Download App

गेमिंग प्लेटफार्म ‘ड्रीम-11’ और ‘स्निकर्स’ के ब्रांड एम्बेसडर बने माही

VIDEO : फेस मेकअप का ये तरीका है शानदार

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

भारतीय टीम को 2011 विश्व कप में विजेता बनाने वाले कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को गेमिंग प्लेटफार्म ड्रीम-11 और ‘स्निकर्स’ चौकलेट का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया है. इसकी घोषणा सोमवार को की गई. गेमिंग प्लेटफार्म ड्रीम-11 पर दो करोड़ से ज्यादा खेल के प्रशंसक हैं जो ‘फैंटेसी क्रिकेट, फुटबाल, कबड्डी और एनबीए’’ जैसे खेल खेलते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘ड्रीम-11 के यूजर धोनी की तरह ही खेल (क्रिकेट) के धुरंधर बनना चाहते हैं. यह देखते हुए धोनी इसके ब्रांड एम्बेसडर के लिए बिल्कुल उचित है.’’

धोनी ने कहा, ‘‘ मैं ड्रीम-11 से जुड़ कर काफी खुश हूं क्योंकि यह खेल के लाखों प्रशंसकों को फैसला लेने, टीम का गठन और खेल का अनुभव लेने का मौका देगा.’’

वैसे तो टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने ‘शांत दिमाग’ के लिए मशहूर हैं, लेकिन वह आक्रामक भी हो सकते हैं. ऐसा उन्होंने साबित कर दिखाया है. दरअसल, इस रूप में उनका एक वीडियो वायरल हो चुका है. वह ‘कैप्टन कूल’ की छवि से बाहर निकल आए हैं. गुस्से में वह भोजपुरी बोलते सुने जा रहे हैं.

 

धोनी‘स्निकर्स’ के एक विज्ञापन में योद्धाओं वाली पोशाक में दिख रहे हैं. वह कहते हैं- आओ अपनी जांघों पर हाथ रखकर कसम खाएं….आज उनके छक्के छुड़ा देंगे… हमका चाही बदला… हम कौनो के माही-वाही नाहीं… ई है हमरी तलवार…’ इस विज्ञापन में दिखाया गया है कि धोनी को जोरों की भूख लगी है और जिसके चलते उनके दिमाग की शांति खो गई है.

‘स्निकर्स’ चौकलेट के ब्रांड एम्बेसडर बनने के मौके पर बात करते हुए धोनी ने कहा, ‘‘मैं स्निकर्स से जुड़कर काफी रोमांचित हूं. यह चाकलेट हमेशा ही मेरी पसंदीदा रही है और ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि यह स्वाद में लाजवाब है बल्कि इसलिए भी क्योंकि यह हल्की भूख मिटाने के लिये परफेक्ट है.’’

टीम इंडिया के सबसे सीनियर खिलाड़ी धोनी उन महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्हें आज यानी कि 6 मार्च से श्रीलंका में शुरू हो रही टी- 20 त्रिकोणीय सीरीज के लिए भारतीय टीम से आराम दिया गया है. विराट कोहली की गैरमौजूदगी में रोहित शर्मा भारत की युवा टीम की अगुआई करेंगे, जिसमें घरेलू टूर्नामेंटों में प्रभावी प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को जगह दी गई है.

इंस्टाग्राम यूजर्स के लिये खुशखबरी, जल्द मिलेगी वौयस और वीडियो कौलिंग

VIDEO : फेस मेकअप का ये तरीका है शानदार

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

कुछ दिनों पहले ही मशहूर फोटो शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम में नए फीचर्स जोड़े गए हैं. अब एक नई रिपोर्ट आई है जिसके अनुसार इंस्टाग्राम ऐप में अब वौयस कौलिंग और वीडियो कौलिंग का फीचर दिया जा सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार वौयस कौलिंग और विडियो कौलिंग के लिए इंस्टाग्राम में APKs जोड़े गए हैं. हालांकि यह फीचर इंस्टाग्राम पर वाकई रोलआउट होगा इसकी पूरी जानकारी सामने नहीं आयी है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि Instagram अपने डायरेक्ट मैसेजिंग सिस्टम में ऑडियो और वीडियो कौलिंग लौन्च करने की तैयारी कर रहा है.

technology

जनवरी 2018 में एक ब्लौग ने इंस्टाग्राम में कौलिंग बटन के बारे में जानकारी दी थी और अब नई रिपोर्ट में इस फीचर के आने की संभावना बढ़ते हुए नजर आ रही है. हालांकि इंस्टाग्राम ने आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. APKs में कौलिंग बटन का आइकन सार्वजनिक रूप से देखा जा सकता है, लेकिन यह अभी काम नहीं करता है. ऐसे में कंपनी के लिए आने वाले समय में इस फीचर के लौन्च से इनकार करना मुश्किल है.

हाल ही में इंस्टाग्राम ने Giphy GIF शेयरिंग फीचर को लौन्च किया था. इस फीचर को भी APK में स्पौट किया गया था. अब कौलिंग बटन भी APK में नजर आने के बाद नए फीचर के आने की उम्मीद जतायी जा रही है. वौयस और वीडियो कौलिंग के जरिए इंस्टाग्राम का मकसद स्नैपचैट से आगे निकलना है.

कुछ दिनों पहले यह भी खबर आयी थी कि इंस्टाग्राम स्क्रीनशौट लेने वाले लोगों का नाम बताएगी. रिपोर्ट में बताया गया था कि इंस्टाग्राम नया फीचर ला रहा है जो यूजर्स के स्टोरीज का स्क्रीनशौट लिए जाने पर उन्हें नोटिफिकेशन देगा. हालांकि इस फीचर को अभी डेवलप किया जा रहा है, इसे लौन्च होने में अभी समय लगेगा.

आज लौन्च होगा सैमसंग गैलेक्सी एस9 और एस9 प्लस, जानें फीचर्स

VIDEO : फेस मेकअप का ये तरीका है शानदार

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

लंबे समय से इंतजार के बाद सैमसंग का गैलेक्सी एस9 (S9) और गैलेक्सी एस9प्लस (S9+) स्मार्टफोन भारतीय बाजार में 6 मार्च को लौन्च होगा. इन फोन को कंपनी ने पिछले महीने मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस (एमडब्ल्यूसी) में अनवील किया था. सैमसंग के इन फ्लैगशिप डिवाइस की प्री-बुकिंग देश में 26 फरवरी से चल रही है.

गैलेक्सी एस9 और एस9प्लस का 64 GB वर्जन काले, नीले और बैंगनी रंग में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा तथा दोनों डिवाइसों का 256 GB संस्करण केवल काले रंग में उपलब्ध होगा. अमेरिका में गैलेक्सी एस9 की कीमत 720 डौलर (करीब 47,000 रुपये) और एस9प्लस की कीमत 840 डौलर (करीब 54,000 रुपये) है.

finance

फोन की बुकिंग 2000 रुपये में हो रही है. सैमसंग के नए फोन की प्री- बुकिंग औनलाइन स्टोर से हो रही है. भारतीय बाजार में इन डिवाइसों के कीमत की घोषणा अभी नहीं की गई है. गैलेक्सी एस9 और एस9प्स में क्वालकौम का स्नैपड्रैगन 845 प्रोसेसर है. एस9 में 3,000 एमएएच की तथा एस9प्लस में 3,500 एमएएच की बैटरी लगी है.

स्पेसिफिकेशन

गैलेक्सी एस9 और एस9 प्लस स्टोरेज के तीन वेरिएंट 64, 128 और 256 GB के होंगे. तीनों ही वेरिएंट की मेमारी को माइक्रोएसडी कार्ड के जरिए 400 GB तक बढ़ाया जा सकता है. Samsung Galaxy S9 में 5.9 इंच का क्वाडएचडी+ कर्व्ड सुपर एमोलेड 18.5:9 डिस्प्ले है. फोन में सुपर स्पीड ड्युल पिक्सल 12 MP का ऑटोफोकस सेंसर है.

