Download App

दुश्मन से भी बुरे दोस्त : आस्तीन के सांप बन गए दोस्त

अमृतसर के जीटी रोड से सटे व्यस्तम इलाके दशमेश एवेन्यू की कोठी नंबर 157 से 4-5  फरवरी की आधी रात के बाद अचानक धुआं उठने लगा. वह कोठी गगनदीप वर्मा की थी. फरवरी का महीना होने के कारण अधिक ठंड भी नहीं थी फिर भी लोग अपनेअपने घरों में घुसे हुए थे.

कोई राहगीर सड़क से गुजरा भी तो उस ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. कुछ ही देर में कोठी से आग की ऊंची लपटें उठने लगीं, जिन्होंने कोठी को चारों तरफ से घेर लिया था.

आग बढ़ने पर मोहल्ले के तमाम लोग अपने घरों से निकल कर गगनदीप वर्मा की कोठी की तरफ दौड़ पड़े. सभी अपनेअपने तरीके से कोठी में लगी आग को बुझाने की कोशिश करने लगे. इस बीच किसी ने फायर ब्रिग्रेड और थाना सुलतानविंड पुलिस को सूचना दे दी थी.

घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगे्रड के साथ थाना सुलतानविंड के थानाप्रभारी नीरज कुमार, एसआई राजवंत कौर, एएसआई अर्जुन सिंह, दर्शन कुमार, हवलदार लखविंदर कुमार, गुरनाम सिंह, बलविंदर सिंह, गुरमेज सिंह, हरजिंदर सिंह, कांस्टेबल सुनीता के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

आग की लपटें लगातार बढ़ती जा रही थीं. सुरक्षा के लिहाज से थानाप्रभारी ने आसपास के घरों को भी खाली करवा लिया था. फायर ब्रिग्रेड के कर्मचारी लगातार आग बुझाने की कोशिश में लगे रहे, तब कहीं सुबह साढ़े 6 बजे तक आग पर काबू पाया गया.

आग बुझने के बाद पड़ोसी पुलिस के साथ जब कोठी के भीतर गए तो सब के पैरों तले से जमीन खिसक गई. भीतर का नजारा डरावना और दिल दहला देने वाला था. कोठी में मालकिन गगनदीप वर्मा और उन की बेटी शिवनैनी की झुलसी हुई लाशें पड़ी थीं.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी. जिस के बाद अमृतसर के सीपी एस.एस. श्रीवास्तव, एडीसीपी जे.एस. वालिया, एडीसीपी हरजीत सिंह धारीवाल और एसीपी मंजीत सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. थानाप्रभारी ने क्राइम इन्वैस्टीगेशन टीम को भी मौके पर बुलवा लिया.

पुलिस जांच कर रही थी तभी वहां एक 48 वर्षीय संजीव वर्मा नाम का शख्स आया. वह खुद को गगनदीप वर्मा का भाई बता रहा था. उस ने बताया कि वह 2 भाईबहन थे. उस के पिता रामदेव और मां जीवन रानी की मृत्यु हो चुकी है. वह अपनी पत्नी गीता और बेटे चंदन के साथ जंडियाला गुरु स्थित मकान नंबर 1334 में रहता है. पेशे से वह डाक्टर है और घर के पास ही उस का क्लीनिक है.

society

पड़ोसियों से पूछताछ करने पर पता चला कि दोनों मांबेटी किसी से कोई संबंध नहीं रखती थीं. यहां तक कि पड़ोसियों के घर भी उन का कम आनाजाना था. शिवनैनी का शव जिस आपत्तिजनक हालत में मिला उस से रेप की  आशंका जताई जा रही थी.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थानाप्रभारी को दिशा निर्देश दे कर चले गए. इसके बाद थानाप्रभारी नीरज कुमार ने जरूरी काररवाई कर के दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेज दिया.

पुलिस कमिश्नर ने थानाप्रभारी नीरज कुमार के साथ क्राइम ब्रांच के जिला इंचार्ज इंसपेक्टर वविंदर महाराज को भी लगा दिया था. वे सब पुलिस अधिकारी इस दोहरे हत्याकांड की जड़ें खोदने में जुट गए.

हत्या की वजह अभी तक सामने नहीं आई थी. लेकिन यह अनुमान लगाया गया कि हत्या में किसी करीबी का हाथ रहा होगा. गगनदीप वर्मा का बेटा रिधम कनाडा में रह रहा था. उसे भी मां और बहन की हत्या की सूचना दे दी गई. ताकि वह जल्द से जल्द इंडिया आ कर अपनी मां बहन की लाशें देख सके. थानाप्रभारी को इस बात की भी उम्मीद थी कि रिधम के आने के बाद शायद कोई ऐसी बात पता चल सके जिस से हत्यारों तक पहुंचने में मदद मिले.

बहरहाल पुलिस को इसी बात की आशंका थी कि वारदात में ऐसे शख्स का हाथ रहा होगा जिस का उस कोठी में आनाजाना रहा हो. यानी कोई नजदीकी व्यक्ति ही वारदात में शामिल रहा होगा.

पुलिस ने मृतका गगनदीप के भाई डा. संजीव वर्मा से एक बार फिर पूछताछ की. उस ने बताया कि 25 साल पहले उस के मांबाप ने अपने जीतेजी गगनदीप वर्मा की शादी नवजोत सिंह के साथ कर दी थी. शादी के बाद एक बेटा रिधम और बेटी शिवनैनी पैदा हुई. दोनों बच्चों की अच्छी परवरिश होने लगी.

इस के बाद नवजोत सिंह स्टडी करने कनाडा चला गया. इस के बाद वह वापस नहीं लौटा. मजबूरी में गगनदीप ने जंडियाला के सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में क्लर्क की नौकरी कर ली. इसी से उन्होंने दोनों बच्चों को पढ़ाया लिखाया. गगनदीप ने बेटे रिधम को भी अपने एक रिश्तेदार के माध्यम से कनाडा भेज दिया.

घर पर केवल मांबेटी ही रह गए थे. ग्रैजुएशन के बाद शिवनैनी इन दिनों बीएड की तैयारी कर रही थी. जिस कोठी में यह दोनों रह रही थीं, वह उन्होंने 4 साल पहले ही बनवाई थी. कोठी क्या यह एक प्रकार का किला था. चारों तरफ से बंद, जहां उन की मरजी के बिना कोई परिंदा भी पर न मार सके. जब उन की कोठी इतनी सुरक्षित थी तो ऐसा कौन आ गया, जिस ने दोनों की हत्या कर दी, पुलिस यह बात नहीं समझ पा रही थी.

पुलिस की जांच की सुई गगनदीप के रिश्तेदारों और पहचान वालों पर आ कर अटक गई. पुलिस ने मृतका गगनदीप और उन की बेटी के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स खंगालनी शुरू कीं. साथ ही यह भी जांच की कि घटना वाली रात को दशमेश एवेन्यू एरिया में स्थित फोन टावर के संपर्क में कितने फोन नंबर आए थे.

