलासा किया है. कथा संकलन तक पुलिस उस से पूछताछ कर रही थी.
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केंद्र सरकार ने कुछ क्षेत्रों में 49 प्रतिशत तक विदेशी पूंजीनिवेश किए जाने की अनुमति दी है. यह उस अनुमति से अलग है जिस में विदेशी कंपनियां विदेशी पूंजी के साथ भारत में पूरी तरह व्यापार व उत्पादन कर सकती हैं.
सिद्धांत के अनुसार किसी देश को अपनी भौगोलिक सीमाएं आर्थिक लेनदेन के लिए बंद नहीं करनी चाहिए. जब तक विश्व व्यापार है, तैयार सामान आए, पूंजी आए, निवेश आए, फैक्टरियां आएं, दुकानें आएं, सब एकसमान हैं. एक जगह का सामान सदियों से बहुत दूर तक बिकता रहा है. मोहनजोदड़ो की मुहरें अरब व यूरोप के देशों तक में मिली हैं. विश्व व्यापार भाईचारा, दोस्ती तो बढ़ाता ही है, यह तकनीक के अदलबदल का रास्ता भी खोलता है. इस पर किसी तरह का बंधन गलत है.
कठिनाई यह है कि जब लंबे समय तक आप व्यापार के एक ढर्रे के आदी हो चुके हों और बाहर के पैसे वाले व्यापारियों को देश में व्यापार करने के लिए खुली छूट दे दी जाए जो लंबे समय तक इंतजार करने को और हानि उठाने को तैयार हैं, तो देशी व्यापारी बेमौत मर जाएगा. भारतीय व्यापारी बहुत थोड़ी सी पूंजी पर काम करता है. 90 प्रतिशत व्यापारी कम पढ़ेलिखे हैं. वे बहीखाता तक नहीं बना सकते. उन्हें पत्र लिखना भी नहीं आता. इन्हें उन लोगों के सामने खड़ा कर दिया जाता है जिन के पास तकनीक है, हुनर है.
चूहे बड़ेबड़े दरवाजे काट देते हैं पर एक बिल्ली के आते ही वे मारे जाते हैं. भारतीय व्यापारी भी ऐसे ही हैं जो अपने ग्राहकों व उत्पादकों की अज्ञानता का लाभ उठा कर सस्ता व घटिया सामान बेचते हैं जबकि पैसे पूरे वसूल करते हैं. वे विदेशी कंपनियों के आगे टिक ही नहीं पाएंगे. विदेशी गाडि़यां आने से बिड़ला की ऐंबैसेडर गाड़ी गायब हो गई जबकि बिड़ला समूह विशाल है, पैसे वाला है.
आज कितने ही देशों से कल तक के जानेमाने देशी उत्पाद गायब हो गए हैं. विदेशी कंपनियां खुदरा व्यापार आदि में आएंगी तो देश का व्यापारी, जो पहले ही जीएसटी व नोटबंदी की मार से कराह रहा है, और ज्यादा रोने लगेगा. उस का विनाश हो जाएगा. व्यापार का यह एक तरह से ब्राह्मणीकरण है जिस में पंडों ने विदेशी व्यापारी को प्रमुखता दी है क्योंकि वह मोटा चढ़ावा चढ़ा रहा है. भारत सरकार के अफसर और नेता सोचते हैं कि उन के बेटेबेटी विदेशी कंपनियों में काम करेंगे तो उन्हें ज्यादा पैसे मिलेंगे, देशी व्यापारियों के यहां काम करेंगे तो दुत्कारे जाएंगे.
आज व्यापारिक फैसले देश का व्यापारी वर्ग नहीं ले रहा, वे नेता और अफसर ले रहे हैं जो व्यापारियों को वर्णव्यवस्था के अनुसार निचले स्तर पर रखते हैं.
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पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव चाहते हैं कि हार्दिक पंड्या अपनी बल्लेबाजी पर अधिक मेहनत करे क्योंकि एक औलराउंडर के रूप में यह उनका मुख्य कौशल है. पंड्या ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में 93 रन बनाए लेकिन इसके बाद किसी भी फौर्मेट में वह अर्धशतक तक नहीं बना पाए.
किसी भी प्रतिभाशाली औलराउंडर की तुलना कपिल से करना एक चलन बन गया है तथा विश्वकप विजेता कप्तान ने कहा कि पंड्या बिना किसी दबाव के खेले. कपिल ने कहा, “उसने (पंड्या) ने अपने खेल की झलक दिखा दी है. उसके पास प्रतिभा और योग्यता है. किसी के साथ भी तुलना करने से उस पर दबाव बनेगा. मैं चाहता हूं कि वह खुलकर खेले और अपने खेल का पूरा लुत्फ उठाए.”
कपिल के अनुसार प्रत्येक औलराउंडर दो में से एक कौशल में मजबूत होता है और पंड्या मुख्य रूप से बल्लेबाजी औलराउंडर है. उन्होंने कहा, “मैं उसे उसके एक कौशल के दम पर टीम में देखना चाहूंगा, चाहे वह गेंदबाजी हो या बल्लेबाजी. उसे अपनी बल्लेबाजी पर थोड़ी अधिक मेहनत करनी होगी क्योंकि वह बल्लेबाजी औलराउंडर है. अगर वह बल्लेबाजी में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करता है तो उसके लिए गेंदबाजी आसान हो जाएगी और ऐसा औलराउंडरों के साथ होता है.”
कपिल ने कहा कि पंड्या अभी काफी युवा है और सभी उससे कुछ ज्यादा उम्मीद लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, “हमने बहुत जल्दी उससे काफी उम्मीद लगा दी है लेकिन मुझे लगता है कि उसके पास एक बेहतरीन खिलाड़ी बनने की योग्यता है. हालांकि एक औलराउंडर के रूप में सफलता अर्जित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.”
अगले साल के विश्वकप के बारे में कपिल ने कहा कि भारत को खिताब जीतने के लिए वर्तमान कप्तान विराट कोहली की आक्रामकता और उनके पूर्ववर्ती महेंद्र सिंह धोनी की शांतचितता की जरूरत पड़ेगी. कपिल ने कहा, “अगर आपके पास ऐसा संयोजन बन सकता है तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि आपको कोई ऐसा चाहिए जो शांतचित हो और खेल को भी समझे और कोई बहुत आक्रामक हो.”
उन्होंने कहा, “लेकिन अगर हर कोई आक्रामकता अपनाता है तो फिर यह मुश्किल होगा. इसी तरह से अगर सभी शांतचित हो जाते हैं तो यह भी मुश्किल है. इसलिए अगर आपके पास आक्रामकता और शांतचितता का संयोजन हो तो मुझे लगता है कि इससे टीम को मदद मिलेगी.”
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साड़ी पार्टीवियर में आज भी सब से अधिक प्रयोग की जाती है. मगर विंटर में यह जाड़े की सर्द हवाओं को रोक नहीं पाती है. ऐसे में कई बार साड़ी पहन कर विंटर पार्टी में जाने वाली लेडीज सर्दी का शिकार हो जाती हैं. फैशन डिजाइनरों ने इस परेशानी को दूर करने के लिए फैशनेबल जैकेट्स तैयार की हैं, जिन्हें साड़ी के ऊपर पहना जा सकता है. यह जैकेट साड़ी और डिजाइनर ब्लाउज को छिपाती नहीं, बल्कि उस की खूबसूरती को और अधिक निखार देती है. यह जैकेट लौंग कोट जैसी घुटनों के नीचे तक होती है. साड़ी के साथ मैच करती यह फैशन का नया ट्रैंड है.
स्पैशल डिजाइनर जैकेट
फैशन डिजाइनर काशनी कबीर कहती हैं, ‘‘साड़ी के साथ ओवर कोट या कोट पहले भी पहना जाता रहा है. स्वैटर भी साड़ी पर पहना जाता था. कोट और स्वैटर में साड़ी की खूबसूरती छिप जाती है और यह पार्टी ड्रैस नहीं लगती यही वजह है कि महिलाएं इसे पार्टी में पहनने से बचती हैं. फिर विंटर की पार्टी में केवल साड़ीब्लाउज में जाना मौसम के अनुकूल भी नहीं होता. ऐसे में साड़ी के साथ यह स्पैशल डिजाइनर जैकेट का नया ट्रैंड है.’’
साड़ी के साथ जैकेट सही से कैरी हो सके, इस के लिए जैकेट में सुंदर बैल्ट भी लगाई जा सकती है, जिस से साड़ी और जैकेट पहनने के बाद भी फिगर सही दिखती है. यह जैकेट इस तरह तैयार की जाती है कि इसे पहनने पर साड़ी की डिजाइन और ब्लाउज का कट छिपे नहीं. जैकेट को तैयार करने में फैब्रिक और सिलाई इस तरह की जाती है कि वह फैशनेबल तो दिखे ही, विंटर में सर्द हवाओं को भी रोके.
विंटर सीजन में नो टैंशन
साड़ी के साथ पहनी जाने वाली यह जैकेट फैशनेबल लुक देती है. इस की सब से खास बात यह है कि इसे डिजाइनर सलवारकुरता और लहंगे के साथ भी पहना जा सकता है. जैकेट का कलर और फैब्रिक ऐसा होता है कि इसे कई अलगअलग रंगों की साडि़यों व सलवार सूट्स के साथ पहना जा सके.
साड़ी की ही तरह लहंगाजैकेट भी चलन में है. ऐसे में लहंगा कई तरह से काम आ सकता है. इस जैकेट को अनारकली लहंगा के साथ पहना जा सकता है. चोली के पास इस की खास फिटिंग होती है, जिस से पहनने वाली ग्लैमरस लगती है. इंडोवैस्टर्न लहंगों के साथ भी यह पहनी जा सकती है. यानी अब इस विंटर सीजन में महिलाओं को साड़ी को ले कर परेशान होने की जरूरत नहीं है.