8.5 मिलीमीटर की मोटाई वाले इस फोन का वजन 163 ग्राम है. सैमसंग गैलेक्सी एस9+ में 6.2 इंच का क्वाडएचडी+ कर्व्ड सुपर एमोलेड 18.5:9 डिस्प्ले है. फोन में 12 MP का ड्युल रियर कैमरा सेटअप है. फोन की मोटाई 8.5 मिलीमीटर और वजन 189 ग्राम है.

शम्मी का 89 वर्ष में लंबी बीमारी से निधन

VIDEO : सिर्फ 30 सैकंड में अपनी आईब्रो को बनाएं स्टाइलिश

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

बौलीवुड में शम्मी आंटी के रूप में मशहूर अदाकारा का 89 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह अंतिम दिनों में अपने दत्तक पुत्र इकबाल रिजवी के साथ अंधेरी स्थित उनके घर में रह रही थीं. 24 अप्रैल 1929 में संजान, गुजरात में जन्मी शम्मी आंटी मूलतः पारसी थीं और उनका असली नाम नरगिस रबाड़ी था. उन्होंने मशहूर फिल्म निर्माता सुल्तान अहमद के साथ शादी की थी, पर उनका यह विवाह महज सात वर्ष ही टिक पाया था. शम्मी की पहली मित्रता स्व. नरगिस दत्त के साथ हुई थी. इसके अलावा आशा पारेख और वहीदा रहमान के साथ उनकी गहरी दोस्ती रही है.

उन्होंने 1949 से 1969 के बीच करीबन दो सौ फिल्मों में बतौर हीरोईन काम किया था. उनके करियर की कुछ सफलतम व चर्चित फिल्मों में ‘इल्जाम’, ‘पहली झलक’, ‘बंदिश’, ‘आजाद’, ‘हलकु’, ‘सन आफ सिंदबाद’, ‘राज तिलक’, ‘खजांची’, ‘घर संसार’, ‘आखिरी दांव’, ‘कंगन’, ‘भाई बहन’, ‘दिल अपना प्रीत पराई’, ‘हाफ टिकट’, ‘इशारा’, ‘जब जब फूल खिले’, ‘प्रीत ना जाने रीत’, ‘आमने सामने’, ‘उपकार’, ‘इत्तफाक’, ‘सजन’, ‘डोली’, ‘राजा साहब’ और ‘द बर्निंग ट्रेन’ का समावेश है.

1986 से उन्होंने टीवी सीरियलों में अभिनय करना शुरू किया था. उन्होंने ‘देख भाई देख’, ‘जबान संभाल के’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘कभी ये कभी वे’, ‘फिल्मी चक्कर’ जैसे सीरियलों में अभिनय किया था.

शम्मी आंटी ने जनवरी 1949 में फिल्म ‘‘उस्ताद पेड़’’ में बेगम पारा व मुकरी के साथ सेकेंड लीड के रूप में अभिनय करते हुए अपने करियर की शुरुआत की थी. इस फिल्म के निर्देशक तारा हरीश थे और तारा हरीश की ही सलाह पर उन्हें अपना नाम नरगिस रबाड़ी से शम्मी करना पड़ा था. इस फिल्म के निर्माता शेख मुख्तार थे. शम्मी आंटी को उस वक्त प्रति माह पांच सौ रूपए मिलते थे. इस फिल्म के बाक्स आफिस पर सुपर हिट होते ही शम्मी आंटी की लाटरी लग गयी थी. इस फिल्म के अनुबंध पत्र के अनुसार शम्मी को हर दिन स्टूडियो आकर अभिनय की प्रैक्टिस करनी होती थी, फिर फिल्म की शूटिंग हो या न हो. इस फिल्म के बनने मे 18 माह का वक्त लग गया था. बहरहाल, ‘उस्ताद पेड़’ के हिट होने पर निर्देशक तारा हरीश ने शम्मी को मुकेश के साथ फिल्म ‘‘मल्हार’’ में हीरोईन बना दिया था. ‘मल्हार’ की सफलता के साथ ही शम्मी मशहूर अदाकारा बन गयी थीं, पर वह अभी भी शेख मख्तार के बैनर में भी काम कर रही थीं.

शम्मी की तीसरी फिल्म दिलीप कुमार और मधुबाला के साथ ‘‘संगदिल’’ थी, जो कि 1952 में प्रदर्शित हुई थी, पर इस फिल्म ने बाक्स आफिस पर पानी नहीं मांगा था. फिर शम्मी ने कुछ फिल्में वैम्प के किरदार वाली की थी. क्योंकि शम्मी को काम करना था, जिसके परिवार का खर्च चल सके. ज्ञातब्य है कि जब शम्मी की उम्र सिर्फ तीन वर्ष थी, तभी उनके पिता का देहांत हो गया था.

शम्मी ने महिपाल, मनहर देसाई, करन दीवान के साथ बतौर हीरोईन कई फिल्में की.

1970 में शम्मी ने फिल्मों में मां के किरदार निभाने शुरू किए. इसी दौरान उन्होंने उस वक्त के उभरते निर्देशक सुल्तान अहमद से शादी की. शम्मी से दोस्ती के चलते राजेश खन्ना, सुनील दत्त और आशा पारेख ने सुल्तान अहमद के निर्देशन में फिल्में की और यह फिल्में हिट हुई, पर शम्मी आंटी की गलती यह रही कि सुल्तान अहमद से विवाह करने के बाद उन्होंने दूसरे निर्देशकों के साथ फिल्में नही की, जिसका उन्हें बाद में काफी खामियाजा भुगतना पड़ा था. वैसे सुल्तान अहमद से सात वर्ष बाद ही तलाक लेने से पहले शम्मी आंटी ने अपने पति के साथ मिलकर ‘हीरा’ व ‘गंगा की सौगंध’ जैसी सुपर डुपर हिट फिल्मों का सह निर्माण किया था. सुल्तान अहमद के साथ शम्मी के अलग होने से नरगिस दत्त को काफी दुःख हुआ था और फिर नरगिस दत्त ने ही शम्मी को पति से अलग होने के सोहल दिन के अंदर फिल्म ‘‘द बर्निंग ट्रेन’’ में काम दिलवाया था.

1985 में शम्मी ने इस्माइल श्राफ को निर्देशक लेकर फिल्म ‘‘पिघलता आसमान’’ का निर्माण शुरू किया था. शम्मी के साथ दोस्ती के चलते इस फिल्म में राजेश खन्ना हीरो थे. राजेश खन्ना की ही वजह से इस फिल्म में रेखा हीरोईन बन गयी थीं. मगर इस्माइल श्राफ व राजेश खन्ना के बीच काफी झगड़े हुए, अंततः एक दिन राजेश खन्ना ने यह फिल्म छोड़ दी थी. तब शम्मी आंटी ने शशि कपूर से बात की. शशि कपूर ने शम्मी आंटी से पारिश्रमिक राशि की बात किए बगैर फिल्म करने के लिए हामी भर दी थी. मगर इस्माइल श्राफ हर किसी से झगड़ते रहे. अंत में इस्माइल श्राफ को हटाकर शम्मी आंटी ने खुद ही निर्देशक के तौर पर इस फिल्म को पूरा किया था और फिल्म बुरी तरह से असफल हो गयी थी. एक मुलाकात में शम्मी आंटी ने कहा था- ‘‘इस्माइल श्राफ ने बहुत परेशान किया था. फिल्म बनते बनते इतनी गड़बड़ा गयी थी कि मुझे पता था कि इसे बाक्स आफिस पर सफलता नही मिलेगी. मुझे काफी आर्थिक नुकसान हुआ.’’

बाद में शम्मी आंटी ने अपनी मित्र आशा पारेख के साथ मिलकर ‘बाजे पायल’, ‘कोरा कागज’, ‘कंगन’, ‘कुछ पल साथ तुम्हारा’ जैसे सीरियलों का निर्माण भी किया. तो वहीं फिल्में भी करती रही. मगर 2008 से 2011 तक उन्हें एक भी फिल्म नहीं मिली थी. 2013 में प्रदर्शित बेला सहगल निर्देशित फिल्म ‘‘शिरीन फरहाद की तो निकल पड़ी’’ में वह बोमन ईरानी व फरहा खान के साथ पारसी औरत के किरदार में नजर आयीं थीं.