उन फोन नंबरों की भी पुलिस ने जांच शुरू कर दी. अगले दिन दोनों लाशों का पोस्टमार्टम कराया गया. पोस्टमार्टम के समय पुलिस ने वीडियोग्राफी भी करवाई. कनाडा से मृतका का बेटा भी पंजाब नहीं लौट सका. उस की गैरमौजूदगी में दोनों लाशों का अंतिम संस्कार किया गया.

साइबर क्राइम सेल फोन नंबरों की जांच में जुटी हुई थी. साइबर सैल ने शिवनैनी की फेसबुक आईडी को भी अच्छी तरह खंगालना शुरू किया. पुलिस ने शक के आधार पर एक दरजन से ज्यादा हिस्ट्रीशीटरों व अन्य लोगों को भी पूछताछ के लिए उठाया. लेकिन उन से कोई सफलता नहीं मिली.

society

पुलिस टीम हत्या के इस मामले को कहीं नहीं न कहीं अवैध सबंधों से जोड़ कर भी देख रही थी. रिधम ने फोन पर हुई बात में इस हत्याकांड के पीछे अपने किसी रिश्तेदार का हाथ होने की शंका जताई.

पुलिस ने जब तफ्तीश की तो इस मामले में शहर के 2 बडे़ नेताओं के नाम सामने आए. यह नाम मांबेटी के फोन नंबरों की काल डिटेल्स खंगालने के बाद सामने आए थे.

इस दोहरे हत्याकांड के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली रहे. उधर रिधम भी कनाडा से नहीं लौट पाया था. गगनदीप और एक पार्षद के बीच फोन पर जो बातचीत होने के सबूत मिले थे, उस ने उन दोनों के संबंधों को भी शक के दायरे में ला कर खड़ा कर दिया था.

थानाप्रभारी नीरज और इंसपेक्टर वविंदर महाराज पूरे मामले की कड़ी से कड़ी जोड़ कर विचारविमर्श कर रहे थे कि अचानक थानाप्रभारी का ध्यान रिधम के खास दोस्तों 21 वर्षीय पंकज शर्मा और 18 वर्षीय नीरज निवासी गुरु गोविंदसिंह नगर की ओर गया.

हालांकि यह एक संभावना थी. इस का कोई ठोस सबूत या वजह नहीं थी, फिर भी वह पंकज शर्मा और नीरज से पूछताछ के लिए उन के घर पहुंच गए. वहां पता चला कि पंकज और नीरज दोनों ही गरीब परिवारों से हैं. पंकज के पिता सोफा मरम्मत का काम करते हैं जबकि नीरज ओपन स्कूल से पढ़ाई करता है. दोनों ही दोस्त आवारा किस्म के थे. मौजमस्ती और अपने खर्चे के लिए वह छोटीमोटी चोरी और ठगी भी करते थे.

पुलिस टीम जब पंकज के घर पहुंची तो पंकज के पिता ने बताया कि पंकज और नीरज 5 फरवरी की रात से गायब हैं. इस के बाद उन दोनों पर पुलिस का शक बढ़ गया. पुलिस उन की तलाश में जुट गई.

एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उन से गगनदीप और उन की बेटी की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई तो उन्होंने आसानी से स्वीकार कर लिया कि उन्होंने ही गगनदीप और उन की बेटी की हत्या कर के कोठी में आग लगाई थी. उन्होंने उन की हत्या की जो कहानी बताई वह आस्तीन का सांप बन कर डंसने वाली निकली.

दरअसल पंकज और नीरज की गगनदीप के बेटे रिधम से अच्छी दोस्ती थी. दोस्ती के नाते उन का गगनदीप के यहां आनाजाना था. कुछ दिनों पहले रिधम कनाडा चला गया तो पंकज और नीरज का उन के यहां आनाजाना  बंद हो गया. ये दोनों दोस्त कोई कामधंधा करने के बजाए दिन भर नशा कर के खाली घूमते थे. साथ ही उन्हें अय्याशी का भी शौक लग गया था.

अपने शौक पूरे करने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत पड़ती थी, लिहाजा उन्होंने छोटीमोटी चोरियां करनी शुरू कर दीं. साथ ही कोई लालच दे कर लोगों को ठग लेते. लेकिन अभी तक दोनों कभी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़़े थे.

दोनों कोई ऐसा काम करने की सोच रहे थे जिस से उन के हाथ मोटा पैसा लग सके और रोजरोज की छोटीमोटी चोरी न करनी पड़े. 4 फरवरी, 2018 को दोनों इसी विषय पर चर्चा कर रहे थे, तभी पंकज बोला, ‘‘यार मेरे पास एक बिना रिस्क का आसान तरीका है. इस में इतना पैसा मिलेगा कि हम रात दिन ऐश कर सकते हैं और मजे की बात यह है कि हम पर किसी को रत्ती भर भी शक भी नहीं होगा.’’ पंकज ने बताया.

नीरज ने खुश होते हुए कहा, ‘‘जल्दी भौंक, देर क्यों कर रहा है. और यह भी कि करना क्या है?’’

‘‘रिधम के घर डकैती.’’ पंकज बोला.

‘‘अबे तेरा दिमाग तो खराब नहीं है.  जानता नहीं वह हमारा बचपन का दोस्त है. हम साथ खेले और साथ खातेपीते रहे हैं. नहीं, यह गलत काम है.’’ नीरज ने साफ मना कर दिया.

‘‘अबे गधे उन के पास करोड़ों रुपया है और फिर रिधम भी आजकल कनाडा में है. हम पर कौन शक करेगा?’’ पंकज ने समझाया.

बाद में पंकज की बात उस की समझ में आ गई. पंकज व नीरज को पता था कि इस समय दोनों मांबेटी घर में अकेली रहती हैं. इसलिए वहां काम को अंजाम देना आसान हो जाएगा.

योजना के अनुसार पंकज शर्मा व नीरज कुमार ने बाजार से क्लोरोफार्म की शीशी खरीद ली और 4-5 फरवरी की रात सवा 8 बजे गगनदीप वर्मा के घर चले गए. गगनदीप दोनों को अच्छी तरह जानती ही थीं. इसलिए उन्होंने दरवाजा खोल दिया. दोनों हत्यारोपी अंदर जा कर बैठ गए.

society

चाय पीने के बाद पंकज शर्मा ने गगनदीप को क्लोरोफार्म सुंघाई, जिस से वह बेहोश हो कर बिस्तर पर गिर गईं. इस के बाद दोनों ऊपर की मंजिल पर बैठी शिवनैनी के कमरे में दाखिल हुए और उसे भी क्लोरोफार्म सुंघा कर बेहोश कर दिया. दोनों आरोपियों ने घर की तलाशी ली और कुछ ज्वैलरी के साथसाथ नकदी भी चुरा ली. नीयत खराब होने पर दोनों ने बेहोशी की हालत में पड़ी शिवनैनी से अश्लील हरकतें भी कीं.

गगनदीप और उन की बेटी के होश में आने पर उन का भेद खुलना लाजिमी था. इसलिए उन्होंने सुबूत मिटाने के लिए गगनदीप व उन की बेटी शिवनैनी की हत्या करने की योजना बनाई. उन्होंने कोठी में आग लगा दी और मौके से फरार हो गए.

