उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा का उपचुनाव है. दो सीटों के लिये हो रहा यह चुनाव भाजपा बनाम विपक्षी एकता है. यहां भाजपा के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट है. यहां उत्तर प्रदेश के राजनीतिक भविष्य की एक तस्वीर भी बनेगी. 2 सीटों के उपचुनावों के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव हैं. जहां भाजपा सत्ता में है और उसे सत्ता विरोधी मतों का नुकसान उठाना पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश में सपा-लोकदल दोनो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस और बसपा इनको समर्थन दे रहे हैं. कैराना और नूरपूर दोनों ही सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है. अब भाजपा के लिये इनको जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है. विपक्ष के एकजुट होने से भाजपा की हालत खराब हो रही है. ऐसे में विकास की बात करने वाली भाजपा एक बार फिर से हिन्दू - मुसलिम मुद्दों को उठाने के लिये ‘जिन्ना’ की तस्वीर विवाद को हवा दे रही है.

विपक्ष एक जुट होकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की बात कर रहा है. भाजपा गन्ना किसानों पर सवालों के जवाब देने की जगह पर जिन्ना की बात कर रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित और मुसलिम वोटर सबसे अधिक हैं. सहारनपुर कांड होने के बाद से दलित भाजपा से नाराज चल रहा है. वह भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करने जा रहा है. दूसरी तरफ मायावती अपनी बसपा पार्टी के लोगों को भाजपा के खिलाफ विपक्ष के प्रत्याशी को वोट देने की बात कह चुकी हैं. देखने वाली बात यह है कि मायावती की यह अपील कितनी कारगर होती है.

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