शम्मी आंटी मूलतः पारसी थीं, पर उन्हें किसी धर्म से परहेज नहीं था. वह भगवान श्री कृष्णा की भक्त थीं. उनके घर में सौ से अधिक भगवान गणेश की मूर्तियां हैं. वह विष्णु सहस्त्रनाम सुनना पसंद करती थीं.

ये ऐप्स करेंगे डिलीट फोटो और वीडियो को आसानी से रिकवर

VIDEO : फेस मेकअप का ये तरीका है शानदार

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

हर किसी को फोटो लेना और उसे अपने स्मार्टफोन में संजोकर रखना अच्छा लगता है. लेकिन कई बार हमारी छोटी सी गलती की वजह से हमारे फोन में सेव किया गया हमारा पसंदीदा फोटो या वीडियो डिलीट हो जाता है और हम चाहकर भी उसे रिकवर नहीं कर पातें. अगर आप भी इसलिए परेशान हैं क्योंकि गलती से आपकी पसंद का फोटो या वीडियो आपके मोबाइल से डिलीट हो गया है, तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपको उन ऐप्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें डाउनलोड करने के बाद आप अपने डिलीट कंटेंट को वापस से रिकवर कर सकेंगे.

डिस्कडिग्गर फोटो रिकवरी (DiskDigger Photo Recovery) : इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से आप डाउनलोड कर सकते हैं. ऐप के सारे फीचर्स मुफ्त में उपलब्ध हैं. यह ऐप सिर्फ डिलीट फोटोज को ही रिकवर करता है. ऐप की सबसे बड़ी खासियतों में से एक इसका बिना फोन को रूट किए कंटेंट को रिकवर करना है. हालांकि रूट न करने पर वो परिणाम आपको शायद न देखने को मिलें जो रूट करने के बाद मिलेगा. ऐप आपके डिलीट फोटो को वापस सेव और अपलोड करने का भी विकल्प देता है.

रिस्टोर ईमेज (Restore Image) : इस ऐप को आप फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं. ऐप का इस्तेमाल करने के लिए आपको न तो फोन को रूट करने की जरूरत है और न ही डाटा रिस्टोर करने की. ऐप की मदद से आप तुरंत डिलीट फोटो को रिस्टोर कर सकते हैं. रिकवर कटेंट को आप एसडी कार्ड या फोन की मेमोरी में सेव कर सकते हैं. ऐप JPG और PNG दोनों फौर्मेट को स्पोर्ट करता है.

डम्पस्टर : अनडिलीट एण्ड रिस्टोर पिक्चर्स एण्ड वीडियो (Dumpster: Undelete & Restore Pictures and Videos) : इस ऐप की साइज 11 एमबी है. इसे भी आप गूगल प्ले स्टोर से फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं. ऐप की सबसे बड़ी खासियतों में से एक इसका फोटो और वीडियो दोनों को रिकवर करना है. डिलीट कंटेंट को ऐप बहुत कम समय में रिकवर करता है. ऐप में कई प्रीमियंम फीचर्स भी दिए गए हैं, जिसकी मदद से आप अपने रिकवर कंटेंट को दूसरे यूजर्स से बचाकर सुरक्षित रख सकते हैं. इसके अलावा इसमें क्लाउड स्टोरेज का भी फीचर्स दिया गया है.

श्रीदेवी की मौत के बाद अर्जुन कपूर की इस पोस्ट की हर कोई कर रहा तारीफ

VIDEO : सिर्फ 30 सैकंड में अपनी आईब्रो को बनाएं स्टाइलिश

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

बीते आखिरी दो हफ्ते कपूर परिवार के लिए आसान नहीं रहे. कपूर फैमिली ने अपने घर के सबसे प्यारे इंसान को बहुत जल्दी खो दिया. हाल ही में अर्जुन कपूर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से सौतेली मां श्रीदेवी के लिए एक फोटो शेयर की है, जिसके लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। श्रीदेवी के अकस्मात निधन ने कपूर परिवार बल्कि पूरा देश गमगीन हो गया.

श्रीदेवी के फैंस के साथ ही बौलीवुड जगत के दिग्गज सितारे भी श्रीदेवी के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. इस दुख की घड़ी में अभिनेता अर्जुन कपूर भी पिता बोनी कपूर और जाह्नवी और खुशी के साथ हमेशा साथ खड़े रहे. अर्जुन कपूर ने पूरे परिवार की अच्छे से केयर भी की. अर्जुन पिता बोनी कपूर की मदद के लिए दुबई भी पहुंचे और जब तक श्रीदेवी के अंतिम संस्कार के सारे इंतजाम देखने के लिए अर्जुन कपूर मुंबई में ही रहे.

One day at a time…

A post shared by Arjun Kapoor (@arjunkapoor) on

अर्जुन कपूर ने फोटो शेयर करते हुए कैप्शन लिखा, वनडे एट अ टाइम. अर्जुन कपूर द्वारा शेयर की गई तस्वीर में अंग्रेजी में लिखीं लाइनों का अर्थ है, तुम बहादुर हो क्योंकि जिंदगी ने तुम्हें कारण दिए और तुम अभी भी चमक रहे हो और इसी तरह चमकते रहो. अर्जुन के द्वारा शेयर की गई फोटो में फैंस कमेंट कर अर्जुन की तारीफ कर रहे हैं.

एक यूजर ने कमेंट बौक्स में लिखा, ”अर्जुन तुम बहादुर इंसान हो. तुममे एक लीडर के गुण हैं. तालियां तुम्हारे लिए डियर अर्जुन.” वही एक अन्य यूजर ने कमेंट बौक्स में लिखा, ”अर्जुन जी, खुशी में तो हर इंसान साथ देता है लेकिन जिस तरह से आपने दुख में अपने पिता और बहनों का साथ दिया यह महान है, लव यू.” एक यूजर ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ”जो दुख में साथ दे वहीं सच्चा इंसान हैं जो आप हो. अर्जुन सर बहुत अच्छा.”

कठिन समय में अर्जुन ने अपने परिवार का साथ दिया इस बात पर एक यूजर ने अर्जुन की तारीफ करते हुए लिखा, ”जिस तरह से आपने कठिन समय में अपने परिवार को संभाला और उन्हें बिल्कुल भी अकेला महसूस होने नहीं दिया. मैंने आपकी फिल्में देखी हैं, मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं. आप जिस तरह के इंसान हैं मैं उसका भी फैन हूं. मुझे उम्मीद है कि आपकी मां को आपपर गर्व हो रहा होगा कि उन्होंने आपके जैसे बेटे को जन्म दिया.”

स्टीव स्मिथ ने बताया आखिर क्यों आपस में भिड़े डि कौक और वौर्नर

VIDEO : फेस मेकअप का ये तरीका है शानदार

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

औस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के उप-कप्तान डेविड वौर्नर और दक्षिण अफ्रीका के विकेटकीपर क्विंटन डि कौक के बीच हुई बहस का वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वौर्नर और डि कौक के बीच कहासुनी होती दिख रही है. जो भी इस वीडियो को देख रहा है, उसके मन में एक ही सवाल आ रहा है कि ऐसा क्या हुआ होगा, जिसके कारण दो दिग्गज खिलाड़ी आपस में भिड़ गए.

इस मामले पर औस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ ने सफाई दी है. मैच के बाद हुई प्रेस कौन्फ्रेंस में स्मिथ ने जानकारी दी कि डि कौक ने वौर्नर को लेकर काफी व्यक्तिगत हो गए थे. उन्होंने कहा, ‘डि कौक काफी व्यक्तिगत हो गए थे और उन्होंने वौर्नर को उकसाने का काम किया. जहां तक मैं जानता हूं तो हम लोग किसी के व्यक्तिगत मामलों में दखलअंदाजी नहीं करते हैं.’ उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की व्यक्तिगत जिंदगी को लेकर कुछ नहीं कहना चाहिए, जो मजाक किया जाता है वह फील्ड तक ही सीमित रहना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा, ‘आप किसी की भी व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में इस तरह से कुछ नहीं कह सकते. मेरे विचार से ऐसा नहीं किया जाना चाहिए. जाहिर है कि अब यह मामला अधिकारियों के हाथों में है. हमें खेल की मर्यादा को बरकरार रखना चाहिए. हम एक प्रतियोगी खेल का हिस्सा हैं. कुछ समय ऐसे होते हैं जब हमें कुछ बातों को पीछे खींच लेना चाहिए.’

