बौलीवुड के जाने माने सिंगर मीका सिंह के घर पर चोरी का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि उनके ओशिवरा स्थित अपार्टमेंट से 3.25 लाख की जूलरी और कैश चोरी हो गए हैं. इस घटना के बाद मीका के मैनेजर ने मामले की शिकायत मुंबई के ओशिवारा पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई है. बताया जा रहा है कि मीका सिंह के एक करीबी असोसिएट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.
मामले की जांच कर रही पुलिस ने एक हिन्दी समाचार पत्र से बातचीत के दौरान बताया, “रविवार को दोपहर में इस घटना को अंजाम दिया गया है जब मीका सिंह का असोसिएट उनके घर गया था. हमे इस बात की आशंका है कि चोरी को करीब 2 बजे अंजाम दिया गया है.” इसके साथ ही पुलिस ने ये भी बताया है कि संदिग्ध प्यानो आर्टिस्ट है जो मीका सिंह के साथ करीब 14 सालों से काम कर रहा था. इस मामले की जांच जारी है. पुलिस ने संदिग्ध का नाम अंकित वासन बताया है. 27 वर्षीय अंकित दिल्ली का रहने वाला है और वह मीका सिंह के प्रोजेक्ट्स और लाइव शो को आर्गनाइज करने का काम करता था.
सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी प्राप्त कर ली गई है. रिपोर्ट के अनुसार ये बताया जा रहा है कि पुलिस ने साफ कर दिया है संदिग्ध ही घर में जाने और बाहर निकलने वाला एकमात्र व्यक्ति था. ओशवरा पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनके मैनेजर ने उन्हें जानकारी दी कि चोरी की घटना के बाद से अंकित का कोई अत-पता नहीं मिल रहा. संदिग्ध अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगा है. पुलिस की टीम और लोकल जनता को इस बारे में जानकारी दे दी गई है. पुलिस ने बताया है कि संदिग्ध दिल्ली का रहने वाला है इसलिए अगर जरुरत पड़ी तो दिल्ली पुलिस को भी मामले की छानबीन में शामिल किया जाएगा.
“स्टूडेंट औफ द ईयर 2” को लेकर एक बड़ी खबर आई है और वो ये कि फिल्म की रिलीज डेट को स्थगित कर दिया गया है. इस बात की जानकारी खुद करण जौहर ने ट्वीट कर दी. उन्होंने बताया कि इस साल “स्टूडेंट औफ द ईयर 2” रिलीज नहीं हो पाएगी और ये फिल्म 2019 कि गर्मियों तक रिलीज होगी. पहले खबरें आ रही थी कि फिल्म की शूटिंग जोरों पर चल रही है और फिल्म इसी साल बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली है. लेकिन करण जौहर के ट्वीट के बाद यह साफ हो गया है कि इस फिल्म के लिए फैंस को पूरे एक साल इंतजार और करना पड़ेगा.
बता दें कि पुनीत मल्होत्रा के निर्देशन में बन रही यह फिल्म पहले इस साल 23 नवंबर को रिलीज होने वाली थी. लेकिन फिल्म की रिलीज डेट को आगे बढ़कर 10 मई 2018 कर दिया गया है. बता दें कि इसमें टाइगर श्रौफ लीड रोल में हैं. इस फिल्म में चंकी पांडे की बेटी अनन्या और तारा सुतारिया बतौर हीरोइन होंगी. तारा और अनन्या इस फिल्म से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाली थीं और अब उनको भी करीब एक साल इस बात को लेकर इंतजार करना पड़ेगा. इस फिल्म को पुनीत मल्होत्रा निर्देशित कर रहे है.
आपको याद होगा कि साल 2012 में आई ‘स्टूडेंट औफ द ईयर’ जबरदस्त सफल रही थी. करण जौहर के निर्देशन में बनी इस फिल्म से वरुण धवन, आलिया भट्ट और सिद्धार्थ मल्होत्रा ने एक साथ बौलीवुड में डेब्यू किया था.
अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगने से पहले ही ईरान पर दुष्प्रभाव नजर आने लगे हैं. डौलर के मुकाबले ईरानी मुद्रा रियाल की कीमत एक लाख रुपए से भी नीचे गिर गई है. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का पहला चरण सात अगस्त से शुरू होना है. एक फौरेन एक्सचेंज वेबसाइट के मुताबिक, डौलर की तुलना में रियाल की कीमत तेजी से गिरी है. रविवार को एक डौलर 1,11,500 रियाल के बराबर हो गया. रियाल में आई रिकौर्ड गिरावट से ईरान पर बड़ा संकट आ गया है. अब ईरान पर आर्थिक संकट गहरा कर रहा है.
अमेरिकी प्रतिबंध से गिरा रियाल
शनिवार को यह 97,500 रियाल के स्तर पर था. कुछ अन्य वेबसाइट के मुताबिक, रविवार को डौलर का एक्सचेंज मूल्य 1,08,500 से 1,16,000 रियाल के बीच रहा था. कमजोर अर्थव्यवस्था, वित्तीय दिक्कतों और अमेरिकी प्रतिबंध के दुष्प्रभाव से बचने के लिए डौलर की बढ़ी मांग के चलते रियाल में गिरावट आई है.
चार महीने में आधा हो गया रियाल
ईरान की करेंसी रियाल की पिछले चार महीने में डौलर के मुकाबले कीमत आधी हो गई है. मार्च में रियाल पहली बार 50000 रियाल का स्तर तोड़ा था. हालांकि, सरकार ने अप्रैल में 42000 के करीब इसे स्थिर बनाने की कोशिश की थी. सरकार ने इस दौरान कालाबाजारी रोकने के लिए व्यापारियों को चेतावनी भी दी थी. जानकारी के लिए बता दें कि बीते हफ्ते राष्ट्रपति हसन रूहानी ने केंद्रीय बैंक के चीफ को बदल दिया था. इसका मुख्य कारण संकट से निपटने में असफलता को बताया जा रहा है.
अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध
गौरतलब है कि परमाणु कार्यक्रमों पर नियंत्रण की शर्त के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाने के लिए 2015 में ईरान के साथ अमेरिका और अन्य देशों ने समझौता किया था. इस साल मई में अमेरिका ने खुद को इस समझौते से बाहर करते हुए पुन: प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी. अमेरिका ने विभिन्न देशों को चेतावनी दी है कि वे चार नवंबर से ईरान से तेल आयात बंद कर दें, अन्यथा उन्हें भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.
इंग्लैंड के खिलाफ 1 अगस्त से शुरू हो रही 5 टेस्ट की श्रृंखला में विराट कोहली के पास नंबर वन बल्लेबाज बनने का मौका है. कोहली अभी औस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ से पीछे हैं, जो इस वक्त टेस्ट में नंबर वन हैं. स्मिथ पर बौल टेम्परिंग के आरोप में 12 महीने का बैन लगा है. स्मिथ के 929 और कोहली के 903 प्वाइंट हैं. हालांकि, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वौन की मौजूदा इंग्लिश टीम को दी गई सलाह कोहली को टौप पोजिशन पर पहुंचने के आड़े आ सकती है. वौन ने मेजबान टीम से कहा कि वह विराट कोहली को गुस्सा दिखाए और चुनौती पेश करे ताकि उन्हें रन बनाने से रोका जा सके.
नंबर-वन बनने के लिए कोहली को 26 प्वाइंट चाहिए
रैंकिंग बल्लेबाज टीम प्वाइंट
1 स्टीव स्मिथ औस्ट्रेलिया 929
2 विराट कोहली भारत 903
3 जो रूट इंग्लैंड 855
4 केन विलियम्सन न्यूजीलैंड 847
5 डेविड वौर्नर औस्ट्रेलिया 820
यादगार पारी खेलें जो रूट : वौन ने कहा, “एलिएस्टर कुक निरंतरता दिखाएं. कप्तान के तौर पर जो रूट अच्छी शुरुआत को यादगार पारियों में तब्दील करें. इंग्लैंड की टीम 5 गेंदबाजों से आक्रमण करे. जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रौड विराट कोहली को फ्रंट फुट पर चुनौती दें. कोहली को औफ स्टम्प के बाहर खेलने पर मजबूर करें. उन्हें ये सोचने पर मजबूर करें कि उनका औफ स्टम्प कहां है. और अगर हवा में कुछ मूवमेंट हुआ तो ब्रौड और एंडरसन उनके लिए खतरा होंगे.”
हेडिंग्ले जैसा प्रदर्शन दोहराएं: वौन ने कहा, “रूट को अपने खिलाड़ियों से कहना चाहिए कि उनके पास खुद को साबित करने का मौका है. उन्हें वही प्रदर्शन दोहराने की दरकार है, जो उन्होंने हेडिंग्ले में अपने आखिरी टेस्ट के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ किया था. रूट को अपने खिलाड़ियों से सवाल करना चाहिए कि हेडिंग्ले टेस्ट के पहले दिन वे क्या सोच रहे थे?:” इसी साल जून में खेले गए हेडिंग्ले टेस्ट में इंग्लैंड ने पाकिस्तान को पारी और 55 रनों से हराया था.
4 तेज गेंदबाज, एक स्पिनर का कौम्बिनेशन बेहतर : वौन ने कहा, “कभी-कभी पूरी टीम के साथ बातचीत करना मुश्किल होता है. रूट को हर खिलाड़ी से निजी तौर पर बात करनी चाहिए. जहां तक पेस अटैक की बात है तो मैं ये कहूंगा कि अपनी बल्लेबाजी का कोटा पूरा करो और फिर 5 बेहतरीन गेंदबाज चुनो. इसके अलावा रूट पार्ट टाइमर की भूमिका निभा सकते हैं. 6 गेंदबाज बहुत ज्यादा होंगे. 1 स्पिनर और 4 तेज गेंदबाज सही हैं. 2 स्पिनर और 3 तेज गेंदबाज भी ठीक हैं. लेकिन, इससे ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहिए.”
सोमवार के कारोबार में रुपये ने कमजोर शुरुआत की. आज रुपया दिन में डौलर के मुकाबले 68.80 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया, हालांकि कुछ मिनटों बाद इसमें थोड़ा सुधार देखने को मिला. रुपए में यह गिरावट आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक से ठीक पहले देखने को मिली है. दिन के 11 बजकर 45 मिनट पर रुपया डौलर के मुकाबले 68.74 पर कारोबार करता देखा गया. गौरतलब है कि शुक्रवार को रुपया डौलर के मुकाबले 68.65 पर बंद हुआ था.
रुपये की कमजोरी से आम आदमी को नुकसान: रुपये का कमजोर होना सीधे तौर पर आम आदमी से सरोकार रखता है क्योंकि इससे आम आदमी को 4 बड़े नुकसान होते हैं. रुपये के कमजोर से होते हैं ये 4 नुकसान.
महंगा होगा विदेश घूमना: रुपये के कमजोर होने से अब विदेश की यात्रा आपको थोड़ी महंगी पड़ेगी क्योंकि आपको डौलर का भुगतान करने के लिए ज्यादा भारतीय रुपये खर्च करने होंगे. फर्ज कीजिए अगर आप न्यूयौर्क की हवाई सैर के लिए 3000 डौलर की टिकट भारत में खरीद रहे हैं तो अब आपको पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे.
विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी: अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है तो अब यह भी महंगा हो जाएगा. अब आपको पहले के मुकाबले थोड़े ज्यादा पैसे भेजने होंगे. यानी अगर डौलर मजबूत है तो आपको ज्यादा रुपये भेजने होंगे. तो इस तरह से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई भारतीय अभिभावकों को परेशान कर सकती है.
डौलर होगा मजबूत तो बढ़ेगी महंगाई: डौलर के मजबूत होने से क्रूड औयल भी महंगा हो जाएगा. यानि जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डौलर के मुकाबले) ज्यादा रुपये खर्च करने होंगे. भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल महंगा होगा तो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ेगी.
डौलर में होने वाले सभी पेमेंट महंगे हो जाएंगे: वहीं अगर डौलर कमजोर होता है तो डौलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी महंगा हो जाएगा. यानी उपभोक्ताओं के लिहाज से भी यह राहत भरी खबर नहीं है. यानी आसान शब्दों में भारत का इंपोर्ट बिल (आयात बिल) बढ़ जाएगा.
रुपये की कमजोरी से फायदे भी: ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि रुपये की कमजोरी से सिर्फ नुकसान ही होते हैं, रुपया का कमजोर होना कई मायनों में देश के लिए फायदेमंद भी है. रुपये की कमजोरी यानी डौलर के मजबूत होने से आईटी और फार्मा के साथ औटोमोबाइल सेक्टर को फायदा होता है. इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की ज्यादा कमाई एक्सपोर्ट बेस्ड होती है. ऐसे में डौलर की मजबूती से टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो जैसी आईटी कंपनियों को फायदा होता है. वहीं डौलर की मजबूती से ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, औयल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों को भी फायदा होता है क्योंकि ये डौलर में फ्यूल बेचती हैं.
जिस फिल्म में बौलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे बेहतरीन कलाकार हों ऐसी फिल्म का दर्शकों को बड़ा बेसब्री से इंतजार रहता है. अमिताभ बच्चन और आमिर खान स्टारर ‘ठग्स औफ हिंदोस्तान’ के निर्माता विजय कृष्ण आचार्य ऊर्फ विक्टर फिल्म में आलीशान काफी बड़े सेटों और अद्भुत शौट्स को फिल्माने के लिए चर्चा का केंद्र बने हुए हैं.
‘ठग्स औफ हिंदोस्तान’ पहली फिल्म है जिसमें अमिताभ बच्चन और आमिर खान साथ में काम कर रहे हैं. यशराज फिल्म के बैनर तले बन रही इस फिल्म को साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म बनाने का प्रयास किया जा रहा है. निर्माताओं का प्रयास है कि फिल्म पर्दे पर आते ही धमाल मचा दे. इसके लिए हर बाधा को मिनटों में दूर किया जा रहा है. इस फिल्म में कैटरीना कैफ और दंगल फिल्म में काम कर चुकी फातिमा सना शेख भी मुख्य भूमिका में नजर आएंगी.
फिल्म में दो बड़े जहाजों का होगा इस्तेमाल
‘ठग्स औफ हिंदोस्तान’ में 2 बड़े जहाजों का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए दो बड़े जहाज का निर्माण कराया जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि इन जहाजों का कुल वजन करीब 2 लाख किलो होगा. इन जहाजों को तैयार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय डिजाइनरों की मदद ली जा रही है. इन जहाजों को बनाने में 1000 से ज्यादा कारीगर काम कर रहे हैं. ठग्स औफ हिन्दोस्तान यश राज बैनर की अब तक की सबसे बड़ी फिल्म हो सकती है.
भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फिल्म हो सकती है ये
‘ठग्स औफ हिंदोस्तान’ फिल्म का बजट 250 करोड़ रुपए से ज्यादा बताया जा रहा है. फिल्म का डायरेक्शन विजय कृष्ण आचार्य कर रहे हैं, जिन्होंने आमिर के साथ ‘धूम 3’ बनाई थी. ये फिल्म समुद्री लुटेरों की कहानी पर आधारित है. इस फिल्म की शूटिंग के लिए फिल्म की टीम 45 दिनों के लिए आइसलैंड में रहने वाली है. इस दौरान वहां विभिन्न लोकेशनों की शूटिंग की जाएगी. जानकारों की मानें तो ये आउटडोर शूटिंग के लिहाज से ये फिल्म भारतीय सिनेमा में अब तक सबसे महंगी फिल्म हो सकती है.
माइक्रोब्लौगिंग साइट ट्विटर 10 अगस्त से लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान अभद्र टिप्पणी करने वाले व्यक्तियों के अकाउंट ब्लौक कर सकता है. टेकक्रंच के अनुसार, कंपनी लगातार अभद्र भाषा का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के आकउंट की समीक्षा कर और उसे बंद करके अपने पेरिस्कोप समुदाय के दिशानिर्देशों को अधिक आक्रामक रूप से लागू करेगी.
पेरिस्कोप ब्लौगपोस्ट के अनुसार, “एक सुरक्षित सेवा बनाने के हमारे लगातार प्रयास के हिस्से के रूप में हम लाइव प्रसारण के दौरान भेजे गए चैट से संबंधित हमारे दिशानिर्देशों के अधिक आक्रामक प्रवर्तन को शुरू कर रहे हैं. ” पोस्ट में यह भी कहा गया कि पेरिस्कोप समुदाय के दिशानिर्देश पेरिस्कोप और ट्विटर के सभी प्रसारण पर लागू होगा.
जब भी कोई व्यक्ति अभद्र टिप्पणी की रिपोर्ट करता है, तो पेरिस्कोप कुछ अन्य यूजर्स को चुनेगा जो टिप्पणी की समीक्षा करके बताएंगे कि टिप्पणी अभद्र है या नहीं. पेरिस्कोप ब्लौगपोस्ट ने कहा, “हम 10 अगस्त से ब्लौक आकउंट का रिव्यू करके यह देखेंगे कि क्या वे लगातर हमारे दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहे. अगर आप ऐसा चैट देखते हैं, जो हमारे दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता हो तो कृपया करके रिपोर्ट करें. ”
Twitter ने यूजर्स के लिए जारी की जरूरी सूचना
अगर आप भी ट्विटर (Twitter) यूजर हैं तो आपके लिए जरूरी सूचना है. ट्विटर ने अपने 33 करोड़ (330 मिलियन) यूजर्स से पासवर्ड बदलने को कहा है. दरअसल, ट्विटर के इंटरनल लौग में एक एक बग मिला है, जिसे ठीक कर दिया गया है. ट्विटर (Twitter) ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है. ट्विटर की ओर से आश्वासन दिया गया है कि बग की वजह से किसी भी यूजर्स के डेटा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. ना ही किसी तरह की सुरक्षा प्रभावित हुई है.
ट्विटर (Twitter) ने ट्वीट में लिखा है, ‘हमने हाल ही में एक बग पाया है, इस वजह से इंटरनल लौग में संरक्षित पासवर्ड का खुलासा हो गया है. बग को ठीक कर दिया गया है, साथ ही किसी भी तरह से डेटा में सेंध नहीं लगी है.’ कंपनी ने यूजर्स को भरोसा दिया है कि वे ऐसी कोशिश में जुटे हैं कि आगे से ऐसी समस्या का पैदा न हो सके.
भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री के मुताबिक पिछले चार साल की सफलता ने कप्तान विराट कोहली की मानसिकता पूरी तरह बदल दी है और आगामी टेस्ट श्रृंखला में वह ब्रिटेन की जनता को दिखाना चाहेगा कि उसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में क्यों गिना जाता है. आगामी श्रृंखला में सबकी नजरें कोहली पर लगी हैं क्योंकि पिछले चार साल में वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में एक बन कर उभरे हैं.
शास्त्री ने ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा, ‘‘उनके (कोहली के) रिकार्ड को देखे. मुझे ये बताने की जरूरत नहीं कि पिछले चार साल में उन्होंने कैसा प्रदर्शन किया है. जब आप इस तरह का प्रदर्शन करते हैं तो आप मानसिक तौर पर दूसरे स्तर पर पहुंच जाते है. आप किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहते हैं.’’उन्होंने कहा, ‘‘हां, चार साल पहले जब वह यहां आया था तब उसने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था लेकिन चार साल बाद वह दुनिया के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से एक हैं. वह ब्रिटिश जनता को दिखाना चाहता है कि वह दुनिया का सबसे अच्छा खिलाड़ी क्यों है.’’
बता दें कि कोहली का पिछला इंग्लैंड दौरा (2014) बेहद ही निराशाजनक रहा था जहां उन्होंने पांच टेस्ट मैचों में 13.50 की औसत से 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0,7, 6 और 20 रन की पारी खेली थी.
शास्त्री ने कहा कि वह आक्रामक क्रिकेट खेलने में विश्वास करता है जो इंग्लैंड जैसे कठिन दौरे पर शीर्ष पर आने के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा, ‘‘ हम यहां मैच ड्रौ करने और संख्या बढ़ाने नहीं आए हैं. हम हर मैच को जीतने के लिए खेलते हैं. अगर जीतने की कोशिश में हार गये तो यह खराब किस्मत होगी. हमें खुशी होगी, अगर हम हारने से ज्यादा जीत अपने नाम कर सकें.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा मानना है कि हमारे पास दौरा करने वाली सबसे अच्छी टीमों में से एक बनने की क्षमता है. फिलहाल, दुनिया में कोई भी टीम ऐसी नहीं है जो दौरे पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हो. आप देख सकते हैं कि दक्षिण अफ्रीका का श्रीलंका में क्या हाल हुआ. हम इस दौरे से पहले इंग्लैंड में हमारी स्कोरलाइन जानते हैं (2011 में 4-0), और 2014 में 3-1) हम उससे बेहतर करना चाहते हैं.’’
शास्त्री ने फार्म से बाहर चल रहे चेतेश्वर पुजारा का बचाव करते हुए कहा कि इस भारतीय टीम में उन्हें अहम भूमिका निभानी है. उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे लिए यह चिंता की बात नहीं है. उसे (पुजारा) अपनी भूमिका निभानी है. वह इसके बारे में जानता है क्योंकि नंबर तीन की भूमिका काफी अहम होती है. वह काफी अनुभवी खिलाड़ी हैं. वह बड़े स्कोर से एक पारी दूर है. उसे क्रीज पर समय बिताने की जरूरत है. अगर वह 60-70 रन बना लेता है तो उसका मिजाज पूरी तरह बदल जाएगा. मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि उसकी सोच इस दिशा में आगे बढ़े.’’
लोकेश राहुल की भूमिका पर शास्त्री ने कहा कि वे टेस्ट श्रृंखला में हैरानी भरे फैसले कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘राहुल का चयन तीसरे सलामी बल्लेबाज के तौर पर हुआ है. हमारा बल्लेबाजी क्रम हमेशा लचीला होगा. तीसरा सलामी बल्लेबाज शीर्ष चार में कहीं भी खेल सकता है. हम आपको कई बार आश्चर्यचकित करेंगे.’’
भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी में भारतीय आक्रमण की धार थोड़ी कमजोर हुई है लेकिन शास्त्री को लगता है कि टीम के गेंदबाजों में 20 विकेट लेने का माद्दा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास ऐसा गेंदबाजी आक्रमण है जो 20 विकेट ले सकता है. आपको अन्य खिलाड़ियों को आजमाने की जरूरत है. अगर बुमराह और भुवनेश्वर एकदिवसीय श्रृंखला में पूरी तरह फिट होते तो नतीजे अलग होते. अगर दोनों पूरी तरह फिट होते तो टीम चयन में मेरी परेशानी बढ़ जाती.’’
बुधवार 2 मई की रात के लगभग 9 बजे कोटा के पुलिस अधिकारियों की बैठक चल रही थी. मुख्य मुद्दा था मार्बल व्यवसाई परिवार के बेटे विशाल मेवाड़ा के अपहरण और फिरौती का. कोटा में नित नए अपराधों से सकपकाई पुलिस के लिए यह गंभीर चुनौती थी.
दरअसल, वाकया कुछ ऐसा था जो ढाई साल पहले घटित रुद्राक्ष हांडा कांड के अंदेशों को बल दे रहा था, जिस में फिरौती के लिए किए गए अपहरण में बच्चे की हत्या भी कर दी गई थी. पुलिस अधीक्षक अंशुमान भोमिया ने एक पल अपने अधीनस्थ अफसरों पर सरसरी नजर दौड़ाने के बाद कहना शुरू किया, ‘‘आप के सामने फिर एक नया इम्तिहान है. हमें एकएक कदम बहुत सोचसमझ कर उठाना होगा.’’
बुधवार 2 मई की शाम करीब 7 बजे बोरखेड़ा के थानाप्रभारी महावीर सिंह जिस समय अपने थाने में बैठे थे, तभी लगभग 45-46 साल की रुआंसी औरत कमरे में दाखिल हुई. कुलीन और संपन्न परिवार की लगने वाली उस महिला के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. महावीर सिंह ने उसे सांत्वना देते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है, आप कौन हैं और इस तरह परेशान और घबराई हुई क्यों हैं?’’
‘‘परेशानी की तो बात यह है थानेदार साहब, मेरा बेटा गायब है, उस का अपहरण कर लिया गया है.’’ महिला ने अपनी बात सिलसिलेवार बतानी शुरू की, ‘‘साहब, मेरा नाम भूलीबाई है. मैं मार्बल कारोबारी बनवारी लाल मेवाड़ा की पत्नी हूं. मेरा 19 साल का बेटा विशाल मेवाड़ा कोटा के योगीराज पौलीटेक्निक कालेज में पढ़ रहा था. वह वहां से गायब हो गया.’’
महावीर सिंह ने उन्हें पानी का गिलास थमाते हुए कहा, ‘‘आप निश्चिंत हो कर पूरी बात बताइए.’’
एक ही बार में पानी का गिलास खाली कर के महिला ने कहना शुरू किया, ‘‘हम खैराबाद कस्बे में रहते हैं. मेरा बेटा विशाल कोटा में रह कर पौलीटेक्निक कालेज में पढ़ रहा था. पति बनवारीलाल कारोबार के सिलसिले में सूरत गए हुए हैं. अपहर्त्ताओं ने मंगलवार पहली मई को मेरे पति को मोबाइल पर फोन कर के 15 लाख की फिरौती मांगी है.’’
पलभर रुकने के बाद भूलीबाई ने कहना शुरू किया, ‘‘पति को मोबाइल पर पहला फोन दोपहर बाद 4 बजे आया, जिस में एक आदमी ने विशाल के अपहरण करने की इत्तिला देते हुए 15 लाख की रकम का इंतजाम करने को कहा और इस के साथ ही फोन काट दिया. करीब 15 मिनट बाद फिर उसी आवाज में धमकी भरा फोन आया कि पुलिस को खबर की तो विशाल को जान से मार दिया जाएगा. इस के साथ ही फोन बंद हो गया.’’
‘‘फिर उस के बाद कोई फोन आया?’’ थानाप्रभारी महावीर सिंह के स्वर में हैरानी का भाव स्पष्ट था.
‘‘रात 11 सवा 11 बजे मेरे पति का फोन आया. उन्होंने बताया कि 11 बज कर 1 मिनट पर उन के पास आए फोन काल में कहा गया था कि रकम कहां ले कर आना है, इस बाबत अगले दिन शाम 4 बजे बताएंगे और इस के साथ ही फोन बंद कर दिया.’’
‘‘आप के पति ने उन्हें क्या जवाब दिया?’’
‘‘क्या कहते,’’ भूलीबाई ने सुबकते हुए कहा, ‘‘मेरे पति ने तो बड़ी आजिजी के साथ कहा कि तुम को जो रकम चाहिए, हम देंगे. बस हमारे बेटे को कुछ नहीं होना चाहिए.’’
लेकिन अगले ही पल भूलीबाई ने जो कहा, वह चौंकाने वाला था. उन्होंने बताया, ‘‘मेरे पति इस बात को ले कर हैरान थे कि फोन करने वाला जो कोई भी था, हमारे बेटे के मोबाइल से ही फोन कर रहा था.’’ इस के साथ ही भूलीबाई फूटफूट कर रोने लगी.
गहरी सांस लेते हुए महावीर सिंह ने कहा, ‘‘कोई और बात जो आप कहना चाहें.’’
‘‘हां साहब,’’ भूलीबाई ने जैसे याद करते हुए कहा, ‘‘साहब, मुझे फोन करने से पहले मेरे पति ने विशाल के मामा को फोन कर के विशाल के अपहरण की खबर देने के साथ उस के कमरे पर जा कर उसे तलाश करने को कहा था. उस का मामा दिनेश कोटा में ही रहता है. दिनेश ने विशाल के कमरे पर जा कर देखा तो वह वहां नहीं मिला. दिनेश ने मेरे पति को तो यह बात बताई ही, मुझे भी फोन कर के कोटा आने को कहा.’’
बोरखेड़ा थानाप्रभारी ने रिपोर्ट दर्ज करने के साथ ही फौरन इस घटना और घटनाक्रम के बारे में पुलिस अधीक्षक अंशुमान भोमिया को जानकारी दी. इस के बाद तत्काल पुलिस सक्रिय हो गई. आननफानन में पुलिस अधिकारियों की बुलाई गई बैठक की वजह यही थी.
भोमिया साहब को मालूम था कि इतने संपन्न परिवार के बेटे के अपहरण की बाबत जब लोगों को पता चलेगा तो लोग पुलिस को आड़े हाथों लेने से पीछे नहीं हटेंगे.
अपहरण के इस मामले में किसी बड़े गिरोह का हाथ हो सकता है, यह सोच कर पुलिस अधीक्षक अंशुमान भोमिया ने क्षेत्राधिकारी नरसीलाल मीणा और राजेश मेश्राम के अलावा सर्किल इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह, महावीर सिंह, आनंद यादव, मुनींद्र सिंह, लोकेंद्र पालीवाल, विजय शंकर शर्मा और एसआई महेश कुमार, एएसआई दिनेश त्यागी, कमल सिंह और प्रताप सिंह के नेतृत्व में 7 टीमों का गठन किया और विशाल के अपहर्त्ताओं का पता लगाने की जिम्मेदारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समीर कुमार को सौंप दी.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समीर कुमार के निर्देश पर स्पैशल स्टाफ ने बड़ी संख्या में लोगों से गहनता से पूछताछ की. करीब 100 से अधिक टीवी फुटेज निकाले, लेकिन कोई काम की बात मालूम नहीं हो सकी.
पुलिस को तब हैरानी हुई, जब विशाल के कुछ दोस्तों ने बताया कि उन के पास विशाल का फोन आया था. उस ने हम से 2-3 सौ रुपए की जरूरत बताते हुए पैसों की मांग की थी. लेकिन इस से पहले कि उस से इतनी छोटी रकम मांगने की वजह पूछते, उस का फोन संपर्क टूट गया.
पुलिस ने अंडरवर्ल्ड को भी खंगाला लेकिन लाख सिर पटकने के बावजूद पुलिस ऐसे किसी शातिर गिरोह का पता नहीं लगा सकी, जिस से इस मामले में कोई जानकारी मिल पाती. इस मामले में पुलिस ने फिरौती के लिए कुख्यात गिरोहों का पुलिस रिकौर्ड भी टटोला.
तमाम पुलिस रिकौर्ड जांचने के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समीर कुमार इस नतीजे पर पहुंचे कि विशाल के अपहरण में कम से कम किसी नामी गिरोह का हाथ नहीं है.
पौलीटेक्निक की पढ़ाई करते हुए विशाल बोरखेड़ा के इलाके की आकाश नगर कालोनी में उसी कालेज में पढ़ने वाले मनोज मीणा के साथ किराए के कमरे में रहता था. पुलिस ने मनोज की गतिविधियों को पूरी तरह टटोला, लेकिन कहीं कोई संदिग्ध बात नजर नहीं आई.
जिस समय पुलिस विशाल के रूम पार्टनर मनोज मीणा समेत अन्य दोस्तों से गहनता से पूछताछ कर रही थी, तभी इस बात का पता चला कि विशाल के दोस्ताना रिश्ते विक्रांत उर्फ हिमांशु, प्रदीप और विजेंद्र भाटी उर्फ लकी से कुछ ज्यादा ही गहरे थे.
विशाल के मकान मालिक के मुताबिक इन तीनों लड़कों का विशाल के पास वक्तबेवक्त कुछ ज्यादा ही आनाजाना था. यह सूचना मिलते ही पुलिस ने उन्हें पूछताछ के घेरे में ले लिया, लेकिन हर सवाल पर तीनों पुलिस को छकाते रहे. पुलिस को लगा भी कि कहीं यह उस का भ्रम तो नहीं, फिर भी पुलिस ने अपनी जांच की दिशा नहीं बदली.
अब तक विशाल के पिता बनवारी लाल मेवाड़ा सूरत से कोटा लौट आए थे. उन्होंने पुलिस की जानकारी में इजाफा करते हुए बताया कि उन्हें मंगलवार को दोपहर बाद 4 बजे, फिर सवा 4 बजे तथा बाद में रात को 11 बज कर एक मिनट पर फोन आए थे.
रात को आने वाले फोन काल में अपहर्त्ताओं का कहना था कि फिरौती की रकम ले कर उन्हें दरा के निकट रेलवे क्रौसिंग पर पहुंचना होगा. कब, यह बाद में बताएंगे. अपहर्त्ता का यह भी कहना था कि रकम मिलने के एक घंटे बाद ही विशाल को छोड़ दिया जाएगा.
बनवारी लाल ने यह सब बताते हुए पुलिस से यह शंका भी जाहिर की कि फोन काल जब विशाल के मोबाइल से की जा रही थीं तो क्या उसे सुरक्षित मान लिया जाना चाहिए.
गुरुवार 3 मई की सुबह जब पुलिस इसी मुद्दे पर मंथन कर रही थी, तभी एक ग्रामीण की सूचना ने अधिकारियों को स्तब्ध कर दिया. सूचना बोरखेड़ा से करीब 20 किलोमीटर दूर नोताड़ा और मानस गांव के वन क्षेत्र के बीच बहने वाली नदी की कराइयों में एक लाश पड़ी होने की थी.
हजार अंदेशों में घिरी पुलिस के लिए यह सूचना चौंकाने वाली थी. पुलिस टीम तुरंत वहां के लिए रवाना हो गई. पुलिस के साथ विशाल के पिता बनवारीलाल भी थे. चंद्रलोई नदी का यह तटीय क्षेत्र हालांकि कुदरती रूप से मनोहारी था, जहां शहरी कोलाहल से ऊबे लोगों या फिर सैलानियों का आनाजाना था.
क्षेत्राधिकारी राजेश मेश्राम चंद्रलोई नदी की कराइयों के पास जीप रुकवा कर अपनी टीम के साथ नीचे उतर गए. तभी उन की नजर 3-4 फुट ऊंची झाडि़यों की कतार की तरफ चली गई. वहां पर एक युवक औंधा पड़ा नजर आया.
पुलिस के जवानों ने शव को सीधा किया तो बनवारीलाल वहीं पछाड़ खा कर गिर गए. शव विशाल का ही था. उस का चेहरा कुचल दिया गया था. लाश नमक की परत में लिपटी हुई थी. राजेश मेश्राम लाश पड़ी होने की स्थिति देख कर एक पल में ही भांप गए कि हत्या कहीं और की गई थी, लेकिन पुलिस को भटकाने के लिए लाश को यहां ला कर फेंका गया होगा.
विशाल की हत्या बहुत ही निर्ममतापूर्वक की गई थी. उस की गरदन किसी तेजधार हथियार से रेती गई थी. संघर्ष का कोई चिह्न नहीं था. घटनास्थल की सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद राजेश मेश्राम ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. उसी दिन पोस्टमार्टम के बाद लाश मृतक के पिता को सौंप दी गई.
यह अजीब इत्तफाक था कि अभी शव के पंचनामे की काररवाई हो ही रही थी कि राजेश मेश्राम को एएसपी से सूचना मिली कि पूछताछ में अपराधी टूट गए हैं और उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है.
अपराध का यह तानाबाना 3 सनकी और खुराफाती लड़कों ने बुना था. आईटीआई डिप्लोमा कर चुका विक्रांत उर्फ हिमांशु बोरखेड़ा का ही रहने वाला था. आईटीआई में डिप्लोमा कर चुका विक्रांत इस हद तक सनकी था कि सनक में वह अपनी कलाइयों में ब्लेड मार कर खुद ही कई जगह अपने हाथों को जख्मी कर चुका था.
बृजेंद्र सिंह भाटी उर्फ लकी कोटा के नजदीकी कस्बे कैथून का रहने वाला था. वह औटोमोबाइल से जुड़ी एक कंपनी में काम करता था और बोरखेड़ा में ही किराए पर कमरा ले कर रह रहा था.
तीसरा साथी प्रदीप उर्फ बिन्नी रोजीरोजगार के लिए गोलगप्पों का ठेला लगाता था. बिन्नी भिंड का बाशिंदा था और कोटा की मन्ना कालोनी में रह रहा था. सनक में तीनों एक से बढ़ कर एक थे. तीनों लगभग 18 से 20 साल की उम्र के थे.
पूछताछ में पता चला कि तीनों की हसरतों के पखेरू आसमानी उड़ान भरते रहे, नतीजतन मौजमस्ती और अय्याशी के शौक के लिए जितना भी कमाते थे, पूरा नहीं पड़ता था. तीनों की इस मंडली में विशाल शामिल हुआ तो बोरखेड़ा में ही रहने वाले विक्रांत उर्फ हिमांशु की बदौलत.
दारूबाजी के महंगे शौक में संपन्न बाप का बेटा विशाल उन के लिए काफी काम का था. विक्रांत, बृजेंद्र और प्रदीप की साझा ख्वाहिश थी तो एक ही कि कोई ऐसा शख्स हाथ चढ़ जाए, जिस से इतना पैसा मिल सके कि मौजममस्ती के लिए तरसना न पड़े.
नशे के सुरूर में एक दिन विशाल का काल ही उस की जुबान पर बैठ गया और वह कह बैठा, ‘‘आज की पार्टी मेरी तरफ से.’’
‘‘किस खुशी में?’’ पूछने पर विशाल ने कह दिया, ‘‘आज ही मेरे पिता को एक बड़े सौदे में भारीभरकम रकम मिली है. इसलिए जश्न होना चाहिए.’’
फिर क्या था, तीनों की आंखों में लालच चमक उठा. पार्टी खत्म होने के बाद तीनों सनकी सिर जोड़ कर बैठे तो बदनीयती जुबान पर आ गई. तीनों की जुबान पर एक ही बात थी, ‘अगर यह बड़ी रकम हमारे हाथ आ जाए तो मजे ही मजे हैं.’ लेकिन सवाल था कि कैसे?
कैसे का आइडिया भी अनायास ही मिल गया. उन के लिए संयोग था और विशाल के लिए दुर्भाग्य कि इत्तफाक से तीनों आपराधिक घटना पर आधारित क्राइम पैट्रोल सीरियल देखते थे. एक कहानी ऐसी ही एक घटना पर आधारित थी, जिस में पैसों की खातिर 3 सिरफिरे अपने दोस्त से ही दगा करते हैं और उस की हत्या कर देते हैं.
फिरौती की घटना पर बुनी गई इस कहानी ने इन तीन तिलंगों को भी दगाबाजी की राह दिखा दी. योजना बनाई गई कि शराब की पार्टी में विशाल को इतनी पिला दी जाए कि वह होश खो बैठे. फिर उसे काबू में कर के उस के पिता से 15 लाख की फिरौती मांगी जाए.
तीनों का मानना था कि एकलौती औलाद के लिए एक दौलतमंद बाप 15 लाख क्या 15 करोड़ भी दे सकता है.
सवाल था कि विशाल बुलाने पर तयशुदा ठिकाने पर आ भी जाए और अपना मोबाइल भी इस्तेमाल न करना पड़े. यह योजना मंगलवार को कामयाब भी हो गई. इन लोगों ने सुबह 10 बजे बोरखेड़ा पहुंच कर एक सब्जी वाले के मोबाइल से फोन कर के विशाल को बुलाया और वहां से उसे बृजेंद्र के रामराजपुरा स्थित खेत पर ले गए.
सब्जी वाले को यह कह कर विश्वास में लिया कि भैया, हमारे मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई है, इसलिए एक जरूरी फोन कर लेने दो. सब्जी वाला झांसे में आ गया. दोपहर 12 बजे रामराजपुरा पहुंच कर दारू का दौर चला तो विशाल को जम कर दारू पिलाई गई, ताकि वह होश खो बैठे. ऐसा ही हुआ भी.
नशे में बेसुध विशाल के मोबाइल से बृजेंद्र ने पहले विशाल को अपने कब्जे में होने की बात की, फिर 15 लाख की मांग करते हुए धमकी दी कि पुलिस को इत्तला दी तो बेटा जिंदा नहीं बचेगा. असहाय पिता बनवारीलाल ने सहमति जता दी तो उसे पैसे पहुंचाने का निर्धारित स्थान भी बता दिया गया.
एसपी भोमिया साहब ने पूछा, ‘‘जब बाप ने फिरौती की रकम देने का भरोसा दे दिया था तो बेटे को क्यों मारा?’’
एसपी ने आंखें तरेरते हुए हड़काया तो विक्रांत ने उगल दिया, ‘‘हमें डर था कि रकम देने के बाद विशाल हमारा भेद खोलने से नहीं चूकेगा. इसलिए उसे मारना पड़ा.’’
‘‘कैसे और कब?’’ एसपी ने पूछा, ‘‘दरिंदे बन गए तुम लोग? कैसे मारा?’’
‘‘हत्या तो हम ने चाकुओं से कर दी थी. बाद में पहचान मिटाने के लिए उस पर नमक भी लपेट दिया. लेकिन…’’ उस ने बिन्नी और लक्की की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘ये दोनों संतुष्ट नहीं थे, इसलिए लोहे की रौड से उस के चेहरे पर इतने वार किए कि लाश पहचान में न आ सके. साहब, विशाल की हत्या तो हम ने 2 बजे ही कर दी थी.’’
‘‘फिर?’’
‘‘फिर…’’ अटकते हुए विक्रांत ने बताया, ‘‘इस के बाद लाश को बोरे में भरा और बाइक पर लाद कर नार्दर्न बाईपास के पास चंद्रलोई नदी की कराइयों में डाल आए और घर आ कर सो गए.’’
‘‘नींद आ गई तुम्हें?’’ एसपी भोमिया उन्हें नफरत भरी नजर से देखते हुए बुरी तरह बरस पड़े, ‘‘तुम ने तो शैतान को भी मात दे दी. लानत है तुम पर.’’
एसपी भोमिया ने मामले का रहस्योद्घाटन करते हुए मीडिया से कहा, ‘‘कैसी विचित्र बात है, ऐसे सीरियल से लोग जागरूक कम होते हैं लेकिन अपराधियों को अपराध के नए तरीके सीखने का मौका मिल जाता है.’’
कथा लिखे जाने तक तीनों आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में थे.
18 मार्च, 2018 को सुबह के यही कोई 10 बजे थे. चिमियावली गांव के निकट गेहूं के खेत में गांव वालों ने एक महिला व उस के 100 मीटर दूर एक बच्चे की नग्न अवस्था में सिर कटी लाश पड़ी देखीं. यह गांव उत्तर प्रदेश के जिला संभल के थाना कोतवाली के अंतर्गत आता है.
गांव वालों ने यह बात गांव के चौकीदार रामरतन को बताई. चौकीदार रामरतन तुरंत उस खेत में पहुंच गया जहां लाशें पड़ी थीं. 2-2 लाशें देख कर वह भी चौंक गया. उस ने फोन द्वारा इस की सूचना थानाप्रभारी अनिल समानिया को दे दी. 2 लाशों की खबर मिलते ही अनिल समानिया पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए.
उन्होंने दोनों लाशों का निरीक्षण किया तो वहां पड़े खून से लग रहा था कि उन की हत्याएं वहीं पर ही की गई थीं. दोनों के सिर धड़ से गायब थे. साथ में उन के ऊपर कोई कपड़ा भी नहीं था. मृत महिला के एक हाथ की खाल भी कुछ जगह से गायब थी.
इस से यह अनुमान लगाया कि उस महिला के हाथ पर उस का नाम या पहचान की कोई चीज गुदी हुई होगी. महिला की पहचान न हो सके, इसलिए हत्यारे ने हाथ के उतने हिस्से की खाल ही काट दी थी. अपने उच्चाधिकारियों को इस लोमहर्षक मामले की जानकारी देने के बाद थानाप्रभारी आसपास के क्षेत्र में दोनों मृतकों के सिर तलाशने लगे.
इस काम में गांव वाले भी उन का साथ दे रहे थे. काफी खोजबीन के बाद भी उन के सिर नहीं मिल सके. लेकिन वहां पर मृतकों के कपड़े और चप्पलें जरूर मिल गईं, 2 जोड़ी चप्पलों के अलावा वहां छोटे बच्चे की एक जोड़ी चप्पलें और मिली. जब मरने वाले 2 लोग हैं तो यह तीसरी जोड़ी चप्पल किस बच्चे की है, यह बात पुलिस नहीं समझ सकी.
बिना सिर के लाशों की शिनाख्त करना आसान नहीं था. थानाप्रभारी द्वारा सिरविहीन 2 लाशों की सूचना एसपी रविशंकर छवि और एएसपी पंकज कुमार पांडे को दे दी गई. कुछ देर में दोनों पुलिस अधिकारी भी चिमियावली गांव के उस गेहूं के खेत में पहुंच गए, जहां दोनों लाशें पड़ी थीं.
अधिकारियों ने मौका मुआयना करने के बाद गांवों वालों से लाशों की शिनाख्त के लिए बात की उन्हें मृतकों के कपड़े दिखाए. लेकिन कोई भी उन्हें नहीं पहचान सका.
मौके पर फोरेंसिक टीम को भी बुला लिया गया. घटनास्थल पर मिले सारे सबूतों को पुलिस ने जब्त कर लिया. घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने दोनों लाशों को सुरक्षित रखवाने के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया और चौकीदार रामरतन की तरफ से अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.
सिर विहीन 2 लाशें मिलने की खबर कुछ ही देर में पूरे शहर में फैल गई. सभी लोग आपस में यही चर्चा कर रहे थे कि पता नहीं शव किस के हैं. न मालूम मृतक कहां के रहने वाले थे. उधर थानाप्रभारी भी इस बात को ले कर परेशान थे कि इन लाशों की शिनाख्त कैसे कराई जाए. शिनाख्त के बाद ही हत्यारों तक पहुंचा जा सकता था.
लिहाजा शिनाख्त के लिए जिले के समस्त थानों में वायरलैस द्वारा इन अज्ञात लाशों के मिलने की सूचना प्रसारित कर यह जानकारी जाननी चाही कि कहीं किसी थाने में एक महिला और बच्चे की गुमशुदगी तो दर्ज नहीं है. पर पुलिस की इन कोशिशों से भी कोई सफलता नहीं मिली. आखिर पुलिस ने दोनों शवों का पोस्टमार्टम करा कर उन का अंतिम संस्कार करा दिया.
8-10 दिन बीत गए लेकिन मृतकों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी. थानाप्रभारी के दिमाग में यह बात भी आई कि कहीं दोनों मृतक किसी दूसरे जिले के रहने वाले तो नहीं हैं. इस के बाद एसपी के माध्यम से सिरविहीन 2 लाशों के बरामद करने की सूचना सीमावर्ती जिलों के थानों में भी भेज दी गई.
इसी बीच पहली अप्रैल, 2018 को थानाप्रभारी को चिमियावली गांव के पास बहने वाली सोन नदी के किनारे एक महिला का सिर पड़े होने की जानकारी मिली तो वह वहां पहुंच गए और सिर को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. वह सिर 18 मार्च को बरामद हुई सिरविहीन महिला की लाश का है या नहीं, इस की पुष्टि डीएनए जांच के बाद ही हो सकती थी.
इस के 8 दिन बाद यानी 8 अप्रैल को पुलिस ने मोहम्मदपुर मालनी गांव के जंगल से एक बच्चे का सिर बरामद कर लिया. उस का मांस जंगली जानवर खा चुके थे. अब इस बात की आशंका प्रबल हो गई कि यह दोनों सिर पूर्व में बरामद की गई दोनों लाशों के ही होंगे.
मुरादाबाद बरेली परिक्षेत्र के एडीजी प्रेमप्रकाश को जब यह जानकारी मिली तो उन्होंने मुरादाबाद रेंज के आईजी विनोद कुमार से बात कर इस मामले को गंभीरता से लेने को कहा.
एडीजी प्रेमप्रकाश बहुत सुलझे हुए अफसर थे. जब वह मुरादाबाद के एसएसपी थे तो उन्होंने चर्चित किडनी कांड को सुलझा कर डा. अमित को सलाखों के पीछे पहुंचाया था. इस के अलावा उन्होंने बावन खेड़ी में एक ही परिवार के 7 लोगों की निर्मम तरीके से की गई हत्या के मामले को सुलझा कर शबनम और उस के प्रेमी को जेल भिजवाया था. एडीजी की इस दोहरे मर्डर पर भी निगाह बनी हुई थी.
एडीजी प्रेमप्रकाश का निर्देश मिलते ही आईजी विनोद कुमार ने संभल के एसपी रविशंकर छवि और एएसपी पंकज कुमार पांडे के साथ मीटिंग कर इस केस को जल्द से जल्द खोलने के लिए कहा. इस के बाद तो थानाप्रभारी अनिल समानिया के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम इस केस को खोलने में जुट गई. उन्होंने मुखबिरों को भी लगा दिया.
14 अप्रैल को चिमियावली गांव के चौकीदार रामरतन ने थानाप्रभारी अनिल समानिया को सटीक सूचना देते हुए कहा कि गांव के हिस्ट्रीशीटर कलुआ के घर 3-4 साल की एक लड़की आई हुई है. वह लड़की बारबार रोरो कर कहती है कि मुझे मेरी मम्मी से मिलवाओ. यह बात मुझे गांव की औरतों ने बताई है. उन औरतों में भी इस बात की चर्चा है कि कलुआ के परिवार में यह लड़की पता नहीं कहां से आ गई.
इतना सुनते ही थानाप्रभारी का माथा ठनका. उन के दिमाग में एक बात घूम गई कि उन दोनों के शवों के पास भी पुलिस को 1 छोटे बच्चे की एक जोड़ी चप्पलें मिली थीं. अनिल समानिया ने बगैर देर किए गांव चिमियावली का रुख किया. वह कलुआ के घर पहुंच गए. उन्हें वहां 4 साल की बच्ची दिखी. बच्ची के बारे में उन्होंने पूछा तो कलुआ ने बताया, ‘‘यह बच्ची मेरी खाला की लड़की है.’’
‘‘यह तुम्हारे पास क्यों है?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.
‘‘साहब, यह मेरी लड़की अरमाना के साथ आ गई है. कुछ दिन यहां रह कर अपने घर चली जाएगी.’’
कलुआ पहले बदमाश था. अब वह करीब 80 साल का बुजुर्ग था. उन्होंने सोचा कि शायद यह सच बोल रहा होगा. क्योंकि जवानी में चाहे कितना भी बड़ा अपराधी रहा हो, उम्र की इस ढलान पर आदमी सीधा व सच ही चलता है.
थानाप्रभारी ने घटनास्थल से जो छोटे बच्चे की चप्पलें बरामद की थीं उन्हें वह अपने साथ लाए थे. वह कार में रखी थीं. एसआई वीरेंद्र सिंह से उन्होंने चप्पलें मंगा कर उस बच्ची को दिखाईं तो वह उन चप्पलों को देख कर खुश हो गई. उस ने कहा, ‘‘यह चप्पलें तो मेरी है.’’ बच्ची फिर बोली, ‘‘मेरी मम्मी कहां हैं.’’
‘‘मम्मी आ गई, बाहर है.’’ अनिल समानिया ने कहा तो वह बच्ची अपनी मां को देखने के लिए बाहर की तरफ भागी. इस के बाद अनिल समानिया का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. वह कलुआ से बोले, ‘‘मुझे तुम से ऐसी उम्मीद नहीं थी कि इस उम्र में भी…’’ इतना सुनते ही कलुआ ने नजरें नीची कर लीं.
वह बोला, ‘‘साहब, मजबूरी ऐसी आ गई थी कि मैं बेबस हो गया था. क्या बताऊं साहब यह सब करतूत मेरे दामाद वाहिद की है. यदि उस ने मेरी बेटी को धोखा न दिया होता तो मुझे इस उम्र में यह सब करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता.’’
उस ने इस दोहरे हत्याकांड का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया मरने वाली महिला का नाम ममता था और दूसरा उस का 10 साल का बेटा करनपाल था. ममता उस के दामाद वाहिद की पहली पत्नी थी. इस बहुचर्चित केस के खुलने पर अनिल समानिया ने राहत की सांस ली और इस की जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दे दी.
केस खुलने की सूचना मिलते ही एसपी रविशंकर छवि थाने पहुंच गए. उन के सामने कलुआ से पूछताछ की गई तो पता चला कि ममता और उस के बेटे की हत्या में कलुआ के अलावा उस की पत्नी सूफिया, बेटी अरमाना, दामाद वाहिद और दामाद का भाई गुड्डू शामिल थे.
पुलिस ने दबिश दी तो गुड्डू के अलावा सारे आरोपी गिरफ्त में आ गए. इन सभी से पूछताछ करने के बाद इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई वह दिल दहला देने वाली थी.
ममता मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहांपुर के गांव लहराबल की मूल निवासी थी. उस के पिता अखबारों के हौकर थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा ममता एकलौती बेटी थी. उन की घरगृहस्थी ठीकठाक चल रही थी. लेकिन उसी दौरान वह हत्या के एक मामले में जेल चले गए. उसी दौरान उन की पत्नी का भी देहांत हो गया. ऐसे में ममता बेसहारा हो गई तब नातेरिश्तेदारों ने उस की देखभाल की.
ममता के पिता जब जमानत पर जेल से बाहर आए तो वह शाहजहांपुर से बेटी के साथ गाजियाबाद आ गए. यह बात करीब 12 साल पहले की है. पिता ने किराए का मकान ले कर मेहनतमजदूरी की. ममता भी जवान हो चुकी थी. इसी दौरान सुनील नाम के एक युवक से ममता की आंखें लड़ गईं.
वक्त के साथ दोनों के प्यार के दरिया में बहुत आगे तक तैर चुके थे. बाद में उन्होंने शादी कर ली. सुनील टैक्सी ड्राइवर था. ममता के पिता इस शादी के खिलाफ थे. पर ममता ने उन की भावनाओं की कद्र नहीं की. सुनील के साथ गृहस्थी बसा कर वह खुश थी. वह 2 बच्चों की मां भी बन गई. जिस में बड़ा बेटा करनपाल था और छोटी बेटी मंजू.
बेटी के फैसले से पिता इतने आहत हुए कि उन का भी देहांत हो गया. ममता के पति सुनील में भी बदलाव आ गया. वह शराब पीने लगा. ममता उसे पीने से मना करती तो वह उस से झगड़ा करता और पिटाई भी कर देता था. अब वह ममता पर शक करने लगा कि उस का किसी के साथ चक्कर चल रहा है.
पति के इस व्यवहार पर ममता भी तनाव में रहने लगी. फिर एक दिन ममता पर ऐसी विपत्ति आन पड़ी, जिस की उस ने कल्पना तक नहीं की थी. जिस सुनील के लिए ममता ने अपने पिता तक को त्याग दिया था, एक दिन वही सुनील ममता और उस के दोनों बच्चों को छोड़ कर कहीं चला गया और फिर कभी वापस नहीं आया.
ममता बेसहारा हो गई थी. अकेली औरत का वैसे भी लोग जीना मुश्किल कर देते हैं. ममता के पास तो 2 बच्चे भी थे. वह घर का खर्चा कहां से और कैसे चलाती. इस मोड़ पर फंस कर वह कई लोगों द्वारा छली गई. ममता ने भी हालात से समझौता कर लिया था. इसी बीच वह मेरठ में रहने वाले कलुआ नाम के औटो ड्राइवर के संपर्क में आई.
कलुआ के बराबर वाले मकान में वाहिद नाम का युवक रहता था. वाहिद भी आटो चलाता था. वह अविवाहित था इसलिए ममता ने उस के साथ ही गृहस्थी बसाने की सोच ली. वाहिद भी ममता को प्यार करता था. वह उस के साथ निकाह करने को तैयार हो गया.
वाहिद ममता और उस के दोनों बच्चों को ले कर मेरठ से नोएडा आ गया. वहीं पर इसलाम धर्म के रीतिरिवाज से वाहिद ने ममता से निकाह कर लिया. इस से पहले ममता का नाम बदल कर शाहीन रख दिया गया था. बड़े बेटे करनपाल का नाम बदल कर समीर व लड़की मंजू का नाम जैनब रख दिया था.
वाहिद का भाई गुड्डू ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में रहता था, जो वेल्डिंग का काम करता था. वाहिद, ममता और उस के बच्चे को ले कर वहीं पर पहुंच गया. वह सब रहने लगे. वाहिद आटो चलाने गाजियाबाद चला जाता था, जबकि ममता ग्रेटर नोएडा के फ्लैटों में साफसफाई का काम करने निकल जाती थी. दोनों की कमाई से घर ठीकठाक चल रहा था.
वाहिद और ममता की शादी की बात सिर्फ गुड्डू ही जानता था. इस के अलावा वाहिद के घर के किसी भी सदस्य को पता नहीं था कि वाहिद ने 2 बच्चों की मां से शादी कर ली है.
वाहिद मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की तहसील बिसौली के गांव भमौरी का रहने वाला था. वाहिद ने उस का नाम शाहीन जरूर रख दिया था, लेकिन वह उसे ममता के नाम से ही बुलाता था.
एक दिन वाहिद ने ममता उर्फ शाहीन से कहा, ‘‘ममता यहां ग्रेटर नोएडा में महंगाई ज्यादा है. ऐसा करते हैं कि हम लोग उधर ही चलते हैं. वहां गांव में मेरा अपना घर है, जमीनजायदाद भी है, मैं वहीं आटो चला लूंगा.’’
ममता उर्फ शाहीन ने पति वाहिद की बात पर कोई एतराज नहीं किया. इस पर वाहिद ममता और दोनों बच्चों को ले कर बिसौली के नजदीक चंदौसी शहर पहुंच गया. चंदौसी के मोहल्ला वारिश नगर में उस ने एक मकान किराए पर ले लिया. यह करीब 6 महीने पहले की बात है. चूंकि चंदौसी से उस का गांव भी नजदीक ही था, इसलिए वह अकेला अपने मांबाप से मिलने गांव भी जाता रहता था.
उसी दौरान वाहिद के घर वालों ने संभल जिले के गांव चिमियावली के रहने वाले कलुआ की बेटी अरमाना से उस का रिश्ता तय कर दिया. उस समय वाहिद ने घर वालों को यह तक बताने की हिम्मत नहीं की थी कि उस ने शादी कर रखी है. रिश्ता तय होने के बाद वह कईकई दिन अपने गांव में रुक कर आता.
ममता ने इस बात पर कभी चर्चा तक नहीं की कि वह इतने दिन गांव में क्यों रुकता है. न ही उसे उस की शादी तय होने की कोई भनक लगी. वह तो उस पर अटूट विश्वास करती थी. आननफानन में वाहिद का अरमाना से निकाह भी हो गया. इस के बावजूद ममता अनभिज्ञ बनी रही.
जब वाहिद हफ्ता दो हफ्ता बाद ममता के पास लौटता तो वह कह देता कि वह मुरादाबाद में रह कर आटो चला रहा है, इसलिए वहीं रुक जाता है. वह ममता को खर्च के पैसे देता रहता था.
एक दिन ममता अचानक ही अपने दोनों बच्चों को ले कर वाहिद के गांव भमौरी पहुंच गई. भमौरी गांव चंदौसी के पास ही थी. वहां पर ममता को पता चला कि उस के पति ने उसे धोखे में रख कर संभल की एक लड़की से निकाह कर लिया है.
यह जानकारी मिलते ही ममता आगबबूला हो गई. उस ने गांव में हंगामा करना शुरू कर दिया. उस ने पूरे गांव वालों को बताया कि मैं वाहिद की निकाह की हुई बीवी हूं. ससुराल में पहला हक मेरा बनता है. मुझ से तलाक लिए बगैर उस ने दूसरी शादी कैसे कर ली. इतना ही नहीं ममता ने पुलिस से शिकायत करने की धमकी भी दी.
उस के हंगामे से पूरा गांव जमा हो गया. इस मामले में गलती वाहिद की ही थी पर ममता के थाने जाने के बाद बात बढ़ने की संभावना थी. इसलिए परिवार वालों ने गांव वालों के सहयोग से ममता को समझाना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि वाहिद की दूसरी पत्नी के साथ वह भी रह सकती है. उसे घर में रहने के लिए जगह दे दी जाएगी.
गांवदेहात में जानवरों के बांधने और उन का चारा रखने की जगह को घेर कहते हैं. ममता को अपना और बच्चों का पेट भरना था, इसलिए वह घेर में रहने के लिए तैयार हो गई. वह वहीं रहने लगी पर वाहिद की दूसरी पत्नी अरमाना को ममता का वहां रहना नागवार लगता था. वह ममता को एक पल भी देखना पसंद नहीं करती थी. जिस की वजह से वाहिद और अरमाना में झगड़ा रहने लगा.
रोजाना के झगड़ों से तंग आ कर अरमाना अपने मायके चिमियावली चली गई. वाहिद कई बार अरमाना को लाने के लिए अपनी ससुराल गया लेकिन अरमाना व उस के घर वालों ने साफ मना कर दिया था कि जब तक ममता वहां रहेगी अरमाना यहां से नहीं जाएगी.
वाहिद ने कहा कि ठीक है, वह ममता को चंदौसी में किराए पर लिए कमरे पर पहुंचा देगा. वैसे भी ममता उस से कह भी रही थी कि उसे यहां तबेले में रहना अच्छा नहीं लगता. लेकिन अरमाना इस के लिए भी तैयार नहीं हुई.
उस ने पति वाहिद से साफ कह दिया था कि जब तक ममता और उस के बच्चे जीवित रहेंगे वह ससुराल नहीं जाएगी. उसे उन तीनों के मरने का सबूत भी चाहिए. यानी जिस दिन वह उन के कटे हुए सिर उसे दिखा देगा वह उस के साथ चली चलेगी.
पत्नी की इस जिद पर वाहिद परेशान हो गया. तब उस के ससुर कलुआ और सास सूफिया ने उसे समझाते हुए कहा कि यह कोई बहुत बड़ा काम नहीं है. थोड़े दिमाग से काम लोगे तो बड़ी आसानी से हो जाएगा. तुम किसी तरह ममता और उस के बच्चों को यहां लाओ, बाकी काम हम देख लेंगे.
उस के बाद वाहिद अपने गांव भमौरी लौट आया. वह ममता को ठिकाने लगाने का प्लान बनाने लगा. अपने प्लान में उस ने अपने भाई गुड्डू को भी शामिल कर लिया था. अपनी योजना से उस ने अपने ससुर कलुआ को भी अवगत करा दिया. वाहिद की सास सूफिया ने इस के लिए बड़े छुरे का इंतजाम कर लिया.
योजना के मुताबिक 17 मार्च, 2018 की शाम वाहिद ममता और उस के बच्चों को ले कर भमौरी से बस द्वारा संभल पहुंच गया. गुड्डू भी उस के साथ था. वाहिद ने ममता को बताया था कि उस के दोस्त के यहां दावत है.
संभल से वह लोग आटो में चिमियावली गांव के लिए बैठे. रास्ते में वाहिद ममता और बच्चों के साथ आटो से उतर गया और कहा कि अब शौर्टकट से पैदल चलते हैं, जल्दी पहुंच जाएंगे. ममता उस की साजिश से अनजान थी. वह गेहूं के खेत के किनारे के संकरे रास्ते से चलने लगा.
पैदल चलने पर ममता के पेट में दर्द हुआ तो वाहिद ने पहले से अपने साथ लाई नशे की गोलियों में से एक गोली ममता को खिला दी. कुछ देर में जब ममता बेहोशी की हालत में आ गई तो वाहिद ने अपने ससुर कलुआ को आवाज दे कर बुला लिया. कलुआ खेत में छिपा बैठा था.
जब ममता निढाल हो कर जमीन पर गिर गई तो गुड्डू, कलुआ और वाहिद ने मिल कर ममता का गला काट कर धड़ से सिर अलग कर दिया. उस समय उस का 10 वर्षीय बेटा करन वहीं खड़ा था. वह डर की वजह से वहां से भागा तो वाहिद ने उसे पकड़ लिया.
उन लोगों ने उस बच्चे का भी गला काट कर सिर धड़ से अलग कर दिया. ममता के हाथ पर उस का नाम गुदा हुआ था. पहचान मिटाने के लिए वाहिद ने हाथ की वह खाल ही काट कर अलग कर दी जहां नाम लिखा था.
उसी दौरान ममता की 4 वर्षीय बेटी मंजू वाहिद की टांगों से चिपकी खड़ी थी. वह कह रही थी कि पापा चलो भूख लग रही है. पापा मुझे टौफी दिलवाओ. वैसे भी वाहिद रोजाना मंजू के लिए टौफी ले कर आता था. वाहिद सब से ज्यादा प्यार मंजू को ही करता था.
वाहिद जब मंजू को भी मारने चला तो कलुआ ने कहा, नहीं यह नासमझ है. इस को हम लोग पाल लेंगे. इस ने क्या बिगाड़ा है.
वाहिद ने जेब से बड़ी पालिथिन थैली निकाल कर दोनों के सिर उस में रख लिए और अपनी ससुराल चिमियावली आ गया. वहां पर वाहिद ने अपनी सास सूफिया व पत्नी अरमाना को कटे सिर दिखाए. सिर देखने पर उन्हें उन के मरने का यकीन हुआ. इस के बाद वह उन दोनों सिरों को गांव के नजदीक बहने वाली सोत नदी के किनारे रेत में अलगअलग दबा आया.
पुलिस ने वाहिद, कलुआ, अरमाना, सूफिया को गिरफ्तार कर लिया. अभियुक्तों की गिरफ्तारी की सूचना पर एडीजी प्रेमप्रकाश भी बरेली से संभल पहुंच गए.
प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर उन्होंने इस सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड का खुलासा कर पत्रकारों को जानकारी दी. बाद में पुलिस ने सभी अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखने तक गुड्डू की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी.