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एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से लगातार जिस तरह की खबरें आ रही हैं उसे देखते हुए हर कोई यही कहता दिख रहा है कि 2018 इस इंडस्ट्री के लिए सही नहीं है. 2018 का यह साल हादसे का साल बन गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीदेवी के निधन के बाद अब इंडस्ट्री से एक और बुरी खबर आयी है. इश्कबाज के फैंस के लिए यह बेहद ही बुरी खबर है.
टीवी सीरियल ‘इश्कबाज’ के प्रौड्यूसर संजय बैरागी ने एक बिल्डिंग की 16वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कि वह आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे और पिछले काफी वक्त से परेशान थे, जिसका उन्होंने सुइसाइड नोट में भी जिक्र किया है.
पुलिस के मुताबिक, संजय बैरागी ने शुक्रवार की शाम जनकल्याण नगर में सिलिकौन वैली बिल्डिंग से कूदकर अपनी जान दे दी. पहले कहा जा रहा था कि संजय को कार्डिऐक अरेस्ट हुआ जिसके बाद उन्होंने अपना संतुलन खो दिया और गिर पड़े लेकिन शुरुआती जांच में खुलासा हुआ कि उन्होंने आत्महत्या की है.
बताया जा रहा है कि जिस दिन यह हादसा हुआ, संजय अपने दोस्तों और परिजनों के साथ होली खेलने गए थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर इसके फोटोज भी शेयर किए थे.
शिवाय सिंह ओबेरौय का किरदार निभाने वाले नकुल मेहता ने भी इस घटना के बारे में कुछ भी बात करने से इनकार कर दिया. फिलहाल शो की टीम को इसकी असली वजह नहीं पता. शो की टीम इस हादसे से पूरी तरह से हिल गई है.
बहरहाल, छोटे पर्दे के ऐसे कई कलाकार हैं जो शूटिंग के दौरान अपनी जान गंवाने से बचे हैं. ईइये जानते हैं उनके बारें में-
जिज्ञासा सिंह
थपकी प्यार की मैं टाइटल किरदार की भूमिका निभाने वाली जिज्ञासा सिंह एक्सीडेंट हो गया है. उनके आगे के तीन दांत टूट गए हैं. मुंह के अंदर टांके भी आए हैं.
रश्मि देसाई
रश्मि देसाई का एक्सीडेंट दिल से दिल तक के सेट पर हुआ था.
आर्यन पंडित
नागिन 2′ में करनवीर वोहरा के कजिन ब्रदर रौकी का किरदार निभाने वाले एक्टर आर्यन पंडित के साथ सेट पर बड़ा हादसा हो गया. आर्यन के हाथ में चोट लगने के बाद उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया.
करिश्मा तन्ना
नागार्जुन-एक योद्धा’ की शूटिंग के दौरान करिश्मा तन्ना एक हादसे का शिकार हो गईं. दरअसल टीवी शो की शूटिंग करते हुए साड़ी पहनना करिश्मा तन्ना के लिए बेहद अजीब स्थिति हो गई, जब वह जमीन पर पड़े तारों में उलझ कर गिर पड़ीं.
कुशाल टंडन
बेहद शो की शूटिंग के दौरान लगी आग में कुशाल के हाथ जल गए थे. उन्होंने जेनिफर की जान भी आग से बचाई थी.
श्वेता बसु
चंद्रनंदनी लीड एक्ट्रेस श्वेता बसु शूटिंग के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गईं. श्वेता सीढ़ियों से उतर रही थीं और उनका पैर फिसल गया. इसके चलते वो लुढ़कती हुई नीचे आ गईं. इससे उनके सिर में चोट लग गई और आंखों में भी सूजन आ गई.
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घूमने-फिरने का शौक रखने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. मलेशियाई विमानन कंपनी एक बड़ा औफर लेकर आयी है. जी हां, मलेशियाई कंपनी एयर एशिया ने अपने ग्राहकों को फ्लाइट के टिकटों पर बंपर छूट देने का ऐलान किया है. एयर एशिया ने अपने ‘बिग सेल’ स्कीम के जरिये फ्लाइट टिकट पर 90 फीसदी तक की छूट दे रही है. इसके अलावा कंपनी अपने बिग मेंबर्स को गिफ्ट्स तथा अन्य सुविधाएं भी दे रही है. स्कीम से जुड़ी जानकारियां एयर एशिया की अधिकारिक वेबसाइट airasia.com पर उपलब्ध है.
बता दें कि एयर एशिया का यह बिग सेल औफर सिर्फ उन लोगों के लिए है जिन्होंने कंपनी का बिग लौयल्टी मोबाइल ऐप पर डाउनलोड कर रखा है. एयर एशिया के मुताबिक बिग लौयल्टी स्कीम एयर एशिया के बिग मेंबर्स के लिए एक तरह का रिवार्ड प्रोग्राम है. कंपनी की ओर से यह औफर सीमित समय 11 मार्च तक है. आप 11 मार्च या उससे पहले टिकट की बुकिंग कर 3 सितंबर से 28 मई 2019 तक यात्रा कर सकते हैं.
अपने नए औफर को लेकर एयर एशिया ने कहा कि नए औफर में हवाई यात्रा के किरायों में तकरीबन 90 प्रतिशत की छूट देने का फैसला किया गया है. इसके अलावा बिग मेंबर्स के लिए एक्सक्लुसिव औफर्स, गिफ्ट्स और भी बहुत सारे फायदे देने की योजना है. एयर एशिया ने कहा कि उपभोक्ता बिग सेल में भाग लें और हर महीने फ्लाइट टिकट के 90 प्रतिशत खर्चे बचाने के लिए एयर एशिया के फाइनल कौल सेल का इंतजार करें.
वेबसाइट में कहा गया है कि इसमें बिग मेंबर्स को एक बिग मेंबर आईडी जारी की गई है जिससे वे बिग लौयल्टी के अंतर्गत बिग प्वाइंट्स हासिल कर सकेंगे. एयर एशिया से 120 एक्साइटिंग डेस्टिनेशन्स को उड़ान भरने के लिए बिग प्वाइंट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है.