पुलिस ने पंकज और नीरज से विस्तार से पूछताछ के बाद उन्हें अदालत पर पेश कर के 5 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान दोनों अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने 85 ग्राम सोने, चांदी की ज्वैलरी, एक टेबलेट, कैमरा, लैपटौप व अन्य कीमती सामान बरामद कर लिया.

पुलिस ने रिमांड अवधि समाप्त होने पर अभियुक्त पंकज और नीरज को पुन: अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

तड़का दाल हांडी

 

सामग्री

– 1/4 कप टाटा सम्पन्न अरहर दाल – 1/2 छोटा चम्मच टाटा सम्पन्न हलदी पाउडर – 1 टमाटर कटा हुआ – नमक स्वादानुसार.

सामग्री तड़के के लिए

– 2-3 बड़े चम्मच घी

– 1 छोटा चम्मच टाटा सम्पन्न दाल तड़का मसाला

– 2-3 सूखी लालमिर्चें

– 1 छोटा चम्मच लहसुन पेस्ट

– 1 हरीमिर्च कटी

– 1 छोटा चम्मच अदरक लंबे पतले टुकड़ों में कटा

– 2 बड़े चम्मच धनियापत्ती कटी.

विधि

दाल को अच्छी तरह धो कर मोटी पेंदी वाले गहरे बरतन में डालें. फिर उस में 5 कप पानी, हलदी और नमक डालें. ढक कर मध्यम आंच पर पकाएं. फिर दाल को चम्मच से मैश कर इस में टमाटर डाल कर 1-2 मिनट और उबालें.

विधि तड़के के लिए

घी को गरम कर उस में लहसुन पेस्ट और सूखी लालमिर्च मिला कर तब तक पकाएं जब तक लहसुन का रंग न बदल जाए. फिर आंच को धीमा कर दें. फिर टाटा सम्पन्न दाल तड़का मसाला, हरीमिर्च, अदरक और धनियापत्ती मिलाएं. फिर इस मिश्रण को आंच से उतार कर यह तड़का गरम दाल में डालें और तुरंत ढक्कन से बंद कर दें ताकि दाल में महक समा जाए. फिर गरमगरम परोसें.

स्वाद मसालेदार : मसाला सोया हांड़ी

मसाला सोया हांड़ी

सामग्री

– 2 कप सोया चंक्स भिगोया

– 1 कप ब्रैडक्रंब्स

– 1/2 इंच टुकड़ा अदरक कटा

– 1 छोटा चम्मच लहसुन कटा

– 1 छोटा चम्मच टाटा सम्पन्न लालमिर्च पाउडर

– 1 चुटकी चाटमसाला

– 1 छोटा चम्मच हरीमिर्च पेस्ट

– 1 बड़ा चम्मच कौर्नफ्लोर

– पर्याप्त तेल – 2 छोटे चम्मच टाटा सम्पन्न गरम मसाला

– 1 छोटा चम्मच टाटा सम्पन्न धनिया पाउडर

– 1 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

– 11/2 बड़े चम्मच ब्राउन शुगर

– 2 बड़े चम्मच इमली का पेस्ट

– नमक स्वादानुसार

विधि

सोया चंक्स को छोटे टुकड़ों में काट लें. फिर इन में ब्रैडक्रंब्स, अदरक, लहसुन, आधा लालमिर्च पाउडर, चाटमसाला, हरीमिर्च पेस्ट, नमक और 2 बड़े चम्मच पानी मिला कर मिक्सर में पेस्ट बनाएं. इसे एक बरतन में डाल कर कौर्नफ्लोर मिलाएं. फिर इस मिश्रण को बराबर भागों में बांट कर ओवल शेप दें और एक आइसक्रीम स्टिक से बांध दें. फिर पैन में तेल गरम कर चारों तरफ से सुनहरा होने तक पकाएं. फिर पेपर पर सुखाएं. फिर उसी पैन में टाटा सम्पन्न गरम मसाला मिलाएं. बचा लालमिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, जीरा पाउडर, ब्राउन शुगर व इमली का पेस्ट मिला कर 2-3 मिनट पकाएं. फिर 1 कप पानी व नमक मिलाएं और मसाला गाढ़ा होने तक पकाएं. सोयाचाप को आइसक्रीम स्टिक से निकाल कर टुकड़ों में काट कर ग्रेवी में डाल कर थोड़ी देर पकाएं. सर्विंग प्लेट में डाल कर गरमगरम सर्व करें.

फिट रहने के लिए हैल्दी खाएं

महिलाएं आज घरबाहर दोनों ही जगह बखूबी भूमिका निभा रही हैं. वे अपने परिवार की हैल्थ पर भी खासा ध्यान देती हैं, क्योंकि वे जानती हैं कि हैल्थ है तो सबकुछ है. उन के इसी प्रयास के तहत दिल्ली प्रैस द्वारा आईटीसी, आशीर्वाद इवेंट का आयोजन 5 अप्रैल, 2018 को दिल्ली के पीतमपुरा स्थित एनपी ब्लौक में किया गया, जिस में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.

इवेंट की शुरुआत ऐंकर अंकिता मंडल द्वारा रोटी मैकिंग की ऐक्टिविटी से हुई. वैसे तो हर महिला ही रोटी बनाने में माहिर होती है लेकिन इस ऐक्टिविटी का मकसद सिर्फ रोटी बनाना ही नहीं था, बल्कि रोटी दिखने में तो अच्छी हो ही साथ ही टैस्ट और सौफ्टनैस में भी उस का कोई जवाब नहीं हो. इस ऐक्टिविटी की विजेता रहीं आशू जिन्होंने आशीर्वाद सलैक्ट आटे से रोटी बनाई. उन्हें पुरस्कृत कर उन का मनोबल भी बढ़ाया गया.

शैफ वैभव भार्गव जो वैसे तो हर तरह की डिश बनाने में माहिर हैं लेकिन इस इवैंट में उन्होंने आशीर्वाद एसआरसी आटा को ले कर लो शुगर डिश ‘गुड़ वाले लड्डू’ बनाना सिखाया ताकि शुगर के मरीज भी स्वीट्स का मजा ले सकें. उन्होंने बताया कि ये लड्डू चाहे गरमी हों या सर्दी हर मौसम में खाए जा सकते हैं और सेहत के लिए भी काफी हैल्दी हैं.

शैफ सैशन के बाद न्यूट्रिशनिस्ट डा. सुनीता ने लो शुगर डिश को सराहते हुए आशीर्वाद एसआरसी एवं मल्टीग्रेन आटे की विशेषताओं पर प्रकाश डाला और वहां उपस्थित महिलाओं ने भी इस बात को स्वीकार किया कि जो बात आशीर्वाद आटे में है वह किसी और आटे में नहीं. उन्होंने बताया कि व्हाइट शुगर शरीर को सिर्फ नुकसान ही पहुंचाती है इसलिए जितना हो सके इसे अवोइड ही करें. दरअसल, हमारे स्वस्थ रहने में डाइट का अहम रोल होता है, क्योंकि हम जैसा खाते हैं हमारा शरीर वैसा ही बनता है. इसलिए पौष्टिक खाने पर जोर दें. इस बात पर खास ध्यान दें कि खाने के आसपास चाय वगैरह न पीएं क्योंकि हम जो खाते हैं चाय उस की न्यूट्रीशन वैल्यू को जीरो कर देती है. इसलिए भले ही थोड़ा खाएं लेकिन अच्छा खाएं.

इवैंट को और रोचक बनाने के लिए पौपुलर दीवा कौंटैस्ट का आयोजन किया गया. मुकाबला रहा 2 महिलाओं के बीच, जिन्हें आशीर्वाद पौपुलर आटे के साथ बहुत सारी चीजें दी गई थीं. उन से उन्हें 15 मिनट के अंदर डिश बनानी थी. वैसे तो दोनों ने ही बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन अव्वल रहीं रोटी रौल बना कर चंदना मंडल और दूसरा स्थान हासिल किया पनीर पौकेट बना कर कंचन ने.

अपनी कुशलता से इन्होंने जता दिया कि महिलाओं से बेहतर कोई नहीं जो हर चुनौती का हंसतेहंसते सामना कर के जीत हासिल कर लेती हैं.

ऐक्टिविटीज के बाद रैसिपी विनर्स की घोषणा की गई, जिस में सांत्वना पुरस्कार मिला ललिता गुप्ता को. ललिता ने लड्डू बनाए थे. तृतीय पुरस्कार विजेता रहीं पायल आनंद, द्वितीय पुरस्कार मिला आटे का डोसा बनाने के लिए सुनीता भाटिया को. इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता नेहा जैन ने, जिन्होंने आटे के लड्डू को बहुत ही बेहतरीन तरीके से बनाया. कार्यक्रम के अंत में सभी को गुड्डी बैग्स दिए गए.

योगी के राज में यूपी में हुआ सामूहिक विवाह घोटाला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता के सिंहासन पर बैठने के बाद अक्तूबर, 2017 को प्रदेश की गरीब बेटियों के सामूहिक विवाह की योजना का ऐलान किया था. इस योजना के मुताबिक गांवदेहात के अर्जी देने वालों की 46,880 रुपए और शहरी इलाके से अर्जी देने वालों की 56,460 रुपए सालाना आमदनी होने का प्रावधान रखा गया था.

उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना के लिए 250 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दी गई थी और 10 हजार कुंआरे जोड़ों की शादी कराने का टारगेट रखा गया था.

फरवरी, 2018 तक उत्तर प्रदेश के 55 जिलों में 5,937 जोड़ों की शादी करा कर जिलों के कलक्टरों ने अपनी पीठ तो थपथपा ली लेकिन मुख्यमंत्री की नजर में अच्छा बनने की खुशी ज्यादा लंबी नहीं थी. जल्दी ही यह बात सामने आ गई कि इस सामूहिक विवाह योजना में घोटाला किया गया है.

जैसा कि हमेशा ही होता है, चाहे सरकार की कोई भी कल्याणकारी योजना क्यों न हो, नौकरशाही को अपनी जेब भरने का मौका मिल ही जाता है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में गरीब बेटियों की सामूहिक विवाह योजना में सरकारी अफसरों के लालच और लापरवाही ने पलीता लगा दिया. फरवरी, 2018 से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ऐसी शादियां शुरू होनी थीं. जिलों में अर्जियां मांगी जाने लगीं. जो योजना बीडीओ व नगरपालिका अफसरों की देखरेख में पूरी की जानी चाहिए थी, वह ग्राम प्रधानों और दलालों के हत्थे चढ़ गई.

18 फरवरी, 2018 को शामली के एक बैंक्वेट हाल में 92 जोड़ों के विवाह का आयोजन था. इन में 42 जोड़े हिंदू और 50 जोड़े मुसलिम थे.

मुख्यमंत्री की इस योजना के मुताबिक प्रति विवाह पर 35 हजार रुपए सरकारी खर्चे का प्रावधान है. इस में दुलहन के खाते में 20 हजार रुपए जाने थे और विवाह में कपड़े, गहने और बरतन दिए जाने थे.

इस सामूहिक विवाह आयोजन में जिले के सभी बड़े अफसर शामिल हुए थे और मुख्य अतिथि के रूप में राज्यमंत्री सुरेश राणा भी आए थे. सबकुछ ठीकठीक ही हो जाता, अगर टैलीविजन चैनल वाले और अखबार रिपोर्टर शादी कराने आए जोड़ों से बात न करते.

जब मीडिया वालों को पता चला कि इन में से तकरीबन 1 दर्जन जोड़े ऐसे हैं जो पहले से ही शादीशुदा हैं, तो वहां हड़कंप मच गया. एक जोड़े की शादी 6 फरवरी को हो गई थी तो दूसरे जोड़े की 8 दिसंबर को. एक जोड़े ने तो 2 दिन पहले ही गृहस्थ जीवन में कदम रखा था.

जब ऐसे जोड़ों से बात की गई तो पता चला कि वे सरकार द्वारा दी जाने वाली माली इमदाद पाने के लिए दोबारा शादी करने को तैयार हो गए थे.

जब बात कलक्टर तक पहुंची तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम. वे मामले की जांच कराएंगे.

24 फरवरी, 2018 को ग्रेटर नोएडा के वाईएमसीए क्लब में 66 जोड़ों के विवाह का आयोजन किया गया था. वहां मीडिया कुछ ज्यादा ही सतर्क था. विवाह के पंडाल में अजीब सी सुगबुगाहट थी.

पता चला कि गांव नंगला चीती, थाना दनकौर के नरेंद्र सिंह ने पहले से ही अफसरों को शिकायतपत्र दिया था कि इस मामले में प्रधानपति धर्मेंद्र सिंह ने फर्जीवाड़ा कर के कई अयोग्य जोड़ों का रजिस्ट्रेशन कर दिया था.

नरेंद्र सिंह की शिकायत रंग लाई. पता चला कि इन में से कई जोड़ों के तो 3-3, 4-4 बच्चे भी हैं. यही नहीं, खुद ग्राम प्रधान बबीता ने अपने पति धर्मेंद्र से दोबारा शादी रचा ली थी. जांच के आदेश के बाद पता चला कि 11 जोड़ों की शादी पहले हो चुकी थी.

गांव प्रधान रविंद्र सिंह और 2 लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया. समाज कल्याण अधिकारी आनंद कुमार ने दनकौर थाने में नंगला चीती की ग्राम प्रधान बबीता और उस के पति धर्मेंद्र सिंह समेत 9 जोड़ों के खिलाफ धारा 420, 409 और 34 के तहत मामला दर्ज करा दिया.

जब सीडीओ अनिल कुमार सिंह और समाज कल्याण अधिकारी आनंद कुमार ने गांव नंगला चीती जा कर पूछताछ की तो पता चला कि 3 जोड़ों ने तो अपने भाईबहनों के नाम से रजिस्ट्रेशन कराया था और शादीशुदा होने के बावजूद भाईबहनों के नाम पर दोबारा शादी रचाई और सरकारी खजाने की लूट में हिस्सेदार बने.

नंगला चीती गांव की 2 सगी बहनों निशि और बबीता की शादी 12 मार्च को तय थी लेकिन उन्होंने अपने भाई रविंद्र और विनीत के साथ अपना नाम रजिस्टर करा दिया था.

गांव नंगला चीती के सोनी पत्नी रंजीत, सोनिया पत्नी बंटी, पूनम पत्नी हरिओम, फूला पत्नी पवन, पिंकी पत्नी मोहित, लक्ष्मी पत्नी सोविंद्र और सविता पत्नी नवीन, बबीता पत्नी रविंद्र और नीशू पत्नी विनीत ने पैसे के लिए दोबारा फर्जी विवाह कर न केवल सरकारी योजना हड़पने की योजना बनाई बल्कि विवाह जैसे पवित्र संस्कार का भी मजाक उड़ाया.

औरैया और इटावा में तो अफसरों के पास लूट का यह अच्छा मौका था. उन्होंने सामान की खरीद टैंडर से नहीं, बल्कि जन सेवा शादी ग्रामोद्योग के जरीए की. दुलहन को दी गई चांदी की पायल और बिछुओं पर से चांदी के पानी का रंग क्या उतरा अफसरों की सारी पोल खुल गई.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते हो पंडिताई ऐलान किया था कि अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के लिए उन के राज्य में कोई जगह नहीं है. पिछले दिनों ऐनकाउंटर योजना में बड़ेबड़े गुंडों को बिना अपराध साबित हुए मरवा दिया गया. पर अभी तक 50 साल से ऊपर के मुलाजिमों के कर्मों की स्क्रीनिंग रफ्तार नहीं पकड़ पाई है और किसी भ्रष्ट अफसर और मुलाजिम को जिले में सेवामुक्त करने का मामला भी सामने नहीं आया है इसलिए वे बेखौफ हो कर वही चाल चल रहे हैं जो पिछली सरकारों में चलते थे.

अभी प्रदेश के 22 जिले बाकी हैं, जहां सामूहिक विवाह का आयोजन होना है. इस फर्जीवाड़े से कमाने के मौकों का वहां के अफसर व सरपंच बेचैनी से इंतजार कर रहे हैं. उन्हें मालूम है कि सरकार जो चाहे नियम बना ले, लागू तो उन्हें ही करने हैं और वे कमाई कर ही लेंगे.

मजेदार बात है कि एक भी ब्राह्मण श्रेष्ठ ने 2-2 बार हो रही शादी की पोल नहीं खोली और शादी कराने से इनकार नहीं किया.

प्रीत किए दुख होए: भाग 3

पिछले अंकों में आप ने पढ़ा था:

काजल और सुंदर स्कूल के दिनों से ही एकदूसरे से प्यार करते थे. सुंदर चूंकि ऊंची जाति का था और काजल दलित थी इसलिए सुंदर के पिता ने उसे मामा के पास भेज दिया. वहां सुंदर का खूब शोषण हुआ. इधर काजल पढ़ाई में तेज होने के चलते आगे बढ़ती गई. इसी बीच सुंदर की जिंदगी में मीनाक्षी आई जिस के पिता उन दोनों का रिश्ता कराना चाहते थे.

अब पढ़िए आगे…

‘‘तेरी भलाई इसी में है कि तू मीनाक्षी के संग जोड़ी जमा और पढ़लिख. मैट्रिक पास करा दिया न? सैकंड डिवीजन ही सही.

‘‘कल कालेज चलना मेरे साथ. दाखिला करा दूंगा,’’ कह कर आंखें तरेरते हुए मिश्राजी वहां से चले गए.

उस दिन भी सुंदर ने खाना नहीं खाया. सब ने लाख कोशिश की, पर बेकार गया.

मीनाक्षी सुंदर को समझाती, ‘‘घोड़े हो गए हो पूरे 6 फुट के. मन के मुताबिक नतीजा नहीं लाया तू?’’

‘‘नहीं मीनाक्षी, इस बार या तो फर्स्ट आऊंगा या फिर जान दे दूंगा,’’ सुंदर ने पूरे भरोसे के साथ कहा.

‘‘बाप रे…’’ मीनाक्षी ने मुंह पर हाथ रख लिया, ‘‘तू इतना बुजदिल है… जब मैं साथ रहूंगी तो जान कैसे देगा? मैं क्या तमाशा देखूंगी? मैं भी…’’ सुंदर ने अपने हाथों से उस के मुंह को बंद कर दिया.

‘‘तुम्हारा तो सबकुछ है. तुम ऐसा क्यों करोगी?’’

‘‘जब तुम नहीं तो कौन है मेरा?’’ मीनाक्षी की आंखों में आंसू आ गए.

‘‘मीनाक्षी, ऐसे सपने मत पालो. रास्ते का ठीकरा किसी का भविष्य नहीं हो सकता. मैं गरीब पूजापाठ कराने वाले बाबूजी का बेटा हूं. तेरी जैसी अमीरी मेरे पास नहीं है. तेरे लिए तो शहजादों की कतार लगी है.’’

मिश्राइन दूसरे कमरे से दोनों की बातें सुन रही थीं. वे बाहर निकल आईं, ‘‘तू ही तो एक सूरमा बचा है काजल के लिए? अरे पोथीपतरे वाले, तेरे मन में यह सब कैसे घुस गया है? दलित अछूत होते हैं, इतना भी नहीं पता?’’

‘‘पता है, लेकिन आप को भी पता होगा कि ये सब दीवारें कब की गिर चुकी हैं. पूरे देश में उदाहरण भरे पड़े हैं कि अच्छेअच्छों व बड़ेबड़ों ने भी इसे स्वीकारा है और दूसरी जाति में शादी कर इसे साबित भी कर दिया है.

ये भी पढ़ें- शुक्रिया श्वेता दी: भाग 1

‘‘मांजी, वह दिन दूर नहीं जब जातिवाद भूल कर सब आपस में मिल कर एक हो जाएंगे. समाज में बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, दहेज प्रथा के खात्मे के लिए यह जरूरी हो गया है कि

2 परिवार मिलें, शादी करें और एकदूसरे के बोझ को हलका करें. मास्टरजी तो जानते ही होंगे…’’ सुंदर बोला.

‘‘बस, भाषण बंद कर. मुझे तुम से बहस नहीं करनी,’’ मांजी पैर पटकते हुए वहां से चली गईं.

मीनाक्षी ने जोर से ताली बजाई, ‘‘मां को हरा दिया सुंदर, शाबाश. इस बार तू इम्तिहान को भी हरा दे.’’

‘‘ऐसा ही होगा मीनाक्षी, ऐसा ही होगा इस बार,’’ और सुंदर एकदम चुप हो गया.

मिश्राइन ने मिश्राजी को सारी बातें बताईं.

‘‘बोलो, मैं क्या करूं?’’ मिश्राजी ने पूछा.

‘‘करना क्या है… दोनों के पैरों में जल्दी ही बेडि़यां डाल दो.’’

‘‘यह मुमकिन है क्या? मीनाक्षी और सुंदर अभी नाबालिग हैं. सब्र करो. सब्र का फल मीठा होता है.’’

‘‘अगर चिडि़या पिंजरे से फुर्र हो गई तो?’’ मिश्राइन ने सवाल किया.

मिश्राजी कुछ नहीं बोले. वे कमरे में सोने चले गए. मिश्राराइन झुंझला गईं और पैर पटक कर बोलीं, ‘‘ऐसा ही होगा एक दिन. तुम ख्वाब देखते रह जाओगे.’’

इधर काजल का मानना था कि सुंदर क्लास में उस से पीछे है. उसे पता नहीं था कि सुंदर ने भी मैट्रिक का इम्तिहान दिया था और सैकंड क्लास से पास भी हुआ था. बड़ी मुश्किल से मास्टरजी ने उस का दाखिला गांव के निकट के कालेज में करा दिया था और उस ने काजल के नतीजे के बराबर तो नहीं, उस के पास आने की कसम खाई थी.

काजल ने मुख्यमंत्री से 25 हजार रुपए का चैक ले तो लिया, लेकिन सुंदर से आगे रहना उसे गवारा नहीं था इसलिए उस ने कहीं दाखिला नहीं लिया.

खुद डीईओ साहब ने कोशिश की, तो काजल की मां ने कहा, ‘‘मैं अकेली रह लूंगी लेकिन साहब, शहर की कहानियां सुनसुन कर तो मेरा कलेजा मुंह को आ जाता है. वहां गुंडे सरेआम लड़कियों को उठा लेते हैं. 5 साल की बच्ची से भी बलात्कार कर हत्या करने से नहीं हिचकते भेडि़ए. साहब, मेरी फूल सी बेटी इन सब का शिकार होने नहीं जाएगी शहर.’’

‘‘देखिए, माना कि शहर में यह सब होता है लेकिन जरूरी तो नहीं कि काजल के साथ भी हो. उस पर भी कलक्टर की देखरेख रहेगी. ऊपर से मुख्यमंत्री का दबाव पड़ रहा है. दाखिला तो कराना ही होगा.

‘‘रही बात सिक्योरिटी की तो एसपी से कह कर इसे सिक्योरिटी दी जाएगी. वहां रहने को होस्टल है. इस के लिए सबकुछ मुफ्त रहेगा. चाहे तो आप भी साथ में रह सकती हैं. मेरा भी घर बहुत बड़ा है.

‘‘मेरा एकलौता बेटा अंजन कुमार ट्रेनी डीएसपी है. उस की भी निगरानी रहेगी. काजल मेरे पास बेटी बन कर रहेगी. हम भी आप की ही बिरादरी के हैं.’’

‘‘आप का बेटा… कुंआरा है क्या अभी?’’ काजल की मां की उत्सुकता जागी.

‘‘हां, है तो… लेकिन अभी ट्रेनी है.

2 महीने बाद उस की पोस्टिंग कहीं भी डीएसपी की पोस्ट पर हो जाएगी.’’

‘‘तो ऐसा कीजिए न साहब, आप काजल को बेटी बना ही लीजिए.’’

मां का मकसद ट्रेनी डीएसपी से काजल की शादी कराना था.

‘‘देखिए, जमाना एडवांस चल रहा है. आजकल शहरों में पहले दोस्ती, फिर सगाई और फिर… समझ रही हैं न आप. मेरा भी लालच इतना ही है कि ऐसी सुघड़, सुंदर व मेधावी लड़की अपनी बिरादरी में खोजे नहीं मिलेगी.’’

‘‘मां…’’ यह सुन कर काजल चीख उठी, ‘‘कहा न कि मैं दाखिला नहीं लूंगी और न ही शादी ही करूंगी, बस.’’

‘‘मैं कैसे समझूं कि गांव की लड़कियां शहर की लड़कियों से कम होती हैं? सोच लीजिएगा. एक मौका तो दूंगा ही.

‘‘और हां, दाखिला तो लेना ही पड़ेगा. यह सरकारी आदेश है,’’ इतना कह कर वे चले गए.

उस रात काजल ने सपना देखा कि सुंदर की दूसरी जगह शादी हो गई है और वह सुहागरात में उस का नाम ले कर फूटफूट कर रो रहा है.

सपने में ही काजल की चीख निकल गई और नींद टूट गई. मां ने उसे बांहों में भर लिया.

काजल ने फफकते हुए कहा, ‘‘मां, सुंदर ने शादी कर ली है.’’

‘‘पगली, सपने भी कहीं सच होते हैं भला. सो जा. शादी होगी तो तेरा क्या? हम दलित हैं और वे लोग ऊंची जाति के हैं. वे लोग हमें अछूत मानते हैं.’’

इसी तरह 2 महीने बीत गए. डीएसपी अंजन कुमार की पोस्टिंग भी राजकीय महाविद्यालय गेट के पास बने थाने में थाना इंचार्ज के रूप में हुई.

ये भी पढ़ें- अपना घर: आखिर सीमा के मायके में क्या हुआ था?

डीएम की चिट्ठी का हवाला देते हुए डीईओ ने डीएसपी अंजन कुमार को लिखा कि नंदीग्राम की एकमात्र छात्रा काजल का दाखिला कल तक करा दिया जाए, क्योंकि उसी के लिए कालेज में सीट रिजर्व रखी गई है. उस के रहने, आनेजाने पर सिक्योरिटी गार्ड की तैनाती का भी आदेश दिया गया.

डीएसपी ने अपने डीईओ पिता से भी काजल की चर्चा सुनी थी, इसलिए वे खुद को रोक नहीं सके और शाम को  तकरीबन 4 बजे फोर्स ले कर नंदीग्राम पहुंच गए.

2 घरों के बाद ही काजल का घर था. अंजन कुमार ने सांकल बजाई. काजल ने दरवाजा खोला. अंजन कुमार समझ गए कि यही काजल है.

‘‘आप की मां कहां हैं?

‘‘पड़ोस में गई हैं. वे अभी आ जाएंगी,’’ इतना कह कर काजल ने एक कुरसी निकाली और अंजन कुमार को बिठा दिया.

अंजन कुमार ने पूछा, ‘‘क्या तुम्हीं काजल हो?’’

काजल ने हां में सिर हिलाया और जेब पर लगी नेमप्लेट से समझ गई कि यही डीईओ साहब के बेटे हैं जिन से उस की शादी की बात उन्होंने मां से छेड़ी थी.

तभी काजल की मां भी आ गईं और हाथ जोड़ कर खड़ी हो गईं.

‘‘देखिए, काजल के दाखिले के लिए राजकीय महाविद्यालय में सीट खाली छोड़ी गई है. डीएम ने डीईओ को और डीईओ ने यह काम थाना इंचार्ज डीएसपी अंजन कुमार यानी मुझे सौंप दिया है.

‘‘कल हम सुबह साढ़े 9 बजे गाड़ी ले कर आएंगे और आप दोनों को महाविद्यालय चलना होगा. इस में आनाकानी की कोई गुंजाइश नहीं है. बस, मैं यही कहने आया था,’’ कह कर वे उठ खड़े हुए.

‘‘अगर मैं दाखिला न लूं तो?’’ काजल ने कहा.

‘‘तो कल मैं वारंट भी साथ ही ले कर आऊंगा. और… आप सोच लेना,’’ डीएसपी अंजन कुमार ने कहा.

डीएसपी अंजन कुमार की छाती को बेधते हुए काजल ने सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘थैंक यू सर.’’

डीएसपी अंजन कुमार दिल पर पड़े जख्म को सहलाते हुए अपने थाने लौट गए. दूसरे दिन काजल का दाखिला हो गया और चल पड़ा नया सैशन. सभी प्रोफैसरों को गाइड किया गया था कि वे काजल पर खास नजर रखें.

काजल भी हर सब्जैक्ट को आसानी से समझ लेती थी. उस ने भी ठान लिया था कि सुंदर मास्टर मिश्राजी की बेटी के साथ मगन है तो वह क्यों उस के नाम की माला जपे? अगर वह दलित है तो ठीक है, कुदरत ने उसे किसी से कम भी नहीं बनाया है.

देखभाल के लिए सिक्योरिटी गार्ड मिलने से काजल को घर से कालेज आनेजाने में कोई डर नहीं था. उस की मां भी खुश थीं.

चूंकि काजल होस्टल में रहती थी, वह भूल गई अपने गांव को. उसे क्या पता था कि उस का पुराना घर तोड़ कर सरकार वहां नई इमारत बना रही है. पूरे गांव का कायाकल्प हो रहा है.

(क्रमश:)

क्या सुंदर गांव में जा कर काजल से मिल पाया? क्या मिश्राजी सुंदर को अपना दामाद बनाना चाहते थे? पढ़िए अगले अंक में…

आदर्श होती हैं कामकाजी महिलाएं

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने 25 देशों में 50 हजार व्यस्कों पर एक शोध किया और पाया कि वर्किंग मदर्स के बच्चे हर दृष्टि से बेहतर साबित होते हैं. उन की बेटियां अपना कैरियर अच्छा बनाती हैं, प्रतियोगिताओं को दमखम से फेस करती हैं, वे ज्यादा ऊंचे पद पाती हैं. यह आंकड़ा चौंकाने वाला इसलिए है कि जिन मांओं ने सिर्फ घर ही संभाला उन के मुकाबले वर्किंग मांओं की बेटियां 23% ज्यादा वेतन पाती हैं. 8% ज्यादा बेटियों को मैनेजर की जगह मिली.

यही नहीं वर्किंग मदर्स के बेटे घरों में पत्नी का हाथ ज्यादा बंटाते हैं और फिर भी उन का कैरियर कम नहीं होता. एक आम धारणा यह है कि वर्किंग मदर्स के ऐक्स्ट्रा चाबी वाले बच्चे अकेले रह जाते हैं, बिगड़ जाते हैं पर इस स्टडी ने इस बात को झुठलाया है और यह साबित कर दिया है कि कुल मिला कर कामकाजी मांएं बच्चों पर एक अच्छा प्रभाव छोड़ती हैं.

यह स्वाभाविक है, क्योंकि कामकाजी महिलाएं जहां बेटियों के सामने आदर्श रहती हैं कि घरबाहर दोहरी जिम्मेदारियां उठा कर वे अपनी शक्ति का सदुपयोग करती हैं वैसे ही बेटियों को करना चाहिए. वहीं वर्किंग मदर्स बेटियों को आफिसों की राजनीति, दूसरेपराए पुरुषों से व्यवहार, आर्थिक फैसले करने का अभ्यास बखूबी करा देती हैं. वर्किंग मदर्स की बेटियां प्रारंभ से ही घर ज्यादा अच्छा चला लेती हैं, क्योंकि वे परंपराओं से दूर रहती हैं.

इस स्टडी में तो यह नहीं पूछा गया पर यह पक्का है कि भारत में कामकाजी मांओं को धार्मिक पाखंडों से मुक्ति जरूर मिल जाती है और वे रोजरोज के व्रतों, उपवासों, पंडों को खिलाने, घंटियों को बजाने, मंदिरों की लाइनों में लगने से बच जाती हैं. ये गुण बेटियों में भी आ जाते हैं.

कामकाजी मांएं बेटों को आत्मसमर्थ बना देती हैं और वे बेहतर पति साबित होते हैं. मांओं के लिए कामकाजी होना बच्चों के लिए एक अच्छा अवसर होता है भले कुछ साल उन्हें दादियों, चाचियों या आयाओं के साथ काटने पड़ते हों. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इस शोध ने साबित किया है कि औरतें किसी से कम नहीं और जो औरतें किसी से कम नहीं वे घरबाहर दोनों के लिए वरदान हैं.

हम सुधरने वाले नहीं

हर खराब चीज के लिए भाजपा सरकार को दोष देना तो ठीक न होगा पर जब मोदी हर अच्छी बात के लिए अपनी पीठ खुद थपथपा सकते हैं, तो उन के शासनकाल में होने वाली कमी, कमजोरी या खराबी के लिए उन्हें ही गाल आगे करने होंगे.

शहरों का प्रदूषण आज देश के लिए सब से भयंकर बीमारी है. यह भूख की तरह की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के 15 सब से गंदे शहरों में से 14 भारत में हैं. इन 14 (बाकी की तो छोडि़ए) की औरतों को बीमारियों, मैले कपड़ों, कीच होती दीवारों, चिटकते फर्शों, कीटों, मच्छरों व मक्खियों के लिए सरकार को ही कोसना होगा.

2014 में दुनिया के सब से गंदे 15 शहरों में से भारत के 3 ही शहर थे. स्वच्छता अभियान की पोल खोलती यह रिपोर्ट बताती है कि अब 4 सालों में 11 शहर और जुड़ गए हैं. गंगा किनारे बसा कानपुर सब से गंदा है. यमुना किनारे बसा फरीदाबाद 2 नंबर पर है, तो गंगा के किनारे बसा वाराणसी शहर 3 नंबर पर. तीर्थस्थान गया जहां 4 नंबर पर है, वहीं गंगा किनारे बसा पटना 5 नंबर पर. नरेंद्र मोदी की सीट दिल्ली 6 नंबर पर है और योगी आदित्यनाथ का आश्रम लखनऊ 7 नंबर पर है.

वृंदावन मथुरा से थोड़ा दूर आगरा 8 नंबर पर है. श्रीनगर जो कहते नहीं अघाता था कि स्वर्ग यहीं है 10 नंबर पर है. दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में गंदे 15 शहरों में कोई भी शहर नहीं है. 15 में से 14 के 14 भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के हाथों में हैं.

यह चाहे सही है कि गंदगी पिछली सरकारों की भी देन है पर जब वाहवाही लूटने के लिए पिछली सरकार के अच्छे योगदान को अनदेखा करोगे तो थूथू भी सुनोगे. बच्चों के अच्छे नंबर आए हैं, तो तारीफ पत्नी को मिलेगी, खराब नंबर आए हैं, तो उन के दादादादी को तो नहीं कोसा जाएगा न.

ये शहर गंदे इसलिए हैं कि गंद को उठाना हमारे यहां आज भी बेहद गंदा काम समझा जाता है. भारत में अब दलित भी यह काम करने में आनाकानी करने लगे हैं, क्योंकि इस काम का आर्थिक ही नहीं सामाजिक असर भी है. दूसरे देशों में यह काम वहां के अनपढ़, गरीब या बाहर के आए लोग कर रहे हैं पर इस काम को करने वाले सामाजिक बहिष्कार के शिकार नहीं होते.

