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किराएदार ने किया रणबीर पर 50 लाख का मुकदमा

बौलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर जहां एक तरफ फिल्म संजू की सफलता को लेकर बेहद खुश हैं वहीं दूसरी तरफ एक शख्स ने उनपर 50 लाख रुपये का केस दर्ज कराया है. गौरतलब है कि पुणे के ट्रम्प टावर में रणबीर कपूर की एक सम्पत्ति है, जिसे उन्होंने 2016 में किराये पर दे दिया था.  इसके बाद उनके किरायेदार ने इस सम्पत्ति को लेकर बने करार को लागू नहीं किये जाने पर न्यायालय में 50 लाख का दावा रणबीर कपूर पर ठोक दिया है साथ ही उन्हें 18 लाख का ब्याज भी देने को कहा है.

शीतल सूर्यवंशी का कहना है, उन्होंने 2 वर्ष के लिए रणबीर कपूर का अपार्टमेंट किराये पर लिया था लेकिन अब उन्हें समयावधि पूर्ण होने से पहले ही खाली करने के लिए कहा गया. जिसके बाद उन्हें और उनके परिवार को मानसिक त्रासदी का सामना करना पड़ा. उन्हें निकालने के लिए जो कारण दिया गया था उसमें यह बताया गया था कि रणबीर कपूर उस घर में शिफ्ट होने वाले है.

वहीं, रणबीर कपूर ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है. उनका कहना है कि शीतल सूर्यवंशी ने घर उनकी इच्छा से खाली किया है और उन्होंने 3 महीने का किराया भी नहीं दिया था, जिसे उनके डिपॉजिट में से काट लिया गया था. उनका यह भी कहना है कि शीतल सूर्यवंशी से घर खाली करने के लिए उन्होंने यह नहीं कहा था कि वह वहां रहने आने वाले हैं. रणबीर कपूर ने उत्तर में यह भी कहा कि केस की अगली तारीख 28 अगस्त है.

ईशा देओल ‘केकवाक’ से करेंगी फिल्मों में कमबैक, यह होगा रोल

2015 के बाद से सिल्वर स्क्रीन से गायब रहने वाली अभिनेत्री ईशा देओल एक बार फिर फिल्म ‘केकवाक’ से कमबैक करने जा रही हैं. ईशा ने राम कमल मुखर्जी की 22 मिनट की लघु फिल्म ‘केकवाक’ से अपना बंगाली दुल्हन का लुक साझा किया. इसके लिए करीन पंजवानी ने उनका लुक संवारा है.

ईशा ने अपना यह लुक शेयर करते हुए कहा, “मुझे सही दिखने में लगभग तीन घंटे लग गए. मेरे निर्देशक राम कमल को धन्यवाद, जो हर विवरण को लेकर बहुत खास थे.”

इससे पहले लंदन में हेमा मालिनी ने अपनी बेटी की कमबैक शार्ट फिल्म केकवाक का पहला पोस्टर जारी किया था. पोस्टर में ईशा एक कुक की ड्रेस में नजर आ रही हैं. फिल्म का यह फर्स्ट लुक स्टोरी और ईशा के स्टारडम को लेकर सवाल जगाता है.

‘केकवाक’ आभ्रा चक्रवर्ती द्वारा सह-निर्देशित और दिनेश गुप्ता, शेलेंद्र कुमार, अरित्रा दास द्वारा निर्मित है. टेलीविजन अभिनेता तरुण मल्होत्रा और अनिंदिता चटर्जी इससे बौलीवुड में डेब्यू कर रहे हैं. यह कामकाजी महिलाओं के जीवन पर आधारित फिल्म है. यह लघुफिल्म अक्टूबर में रिलीज होगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि ईशा कमबैक मूवी के साथ दर्शकों का दिल जीत पाती है या नहीं.

क्या आपको पता है सचिन तेंदुलकर का सपना, चलिये बताते हैं

क्रिकेट के भगवान यानी सचिन तेंदुलकर ने अपने दिल की बात करते हुए बताया कि उनका सपना क्या है. सचिन ने तेंदुलकर ग्लोबल एकेडमी की शुरुआत पर कहा कि उनका सपना है कि युवा भारतीय प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आधुनिक प्रशिक्षण की सुविधाएं मिल पाए. इस एकेडमी में उन बच्चों पर ध्यान दिया जाएगा जो अमीर परिवारों से नहीं आते हैं. हम उन सब को वह सुविधा देने की कोशिश करेंगे जो वह पैसों की वजह से हासिल नहीं कर पाते.

सचिन की इस एकेडमी में प्रतिभावान खिलाड़ियों को 100 प्रतिशत स्कौलरशिप दी जाएगी. सचिन की ये एकेडमी मुंबई सहित कई देशों में खुलने वाली है. जब सचिन से पूछा कि काउंटी क्लब के साथ ही करार क्यों किया गया तो उन्होंने कहा कि जब मैं खेलता और जब भी ब्रिटेन में होता था तो मिडिलसेक्स क्लब में ही प्रैक्टिस करता था. मुझे वहां की सुविधा के बारे में पहले से जानकारी थी और जब वह एकेडमी का प्लान लेकर मेरे पास आए तो मैंने तुरंत हां कर दी.

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मुंबई में सचिन की एकेडमी में मानसून के बाद नंवबर में पहली बार शिविर लगेगा. सचिन ने कहा कि हम पहला शिविर मुंबई में ही लगाना चाहते थे लेकिन मानसून की वजह से ऐसा मुमकिन नहीं है इसलिए अब हम नंवबर में इसका आयोजन करने की सोच रहे हैं.

आपको बता दें कि मिडिलसेस्ट काउंटी क्लब ने इंग्लैंड को कई महाम बल्लेबाज दिए हैं, जिनमें एंड्रयू स्ट्रौस, माइक गैटिंग, डेनिस कौम्पटन, माइक ब्रियर्ली शामिल है. अब इस क्लब ने युवाओं को ट्रेनिंग देने के लिए पूरे कार्यक्रम तैयार कर लिया है.

सरकारी कानून के बीच फंस सकती है बजाज की यह नई कार

बजाज औटो सितंबर या अक्‍टूबर में अपनी नई गाड़ी क्‍यूट (Qute) लौन्‍च्‍ा करने वाली है, लेकिन यह गाड़ी एक्‍सप्रेस-वे पर नहीं चल पाएगी. देश में quadricycle कैटगरी की यह पहली गाड़ी है, लेकिन मिनिस्‍ट्री औफ रोड एंड ट्रांसपोर्ट द्वारा 6 अप्रैल 2018 को नोटिफाई किए गए ‘मैक्सिमम स्‍पीड औफ मोटर व्‍हीकल’ में quadricycle कैटगरी को भी शामिल किया गया है. जिसमें अलग-अलग सड़कों पर quadricycle कैटगरी के व्‍हीकल की मैक्सिमम स्‍पीड लिमिट भी तय की गई है. इसमें स्‍पष्‍ट तौर पर कहा गया है कि quadricycle कैटगरी के व्‍हीकल एक्‍सप्रेस-वे पर नहीं चल पाएंगे.

क्‍या हैं quadricycle के नए नियम

मिनिस्‍ट्री औफ रोड एंड ट्रांसपोर्ट के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि quadricycle कैटगरी के व्‍हीकल एक्‍सप्रेस-वे पर नहीं चलेंगे, जबकि 4 लेन या उससे अधिक लेन वाले हाईवे पर ये व्‍हीकल 60 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक स्‍पीड पर नहीं चल पाएंगे. म्‍युनिस्पिल लिमिट (शहरों) वाली सड़कों और अन्‍य सड़कों पर quadricycle व्‍हीकल की मैक्सिमम स्‍पीड 50 किमी प्रति घंटा निर्धारित की गई है. इससे अधिक स्‍पीड होने पर ट्रैफिक पुलिस इन व्‍हीकल चालकों के खिलाफ ओवर स्‍पीड की कार्रवाई कर सकती है.

