शूर्पणखा की नाक काट कर रामलक्ष्मण की जोड़ी ने कौन सा शौर्य दिखाया था, इस पर बहस की तमाम गुंजाइशें हैं. ठीक इसी तर्ज पर श्रीराजपूत करणी सेना की यह घोषणा है कि उस के शूरवीर राजस्थान की शिक्षामंत्री किरण माहेश्वरी की नाक के साथ कान भी काटेंगे.

इतने बड़े हादसे को अंजाम देने की वजह भी बड़ी सी ही है कि किरण माहेश्वरी ने राजपूतों की तुलना चूहों से यह कहते कर दी थी कि चुनाव आते देख चूहे बिलों से बाहर निकल रहे हैं. जवाब में करणी सेना ने उन के नाककान काटने की बात इशारों में कह डाली. इत्तफाक से इसी दौरान गुजरात में कुछ दलितों को राजपूतों ने महज इसलिए ठोंका था कि वे अपने नाम के आगे सिंह लगा रहे थे.

इन राजपूत वीरों की नजर में, दरअसल, शूद्र, नारी और मुसलमान कुछ हैं ही नहीं, इसलिए इन्हें बोलने से पहले अपने अंजाम के बारे में सोच लेना चाहिए.

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