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टेलीकौम कंपनी रिलायंस जियो चुनिंदा यूजर्स को 10GB अतिरिक्त डाटा औफर कर रही है. यह एड-औन बेनिफिट 30 मार्च 2018 तक उपलब्ध होगा. यह जियो के प्राइम सब्सक्रिप्शन खत्म होने से एक दिन पहले की तारिख है. जियो के इस औफर के बाद आइडिया भी औफर लेकर आई है.
जियो की औफर डिटेल्स
जियो द्वारा दिए जा रहे इस अतिरिक्त डाटा का लाभ करंट प्लान खत्म होने के बाद भी उठाया जा सकता है. जियो समय-समय पर यूजर्स को अपने साथ बनाए रखने के लिए औफर्स पेश करता रहता है. हाल ही में कंपनी ने 398 रुपये या उससे अधिक का रिचार्ज करने पर 799 रुपये तक का कैशबैक औफर किया था. फिलहाल, अन्य टेलिकौम कंपनियों के प्लान की तुलना में जियो के सबसे सस्ते सस्ते प्लान हैं. उम्मीद है की कंपनी 30 मार्च के बाद प्राइम मेम्बरशिप के औफर भी पेश कर सकती है.
JioTV users by providing a complimentary 10 GB data pack to all its JioTV users, which will last for 28 days from today. Add On – 10 GB has been added to JioTV active users. The plan is directly added into stack and validity is till 27th March 2018. – Nirav(2/2)
कंपनी 399 रुपये से अधिक का रिचार्ज करवाने पर 400 रुपये से अधिक का कैशबैक दे रही है. इसी के साथ कंपनी का पेटीएम, फ्रीरिचार्ज, मोबिक्विक आदि वौलेट्स के साथ टाई-अप भी है. इसमें अलग-अलग रिचार्ज पर अलग-अलग औफर मिल रहा है.
हालांकि, आपको बता दें, एक रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त 10GB डाटा कुछ यूजर्स को ही मिलेगा. इस अतिरिक्त डाटा को ग्राहक दुकान या कस्टमर केयर से हासिल नहीं कर सकते हैं. लेकिन, कुछ उपयोगकर्ताओं का कहना है कि उन्हें यह डाटा 1299 से टोल-फ्री कौल करके मिला है.
टेलिकौम कंपनियां दे रहीं अन्य औफर
आपको बता दें, जियो को टक्कर देने के लिए अन्य टेलिकौम कंपनियां अलग-अलग औफर लेकर आ रही हैं. स्मार्टफोन सेगमेंट में अपना कस्टमर बेस बढ़ाने के इरादे से भारती एयरटेल और वोडाफोन मिलकर सैमसंग के फोन पर कैशबैक औफर्स दे रही हैं. यह कैशबैक औफर सैमसंग गैलेक्सी की जे सीरीज डिवाइसेज पर उपलब्ध है. कैशबैक अधिकतम 1500 रुपये का होगा.
एयरटेल जिन स्मार्टफोन्स पर यह स्कीम दे रहा है उनमें गैलेक्सी जे2 (2017), गैलेक्सी जे5 प्राइम, गैलेक्सी जे7 प्राइम और गैलेक्सी जे7 प्रो शामिल हैं. इन स्मार्टफोन्स की कीमत 6990 रुपये से 19900 रुपये के बीच में है. वहीं, इस औफर के तहत वोडाफोन जिन स्मार्टफोन पर कैशबैक देगा उनमें गैलेक्सी जे2प्रो जिसकी कीमत 8490 रुपये, गैलेक्सी जे7 नेक्स्ट जिसकी कीमत 10490 रुपये और गैलेक्सी जे7 जिसकी कीमत 16900 रुपये है.
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स्टैंडअप व टीवी में कौमेडी के अलावा सुनील ग्रोवर फिल्मों में भी कई सशक्त भूमिकाएं निभा चुके हैं. 6 साल पहले सायलैंट कौमेडी वाले सीरियल ‘गुटरगूं’ से चर्चा में आए सुनील ग्रोवर को मशहूर व्यंग्यकार जसपाल भट्टी की खोज माना जाता है. पर उन्हें रातोंरात स्टार बनाया कपिल शर्मा के शो ने. इस शो में उन के द्वारा किए गए महिला के किरदार गुत्थी ने उन्हें स्टार बना दिया. हालांकि बाद में कपिल शर्मा के साथ उन का विवाद हुआ और वे इस शो से अलग हो गए. कपिल शर्मा से अलगाव के बाद सुनील ग्रोवर नया कौमेडी शो ले कर भी आए, पर वैसी सफलता नहीं मिली.
2017 में वे फिल्म ‘कौफी विथ डी’ में पत्रकार की मुख्य भूमिका में नजर आए. इस से पहले वे फिल्म ‘बागी’ में श्रद्धा कपूर के पिता के किरदार सहित कुछ दूसरी फिल्में भी कर चुके हैं. फिलहाल वे स्टेज शो व इवैंट में ही ज्यादा व्यस्त हैं. 2017 में फोर्ब्स पत्रिका की सौ सैलिब्रिटीज की सूची में स्टैंडअप कौमेडियन सुनील ग्रोवर 77वें नंबर पर हैं.
स्टैंडअप कौमेडियन बनने को ले कर वे बताते हैं, ‘‘मैं पंजाब व हरियाणा सीमा पर स्थित डवाली गांव से हूं. वहां से चंडीगढ़ अभिनय की ट्रेनिंग लेने गया. फिर दिल्ली आ गया. दिल्ली से मुंबई. दिल्ली में एक समाचार चैनल में नौकरी भी की. मुंबई में अभिनेता बनने के लिए काफी संघर्ष किया. फिर मैं विज्ञापनों से जुड़ गया. कुछ फिल्मों में अपनी आवाज भी दी. उस से पहले मैं ने चंडीगढ़ के ड्रामा स्कूल से ड्रामा की ट्रेनिंग ली. वहां मैं ने कई गंभीर विषयों या दारूण कथा बयां करने वाले नाटकों में अभिनय किया.