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क्‍या है quadricycle कैटगरी

quadricycle यू‍रोपियन व्‍हीकल कैटगरी है, जो चार पहिया माइक्रो कार के रूप में जानी जाती है, जिसका वजन, पावर और स्‍पीड की मैक्सिमम लिमिट है. भारत में अभी इस कैटगरी की कोई कार नहीं है. बजाज औटो ने इस कैटगरी की Qute कार को बजाज औटो ने 2012 के दि‍ल्‍ली औटो शो में RE60 के नाम से पेश कि‍या था. भारत में quadricycle को मंजूरी नहीं होने के कारण यह मार्केट में नहीं उतर सकी थी. जून 2018 में केंद्र सरकार ने quadricycle की अलग कैटगिरी की घोषणा की है.

ग्रीन कार का दावा

कंपनी का दावा है कि‍ बाजार में मौजूद कि‍सी भी कार से यह 37 फीसदी हल्‍की है. हल्‍की होने की वजह से ईंधन बचाती है. यह शहरों की सड़कों को ध्‍यान में रखकर बनाई गई है. यह गाड़ी कम जगह लेती है और आसानी से मुड़ जाती है. इसकी माइलेज एक लीटर में 36 कि‍लोमीटर है और कि‍सी अन्‍य छोटी कार के मुकबले 37 फीसदी कम कार्बन का उत्‍सर्जन करती है. यह एक कि‍लोमीटर पर केवल 66 ग्राम CO2 छोड़ती है. इसमें वो सभी सेफ्टी फीचर्स हैं जो इस सेगमेंट की कारों में होते हैं. इस कार का टर्निंग रेडि‍यस केवल 3.5 मीटर है.

धोनी के कप्तान बताए जाने पर लोगों ने लिये बीसीसीआई के मजे

बीसीसीआई की वेबसाइट में अचानक एक गलती हो गई जिसकी वजह से वह सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गई. गुरूवार रात को बीसीसीआई की वेबसाइट पर भारत के पूर्व कप्तान एमएस धोनी की प्रोफाइल में गलती हो गई. साइट ने गलती से धोनी की प्रोफाइल में उन्हें टीम इंडिया का कप्तान बता दिया. बाद में बीसीसीआई ने अपनी गलती सुधार तो ली, लेकिन इससे लोगों को उसे ट्रोल करने का मौका मिल गया और कई मजेदार कमेंट भी कर डाले. इसे संयोग ही कहेंगे कि यह कारनामा ऐसे वक्त पर हुआ जब धोनी के वनडे से संन्यास लेने की अटकलों की सफाई दी जा रहीं थी.

गुरुवार रात को बीसीसीआई की साइट पर एमएस धोनी की प्रोफाइल में उनके नाम के नीचे और उनकी मुस्कुराती हुई तस्वीर के बगल में ‘कैप्टन, टीम इंडिया’ लिखा दिखाई देने लगा. लेकिन इसके बाद बीसीसीआई ने अपनी गलती को सुधार भी लिया लेकिन मामला सोशल मीडिया में जम कर चला और लोगों ने अपने कमेंट्स भी खूब दिए.

बहुत पहले ही संन्यास ले चुके हैं धोनी

उल्लेखनीय है कि धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से ही संन्यास 2014 में ले लिया था. इसके बाद 2017 के शुरुआत में ही उन्होंने एक साथ ही वनडे और टी20 मैचों की भारतीय कप्तानी भी छोड़ दी थी. लेकिन तब से उन्होंने वनडे और टी 20 में बतौर बल्लेबाज और विकेटकीपर खेलना जारी रखा है. इस समय वे टीम के अहम खिलाड़ी के रूप में मौजूद हैं. कप्तानी छोड़ने के बाद धोनी का टीम में सम्मान कम होने के बजाए बढ़ता ही गया. वे इस दौरान साथी खिलाड़ियों के लिए मेन्टौर की भूमिका भी निभा चुके हैं. कप्तान विराट कोहली भी धोनी की सलाह को खासा महत्व देते हैं. कोच रवि शास्त्री भी धोनी का कई बार बचाव कर चुके हैं.

हाल ही में धोनी आलोचकों के निशाने पर आए जब इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के आखिरी दो मैचों में उनकी बल्लेबाजी काफी धीमी रही. दूसरे वनडे में धोनी ने 59 गेंदों पर 37 रन बनाए तो तीसरे वनडे में वे 66 गेंदों में केवल 42 रन ही बना सके थे.

प्र-पंचतंत्र

शूर्पणखा की नाक काट कर रामलक्ष्मण की जोड़ी ने कौन सा शौर्य दिखाया था, इस पर बहस की तमाम गुंजाइशें हैं. ठीक इसी तर्ज पर श्रीराजपूत करणी सेना की यह घोषणा है कि उस के शूरवीर राजस्थान की शिक्षामंत्री किरण माहेश्वरी की नाक के साथ कान भी काटेंगे.

इतने बड़े हादसे को अंजाम देने की वजह भी बड़ी सी ही है कि किरण माहेश्वरी ने राजपूतों की तुलना चूहों से यह कहते कर दी थी कि चुनाव आते देख चूहे बिलों से बाहर निकल रहे हैं. जवाब में करणी सेना ने उन के नाककान काटने की बात इशारों में कह डाली. इत्तफाक से इसी दौरान गुजरात में कुछ दलितों को राजपूतों ने महज इसलिए ठोंका था कि वे अपने नाम के आगे सिंह लगा रहे थे.

इन राजपूत वीरों की नजर में, दरअसल, शूद्र, नारी और मुसलमान कुछ हैं ही नहीं, इसलिए इन्हें बोलने से पहले अपने अंजाम के बारे में सोच लेना चाहिए.

कश्मीर में गिरी सरकार

भारतीय जनता पार्टी ने पीपुल्स डैमोक्रैटिक पार्टी को धता बता कर जम्मूकश्मीर की साझा सरकार आखिर गिरा दी है. महबूबा मुफ्ती और नरेंद्र मोदी दोनों श्रीनगर की सरकार को चलाने में घुटन महसूस कर रहे थे और यह टूट काफी दिनों से दिख रही थी. सरकार चलाना वैसे भी इस इलाके में आसान नहीं क्योंकि मुसलिम बहुमत वाला यह राज्य हिंदू भारत से अपनापन जोड़ नहीं पाया है और आम जनता अपनी धार्मिक मनमानी के लिए लगातार कुरबानियां देने को तैयार है.

अब लगता है कि भाजपा इस सुलगती आंच पर पैट्रोल डाल कर 2019 की खीर पकाना चाहती है. देशभर में हिंदूमुसलिम तनाव पैदा करने में भाजपा के कट्टर नेताओं को कश्मीर की साझा सरकार मानसिक स्पीड ब्रेकर नजर आ रही थी. अब कश्मीर में मनमाने काम कर के केंद्र सरकार यह जता सकेगी कि देखो, हम ने कश्मीर को कैसे काबू में रख रखा है और 2019 में हमें ही वोट दो ताकि जो कट्टर हिंदू धर्म को न माने उसे भी वही देखना पड़े जो कश्मीरी देख रहे हैं.

भाजपा ने 2014 के बाद सोचा था कि उस का एकछत्र राज आ गया है और अलग धर्मों, जातियों और क्षेत्रों के लोग अपनेआप नए चक्रवर्ती सम्राट के अश्वमेध घोड़े के आगे स्वयं को सुपुर्द कर देंगे. कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान में चुनाव व उपचुनावों में मिली हार ने साबित कर दिया है कि पौराणिक सरकार को बनाए रखने के लिए महाभारत का युद्ध तो लगातार जारी रखना पड़ेगा. जम्मूकश्मीर सरकार की बलि इसी कोशिश का पहला अनुष्ठान है.

अगर नरेंद्र मोदी और महबूबा मुफ्ती लेनेदेने की नीति में विश्वास रखते तो कोई कारण नहीं कि कश्मीर की जनता को मनाया नहीं जा सकता था. मुसलिम देश होने के कारण ही पाकिस्तान किसी का आदर्श नहीं बन जाता. बंगलादेश ने अपनी बंगाली संस्कृति को इसलामाबाद की मुसलिम सरकार से ज्यादा प्राथमिकता दी थी. पाकिस्तान को खुद सिंध, ब्लूचिस्तान और कई छोटे इलाकों को बांधे रखने में दिक्कत होती रहती है. सिर्फ धर्म के कारण कश्मीरी जनता भारत से विद्रोह नहीं कर सकती. जो गुस्सा कश्मीरियों को है उसे नरेंद्र मोदी को सुलझाने का अनूठा मौका मिला था जो उन्होंने गंवा दिया है.

अब कश्मीर तो जल ही सकता है, उस की आग का फायदा देशभर में हिंदूमुसलिम तनाव फैलाने में करा जाए तो आश्चर्य न होगा. विपक्षी दलों को ऐसी हालत में मुसलिम अल्पसंख्यकों का साथ देना होगा और भाजपा फिर उन पर हिंदू विरोधी आरोप जड़ कर 2019 में वोट बटोर सकती है. न देश की जनता के पास, न विपक्षी दलों के पास ऐसी किसी नीति का कोई ठोस बचाव है. वे यही उम्मीद कर सकते हैं कि अपने खुद के आर्थिक विकास में व्यस्त जनता के पास निरर्थक हिंदूमुसलिम विवाद में उलझने का समय और शक्ति नहीं होगी.

 

दिल का मामला या कोई बड़ी साजिश

हर साल बैसाखी के पर्व पर भारत से सिख व हिंदू श्रद्धालुओं का एक जत्था पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब ननकाना साहिब जाता है. वैसे समय समय पर गुरुओं के प्रकाशपर्व या गुरुपर्व पर श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारों के दर्शन, सेवा आदि करने जाते रहते हैं. पर 13 अप्रैल, 2018 की बैसाखी के पर्व का अपना एक विशेष महत्त्व होता है.

वहां जाने वाले श्रद्धालुओं में उस समय एक अजीब सा उत्साह होता है. जो जत्था पाकिस्तान जाता है, उस की तैयारियां और श्रद्धालुओं की बुकिंग का काम कई महीने पहले से ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की देखरेख में किया जाता है और जत्थे को सहीसलामत पाकिस्तान ले कर जाने और दर्शन करवा कर वहां से वापस भारत आने तक की जिम्मेदारी एसजीपीसी की ही होती है.

इस साल 12 अप्रैल को एसजीपीसी के कार्यकारी सदस्य गुरमीत सिंह की अगुवाई में 717 सदस्यों का जत्था गुरुद्वारा पंजा साहिब में बैसाखी का जश्न मनाने के लिए भारत से पाकिस्तान के लिए रवाना हुआ.

पाकिस्तान के पवित्र मंदिरों, गुरुद्वारों की यात्रा करने के बाद यात्री जत्था जब 21 अप्रैल को वापस भारतपाक बौर्डर पर पहुंचा तो पता चला कि जत्थे में एक यात्री कम है. इस मामले में जब छानबीन की गई तो पंजाब के होशियारपुर जिले के गढ़शंकर की एक सिख महिला किरनबाला जत्थे में नहीं थी. वह तीर्थयात्रा के दौरान गायब हो गई थी. उस समय ऐसा संभव नहीं था कि किरनबाला की तलाश की जाए, अत: जत्था किरनबाला के बिना ही अमृतसर लौट आया.

किरनबाला हुई लापता

बाद में पता चला कि जत्थे से अलग हो कर किरनबाला ने 16 अप्रैल, 2018 को लाहौर में एक मुसलमान युवक से विवाह कर लिया था. यात्रियों से पूछताछ के बाद पता चला कि पंजा साहिब से लाहौर लौटते समय रावी नदी के निकट से ही किरनबाला अचानक बस से गायब हा गई थी.

वह अपना सामान भी बस में ही छोड़ गई थी. उस समय इस बात की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया था कि उस के मन में क्या खिचड़ी पक रही है.

किरनबाला एसजीपीसी के प्रतिनिधिमंडल की ओर से बतौर तीर्थयात्री 12 अपैल को पाकिस्तान रवाना हुई थी. वह भारतीय पासपोर्ट पर पाकिस्तानी वीजा के साथ गई थी, जो 21 अप्रैल तक वैध था.

बाद में उस ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिख कर अनुरोध किया कि मैं ने लाहौर के दारुल उलूम जामिया नईमिया में अपनी मरजी से इसलाम धर्म अपनाया है और लाहौर के हंजरवाल मुलतान रोड निवासी मोहम्मद आजम से निकाह कर लिया है. इसलिए मेरे वीजा की अवधि बढ़ाई जाए ताकि मैं अपने शौहर के साथ पाकिस्तान में रह सकूं.

आवेदन में उस का नाम आमना बीबी लिखा था. मंत्रालय ने उस की अरजी स्वीकार कर वीजा की अवधि 30 दिन के लिए बढ़ा दी. यह मामला पाकिस्तानी मीडिया में भी चर्चित हो गया.

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यह जानकारी मिलने के बाद एसजीपीसी और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया. सुरक्षा एजेंसियों को जांच के बाद पता चला कि किरनबाला को सिख जत्थे के साथ श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे के मैनेजर की सिफारिश पर जत्थे के साथ पाकिस्तान भेजा गया था. जब मैनेजर के बारे में पता किया गया तो जानकारी मिली कि वह छुट्टी ले कर कनाडा जा चुका है.

खुफिया एजेंसियों ने मैनेजर का भी रिकौर्ड खंगालना शुरू कर दिया कि उस की ओर से अब तक पाकिस्तान गए सिख श्रद्धालुओं के जत्थे में किनकिन लोगों की सिफारिश की गई है. कुछ केंद्रीय एजेंसियों और राज्य की खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों ने भी एसजीपीसी के कर्मचारियों से बात कर के तथ्य जुटाने की कोशिश की.

खुफिया एजेंसियों का अलर्ट

खुफिया एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही थीं कि किरनबाला ने जत्थे के साथ जाने के लिए अपने क्षेत्र के एसजीपीसी के सदस्यों से सिफारिश न करवा कर अमृतसर जिले के रहने वाले उस मैनेजर से ही क्यों सिफारिश करवाई. यह मैनेजर एक पूर्वमंत्री के पीए का अतिकरीबी था.

किरनबाला पंजाब में अपने 3 बच्चे छोड़ गई थी, जिन में 2 बेटे और एक बेटी है. लेकिन पाकिस्तान में मोहम्मद आजम से शादी करने के बाद वह अपने 3 बच्चों के होने से भी मुकर गई. उस ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा कि उस के कोई बच्चा नहीं है.

अपने तीनों बच्चों को उस ने अपनी मौसी के बच्चे बताया. जबकि उस की सास और ससुर ने बताया कि किरनबाला वैसे तो 5 बच्चों की मां है. उस के एक बच्चे की मौत उस के जन्म के 4 दिन बाद ही हो गई थी, जबकि दूसरा बच्चा मृत पैदा हुआ था.

अपनी बात को साबित करने के लिए उस के ससुर तरसेम सिंह ने किरनबाला का आधार कार्ड, राशन कार्ड और किरनबाला के तीनों बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र, बीपीएल कार्ड और बेटी के साथ खोले गए बैंक खाते की प्रतियां भी दिखाईं.

पाकिस्तान जाते समय किरनबाला 12 साल की अपनी बड़ी बेटी को यह समझा कर गई थी कि वह 21 तारीख को लौट आएगी. तब तक वह अपने छोटे भाइयों का ध्यान रखे. उस ने बच्चों को यह भी समझाया था कि वह दादादादी की बात मानें और घर में किसी को तंग न करें.

किरनबाला की पृष्ठभूमि

किरनबाला का परिवार मूलरूप से पठानकोट के गांव शेरपुर का निवासी था. लेकिन उस के पिता मनोहरलाल लंबे समय से उत्तरी दिल्ली के मुखर्जीनगर इलाके में रहने लगे थे. किरन का जन्म पंजाब के होशियारपुर  के गढ़शंकर गांव में हुआ था. मातापिता के अलावा मायके में उस की एक छोटी बहन और छोटा भाई है. बहन की शादी हो चुकी है, जबकि भाई दिल्ली में पुरानी गाडि़यों की खरीदफरोख्त का काम करता है.

किरनबाला के ससुर तरसेम सिंह के मुताबिक, वह सन 1971 की जंग में भारतीय सेना में सेवा के दौरान जख्मी हो गए थे. इस के बाद वह वीआरएस ले कर घर लौट आए थे. सन 2005 में वह अपने बेटे को फौज में भरती कराने के लिए दिल्ली गए थे. दिल्ली प्रवास के दौरान उन के बेटे नरिंदर की किरनबाला से मुलाकात हो गई.

किरन का घर भरती केंद्र के पास ही था. उस वक्त किरनबाला 10वीं कक्षा में पढ़ती थी. इस दौरान कब उन के बेटे और किरन के बीच प्यार परवान चढ़ा, इस का पता परिजनों को भी नहीं लगा और फिर एक दिन उन का बेटा नरिंदर किरनबाला को साथ ले कर घर आ गया.

उस ने बताया कि किरन अपना घर छोड़ कर उस के साथ घर बसाने के लिए आई है और अब वह इस घर की बहू बन कर यहां रहेगी. उस समय किरन की उम्र 18 साल थी. शादी के बाद किरन ने 5 बच्चों को जन्म दिया, जिन में से 2 बच्चों की मौत हो गई थी और 3 बच्चे मौजूद हैं.

नरिंदर की सेना में भरती तो नहीं हो सकी पर उस ने एक गैस एजेंसी में डिलीवरीमैन का काम करना शुरू कर दिया था. वह थोड़ेथोड़े समय बाद दिल्ली जाया करता था. इसी बीच नवंबर, 2013 को एक दुर्घटना में नरिंदर की मौत हो गई.

बेटे की मौत के बाद नवंबर, 2013 में ही किरन घर छोड़ कर अपने मायके दिल्ली चली गई थी. अपने पोतीपोतों के बिना तरसेम का मन नहीं लग रहा था तो वह बहू और बच्चों को लेने के लिए दिल्ली चले गए और बाकायदा एग्रीमेंट कर के किरनबाला को अपने यहां ले आए.

उन्होंने कई बार किरनबाला से दूसरी शादी करने की भी बात कही और कहा कि वह खुद अपनी बेटी की तरह उस का कन्यादान करेंगे, लेकिन वह दूसरी शादी के लिए राजी नहीं हुई. लिहाजा अब उस का इस तरह घर छोड़ कर पाकिस्तान जाना और निकाह करना तरसेम सिंह की समझ में नहीं आ रहा था.

वहीं किरनबाला की सास कृष्णा कौर के मुताबिक, बेटे की मौत के बाद किरनबाला का चालचलन कुछ अच्छा नहीं रहा था. कई बार उन्होंने उसे रंगेहाथ पकड़ भी लिया था. इस बीच साल डेढ़ साल के लिए उस ने नंगल के करीब टाहलीवाल में एक फैक्ट्री में भी काम किया, लेकिन जब लोग उस के बारे में तरहतरह की बातें बनाने लगे तो उन्होंने उसे काम करने से मना कर दिया था.

किरन की बदल गई पहचान

तरसेम सिंह का कहना है कि अगर उन्हें जरा भी पता होता कि किरन के मन में ऐसा कुछ चल रहा है तो वह उसे किसी भी कीमत पर पाकिस्तान नहीं जाने देते. पाकिस्तान जाने के बाद 15 तारीख तक तो वह लगातार उन्हें फोन कर के बच्चों और परिवार का हाल जानती रही थी लेकिन एकाएक उस ने बच्चों व परिवार से मुंह मोड़ लिया.

इस के बाद 16 तारीख को उस ने तरसेम सिंह को फोन कर के कहा, ‘‘पिताजी, अब मैं लौट कर नहीं आऊंगी. मैं ने यहां इसलाम धर्म कबूल कर के मोहम्मद आजम नाम के शख्स से निकाह कर लिया है. और अब मेरा नाम आमना बीबी हो गया है.’’

तरसेम सिंह को लगा कि किरन मजाक कर रही है. इस पर उन्होंने उस से कहा, ‘‘क्यों मजाक करती हो बेटा. छोड़ो कोई बात नहीं, तुम यात्रा पूरी कर के जल्दी घर आ जाओ. बच्चे और हम सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं.’’

इस के बाद किरन का कोई फोन नहीं आया और न ही उस से कोई संपर्क हो सका था.

18 अप्रैल, 2018 को जब तरसेम सिंह को एक अंतरराष्ट्रीय संवाद एजेंसी के पत्रकार का फोन आया और उस ने भी वही बात दोहराई तो वह चकित रह गए.

तरसेम का मानना है कि किरन शायद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई या आतंकी संगठनों की साजिश का शिकार हो सकती है. जिस तरह वह बात कर रही है और जो बोल रही है, उस से जाहिर है कि उस का ब्रेनवाश किया गया है. अब वह वही बोल रही है जो आईएसआई या आईएसआईएस के लोगों ने उसे सिखाया होगा.

लेकिन इतना सब होने के बावजूद अब भी वह बच्चों की खातिर किरनबाला को वापस लाना चाहते हैं ताकि वह किसी साजिश का शिकार हो कर नारकीय जीवन जीने को मजबूर न हो सके और बच्चे भी मां की देखभाल से महरूम न रहें.

तरसेम सिंह ने अंदेशा जताया कि शायद सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए वह पाकिस्तान के लोगों के संपर्क में आई होगी. इस के बाद वह शायद आईएसआई के हाथों में पड़ गई हो. यह भी हो सकता है कि उसे धर्म परिवर्तन या फिर से शादी करने के लिए मजबूर किया गया हो.

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किरनबाला ने फैक्ट्री में काम कर के बचाए अपने पैसों को अपने पास ही रखा था. पति की मौत के बाद मुआवजे के तौर पर मिले 25 हजार रुपए भी उसी के पास थे. इन्हीं पैसों से साल भर पहले उस ने एक स्मार्टफोन खरीदा था, जिस के बाद वह सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़ी और सोशल नेटवर्क पर चैटिंग और वाइस काल में ऐसी डूबी कि ये कारनामा कर डाला.

वह घंटों तक फोन पर बातें करती रहती थी. जब उस के ससुर उस पूछते तो वह अपनी मां, भाई या किसी अन्य रिश्तेदार से बात करने की बात कह कर टाल देती थी.

तरसेम सिंह उसे फोन पर ज्यादा बात करने को ले कर टोकते थे, लेकिन उस ने कभी उन की एक नहीं सुनी और फोन पर उस की यह बातचीत लगातार बढ़ती ही चली गई.

सोशल नेटवर्किंग से जुड़ी मोहम्मद आजम से

किरनबाला की पड़ोसन और सहेली रही गिस्टी ने बताया था, ‘‘पति की मौत के बाद अपने मायके दिल्ली रहने के दौरान ही वह मोहम्मद आजम के संपर्क में आई थी.’’

किरन ने मुझे बताया था कि आजम दुबई में रहता है. पाकिस्तान जाने से पहले किरन ने अपने बैंक खाते से साढ़े 14 हजार रुपए निकलवाए थे. किरन फेसबुक पर ज्यादा सक्रिय थी. वह बिग लाइव, एक वीडियो आधारित सोशल नेटवर्क साइट पर भी बहुत सक्रिय थी.

किरन ने नरिंदर के साथ प्रेम विवाह करने के लिए हिंदू धर्म से सिख धर्म अपनाया था और अब मोहम्मद आजम से निकाह करने के लिए इसलाम धर्म को कबूल कर लिया. पाकिस्तान जाने से पहले वह दिल्ली के अस्पताल में अपने बीमार पिता को भी देखने गई थी.

किरन द्वारा यह कदम उठाने के बाद उस के बच्चे भी डरने लगे हैं. किरन की बेटी अपनी मां के धर्म परिवर्तन कर पुनर्विवाह करने पर काफी शर्मिंदा है. वह स्कूल जाना नहीं चाहती. वह कहती है कि बच्चे उसे तंग करते हैं और उस का मजाक उड़ाते हैं.

किरन की भूमिका संदेह के घेरे में

इस बीच होशियारपुर, महिलपुर और गढ़शंकर के सभी निर्वाचित और चुने गए एसजीपीसी सदस्यों ने किरन के लिए वीजा की सिफारिश करने से इनकार कर दिया. सुरिंदर सिंह भुलेवाल राथन, जंगबहादुर सिंह, रणजीत कौर और चरनजीत सिंह ने कहा कि उन्हें बैसाखी तीर्थयात्रा के लिए उस का कोई आवेदन नहीं मिला था.

तरसेम सिंह ने अब इस मामले में एसजीपीसी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. उन का कहना है कि इस मामले में एसजीपीसी उन की लगातार अनदेखी कर रही है. लिहाजा, इस की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. उन्होंने मांग की है कि किरन को वीजा दिलाने के लिए मदद करने वालों, उस के नाम की सिफारिश करने वाले एसजीपीसी के अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जाना चाहिए.

तरसेम सिंह ने होशियारपुर के एसएसपी को दी गई शिकायत में देश को बदनाम करने और धोखा देने के आरोप में किरनबाला के खिलाफ भी मामला दर्ज किए जाने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया है कि इस पूरे प्रकरण में पाकिस्तानी पुलिस भी शामिल रही है. किरन पाकिस्तानी पुलिस के संपर्क में थी.

तरसेम सिंह ने बताया कि नंगल के रहने वाले और पाकिस्तान जत्थे में गए नछत्तर सिंह से उन की फोन पर बात हुई थी. तरसेम के मुताबिक, नछत्तर ने उन्हें बताया था कि पाकिस्तान में प्रवेश करने के बाद से ही पाकिस्तानी पुलिस किरन के आसपास मंडरा रही थी. पाकिस्तानी पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी थोड़ीथोड़ी देर में उस से बातचीत कर रहे थे.

नछत्तर का कहना था कि लाहौर पहुंचने के बाद जब जत्थे में शामिल महिलाओं व पुरुषों को अलगअलग कमरों में भेजा गया तो भी पाकिस्तानी पुलिस के कर्मचारी किरन से मिलते रहे थे. इस के बाद 15 अप्रैल तक लगातार किरन जत्थे के साथ रही और पाकिस्तान पुलिस ने उस से संपर्क बनाए रखा था. इस के बाद 16 अप्रैल को वह रुमाला लाने के बहाने से जत्थे से अलग हो कर गायब हो गई थी.

इस मामले की होनी चाहिए उच्चस्तरीय जांच

तरसेम सिंह ने एसएसपी को शिकायती पत्र दे कर किरन के वहां जाने, जत्थे में शामिल होने और वहां से गायब होने के मामले में एसजीपीसी के अधिकारियों और पदाधिकारियों पर संदेह जताते हुए मामले की जांच कराए जाने और संबंधित लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कड़ी काररवाई किए जाने की मांग की है.

तरसेम सिंह ने किरनबाला को पाकिस्तान सरकार से तालमेल कर वापस लाए जाने की मांग को ले कर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना से भी मुलाकात की. खन्ना को दिए पत्र में तरसेम सिंह ने कहा है कि किरनबाला को पाकिस्तान से वापस ला कर परिवार को सौंपा जाए, ताकि उस के बच्चों की परवरिश सही ढंग से हो सके.

दूसरी ओर, किरनबाला उर्फ आमना बीबी ने पति मोहम्मद आजम के साथ लाहौर हाईकोर्ट में अब याचिका दायर की है. इस में बताया गया है कि उस ने दिल्ली में रहते हुए पहले फेसबुक के माध्यम से लाहौर निवासी मोहम्मद आजम से दोस्ती की थी और अब पाकिस्तान आ कर रजामंदी से इसलाम धर्म कबूल कर के उस ने निकाह भी कर लिया है. इसलिए पाकिस्तान सरकार उसे यहां की नागरिकता दे, यह उस का अधिकार है.

इस सब के बीच आमना बीबी बनने के बाद उस के पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के वायरल वीडियो ने खुफिया एजेंसियों को सकते में डाल दिया है. इस से उस के ससुर तरसेम सिंह की इस बात को बल मिल रहा है कि कहीं वह आईएसआई की एजेंट तो नहीं बन गई. वीडियो फुटेज में किरनबाला अपने नए पाकिस्तानी पति मोहम्मद आजम के साथ कोर्ट के बाहर खड़ी दिखाई दी.

बहरहाल, यह दिल का मामला है या कोई बड़ी साजिश, कहा नहीं जा सकता. परंतु किरनबाला से आमना बीबी बनी पाकिस्तान की नई दुलहन के बारे में अब ताजा बात यह सामने आई है कि अपने फेसबुक के प्रेम और इसलाम धर्म के साथ वफादारी निभाते हुए उस ने लाहौर स्थित अपने घर में रोजे रखे. किरन वहां पर बच्चों से उर्दू भी सीख रही है और कुरआन शरीफ की आयतें भी याद कर रही है.

इन दिनों उस का पति काम के सिलसिले में सऊदी अरब चला गया है. पंजाब पुलिस और अन्य खुफिया एजेंसियां अब किरन के फेसबुक एकाउंट को स्कैन कर के गहनता से इस मामले की जांच कर रही हैं.

अल्लाह के नाम पर बेटी की कुर्बानी

रमजान का पवित्र महीना चल रहा था. मसजिद से सुबह की अजान हुई तो शबाना की आंखें खुल गईं. वह फटाफट सेहरी के लिए उठी तो देखा कि उस की 4 साल की बेटी रिजवाना बिस्तर पर नहीं थी. वहां केवल छोटी बेटी ही दिखी. शबाना ने सोचा कि रिजवाना को शायद टौयलेट आया होगा तो वह नीचे चली गई होगी.

उस ने रिजवाना को आवाज दी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इस पर शबाना सोचने लगी कि रिजवाना कहां गई होगी. मेरे पास ही तो सो रही थी. शबाना अपनी बेटी को तलाश करने लगी. यह 8 जून, 2018 के तड़के की बात है.

राजस्थान में जोधपुर जिले के पीपाड़ शहर में सिलावटों का मोहल्ला है. इस मोहल्ले में नवाब अली अपने मामा मोहम्मद साजिद के घर में उन के साथ ही ऊपरी मंजिल पर रहता था. नवाब अली और मोहम्मद साजिद मिल कर मीट की दुकान चलाते थे. नवाब अली मूलरूप से पिचियाक गांव का रहने वाला था. वह अपनी बीवी शबाना और 4 साल की बेटी रिजवाना तथा एक छोटी बेटी के साथ मामा के मकान में रहता था.

जून महीने में राजस्थान में भीषण गरमी पड़ती है इसलिए नवाब अली अपनी बीवी और दोनों बेटियों के साथ छत पर सोया हुआ था. शबाना को जब बेटी रिजवाना नहीं मिली तो वह उसे देखने नीचे की मंजिल पर बने कमरे में गई.

कमरे का दृश्य देख कर शबाना की आंखें फटी रह गईं. वहां उस की मासूम रिजवाना खून में सनी पड़ी थी. उस के गले से खून बह रहा था. बेटी को रक्तरंजित हालत में देख कर शबाना रोने लगी. उस ने नब्ज देख कर बेटी के जिंदा होने का अनुमान लगाने की कोशिश की लेकिन उसे कुछ पता नहीं चला.

वह रोती हुई तेजी से सीढि़यां चढ़ कर छत पर पहुंची और वहां सो रहे पति नवाब अली को जगा कर नीचे वाले कमरे में खून से लथपथ पड़ी बेटी रिजवाना के बारे में बताया. इस पर नवाब अपनी बीवी के साथ नीचे वाले कमरे में आया और वहां खून फैला देख कर बीवी से कहा कि लगता है इस पर बिल्ली ने हमला किया है, इस से उस का गला कट गया है.

शबाना की चीखपुकार सुन कर नवाब अली के मामा मोहम्मद साजिद के परिवार वाले भी जाग गए. शबाना पति के साथ खून से लथपथ बेटी को अस्पताल ले गई. अस्पताल में डाक्टरों ने चैकअप के बाद बच्ची को मृत घोषित कर दिया. नवाब अली ने बच्ची पर बिल्ली के हमले की बात कह कर अस्पताल में डाक्टरों को संतुष्ट कर दिया और बेटी का शव घर ले आया.

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तब तक सूरज का उजाला नजर आने लगा था. नवाब की मासूम बेटी की मौत होने का पता चलने पर मोहल्ले के लोग भी एकत्र हो गए. नवाब ने मोहल्ले वालों को भी बेटी पर बिल्ली के हमले की बात बताई, लेकिन यह बात लोगों के गले नहीं उतरी. इस बीच किसी आदमी ने पुलिस को सूचना दे दी.

पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने जब बच्ची की लाश का निरीक्षण किया तो उस के शरीर पर कहीं भी बिल्ली के पंजों के निशान नहीं दिखे.

गला भी किसी धारदार हथियार से काटा हुआ दिख रहा था, इसलिए पुलिस को शक हो गया कि यह हत्या का मामला है. पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दी.

पुलिस ने बच्ची की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जोधपुर से विधिविज्ञान प्रयोगशाला की टीम को मौके पर बुलाया, लेकिन इन से भी पुलिस को कोई ऐसे सबूत नहीं मिले, जिस से हत्यारे तक पहुंचा जा सके. पुलिस ने डाक्टरों के पैनल से बच्ची के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया.

पुलिस इस बात से भी आश्चर्यचकित थी कि जब कमरे में बच्ची के मातापिता सो रहे थे तो फिर गला रेतने के समय उन्हें रिजवाना के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुनाई क्यों नहीं पड़ी. मां के पास सो रही रिजवाना नीचे वाले कमरे में कैसे पहुंची. पुलिस को इस बात के भी कोई सबूत नहीं मिले कि हत्यारा बाहर से आया था, क्योंकि घर के दरवाजे बंद थे.

मासूम बच्ची की हत्या से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. शबाना की तरफ से पुलिस ने अज्ञात आदमी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. जोधपुर एसपी (ग्रामीण) राजन दुष्यंत राजन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) खींवसिंह भाटी और पुलिस उपाधीक्षक सेठाराम बंजारा ने भी मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की.

एसपी राजन दुष्यंत ने मौकामुआयने के बाद थाने में पुलिस अधिकारियों के साथ इस मामले पर चर्चा की. उन्हें लगा कि रिजवाना की हत्या में परिवार के ही किसी सदस्य का हाथ रहा होगा.

परिवार वालों ने जब रिजवाना का शव दफना दिया तो पुलिस नवाब अली और उस के मामा मोहम्मद साजिद को पूछताछ के लिए थाने ले आई. दोनों से अलगअलग पूछताछ की गई.

पूछताछ में नवाब अली ने अपनी बेटी रिजवाना की हत्या की जो लोमहर्षक कहानी सुनाई, उसे सुन कर पुलिस अफसर भी स्तब्ध रह गए.

नवाब अली कुरैशी ने पुलिस को बताया कि रमजान के महीने में अल्लाह को खुश करने के लिए वह अपनी सब से प्यारी चीज की कुरबानी देना चाहता था. वह बेटी रिजवाना को बहुत प्यार करता था, इसलिए उसे ही कुरबान कर दिया. नवाब जिस छुरी से बकरे काटता था, उसी से उस ने अपनी बेटी को हलाल कर दिया.

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26 साल के नवाब ने पुलिस को बताया कि मैं नमाजी हूं. बेटी को कुरबान कर के अल्लाह को खुश करना चाहता था. वह कई दिनों से अपने ननिहाल में थी. मैं ने रिजवाना को ननिहाल से बुलवा लिया.

7 जून को उसे बाजार ले गया और शहर में घुमायाफिराया. उसे मिठाई, फ्रूट, चौकलेट आदि खिलाए और उस की पसंद की चीजें दिलवाईं. उस के बाद मैं घर आ गया. रात को रिजवाना अपनी मां शबाना के साथ छत पर सोई थी, मैं भी पास में ही सोया था.

आधी रात बाद मैं रिजवाना को चुपके से उठा कर नीचे के कमरे में ले गया. वहां उसे कलमा सुनाया. फिर अपनी गोद में बिठा कर बकरा काटने वाली छुरी से धीरेधीरे उस का गला रेत दिया.

बेटी को हलाल करने से मेरी पैंट खून से सन गई तो मैं ने कपड़े बदले. फिर छुरी और खून से सने कपड़े छिपा कर रख दिए और वापस छत पर आ कर सो गया. मुझे नींद नहीं आ रही थी, पर मैं सोने का नाटक कर रहा था.

बाद में जब शबाना मुझे बेटी की लाश के पास ले गई तो मैं ने बेटी पर बिल्ली के हमले की बात कह कर मामले को दूसरा रूप देने की कोशिश की लेकिन बाद में पुलिस आ गई और मेरी मंशा पूरी नहीं हो सकी.

पुलिस ने बेटी की हत्या के आरोप में नवाब अली कुरैशी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया और वहां से उसे जेल भेज दिया गया. दूसरी ओर इसलाम से जुड़े लोगों ने आरोपी के बयान और कृत्य को धर्मविरोधी बताया. इन का कहना था कि इसलाम में इंसान का कत्ल हराम है. यह कृत्य सरासर धर्म के खिलाफ है.

11 दूल्हों को लूटने वाली दुल्हन

6 मई, 2018 का दिन था. सुबह के यही कोई 11 बज रहे थे. उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के थाना पीरान कलियर के थानाप्रभारी देवराज शर्मा अपने औफिस में बैठे थे. तभी किसी व्यक्ति ने उन्हें फोन कर के कहा, ‘‘सर, मेरा नाम अशोक है और मैं धनौरी कस्बे में रहता हूं. मैं एक मामले में आप से बात करना चाहता हूं.’’

‘‘बताइए क्या मामला है?’’ थानाप्रभारी ने कहा.

‘‘सर, मेरे साथ एक धोखाधड़ी हुई है.’’ अशोक ने बताया.

‘‘किस तरह की धोखाधड़ी हुई है आप के साथ?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘सर, दरअसल बात यह है कि गत 2 मई, 2018 को ज्वालापुर के रहने वाले मेरे एक परिचित तथा उस के दोस्त मुकेश ने मेरी शादी रीता से कराई थी, जो जिला कोटद्वार के पौड़ी की रहने वाली थी. इस शादी के लिए मैं ने 2 लाख रुपए में अपनी प्रौपर्टी गिरवी रख कर लोन लिया था.’’ अशोक बोला.

‘‘इस के बाद क्या हुआ?’’ थानाप्रभारी देशराज शर्मा ने पूछा.

‘‘सर, इस शादी में मुकेश बिचौलिया था. उस ने मेरी शादी कराने के एवज में मुझ से 50 हजार रुपए नकद लिए थे. मुकेश ने मुझ से कहा था कि रीता एक गरीब घर की लड़की है. उस के पिता महेंद्र उस की शादी में ज्यादा रकम खर्च नहीं कर सकते. वह साधारण तरीके से शादी कर के बेटी के हाथ पीले करना चाहते हैं.’’ अशोक ने बताया.

‘‘क्या तुम ने मुकेश और महेंद्र से भी संपर्क किया था?’’ शर्मा ने पूछा.

‘‘नहीं सर, इस बीच हमारी बात सिर्फ मुकेश के माध्यम से ही चलती रही और महेंद्र से केवल उस दिन मुलाकात हुई थी, जिस दिन वह वरवधू को आशीर्वाद देने के लिए आया था. मुकेश ने यह शादी 2 अप्रैल को हरिद्वार की रोशनाबाद कोर्ट में कराई थी. इस के बाद मुकेश व महेंद्र हम से कभी नहीं मिले. शादी के 2 दिन बाद ही रीता हमारे घर से सोनेचांदी की सारी ज्वैलरी और नकदी ले कर भाग गई. रीता को हम ने कोटद्वार, ज्वालापुर, बिजनौर आदि कई जगहों पर तलाश किया, मगर हमें उस का कुछ भी पता नहीं चल सका. अब मुकेश का फोन  भी बंद है.’’ अशोक ने बताया.

‘‘तुम्हारी बातों से लग रहा है कि तुम शादी कराने वाले ठगों के गिरोह के चक्कर में फंस गए हो. इसीलिए उन्होंने अपने फोन भी बंद कर लिए हैं. अगर दुलहन रीता ठीक होती तो वह जेवर सहित क्यों भागती?’’ थानाप्रभारी बोले.

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‘‘आप ठीक कह रहे हैं सर, अब मैं इन जालसाजों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराना चाहता हूं.’’ अशोक ने कहा.

‘‘ठीक है तुम धनौरी पुलिस चौकी चले जाओ. वहां के चौकी इंचार्ज रंजीत सिंह तोमर से मिल कर तुम अपनी रिपोर्ट दर्ज करा सकते हो.’’ थानाप्रभारी ने बताया.

पुलिस ने शुरू की जांच

इस के बाद अशोक धनौरी पुलिस चौकी पहुंचा और चौकी इंचार्ज रंजीत तोमर से मिल कर खुद के ठगे जाने की घटना सिलसिलेवार बता दी. अशोक की तहरीर पर चौकी इंचार्ज ने लुटेरी दुलहन रीता उर्फ पूजा, बिचौलिए मुकेश तथा रीता के तथाकथित बाप महेंद्र के खिलाफ भादंवि की धाराओं 420, 417, 406 तथा 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

थानाप्रभारी ने चौकी प्रभारी रंजीत तोमर को ही इस केस की जांच करने के निर्देश दिए और इस केस की जानकारी सीओ (रुड़की) स्वप्न किशोर सिंह को भी दे दी.

7 मई की शाम को एसपी (देहात) मणिकांत मिश्रा और सीओ स्वप्न किशोर सिंह थाना पीरान कलियर पहुंचे. उन्होंने इस ठग गिरोह को पकड़ने के लिए थानाप्रभारी देशराज शर्मा व चौकी प्रभारी रंजीत तोमर के साथ मीटिंग की.

मीटिंग में उन्होंने इस केस को खोलने के संबंध में कुछ दिशानिर्देश देते हुए कहा कि यह गिरोह अब जल्द ही आसपास के क्षेत्र में शादी के लिए किसी नए व्यक्ति को शिकार बनाएगा. आप अपने मुखबिरों को सतर्क कर दें.

एसपी (देहात) मणिकांत मिश्रा ने थानाप्रभारी के नेतृत्व में एक टीम बनाई. इस टीम में एसआई रंजीत तोमर, चरण सिंह चौहान, अहसान अली, कांस्टेबल अरविंद, ब्रजमोहन, महिला कांस्टेबल सुषमा आदि को शामिल किया गया.

इस के बाद थानाप्रभारी और चौकी इंचार्ज ने अपने मुखबिरों को भी सतर्क कर दिया और उन ठगों की तलाश में जुट गए. उन्होंने मुकेश के फोन नंबर को भी सर्विलांस पर लगा दिया. उन्हें तलाश करतेकरते 7 दिन बीत चुके थे. मगर अभी तक उन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी.

17 मई, 2018 को एसआई रंजीत सिंह तोमर को एक मुखबिर ने उन ठगों के बारे में एक महत्त्वपूर्ण जानकारी दी. एसआई रंजीत तोमर ने इस सूचना से थानाप्रभारी और सीओ स्वप्न किशोर सिंह को भी अवगत करा दिया.

मुखबिर ने बताया था कि गैंग के सदस्य हरिद्वार के टिबड़ी इलाके में हैं. यह गिरोह कल रात ही राजस्थान के जयपुर शहर के रहने वाले संजय को शिकार बना कर लौटा है. रीता ने संजय से 2 दिन पहले ही शादी की थी. वह यहां से कहीं जाने की तैयारी में है.

पुलिस क्षेत्राधिकारी स्वप्न सिंह ने पुलिस टीम को तुरंत टिबड़ी जाने के निर्देश दिए. पुलिस टीम ने मुखबिर द्वारा बताई गई जगह पर दबिश दी तो वहां पर मुकेश उर्फ यादराम, उस के बेटे अरुण, भोपाल और रीता उर्फ पूजा को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उन से पूछताछ की गई तो शादी कर के लूट का धंधा चलाने वाले इस गैंग की कहानी सामने आई, जो इस प्रकार निकली—

रीता उर्फ पूजा मूलरूप से जिला बिजनौर के कस्बा अफजलगढ़ की रहने वाली थी. उस का भाई राजू और पिता कृपाल सिंह गांव में खेतीबाड़ी करते थे. सन 2002 में पिता ने उस की शादी झाड़पुर निवासी पवन से कर दी. बाद में रीता 2 बेटों और एक बेटी की मां बनी. रीता के गलत चालचलन की वजह से सन 2013 में पवन ने उसे छोड़ दिया और बच्चों सहित उस से अलग रहने लगा था.

जिस्मफरोशी से आई ठगी के धंधे में

रीता की बदचलनी की वजह से पति से संबंध टूट जाने की बात उस के मायके वालों को भी पता चल गई थी इसलिए उस के मायके वालों ने भी उस से नाता तोड़ लिया था. रीता के भाई राजू का एक दोस्त था मुकेश जो कि बिजनौर के नरैना गांव का रहने वाला था. पति द्वारा छोड़े जाने के बाद रीता ने मुकेश के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ा ली थीं.

मुकेश उस वक्त ज्वालापुर के कड़च्छ मोहल्ले में रहता था. साथसाथ रहने पर दोनों के नाजायज संबंध बन गए. मुकेश रीता के जरिए कमाई करना चाहता था, लिहाजा उस ने उसे जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया. वह उसे धंधा करने के लिए रात को होटलों में भेजता. 2 सालों तक उन का यह धंधा चलता रहा.

सन 2015 में मुकेश ने सोचा कि होटलों में जिस्मफरोशी के धंधे में पुलिस के छापे आदि का डर रहता है. पकडे़ जाने पर जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है. इसलिए मुकेश ने रीता से सलाह कर के यह धंधा बदलने का विचार किया.

उस ने रीता से कहा कि वह उसे गरीब घर की लड़की बता कर उस की शादी ऐसे अमीर परिवार के युवकों से करा दिया करेगा, जिन की शादी नहीं हो रही हो. शादी के बाद वह उस परिवार के जेवर व नकदी ले कर रफूचक्कर हो जाया करेगी.

रीता को मुकेश की यह सलाह पसंद आ गई और उन्होंने अपने इस नए धंधे को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया.

इस के बाद उन दोनों ने कुछ ऐसे लोगों को ढूंढना शुरू कर दिया जो किसी कारण से अपनी शादी बिरादरी में या अन्य कहीं नहीं कर पा रहे थे. शादी के समय मुकेश अधेड़ व्यक्ति भोपाल को रीता के बाप के रूप में पेश करता था. उसे फिल्मी स्टाइल में रीता के बाप का अभिनय करते हुए कन्यादान जैसी रस्में पूरी करनी होती थीं. इस काम के एवज में मुकेश उसे 2 हजार रुपए प्रति शादी देता था.

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मुकेश पहले तो किसी अमीर व्यक्ति से रीता की शादी करवाता, उस के बाद रीता अपने कथित पति के घर के जेवर व नकदी ले कर एकदो दिन में ही वहां से फुर्र हो जाती थी.

मुकेश व रीता के जालसाजी के इस धंधे में अकसर मुकेश का बेटा अरुण भी शामिल रहता था. मुकेश उसे भी ठगी की रकम में से हिस्सा देता था. शादी के नाम पर ठगी करने की लगभग 10 घटनाओं को वह अंजाम दे चुके थे. इस गिरोह में मुकेश का बेटा अरुण रीता का भाई बनता था. जबकि ज्वालापुर की लाल मंदिर कालोनी का रहने वाला भोपाल लड़की का फरजी पिता बनता था.

रीता ने बताया कि अब तक वह गरीब लड़की बन कर उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा के 11 लोगों से शादी का नाटक कर के ठग चुकी है. वह यह धंधा पिछले 3 सालों से कर रही थी. ठगी के कुछ शिकार लोग लोकलाज के चलते पुलिस तक नहीं गए थे.

जिन लोगों ने पुलिस से शिकायत की थी तो पुलिस उन लोगों के पास तक नहीं पहुंच सकी. क्योंकि पुलिस को उन लोगों का पता मालूम नहीं था.

रीता ने बताया कि सन 2017 में उस ने हरियाणा के जिला करनाल निवासी 2 युवकों को ठगा था. उन के यहां से भी वह लाखों रुपए की ज्वैलरी और नकदी ले कर रफूचक्कर हो गई थी. पिछले साल उस ने शिवदासपुर गांव तेलीवाला के युवक एस. कुमार को ठग कर उस के लगभग 50 हजार रुपए और जेवरों पर हाथ साफ किया था.

गत 24 अप्रैल, 2017 को मुकेश ने उस की शादी मुजफ्फरनगर जिले के गांव गुर्जरहेड़ी निवासी संदीप शर्मा से कराई थी. शादी के 2 दिन बाद ही वह रात को 3 बजे संदीप शर्मा के परिवार का मालपानी समेट खिसक गई थी.

मुकेश था आदतन अपराधी

कुछ महीने पहले ही मुकेश ने उस की शादी बिजनौर के सोनू के साथ कराई थी. उस शादी में भी वह 2 दिन बाद घर के जेवर व नकदी ले कर फरार हो गई थी. सोनू ने इस की शिकायत पुलिस से की तो एसआई मीनाक्षी गुप्ता को इस की जांच सौंपी गई. इस प्रकरण में मुकेश ने सोनू के घर वालों को वधू का नाम नेहा बताया था.

पूछताछ में मुकेश ने भी बताया कि पहले उस की रीता के भाई राजू से गहरी दोस्ती थी. करीब 5 साल पहले जब रीता की बदचलनी की वजह से उस के भाई व बाप ने उस से नाता तोड़ लिया था तो वह उस के साथ रहने लगी थी. पहले वह दोनों कोटद्वार के कौडि़यों कैंप मोहल्ले में रहा करते थे. इस के बाद वह ज्वालापुर के मोहल्ला कड़च्छ में रहने लगे.

ठगी की रकम से डबल हिस्सा लेने के लिए मुकेश ने अपने बेटे अरुण को भी इस गैंग में शामिल कर लिया था. पुलिस को मुकेश के बारे में पता चला कि वह आपराधिक प्रवृत्ति का इंसान है. कोटद्वार के लकड़ी पड़ाव में सन 2011 में हुए डबल मर्डर में भी वह शामिल था.

सन 2013 में एडीजे कोर्ट कोटद्वार से उसे आजीवन कारावास की सजा हो चुकी थी. आरोपी की अपील माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड, नैनीताल में विचाराधीन है. वर्तमान में मुकेश जमानत पर था.

इस गिरोह के गिरफ्तार होने की सूचना पर एसएसपी कृष्ण कुमार और एसपी (देहात) मणिकांत मिश्रा भी थाने पहुंच गए. एसएसपी ने प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर मीडिया को इस शातिर गैंग के बारे में जानकारी दी.

पुलिस ने अभियुक्तों के पास से 35 हजार रुपए नकद, चांदी के गहने, मंगलसूत्र, बिछुए आदि बरामद किए. पूछताछ के बाद चारों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

केस की जांच एसआई रंजीत तोमर कर रहे थे. एसआई तोमर आरोपियों के शिकार सभी लोगों से संपर्क कर आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा कर रहे थे, जिस से उन्हें कोर्ट से उचित सजा मिल सके.

– पुलिस सूत्रों पर आधारित.

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