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अगर आपकी सैलरी कम है तो ऐसे करें निवेश

आप अगर सोच रहे होंगे कि आपकी सैलरी बहुत कम है, तो आप कैसे कहीं पर भी निवेश कर सकते हैं? या फिर आप कैसे कोई म्‍यूचुअल फंड खरीद सकते हैं, तो आप यह एकदम गलत सोचते हैं. अक्‍सर लोग ये सोचते हैं कि कम पैसे से कोई निवेश नहीं किया जा सकता है, ये गलत है.

अब आप बहुत छोटे अमाउंट्स के साथ म्‍यूचुअल फंड में इंन्‍वेस्‍ट कर सकते हैं. लॉन्‍ग टर्म प्रोसेस के अंदर ही आप 500 रुपये तक का म्‍यूचुअल फंड खरीद सकते हैं. हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप म्‍यूचुअल फंड के इस छोटे अमाउंट से बड़ी बचत कर सकते हैं.

जल्‍दी करें निवेश

म्‍यूचुअल फंड आम आदमी से लेकर धनी वर्ग तक के लोगों के लिए है. अगर आप बड़ी बचत चाहते हैं तो आपको म्‍यूचुअल फंड के इस छोटे अमाउंट को निवेश करने में कोई दिक्‍कत नहीं होनी चाहिए. आपकी सैलरी चाहे कितनी भी क्‍यों न हो आपको जल्‍दी निवेश करना शुरू करना होगा.

नियमित निवेश करें

जब भी आप कोई काम शुरू करते हैं तो वह काम आपको नियमित करना होता है. न कि आप दो-चार दिन में उस काम को करके छोड़ देते हैं. हर महीने का पैसा हर महीने इन्‍वेस्‍ट करें चाहे राशि कितनी भी छोटी क्‍यों न हो. जब आप अपने काम में इमानदार होंगे तो आपको उसका रिटर्न भी अच्‍छा ही मिलेगा.

हमेशा धैर्य रखें

इसके लिए आपको धैर्य रखने की आवश्‍यकता होती है. आप ये सोच कर कभी निवेश नहीं कर पाएंगे कि आप ने आज निवेश किया और कल ही आपको ये पैसे मिल जाएं.

करें लॉन्‍ग टर्म के लिए निवेश

अपने निवेश को बढ़ने का अवसर देने के लिए लंबी अवधि के लिए निवेश बनाएं रखें. म्‍यूचुअल फंड समय के साथ प्रत्‍येक निवेशक की अनुकूलता के लिए विकसित हुए हैं. भले ही निवेश राशि कम हो, नियमित और अनुशासित निवेश समय के साथ बड़ी राशि बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं.

गर्भ के दौरान इन सेहतमंद आदतों का हमेशा रखें ध्यान

गर्भावस्था के दौरान मां की सेहत का तुरंत और लंबे समय में बच्चे की सेहत पर गहरा प्रभाव पड़ता है. गर्भकाल की डायबिटीज और एनीमिया, यानी कि मां में एनीमिया और डायबिटीज बच्चे की सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं. मां में एनीमिया हो तो बच्चे का जन्म के समय 6.5 प्रतिशत मामलों में वजन कम होने और 11.5 प्रतिशत मामलों में समय से पहले प्रसव की समस्या हो सकती है. गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की वजह से बच्चे को 4.9 प्रतिशत मामलों में एनआईसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में भरती होने और 32.3 प्रतिशत मामलों में सांस प्रणाली की समस्याएं होने का खतरा रहता है.

गर्भावस्था में इन समस्याओं की वजह से पैदा हुए बच्चों में मोटापे, दिल के विकार और टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा उम्रभर रहता है. गर्भावस्था के दौरान हाइपरटैंशन, जो कि 20वें सप्ताह में होता है, पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है. इस से गर्भनाल (एअंबीलिकल कौर्ड) की रक्तधमनियां सख्त हो जाती हैं जिस से भू्रूण तक औक्सीजन और पोषण उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाता. इस वजह से गर्भाशय में बच्चे की वृद्धि में रोक, जन्म के समय बच्चे का कम वजन, ब्लडशुगर में कमी और लो मसल टोन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. कुछ मामलों में आगे चल कर किशोरावस्था में बच्चे में हाइपरटैंशन की समस्या भी हो सकती है. मां में मोटापा हो तो गर्भावस्था में डायबिटीज होने की संभावना होती है जिस वजह से समय से पहले प्रसव और बच्चे में डायबिटीज व मोटापा होने के खतरे रहते हैं. गर्भावस्था के दौरान मां के पोषण में मामूली कमी का भी प्रतिकूल असर बच्चे की सेहत पर पड़ सकता है, जैसे कि गर्भावस्था में विटामिन डी की कमी से आगे चल कर जच्चा और बच्चा दोनों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

डा. संजय कालरा, कंसल्टैंट एंडोक्राइनोलौजिस्ट, भारती हौस्पिटल, करनाल एवं वाइस पै्रसिडैंट, साउथ एशियन फैडरेशन औफ एंडोक्राइन सोसायटीज, कहते हैं कि अगर मां को गर्भावस्था में डायबिटीज या हाइपरटैंशन हो जाए तो बच्चे की सेहत का, खासतौर पर शुरुआती दिनों में, पूरा ध्यान रखना चाहिए. बच्चे के ग्रोथ चार्ट पर नियमित ध्यान देते रहना चाहिए और रोगों की रोकथाम वाली जीवनशैली अपनानी चाहिए. आहार में आयरन, फोलेट और विटामिन बी12 की कमी की वजह से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया होने की संभावना काफी ज्यादा होती है. गर्भावस्था में आयरन की अत्यधिक जरूरत होने की वजह से यह समस्या और भी बढ़ जाती है. एनीमिया की वजह से गर्भनाल से भ्रूण तक औक्सीजन जाने में कमी से शिशु के विकास में कमी हो सकती है और एंडोक्राइन ग्रंथि की कार्यप्रणाली पर असर पड़ सकता है.