‘‘जसपाल भट्टी के साथ मैं हास्य के लाइव शो किया करता था यानी चंडीगढ़ में थिएटर पर लोगों को रुलाना और स्टेज पर हंसाना, यही मेरा विरोधाभासी काम था तो 2 विषयों को ले कर मेरी ट्रेनिंग बहुत अच्छी हुई. मैं दोनों चीजें कर रहा था. मुझे यह नहीं पता था कि मेरे कैरियर की शुरुआत कहां से किस रूप में होगी. मिमिक्री मैं बहुत किया करता था. फिर मैं ने एक फिल्मी चैनल पर एक कार्यक्रम ‘लल्लन’ किया. कौमेडी में पहचान बन गई. फिर कपिल शर्मा के शो से मुझे काफी शोहरत मिली.
‘‘जहां तक स्टैंडअप कौमेडियन बनने का सवाल है, तो स्टैंडअप कौमेडियन बनने के लिए हमारे देश में कोई इंस्टिट्यूट तो है नहीं. हमें खुद ही यह कला अपने अंदर विकसित करनी पड़ी. वास्तव में चंडीगढ़ में जसपाल भट्टी से मेरी मुलाकात हुई थी. उन्होंने मेरा पहला औडिशन लिया था. उन से मैं ने ह्यूमर के बारे में बहुतकुछ सीखा. उन से मैं ने सीखा कि क्राफ्टेड ह्यूमर क्या होता है. उन की सीख का ही परिणाम है कि मैं लोगों के चेहरों पर मुसकान लाने में कामयाब हो पाया हूं.’’
अभिनय को कैरियर बनाने की वजह को ले कर सुनील कहते हैं, ‘‘मेरे दिमाग, मेरे शरीर में अभिनय था. बचपन से ही बड़ा बनना चाहता था- डाक्टर, इंजीनियर या पायलट वगैरह. एक जीवन में ये सब बन नहीं सकता था. पर कलाकार के तौर पर मैं सबकुछ बन सकता हूं, इसलिए मैं ने अभिनय को चुना. लेकिन मैं लोगों के लिए हास्य का डाक्टर हूं. लोगों को मेरे हंसाने से फायदा होता है. हमारे हंसाने से उन्हें तनाव से मुक्ति मिलती है तो मुझे खुशी होती है कि मेरा योगदान किसी न किसी रूप में समाज के लिए हो रहा है.’’
वे आगे कहते हैं, ‘‘पहले हमें लगता था कि हम अभिनय का यह काम अपने लिए कर रहे हैं. मकान, गाड़ी खरीदनी है वगैरहवगैरह. फिर समझ आया कि हम इस दुनिया में इसलिए आए हैं कि समाज में जा कर लोगों के चेहरों पर मुसकान ला सकें.’’
कपिल शर्मा के शो से अलग होने के विवाद व नए शो को ले कर उन का कहना है, ‘‘वह शो मैं ने नहीं बनाया था. पर कपिल शर्मा के शो से अलग होने पर जब मैं बेरोजगार था, तब मुझे यह शो मिला था. पर चला नहीं, क्योंकि बहुत बेकार शो था. हालांकि हम सभी ने मेहनत की थी.’’
टीवी से दूर होने पर उन का मानना है, ‘‘मुझे इस का कोई गम नहीं है. जब आप किसी प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं तो एक यात्रा चलती रहती है. नएनए शो आते हैं. वे कुछ समय बाद बंद हो जाते हैं. हम दूसरे शो के साथ जुड़ते हैं. यह सब चलता रहता है, लेकिन एक वक्त ऐसा आता है जब आप महसूस करते हैं कि आप को इस पर नए सिरे से विचार करने के लिए, जिंदगी में उस की जरूरत को समझने के लिए समय चाहिए. इसलिए आप कुछ समय के लिए उस से दूरी बना लेते हैं.’’
वे कहते हैं, ‘‘सच कहूं तो कई माह से टीवी से दूर रहते हुए भी मैं दोस्तों, रिश्तेदारों, प्रशंसकों के उन सवालों के जवाब देने में व्यस्त रहा, जिन्हें मैं खुद नहीं समझ सका. पर मेरी समझ में यह आया कि टीवी ने मुझे लोगों के बीच ढेर सारा प्यार, मानसम्मान बख्शा है. मुझे उस वक्त गर्व का एहसास होता है जब लोग मुसकरा कर मेरा स्वागत करते हैं. कपिल शर्मा का कौमेडी शो छोड़ने के बाद मैं ने ढेर सारे इवैंट किए और बहुत यात्राएं कीं. इन इवैंट और यात्राओं के दौरान मैं ने महसूस किया कि मेरे आसपास कितना प्यार है. फिर मेरी समझ आया कि मुझे अपने प्रशंसकों के लिए टीवी पर शो करते रहना चाहिए.’’
टीवी के कौमेडी शो बहुत कम चल पाते हैं, इस सवाल पर वे मानते हैं, ‘‘हर फिल्म भी सुपरहिट नहीं होती. मेरी राय में एक कलाकार को अपने यकीन के अनुसार लगातार काम करते रहना चाहिए. हम अपने अनुभवों के आधार पर जो ठीक समझते हैं, वही बनाते हैं. हमें नहीं पता होता कि कौन सी बात दर्शकों को पसंद आएगी. इसलिए हरदम कुछ नया करने का प्रयास करते हैं. आज का दर्शक बहुत समझदार है. कई बार हम हंसते हैं और समझते हैं कि वे इसे नहीं समझ पाए, मगर दर्शक हमें गलत साबित कर देते हैं. आखिरकार, हम हर शो अपने देश के लोगों के लिए ही बनाते हैं.’’
कौमेडी करना कितना आसान या मुश्किल है, इस बाबत सुनील कहते हैं, ‘‘कौमेडी सब से ज्यादा कठिन काम है. कौमेडी वही कर पाते हैं, जो हर लमहे में ह्यूमर तलाशते हैं. वे अपने आसपास के माहौल से कौमेडी निकाल लेते हैं. हर इंसान की जिंदगी में कुछ न कुछ तकलीफें होती हैं. उन तकलीफों के बीच खुश रह कर कौमेडी को जन्म देने वाला ही असली हास्य कलाकार है. अच्छे हास्य के लिए अच्छे लेखक व माहौल की जरूरत होती है.’’
लोगों को हंसाना जरूरी क्यों मानते हैं. इस पर सुनील का कहना है, ‘‘डाक्टर व मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि मुसकराहट एक कला है. मुसकराहट का ही अगला पायदान है, हंसना और हंसाना. हंसना तो वायरल की तरह है. एक इंसान हंसता है, तो उसे देख कर दूसरे को भी हंसी आ ही जाती है. हंसी तो जीने का टौनिक है. तनाव व दिल की बीमारी से छुटकारा पाने का आसान तरीका है हंसना और हंसाना. इसलिए, मेरी राय में हर इंसान को हंसाते रहना चाहिए.’’
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भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआइ) से निलंबित किए गए अर्जुन अवौर्ड विजेता और पैरा तैराकी प्रशिक्षक प्रशांत कर्माकर ने पीसीआई के उपाध्यक्ष गुरुचरण सिंह व पैरा तैराकी अध्यक्ष विरेंद्र कुमार डबास पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने अपनी निजी दुश्मनी के कारण यह सब साजिश की है.
कर्माकर की इनसे लंबी लड़ाई रही है. उन्होंने कहा कि 2002 एशियन खेलों व 2006 एशियन व कौमनवेल्थ खेलों में मेरा नाम शामिल नहीं किया गया था. जब मैंने इसकी शिकायत की तो 2010 कौमनवेल्थ व एशियन खेलों में खेलने का मौका मिला और पदक जीते. इसी तरह 2014 एशियन खेलों में मैंने देश के लिए पदक जीते. 2011 में मुझे 2012 लंदन ओलंपिक की तैयारी के लिए भारत सरकार ने पैसा दिया लेकिन पीसीआइ के कोषाध्यक्ष गुरुचरण सिंह ने मुझे पैसा नहीं दिया. जबकि पीसीआइ महासचिव ने गुरुचरण सिंह को पत्र लिख कर मेरे पैसे देने को कहा था.
कर्माकर ने कहा कि कुछ लोग पीसीआइ के माध्यम से विदेश गए हैं और वापस भारत नहीं आए. इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने पीसीआइ में आवाज उठाई है और इन सब भ्रष्टाचार में यह लोग शामिल है. इन्होंने एक खिलाड़ी के 30 हजार रुपये खाए तो मैंने पत्र लिखा था कि खिलाड़ी के पैसे क्यों नहीं दिए गए. कर्माकर ने कहा कि वैसे वीडियो रिकौर्डिंग मैंने नहीं की थी बल्कि उस खिलाड़ी के पिता ने वीडियो बनाया है.
बता दें कि भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआइ) ने प्रशांत कर्माकर को पिछले साल जयपुर में हुई 16वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप के दौरान महिला पैरा तैराकों का वीडियो बनाने, गलत आचरण और मारपीट का दोषी पाते हुए तीन साल के लिए निलंबित कर दिया था.
कर्माकर ने कथित तौर पर अपने एक सहयोगी को प्रतियोगिता के दौरान महिला तैराकों की फिल्म बनाने के लिए कहा. इन तैराकों के परिजनों ने इस पर आपत्ति जतायी जिसके बाद इस सहयोगी ने पीसीआई में पैरा तैराकी के चेयरमैन वीके डबास से कहा कि कर्माकर ने उन्हें तैराकों की फिल्म बनाने के निर्देश दिए थे.
पीसीआई ने दावा किया कि कर्माकर को भी अपने ट्राइपोड कैमरा से महिला तैराकों का वीडियो बनाते हुए पकड़ा गया था. पीसीआई ने कहा, ‘‘कर्माकर को चेयरमैन ने बुलाया तो उन्होंने गुस्से में चेयरमैन और पीसीआई के अन्य पदाधिकारियों से कहा कि उन्होंने उनके साथी को वीडियो बनाने से क्यों रोका. उन्हें बताया कि इस पर तैराकों के परिजनों ने आपत्ति जतायी थी.’’
विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘कर्माकर ने पीसीआई पदाधिकारियों से लिखित आपत्ति दिखाने के लिए कहा. परिजनों ने तुरंत ही लिखित शिकायत की. कर्माकर ने डबास और हरियाणा के महिपाल सिंह आर्य के साथ बहस की और कहा कि वह अर्जुन पुरस्कार विजेता है तथा उन्होंने तैराकों की वीडियो रिकौर्डिंग डिलीट करने से इंकार कर दिया.’’
इस 37 वर्षीय तैराक को पुलिस ने हिरासत में लिया था, लेकिन वीडियो और फोटो डिलीट करने पर सहमति जताने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप पिछले साल 31 मार्च से तीन अप्रैल तक जयपुर में हुई थी. अर्जुन अवौर्ड के अलावा ध्यानचंद खेल पुरस्कार, भीम अवौर्ड और कोलकाता श्री अवौर्ड पाने वाले प्रशांत ने 2006, 2010 व 2014 एशियन गेम्स में पदक जीते थे. कोलकाता के रहने वाले और हरियाणा खेल विभाग में कार्यरत प्रशांत 2016 रियो पैरा ओलंपिक में तैराकी टीम के कोच थे.
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देश में विमानन सेवा कारोबार को पंख लग रहे हैं. इस की वजह है घरेलू विमानन सेवा में बढ़ी प्रतिस्पर्धा. इसी से विमान किराए में भारी कमी आई है. देश में विमान यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. बीते वर्ष 11 करोड़ 71 लाख यात्रियों ने हवाई यात्रा की जो 2016 से 17.31 प्रतिशत अधिक है. विमान सेवा में साल 2014 से लगातार वृद्धि हो रही है और लगातार 39 महीने से यात्री विमानों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. भारत में 2016 में यात्री वृद्धि दर 23.5 दर्ज की गई जबकि चीन में यह दर 10.7 प्रतिशत और अमेरिका में 3.3 प्रतिशत है. इस के साथ ही भारत दुनिया का तीसरा सब से बड़ा विमान बाजार बन गया है.
देश में उड़ान क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दूरदराज के क्षेत्रों के लिए उड़ान सेवा शुरू की है. भारत टिकटों की बिक्री के आधार पर दुनिया का तीसरा सब से बड़ा बाजार बन गया है. इस बात का आर्थिक सर्वेक्षण में भी उल्लेख किया गया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 29 जनवरी को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था जो देश की अर्थव्यवस्था का असली दर्पण होता है. देश में बदलते परिवेश से यह स्वाभाविक है, क्योंकि लोगों की क्रयशक्ति में जबरदस्त इजाफा हो रहा है और विमानन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ी है जिस से यात्री टिकट की लागत कम हो रही है और इस का सीधा लाभ आम उपभोक्ता को मिल रहा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि हवाई यात्रियों की बढ़ती तादाद को देखते हुए सरकार विमानन क्षेत्र की जरूरतों पर खास ध्यान देगी.
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देश के शहरों में ऊंचे मकानों के बारे में सरकार अब एक सकल योजना पर विचार कर रही है. सरकार का विचार है कि बजाय शहरों को चारों ओर फैलाने के, उन्हें ऊंचा करना ठीक होगा ताकि कम जमीन पर ज्यादा लोगों को बसाया जा सके. आजकल ज्यादातर शहरों में एक या दोमंजिले मकान ही हैं और हाल ही में 4 मंजिलों की इजाजत दी गई है.
यूरोप के देशों में सदियों से 4-5 मंजिले मकान बनाने का रिवाज रहा है और वहां ही लिफ्ट ईजाद की गई थी. लकड़ी के बहुमंजिले मकान चीन व जापान में बहुत बनते थे पर हमें, वास्तु का पंडिताई ज्ञान चाहे हो, वास्तुकला का व्यावहारिक ज्ञान नहीं था और ऊंचे मकान बनाना खतरे से खाली न था.
देश की अव्यवस्था का आलम यह है कि मकान की जमीन मालिक की है पर पुलिस, कौर्पोरेशन, बैंक और अब पर्यावरण सुरक्षा, पुरातत्त्व सुरक्षा वाले भी उस पर जमने लगे हैं. नतीजा यह है कि मकान गांवों में बनते हैं जहां वे बेतरतीब होते हैं और कुछ सालों में स्लम सा बन जाते हैं और जहां सड़कें न के बराबर होने की वजह से जाने के लिए घंटों लगते हैं.
ऊंचे मकान हों तो लोग 5-6 मंजिल उतर कर पैदल ही दफ्तरों तक पहुंच सकते हैं. पटरी बनाने की लागत सड़क, बस, ट्रेन और मैट्रो बनाने की अपेक्षा बहुत कम होती है. नागरिकों को साफ हवापानी मिले, इस के लिए बनाए गए ज्यादातर नियम गले की हड्डियां बने हुए हैं. नागरिकों को अपने फैसले खुद लेने ही नहीं दिए जा रहे.
जहां बहुमंजिली इमारतें बनी हैं, जैसे मुंबई, वहां वर्षों तक रिहायशी मकानों की कमी नहीं थी और सड़कों पर भीड़ भी नहीं थी. 1947 तक मुंबई की सड़कें 4-5 मंजिलों वाले मैरीन ड्राइव, बैलार्ड एस्टेट, कोलाबा, फोर्ट एरिया में साफ, बिना एन्क्रोचमैंट वाली थीं. जब देशी शासक आए तो उन्हें हर लहर को गिनने के बहाने ऊपरी कमाई के अवसर ढूंढ़ने थे और इसीलिए बहुमंजिले मकानों पर रोक लगी.
शहरों, छोटीबड़ी बस्तियों में ऊंचे मकानों की इजाजत हमेशा होती तो सड़कों पर आज की तरह की भीड़ न होती. लोग गाडि़यां खरीदते ही नहीं. एक मकान में 100 घर होते तो भाईचारा ज्यादा रहता. बच्चों को दोस्त मिलते, बुढ़ापे में अकेलापन न महसूस होता.
ऊंची बिल्डिंगों की लागत शुरू में चाहे ज्यादा हो, आखिरकार वे फायदेमंद ही होंगी. सरकार को खुलेमन से इन नियमों में ढील देनी चाहिए. सिवा सीवर के प्रबंध करने के सरकार को कहीं कोई बंदिश नहीं लगानी चाहिए. धूप व हवा की जरूरत से ज्यादा उस से बचने के लिए छत जरूरी है. यह तभी संभव है जब सरकार सारे नियम वापस ले और जनता को अपने ऊपर छोड़ दे.
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बांझपन सिर्फ औरतों की ही समस्या नहीं रह गई है, बल्कि तकरीबन 50 फीसदी शादीशुदा जोड़ों में से मर्दों में भी नामर्दी के मामले देखे गए हैं. ऐसा पाया गया है कि हर 3 में से एक मर्द कमोबेश नामर्दी की समस्या से पीडि़त रहता है.
बेऔलाद जोड़ों की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है क्योंकि नामर्दी के चलते मर्द अपनी पत्नी को पेट से करने में नाकाम होते हैं. वैसे, अगर गर्भनिरोधक उपाय आजमाए बगैर एक साल तक हमबिस्तरी करने पर भी जब बच्चा नहीं ठहरता है तो इसे शुक्राणुओं की समस्या के चलते नामर्दी मान लिया जाता है.
आमतौर पर इस तरह की समस्या कमजोर शुक्राणु के चलते होती है जबकि बच्चा ठहरने के लिए शुक्राणु
की ही जरूरत पड़ती है. ऐसे मामलों में औरतों की फैलोपियन ट्यूब तक शुक्राणु पहुंच ही नहीं पाते हैं और कई कोशिशों के बावजूद औरत पेट से होने में नाकाम रहती है.
इस समस्या के लिए कई बातें जिम्मेदार होती हैं. खास वजह धूम्रपान और ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करना है. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि गठीला बदन बनाने के लिए लड़के कम उम्र से ही स्टेरौयड और दूसरी दवाओं का सेवन करने लग जाते हैं. इस वजह से बाद की उम्र में उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ जाता है. बहुत ज्यादा कसरत और डायटिंग के लिए भूखे रहने जैसी आदतें भी इस की खास वजहें हैं.
नौजवानों में तेजी से बढ़ते तनाव और डिप्रैशन के साथसाथ प्रदूषण और गलत लाइफस्टाइल के चलते एनीमिया की समस्या भी मर्दों में नामर्दी की वजह बनती है. इनफर्टिलिटी से जुड़े सब से बुरे हालात तब पैदा होते हैं जब मर्द के वीर्य में शुक्राणु नहीं बन पाते हैं. इस को एजूस्पर्मिया कहा जाता है. तकरीबन एक फीसदी मर्द आबादी भारत में इसी समस्या से पीडि़त है.
हमारे शरीर को रोज थोड़ी मात्रा में कसरत की जरूरत होती है, भले ही वह किसी भी रूप में क्यों न हो. इस से हमारे शारीरिक विकास को बढ़ावा मिलता है.
हालांकि कसरत के कई अच्छे पहलू भी हैं. मगर इस के कुछ बुरे पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है जिन की तरफ कम ही लोगों का ध्यान जाता है. मसलन, औरतों का ज्यादा कसरत करना बांझपन की वजह भी बन सकता है. वैसे, कसरत करने के कुछ फायदे इस तरह से हैं:
दिल बने मजबूत : हमारे दिल की हालत सीधेतौर पर इस बात से जुड़ी होती है कि हम शारीरिक रूप से कितना काम करते हैं. जो लोग रोजाना शारीरिक रूप से ज्यादा ऐक्टिव नहीं रहते हैं, दिल से जुड़ी सब से ज्यादा बीमारियां भी उन्हीं लोगों को होती हैं खासतौर से उन लोगों के मुकाबले जो रोजाना कसरत करते हैं.
अच्छी नींद आना : यह साबित हो चुका है कि जो लोग रोजाना कसरत करते हैं, उन्हें रात को नींद भी अच्छी आती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कसरत करने की वजह से हमारे शरीर की सरकेडियन रिदम मजबूत होती है जो दिन में आप को ऐक्टिव बनाए रखने में मदद करती है और जिस की वजह से रात में आप को अच्छी नींद आती है.
शारीरिक ताकत में बढ़ोतरी : हम में से कई लोगों के मन में कसरत को ले कर कई तरह की गलतफहमियां होती हैं, जैसे कसरत हमारे शरीर की सारी ताकत को सोख लेती है और फिर आप पूरे दिन कुछ नहीं कर पाते हैं. मगर असल में होता इस का बिलकुल उलटा है. इस की वजह से आप दिनभर ऐक्टिव रहते हैं, क्योंकि कसरत करने के दौरान हमारे शरीर से कुछ खास तरह के हार्मोंस रिलीज होते हैं, जो हमें दिनभर ऐक्टिव बनाए रखने में मदद करते हैं.
आत्मविश्वास को मिले बढ़ावा : नियमित रूप से कसरत कर के अपने शरीर को उस परफैक्ट शेप में ला सकते हैं जो आप हमेशा से चाहते हैं. इस से आप के आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है.
रोजाना कसरत करने के कई सारे फायदे हैं इसलिए फिजिकल ऐक्टिविटी को नजरअंदाज करने का तो मतलब ही नहीं बनता, लेकिन बहुत ज्यादा कसरत करने का हमारे शरीर पर बुरा असर भी पड़ सकता है खासतौर से आप की फर्टिलिटी कम होती है, फिर चाहे वह कोई औरत हो या मर्द.
ऐसा कहा जाता है कि बहुत ज्यादा अच्छाई भी बुरी साबित हो सकती है. अकसर औरतों में एक खास तरह के हालात पैदा हो जाते हैं जिन्हें एमेनोरिया कहते हैं. ऐसी हालत तब पैदा होती है, जब एक सामान्य औरत को लगातार 3 महीने से ज्यादा वक्त तक सही तरीके से माहवारी नहीं हो पाती है.
कई औरतों में ऐसी हालत इस वजह से पैदा होती है क्योंकि वे शरीर को नियमित रूप से ताकत देने के लिए जरूरी कैलोरी देने वाली चीजों का सेवन किए बिना ही जिम में नियमित रूप से किसी खास तरह की कसरत के 3 से 4 सैशन करती हैं.
शरीर में कैलोरी की कमी का सीधा असर न केवल फर्टिलिटी पर पड़ता है, बल्कि औरतों की सैक्स इच्छा पर भी बुरा असर पड़ता है. साथ ही मोटापा भी इस में एक अहम रोल निभाता है क्योंकि ज्यादातर मोटी औरतें वजन घटाने के लिए कई बार काफी मुश्किल कसरतें भी करती हैं. इस वजह से भी उन की फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है.
इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे जोड़े शारीरिक और मानसिक तनाव की हालत में पहुंच जाते हैं. अकसर देखा गया है कि ऐसे मामलों में या तो शुक्राणु की मात्रा कम होती है या स्पर्म की ऐक्टिविटी बहुत कम रहती है. लिहाजा ऐसे शुक्राणु औरत के अंडाणु को गर्भाधान करने में नाकाम रहते हैं.
वैसे अब इनफर्टिलिटी से नजात पाने के लिए कई उपयोगी इलाज मुहैया हैं. ओलिगोस्पर्मिया में स्पर्म की तादाद बहुत कम पाई जाती है और एजूस्पर्मिया में तो वीर्य के नमूने में स्पर्म होता ही नहीं है. एजूस्पर्मिया में मर्द के स्खलित वीर्य से स्पर्म नहीं निकलता है जिसे जीरो स्पर्म काउंट कहा जाता है. इस का पता वीर्य की जांच के बाद ही लग पाता है.
कुछ मामलों में जांच के दौरान तो स्पर्म नजर आता है लेकिन कुछ रुकावट होने के चलते वीर्य के जरीए यह स्खलित नहीं हो पाता है. स्पर्म न पनपने की एक और वजह है वैरिकोसिल. इस का इलाज सर्जरी से ही मुमकिन है.
कुछ समय पहले तक पिता बनने के लिए या तो दाता के स्पर्म का इस्तेमाल करना पड़ता था या किसी बच्चे को गोद लेना पड़ता था, लेकिन अब चिकित्सा विज्ञान में स्टेम सैल्स टैक्नोलौजी की तरक्की ने लैबोरेटरी में स्पर्म बनाना मुमकिन कर दिया है.
लैबोरेटरी में मरीज के स्टेम सैल्स का इस्तेमाल करते हुए स्पर्म को बनाया जाता है, फिर इसे विट्रो फर्टिलाइजेशन तरीके से औरत पार्टनर के अंडाशय में डाल कर अंडाणु में फर्टिलाइज किया जाता है. इस तरीके से वह औरत पेट से हो सकती है.
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तारीफ पाना सभी को अच्छा लगता है. हर कोई चाहता है कि लोगों की नजरों में उस की छवि हमेशा अच्छी बनी रहे. अच्छी छवि से न सिर्फ समाज में नाम होगा, बल्कि खुद को ले कर आत्मविश्वासी भी बने रहेंगे. आज के समयानुसार आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है. इसलिए आप को जरूरत है परफैक्ट पर्सनल ग्रूमिंग की. इस में आप को न सिर्फ बाहरी तौर पर, बल्कि आंतरिक रूप से भी खुद को संवारने की जरूरत पड़ती है. जानिए क्यों जरूरी है ग्रूमिंग:
ग्रूमिंग का महत्त्व
नित्यांजलि इंस्टिट्यूट के फैकल्टी और ट्रस्टी, गिरीश दालवी के अनुसार ग्रूमिंग खुद के लिए जरूरी है. यदि आप कुछ अच्छा चाहते हैं, तो आप का अच्छा दिखना जरूरी है. ग्रूमिंग आप को सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी बदलती है. जब आप खुद को ले कर अच्छा महसूस करेंगे तब आप ज्यादा आत्मविश्वासी होंगे.
परसोना पावर की हैड, माया दासवानी के अनुसार पहले लोग आप के बाहरी रूप से आकर्षित होते हैं. आप अपने स्टाइल, हाइजीन और पर्सनैलिटी को ले कर कितने सजग हैं, यह देखा जाता है. आप की पहली छवि ही लोगों को आप की याद दिलाती है.
क्या है ग्रूमिंग
गिरीश बताते हैं कि पर्सनल ग्रूमिंग में सेहत और ओरल हाइजीन का भी समावेश होता है. इस तरह ग्रूमिंग आप की सोच में सहजता लाती है. आप में खुद को और दूसरों को ले कर अच्छा सोचने की क्षमता बनाती है.
बाहरी सुंदरता ही नहीं, बल्कि आप से जुड़ी छोटीछोटी बातों का भी ध्यान रखना ग्रूमिंग है. एडाप्ट की सीनियर डाइरैक्टर रेखा विजयकर का मानना है कि ग्रूमिंग का मतलब है आप के लिए परफैक्ट व्यक्तित्व का निर्माण करना. पर्सनल से ले कर प्रोफैशनल और सोशल गू्रमिंग के जरीए आप के व्यक्तित्व में चार चांद लगाना ही इस का मकसद है.
प्रोफैशनल और पर्सनल ग्रूमिंग की शुरुआत
सब से पहले आप को खुद को जानने की और खुद को ले कर स्वीकार्यता बढ़ाने की जरूरत होती है. इस के बाद बारी आती है हैल्थ और हाइजीन की. आप कैसे दिखाई देते हैं और आप अपनी हैल्थ के बारे में कितना जानते हैं, इस विषय पर सोचा जाता है. इस के बाद आप की प्रोफैशनल लाइफ को ले कर सोचा जाता है. आप लोगों से कैसे बात करते हैं, कैसे कपड़े पहनते हैं और कितने आत्मविश्वासी हैं, इन सभी बातों का समावेश किया जाता है.
पर्सनल ग्रूमिंग में आप की गरदन, नाखूनों, त्वचा और ओरल हाइजीन का ध्यान रखा
जाता है, जिस में यह देखा जाता है कि आप सिर से ले कर पैरों तक एकदम परफैक्ट हों. प्रोफैशनल ग्रूमिंग में बारी आती है आप के व्यक्तित्व को निखारने की. इस के अनुसार आप के बात करने की टोन, बात करते हुए अपने हाथों का उपयोग और एक मुसकराहट से लोगों का दिल जीत लेने की क्षमता पर काम किया जाता है.
प्रोफैशनल ग्रूमिंग के दौरान ध्यान रखा जाता है कि आप किस प्रकार की जौब करती हैं. यदि आप टीचर हैं, तो आप को माइल्ड मेकअप के साथ परफैक्ट साड़ी ड्रैपिंग सीखनी पड़ेगी. लेकिन वहीं अगर आप कंपनी के मैनेजमैंट से संबंध रखती हैं तो आप को स्कर्ट्स और ट्राउजर जैसे कपड़ों को अपनाना होगा. लेकिन इस बाहरी रूप के अलावा आप अपने कलीग्स से कैसे बरताव करती हैं और क्लाइंट्स के सामने कैसे पेश आती हैं, यह भी प्रोफैशनल ग्रूमिंग के अंतर्गत सिखाया जाता है.
फिजिकल ऐक्टिविटी की जरूरत
इस ऐक्टिविटी में आप को पहले अपने चेहरे को आईने में देखने के लिए कहा जाता है. उस के बाद पूरे शरीर पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है. इस प्रक्रिया से आप में शरीर को ले कर स्वीकार्यता बढ़ती है. इस के बाद आप को कपड़े पहन कर अपटूडेट हो कर आईने में देखने के लिए कहा जाता है, जिस से आप ड्रैसिंग सैंस और प्रेजैंटेबल रहने के गुर सीख सकें. इस तरह आप सिर से ले कर पैरों तक अपने स्टाइल का निरीक्षण कर सकती हैं.
पर्सनल ग्रूमिंग के लिए सही उम्र
यदि मातापिता अपने बच्चों को शुरू से ही ग्रूमिंग के गुर सिखाना चाहते हैं, तो 6 साल की उम्र के बाद वे उन्हें ग्रूम करना शुरू कर सकते हैं. तब तक बच्चों की स्कूल जाने की शुरुआत हो जाती है और वे अपने आसपास के वातावरण से सीखना शुरू कर देते हैं. ऐसे में यदि आप उन्हें ग्रूम करना शुरू करेंगे, तो वे आसानी से आप की बातों को समझेंगे और उन का अनुसरण भी करेंगे.
जब बच्चा समझने लगे, तभी पर्सनल हाइजीन के बारे में बताना चाहिए. दांतों को दिन में 2 बार ब्रश करने से ले कर स्कूल यूनिफार्म को सही तरह से पहनने तक आप को उसे शारीरिक स्वच्छता का महत्त्व समझाना चाहिए. जब बच्चे 6-7 साल के होते हैं, तब से ही उन्हें ग्रूमिंग सिखाने की जरूरत पड़ती है, खासतौर पर लड़कियों को. जब वे मासिकधर्म की प्रक्रिया से पहली बार गुजरती हैं, तो उन्हें हाइजीन के साथसाथ पर्सनल ग्रूमिंग की भी शिक्षा दी जानी चाहिए.
कैरियर के लिए बेहद फायदेमंद
कैरियर के मद्देनजर गू्रमिंग में सब से पहले देखा जाता है कि आप के बातचीत का तरीका कैसा है. इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि आप 2 भाषाओं में बात न करें. इस के अलावा आप के ड्रैसिंग स्टाइल को भी देखा जाता है, जिस में सही रंग के कपड़ों के साथसाथ सही रंग के जूते और ऐक्सैसरीज पहनने के गुर भी सिखाए जाते हैं. आप ने अकसर लोगों को कहते सुना होगा कि फर्स्ट इंप्रैशन इज लास्ट इंप्रैशन. यह बात सभी पर लागू होती है. आप की पहली छवि ही लोगों के मन में हमेशा के लिए बनी रहेगी. इसलिए आप के लिए जरूरी है कि हमेशा अपटूडेट बने रहें, प्रेजैंटेबल रहें. इस से आप अपने काम के दौरान मिलने वाले लोगों को आकर्षित कर पाएंगे.
मनी मैनेजमैंट ग्रूमिंग का एक भाग
हर व्यक्ति के लिए मनी मैनेजमैंट बेहद जरूरी है, खासतौर पर महिलाओं के लिए. मनी मैनेजमैंट पर बात करते हुए ग्रूम इंडिया की हैड, रुपेक्षा जैन बताती हैं कि आप भले ही कामकाजी महिला हों या हाउसवाइफ, आप को स्वयं पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है. यदि आप ऐसा नहीं करती हैं, तो खुद को उपेक्षित महसूस करती हैं और यही आप के क्रोध की असली वजह होती है.
रूपेक्षा के अनुसार सब से पहले आप को अपने घरेलू खर्चों को लिख कर योजना बनानी चाहिए. इस के बाद अपनी इनकम से आप को 12 से 15% भाग खुद की ग्रूमिंग के लिए अलग निकालना चाहिए. ताकि आप खुद को संतुष्ट कर सकें .अपनी इनकम से 20 से 30% की बचत करनी चाहिए. चाहें तो आप इस भाग को म्यूचुअल फंड, एसआईपी (सिस्टेमैटिक इनवैस्टमैंट प्लान) इत्यादि में जमा कर सकती हैं. इस के बाद अपनी इनकम को आप जैसे चाहें वैसे खर्च कर सकती हैं.
गृहिणियां जो अपने लिए कभी बचा कर नहीं रखती, उन्हें ग्रूमिंग की खास जरूरत होती है. उन्हें जो पैसे मिलते हैं उन में से एक भाग निकाल कर खुद के लिए रखना चाहिए और उस में वे फिटनैस के लिए जिम या खुद की देखभाल करने के लिए ब्यूटी ट्रीटमैंट ले सकती हैं.
हाउसवाइफ के लिए भी बेहद जरूरी
जैसा कि सभी जानते हैं बच्चे अपनी मां को देख कर ही जीने का सलीका सीखते हैं, इसलिए एक मां या कहें हाउसवाइफ के लिए ग्रूमिंग जरूरी हो जाती है. वह गू्रमिंग के बाद न सिर्फ अपने घरपरिवार का, बल्कि खुद का भी बेहतर ध्यान रख पाएगी. यदि गृहिणी खुद को अच्छी तरह संवारेगी, तो लोग उस के व्यक्तित्व की तारीफ करेंगे.
ध्यान रखें आप का पहनावा, उठनेबैठने का सलीका और बोलचाल का तरीका ही समाज में आप को दूसरों से अलग दिखाता है.