इस वक्त औस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच टेस्ट सीरीज चल रही है. दोनों टीमों के बीच 1 मार्च से 5 मार्च के बीच पहला टेस्ट मैच खेला गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक मैच के चौथे दिन यानी रविवार को टी ब्रेक के दौरान वौर्नर और डी कौक के बीच कहासुनी हो गई थी.

इस घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें वौर्नर काफी गुस्से में नजर आ रहे हैं और दोनों खिलाड़ियों के बीच हाथापाई की नौबत आते हुए भी दिखाई दे रही है. फिलहाल आईसीसी के अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं. बता दें कि पहले मैच में औस्ट्रेलिया की टीम दक्षिण अफ्रीका की टीम को 118 रनों से शिकस्त देने में कामयाब रही.

पैन कार्ड आधार से जुड़ पाया है या नहीं, संशय हो तो कर लें चेक

VIDEO : सिर्फ 30 सैकंड में अपनी आईब्रो को बनाएं स्टाइलिश

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

पिछले साल नवंबर तक 33 करोड़ पैन धारकों में से 13.28 करोड़ लोगों ने अपने पैन को अपनी 12 अंकों वाली डिजिटल और जैविक पहचान आधारित आधार संख्या से जोड़ दिया था. पैन कार्ड को आधार से लिंक करना अनिवार्य कर दिया गया है. वैसे हो सकता है कि अब तक आपने भी पैन को आधार से लिंक कर लिया हो. मगर यदि आप इसके लिंक होने को लेकर शंशय में हैं या फिर एक बार फिर से सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पैन आधार से लिंक हुआ भी है या नहीं तो आप इसे स्वयं चेक कर सकते हैं.

तो आइये आपको बताते हैं इसे चेक करने का तरीका.

इनकम टैक्स की वेबसाइट incometaxindiaefiling.gov.in के जरिए चेक करिए. होमपेज पर ही आपको ‘Link Aadhaar’ टैब दिखेगी. इसे क्लिक करें. नए खुले पेज पर आएग लिंक आधार के ऑप्शन को क्लिक करने से पहले सभी जरूरी सूचनाएं इसमें भर लें. पैन नंबर के कौलम में पैन और आधार के कौलम में 12 डिजिट का नंबर डाल दें. यदि नंबर अटैच नहीं होगा तो अगला मेसेज खुलेगा जिसमें इसके लिंकिंग को लेकर पुष्टि होगी. यदि आपका पैन पहले से ही लिंक होगा, तो वेबसाइट आपको लौगइन करने के लिए कहेगी.

इस तरीके के इस्तेमाल से आपको यह भी पता चल जाएगा कि यह पहले से लिंक है या नहीं. UIDPAN<12-अंकों का आधार नंबर><10-अंकों का PAN> इस टेक्स्ट में 12 संख्या वाला यह नंबर आपका आधार नंबर है जबकि दूसरा आपका पैन कार्ड नंबर है.

जिन लोगों की यह लिंकिंग पहले ही हो चुकी है, उन्हें यह एसएमएस आएगा- इनकम टैक्स विभाग के डाटा बेस में आधार संख्या XXXX पैन संख्या XXXX से पहले से ही लिंक है. हमारी सेवाओं का इस्तेमाल करने के लिए शुक्रिया.

अगर आपने अभी तक पैन कार्ड को आधार से लिंक नहीं किया है तो घबराईये नहीं क्योंकि पैन कार्ड (PAN) को आधार नंबर से जोड़ने की समय सीमा बढ़ा दी गई है, यह तारीख 31 मार्च कर दी गई है. सरकार ने तीसरी बार यह सीमा बढ़ाते हुए कहा था कि हमारी जानकारी में आया है कि कुछ करदाताओं ने अभी तक पैन को आधार से नहीं जोड़ा है. इसी वजह से यह तारीख बढ़ा दी गई है.

वैसे अब चूंकि 31 मार्च का समय नजदीक ही है इसलिए बेहतर होगा कि आधार से पैन की लिंकिंग कर लें और समय बीतने का जोखिम न लें. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आधार और पैन कार्ड को लिंक करने के लिए दो नंबरों की सुविधा दी है. इसके लिए एक निश्चित फौर्मेट में एसएमएस भेजना होगा. यदि पहले ही लिंक कर चुके हैं लेकिन कोई संशय बरकरार है तो भी उपरोक्त तरीकों से चेक कर लें.

कत्ल दोस्ती का : पैसों के लालच में कर दिया कत्ल

VIDEO : फेस मेकअप का ये तरीका है शानदार

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

5 जून की रात के 10 बजने को थे. ग्वालियर के कंपू थाना इलाके के टोटा की बजरिया में रहने वाले जिला विशेष शाखा के आरक्षक समीर ढींगरा ने अपने पड़ोसी मनोज श्रीवास्तव के बेटे संजू की बाइक अपने घर के सामने खड़ी देखी तो वह बुदबुदाने लगे, ‘सारी जगह छोड़ कर इस लड़के को सिर्फ मेरे ही दरवाजे पर बाइक खड़ी करने को जगह मिलती है.’

बाइक को हटवाने के लिए पहले उन्होंने संजू को आवाज दी, लेकिन जब उस ने कोई रिस्पौंस नहीं दिया तो उन्होंने संजू के मोबाइल पर फोन किया. स्क्रीन पर समीर अंकल का नंबर देख संजू समझ गया कि उन्हें सड़क किनारे खड़ी अपनी स्कौर्पियो घर के भीतर रखनी होगी, इसीलिए बाहर खड़ी बाइक को हटाने के लिए फोन किया है.

समीर को हालांकि पुलिस की नौकरी में 20 साल हो गए थे, लेकिन पुलिस महकमे में आरक्षक को इतनी पगार नहीं मिलती कि वह स्कौर्पियो जैसी लग्जरी कार खरीद सके. लेकिन समीर की बात और थी, उस की महत्त्वाकांक्षाएं ऊंची थीं. उस का अपना शानदार मकान था, साथ ही 2 लग्जरी कारें भी.

दरअसल, समीर के आर्थिक दृष्टि से मजबूत होने की वजह यह थी कि वह पिछले कई सालों से प्रौपर्टी के कारोबार में जुड़ा था. इस कारोबार में उस ने अपने साझेदारों के साथ मिल कर करोड़ों रुपए कमाए थे. बस दुख की बात यह थी कि उस ने दौलत तो खूब कमाई थी, लेकिन उसे पारिवारिक सुख नहीं मिला था.

society

पिता के निधन के बाद तमाम कठिनाइयों से जूझते हुए समीर को पुलिस महकमे में आरक्षक की नौकरी मिल गई थी. इस के साथ ही उस ने साझेदारी में प्रौपर्टी का कारोबार भी कर लिया था.

इसी बीच उस के बहनोई का सड़क हादसे में निधन हो गया था. पति की मौत के बाद उस की बहन गीता आहूजा और भांजी को अकेलेपन का बोझ न सहना पड़े, इसलिए समीर बहन और भांजी को अपने साथ ले आया था और उन दोनों को अपने साथ घर में ही रख लिया था. भांजी पढ़लिख कर कुछ बन जाए, इसलिए उस ने उस का दाखिला बनारस के एक अच्छे स्कूल में करवा दिया था.

समीर के बारे में अच्छी बात यह थी कि वह सभी से सौहार्दपूर्ण संबंध रखता था, साथ ही दूसरों की मदद के लिए भी तैयार रहता था. धार्मिक मामलों में भी उस की काफी रुचि थी. वह ऐसे किसी भी आयोजन के लिए पैसे देता रहता था.

5 साल पहले समीर की दोनों किडनी खराब हो चुकी थी. डाक्टरों ने उसे इस बात के संकेत दे दिए थे कि उस का जीवन ज्यादा लंबा चलने वाला नहीं है. यह जान कर उसे तगड़ा झटका लगा था. उसे यह चिंता सताने लगी थी कि दुनिया से जाने के बाद उस की मां, बहन और भांजी का क्या होगा. समीर को इस बात का कतई आभास नहीं था कि इस से पहले ही कोई उस की जान लेने के लिए तैयार बैठा है.