भारतीय महिलाओं को आयरन और हेमाटोपौयटिक (रक्तोत्पादक) विटामिन देने चाहिए ताकि गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबीन का उचित स्तर बना रहे. गर्भावस्था में डायबिटीज और हाइपरटैंशन के  आने वाले जीवन में पड़ने वाले प्रभावों से बचने के लिए मां और बच्चे दोनों को ही रोगों की रोकथाम वाली जीवनशैली अपनानी चाहिए.

सैक्स जानकार कैसोनोवा और क्लियोपेट्रा

29 वर्षीय प्रिया तंदुरुस्त शरीर की आकर्षक युवती है. उस की शादी हुए 3 साल हो चुके हैं, लेकिन 3 साल में उसे एक भी रात वह यौनसुख प्राप्त नहीं हो पाया, जिस की हर युवती को चाह होती है. दूसरी ओर 28 वर्षीय कामकाजी रत्ना सिंह है जिस की शादी को 2 वर्ष हुए हैं. वह अपने पति की कामुकता से परेशान है. रत्ना थकीहारी अपने काम से आती है तो रात को पति कामवर्धक औषधियों का सेवन कर उस के साथ भी नएनए प्रयोग करता है. दोनों ही स्थितियों में किसी को भी सच्चा सुख नहीं मिलता, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने यौन जीवन में संतुलन बनाएं. अगर किसी में यौन उत्तेजना सामान्य है तो उसे अतिरिक्त दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की यौन उत्तेजना में कमी है तो वह निम्न लवफूड्स का प्रयोग कर वैवाहिक सुख का आनंद ले सकता है.

एफ्रोडाइस संज्ञा एक ऐसा द्रव्य है जो समुद्र से निकली विशाल घोंघा मछली एफ्रौडाइट से प्राप्त होता है. एफ्रोडाइट को कामुकता का प्रतीक माना जाता है. इस के द्रव्य को एफ्रोडाइस कहते हैं. एफ्रोडाइस, यौनशक्तिवर्द्धक द्रव्य है जिस से स्त्रीपुरुष में यौनशक्ति या यौन अभिरुचि उत्पन्न होती है. प्राकृतिक रूप से हम ऐसे कुछ खाद्य पदार्थों से पहले ही परिचित हैं, जो यौन क्षमता बढ़ाते हैं, जिन में ऐसे फल व सब्जियां प्रमुख हैं जिन का आकार स्त्री व पुरुष के गुप्तांगों से मिलताजुलता है. इन फल व सब्जियों के अंदर कुछ ऐसे गुण छिपे होते हैं जो मानव की यौन क्षमता को बढ़ाने में कारगर हैं. ये सभी फल पुरुष की कामुकता से जुड़े हैं, जबकि स्त्री की कामुकता बढ़ाने के लिए चैरी, खजूर, अंजीर, खास प्रकार की मछली और सीप जैसे खाद्य पदार्थ प्रमुख हैं.

केला एक ऐसा फल है, जिस में खनिज द्रव्य और ब्रोमेलिन प्रचुर में उपलब्ध है, जो पुरुष क्षमता को बढ़ाता है और यह फल सर्वसुलभ और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. सस्ता होने के कारण इस का प्रयोग आम लोग भी आसानी से कर सकते हैं. प्राचीन यूनान में जब अंजीर की फसल की कटाई शुरू होती थी तो रीतिरिवाज के अनुसार रतिक्रीड़ा की जाती थी. क्लियोपेट्रा को भी अंजीर बहुत पसंद थे जिन्हें वह चाव से खाती थी. सब फलों में प्राचीनतम माने गए फल द्राक्ष का संबंध भी कामोत्तेजक गतिविधि से जोड़ा जाता है. वैसे द्राक्ष का फल काफी उत्तेजक है और स्वादिष्ठ होता है.

19वीं शाताब्दी में फ्रांस में सुहागरात से पहले दूल्हे को जो भोजन दिया जाता था उस में शतावरी को विशेष स्थान दिया जाता था, जबकि काफी समय पहले एशिया के मध्यपूर्व देशों के सुलतान व अमीर उमरा गाजर को स्त्रियों की उत्तेजना बढ़ाने में सहायक मानते थे. कुछ व्यंजनों को भी उत्तेजना बढ़ाने में सहायक माना गया है. उदाहरणस्वरूप चौकलेट. चौकलेट को परंपरागत रूप से उत्तेजक माना गया है. इसलिए सदियों पहले ईसाई पादरियों और ननों को चौकलेट खाने की सख्त मनाही थी. कच्चे घोंघों में प्रचुर मात्रा में जस्ता होता है जिस के सेवन से लंबे समय तक संभोगरत रहने की शक्ति बढ़ सकती है. भूमिगत गुच्छी यानी ट्रफल भी ऐसा ही महंगा व सुगंधित पदार्थ है. शैंपेन को भी लंबे अरसे से प्यार का पेय माना गया है, जो शादी के अवसर पर या विजयोत्सव मनाते समय भी ऐयाश लोगों में पानी की तरह बहाया जाता है. कहा जाता है कि व्हिस्की पिलाने से औरत बहस करना बंद करती है. बियर से उसे यौन आनंद मिलता है. रम से वह सहयोग करने लगती है. शैंपेन से होश खो बैठने पर कामुक हो उठती है. केवियर एक ऐसी मछली है जो मनुष्य के शरीर में उत्तेजना बढ़ाती है. यद्यपि निश्चित रूप से यह कहना कठिन है कि ऐसा क्यों माना जाता है.

साधारणातया हम कह सकते हैं कि अधिक शक्ति बढ़ाने वाले पदार्थ दुर्लभ हैं और इन का मूल्य भी काफी है, इसी कारण लोग अधिक आनंद लेने के लिए इन के दीवाने हैं. डामैना को चाय की तरह उबाल कर नियमित एक कप पीने से हारमोंस नियंत्रण में रहते हैं और इस से शारीरिक शक्ति भी प्राप्त होती है. एक प्रकार के लालमिर्च के मसाले से एंडोर्फोंस हारमोंस भी बढ़ाता है. गरम सूप या सौस पर मिर्च छिड़क कर प्रतिदिन खाने से भी लाभ होता है. अगर युवक जिनसेंग का प्रयोग करते हैं तो कामोत्तेजना अधिक होती है. अगर युवतियां इस का प्रयोग करती हैं तो उन की भी पिपासा बढ़ जाती है. जिनसेंग प्रसिद्ध चीनी द्रव्य है जो अश्वगंधा जैसा प्रतीत होता है.

भारत और मध्यपूर्व एशियाई देशों में लहसुन जोकि एक अच्छा विषाणुनाशक भी है, सदियों से युवकों की उत्तेजना बढ़ाने के लिए लोकप्रिय है. इस की अप्रिय दुर्गंध से बचाव के लिए खाने के बाद लौंग या छोटी इलायची का प्रयोग कर सकते हैं. प्याज और शहद का मिश्रण भी उपयोगी है. अदरक, लाल रास्फरी के पत्ते और गुड़हल या जाबा कुसुम कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए काफी प्रचलित रहे हैं. शहद से भी यह प्रकट होता है कि इस में भी कामवर्धक गुण हैं, लेकिन ध्यान रहे कि शहद शुद्ध हो. कुछ समाज आज भी  नवविवाहितों को शहद का पान कराते हैं. फिर चांदनी रात हो आशा और अरमानों की अंगड़ाइयां लेती हुई नववधु हो, तत्पश्चात लज्जा और मर्यादा का आवरण धीरेधीरे हट रहा हो और फिर काम और रति का युद्ध शुरू हो, कैसी रोमांटिक कल्पना है? यह भी बता दें कि शहद में विटामिन  ‘बी’ और एमिनो एसिड प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह प्राकृतिक रूप से कामोत्तेजक सिद्ध हुआ है.

मिस्र में हड्डियों का सूप यानी पाया का भी काफी चलन है. हलाल की गई भेड़ की टांग की हडिड्यों के साथ ताजा कटी प्याज, लहसुन, पुदीना, लालमिर्च आदि को एकसाथ डाल कर 2 घंटे तक मिश्रण कर जो लुगदी तैयार होती है उस का भक्षण कर न जाने कितने मध्य एशियाई तथा मिस्रवासियों ने महिलाओं पर जुल्म ढाए हैं. कामसूत्र में नीले सूखे कमल का चूर्ण, घी और शहद एकसाथ मिला कर खाने को कहा गया है, जिस से पुरुषों में खोई हुई शक्ति दोबारा लौट आती है. इसी प्रकार भेड़ा या बकरे के अंडकोश को उबाल कर चीनी डाल कर जो पेय बनता है, इसे पीने से भी अधिक शक्ति मिलती है.

इसी तरह इत्र या सुंगधित तेल की मालिश भी सुख के लिए लाभदायक है. ग्रीष्मऋतु की एक गरम शाम को ठंडी हवा का झोंका और प्रिया का उन्मुक्त्त स्पर्श इस से अधिक उत्तेजक और क्या हो सकता है.

एक कथानुसार साम्राज्ञी नूरजहां को पानी में गुलाब की पंखडि़या मिला कर स्नान करना पसंद था. एक दिन नहाने में देर हो गई तो उस ने देखा कि पानी के ऊपर एक तरल पदार्थ तैर रहा है. वह समझ गई कि यह गुलाब की पंखडि़यों से निकला इत्र है जो दालचीनी, तेल की तरह कामोत्तेजक है. इसी तरह वनिला, चमेली, धनिया और चंदन का लेप या इत्र लगाने से भी स्त्रीपुरुष उन्मुक्त होते हैं.

शराब और नशीले द्रव्यों से कुछ हद तक कामोत्तेजना बढ़ती है, लेकिन इन का नुकसान अधिक है. ये कामोत्तेजना द्रव्य नहीं हैं. इन की छोटी खुराक शुरू की शर्म व संकोच दूर करने में सहायक होती है, लेकिन यदि कोई स्त्री या पुरुष इन का अधिक मात्रा में लंबे समय तक सेवन करता है तो आगे चल कर युवक ढीला हो जाता है तथा युवती में चरमोत्कर्ष के आनंद को ले कर कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि इन से मस्तिष्क प्रभावित होता है.

इसी प्रकार मारीलुआना व वियाग्रा जैसे पदार्थ भी अस्थायीरूप से यौनसुख की इच्छा या संभोग सुख थोड़ाबहुत बढ़ाते हैं. पर बेहोशी की सी हालत में. आप को  वार्निंग दी जाती है कि कृपया ड्रग्स से दूर रहें, क्योंकि अगर एक बार आप इन के आदी हो गए तो इन से पीछा छुड़ाना मुश्किल है. वियाग्रा जैसी दवाएं डाक्टर के परामर्श के बाद ही प्रयोग करें. युवतियों में भी हारमोंस की कमी को डाक्टर की सहायता से पूरी करें.

फिर आखिरी सवाल यही है कि क्या सचमुच ऐसी दवा यौनशक्ति में वृद्धि करती है. ऐसी दवा केवल तब ही लाभप्रद होती है, जब आदमी का मन भी कामवासना की तृप्ति करने में सहयोग करे.

औषधि निर्माता व विक्रेता केवल जरूरतमंदों का मात्र आर्थिक शोषण करते हैं. अगर इंसान अपने खानपान व व्यायाम पर विशेष ध्यान देते हुए प्रकृति के नियमों का पालन करे तो उस की यौन क्षमता स्वत: ही बनी रहेगी.

अनुपम खेर ने शेयर किया ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ में अटल बिहारी वाजपेयी का लुक

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बायोपिक द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर में अटल बिहारी वाजपेयी का लुक रिवील हो गया है. अनुपम खेर ट्विटर पर रामअवतार भारद्वाज के साथ एक फोटो शेयर किया है. जिसमें दोनों हाथ मिलाते हुए दिखाई दे रहे हैं. यह फिल्म मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर संजय बारू की किताब द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग एंड अनमेकिंग औफ मनमोहन सिंह पर आधारित है.

140 से ज्यादा कलाकार : मनमोहन सिंह की बायोपिक में विनोद मेहता, सीताराम येचुरी, ए. राजा, एपीजे अब्दुल कलाम, लालू प्रसाद, मायावती, सुषमा स्वराज, अमर सिंह, कपिल सिब्बल, ज्योति बसु, प्रणब मुखर्जी, नटवर सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, अजित पिल्लई, शिवराज पाटिल, अर्जुन सिंह और उमा भारती जैसे नेताओं के किरदार भी शामिल हैं. इन सभी लोगों को मिलाकर इस फिल्म में कुल 140 एक्टर्स नजर आने वाले हैं.

ये एक्टर्स निभा रहे किसका रोल

सुजैन बर्नेट बनी सोनिया गांधी : जर्मन एक्ट्रेस सुजैन बर्नर्ट 2007 में आई फिल्म ‘हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड’ में नजर आई थीं. टीवी शो एक हजारों में मेरी बहना है, ये रिश्ता क्या कहलाता है और सीरियल ‘चक्रवर्ती अशोक सम्राट’ में विदेशी खलनायिका (वैम्प) का किरदार निभा चुकी हैं. सुजैन ने इंडियन एक्टर अखिल मिश्रा से 2009 में शादी की थी. आपको बता दें की सुजैन को 8 भाषाओं जर्मन, फ्रेंच, इटैलियन, स्पैनिश, इंग्लिश, हिंदी, मराठी और बंगाली का अच्छा ज्ञान है.

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अर्जुन माथुर बन रहे हैं राहुल गांधी : अर्जुन माथुर ने अपने करियर की शुरुआत असिस्टेंट के रूप में की. बतौर असिस्टेंट वे क्यूं हो गया न, बंटी और बबली, रंग दे बसंती और मंगल पांडे जैसी फिल्मों में काम कर चुके थे. वहीं क्यूं हो गया न में सुमी का रोल भी किया था. अर्जुन की पिछली फिल्म 2017 में आई विद्या बालन स्टारर बेगम जान थी.

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अहाना कुम्रा ने निभाया प्रियंका का रोल : अहाना ने ज्यादा शौर्ट फिल्मों और वेब सीरीज में काम किया है. 2017 में आई फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का में भी अहाना ने लीला का अहम किरदार निभाया था. 2013 में अमिताभ बच्चन के साथ टीवी सीरीज युद्ध में भी काम कर चुकी हैं, जिसमें वे अमिताभ की बेटी बनी थीं. अहाना ने साल 2009 में शौर्ट फिल्म माई से एक्टिंग की दुनिया में पहला कदम रखा था.

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संजय बारू के रोल में अक्षय खन्ना : 2018 में अक्षय द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर के अलाव सेक्शन 375: मर्जी या जबरदस्ती की शूटिंग कर रहे हैं. अक्षय जयललिता को डेट करने का बयान देकर विवादों में भी घिर चुके थे. अक्षय संजय के रोल में नजर आएंगे. साल 2010 में अक्षय एक मनी फ्रौड केस में 50 लाख रूपये का नुकसान उठा चुके हैं. उन्हें कमोडिटी एक्सचेंज के जरिए 45 दिन में इस राशि को दोगुना करने का लालच दिया गया था.

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गुरशरण कौर बनी हमलोग की मझली : दिव्या सेठ शाह फिल्म में मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर का किरदार निभाएंगी. दूरदर्शन के फेमस सीरियल ‘हमलोग’ की ‘मझली’ के रूप में मिली थी. दिव्या जब वी मेट, इंग्लिश-विंग्लिश दिल धड़कने दो और पटेल की पंजाबी शादी जैसी फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. इंडस्ट्री में आने से पहले वे थिएटर डायरेक्ट बैरी जौन के साथ कई नाटकों में काम कर चुकी हैं.

आपके फोन की सेंटिंग ढूंढ लेगी आपके लापता फोन का पता

आज के दौर में मोबाइल फोन सिर्फ कौलिंग तक के लिए ही नहीं बल्कि बैंकिंग ट्रांजेक्शन करने के लिए भी काम में लिया जाता है. टेक्नोलौजी के क्षेत्र में बढ़ते इनोवेशन्स ने पूरी दुनिया को छोटे से मोबाइल फोन में समेट कर रख दिया है. कहीं भी पैसे ट्रांसफर करने हो तो मोबाइल फोन से ऐप के द्वारा आसानी से कर सकते हैं. ऐसे में हमारी सारी जरूरी जानकारी जैसे पर्सनल फोटोज, वीडियोज के साथ बैंकिंग की भी सारी डिटेल मोबाइल सेव रहती है.

ऐसे में मोबाइल गुम हो जाने पर या चोरी हो जाने पर हमारी जानकारी का गलत इस्तेमाल होने का खतरा बढ़ जाता है जो हमारे लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है. इसलिए हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी ऐप के बारें में जिसकी मदद से आप अपने गुम हुए स्मार्ट फोन को आसानी से ढूंढ सकते हैं. आपको बता दें की यह डिवाइस मैनेजर का अपग्रेड वर्जन है जिसका नाम फाइंड माय डिवाइस है.

फाइंड माय डिवाइस

– 2013 में गूगल ने डिवाइस मैनेजर इंट्रोड्यूस किया था जो आपके गुम हुए स्मार्ट फोन को ढूंढ निकालने में आपकी मदद करता था.

– फिर 2017 में गूगल ने कुछ और फीचर्स के साथ डिवाइस मैनेजर को अपग्रेड किया और ‘फाइंड माय डिवाइस’ के नाम से लौन्च किया.

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ऐसे करें सर्च

फाइंड माय डिवाइस

– यह आपके एंड्रौयड स्मार्टफोन जिसमें किटकेट उससे लेटेस्ट वर्जन को औपरेटिंग सिस्टम है पर काम करेगा.

– इसके लिए आपके स्मार्ट फोन में आपकी जीमेल अकौउंट लौगइन होना चाहिए साथ ही लोकेशन का आप्शन औन होना चाहिए. ध्यान रहें इसके लिए आपका डेटा औन होना चाहिए.

फाइंड माय डिवाइस बताएगा लास्ट लोकेशन

– अगर आपका स्मार्टफोन गुम हो गया है तो और उसका इंटरनेट औफ है तो इस कंडिशन में भी फाइंड माय डिवाइस आपके गूगल मैप लोक्शन हिस्ट्री से आपको लास्ट लोकेशन बता देता है जिसके ट्रेस कर आप अपने फोन का पता लगा सकते हैं.

वाई-फाई एक्सेस प्वौइंट भी बता देता है

– फाइंड माय डिवाइस से आप अपने मोबाइल की लास्ट वाई-फाई क्नेक्टिविटी लोकेशन भी पता लगा सकते हैं जो आपके फोन का ढूंढने में आपकी मदद कर सकता है.

कितनी बैट्री थी मोबाइन फोन में

– फाइंड माय डिवाइस से आप अपने गुम हुए मोबइल का बैट्री लेवल भी पता लगा सकते हैं. जिससे यूजर यह अंदाजा लगा सकता है कि उसके मोबाइल और कितनी देर तक औन रह सकता है और उसे अपने मोबाइल तक कितनी देर में पहुंचना होगा.

रिंग, मोबाइल लौक, डेटा डिलीट भी कर सकते हैं

– फाइंड माय डिवाइस से आप आपने मोबाइल फोन पर रिंग भी दे सकते हैं.

– इस ऐप से आप आपने मोबाइल फोन का डेटा डिलिट भी कर सकते हैं.

– साथ ही आप अपने फोन को लौक भी कर सकते हैं.

यह टेक्नोलोजी आपको देती है बेहतर जिंदगी, हवा को करती है साफ

दुनिया बहुत तेजी के साथ टेक्नोलोजी की आदी होती जा रही है और इसी वजह से दुनिया भर में तमाम क्षेत्रों में बड़ी बड़ी कंपनिया तथा व्यवसाय को बढ़ावा मिल रहा है. जहां एक तरफ लोग तकनीक का इस्तेमाल कर अपने जीवन को आसान करते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर यही तकनीकी इस दुनिया के लिये घातक भी साबित होती जा रही है.

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर के 2100 शहर तयशुदा प्रदूषण स्तर से पार हैं, हाल ही में हुए एक सर्वें में सामने आया की भारत का कानपुर शहर दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है. प्रदूषण को कम करने के लिए इस दिशा में हर स्तर पर काम चल रहा है. टेक्नोलोजी की मदद से प्रदूषण को दूर करने नए-नए उपकरण मार्केट में आ रहे हैं. ऐसी ही एक टेक्नोलोजी स्मार्ट प्यूरीफायर के रूप में सामने आई है जो घर और औफिस की हवा को स्वच्छ करती है.

स्मार्ट प्यूरिफायर कैसे करता है काम

– नेचुरल एयर प्यूरीफायर घरों के अंदर की हवा को पौधों की मदद से साफ रखते हैं. स्मार्ट प्यूरिफायर्स पर 2016 से काम शुरू हुआ था. अब ये इको-फ्रेंडली तरीके से भी हवा को साफ रखते हैं.

– इनके सेंसर्स बिल्डिंग की हवा साफ रखने के लिए पौधे की जड़ों का उपयोग करते हैं. इनका वाई-फाई मौड्यूल इनके मालिक को तापमान, नमी सहित तमाम अपडेट्स भेजता रहता है.

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– स्मार्ट प्यूरीफायर ‘NATEDE’ में कभी फिल्टर बदलना नहीं पड़ता है. यह हवा में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और फाइन पार्टिकल्स का 99 फीसद तक सफाया कर देता है. इसे दूसरी स्मार्ट डिवाइसेस से जोड़ा भी जा सकता है और एक ऐप के जरिए ये मालिक तक सारी जानकारी पहुंचा सकता है.

स्मार्ट बिल्डिंग्स में लगाए सेंसर्स

– स्मार्ट बिल्डिंग्स में ब्रेकडाउन कम होते हैं, अगर होते भी हैं तो दिक्कत आसानी से और जल्दी पकड़ में आती है.

– ये सेंसर्स से पता लगा लेती हैं कि हीटिंग और कूलिंग कहां कम और कहां ज्यादा है. इनमें जगह का सदुपयोग होता है और पूरी स्पेस काम में आती है.

– इन बिल्डिंग्स से वेस्ट कम निकलता है और बेवजह चालू रहने वाली हीटिंग और एयरकंडिशनिंग बंद हो जाती है.

रीसाइकल से रीयूजेबल तक

– इलेक्ट्रौनिक रीसाइक्लर्स इंटरनेशनल ने ‘स्टेपलर्स’ और ‘बेस्ट बाय’ जैसे रिटेलर्स से हाथ मिलाया और ये पुरानी इलेक्ट्रौनिक चीजों की रीसाइक्लिंग कर रहे हैं.

– ये ई-कचरे को छांटते-तोड़ते हैं, सुनिश्चित करते हैं कि जहरीले केमिकल प्रकृति से ना मिल पाएं.

– राउटर्स से डीवीडी में लगाई जाने वाली बैटरियां भी रीसाइकल करते हैं. इससे कंपनियां प्रोत्साहित हो रही हैं और रीयूजेबल सामान का उपयोग बढ़ा रही हैं.

इंग्लैंड में स्विंग होगी सबसे बड़ी समस्या : विराट कोहली

इंग्लैंड दौरे से पहले भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली का एक बड़ा बयान सामने आया है. विराट का मानना है कि स्विंग गेंदबाजी सिर्फ भारतीय टीम की ही समस्या नहीं है बल्कि यह तो दुनिया की हर क्रिकेट टीम की समस्या है. विराट का मानना है कि यदि टीम को लय मिल जाए तो आप कुछ भी कर सकते हैं. विराट कोहली आगामी इंग्लैंड दौरे के पर जाने से पहले मीडिया से बात कर रहे थे. उल्लेखनीय ही कि टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे पर रवाना हो रही है जहां उसे आयरलैंड से टी20 सीरीज खेलना है जिसके बाद इंग्लैंड से पहले टी20 और उसके बाद वनडे फिर अंत में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेलना है.

यहां बता दें कि टीम इंडिया पर अक्सर भी घर के शेर होने का आरोप लगता रहता है. कहा जाता है कि टीम भारतीय उपमहाद्वीप में बढ़िया प्रदर्शन करती हैं जहां की पिचें धीमी होती हैं और स्पिनर्स के लिए मुफीद मानी जाती हैं. वहीं इंग्लैंड की पिचें तेज और उछाल वाली पिचें होती हैं जहां की गेंद को स्विंग होने में काफी मदद मिलती है. ऐसे में वहां होने वाले दौरे पर जाने से पहले जब विराट से स्विंग गेंदाबाजी से निपटने की रणनीति के बारे में पूछने की कोशिश की गई तो विराट ने यह जवाब दिया.

विराट का जवाब उस रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है जिसके तहत इंग्लैंड को इशारों में ही यह जताने की कोशिश की है कि भारत के तेज गेंदबाज भी इंग्लैंड टीम को स्विंग से परेशान कर सकते हैं.

विराट को एक आक्रमक कप्तान के तौर पर देखा जाता जो मैदान पर साफ दिखाई भी देता है. यहां तक भी कहा जाता है कि अगर विराट को उकसा दिया जाए तो उनका बल्ला ज्यादा ही रन उगलने लगता है. विराट का बयान दर्शाता है कि वे पूरे जोश के साथ इंग्लैंड दौरे का आगाज करना चाहते हैं. विराट ने पिछला विदेशी दौरा दक्षिण अफ्रीका में किया था जहां टीम इंडिया में पहले दो  टेस्ट के बाद शानदार वापसी की थी और तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच जीतने के बाद वनडे सीरीज में शानदार कप्तानी प्रदर्शन करते हुए दक्षिण अफ्रीका में पहली बार भारत कोई सीरीज जीत पाया था.

चुनौती होगा इंग्लैंड की परिस्थितियों में टीम इंडिया का ढलना

लेकिन विराट की समस्या टीम इंडिया के इंग्लैंड की परिस्थितियों में ढलने की होगी क्योंकि दक्षिण अफ्रीका का दौरा तो फरवरी में ही खत्म हो गया था जिसके बाद टीम इंडिया भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर नहीं गई है. इससे निपटने के लिए विराट ने जरूर जून में हुए अफगानिस्तान के खिलाफ एकमात्र टेस्ट मैच नहीं खेलते हुए काउंटी क्रिकेट खेलने की योजना बनाई थी और वहां की सरे काउंटी से करार भी कर लिया था लेकिन आईपीएल के दौरान लगी गर्दन की चोट की वजह से उन्हें काउंटी में खेलना रद्द करना पड़ा.

लेकिन विराट कोहली के अलावा चेतेश्वर पुजारा जरूर आईपीएल में नहीं खेल पाने के कारण अप्रैल में ही काउंटी क्रिकेट खेलने चले गए थे जहां उनका मिला जुला प्रदर्शन रहा था, लेकिन उन्हें इंग्लैड की परिस्थिति में ढलने में परेशानी नहीं होगी और उनके अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद भी है. विराट सेना इंग्लैंड में कैसा प्रदर्शन करती है यह तो समय ही बताएगा लेकिन टीम के लिए यह दौरा आसान नहीं होने वाला जिसकी वहां कड़ी परीक्षा होने वाली है.

इसी बीच मीडिया से बात करते हुए एक वक्त ऐसा भी आया जब विराट कोहली को गुस्सा आ गया, हुआ कुछ यूं था की वहां मौजूद पत्रकार बार बार साल 2014 के भारत इंग्लैड दौरे पर सवाल कर रहे थे, जिसे विराट कोहली ने कई बार टालने की कोशिश भी की लेकिन जब सवाल बार बार पूछे जाने पर विराट कोहली इस बात पर नाखुशी भी जताई.

उपासना सिंह भी करेंगी फिल्म का निर्देशन

बौलीवुड में कलाकारों के बीच फिल्म निर्माण व निर्देशन में उतरने की होड़ सी लगी हुई है. ऐसे में हिंदी, पंजाबी व भोजपुरी फिल्मों व सीरियलों की चर्चित अदाकारा उपासना सिंह कैसे पीछे रह जाती. वह भी बहुत जल्द निर्माण व निर्देशन के क्षेत्र में उतरने वाली हैं.

वैसे भी इन दिनों उपासना सिंह के सितारे बुलंदियों पर हैं. कुछ समय पहले उन्हे ‘‘कामेडी नाइट्स विथ कपिल’’ में पिंकी बुआ के किरदार में काफी पसंद किया गया. तो वहीं हाल ही उपासना सिंह के अभिनय से सजी पंजाबी फिल्म ‘‘कैरी आन जट्टा 2’’ ने सफलता के सारे रिकार्ड तोड़े हैं. इसी के साथ इन दिनों वे लेखक व निर्देशक दिनेश दुबे की वेब सीरीज ‘‘प्रौब्लम नो प्रौब्लम’’ में  कम सुनने वाली मिसेस मिश्रा के किरदार में शोहरत बटोर रही हैं.

हाल ही में जब हमसे उपासना सिंह की बातचीत हुई, तो उपासना सिंह ने स्वीकार किया कि वह फिल्म निर्माण के साथ साथ निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने जा रही हैं. जी हां! उपासना सिंह कहती हैं-‘‘इस साल के अंत तक मैं बतौर निर्माता निर्देशक एक हास्य फिल्म शुरू करने वाली हूं. इसके लिए कहानी पर काम किया जा रहा है. इसके अलावा पंजाबी भाषा की एक फिल्म का सिर्फ निर्माण करने जा रही हूं. इन फिल्मों का निर्माण मेरी मां के बैनर ‘संतोष क्रिएशन प्रायवेट लिमिटेड’ के तहत होगा.’’

उपासना सिंह के पति नीरज भारद्वाज भी एक रहस्य रोमांच पूर्ण फिल्म ‘‘मोक्ष से माया’’ का सह निर्माण कर रहे हैं. मगर उपासना सिंह अपने पति की सोच के विपरीत सोच वाली फिल्मों का निर्माण व निर्देशन करने वाली हैं. खुद उपासना सिंह कहती हैं-‘‘मेरी यह फिल्में मेरी सोच के अनुरूप होंगी. मेरी हर फिल्म हास्य प्रधान और स्वस्थ मनोरंजन देने वाली होंगी. मैं रहस्य रोमांच वाली फिल्में नहीं बनाउंगी. मैं हमेशा लोगों को हंसाना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा खुशी दे सकूं.’’

जब टूटे जबड़े के साथ भी अनिल कुंबले ने खेला क्रिकेट

अनिल कुंबले ने अपने 18 साल के करियर में कई बार भारतीय क्रिकेट के सामने ऐसे उदाहरण रखे, जिनसे हर नया क्रिकेटर प्रेरणा ले सकता है. कुंबले को क्रिकेट से कितना प्यार था और वह क्रिकेट के प्रति कितने ईमानदार थे यह उस वक्त पता चल गया था जब उन्होंने टूटे जबड़े के साथ खेला था.

कुंबले का वो शानदार प्रदर्शन कैसे कोई भूल सकता है जब उन्होंने दर्द को अनदेखा करते हुए चेहरे पर पट्टी बांधकर वेस्टइंडीज के खिलाफ गेंदबाजी की थी.

साल 2002 में भारत और वेस्टइंडीज के बीच एंटिगुआ में टेस्ट मैच खेला जा रहा था. मैच के दौरान मर्वन ढिल्लन की बाउंसर सीधे कुंबले के चेहरे पर आकर लगी और उनके जबड़े से खून बहने लगा. उन्हें मैदान से बाहर ले जाया गया. लेकिन पट्टी बंधवाकर कुंबले वापिस मैदान में आ गए और गेंदबाजी करने लगे.

जबड़े के दर्द को अनदेखा करके उन्होंने आराम ना करने का फैसला लेते हुए देश के लिए खेलना ज्यादा महत्वपूर्ण समझा और जबरदस्त प्रदर्शन दिया. कुंबले ने कुल 14 ओवर गेंदबाजी की और इस दौरान उन्होंने ब्रायन लारा का भी विकेट लिया. मैच के बाद जांच में पता चला कि कुंबले के जबड़े में फ्रैक्चर था.

पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कप्तान कुंबले ने 1990 से लेकर 2008 तक लगातार 18 साल तक क्रिकेट खेला. कुंबले ने अपने करियर का पहला एक दिवसीय मैच 25 अप्रैल 1990 में श्रीलंका के खिलाफ खेला था. कुंबले ने अपना आखिरी एक दिवसीय मैच 19 मार्च 2007 में बरमूडा के खिलाफ खेला था.

टेस्ट क्रिकेट में कुंबले ने 9 अगस्त 1990 में पहला मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला था और आखिरी टेस्ट मैच 29 अक्टूबर 2008 में औस्ट्रेलिया के खिलाफ था. भारत की ओर से 500 विकेट लेने वाले वह पहले खिलाड़ी हैं. कुंबले ने टेस्ट क्रिकेट में कुल 619 विकेट लिए और वह तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं.

चलते चलते चर्चा फिटनैस के बारे में अंजलि आनंद से

लोग तो वजन घटाते हैं, लेकिन आप को बढ़ाने के लिए बोला गया था?

मैं पहले ही 80 किलोग्राम से ज्यादा की थी बावजूद इस के मुझे शो ‘ढाई किलो प्रेम’ के लिए वजन बढ़ाने के लिए कहा गया तो मैं ने मना कर दिया, क्योंकि अगर उस से ज्यादा वेट बढ़ता तो मुझे परेशानी हो जाती. एक बात और कहना चाहती हूं कि मेरा वजन 80 किलोग्राम ही था 108 किलोग्राम नहीं, क्योंकि हर जगह यही प्रचारित हुआ है कि मैं 108 किलोग्राम की थी.

अपनी फिटनैस के लिए क्या करती हैं? 

मैं स्लिम नहीं हूं, यह हमेशा याद रखती हूं. मगर फिटनैस के लिए हमेशा प्रयास करती रहती हूं. मैं बहुत ऐक्टिव लड़की हूं. साइक्लिंग और ऐक्सरसाइज नियमित करती हूं. खाना भी अब डरडर कर खाती हूं. मैं ने अपनी फिटनैस को ले कर बहुत सैक्रीफाई किया, लेकिन मेरी बौडी ही ऐसी है कि जो भी थोड़ाबहुत खाती हूं शरीर पर नजर आने लगता है.

फैटी लोगों के लिए क्या कहना चाहेंगी? 

अगर किसी को मैडिकल प्रौब्लम नहीं है तो मैं उन से कहूंगी कि वेटलौस के लिए हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए. लोगों द्वारा आप के मोटापे को ले कर दिए गए कमैंट्स पर ध्यान न दें. अपनी प्रतिभा को इतना ऊंचा करें कि लोगों का ध्यान आप के शरीर पर न जा कर आप की प्रतिभा पर जाए. कभी मोटापे को कैरियर में रुकावट मानने की गलती न करें.

क्या आप को भी कमैंट्स का सामना करना पड़ा?

हमारे यहां लोगों का चेहरा और फीगर देख कर उस की योग्यता का आकलन किया जाता है. कई बार लोग बातोंबातों में कमैंट्स करते हैं, लेकिन मैं इग्नोर कर देती हूं. पहले फील होता था, मगर अब मैं ऐसी बातों को तवज्जो नहीं देती. ओपराह विनफ्रे जैसी कितनी शख्सीयत हैं हमारे यहां जिन्होंने फीगर और रंगरूप से उठ कर अपना नाम बनाया है.

लोग आप की तुलना भूमि से कर रहे हैं?

मैं और भूमि पेडणेकर दोनों बहुत अलग हैं. दोनों की जर्नी अलग है, काम अलग है. मैं नहीं चाहूंगी कि कोई मेरी तुलना किसी दूसरे से करे.

आई एम नौट फैटी

अंजलि मानती हैं कि लोग अपने मोटापे को ले कर दुखी रहते हैं जबकि उन्हें अपने मन से यह बात निकाल देनी चाहिए कि मोटा होने के कारण वे और लोगों से अलग हैं, बल्कि अपने अंदर विश्वास और लोगों को अपना टेलैंट दिखाने की ताकत को विकसित करना चाहिए. वे अपनेआप को कभी मोटा नहीं मानतीं.

किरदार के सभी रंग पसंद

स्टार प्लस के शो ‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ में नैगेटिव किरदार निभा रही अंजलि मानती हैं कि एक ऐक्टर को हर तरह के किरदार निभाने चाहिए.

घर का काम खुद करती हूं

अंजलि कहती हैं कि शूटिंग के चलते वे वर्कआउट नहीं कर पाती थीं, इसलिए उन्होंने अपने घर से मेड को हटा दिया. घर का सारा काम अब खुद करती हैं. उन के अनुसार घर का काम करना सब से बैस्ट ऐक्सरसाइज है.

कपड़ों के लिए विदेश जाना पड़ता है

खाने की शौकीन अंजलि की सब से बड़ी कमजोरी बिरयानी है. वे ऐक्टिंग से पहले प्लस साइज मौडल भी रह चुकी हैं. अंजलि को एक बात की समस्या होती है और वह है उन के कपड़ों की शौपिंग. इस के लिए उन्हें विदेश जा कर शौपिंग करनी पड़ती है, क्योंकि यहां उन के साइज के कपड़े नहीं मिलते.

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