शहरी मौडर्न लड़की से शादी की चाहत रखने वाले शेखर की शादी जब गांव की रहने वाली सुधा से हुई तो वह बातबात पर तलाक की धमकियां देने लगा, मगर वह इस बात से अनजान था कि उस की ये धमकियां उस पर ही एक दिन भारी पड़ने वाली हैं… शेखरऔर सुधा की मैरिज ऐनिवर्सरी थी और अच्छी बात यह भी हो गई कि शनिवार था तो आराम से सब सैलिब्रेशन के मूड में थे कि यदि पार्टी लेट भी चले तो कोई परेशानी नहीं, क्योंकि संडे रात को देर होने पर महानगरों में औफिस जाने वाले लोगों को मंडे ब्लूज सताते हैं. अनंत और प्रिया ने पार्टी का सब इंतजाम कर लिया था, अंजू और सुधीर से भी बात हो गई थी. वे भी सुबह ही आ रहे थे. प्रोग्राम यह था कि पहले पूरा परिवार एकसाथ घर पर लंच करेगा,
फिर डिनर करने सब बाहर जाएंगे, इस तरह पूरा दिन सब एकसाथ बिताने वाले थे. शेखर और सुधा अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए अति उत्साहित थे. अनंत तो अपनी पत्नी प्रिया और एक बेटी पारुल के साथ उन के साथ ही रहता था. बेटी अंजू अंधेरी में अपने पति सुधीर और बेटे अनुज के साथ रहती थी. मुंबई में होने पर भी मिलनाजुलना जल्दी नहीं हो पाता था. बहूबेटा, बेटीदामाद सब वर्किंग थे. इसलिए जब भी सब एकसाथ मिलते, शेखर और सुधा बहुत खुश होते थे. सब की बौंडिंग बहुत अच्छी थी, सब जब भी मिलते, महफिल खूब जमती, जम कर एकदूसरे की टांग खिंचाई होती. कोई किसी की बात का बुरा न मानता. बच्चों के साथ शेखर और सुधा भी खूब हंसतेहंसाते. 12 बजे अंजू सुधीर और अनुज के साथ आ गई. सब ने एकदूसरे को प्यार से गले लगाया. शेखर और सुधा के साथसाथ अंजू सब के लिए कुछ न कुछ लाई थी.
पारुल और अनुज तो अपने में बिजी हो गए. हंसीमजाक के साथसाथ खाना भी लगता रहा. लंच भी बाहर से और्डर कर लिया गया था, पर प्रिया ने सासससुर के लिए खीर और दहीवड़े उन की पसंद को ध्यान में रख कर खुद बनाए थे, जिन्हें सब ने खूब तारीफ करते हुए खाया. खाना खाते हुए सुधीर ने बहुत सम्मानपूर्वक कहा, ‘‘पापा, आप लोगों की मैरिड लाइफ एक उदाहरण है हमारे लिए, कभी आप लोगों को किसी बात पर बहस करते नहीं देखा. इतनी अच्छी बौंडिंग है आप दोनों की. मेरे मम्मीपापा तो खूब लड़ लेते थे, आप लोगों से बहुत कुछ सीखना चाहिए.’’ फिर जानबू?ा कर अंजू को छेड़ते हुए कहा, ‘‘इसे भी कुछ सिखा दिया होता… बहुत लड़ती है मु?ा से. कई बार तो शुरूशुरू में लगता था कि इस से निभेगी भी या नहीं.’’ अंजू ने प्यार से घूरा, ‘‘बकवास बंद करो, तुम से कभी नहीं लड़ी मैं… ?ाठे.’’ प्रिया ने भी कहा, ‘‘हां, जीजू आप ठीक कह रहे हैं, मम्मीपापा की कमाल की बौंडिंग है,
दोनों एकदूसरे का बहुत ध्यान रखते हैं, बिना कहे ही एकदूसरे के मन की बात जान लेते हैं. यहां तो अनंत को मेरी कोई बात ही याद नहीं रहती. काश, अनंत भी पापा की तरह केयरिंग होता.’’ अनंत से भी रहा नहीं गया, ?ाठमूठ गले में कुछ फंसने की ऐक्टिंग करता हुआ बोला, ‘‘मेरी प्यारी बहन, अंजू, ये हम दोनों भाईबहन क्या सुन रहे हैं, क्यों न आज मम्मीपापा की बहू और दामाद को इस बौंडिंग की सचाई बता दें? हम कब तक ये ताने सुनते रहेंगे?’’ कहताकहता अनंत अंजू को देख कर शरारत से हंस दिया. शेखर ने चौंकते हुए कहा, ‘‘अरे, कैसी सचाई? क्या तुम बच्चों से अपने पेरैंट्स की तारीफ सहन नहीं हो रही?’’ अनंत हंसा. बोला, ‘‘मम्मीपापा तैयार हो जाइए, आप की बहू और आप के दामाद से हम भाईबहन आप की इस बौंडिंग का राज शेयर करने जा रहे हैं,’’ फिर नाटकीय स्वर में अंजू से कहा, ‘‘चल बहन, शुरू हो जा.’’ अंजू ने जोर से हंसते हुए बताना शुरू किया, ‘‘जब हम छोटे थे, हम रोज देखते कि पापामम्मी को हर बात में कहते हैं कि मैं तुम्हारे साथ एक दिन नहीं रह सकता, मेरी अम्मांपिताजी ने मेरे साथ बहुत बुरा किया है कि तुम से मेरी शादी करवा दी,
मेरे जैसे स्मार्ट लड़के के लिए पता नहीं कहां से गंवार लड़की ले कर मेरे साथ बांध दी.’’ यह सुनते ही प्रिया और सुधीर ने चौंकते हुए शेखर और सुधा को देखा, शेखर बहुत शर्मिंदा दिखे और सुधा की आंखों में नमी सी आ गई थी जिसे देख कर शेखर और शर्मिंदा हुए. अनंत ने कहा, ‘‘और एक मजेदार बात यह थी कि हमें रोज लगता कि बस शायद कल मम्मी और पापा अलग हो जाएंगे पर हम अगले दिन देखते कि दोनों अपनेअपने काम में रोज की तरह व्यस्त हैं. सारे रिश्तेदारों को पता था कि दादादादी ने अपनी पसंद की लड़की से पापा की शादी कराई है और पापा को मम्मी पसंद नहीं है. ‘‘हम किसी से भी मिलते, हम से पूछा जाता कि अब भी तुम्हारे पापा को तुम्हारी मम्मी पसंद नहीं है क्या… हमें कुछ सम?ा न आता कि क्या कहें पर सब ही मम्मी की खूब तारीफ करते, सब का कहना था कि मम्मी जैसी लड़की बहुत कम को मिलती है पर पापा घर में हर बातबात पर यही कहते कि उन की लाइफ खराब हो गई है. यह शादी उन की मरजी से नहीं हुई है. उन्हें किसी शहर की मौडर्न लड़की से शादी करनी थी और उन के पेरैंट्स ने अपने गांव की लड़की से उन की शादी करवा दी.
‘हालांकि मम्मी बहुत पढ़ीलिखी हैं पर प्रोफैसर पापा अलग ही दुनिया में जीते और अंजू मम्मीपापा के तलाक के डर के साए में जीते रहे. कभी अनंत मु?ो सम?ाता, तसल्ली देता कि कुछ नहीं होगा, कभी मैं उसे सम?ाती कि अगले दिन तो सब ठीक हो ही जाता है. भई हमारा बचपन और जवानी तो पापा की धमकियों में ही बीत गई. फिर अचानक अनंत जोर से हंसा और कहने लगा, ‘‘धीरेधीरे हम बड़े हो ही गए और सम?ा आ गया कि पापा सिर्फ मम्मी को धमकियां देते हैं, हमारी प्यारी मां को छोड़ना इन के बस की बात नहीं.’’ प्रिया और सुधीर ने शेखर को बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा, ‘‘पापा, वैरी बैड. हम आप को क्या सम?ाते थे, और आप क्या निकले. बेचारे बच्चे आप की धमकियों में जीते रहे और हम आप दोनों की बौंडिंग के फैन होते रहे. क्यों पापा, ये धमकियां क्यों देते रहे?’’ शेखर ने सुधा की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘वैसे अच्छा ही हुआ कि आज तुम लोगों ने बात छेड़ दी, दिन भी अच्छा है आज.’’
उन के इतना कहते ही अंजू ने कहा, ‘‘अच्छा? दिन अच्छा हो गया अब मैरिज ऐनिवर्सरी का… बच्चों को परेशान कर के.’’ ‘‘हां बेटा, दिन बहुत अच्छा आज का जो मु?ो इस दिन सुधा मिली.’’ अब सब ने उन्हें चिढ़ाना शुरू कर दिया, ‘‘रहने दो पापा, हम आप की धमकियां नहीं भूलेंगे.’’ ‘‘सच कहता हूं, मैं गलत था, मैं ने सुधा को सच में तलाक की धमकी दे दे कर बहुत परेशान किया. मैं चाहता था कि मैं बहुत मौडर्न लड़की से शादी करूं, गांव की लड़की मु?ो पसंद नहीं थी. हमेशा शहर में रहने के कारण मु?ो शहरी लड़कियां ही भातीं. जब अम्मांपिताजी ने सुधा की बात की तो मैं ने साफसाफ मना कर दिया पर सुधा के पेरैंट्स की डैथ हो चुकी थी और भाई ने ही हमेशा सुधा की जिम्मेदारी संभाली थी. ‘‘अम्मां को सुधा से बहुत लगाव था. मैं ने तो यहां तक कह दिया था कि मंडप से ही भाग जाऊंगा पर पिताजी के आगे एक न चली और सारा गुस्सा सुधा पर ही उतरता रहा. हमारे 7 भाईबहनों के परिवार को सुधा ने ऐसे अपनाया कि सब मु?ो भूलने लगे. हर मुंह पर सुधा का नाम, सुधा के गुण देख कर सब इस की तारीफ करते न थकते पर मेरा गुस्सा कम होने का नाम ही न लेता. मगर धीरेधीरे मेरे दिल में इस ने ऐसी जगह बना ली कि क्या कहूं. मैं ही इस का सब से बड़ा दीवाना बन गया. ‘‘जब आनंद पैदा हुआ तो सब को लगा कि अब सब ठीक हो जाएगा पर मैं नहीं सुधरा. सुधा से कहता कि बस यह थोड़ा बड़ा हो जाए तो मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा, फिर 2 साल बाद अंजू हुई तो भी मैं यही कहता रहा कि बस बच्चे बड़े हो जाएं .
तो मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा अगर तुम चाहो तो गांव में अम्मां के साथ रह सकती हो, फिर बच्चे बड़े हो रहे थे तो मेरी बहनों की शादी का नंबर आता रहा. ‘‘सुधा अपनी हर जिम्मेदारी दिल से पूरी करती रही और मेरे दिल में जगह बनाती रही पर मैं इतना बुरा था कि तलाक की धमकियों से बाज न आता, सुधा घर के इतने कामों के साथ अपना पूरा ध्यान पढ़ाईलिखाई में लगाती और इस ने धीरेधीरे अपनी पीएचडी भी पूरी कर ली और एक दिन एक कालेज में जब इसे जौब भी मिल गई तो मैं पूरी तरह से अपनी हर गलती के लिए इतना शर्मिंदा था कि इस से माफी भी मांगने की मेरी हिम्मत नहीं हुई. ‘‘आज तक मन ही मन इतना शर्मिंदा था कि आज इसलिए इस दिन को अच्छा बता रहा कि आज मैं तुम सब के सामने सुधा से माफी मांगने की हिम्मत कर पा रहा हूं. बच्चों, तुम से भी शर्मिंदा हूं कि मेरी तलाक की धमकियों से तुम्हारा बाल मन आहत होता रहा और मु?ो खबर भी नहीं हुई, सुधा, अनंत और अंजू तुम सब मु?ो आज माफ कर दो.’’ प्रिया ने सुधा की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘मम्मी, आप भी कुछ कहिए न?’’ सुधा ने एक ठंडी सांस लेते हुए कहा, ‘‘शुरू में तो एक ?ाटका सा लगा जब पता चला कि मैं इन्हें पसंद नहीं… मातापिता थे नहीं… भाई ने बहुत मन से मेरा विवाह इन के साथ किया था. लगा भाई को बहुत दुख होगा अगर उस से अपना दुख बताऊंगी तो,
इसलिए कभी किसी से शेयर ही नहीं किया कि पति तलाक की धमकी दे रहा है… सोचा समय के साथ शायद सब ठीक हो जाए. और ठीक हुआ भी. ‘‘तुम दोनों के पैदा होने के बाद इन का अलग रूप देखा, तुम दोनों को ये खूब स्नेह देते… कालेज से आते ही तुम दोनों के साथ खूब खेलते… मैं ने यह भी महसूस किया कि मु?ो अपने पेरैंट्स के सामने या उन के आसपास होने पर ये तलाक की धमकियां ज्यादा देते हैं. ‘‘अकेले में इन का व्यवहार कभी खराब भी नहीं रहा. मेरी सारी जरूरतों का हमेशा ध्यान रखते, मैं सम?ाने लगी थी कि ये हम सब को प्यार करते हैं, हमारे बिना नहीं रह सकते. ये धमकियां पूरी तरह से ?ाठी हैं, सिर्फ अपने पेरैंट्स को गुस्सा दिखाने के लिए ज्यादा करते हैं. ‘‘ये अपने पेरैंट्स से इस बात पर नाराज थे कि उन्होंने इन के विवाह के लिए इन की मरजी नहीं पूछी, सीधे अपना फैसला थोप दिया. ‘‘जब मैं ने यह सम?ा लिया तो जीना मुश्किल ही नहीं रहा. पढ़ने का शौक था…
किताबें तो ये ही ला कर दिया करते. पूरा सहयोग किया. तभी तो पी एच डी कर पाई, रातभर बैठ कर पढ़ती तो ये कभी चाय बना कर देते, कभी गरम दूध का गिलास जबरदस्ती पकड़ा देते और अगर अगले दिन अम्मांपिताजी आ जाएं तो तलाक का पुराण शुरू हो जाता, पर मैं इन के मौन प्रेम का स्वाद चख चुकी थी. फिर मु?ा पर कोई धमकी असर न करती,’’ कहतेकहते सुधा हंस दीं. शेखर हैरानी से उन का मुंह देख रहे थे, बोले, ‘‘मतलब तुम्हें जरा भी चिंता नहीं हुई कभी?’’ ‘‘नहीं जनाब, कभी भी नहीं,’’ सुधा मुसकराईं. अनंत और अंजू ने एकदूसरे की तरफ देखा, फिर अनंत बोला, ‘‘ले बहन, और सुनो इन की कहानी. मतलब हम ही बेवकूफ थे जो सारा बचपन डरते रहे कि हाय, मम्मीपापा का तलाक न हो जाए, हमारा क्या होगा. ‘‘हम बच्चे तो कई बार यह बात भी करने बैठ जाते कि पापा के पास कौन रहेगा, मम्मी के पास कौन, हमें तो फिल्मों में देख कोर्ट के सीन याद आते और हम अलग ही प्लानिंग करते. मम्मीपापा बहुत जुल्म किया आप ने बच्चों पर. ये धमकियां हमारे बचपन पर बहुत भारी पड़ी हैं.
’’ शेखर ने अब गंभीरतापूर्वक कहा, ‘‘हां बच्चो, यह मैं मानता हूं कि तुम दोनों के साथ मैं ने अच्छा नहीं किया, मु?ो कभी महसूस ही नहीं हुआ कि मेरे बच्चों के दिलों पर ये धमकियां क्या असर कर रही होंगी… सौरी, बच्चो.’’ अंजू ने चहकते हुए शरारत से कहा, ‘‘वह तो अच्छा है मम्मी ने यह बात एक दिन महसूस कर ली कि आप की तलाक की ये धमकियां हमें डिस्टर्ब करती हैं तो उन्होंने हमें बैठा कर एक दिन सम?ा दिया था कि आप का यह गुस्सा दादादादी को दिखाने का एक नाटक है… कुछ तलाकवलाक कभी नहीं होगा. तब जा कर हम थोड़ा रिलैक्स हुए थे.’’ शेखर अब मुसकराए और फिर नाटकीय स्वर में बोले, ‘‘मतलब मेरी खोखली धमकी का किसी पर भी असर नहीं पड़ रहा था और मैं खुद को तीसमारखां सम?ाता रहा.’’ सुधीर ने प्रिया को देखते हुए कहा, ‘‘प्रिया, अनंत और अंजू कोई धमकी कभी दें तो सीरियसली मत लेना. यार, हमें तो बड़े धमकीबाज ससुर मिले हैं पर यह भी सच है कि आप दोनों की बौंडिंग है तो कमाल… एक सारी उम्र धमकी देता रहा, दूसरा एक कान से सुन कर दूसरे से निकालता रहा… बस बेचारे 2 बच्चे डरते रहे.’’ समवेत हंसी से घर के दरोदीवार चहक रहे थे. शेखर सुधा को मुग्ध नजरों से निहारते रहे.