अमृतसर के जीटी रोड से सटे व्यस्तम इलाके दशमेश एवेन्यू की कोठी नंबर 157 से 4-5  फरवरी की आधी रात के बाद अचानक धुआं उठने लगा. वह कोठी गगनदीप वर्मा की थी. फरवरी का महीना होने के कारण अधिक ठंड भी नहीं थी फिर भी लोग अपनेअपने घरों में घुसे हुए थे.

कोई राहगीर सड़क से गुजरा भी तो उस ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. कुछ ही देर में कोठी से आग की ऊंची लपटें उठने लगीं, जिन्होंने कोठी को चारों तरफ से घेर लिया था.

आग बढ़ने पर मोहल्ले के तमाम लोग अपने घरों से निकल कर गगनदीप वर्मा की कोठी की तरफ दौड़ पड़े. सभी अपनेअपने तरीके से कोठी में लगी आग को बुझाने की कोशिश करने लगे. इस बीच किसी ने फायर ब्रिग्रेड और थाना सुलतानविंड पुलिस को सूचना दे दी थी.

घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगे्रड के साथ थाना सुलतानविंड के थानाप्रभारी नीरज कुमार, एसआई राजवंत कौर, एएसआई अर्जुन सिंह, दर्शन कुमार, हवलदार लखविंदर कुमार, गुरनाम सिंह, बलविंदर सिंह, गुरमेज सिंह, हरजिंदर सिंह, कांस्टेबल सुनीता के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

आग की लपटें लगातार बढ़ती जा रही थीं. सुरक्षा के लिहाज से थानाप्रभारी ने आसपास के घरों को भी खाली करवा लिया था. फायर ब्रिग्रेड के कर्मचारी लगातार आग बुझाने की कोशिश में लगे रहे, तब कहीं सुबह साढ़े 6 बजे तक आग पर काबू पाया गया.

आग बुझने के बाद पड़ोसी पुलिस के साथ जब कोठी के भीतर गए तो सब के पैरों तले से जमीन खिसक गई. भीतर का नजारा डरावना और दिल दहला देने वाला था. कोठी में मालकिन गगनदीप वर्मा और उन की बेटी शिवनैनी की झुलसी हुई लाशें पड़ी थीं.

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