बहरहाल, समीर अंकल का फोन आने पर संजू अपनी बाइक हटाने के लिए जैसे ही घर के बाहर आया, वह यह देख कर हक्काबक्का रह गया कि समीर पर 2 युवक गोलियां चला रहे हैं. गोली चलने की आवाज सुन कर आसपास के लोग भी घर से बाहर निकल आए.

लोगों ने देखा कि समीर खून से लथपथ सड़क पर पड़ा छटपटा रहा है. जब तक पड़ोसी कुछ समझ पाते, तब तक हमलावर अंधेरे का लाभ उठा कर सफेद रंग की गाड़ी से भाग खड़े हुए थे.  पड़ोस में रहने वाले लोगों ने फोन कर के इस घटना की सूचना कंपू थाने को दे दी.

संयोग से थानाप्रभारी महेश शर्मा थाने में ही मौजूद थे. उन्होंने मामला दर्ज करवा कर इस की सूचना एसपी डा. आशीष, एएसपी अभिषेक तिवारी और सीएसपी शैलेंद्र जादौन को दे दी. इस के साथ ही वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. थोड़ी देर बाद एसपी डा. आशीष, एएसपी अभिषेक तिवारी और सीएसपी शैलेंद्र जादौन भी वहां आ गए.

फोरैंसिक टीम को भी मौकाएवारदात पर बुला लिया गया था. समीर को 315 बोर के कट्टे से काफी नजदीक से गोली मारी गई थी. समीर की मां और बहन भी घर से बाहर आ गई थीं और बिलखबिलख कर रो रही थीं.

इस बीच डा. आशीष ने समीर की मां को पहचान लिया. उन्हें याद आया कि 1 जून को जब वह अपने औफिस में बैठे थे, तब यह वृद्ध महिला उन के पास शिकायत ले कर आई थी, जिस में लिखा था कि उस के बेटे के साझीदार बेईमानी पर उतर आए हैं. उन्होंने उस का काफी पैसा हड़प लिया है. इस मामले में एसपी ने उचित काररवाई की थी.

घटनास्थल से सारे साक्ष्य एकत्र करने के बाद पुलिस ने समीर की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. सीएसपी श्री जादौन और टीआई श्री शर्मा ने समीर के पड़ोस में रहने वालों से पूछताछ की तो पता चला कि उस की दोनों किडनी खराब हो चुकी थीं. डाक्टरों ने उसे बता दिया था कि इस स्थिति में वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाएगा. तभी से वह काफी मायूस रहने लगा था.

पुलिस के लिए हैरानी की बात यह थी कि जब समीर की जिंदगी चंद दिनों की बची थी तो फिर ऐसी कौन सी वजह थी कि उस की हत्या कर दी गई. पूछताछ में पुलिस को पता चला कि हत्यारे ने समीर को काफी करीब से गोली मारी थी. इस से यह बात साफ हो गई कि समीर की हत्या रेकी करने के बाद किराए के बदमाशों से कराई गई थी.

छानबीन में पुलिस को पता चला कि समीर पुलिस की नौकरी के साथ प्रौपर्टी का कारोबार भी करता था. उस ने अपनी मां गंगादेवी के नाम से गंगादेवी बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड नाम से फर्म बना रखी थी. इस फर्म में उस की मां गंगादेवी, बहन गीता आहूआ और परिवार के एक सदस्य पंकज गुगनानी 51 प्रतिशत के साझेदार थे. शेष में उस के जिगरी दोस्त महेश जाट की पत्नी सुनीता जाट, पिता प्रीतम जाट और मोहम्मद फारुख सहित कुछ अन्य लोग साझेदार थे.

society

पुलिस ने हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए समीर के आधा दरजन साझेदारों से गहन पूछताछ की. लेकिन हत्या की हकीकत सामने नहीं आई. क्राइम ब्रांच में तैनात कांस्टेबल महेश जाट समीर का खास दोस्त था. जब उस के बारे में समीर की मां से पूछा गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि महेश ऐसा काम नहीं कर सकता.

पुलिस इस हत्या की गुत्थी सुलझाने में लग गई. उस ने कई बिंदुओं पर गौर किया और गंगादेवी के इनकार करने के बावजूद टीआई महेश शर्मा ने महेश जाट को थाने बुला कर सीधे सवाल किया कि फुटेज में जो जीप दिख रही है, वह किस की है? महेश ने देख कर बताया, ‘‘यह तो दीपक जाट के भाई जगमोहन किरार की है.’’

इसी क्लू से तेजतर्रार थानाप्रभारी ने सारा मामला सुलझा लिया. सुपारी किलिंग कराने वाले महेश जाट ने ही 2 लाख रुपए में समीर को ठिकाने लगाने की सुपारी दी थी. इस में बोनस औफर यह था कि जिस की गोली समीर को लगेगी, उसे पैसे के साथ एक बुलेट मोटरसाइकिल भी तोहफे में दी जाएगी. पुलिस को पूछताछ में यह भी पता चला कि समीर की हत्या करने के बाद घटनास्थल से भागते सतवीर उर्फ जग्गू किरार ने महेश जाट को फोन कर के कहा था, ‘‘मामा काम हो गया.’’

इसी वजह से पुलिस का ध्यान समीर के सब से करीबी लोगों पर जा रहा था. पुलिस ने समीर के साझेदारों को बुला कर उन से फिर पूछताछ की. लेकिन कुछ खास पता नहीं चला तो सभी को घर भेज दिया गया. 10 जून की रात में क्राइम ब्रांच की टीम ने बिरलानगर से बेताल किरार, सतवीर किरार और शिवम जाट को उठा लिया.

इन तीनों को हिरासत में ले कर जब सख्ती से पूछताछ की गई तो तीनों टूट गए. उन्होंने मान लिया कि समीर ढींगरा की हत्या का मास्टरमाइंड समीर का जिगरी दोस्त महेश जाट है. उस ने ही गैंगस्टर हरेंद्र राणा के साथी दीपक जाट के भाई सतवीर को सुपारी दी थी. इस अहम जानकारी के बाद पुलिस ने महेश जाट को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में समीर ढींगरा की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

महेश और समीर ढींगरा एक ही महकमे में कार्यरत होने की वजह से पिछले 22 सालों से जिगरी दोस्त थे और दोनों मिल कर पिछले 10 सालों से प्रौपर्टी खरीदने और बेचने का काम कर रहे थे. इन दोनों ने अशोक गोयल की 42 बीघा जमीन खरीद कर उस में 300 प्लौट काट कर बेचे थे. इस कारोबार में महेश का शातिर दिमाग और समीर का पैसा चल रहा था. महेश ने वहां बड़ेबड़े 20 प्लौट बेच दिए थे. लेकिन उस ने समीर के हिस्से का पैसा नहीं दिया था. अलबत्ता उस ने डेढ़ करोड़ में से कुछ रकम अशोक गोयल को जरूर दे दी थी.

इस जमीन में पौवर औफ अटार्नी में समीर की मां गंगादेवी के हस्ताक्षर थे. जिस की वजह से उन की मरजी से ही रजिस्ट्री हो सकती थी. दरअसल, जब समीर को लगा कि महेश की नीयत में खोट आ गया है तो उस ने उस जमीन की बिक्री के लिए ऐसी व्यवस्था करा दी थी कि उस की मां के बगैर जमीन की बिक्री न हो सके. इसी वजह से महेश उन प्लौटों की रजिस्ट्री उन के नाम नहीं करवा पा रहा था, जिन से उस ने एडवांस लिया था. एडवांस देने वाली पार्टी उस पर रजिस्ट्री के लिए दबाव बना रही थी.

दूसरी ओर अशोक गोयल भी समीर के व्यवहार और लेनदेन से काफी खुश थे, इसलिए वह उस के पक्ष में ही बोलते थे. मां के नाम से पंजीकृत फर्म का 12 करोड़ रुपए का चैक समीर अशोक गोयल को दे चुका था, लेकिन समीर के साझेदार महेश ने अपने हिस्से में 2 करोड़ की हेराफेरी कर दी थी. इस बात को ले कर दोनों जिगरी दोस्तों में जम कर तकरार हुई. यहां तक कि दोनों ने एकदूसरे को कानूनी नोटिस तक दे दिए थे.

महेश जाट ने बिना समीर को बताए सिटी सैंटर में 85 लाख रुपए की एक आलीशान कोठी खरीद ली थी. महेश की इस हरकत से समीर के दिल में महेश के लिए प्यार कम और नफरत ज्यादा हो गई. इसी के चलते महेश ने टेकनपुर प्रौपर्टी में पार्टनर जगमोहन किरार उर्फ जग्गू को प्रलोभन दिया कि जिस प्लौट का उस ने उसे एडवांस दिया है, उस की रजिस्ट्री मुफ्त में कर देगा लेकिन इस के एवज में उस के साझीदार समीर ढींगरा को निपटाना होगा.

जगमोहन की बहन बिरलानगर में रहती थी. आरोपी बेताल किरार भी वहीं पास में रहता था. जगमोहन ने बेताल से कहा कि कट्टे से अचूक गोली मारने वाले लड़के ढूंढो. बेताल ने शुभम जाट और सतबीर जाट को तलाश कर के सुपारी के रूप में 1-1 लाख तय किए.

जगमोहन ने पूछताछ में बताया कि महेश पिछले एक पखवाड़े से समीर को निपटाने की जुगत में लगा था. कुछ दिनों पहले भी उस ने रेलवे स्टेशन के नजदीक समीर को ठिकाने लगाने की योजना बनाई थी. लेकिन संयोग से समीर बच निकला था. समीर की हत्या के बाद पुलिस को 2 बदमाशों को भागते देखने की बात बताने वाले संजू श्रीवास्तव के पिता मनोज श्रीवास्तव ने समीर की रेकी की थी और सतबीर को फोन कर के बता दिया था कि वह अपनी स्कौर्पियो उठाने आ गया है.

मनोज के फोन के बाद ही सतबीर और शुभम समीर को गोली मारने पहुंचे. वहां पहुंच कर गोली सतबीर ने चलाई. समीर को मौत के घाट उतारने के बाद वे जगमोहन की बोलेरो में बैठ कर वहां से फरार हो गए. पुलिस पड़ताल में यह भी पता चला कि जिस वक्त सतबीर और शुभम समीर ढींगरा को जान से मारने गए, उस वक्त महेश जाट घटनास्थल के करीब ही मौजूद था और सारे घटनाक्रम पर नजर रख रहा था.

समीर ढींगरा को मौत के घाट उतारने के बाद जगमोहन उर्फ जग्गू किरार अलीगढ़ भाग गया था. वहां जा कर उस ने बड़े ही सुनियोजित ढंग से खुद को अवैध कट्टा और कारतूस रखने के जुर्म में गिरफ्तार करवा दिया था. पुलिस उसे जेल भेज चुकी थी. उस की मंशा थी कि किसी भी तरह पुलिस उस तक न पहुंच पाए.

महेश जाट कितना बड़ा मास्टरमाइंड था, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समीर की हत्या सतबीर जाट और शुभम जाट के हाथों करवाने के बाद वह मृतक की मां गंगादेवी और बड़ी बहन को दिलासा देने उन के घर पहुंच गया, क्योंकि उसे लगता था कि इस मामले में उस का नाम नहीं आएगा. वह एक हफ्ते तक बेखटके समीर के घर आताजाता रहा. लेकिन उसे यह मालूम नहीं था कि अपराध चाहे कितनी भी चालाकी से क्यों न किया गया हो, एक न एक दिन उस का राज खुल ही जाता है.

कथा लिखे जाने तक समीर ढींगरा की हत्या के आरोप में पुलिस ने महेश जाट सहित सतबीर, शुभम जाट, बेताल किरार, मनोज श्रीवास्तव और जगमोहन किरार को गिरफ्तार कर के मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर दिया था, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया था.

बहरहाल, समीर नहीं रहा. उस के न रहने से जहां उस की बूढ़ी मां गंगादेवी की दुनिया उजड़ गई, वहीं विधवा बहन गीता आहूजा का सहारा भी छिन गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

– साथ में रणजीत सुर्वे

प्रीत या नादानी : इश्क के चक्कर में कर दी दोस्त की हत्या

दिल्ली-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जालंधर से करीब 50 किलोमीटर पहले ही जिला जालंधर की तहसील है थाना फिल्लौर. इसी थाने का एक गांव है शाहपुर. इसी गांव के 4 छात्र थे- हनी, रमेश उर्फ गगू, तजिंदर उर्फ राजन और निशा. 15 से 17 साल के ये सभी बच्चे फिल्लौर के ही एक सरकारी स्कूल में पढ़ते थे.

एक ही गांव के होने की वजह से इन सभी का आपस में गहरा लगाव था. साथसाथ खेलना, साथसाथ खाना, साथसाथ पढ़ने जाना. लेकिन ज्योंज्यों इन की उम्र बढ़ती गई, त्योंत्यों इन के मन में तरहतरह के विचार पैदा होने लगे.

हनी के घर वालों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, जबकि रमेश और राजन अच्छे परिवारों से थे. हनी के पिता हरबंसलाल की फिल्लौर बसअड्डे के पास फ्लाई ओवर के नीचे पंचर लगाने की छोटी सी दुकान थी. उसी दुकान की आमदनी से घर का खर्चा चलता था.

जबकि राजन और रमेश के पिता के पास खेती की अच्छीखासी जमीनों के अलावा उन का अपना बिजनैस भी था. इसलिए राजन तथा रमेश जेब खर्च के लिए घर से खूब पैसे लाते थे और स्कूल में अन्य दोस्तों के साथ खर्च करते थे.

शुरुआत में निशा हनी के साथ ज्यादा घूमाफिरा करती थी, पर बाद में उस का झुकाव रमेश की ओर से हो गया. धीरेधीरे हालात ऐसे बन गए कि इन चारों छात्रों के बीच 2 ग्रुप बन गए. एक ग्रुप में अकेला हनी रह गया था तो दूसरे में राजन, रमेश और निशा.

रमेश और निशा अब हर समय साथसाथ रहने लगे थे. दोनों के साथ राजन भी लगा रहता था. तीनों ही साथसाथ फिल्म देखने जाते. हनी को एक तरह से अलग कर दिया गया था. इस बात को हनी समझ रहा था. निशा ने हनी से मिलनाजुलना तो दूर, बात तक करना बंद कर दिया था.

एक दिन हनी ने फोन कर के निशा से कहा, ‘‘हैलो जानेमन, कैसी हो और इस समय क्या कर रही हो?’’

‘‘कौन…हनी?’’ निशा ने पूछा.

‘‘और कौन होगा, जो इस तरह तुम से बात करेगा. मैं हनी ही बोल रहा हूं.’’ हनी ने कहकहा लगाते हुए कहा, ‘‘अच्छा बताओ, तुम इस समय कहां हो? आज हमें पिक्चर देखने चलना है.’’

‘‘हनी, मैं तुम से कितनी बार कह चुकी हूं कि मुझे फोन कर के डिस्टर्ब मत किया करो. मैं तुम से कोई वास्ता नहीं रखती, फिर भी तुम मुझे परेशान करते हो. आखिर क्या बिगाड़ा है मैं ने तुम्हारा…?’’ निशा ने झुंझलाते हुए कहा.

society

‘‘अरे डार्लिंग, परेशान मैं नहीं, तुम कर रही होे. आखिर तुम्हें मेरे साथ फोन पर दो बातें करने में इतनी तकलीफ क्यों होती है, जबकि दूसरे लड़कों के साथ आवारागर्दी करती रहती हो. तब तुम्हें कोई परेशानी नहीं होती.’’ हनी ने कहा तो उस की इन बातों से निशा खामोश हो गई. फिर उस ने हिम्मत जुटा कर कहा, ‘‘सुनो हनी, तुम जिन लड़कों की बात कर रहे हो, वे मेरे दोस्त हैं. अब तुम यह बताओ, मैं किसी के भी साथ घूमूंफिरूं, इस में तुम्हें क्या परेशानी है? यह मेरी मरजी है. मेरे दोस्त सभ्य परिवारों से हैं, समझे.’’

निशा की बात सुन कर हनी को गुस्सा तो बहुत आया, पर कुछ सोच कर उस ने अपने गुस्से पर काबू करते हुए कहा, ‘‘हां, सही कह रही हो. भला मैं कौन होता हूं. पर तुम शायद यह भूल गई कि तुम और तुम्हारे जो दोस्त हैं, वे मेरे ही गांव के हैं.’’

‘‘इस का मतलब तुम मुझे धमकी दे रहे हो?’’ निशा ने उत्तेजित हो कर कहा.

‘‘मैं तुम्हें कोई धमकी नहीं दे रहा. तुम ना जाने क्यों नाराज हो रही हो.’’ हनी ने कहा.

इस के बाद निशा थोड़ा नार्मल हुई तो हनी ने कहा, ‘‘अरे पगली, मुझे इस से कोई ऐतराज नहीं है. तुम किसी के साथ भी घूमोफिरो. मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि थोड़ा टाइम मुझे भी दे दिया करो. बात यह है कि आज मैं ने पिक्चर का प्रोग्राम बनाया है. तुम मेरे साथ पिक्चर देखने जालंधर चलो. मैं फिल्लौर बसअड्डे पर तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’

‘‘ठीक है, मैं आ रही हूं, लेकिन आइंदा जो भी प्रोग्राम बनाना, मुझ से पूछ कर बनाना.’’ निशा ने कहा.

‘‘ओके जानेमन, मैं आइंदा से ध्यान रखूंगा. तुम टाइम पर बसअडडे आ जाना. बाकी बातें वहीं करेंगे.’’ हनी ने कहा.

निशा समझ गई कि हनी उसे ब्लैकमेल कर रहा है, इसलिए न चाहते हुए भी मजबूरी में उसे उस के साथ फिल्म देखने जाना पड़ा. इस के बाद यह नियम सा बन गया.

हनी जब भी निशा को बुलाता, न चाहते हुए भी उसे उस की बात माननी पड़ती. निशा जानती थी कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो इस का क्या परिणाम हो सकता है. क्योंकि हनी ने उस से स्पष्ट कह दिया था कि अगर उस ने उस की कोई बात नहीं मानी तो वह उस के और रमेश के संबंधों के बारे में उस के मातापिता से बता देगा.

उधर रमेश और उस के दोस्त को पता चल गया था कि निशा हनी के साथ घूमती है. यह बात उन्हें अच्छी नहीं लगी. इसलिए उन्होंने निशा को धमकी दी कि अगर उस ने हनी से बोलना बंद नहीं किया तो नतीजा ठीक नहीं होगा. निशा ने यह बात रमेश को नहीं बताई थी कि वह हनी के साथ अपनी मरजी से नहीं जाती, बल्कि यह उस की मजबूरी है.

निशा पेशोपेश में पड़ गई. वह जानती थी कि जिस दिन उस ने हनी से बोलना बंद किया, उसी दिन वह उस के मांबाप से उस की शिकायत कर देगा. लेकिन ऐसा कब तक चलता. एक न एक दिन इस बात का भांडा फूटना ही था.

यही सोच कर एक दिन निशा ने यह बात रमेश और राजन को बता दी कि हनी उसे किस तरह ब्लैकमेल कर रहा है. यह सुन कर रमेश और राजन का खून खौल उठा. उन्होंने उसी दिन हनी को रास्ते में घेर लिया. उन्होंने उसे धमकाते हुए कहा, ‘‘तुम निशा से दूर ही रहो, वरना यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा. तुम लापता हो जाओगे और तुम्हारे मांबाप तुम्हें ढूंढते रह जाएंगे.’’

दोनों की इस धमकी से उत्तेजित होने के बजाय हनी ने उन्हें समझाते हुए कहा, ‘‘देखो रमेश, हम सब दोस्त हैं और एक ही गांव के रहने वाले हैं. बचपन से साथसाथ खेलेकूदे हैं और पढ़ेलिखे हैं. अब यह बताओ कि तुम निशा के साथ बातें करते हो, घूमने जाते हो, मैं ने कभी बुरा माना तो फिर मेरे बात करने पर तुम्हें भी बुरा नहीं मानना चाहिए.’’

‘‘अच्छा तो पंक्चर लगाने वाले का बेटा मेरी बराबरी करेगा?’’ रमेश ने नफरत से यह बात कही. इस के बावजूद हनी ने मुसकराते हुए जवाब दिया, ‘‘रमेश बात हम लोगों के बीच की है, इसलिए इस में बड़ों को मत घसीटो.’’

बहरहाल, उस दिन तो मामला यहीं पर शांत हो गया. लेकिन हनी और रमेश के बीच कड़वाहट पैदा हो गई. आगे चल कर इस कड़वाहट का क्या नतीजा निकलेगा, कोई नहीं जानता था. हनी ने कुछ दिनों तक निशा से बात नहीं की.

7 जुलाई, 2017 को हनी ने निशा को फोन कर के मिलने के लिए कहा. इस बार निशा ने उस से मिलने से साफ मना कर दिया. हनी को गुस्सा आ गया. उस ने उसी दिन रमेश और निशा के प्रेमप्रसंग की बात निशा के पिता को बता दी.

बेटी की बदचलनी के बारे में जान कर मांबाप की नींद उड़ गई. निशा घर लौटी तो उन्होंने उसे डांटा. उस ने लाख सफाई दी, पर उन्होंने उस की बात पर विश्वास न करते हुए उसे घर में कैद कर दिया. यह बात जब रमेश और राजन को पता चली तो दोनों हनी के पास जा पहुंचे. दोनों पक्षों में काफी तूतूमैंमैं हुई और अंत में एकदूसरे को देख लेने की धमकी देते हुए अपनेअपने घर चले गए.

अगले दिन यानी 8 जुलाई, 2017 की शाम साढ़े 6 बजे हनी के पिता हरबंशलाल ने कहा, ‘‘जा बेटा, हवेली जा कर पशुओं के लिए चारा काट दे. पशु भूखे होंगे.’’

पिता के कहने पर हनी चारा काटने के लिए हवेली चला गया. चारा काटने का काम ज्यादा से ज्यादा एक घंटे का था. लेकिन जब हनी साढ़े 8 बजे तक घर नहीं लौटा तो हरबंशलाल को चिंता हुई. पहले तो उन्होंने अपने छोटे बेटे को हवेली जाने को कहा, फिर उसे रोक कर खुद ही उठ कर चल पड़े.

वहां हनी नहीं दिखा. उस ने चारा काट कर पशुओं को डाल दिया था. चारा काटने के बाद वह कहां चला गया, वह इस बात पर विचार करने लगे. उन्हें लगा ऐसा तो नहीं कि वह घर चला गया हो. वह घर लौट आए.

पर हनी घर नहीं आया था. उन्होंने उसे इधरउधर देखा, लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं दिया. अब तब तक रात के 10 बज चुके थे. हनी के मातापिता के अलावा गांव के अन्य लोग भी रात के 1 बजे तक उसे गांव और आसपास ढूंढते रहे. पर हनी का कहीं पता नहीं चला. थकहार कर सब सो गए.

अगले दिन सुबह जब हनी के दोस्तों रमेश, राजन आदि को उस के गायब होने का पता चला तो सभी हनी के घर जमा हो गए. वे सब भी उसे खोजने लगे.

अगले दिन सुबह गांव का ही ओंकार सिंह अपने खेतों पर गया तो उस के खेत के दूसरे छोर पर नहर के पास एक जगह किसी आदमी का कटा हुआ कान पड़ा दिखाई दिया. वहीं पर काफी मात्रा में खून बिखरा था. खून देख कर ओंकार सिंह सोच रहा था कि यह सब वह किस ने किया होगा, तभी हरबंशलाल, रमेश, राजन तथा अन्य लोग हनी को तलाशते हुए वहां पहुंच गए.

कान और खून वाली जगह उन्होंने भी देखी, पर एक अकेले कान को देख कर कुछ कहा नहीं जा सकता था कि कान किस का होगा. खेत में कुछ दूरी पर खून से सनी एक चप्पल देख कर हरबंशलाल के मुंह से चीख निकल गई. वह कान को भले ही नहीं पहचान पाए थे, पर वह चप्पल उन के बेटे हनी की थी. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने खुद वह चप्पल हनी को खरीद कर दी थी.

कान वाली जगह से खून टपकता हुआ खेत के बाहर तक गया था. सभी ने टपकते खून का पीछा किया तो वह नहर के किनारे तक टपका हुआ मिला. अनुमान लगाया गया कि मरने वाला जो भी था, उस की हत्या करने के बाद लाश को ले जा कर नहर में फेंक दिया गया था.

कुछ लोग गोताखोरों को बुलाने चले गए तो कुछ लोग पुलिस को सूचना देने थाने चले गए. पर गोताखोर और पुलिस आती, उस के पहले ही अपनी दोस्ती का फर्ज निभाते हुए रमेश और राजन नहर में कूद गए और लाश ढूंढने लगे.

सूचना मिलने पर थाना फिल्लौर के थानाप्रभारी राजीव कुमार अपनी टीम के साथ नहर पर पहुंच गए. गोताखोर भी आ कर नहर में लाश ढूंढने लगे. कुछ देर बाद गोताखोर नहर से लाश निकाल कर बाहर आ गए. लाश देख कर हरबंशलाल पछाड़ खा कर गिर गए. क्योंकि वह लाश और किसी की नहीं, उन के बेटे हनी की थी.

थानाप्रभारी ने लाश मिलने की सूचना अधिकारियों को दे दी. सूचना पा कर डीएसपी (फिल्लौर) बलविंदर इकबाल सिंह, सीआईए इंचार्ज हरिंदर गिल भी मौके पर पहुंच गए. लाश का मुआयना करने पर उस का एक कान गायब मिला. गरदन भी पूरी तरह कटी हुई थी. वह सिर्फ खाल से जुड़ी थी.

लाश व कान को बरामद कर पुलिस काररवाई में जुट गई. खेत से खूनआलूदा मिट्टी भी अपने कब्जे में ले कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. पुलिस ने हरबंशलाल की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी.

15 साल के हनी की हत्या के विरोध में लोगों ने बाजार बंद कर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. सूरक्षा की दृष्टि से एसपी (जालंधर) बलकार सिंह ने फिल्लौर और शाहपुर में भारी मात्रा में पुलिस तैनात कर दिया. इस के अलावा एसपी ने लोगों को आश्वासन दिया कि जल्द ही केस का खुलासा कर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

society

उन के आश्वासन के बाद लोग शांत हुए. एसपी बलकार सिंह ने डीएसपी गुरमीत सिंह और डीएसपी बलविंदर इकबाल सिंह की अगुवाई में पुलिस टीमों का गठन किया, जिस में सीआईए इंचार्ज हरिंदर गिल, एसआई ज्ञान सिंह, एएसआई लखविंदर सिंह, परमजीत सिंह, हंसराज सिंह, हवलदार राजिंदर कुमार, निशान सिंह, प्रेमचंद और सिपाही जसविंदर कुमार को शामिल किया गया.

पुलिस ने सब से पहले मृतक हनी के यारदोस्तों से पूछताछ की. इस में निशा को ले कर रमेश और राजन की नाराजगी वाली बातें निकल कर सामने आईं. यह बात भी सामने आई कि इस हत्या से एक दिन पहले रमेश और हनी के बीच जम कर कहासुनी हुई थी.

संदेह के आधार पर पुलिस ने रमेश को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. पर उस की हिमायत में लगभग पूरा गांव थाने पहुंच गया. दबाव बढने पर पुलिस को तफ्तीश बीच में छोड़ कर उसे घर भेजना पड़ा.

हरबंशलाल ने अपने बयान में बताया था कि रात को जिस समय वह उसे तलाश रहे थे, उन्होंने अपने फोन से हनी को कई बार फोन किया था, पर हर बार फोन बंद मिला था. थानाप्रभारी राजीव कुमार ने हनी के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर चेक की तो उस में अंतिम फोन रमेश के फोन से गई थी.

रमेश के अलावा 4 नंबर और भी थे. डीएसपी गुरमीत सिंह ने राजन, रमेश सहित उन चारों लड़कों को उठवा लिया. इस बार थाने के बजाय उन्हें किसी अन्य जगह ले जाया गया. वहां हनी की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई तो रमेश अधिक देर तक नहीं टिक सका. उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए हनी की हत्या की जो सनसनीखेज कहानी सुनाई, उसे सुन कर सभी सन्न रह गए.

रमेश और हनी के बीच निशा को ले कर खींचातानी चल रही थी. निशा और रमेश, दोनों के दिलों में इस बात को ले कर एक डर बैठा हुआ था कि हनी कभी भी उन की पोल गांव वालों या निशा के मांबाप के सामने खोल सकता है. ऐसा ही हुआ भी. हनी ने 7 जुलाई को जब निशा के घर वालों को निशा और रमेश के संबंधों की बात बता दी तो रमेश यह सहन नहीं कर सका.

रमेश ने उसी समय राजन के साथ मिल कर हनी को रास्ते से हटाने की योजना बना डाली. निशा को समझा कर उसे घर भेजते समय रमेश ने कहा, ‘‘तू चिंता मत कर, जल्द ही हनी की दर्दनाक चीखों की आवाज तेरे कानों को सुनाई देगी.’’

और फिर उसी शाम वह अपना फोन निशा के घर जा कर जबरदस्ती उसे दे आया. निशा की मां ने उस समय उसे बहुत डांटा था, पर वह वहां से भाग गया था. रमेश और राजन यह बात अच्छी तरह जानते थे कि हनी शाम को किस समय हवेली में चारा लेने जाता है.

दोनों दातर (दरांती) ले कर 8 जुलाई को हनी के पीछेपीछे पहुंच गए. हनी शाम 8 बजे जैसे ही हवेली से  घर जाने के लिए निकला दोनों ने उस का रास्ता रोक कर दोस्ताना लहजे में  कहा, ‘‘सौरी यार हनी, बेवजह तेरे साथ गरमागरमी कर ली, यार हमें माफ कर दे. हमें निशा से बात करने में कोई ऐतराज नहीं. तू कहे तो अभी के अभी तेरी निशा से बात करा दूं.’’

बात करतेकरते दोनों हनी को खेतों की तरफ ले गए. चलते हुए रमेश ने अपने उस फोन का नंबर मिलाया, जो वह निशा को दे आया था. उधर से जब निशा ने फोन उठाया तो रमेश ने कहा, ‘‘निशा, लो अपने पुराने साथी से बात करो.’’

हनी फोन अपने कान से लगा कर निशा से बातें करने लगा, तभी रमेश ने पीछे से दातर का एक भरपूर बार हनी के उस कान पर किया, जिस पर उस ने फोन लगा रखा था. एक ही वार में हनी का कान कट कर दूर जा गिरा और उस के मुंह से एक जोरदार चीख निकली.

इस के बाद रमेश और राजन ने यह कहते हुए हनी पर लगातार वार करने शुरू कर दिए कि ‘‘साले और कर निशा से बात.’’

हनी कटे हुए पेड़ की तरह जमीन पर गिर गया. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. हनी की हत्या कर के राजन और रमेश ने उस की लाश को घसीट कर पास वाली नहर में फेंक दिया और अपनेअपने घर चले गए.

पुलिस ने 11 जुलाई, 2017 को रमेश और राजन को हनी की हत्या के अपराध में गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया. रमेश की उम्र 17 साल और राजन की उम्र 15 साल थी. अब यह अदालत तय करेगी कि उन पर काररवाई कोर्ट में चलेगी या बाल न्यायालय में.

रिमांड के बीच पुलिस ने वह दातर बरामद कर लिया था, जिस से हनी की हत्या की गई थी. इस के बाद पुलिस ने रमेश और राजन को बाल न्यायालय में पेश कर बालसुधार गृह भेज दिया.

पुलिस ने पूछताछ के लिए निशा को भी थाने बुलाया था कि इस अपराध में उस की भी तो कोई भूमिका नहीं है? पर थाने आते ही वह डर के मारे बेहोश हो गई. पुलिस ने उसे अस्पताल में भरती कराया. उस की हालत में सुधार होने पर उस से पूछताछ की गई, पर वह बेकुसूर थी, इसलिए उसे घर भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रमेश, राजन तथा निशा बदले हुए नाम हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें