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गन्ने की पैदावार लाए खुशियां हजार

उत्पादन अच्छा होने के कारण गन्ना देश की खासमखास नकदी फसलों में आता है. देश के 18 राज्यों में गन्ने की बहुतायत थी, लेकिन गन्ने की खेती अब लगातार घट रही है. मसलन, साल 2014 में कुल रकबा 5,341 हजार हेक्टेयर था, जो घट कर साल 2015 में 5,307 हजार हेक्टेयर रह गया.

इसी तरह गन्ने की पैदावार में भी कमी आ रही है. साल 2015 के दौरान देश में गन्ने की कुल पैदावार 3,456 लाख टन थी, जो साल 2016 में गिर कर 3369 लाख टन रह गई. यदि गन्ने का रकबा व पैदावार इसी तरह घटती रही तो जाहिर है कि भारतीय चीनी उद्योग के सामने कच्चे माल की तंगी आ सकती है.

गन्ने की 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मुहैया कराने के लिए उन्नत प्रजाति को चुनना और बोआई के लिए यंत्रों का इस्तेमाल ही संतुलित पोषक तत्त्व प्रबंधन और सहफसली खेती द्वारा ही मुनासिब है.

गन्ने की फसल लेना मालीतौर पर किसानों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि उन्नत तकनीक अपना कर ही उत्पादन को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है. उत्पादन में ज्यादा इजाफा इस तरह भी किया जा सकता है:

गन्ने की 1 एकड़ बोआई में खादों का इस्तेमाल:

* गोबर की खाद-25 क्विंटल.

* डीएपी-50 किलोग्राम.

* यूरिया-30 किलोग्राम.

* माइक्रोन्यूटैंट-13-500.

* सल्फर-3 किलोग्राम.

* एजो फास्फोरस-1 लिटर फास्फोरस.

* ट्राइकोडर्मा-1 लिटर.

* पोटाश-50 किलोग्राम.

नोट-: अच्छे नतीजे लाने के लिए मिश्रण बोआई से 2 हफ्ते पहले मिला कर छाया में रखें.

खेत की करें तैयारी

* सब से पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें. उस के बाद हैरो टिलर से जुताई करें.

* गहरी जुताई करने के बाद 5 फुट की गहराई पर कूंड़ निकालें.

बीज का चयन

* गन्ने का बीज मोटा, ताजा, लंबी पोरी वाला, 8-10 महीने वाला व उन्नत प्रजाति का हो.

* गन्ने की नीचे की 3-4 पोरी बीज में न लें.

* गन्ने का बीज जड़ वाला गिरा हुआ चूहे द्वारा काटा हुआ, चोटीबेधक कीट व बीमारी से बिलकुल ग्रसित न लें.

* गन्ने का बीज टूटनेफूटने से बचाने के लिए बीज को एक जगह से दूसरी जगह पर अगोला व पत्ती सहित ही ले जाएं.

* गन्ने की आंखें धूप से बचाएं.

* गन्ने की आंखों के ऊपर से पत्ती पूरी तरह साफ करें.

* गन्ने के बीज को 2 ही आंख के टुकड़ों में काटें.

* गन्ने के बीज के टुकड़े काटने के बाद जल्दी से जल्दी कूंड़ों में डाल कर मिट्टी से ढक दें वरना इस के जमाव पर असर पडे़गा.

यों करें बोआई

ट्रैंच विधि से 2 पंक्ति में बोआई : ट्रैंच विधि से एक लाइन से दूसरी लाइन में बोआई उन रकबों में फायदेमंद है, जहां हलकी मिट्टी या क्षारीय मिट्टी हो. इस विधि से जल की बचत के साथसाथ सहफसली खेती कर के मुनाफा लिया जा सकता है.

ट्रैंच विधि से लागत कम आती है, उपज ज्यादा मिलती है और सहफसली खेती जैसे लहसुन, प्याज, चना, मटर, मसूर, खीरा व टमाटर भी आसानी से की जा सकती है.

इस विधि में यू आकार की 25 सैंटीमीटर गहरी और 30 सैंटीमीटर चौड़ी खाई 90 सैंटीमीटर की दूरी पर ट्रैक्टरचालित ट्रैंचर से खोदी जाती है.

इस मशीन द्वारा एक बार में 2 खाई बनाई जाती हैं और तीसरीचौथी खाई दूसरे चक्कर पर मशीन में लगे गाइडर की मदद से बराबर की दूरी पर बनती हैं. इन ट्रैंचों (खाइयों) में गन्ने के टुकड़े खाई के बीच में समानांतर यानी पैरलल अथवा क्रौस डाले जाते हैं. दोहरी जुड़वां लाइन में गन्ना बोआई के लिए पेयर्ड रो प्लाटिंग रिजर द्वारा बीच में 120 सैंटीमीटर चौड़ी बेड बना कर उस के दोनों तरफ 30-30 सैंटीमीटर की दूरी पर कूंड़ निकाले जाते हैं.

इस तरह 2 जुड़वां खाइयों के बीच की दूरी 120+30 या 150 सैंटीमीटर होती है. गन्ने के टुकडों की बोआई मजदूरों द्वारा ट्रैंच की तली में एक तरफ डाल कर की जाती है. सिंचाई भी ट्रैंचों में ही की जाती है.

* 2 आंख वाले गन्ने के बीज टुकड़े से टुकडे़ के बीच 4 इंच का अंतर रख कर ही बोआई करें.

* गन्ने के टुकड़े के ऊपर फावड़े या औजार से 1-2 इंच मिट्टी चढ़ा दें. हलकी मिट्टी करने के लिए पाटे का इस्तेमाल कतई न करें.

* हलकी मिट्टी चढ़ाने के बाद तुरंत पानी लगा दें. पानी लगाते समय कूंड़ों की लंबाई कम रखें अन्यथा कूंड़ों में पानी रुकेगा तो जमाव प्रभावित होगा.

* खेत में अच्छी नमी होने पर ही खरपतवारनाशी काम करेगी.

* खरपतवारनाशी का इस्तेमाल करने के लिए साफ पानी का ही इस्तेमाल करें.

* खरपतवारनाशी का छिड़काव नोजल से ही करें.

* पूरी तरह से नियंत्रण पाने के लिए खरपतवारनाशी दवा का दूसरा छिड़काव 10 दिन पर करें.

* यदि खरपतवारनाशी का इस्तेमाल नहीं किया गया है तो 25 दिन व 65 दिन पर खुरपा चला कर खरपतवार निकाल दें.

छिड़काव

उर्वरकों को गोबर की सड़ी खाद में मिला कर फिर गुड़ाई करें. गोबर की खाद 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल करें.

फसल की सुरक्षा

बोआई के समय कीटनाशक दवा डेंटसू 100 ग्राम और टेल स्टार 400 मिलीलिटर या लिसेंटा 160 मिलीलिटर प्रति एकड़ में पहला छिड़काव करें. बोआई के समय कूंड़ों में गन्नों के टुकड़ों के ऊपर मिट्टी चढ़ाने से पहले छिड़काव करें.

दूसरा कीटनाशक का इस्तेमाल बोआई के 45-60 दिन बाद 150 मिलीलिटर प्रति एकड़ कोराजन ड्रेंचिंग कर के सिंचाई कर दें या सिंचाई करने के बाद ड्रेंचिंग करें.

कीटनाशक का इस्तेमाल सिंचाई करने के बाद जब हलका सा पैर घुसता हो तब करें.

मिट्टी चढ़ाना

* गन्ने की फसल में 2 बार मिट्टी चढ़ाएं.

* 60-65 दिन पर कल्ले निकलते समय उर्वरक और कोराजन का इस्तेमाल कर के हलकी मिट्टी चढ़ाएं. मिट्टी चढ़ाने के बाद पानी दे कर पत्तियों के ऊपर माइक्रोन्यूटैंट का छिड़काव करें.

* दूसरी भारी मिट्टी 120 से 150 दिन पर उर्वरक की तीसरी मात्रा और कोराजन की दूसरा ड्रेंचिंग कर भारी मिट्टी चढ़ाएं. मिट्टी चढ़ाने के बाद सिंचाई कर के गन्ने की पत्तियों पर दूसरा माइक्रोन्यूटैंट का छिड़काव जरूर करें.

सिंचाई

* खेत में हमेशा नालियों में हलकी सिंचाई करें.

* खेत में कहीं भी पानी नहीं रुकना चाहिए.

* खेत में हमेशा नमी बनाए रखें.

* नाली विधि से पानी की बचत होती है और एक बार में 4-5 लाइन से आलू विधि से पानी दें.

20 साल बाद आईफा में रेखा ने बिखेरा अपना जलवा

बैंकौक में हुए आईफा अवौर्ड्स 2018 में बौलीवुड के फैंस को वो नजारा देखने को मिला जिसको देखे 20 साल हो गए थे. जी हां हम बात कर रहे हैं आईफा अवौर्ड्स में हुए बौलीवुड की एवरग्रीन एक्ट्रेस रेखा के जादुई डांस परफौर्मेंस की. बौलीवुड की शान रेखा ने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ और ‘सलाम-ए-इश्क मेरी जां जरा कबूल कर लो’ जैसे हिट सौग्स पर डान्स परफौर्मेंस देकर फैंस का दिल जीत लिया. स्टेज पर रेखा के करिश्माई परफौर्मेंस ने एक बार फिर दर्शकों की दिल की धड़कने बढ़ा दी. 20 साल बाद भी रेखा की सुन्दरता और जादूई अदाओं ने फैंस को हैरान कर दिया.

थाईलैंड की राजधानी बैंकौक में हुए 19वें इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवौर्ड्स (आईफा) का आयोजन सियाम निरामित थिएटर मे हुआ. बता दें कि आईफा अवौर्ड शो की शुरूआत बैंकौक से ही हुई थी. आईफा के रेड कार्पेट पर रणबीर कपूर, शाहिद कपूर, अर्जुन कपूर, कृति सैनन, बौबी देओल और नुसरत भरुचा जैसी फिल्मी हस्तियां नजर आई. लेकिन रेखा के स्टेज परफौर्मेन्स ने सब पर भारी पड़ी. रितेश देशमुख और करन जौहर ने अवार्ड शो की मेजाबनी की.

रेखा के अलावा बौलीवुड के अभिनेता रणबीर कपूर ने भी अपने हिट गानों से जोरदार परफौर्मेन्स दिया. वहीं सालो बाद आईफा में अभिनेता बौबी देओल ने भी अपनी परफौर्मेन्स दी. लाइट पिंक कलर के अनारकली सूट में सिर से पैर तक सजी हुई रेखा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. ट्रेडिशनल अवतार में रेखा की इस करिश्माई परफौर्मेंस के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं. जो ये साबित करता है कि आज भी रेखा के लिए बी-डाउन और फैंस की दिवानगी कम नही हुई है.

क्या करें जब आप का फोन हो जाए आउटडेटेड

हर साल स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां नए फीचर्स वाले नए मॉडल लॉन्च करती हैं. लेकिन लेटेस्ट स्मार्टफोन यूज करने वालों के सामने यह समस्या होती है कि आखिर पुराने फोन का क्या किया जाए. जरूरी नहीं कि अगर आप नए स्मार्टफोन को इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपका पुराना फोन किसी काम का नहीं रहा. तो हम आपको बता रहे हैं ऐसे तरीके जहां आप अपने पुराने स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

निगरानी करने में

स्मार्टफोन काफी अच्छे कैमरे के साथ आते हैं. इसलिए आप इसका इस्तेमाल अपने आसपास की निगरानी करने में कर सकते हैं. इसके लिए बस आपको IP Webcam या tinyCam Monitor जैसे ऐप की जरूरत होगी. इनका इस्तेमाल वेब ब्राउजर के जरिए लाइव विडियो देखने, रिकॉर्ड विडियो को क्लाउड स्टोरेज सर्विस पर अपलोड करने के लिए किया जा सकता है.

कार GPS के रूप में

जब भी आप किसी नई जगह या नए शहर में जाते हैं तो आपको सही रास्ता ढूंढने में बड़ी परेशानी होती है. ऐसे में आप अपने पुराने स्मार्टफोन का कार में जीपीएस के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए बस आपको अपने पुराने फोन में HERE WeGo या Google Maps जैसे ऐप डाउनलोड करने हैं जो आपको वॉइस नेविगेशन की सुविधा प्रदान करते हैं. इसके अलावा आप ऑफलाइन यूज के लिए अपने फोन से फुल मैप भी डाउनलोड कर सकते हैं.

डिजिटल फोटो फ्रेम

लगभग हम सभी अपनी ऑफिस डेस्क के आसपास अपने खास लोगों या परिवार की फोटो रखना पसंद करते हैं. आप अपने पुराने स्मार्टफोन का इस्तेमाल डिजिटल फोटो फ्रेम की तरह कर सकते हैं. बस आपको Digital Photo Frame जैसे ऐप को डाउनलोड करना है. ऐसे ऐप के जरिए तस्वीरों को स्लाइड शो के रूप में देखा जा सकता है. इसके अलावा, इन ऐप्स में ऐनिमेशन इफेक्ट, बैकग्राउंड साउंड जैसे ऑप्शन भी आते हैं.

मीडिया सर्वर

अगर आप किसी अलग डिवाइस में मल्टीमीडिया कॉन्टेंट जैसे म्यूजिक या विडियो स्ट्रीम करना चाहते हैं तो आप इसके लिए अपने पुराने स्मार्टफोन का इस्तेमाल मीडिया सर्वर के रूप में कर सकते हैं. Plex या BubbleUPnP जैसे ऐप्स की मदद से आप आसानी से ऐसा कर सकते हैं. ज्यादातर DLNA कम्पैटिबल डिवाइस में स्ट्रीमिंग फीचर आसानी से काम करता है.

यूनिवर्सल रिमोट

आजकल लगभग सभी इलैक्ट्रॉनिक सामान जैसे एसी, टीवी, म्यूजिक सिस्टम आदि सभी अपने अलग रिमोट के साथ आते हैं. लेकिन अगर आपका पुराना स्मार्टफोन IR blaster से लेस है तो आप सारे रिमोट की जगह अपने फोन का इस्तेमाल एक यूनिवर्सल रिमोट के रूप में कर सकते हैं. इसके लिए Easy Universal TV Remote और Peel Smart Remote जैसे ऐप्स भी उपलब्ध हैं जो लगभग सभी घरेलू उपकरणों को सपोर्ट करते हैं.

मीडिया प्लेयर/गेमिंग डिवाइस

लगभग सभी लोग अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल संगीत सुनने, विडियो देखने या गेम्स खेलने के लिए करते है. लेकिन अगर आपके पास एक अतिरिक्त फोन है तो आप इसका इस्तेमाल मीडिया प्लेयर या पोर्टेबल गेमिंग डिवाइस के तौर पर कर सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ अच्छे मीडिया प्लेयर ऐप इन्सटॉल करने होंगे. गेमिंग के लिए आप अपने फोन के हार्डवेयर के हिसाब से टेम्पल रन 2 से लेकर मॉर्टल कॉम्बैट जैसे गेम डाउनलोड कर सकते हैं.

ईबुक रीडर

जहां तक बात किताबों को डिजिटल रूप में पढ़ने की है तो ऐमजॉन किंडल जैसे ई रीडर्स बेस्ट हैं लेकिन अगर आपके पास पहले से ईबुक रीडर नहीं है तो आप अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल इसके लिए कर सकते हैं. ऐमजॉन, बर्नस एंड नोबेल और कोबो जैसे ई रीडर बनाने वाली लगभग सभी कंपनियों के पास अपने ऐप हैं जिनका इस्तेमाल ईबुक पढ़ने के लिए किया जा सकता है.

वायरलस हॉटस्पॉट

आप अपने पुराने स्मार्टफोन का इस्तेमाल वायरलस हॉटस्पॉट के रूप में भी कर सकते हैं. इसके लिए आपको एक 3G या 4G सिम लेकर अपने फोन का वायरलस हॉटस्पॉट ऑप्शन ऑन करना है. पुराने फोन के जरिए, यह वाई-फाई इस्तेमाल करने का आसान और सस्ता तरीका हो सकता है.

बच्चों का पहला स्मार्टफोन

एक जमाना था जब बच्चे खिलौनों से खुश हो जाते थे. आज हर बच्चे को डिजिटल गैजेट और स्मार्टफोन अच्छे लगते हैं. क्योंकि नया और महंगा स्मार्टफोन बच्चों को देना नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए आप अपने बच्चों को अपना पुराना स्मार्टफोन दे सकते हैं.

आज तक ‘डक आउट’ नहीं हुआ है यह भारतीय क्रिकेटर

वनडे क्रिकेट के इतिहास में कई रिकॉर्ड्स बने हैं. इनमें से एक है शून्य पर आउट नहीं होने का. वनडे मैचों में कुछ ऐसे भी बल्लेबाज है, जो अपने पूरे करियर में कभी भी शून्य पर आउट नहीं हुए. इनमें एक भारतीय खिलाड़ी भी है जो कभी शून्य पर आउट नहीं हुआ. भारत का यह खिलाड़ी 1983 विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा भी रह चुका है.

जी हां, इस क्रिकेटर का नाम है यशपाल शर्मा. 11 अगस्त 1954 को लुधियाना में जन्में इस खिलाड़ी ने 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था. यशपाल 1983 में वर्ल्ड कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य भी रहे हैं. वनडे में उन्हें सात साल तक कोई भी गेंदबाज शून्य पर आउट नहीं कर सका.

मध्यक्रम के बल्लेबाज यशपाल शर्मा ने 42 एकदिवसीय मैचों की 40 पारियों में 63.02 की स्ट्राइक रेट के साथ 883 रन बनाए. इस विकेटकीपर-बल्लेबाज का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 89 रन रहा है. उन्होंने इसके साथ ही 4 अर्धशतक भी जड़े हैं.

बात अगर टेस्ट मैच की करें तो यशपाल शर्मा ने 37 मैचों की 59 पारियों में दो शतक और 9 अर्धशतक की मदद से 1606 रन बनाए हैं. वह अपने करियर में 6 छक्के भी लगा चुके हैं. टेस्ट में उनका बेस्ट 140 रहा है.

इसके अलावा वह अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 2 विकेट भी ले चुके हैं. इस खिलाड़ी ने 160 फर्स्ट क्लास मैचों में 8933 रन बनाने के साथ दोहरा शतक भी जड़ा है. यशपाल शर्मा ने इंग्लैंड के खिलाफ चंडीगढ़ में 27 जनवरी 1985 को आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला था. हालांकि वह 1993 तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते रहे.

आइए जानते हैं विश्व के उन पांच खिलाड़ियों के बारे में जो कभी शून्य पर आउट नहीं हुए है.

पीटर क्रिस्टन (दक्षिण अफ्रीका)

तीन साल तक दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलने वाला यह बल्लेबाज कभी भी शून्य पर आउट नहीं हुआ. क्रिस्टन ने इस दौरान अपने 40 मैच के उतने ही पारियों में 1293 रन बनाएं. इसमें 9 अर्धशतक शामिल है. वह इस दौरान 6 बार नॉटआउट भी रहे.

केपर वेसेल्स (आस्ट्रेलिया)

1984 में पर्दापण करने वाला यह बल्लेबाज आस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका दोनों की तरफ से खेल चुका है. वेसेल्स ने अपने 10 साल के अंतराष्ट्रीय करियर में 109 वन डे मैच खेले. उन्होंने 105 पारियों में बल्लेबाजी करते हुए एक शतक और 26 अर्धशतक की बदौलत 3367 रन बनाए. वन डे सर्वोच्च व्यक्तिगत 107 रन बनाने वाले वेसेल्स अपने करियर में कभी भी शून्य पर आउट नहीं हुए. वे 7 बार नॉटआउट भी रह चुके हैं.

जैकस रूडोल्फ (दक्षिण अफ्रीका)

दक्षिण अफ्रीका के बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने 2003 से 2006 तक 45 वन डे मैच खेले. इस दौरान रूडोल्फ ने 39 पारियों में बल्लेबाजी की, जिसमें वह 6 बार नॉटआउट भी रहें. रूडोल्फ ने अपने करियर में सात अर्धशतक की मदद से 1174 रन बनाए.

शमीउल्लाह शेनवारी (अफगानिस्तान)

भले ही अफगानिस्तान को टेस्ट टीम का दर्जा प्राप्त नहीं है. लेकिन वनडे में उसके खिलाड़ी लगातार बेहतरीन करते रहें हैं. अफगानिस्तान का यह खिलाड़ी पिछले सात सालों से अंतराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहा है. शेनवारी ने इस दौरान 61 मैचों के 51 पारियों में कुल 1379 रन बनाए. शेनवारी वन डे में अब तक एक बार भी 0 पर आउट नहीं हुए है. उनका सर्वोच्च स्कोर 96 है. शेनवारी अपने पारी के दौरान 7 बार नॉटआउट रहे हैं.

पंजाब में जन्मा यह खिलाड़ी अब भारत को हराने की कर रहा है तैयारी

आयरलैंड ने भारत के खिलाफ दो टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए गैरी विल्सन की अगुआई में 14 सदस्यीय टीम का ऐलान किया. इस टीम में पंजाब में जन्मे औफ स्पिनर सिमरनजीत ‘सिमी’ सिंह को भी जगह मिली है. 27 और 29 जून को होने वाले इस मैच में कप्तान गैरी विल्सन टीम का नेतृत्व करना जारी रखेंगे.

आयरलैंड ने भारत के खिलाफ होने वाली दो मैचों की घरेलू टी-20 सीरीज के लिए जोशुआ लिटल और एंडी मैक्ब्राइन को अपनी 14 सदस्यीय टीम में शामिल किया है. 27 और 29 जून को होने वाले इस 18 साल के तेज गेंदबाज लिटल ने अब तक दो टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं जबकि 25 साल के मैक्ब्राइन ने आयरलैंड के लिए अब तक 30 वनडे और 19 टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं.

वहीं, सिमी सिंह ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पदार्पण किया था लेकिन इस मैच के अलावा उन्हें किसी अन्य बड़ी टीम के खिलाफ खेलने का मौका नहीं मिला. वह अब तक सात एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और चार टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलते हुए सिमी सिंह ने 3 विकेट झटकने के साथ-साथ शानदार अर्धशतक भी लगाया था.

एक ट्राई सीरीज में आयरलैंड टीम में रहते हुए सिमी ने एक अर्धशतक और 150 की स्ट्राइक रेट के साथ 96 रन बनाए थे. इसी टी-20 ट्राई सीरीज टूर्नामेंट में सिमी सिंह छठे और आयरलैंड के तीसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बने थे. इस दौरान सिमी ने 6 विकेट भी चटकाए हैं.

पंजाब के खरड़ जिले के बथलाना गांव में जन्मे सिमी ने वनडे में 8 जबकि टी-20 में 6 विकेट चटकाए हैं. बता दें कि सिमी सिंह पंजाब की अंडर-14, अंडर-17 और अंडर-19 टीम के लिए खेले हैं, लेकिन उसके बाद सिमी को मौका नहीं मिला. पंजाब की अंडर-19 टीम से बाहर होने के बाद एक दोस्त की सलाह पर वह डबलिन पहुंचे और यहां आकर अपना क्रिकेट करियर आगे बढ़ाया. सिमी का सपना टीम इंडिया के लिए खेलने का था, लेकिन मौका नहीं मिलने के बाद उन्होंने अपने क्रिकेट के पैशन को नहीं छोड़ा और दूसरे देश का रुख कर लिया.

31 साल के सिमी सिंह 2006 में आयरलैंड बस गए थे. सिमी सिंह युजवेंद्र चहल, सिद्धार्थ कौल, मनप्रीत गोनी, गुरकीरत सिंह जैसे क्रिकेटर्स के साथ खेल चुके हैं. सिमी सिंह जब पंजाब के लिए खेलते थे तो वो एक बल्लेबाज थे लेकिन आयरलैंड में उन्होंने अपनी स्पिन गेंदबाजी पर ध्यान दिया और अब वो एक औलराउंडर के तौर पर टीम में शामिल किए गए हैं.

आयरलैंड ने भारत के खिलाफ एकमात्र टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैच इंग्लैंड में 2009 विश्व टी 20 के दौरान खेला था. भारत ने यह मैच 4.3 ओवर शेष रहते आठ विकेट से जीता था. जहीर खान ने इस मैच में 19 रन देकर चार विकेट चटकाए थे.

आयरलैंड की टीम

गैरी विल्सन (कप्तान), एंड्रयू बिलबिर्नी, पीटर चेज, जौर्ज डाकरेल जोशुआ लिटल, एंडी मैकब्रायन, केविन ओब्रायन, विलियम पोर्टरफील्ड, स्टुअर्ट पायंटर, बौयड रैनकिन, जेम्स शेनन, सिमी सिंह, पौल स्टर्लिंग और स्टुअर्ट थौम्पसन.

भारतीय टीम

विराट कोहली (कप्तान), सुरेश रैना, मनीष पांडे, महेंद्र सिंह धोनी, शिखर धवन, रोहित शर्मा, के एल राहुल, दिनेश कार्तिक, उमेश यादव, सिद्धार्थ कौल, कुलदीप यादव, वाशिंगटन सुंदर, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या और युजवेंद्र चहल.

फरेब के जाल में फंसी नीतू : नीतू के साथ उस के ससुर ने क्या किया

लाश की हालत देख कर पुलिस वाले तो दूर की बात कोई भी आम आदमी बता देता कि हत्यारा या हत्यारे मृतका से किस हद तक नफरत करते होंगे. साफ लग रहा था कि हत्या प्रतिशोध के चलते पूरी नृशंसता से की गई थी और युवती के साथ बेरहमी से बलात्कार भी किया गया था.

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को जोड़ते जिला शहडोल के ब्यौहारी थाने के इंचार्ज इंसपेक्टर सुदीप सोनी को भांपते देर नहीं लगी कि मामला उम्मीद से ज्यादा गंभीर है. 25 मार्च की सुबहसुबह ही उन्हें नजदीक के गांव खामडांड में एक युवती की लाश पड़ी होने की खबर मिली थी. वक्त न गंवा कर सुदीप सोनी ने तुरंत इस वारदात की खबर शहडोल से एसपी सुशांत सक्सेना को दी और पुलिस टीम ले कर खामडांड घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

गांव वाले जैसे उन के आने का ही इंतजार कर रहे थे. पुलिस टीम के आते ही मारे उत्तेजना और रोमांच के उन्होंने सुदीप को बताया कि लाश गांव से थोड़ी दूर आम के बगीचे में पड़ी है. पुलिस टीम जब आम के बाग में पहुंची तो लाश देखते ही दहल उठी. ऐसा बहुत कम होता है कि लाश देख कर पुलिस वाले ही अचकचा जाएं.

लाश लगभग 24 वर्षीय युवती की थी, जिस की गरदन कटी पड़ी थी. अर्धनग्न सी युवती के शरीर पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट थे. ब्लाउज इतना ज्यादा फटा हुआ था कि उस के होने न होने के कोई माने नहीं थे. दोनों स्तनों पर नाखूनों की खरोंच के निशान साफसाफ दिखाई दे रहे थे.

पेटीकोट देख कर भी लगता था कि हत्यारे चूंकि उसे साथ नहीं ले जा सकते थे इसलिए मृतका की कमर पर फेंक गए थे. युवती के गुप्तांग पर जलाए जाने के निशान भी साफसाफ नजर आ रहे थे. गाल पर दांतों से काटे जाने के निशान देख कर शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी कि मामला बलात्कार और हत्या का था.

खामडांड छोटा सा गांव है जिस में अधिकतर पिछडे़ और आदिवासी रहते हैं इसलिए पुलिस को लाश की शिनाख्त में दिक्कत पेश नहीं आई. लाश के मुआयने के बाद जैसे ही सुदीप सोनी गांव वालों से मुखातिब हुए तो पता चला कि मृतका का नाम नीतू राठौर है और वह इसी गांव के किसान बाबूलाल राठौर की बहू और रामजी राठौर की पत्नी है.

सुदीप ने तुरंत उपलब्ध तमाम जानकारियां सुशांत सक्सेना को दीं और उन के निर्देशानुसार जांच की जिम्मेदारी एसआई अभयराज सिंह को सौंप दी. चूंकि लाश की शिनाख्त हो चुकी थी इसलिए पुलिस के पास करने को एक ही काम रह गया था कि जल्द से जल्द कातिल का पता लगाए.

कागजी काररवाई पूरी कर  के नीतू की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. नीतू की हत्या की खबर उस के मायके वालों को भी दे दी गई थी जो मऊ गांव में रहते थे.

मौके पर अभयराज सिंह को कोई सुराग नहीं लग रहा था. अलबत्ता यह बात जरूर उन की समझ में आ गई थी कि कातिल उन की पहुंच से ज्यादा दूर नहीं है. छोटे से गांव में मामूली पूछताछ में यह उजागर हुआ कि नीतू के घर में उस के ससुर बाबूलाल और पति रामजी के अलावा और कोई नहीं है.

society

नीतू और रामजी की शादी अब से कोई 4 साल पहले हुई थी. बाबूलाल का अधिकांश वक्त खेत में ही बीतता था और इन दिनों तो फसल पकने को थी इसलिए दूसरे किसानों की तरह वह खाना खाने ही घर आता था. फसल की रखवाली के लिए वह रात में सोता भी खेत पर ही था.

इसी पूछताछ में जो अहम जानकारियां पुलिस के हाथ लगीं उन में से पहली यह थी कि रामजी एक कम बुद्धि वाला आदमी है और आए दिन नीतू से उस की खटपट होती रहती थी. दूसरी जानकारी भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं थी कि 2 साल पहले 2016 में इन पतिपत्नी के बीच जम कर झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद नीतू मायके चली गई थी और उस ने ससुर व पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था, पर बाद में सुलह हो जाने पर नीतू वापस ससुराल आ गई थी.

ब्यौहारी थाने में पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया और नीतू का शव उस के ससुराल वालों को सौंप दिया. दूसरे दिन ही उस का अंतिम संस्कार भी हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उस की हत्या धारदार हथियार से गला काट कर की गई थी.

ये जानकारियां अहम तो थीं लेकिन हत्यारों तक पहुंचने में कोई मदद नहीं कर पा रही थीं. गांव वाले भी कोई ऐसी जानकारी नहीं दे पा रहे थे जिस से कातिल तक पहुंचने में कोई मदद मिलती.

नीतू के अंतिम संस्कार के बाद पुलिस ने उस के मायके वालों से पूछताछ की तो उन्होंने सीधेसीधे हत्या का आरोप बाबूलाल और रामजीलाल पर लगाया. उन का कहना था कि शादी के बाद से ही बापबेटे दोनों नीतू को दहेज के लिए मारतेपीटते रहते थे.

लेकिन नीतू की हत्या जिस तरह हुई थी उस से साफ उजागर हो रहा था कि हत्या बलात्कार के बाद इसलिए की गई थी कि हत्यारा अपनी पहचान छिपा सके. वैसे भी आमतौर पर दहेज के लिए हत्याएं इस तरह नहीं की जातीं.

रामजी राठौर के बयानों से पुलिस वालों को कुछ खास हासिल नहीं हुआ, क्योंकि बातचीत करने पर ही समझ आ गया था कि यह मंदबुद्धि आदमी कुछ भी बोल रहा है. पत्नी की मौत का उस पर कोई खास असर नहीं हुआ था. अभयराज सिंह को वह कहीं से झूठ बोलता नहीं लगा. मंदबुद्धि लोगों को गुस्सा आ जाए तो वे हिंसक भी हो उठते हैं पर इतने योजनाबद्ध तरीके से हत्या करने की बुद्धि उन में होती तो वे मंदबुद्धि क्यों कहलाते.

बाबूलाल से पूछताछ की गई तो उस ने अपने खेत पर व्यस्त होने की बात कही. लेकिन हत्या का शक बेटे रामजी पर ही जताया. इशारों में उस ने पुलिस को बताया कि रामजी चूंकि पागल है इसलिए गुस्से में आ कर पत्नी की हत्या कर सकता है.

बाबूलाल ने अपनी बात में दम लाते हुए यह भी कहा कि मुमकिन है कि नीतू रामजी के साथ सोने से इनकार कर रही हो, इसलिए रामजी को उसे मारने की हद तक गुस्सा आ गया हो और इसी पागलपन में उस ने नीतू की हत्या कर डाली हो.

यह एक अजीब सी बात इस लिहाज से थी कि हत्या के मामले में किसी भी पिता की कोशिश बेटे को बचाने की रहती है. लेकिन बाबूलाल इस का अपवाद था. हालांकि संभावना इस बात की भी थी कि वह वाकई सच बोल रहा हो क्योंकि रामजी घोषित तौर पर मंदबुद्धि वाला था और गुस्सा आ जाने पर ऐसा कर भी सकता था. लेकिन इस थ्यौरी में आड़े यही बात आ रही थी कि कोई मंदबुद्धि इतनी प्लानिंग से हत्या नहीं कर सकता.

अभयराज सिंह ने नीतू के बारे में जानकारियां इकट्ठी करने के लिए एक लेडी कांस्टेबल को काम पर लगा दिया था. अलबत्ता अभी तक की जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई थी जिस से यह लगे कि नीतू के चालचलन में कोई खोट थी. ये सब बातें अभयराज ने जब आला अफसरों से साझा कीं तो उन्होंने बाबूलाल को टारगेट करने की सलाह दी.

महिला कांस्टेबल की दी जानकारियों ने मामला सुलझाने में बड़ी मदद की. पता यह चला कि नीतू दूसरी महिलाओं के साथ मजदूरी करने ब्यौहारी जाती थी और शाम तक लौट आती थी. 25 मार्च को यानी हादसे के दिन भी वह मजदूरी करने गई थी. लेकिन लौटते वक्त वह गांव के बाहर से ही अपने ससुर बाबूलाल से मिलने खेत की तरफ चली गई थी.

बाबूलाल शक के दायरे में तो पहले से ही था पर इस खुलासे से उस पर शक और गहरा गया था. चूंकि उसे धर दबोचने के लिए कोई पुख्ता सबूत या गवाह नहीं था. इसलिए पुलिस ने बारबार पूछताछ करने का अपना परंपरागत तरीका आजमाया.

इस पूछताछ में उस के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई और न ही कोई यातना दी गई. पुलिस ने तरहतरह से उसे धर्मग्रंथों का हवाला दिया कि जो जैसे कर्म करता है उसे वैसा ही फल भुगतना पड़ता है. फिर चाहे वह नीचे धरती पर मिले या ऊपर कहीं मिले.

धर्मगुरुओं  की तरह प्रवचन दे कर जुर्म कबूलवाने का शायद यह पहला मामला था. कर्म फल और पाप पुण्य की पौराणिक कहानियों का बाबूलाल पर वाजिब असर पड़ा और उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.

यह डर था या ग्लानि थी यह तो शायद बाबूलाल भी न बता पाए, लेकिन नीतू की हत्या की जो वजह उस ने बताई वह वाकई अनूठी थी. कहानी सुनने से पहले पुलिस ने उस की निशानदेही पर खेत में छिपाई गई चप्पलें व साड़ी बरामद करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई.

बहू नीतू की हत्या की वजह बताते हुए बाबूलाल का चेहरा सपाट था. बाबूलाल तब किशोरावस्था में था जब उस के पिता संतोषी राठौर की मौत हो गई थी. शादी के बाद पत्नी भी ज्यादा साथ नहीं निभा पाई, लेकिन इन तकलीफों से बड़ी उस की तकलीफ मंदबुद्धि बेटा रामजी था.

जवान होते रामजी को देख बाबूलाल का कलेजा मुंह को आता था कि उस के बाद यह लड़का किस के भरोसे रहेगा. कम अक्ल रामजी को पालतेपोसते बाबूलाल ने कई जगह उस की शादी की बात चलाई लेकिन जिस ने भी रामजी की मंदबुद्धि के चर्चे सुने उस ने बाबूलाल के सामने हाथ जोड़ लिए.

खेतीकिसानी बहुत ज्यादा भी नहीं थी, इसलिए बाबूलाल ज्यादा पैसों के लिए खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करता था, जिस के चलते 54 साल की उम्र भी उस पर हावी नहीं हो पाई थी.

फिर एक दिन पागल कहे जाने वाले रामजी की तब मानो लाटरी लग गई, जब बात चलाने पर नीतू के घर वाले रामजी से उस की शादी करने तैयार हो गए. नीतू गठीले बदन की चंचल लड़की थी, जिसे पत्नी बनाने का सपना आसपास के गांवों के कई युवक देख रहे थे.

गोरीचिट्टी नीतू की खूबसूरती के चर्चे हर कहीं थे पर लोग यह जानकर हैरान रह गए कि उस की शादी रामजी से हो रही है, जिसे गांव की भाषा में पागल, सभ्य लोगों की भाषा में मंदबुद्धि और आजकल सरकारी जुबां में मानसिक रूप से दिव्यांग कहा जाता है.

जब नीतू के घर वालों ने रिश्ते के बाबत हां भर दी तो बाबूलाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. घर में बहू के पांव पड़ेंगे, अरसे बाद छमछम पायल बजेगी और जल्द ही पोता उस की गोद में होगा जैसी बातें सोच कर वह अपनी गुजरी और मौजूदा जिंदगी के दुख भूलता जा रहा था.

उधर रामजी पर इस का कोई असर नहीं पड़ा था, वह तो अपनी दुनिया में मस्त था, जैसे कुछ हो ही नहीं रहा हो. शादी के नए कपड़े, धूमधड़ाका, बैंडबाजा बारात वगैरह उस के लिए बच्चों के खेल जैसी बातें थीं. पर बाबूलाल का मन कह रह था कि बहू के आते ही वह सुधर भी सकता है.

खुशी से फूले नहीं समा रहे बाबूलाल को आने वाली परेशानियों और दुश्वारियों का अहसास तक नहीं था. नीतू बहू बन कर आई तो वाकई घर में रौनक आ गई. पर यह रौनक चार दिन की चांदनी सरीखी साबित हुई.

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सुहागरात के वक्त नीतू शर्माती लजाती कमरे में बैठी पति का इंतजार कर रही थी कि वह आएगा, रोमांटिक और प्यार भरी बातें करेगा, फिर मन की बातों के बाद धीरे से तन की बात करेगा और फिर… फिल्मों और टीवी सीरियलों में देखे सुहागरात के दृश्य नीतू की जवानी और सपनों को पर लगा रहे थे जिन्हें सोच कर ही वह रोमांचित हुई जा रही थी.

रामजी कमरे में आया और बगैर कुछ कहे सुने बिस्तर पर गया तो नीतू एकदम से कुछ समझ नहीं पाई. उस रात रामजी ने कुछ नहीं किया तो यह सोच कर नीतू ने खुद के मन को तसल्ली दी कि होगी कोई वजह और आजकल के मर्द भी शर्माने में औरतों से कम नहीं हैं.

यह सिलसिला लगातार चला तो शर्म छोड़ते खुद नीतू ने पहल की लेकिन यह जानसमझ कर वह सन्न रह गई कि रामजी मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक तौर पर भी अक्षम है. एक झटके में आसमान से जमीन पर गिरी नीतू की हालत काटो तो खून नहीं जैसी हो गई थी.

घर के कामकाज करती नीतू को लगने लगा था कि उस की हैसियत एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं है और बाबूलाल व रामजी ने उसे धोखा दिया है. यह सोच कर वह चोट खाई नागिन की तरह फुंफकारने लगी. इस पर रामजी ने उसे मारना पीटना शुरू कर दिया तो वह मायके चली गई और दहेज की रिपोर्ट भी लिखा दी. बेटेबहू के बीच अनबन की असल वजह जब बाबूलाल को पता चली तो वह अवाक रह गया.

अब उसे समझ आया कि क्यों बातबात पर नीतू गुस्सा होती रहती है. इधर दहेज की रिपोर्ट तलवार बन कर उस के सिर पर लटक रही थी. रामजी को तो कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन पुलिस काररवाई से उस का नप जाना तय था.

एक समझदार ससुर की तरह बाबूलाल मऊ नीतू के मायके पहुंचा और दुनिया की ऊंच नीच और इज्जत दुहाई देते उसे मना कर वापस ले आया. यह पिछले साल नवरात्रि की बात है. नीतू दोबारा ससुराल आ गई. पत्नी क्यों मायके चली गई थी और फिर वापस क्यों आ गई और सेक्स से अंजान रामजी को इन बातों से कोई सरोकार नहीं था.

हालात देख बाबूलाल के मन में पाप पनपा और उस ने नीतू से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं. किसी नएनवेले आशिक की तरह बाबूलाल नीतू की हर पसंदनापसंद का खयाल रखने लगा तो नीतू भी उस की तरफ झुकने लगी.

आखिर उसे भी पुरुष सुख की जरूरत थी, जिसे वह कहीं बाहर से हासिल करती तो बदनामी भी होती और गलत भी वही ठहराई जाती.

देहसुख का अघोषित अनुबंध तो बाबूलाल और नीतू के बीच हो गया लेकिन पहल कौन और कैसे करे, यह दोनों को समझ नहीं आ रहा था. मियांबीवी राजी तो क्या करेगा काजी वाली बात इन दोनों पर इसलिए लागू नहीं हो रही थी कि दोनों के बीच कोई काजी था ही नहीं. दोनों भीतर ही भीतर सुलगने लगे थे पर शायद लोकलाज का झीना सा परदा अभी बाकी था.

यह परदा भी एक दिन टूट गया जब आंगन में नहाती नीतू को बाबूलाल ने देखा. उस के दुधिया और भरे मांसल बदन को देखते ही बाबूलाल के जिस्म में चीटियां सी रेंगी तो सब्र ने जवाब दे दिया. एकाएक उस ने नीतू को जकड़ लिया.

नीतू ने कोई एतराज नहीं जताया. वह तो खुद पुरुष संसर्ग के लिए बेचैन थी. उस दिन जो हुआ नीतू के लिए किसी मनोकामना के पूरी होने से कम नहीं था. बाबूलाल को भी सालों बाद स्त्री सुख मिला था, सो वह भी निहाल हो गया.

अब यह रोजरोज का काम हो गया था. दोनों को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. रामजी जैसे ही बिस्तर पर आ कर सोता था, नीतू सीधे बाबूलाल के कमरे में जा पहुंचती थी.

उम्र और रिश्तों का लिहाज नाजायज संबंधों में नहीं होता और आमतौर पर उन का अंत में किसी तीसरे का रोल जरूर रहता है. पर इन दोनों पर यह बात लागू नहीं थी. ससुर की मर्दानगी पर निहाल हो चली नीतू ने एक दिन बाबूलाल से साफ कह दिया कि अब मुझ से शादी करो नहीं तो…

इस ‘नहीं तो’ में छिपी धमकी बाबूलाल को समझ आ रही थी और मजबूरी भी, लेकिन जो जिद नीतू कर रही थी उसे वह पूरी नहीं कर सकता था. अब जा कर बाबूलाल को समाज और रिश्तों के मायने समझ आए.

समझाने और मना करने पर नीतू झल्लाने लगी थी, जिस से बाबूलाल घबराया हुआ रहने लगा था. नीतू की लत तो उसे भी लग गई थी पर उस पर लदी शर्त उस से पूरी करते नहीं बन रही थी.

साफ है बाबूलाल बहू के जिस्म को तो भोगना चाहता था लेकिन समाज को ठेंगा बता कर उसे पत्नी बनाने की बात सोचते ही उस के पैरों तले से जमीन खिसकने लगती थी. जितना वह समझाता था नीतू उसी तादाद में एक बेतुकी जिद पर अड़ती जा रही थी.

अब बाबूलाल नीतू से बचने के बहाने ढूंढने लगा था, जिन में से एक उसे मिल भी गया था कि फसल पक रही है, इसलिए उसे चौकीदारी के लिए खेत पर सोना पड़ेगा. इस के लिए उस ने खेत में झोपड़ी भी डाल ली थी.

नीतू जब शहर से मजदूरी कर लौटती थी तब तक बाबूलाल खेत पर जा चुका होता था. कुछ दिन ऐसे ही बिना मिले गुजरे तो नीतू का सब्र जवाब देने लगा. वैसे भी वह महसूस रह रही थी कि बाबूलाल अब उस में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं लेता. 25 मार्च को नीतू जब सहेलियों के साथ लौटी तो उसे याद आया कि अगले दिन उसे मायके जाना है.

मायके जाने से पहले वह अपनी प्यास बुझा लेना चाहती थी. इसलिए सीधे खेत पर पहुंच गई और बाबूलाल को इशारा किया कि आज रात वह यहीं रुकेगी तो बाबूलाल के हाथ के तोते उड़ गए, क्योंकि रात में दूसरे किसान तंबाकू और बीड़ी के लिए उस के पास आते रहते थे.

समझाने की कोशिश बेकार थी फिर भी बाबूलाल ने दूसरे किसानों के आनेजाने की बात बताई तो नीतू ने खुद अपने हाथों से अपने कपड़े उतार लिए और धमकी देते हुए बोली, ‘‘खुले तौर पर मुझ से बीवी की तरह पेश आओ नहीं तो पुलिस में रिपोर्ट लिखा दूंगी.’’ उस दिन सुबह वह बाबूलाल से कह भी रही थी कि रात में घर पर ही मिलना.

रोजरोज की धमकियों और परेशानियों से तंग आ गए बाबूलाल को कुछ नहीं सूझा तो उस ने बेरहमी से नीतू की हत्या कर दी और स्तनों को खरोंचा, जिस से मामला सामूहिक बलात्कार का लगे. नीतू का गुप्तांग भी उस ने इसी वजह के चलते जलाया था.

नीतू की हत्या पर वह उस की लाश को कंधे पर उठा कर ले गया और आम के बाग में फेंक आया. पुलिस को दिए शुरुआती बयान में वह रामजी को फंसा देना चाहता था जिस से खुद साफ बच निकले. पर ऐसा नहीं हो पाया.

ससुर बहू के अवैध संबंधों का यह मामला अजीब इस लिहाज से है कि इसे और ज्यादा ढोने की हिम्मत नीतू में नहीं बची थी और वह अधेड़ ससुर को ही पति बनाने पर उतारू हो आई थी यानी राजकुमार, हेमामालिनी, कमल हासन और पद्मिनी कोल्हापुरे अभिनीत फिल्म ‘एक नई पहेली’ की तर्ज पर वह अपने ही पति की मां बनने तैयार थी.

बड़ी गलती बाबूलाल की है जिस की सजा भी वह भुगत रहा है. उस ने पहले पागल बेटे की शादी करा दी और जब बेटा बहू की शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं कर पाया तो खुद पाप की दलदल में उतर गया.

नीतू रखैल की तरह नहीं रहना चाह रही थी. साथ ही वह दुनियादारी की परवाह भी नहीं कर रही थी, इसलिए उस से छुटकारा पाने के लिए बाबूलाल को उस की हत्या ही आसान रास्ता लगा पर कानून के हाथों से वह भी नहीं बच पाया.

ऐसी बीवी किसी की न हो : संतोष ने कैसे उजाड़ी अपनी गृहस्थी

24  मार्च, 2018 को राजस्थान के जिला चुरू के एडीजे जगदीश ज्याणी की अदालत में और दिन से ज्यादा भीड़ थी. इस की वजह यह थी कि उस दिन माननीय न्यायाधीश द्वारा एक बहुचर्चित मामले का फैसला सुनाया जाना था. फैसला सुनने की उत्सुकता में कोर्ट में वकीलों के अलावा आम लोग भी मौजूद थे.

कोर्ट रूम में मौजूद सभी को लग रहा था कि संतोष ने जिस तरह से अपने दोनों बच्चों की निर्दयतापूर्वक हत्या की थी, उसे देखते हुए उस निर्दयी औरत को फांसी की सजा तो होनी चाहिए. सभी लोग सजा को ले कर उत्सुक थे. आखिर ऐसा क्या मामला था कि संतोष को अपने जिगर के टुकड़ों 2 बेटों और एक बेटी की हत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. यह जानने के लिए हमें घटना की पृष्ठभूमि में जाना पड़ेगा.

राजस्थान का एक जिला है चुरू. इसी जिले के थाना राजलदेसर के अंतर्गत आता है एक गांव हामूसर. इंद्रराम इसी गांव में रहता था, जो कबड्डी का खिलाड़ी था. बाद में उस की नौकरी भारतीय सेना में लग गई. उस की पोस्टिंग बरेली की जाट रेजीमेंट में थी. उस की शादी संतोष से हुई थी.

इंद्रराम से ब्याह कर संतोष जब ससुराल आई थी, तब वह बहुत खुश थी. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. पर धीरेधीरे संतोष का स्वभाव सामने आने लगा. उस ने घर में कलह करनी शुरू कर दी. वह सास, पति, देवर और अन्य पारिवारिक लोगों से लड़ाईझगड़ा करने लगी. बातबात पर गुस्सा हो जाती थी.

इंद्रराम सालभर में दोढाई महीने की छुट्टी पर घर आता था. मगर बीवी की कलह से घर में हर समय लड़ाई होती रहती थी. तब इंद्रराम को लगता कि अगर वह छुट्टी पर नहीं आता तो ठीक रहता. जैसेतैसे छुट्टियां काट कर वह अपनी ड्यूटी चला जाता. इसी तरह कई साल बीत गए और संतोष 2 बेटों और एक बेटी की मां बन गई.

पति के ड्यूटी पर चले जाने के बाद संतोष ससुराल वालों के साथ कलह करती रहती थी. जब इंद्रराम को घर वाले फोन कर के उस की शिकायत करते तो उसे पत्नी पर बहुत गुस्सा आता था.

वह अपना घर टूटते नहीं देखना चाहता था. इसलिए वह चुप रह कर सब कुछ सहने लगा. छुट्टी में इंद्रराम के घर आने पर पत्नी क्लेश करती तो वह घर से बाहर जा कर वक्त काटता.

उस की बड़ी बेटी करुणा 12 साल की हो चुकी थी और बेटे अनीश व जितेंद्र 9 व 7 साल के थे. तीनों बच्चों की पढ़ाई चल रही थी. संतोष ने अपनी ससुराल वालों के साथ कलह करनी बंद नहीं की तो वह परेशान हो गए. उन लोगों ने अपने खेतों में एक मकान बना रखा था. उन्होंने संतोष से कहा कि वह खेतों वाले मकान में रहे, इस के बाद संतोष बच्चों को ले कर खेतों वाले मकान में रहने लगी.

इस तरह सासससुर और देवर अलग हो गए. संतोष अपने बच्चों से कहती कि वे दादा के घर न जाएं. फोन पर भी वह पति से भी सीधे मुंह बात नहीं करती थी. 12 जुलाई, 2015 का दिन था. इंद्रराम ने संतोष को फोन किया. किसी बात को ले कर वह पति से फोन पर झगड़ने लगी. झगड़ा बढ़ा तो गुस्से में तमतमाई संतोष ने पति से कहा कि वह अपने तीनों बच्चों के साथ पानी के टांके (कुंड) में डूब कर जीवनलीला समाप्त कर लेगी.

इतना कह कर उस ने फोन काट दिया. इंद्रराम ने उसे दोबारा फोन किया मगर संतोष ने बात नहीं की. इस के बाद वह अपने तीनों बच्चों को ले कर रात में ही कुंड के पास पहुंच गई. तीनों बच्चों को उस ने एकएक कर के कुंड में धकेल दिया. इस के बाद वह स्वयं भी आत्महत्या के इरादे से कुंड में कूद गई.

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कुंड में करीब पौने 5 फुट पानी था, जिस की वजह से तीनों बच्चों की डूबने से मौत हो गई थी. संतोष जब पानी में डूबने लगी तो वह बचने के लिए हाथपैर मारने लगी. वह पानी में बेटी के ऊपर खड़ी हो गई. रात भर वह पानी में बेटी के ऊपर खड़ी रही. पानी संतोष के गले तक था. सारी रात वह ऐसे ही खड़ी रही.

संतोष के ससुराल वाले पास के खेत में रहते थे. उन्होंने जब रात में संतोष और उस के बच्चों को नहीं देखा तो उन्होंने इंद्रराम को फोन किया.

इंद्रराम ने संतोष से हुई लड़ाई वाली बात बताते हुए कहा कि संतोष ने यह कहा था कि वह बच्चों सहित पानी के कुंड में कूद कर मरने जा रही है. मैं ने उस की बात को केवल धमकी समझा था.

इंद्रराम से बात कर के घर के लोग कुंड पर पहुंचे तो संतोष पानी में खड़ी दिखी. तीनों बच्चे दिखाई नहीं दे रहे थे. घर वालों के शोर मचाने के बाद गांव के कई लोग इंद्रराम फौजी के खेत में बने पानी के कुंड पर पहुंच गए. गांव के ही मनफूल टांडी ने राजलदेसर थाने में इस की सूचना दे दी.

तत्कालीन थानाप्रभारी सुभाष शर्मा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने संतोष को कुंड से जीवित निकाल लिया लिया जबकि तीनों बच्चों की मौत हो चुकी थी. प्रारंभिक पूछताछ में संतोष ने पुलिस को कोई संजोषजनक जवाब नहीं दिया. इस के बजाय उस ने पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया.

घटना के समय खेतों में बनी उस ढाणी में संतोष व उस के 3 बच्चों के अलावा कोई दूसरा नहीं रहता था. पुलिस ने जांचपड़ताल की तो स्पष्ट हुआ कि संतोष ने ही अपनी बेटी करुणा, बेटे अनीश व जितेंद्र को कुंड में धकेला था, जिस से उन की मौत हो गई.

पुलिस ने संतोष के खिलाफ हत्या व आत्महत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया और उसे गिरफ्तार कर लिया. थानाप्रभारी संतोष शर्मा द्वारा की गई जांच में पाया गया कि संतोष व उस के पति इंद्रराम के बीच काफी समय से गृहक्लेश चल रहा था.

इंद्रराम भी छुट्टी ले कर अपने घर आ गया था. पत्नी द्वारा परिवार उजड़ जाने का उसे बड़ा दुख हुआ. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उस की बीवी ऐसा भी कर सकती है. बच्चों की मौत ने इंद्रराम को तोड़ कर रख दिया. मगर उस ने भी कसम खा ली कि वह पत्नी को सजा दिला कर ही दम लेगा. संतोष की गिरफ्तारी के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

जांच अधिकारी द्वारा आरोपपत्र दाखिल करने के बाद यह मामला एडीजे कोर्ट में चला. अभियोग को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 16 गवाह पेश किए, जिन में मृत बच्चों के पिता इंद्रराम, दादी जोरादेवी, ताऊ श्रवण कुमार व सांवरमल भी शामिल थे. बचावपक्ष को भी साक्ष्य पेश करने का मौका दिया गया. लेकिन वह कोई भी साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत नहीं कर पाया.

13 मार्च, 2018 को कोर्ट ने दोनों पक्षों की अंतिम बहस सुनने के बाद 24 मार्च, 2018 को एडीजे जगदीश ज्याणी ने हत्यारी मां संतोष को धारा 302 यानी हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास व 10 हजार रुपए जुरमाना और धारा 309 में एक हजार रुपए के जुरमाने की सजा सुनाई.

बीवी को उम्रकैद की सजा मिलने पर इंद्रराम ने पत्रकारों को बताया कि अपने कलेजे के टुकड़ों को इस तरह पानी के कुंड में डाल कर हत्या कर देने वाली मां को सजा देने के लिए कोर्ट पर पूरा विश्वास था. उसे विश्वास था कि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी और आज फैसला आने के बाद यह स्पष्ट भी हो गया.

वहीं अपर लोक अभियोजक एडवोकेट राजकुमार चोटिया ने मामले को अप्रत्याशित बताते हुए कोर्ट से आरोपी को मृत्युदंड की सजा देने का निवेदन किया था. मगर सजा मिली उम्रकैद.

राजनीति में कास्टिंग काउच

कास्टिंग काउच को ले कर केवल फिल्मों पर ही चर्चा होती है. लेकिन सचाई यह है कि कास्टिंग काउच केवल फिल्मों में ही नहीं बल्कि राजनीति और दूसरे क्षेत्रों में भी होता है. समयसमय पर हर क्षेत्र में काम करने वाले लोग इस पर अपनी राय देते हैं. फिल्मों की तरह राजनीति भी अब कास्टिंग काउच से अछूती नहीं है. यहां लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते हैं. गौसिप के रूप में तमाम नेताओं के महिलाओं से संबंधों की चर्चा होती रहती है. इन में राजनीति के अलावा फिल्मी महिलाएं भी शामिल होती हैं.

राजनीति में कास्टिंग काउच नहीं होता तो समयसमय पर नेताओं के संबंधों की कहानियां सामने नहीं आतीं. आंध्र प्रदेश में एन टी रामाराव और उत्तर प्रदेश में नारायण दत्त तिवारी के नाम चर्चित रहे हैं. दूसरे भी बहुत सारे ऐसे नेता हैं जिन के नाम समयसमय पर महिलाओं के साथ सामने आए हैं. यह बात और है कि ये बातें आसानी से दबा दी जाती हैं. अभिनेत्री श्रीरेड्डी के बयान

के बाद कांगे्रस नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य रेणुका चौधरी ने भी कहा कि कास्टिंग काउच केवल फिल्मों में ही नहीं है, यह सभी कार्यस्थलों की कड़वी सचाई है. यहां तक कि संसद भी इस से अछूती नहीं है. विदेशों में अभिनेत्रियों ने इस बात को स्वीकार कर ‘मी टू’ कहने में काफी समय लिया. अब समय आ गया है कि भारत में भी लोग सामने आ कर ‘मी टू’ कहें. चुप रहती हैं पीडि़ताएं

भारत में ‘मी टू’ अभियान के तहत कई औरतों ने बताया कि वे भी कभी न कभी इव टीजिंग का शिकार हुई हैं. कास्टिंग काउच को अभी लोगों ने स्वीकार नहीं किया है. फिल्मी दुनिया में भी वही अभिनेत्रियां सामने आई हैं जो कास्टिंग काउच की शिकार होने के बाद फिल्मों में काम नहीं पा सकी हैं. दक्षिण भारत में एम जी रामचंद्रन और जयललिता का मामला ऐसे उदाहरणों में शामिल है. आंध्र प्रदेश में एन टी रामाराव और लक्ष्मी पार्वती का उदाहरण भी इन में से एक है. एन टी रामाराव और जयप्रदा पर भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेसी नेता एन डी तिवारी के तमाम संबंध चर्चा में रहे हैं. एन डी तिवारी राज्यपाल के पद पर रहते हुए भी सैक्स स्कैंडल को ले कर चर्चा में आए. जिस के बाद उन का राजनीतिक कैरियर खत्म हो गया. इमेज की चिंता

कई नेताओं के सैक्स स्कैंडल चर्चा में रहे हैं. अमरमणि त्रिपाठी मधुमिता हत्याकांड के चलते जेल में हैं. मधुमिता और अमरमणि का मसला ऐसा ही था. मधुमिता की हत्या का गुनाहगार अमरमणि को माना गया और उन को उम्रकैद की सजा दी गई. भाजपा के एक बड़े नेता का एक महिला के साथ संबंध चर्चा में रहा. राजनीति में ऐसे मामलों की फेहरिस्त लंबी है जिन में नेताओं के दूसरी महिलाओं से संबंध रहे. नेता महिलाओं को राजनीति में स्थापित करने का लोभ दिखा कर उन का शारीरिक शोषण करता है. भारत में राजनीति को दूध का धुला माना जाता है. किसी घटना के उजागर होने के बाद हर संभव प्रयास कर के उस को दबा दिया जाता है. इसलिए ऐसे मामले सामने नहीं आते हैं. चर्चा में रहने के बाद भी ऐसे मामले साबित नहीं हो पाते हैं. नेताओं के साथ ही साथ कार्यस्थलों, औफिसों में भी ऐसे मामले चर्चा में नहीं आते. कार्यस्थलों में सब से अधिक मामले शिक्षा संस्थानों के आते रहे हैं. यहां पर महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए अलग से कानून बनाने के अलावा एक सुनवाई सैल का भी गठन किया गया. इस के बाद भी इन कार्यस्थलों पर यौनशोषण की बातें सामने आती हैं.

इमेज की चिंता के कारण ठगी का शिकार होने के बाद भी औरतें ये बातें बाहर नहीं करतीं. ऐसे में इन्हें शिकार बनाने वाले भी बच निकलते हैं. पुलिस और कचहरी में ऐसे कई मामले आते हैं जिन में सालों से यौनशोषण के शिकार होने की बात कही जाती है. इन घटनाओं के बाद रेणुका चौधरी जैसी महिला नेताओं के बयानों से पता चलता है कि कास्टिंग काउच केवल फिल्मों का मुद्दा नहीं है. राजनीति सहित समाज के दूसरे हिस्सों में भी यह खूब प्रचलित है. इस पर तभी विराम लग सकता है जब इस का शिकार होने वाली महिलाएं ‘मी टू’ जैसा अभियान चलाएं.

शिक्षा का भी वर्णभेद

भाजपा सरकारें बारबार यह जताने में लगी हैं कि देश में उन की और ऊंची जातियों की मेहरबानी से पिछड़े (शूद्र) व दलित (अछूत) जिंदा हैं और उन्हें थोड़ीबहुत जगह समाज में दी जा रही है. यह जताने का मतलब सिर्फ इतना समझाना है कि जो मिल रहा है उसे ऊपर वाले और ऊंचों की कृपा समझो वरना वैसी पिटाई होगी जैसी ऊना या राजकोट में हुई.

अभी मध्य प्रदेश के शिक्षा बोर्ड ने 10वीं व 12वीं क्लासों के नतीजे जारी करते हुए कहा कि सवर्ण ऊंचे जनरल कैटीगरी में कितने पास हुए, अन्य पिछड़ी जातियों के कितने और शैड्यूल कास्ट के कितने. यह सोच हर सरकारी विभाग में ठूंसठूंस कर भरी हुई है जबकि हर सरकारी विभाग में काफी पिछड़े व दलित आरक्षण की बदौलत पहुंच चुके हैं. वे इस कदर डरे रहते हैं कि ऐसे जातिवादी फैसले पर विभाग में रोकटोक नहीं कर सकते.

बुरा हो लिबरल मीडिया का जिस ने इस बात को पकड़ लिया और हल्ला मचा दिया. इस पर बोर्ड के अफसर सफाई देते हैं कि इस से तो इन बच्चों को आगे पढ़ने में सहूलियत होगी. उन्हें दाखिले आसानी से मिलेंगे. उन की सोच पर दया आती है कि इन आंकड़ों को इकट्ठा कर के जारी कर के क्याकैसे मिलेगा, यह मालूम न होते हुए भी वे अपनी बात को सही साबित करने में लगे हैं.

असल में ऊंची ही नहीं नीची जातियों के मन में गहरा बैठा है कि यह भेदभाव तो खुद भगवान ने दिया है. बारबार पुराणों का उल्लेख करा जाता है कि आदि पुरुष के मुंह से ब्राह्मण, हाथों से क्षत्रिय, जांघों से वैश्य व पैरों से शूद्र पैदा हुए थे. जो दलित हैं तो वे शायद कहीं पैरों के नीचे की धूल से जन्मे थे क्योंकि उन का पौराणिक साहित्य में न के बराबर जिक्र है. नीची जातियां पीढ़ी दर पीढ़ी इस बात को मानती रही हैं और धर्मकर्म से अपना अगला जन्म सुधारने में लगी रहती हैं. अब वे पढ़नेलिखने लगी हैं पर आमतौर पर पिछड़ी रहती हैं. हालांकि अब बड़े शहरों में, जहां जातिवाद कुछ कम है, वहां के बच्चे बराबरी का दर्जा पाने लगे हैं.

बोर्ड की यह जलील करने वाली हरकत एक आम बात है. पढ़नेपढ़ाने वाले इन वर्गों के लोगों को हिकारत से देखते हैं. भेदभाव रखते हैं. कहीं नौकरी मिल जाए तो भी चूंचूं करने से बाज नहीं आते. पीठ पीछे तो न जाने क्याक्या बोल जाते हैं और वे बातें कई दफा मुंह से निकल आती हैं. जाति का भूत अभी तो दमदार तरीके से सिर पर सवार है.

फिल्म के इस सीन की वजह से कलाकारों की हो गई थी हालत खराब

इन दिनों तो जैसे बॉलीवुड फिल्में लव मेकिंग सीन के बिना कंप्लीट ही नहीं होती हैं. ये सीन दिखने में आपको चाहे कितने भी एंटरटेनिंग लगे, लेकिन एक्टर्स के लिए तो ये बेहद पकाऊ और परेशान करने वाले होते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान और फिल्म में उनकी अभिनेत्री के साथ.

हम आपको बता रहे हैं एक सैक्स सीन के दौरान आमिर की हालत कुछ ऐसी हो गई कि खुद के साथ-साथ फिल्म के अन्य लोगों को भी उनकी हालत पर तरस आ गया.

दरअसल, आमिर के करियर के शुरूआती दौर में, उन्हें मिली एक फिल्म में बेहद इंटेंस सेक्स सीन शूट होना था. आमिर का ये इंटीमेट सीन फिल्म में काफी लंबा रखा गया था. इस लंबे इंटीमेट सीन के दौरान आमिर इतने असहज हो गए थे कि वे शूट छोड़ कर एक कमरे में जाकर चुपचाप बैठ गए थे.

आखिर में फिल्म के डायरेक्टर को ये सीन फिल्म से काटना ही पड़ा लेकिन फिल्म के रिलीज होने के कई सालों बाद फिल्म की अभिनेत्री ने आमिर को लेकर ये राज खोला है.

इस फिल्म में शूट होना था इंटीमेट सीन

साल 1995 में आई फिल्म ‘आतंक ही आतंक’ के लिए उन्होंने इतना बोल्ड इंटीमेट सीन दिया था कि उनकी हालत खराब हो गई थी.

एक्ट्रेस भी हुईं परेशान

इतना ही नहीं, इश सीन में उनका साथ दे रहीं अभिनेत्री पूजा बेदी भी इस दौरान मानसिक रूप से बहुत परेशान हो गई थीं. पूजा बेदी ने सीन की शूटिंग के दौरान का किस्सा एक इंटरव्यू में शेयर किया था. उन्होंने कहा था, फिल्म के लिए आमिर और मुझे बारिश में एक लवमेकिंग सीन शूट करना था.

कमरे में अकेले जाकर बैठ गए थे आमिर

पूजा ने बताया कि शूटिंग के बाद मैं और आमिर, दोनों ही इतने असहज हो गए थे कि दोनों एक कमरे में जाकर बैठ गए. हम दोनों नजरें झुकाए करीब 30 सेकंड तक वहीं बैठे रहे. हम वहां नजरें झुकाए चुपचाप बैठे रहे. दोनों के लिए ही वो मूमेंट काफी असहज था.

चेस खेलोगी

तभी अचानक आमिर ने पूजा से कहा कि – चेस खेलोगी? तो पूजा ने हां में सर हिलाते हुए कहा कि ये अच्छा आइडिया है.

हटा दिया गया फिल्म से वो सीन

पूजा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि बाज में इस सीन को फिल्म से काट दिया गया था. यहां गौरतलब है कि इस फिल्म में पूजा का गेस्ट अपीयरेंस था. उन्होंने गंगा नाम का कैरेक्टर प्ले किया था.

शाहरुख को लेना चाहते थे निर्माता

‘आतंक ही आतंक’ के डायरेक्ट दिलीप शंकर ने भी ये बात बाद में जाहिर की थी कि फिल्म मेकर्स पहले शाहरुख खान और रजनीकांत को लेकर इस फिल्म को बनाना चाहते थे और डेट्स की दिक्कतों के चलते आमिर को अप्रोच किया गया और वे इसके लिए मान भी गए.

कई फिल्मों में दे चुके हैं किसिंग सीन

सुपरस्टार आमिर खान को एक्टिंग के मामले में तो मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहा ही जाता है. पर वे किसिंग सीन भी बिल्कुल परफेक्ट देते हैं. वे साल 1990 में आई फिल्म ‘दिल’, साल 1997 की फिल्म ‘इश्क’, ‘फना’ (2006) और थ्री इडियट्स जैसी फिल्मों में अच्छे खासे किसिंग सीन दे चुके हैं.

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