यहां का सफाई कर्मचारी इस काम को जन्मजात बोझ समझता है. उस का मन ही नहीं है इस में और हो भी क्यों? घर में रह रही विधवा को यदि सफेद कपड़े पहना कर सीढि़यों के नीचे वाली कोठरी दोगे तो वह घर की रक्षा तो करेगी नहीं, मन मार कर काम करेगी, केवल जीने भर के लिए.

गंदगी ऊंचे फैलाते हैं, तो उस के निबटान का जिम्मा भी उन्हें ही उठाना होगा. हाथ से नहीं उठाना तो मशीनें हैं न आज. पर ऊंचे तो कूड़ा फैलाना जन्मजात पौराणिक हक मान कर चल रहे हैं और यही दुर्दशा की वजह है.

भूल जाइए कि हम सुधरने वाले हैं. हम और भी गंदे होंगे और अस्थमा, स्किन डिजीज, इन्फैक्शन, कैंसर आदि रोग सुरसा की तरह बढ़ेंगे ही. जो अंधविश्वासी हैं वे भले महा हवन करा लें, पर होगा तभी कुछ जब हर जना दस्ताने पहन कर अपना व दूसरों का कूड़ा उठाने को तैयार होगा.

क्या निधि अग्रवाल को डेट कर रहे हैं केएल राहुल

क्रिकेट और बौलीवुड का रिश्ता काफी पुराना रहा है, मंसूर अल पटौदी और शर्मिला टैगोर से शुरू हुई लव स्टोरीज आजतक चली आ रही हैं. पिछले साल 11 दिसंबर को टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और बौलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा 4 साल के रिलेशनशिप के बाद शादी के बंधन में बंध चुके हैं. विराट-अनुष्का की शादी के टीम इंडिया के औलराउंडर खिलाड़ी हार्दिक पांड्या का नाम भी अभिनेत्री एली अवराम के साथ जोड़ा जा रहा था. हालांकि, हार्दिक पांड्या की तरफ कोई बयान नहीं आया लेकिन एली का कहना था कि वह और हार्दिक सिर्फ अच्छे दोस्त हैं. अब क्रिकेटर केएल राहुल का नाम भी बौलीवुड की एक अभिनेत्री के साथ जोड़ा जा रहा है.

आईपीएल 2018 में किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से खेलने वाले केएल राहुल ने शानदार परफौर्म किया. अपने बल्ले से आईपीएल 2018 में धमाल मचाने वाले लोकेश राहुल हाल ही में टाइगर श्रौफ की अभिनेत्री के साथ स्पौट हुए हैं. सोशल मीडिया पर केएल राहुल के साथ इस हिरोइन की तस्वीरें जमकर वायरल हो रही हैं.

केएल राहुल की तस्वीरें अभिनेत्री निधि अग्रवाल के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. बता दें कि निधि अग्रवाल ने अपनी पहली फिल्म टाइगर श्राफ के साथ की थी. निधि ने टाइगर श्रौफ के साथ मुन्ना माइकल से बौलीवुड में डेब्यू किया था. यह फिल्म पिछले साल आई थी.

sports

बता दें कि निधि अग्रवाल 29 मई की शाम को मुंबई के बांद्रा इलाके स्थित एक रेस्टोरेंट के पास स्पौट की गई थीं. निधि के साथ पंजाब किंग्स इलेवन के स्टार परफौर्मर के एल राहुल भी मौजूद थे.

खबरों की माने तो निधि और राहुल यहां डिनर डेट पर आए थे. हालांकि, इस खबर की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है.

केएल राहुल और निधि अग्रवाल के डिनर डेट के बाद लगता है कि विराट कोहली-अनुष्का शर्मा, सागरिका घाटगे और जहीर खान के बाद अब बौलीवुड और क्रिकेट की एक और शानदार जोड़ी बनने जा रही है.

हालांकि निधि अग्रवाल केएल राहुल से जुड़े होने की बात को छिपा भी नही रही है. निधि अग्रवाल खुले आम कहती हैं- ‘‘क्रिकेटर के एल राहुल से मेरी जान पहचान टीनएज उम्र से यानी कि काफी पुरानी है. हम दोनों बंगलोर में रहते हैं. हमने एक साथ एक ही कौलेज की पढ़ाई नहीं की,पर हम मिलते रहे हैं. हमारी मुलाकातें तब से जारी हैं, जब मैं फिल्म अभिनेत्री नहीं बनी थी और के एल राहुल क्रिकेटर नहीं बने थे. क्रिकेटर होने की वजह से वह काफी बाहर रहते हैं, पर जब भी वह मुबई में होते हैं, तो हम मिलने का समय निकाल ही लेते हैं और डिनर डेट पर भी जाते हैं.’’

किंग्स इलेवन पंजाब के ओपनिंग बल्लेबाज केएल राहुल इस साल टीम के स्टार परफौर्मर रहे थे. आईपीएल के इस सीजन में राहुल ने 14 मैच खेलकर 54.91 औसत और 158.41 स्ट्राइक रेट से 659 रन बनाए. इस सीजन में राहुल के नाम 6 अर्धशतक भी दर्ज हुए.

रिजर्व बैंक ग्राहकों को बताएगा सेफ बैंकिंग टिप्स

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 4 से 8 जून तक ग्राहकों को सेफ बैंकिंग के बारे में जानकारी देने का अभियान चलाएगा. बैंक की हर साल ग्राहकों को जागरूक करने के लिए इस तरह का आयोजन करने की योजना है. बैंक सूत्रों की तरफ से यह जानकारी दी गई.

टेक्नोलौजी से लैस औनलाइन बैंकिंग, डेबिट, क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के इस दौर में ग्राहकों को सुरक्षित बैंकिंग की जानकारी काफी महत्वपूर्ण है. इन पांच दिनों में देशभर में बैंक अपने ग्राहकों को सुरक्षित बैंकिंग के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएंगे.

business

चार जून को होगी कार्यक्रम की शुरुआत

दिल्ली में चार जून को इस कार्यक्रम की शुरुआत आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक द्वारा की जाएगी. इस दौरान पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और ओरिएंटल बैंक आफ कौमर्स के प्रमुख अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. सूत्रों ने बताया कि बैंकिंग के दौरान ग्राहकों को कई बार दिक्कतें आती हैं. कई बार एटीएम धोखाधड़ी के मामले भी सामने आए हैं. लेकिन इसमें ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने यदि इसकी सूचना समय पर बैंक को दे दी है तो उनका जोखिम खत्म हो गया है और अब आगे यह बैंक की जिम्मेदारी हो जाती है.

उन्होंने कहा कि ग्राहक एटीएम से लेनदेन विफल होने या मशीन से पैसा जमा कराते समय किसी तरह की टेक्निकली चूक होने के मामले की शिकायत बैंक शाखा में मौजूद शिकायत रजिस्टर में दर्ज करें या फिर वे बैंक की वेबसाइट पर औनलाइन शिकायत भी कर सकते हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें