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चंद्रमुखी चौटाला बनकर एक बार फिर से लोगों को हंसाएंगी Kavita Kaushik

एफआईआर टीवी के पसंदीदा शो में जाना जाता है. इस शो को लोग देखना खूब पसंद करते थें, ऐसे में फैंस को इस बात का काफी ज्यादा अफसोस था कि इस शो को बंद क्यों कर दिया गया. हालांकि फैंस को इसके  दूसरे सीजन का बेसब्री से इंतजार भी था.

फैंस के इस बेताबी को देखते हुए कविता कौशिक ने एक बार फिर से अपने फैंस को खुशखबरी दी है. एक रिपोर्ट में बातचीत के दौरान कविता कौशिक ने खुलकर इस बारे में बात किया है. उन्होंने कहा कि मुझे इस सीजन में दूबारा एंट्री लेने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन शो को लेकर बात अभी बन नहीं पाई है.

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लेकिन अभी हम दूसरे प्रोजेक्ट्स को लेकर बात कर रहे हैं, खासकर डायरेक्शन टीम बाकी प्रोजेक्ट्स को लेकर काफी ज्यादा व्यस्त है.

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इसके साथ ही जब कविता कौशिक से पूछा गया कि क्या वह सास बहू के सीरियल में काम करना पसंद करेंगी तो उन्होंने कहा कि मैं हैवी ज्वैलरी पहनकर मुंबई की गर्मी में 30 दिनों तक शूटिंग करने के खिलाफ हूं.

आगे उन्होंने कहा कि मैं इस उम्र को पार कर ली है और साथ ही इस तरह के का को  करने की भूख को भी खत्म कर चुकी हूं. साथ ही मैं उन कलाकारों को सलाम करती हूं जो इस तरह के काम को करते हैं. मैं सिर्फ 10 से 12 दिनों तक शूटिंग कर सकती हूं इसके अलावा मैं कैमियो रोल करना पसंद करती हूं.

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हालांकि लोग अगर हमारी बातों पर अड़े रहते हैं तो मुझे एफआईआर की दूबारा शूटिंग करने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

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टीवी इंडस्ट्री के जाने- माने कॉमेडियन कृष्णा अभिषेक से इन दिनों उनके मामा गोविंदा से नाराज चल रहे हैं. दोनों के बीच अनबन की खबरे काफी लंबे समय से आ रही है.

हाल ही में गोविंदा अपनी पत्नी सुनीता के साथ द कपिल शर्मा शो में पहुंचे थें, जहां उनकी पत्नी ने कृष्णा अभिषेक की जमकर लताड़ लगाई थी,  वहीं कपिल शर्मा शो में हमेशा नजर आने वाले कृष्णा अभिषेक उस दिन शो में नजर नहीं आए थें, जिस  वजह से यह विवाद पहले से ज्यादा बढ़ गया.

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कृष्णा को शो में न आने वाली हरकत गोविंदा और मामी सुनीता को पसंद नहीं आई, उन्होंने कहा कि जब वह कपिल शर्मा शो में आते हैं तो कृष्णा नौटंकी करने लगते हैं, उन्होंने कहा कि वह शक्ल भी नहीं देखना चाहती हैं.

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सुनीता के इस बयान से कृष्णा की पत्नी कश्मीरा शाह गुस्से से आगबबूला हो गई, उन्होंने भी आगे कह दिया कि गोविंदा और उनके पूरे परिवार से मुझे कोई मतलब नहीं है.

कृष्णा ने एक रिपोर्ट में बताया कि मुझे पता है कि मेरी मामी ने मेरे बारे में बहुत कुछ कहा है मैं भी उनकी इस बातों से नाराज हूं लेकिन मुझे यह भी पता है वह इसलिए ऐसा बोली हैं क्योंकि वह मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती हैं.

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ऐसे शब्द केवल मां बाप ही बोल सकते हैं क्योंकि वह आपसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, लेकिन परेशानी इतनी सी है कि वह मेरी माफी स्वीकार नहीं करते हैं. पता नहीं उन्हें क्या दिक्कत है मुझसे.

पीएम मोदी ने की सीएम योगी की तारीफ

लखनऊ . मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की सरकार में प्रदेश में वृहद टीकाकरण अभियान के तहत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन’ के मूल मंत्र पर टीकाकरण किया जा रहा है.

सबको मुफ्त वैक्सीन अभियान का आयोजन हो रहा है. ये बातें प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अलीगढ़ के संबोधन में कहीं. उन्‍होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक 8 करोड़ से अधिक वैक्सीन के साथ एक दिन में सबसे ज्यादा वैक्सीन लगाने का रिकॉर्ड भी उत्तर प्रदेश के ही नाम है.

यूपी ने टीकाकरण में दूसरे प्रदेशों को पीछे छोड़ते हुए रोजाना नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली, आंध्र प्रदेश, वेस्‍ट बंगाल समेत दूसरे कई राज्‍यों से आगे निकल आठ करोड़ 94 लाख से अधिक टीकाकरण की डोज दी हैं. यह आंकड़ा देश के दूसरे प्रदेशों से कहीं अधिक है. यूपी टीकाकरण के साथ ही सर्वाधिक जांच करने वाला प्रदेश है. ट्रिपल टी की रणनीति व टीकाकरण से यूपी में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नियंत्रण में हैं. प्रदेश में वैक्‍सीन की पहली खुराक 7 करोड़ 42 लाख से अधिक और  वैक्‍सीन की दूसरी डोज 1 करोड़ 51 लाख से अधिक को दी जा चुकी है.

शेष चिह्न – भाग 1 : निधि की क्या मजबूरी थी

लेखिका- डा. छाया श्रीवास्तव

मायके और ससुराल वालों की सेवा में समर्पित निधि के सपने तो जैसे बिखर कर रह गए थे. जीवन के रेगिस्तान में भटकती निधि क्या ‘अपनों के प्यार’ की मरीचिका को पा सकी?

निधि की शादी तय हो गई थी पर उस को ऐसा लग रहा था मानो मरघट पर जाना है…लाश के साथ नहीं, खुद लाश बन कर. उस का और मेरा परिचय एक प्राइवेट स्कूल में हुआ था जिस में मैं अंगरेजी की अध्यापिका थी और वह साइंस की अध्यापिका हो कर आई थी.

उस का अप्रतिम रूप, कमल पंखड़ी सा गुलाबी रंग, पतला छरहरा बदन, सौम्य नाकनक्श थे पर घर की गरीबी के कारण विवाह न हो पा रहा था.

निधि का छोटा सा कच्चा पुश्तैनी मकान था. परिवार में 4 बहनों पर एकमात्र छोटा भाई अविनाश था. बस, सस्ते कपड़ों को ओढ़तेपहनते, गृहस्थी की गाड़ी किसी तरह खिंच रही थी.

बड़ी बहन आरती के ग्रेजुएट होते ही एक क्लर्क से बात पक्की कर दी गई तो पिता ने कुछ जी.पी.एफ. से रुपए निकाल कर विवाह की रस्में पूरी कीं. किसी प्रकार आरती घर से विदा हो गई. सब ने चैन की सांस ली. कुछ महीने आराम से निकल गए.

आरती को दान- दहेज के नाम पर साधारण सामान ही दे पाए थे. न टेलीविजन न अन्य सामान, न सोना न चांदी. ससुराल में उस पर जुल्मों के पहाड़ टूटने लगे पर वह सब सहती रही.

फिर एक दिन उस ने अपनी कोख से बेटे के बजाय बेटी जनी तो उस पर जुल्म और बढ़ते ही गए. और एक रात अत्याचारों से घबरा कर वह पड़ोसियों की मदद से रोतीकलपती अपने साथ एक नन्ही सी जान को ले कर पिता की देहरी पर लौट आई. उस का यह हाल देख कर पूरे परिवार की चीत्कार पड़ोस तक जा पहुंची. फिर क्याकुछ नहीं भुगता पूरे घर ने. आरती ने तो कसम खा ली थी कि वह जीवन भर वहां नहीं जाएगी जहां ऐसे नराधम रहते हैं.

इस तरह मय ब्याज के बेटी वापस आ गई. अत्याचारों की गाथा, चोटों के निशान देख कर फिर उसी घर में बहन को भेजने का सब से ज्यादा विरोध निधि ने ही किया. 3-4 वर्ष के भीतर  ही तलाक हो गया तो मातापिता की छाती पर फिर से 4 बेटियों का भार बढ़ गया.

मुसीबत जैसे चारों ओर से काले बादलों की तरह घिर आई थी. उस पर महंगाई की मार ने सब कुछ अस्तव्यस्त कर दिया. जो सब की कमाई के पैसे मिलते वह गरम तवे पर पानी की बूंद से छन्न हो जाते. तीजत्योहार सूखेसूखे बीतते. अच्छा खाना उन्हें तब ही नसीब होता जब पासपड़ोस में शादी- विवाह होते. अच्छे सूटसाड़ी पहनने को उन का मन ललक उठता, पर सब लड़कियां मन मार कर रह जातीं.

निधि तो बेहद क्षुब्ध हो उठती. जहां उस के विवाह की बात होती, उस का रूप देख कर लड़के मुग्ध हो जाते  पर दानदहेज के लोभी उस के गुणशील को अनदेखा कर मुंह मोड़ लेते.

निधि मुझ से कहती, ‘‘सच कहती हूं मीनू, लगता है कहीं से इतना पैसा पा जाऊं कि अपने घर की दशा सुधार दूं. इस के लिए यदि कोई रईस बूढ़ा भी मिलेगा तो मैं शादी के लिए तैयार हो जाऊंगी. बहुत दुख, अभाव झेले हैं मेरे पूरे परिवार ने.’’

‘‘तू पागल हो गई है क्या? अपना पद्मिनी सा रूप देखा है आईने में? मेरे सामने ऐसी बात मत करना वरना दोस्ती छोड़ दूंगी. परिवार के लिए बूढ़े से ब्याह करेगी? क्या तू ने ही पूरे घर का ठेका लिया है? और भी कोई सोचता है ऐसा क्या?’’

मेरी आंखें नम हो गईं तो देखा वह भी अपनी पलकें पोंछ रही थी.

‘‘सच मीनू, तू ने गरीबी की परछाईं नहीं देखी पर हम बचपन से ही इसे भोग रहे हैं. अरे, अपनों के लिए इनसान बड़े से बड़ा त्याग करता है. मैं मर जाऊं तो मेरी आत्मा धन्य हो जाएगी. बीमार अम्मां व बाबूजी कैसे जी पाएंगे अपनी प्यारी बेटियों को दुखी देख कर. पता है, मैं पूरे 28 वर्ष की हो गई हूं, नीतिप्रीति भी विवाह की आयु तक पहुंच गई हैं. मुझे कई लड़के देख चुके हैं. लड़की पसंद, शिक्षा पसंद, नहीं पसंद है तो कम दहेज. यही तो हम सब के साथ होगा. धन के आगे हमारे रूपगुण सब फीके पड़ गए हैं.’’

उस की बातों पर मैं हंस पड़ी. फिर बोली, ‘‘अरे, तू तो किसी घर की राजरानी बनेगी. देख लेना तेरा दूल्हा सिरआंखों पर बैठाएगा तुझे. धनदौलत पर लोटेगी तू्.’’

‘‘रहने दे, ऐसे ऊंचे सपने मत दिखा, जो आगे चल कर मेरी छाती में टीस दें. हां, तुझे अवश्य ऐसा ही वरघर मिलेगा. अकेली बेटी, 2 बड़े भाई, सब ऊंचे पदों पर.’’

‘‘कहां राजा भोज कहां गंगू तेली? बड़े परिवार की समस्या पर ही तो सोचती हूं ऐसा, अपनी कुरबानी देने की.’’

फिर आएदिन मैं यही सुनती थी कि निधि को देखने वाले आए और गए. धन के अभाव में सब मुंह चुरा गए. इतनी तगड़ी मांगें कि घर भर के सिर फिर जाते. यहां तो शादी का खर्च उठाना मुश्किल था. उस पर लाखों की मांग.

एक दिन गरमी की दोपहर में आ कर निधि ने विस्फोट किया, ‘‘मीनू, तुझे याद है एक बार मैं ने तुझ से कहा था कि अगर कोई मालदार धनी बूढ़ा वर ही मिल जाएगा तो मैं उस से शादी करने को तैयार हो जाऊंगी. लगता है वही हो रहा है.’’

मैं ने घबरा कर अपनी छाती थाम ली फिर गुस्से से भर कर बोली, ‘‘तो क्या किसी बूढ़े खूसट का संदेशा आया है और तू तैयार हो गई है?’’ इतना कह कर तब मैं ने उस के दोनों कंधे झकझोर दिए थे.

वह बच्चों सी हंसी हंस दी. फिर पसीना पोंछती हुई बोली, ‘‘तू तो ऐसी घबरा रही है जैसे मेरे बजाय तेरी शादी होने जा रही है. देख, मैं बूढ़े खूसट की फोटो लाई हूं. उस की उम्र 40 के आसपास है और वह दुहेजा है. 4 साल पहले पत्नी मर गई थी.’’

उस ने फोटो मेरे हाथ पर रख दिया. ‘‘अरे वाह, यह तो बूढ़ा नहीं जवान, सुंदर है. तू मजाक कर रही है मुझ से?’’

स्मार्टवॉच में छिपा हत्या का राज

लेखक-शंभु सुमन

ग्रीस में 20 वर्षीया युवती कैरोलिन क्राउच की हत्या हुई थी. उस के 33 वर्षीय पति बाबिस
एनाग्नोस्टोपोलोस, जोकि हेलीकौप्टर पायलट था, ने 11 मई को पुलिस को फोन द्वारा सूचना दी थी कि उस की पत्नी की हत्या अज्ञात लुटेरों ने ग्लयका नेरा स्थित उस के ही घर के बैडरूम में कर दी है. सूचना पा कर ग्रीक पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने देखा कि घर में बाबिस की पत्नी कैरोलिन की लाश के अलावा एक कुत्ता भी मरा पड़ा था. घर का सामान भी बिखरा पड़ा था. पुलिस को मामला लूट का ही लग रहा था.

बाबिस ने पुलिस को बताया कि उन्हें लुटेरों ने बांध दिया था. वे 3 थे. उन्होंने घर से पैसे लूटने के बाद उस की पत्नी का गला घोंट डाला था. उस ने लुटेरों से अपने परिवार को नुकसान नहीं पहुंचाने की गुहार भी लगाई थी.पुलिस ने घटनास्थल से सारे सबूत इकट्ठे कर जांच शुरू कर दी. इतना ही नहीं, पुलिस ने इस हाईप्रोफाइल अपराध की जानकारी देने वाले को 2,57,000 पाउंड स्टर्लिंग (करीब 2 करोड़ 65 लाख रुपए) ईनाम देने की भी घोषणा कर दी. इस ईनाम की घोषणा एथेंस की पुलिस औफिसर्स एसोसिएशन के डिप्टी चेयरमैन निकोस रिगास ने की थी.

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उन्होंने मीडिया को भी जांच में अपनाई जाने वाली तमाम लेटेस्ट सिस्टम इस्तेमाल करने की बात कहते हुए दावा किया कि बहुत जल्द ही वे इस मामले का पता लगा लेंगे. इस पर मीडिया ने उन्हें निशाने पर ले लिया था. कारण कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हुए लौकडाउन के बाद से महिलाओं की हत्या और घरेलू अपराध की घटनाएं वहां काफी बढ़ गई थीं. इसे देखते हुए रिगास ने घटनास्थल से मोबाइल उपकरणों, एक स्मार्टवाच और कैमरों की जांच करने के लिए एक समयरेखा भी निर्धारित कर दी.
घटनास्थल की सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद एथेंस पुलिस की क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम इस नतीजे पर पहुंची थी कि युवती की हत्या जिन 3 लुटेरों ने की,

उन्हें दबोचा जाना बाकी है. क्योंकि पुलिस को वहां से काफी सबूत मिल चुके थे. इसी बीच पुलिस के अधिकारी ने अपने सहकर्मियों से सवाल किया, ‘‘तुम यह कैसे कह सकते हो कि हत्या प्रोफैशनल लुटेरों ने ही की है?’’ ‘‘सर घटनास्थल पर मिले सारे प्रमाण तो यही बताते हैं. इस के अलावा, लुटेरों ने युवती के हाथपांव बांध दिए थे, और…’’ एक सहकर्मी पुलिस ने कहा. ‘‘… और उस ने पालतू कुत्ते को भी मार डाला था. तुम तो यही कहोगे न?’’ अधिकारी ने दूसरे सहकर्मी को देखते हुए सवाल किया.
‘‘ यस सर! ’’ ‘‘वाट यस सर..? लुटेरों ने घर से जो रुपए लूटे, वे कहां रखे थे? तुम लोगों को तो केवल 13 हजार पाउंड अमाउंट के बारे पता चला है.’’

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‘‘उस की डिटेल्स नहीं मिली सर. कोई निशान नहीं मिल पाया.’’ फोरैंसिक जांच वाले ने सफाई दी.
‘‘तुम्हें तो यह भी पता नहीं चला है कि लुटेरों के गिरोह ने युवती को कैसे बांधा, उस की मौत दम घुटने से हुई या फिर कोई और वजह थी.’’ अधिकारी ने सभी को जबरदस्त डांट पिलाई. ‘‘सर, सीसीटीवी कैमरे घटना के समय बंद थे,’’ तकनीकी जांच करने वाले ने बताया. ‘‘अब तुम लोग मुझे यह समझाओ कि मृत युवती की बगल में सिरहाने 11 माह की बच्ची चुपचाप कैसे लेटी थी?’’ जांच अधिकारी ने सख्ती के साथ पूछा.

ग्रीक जांच अधिकारी की बात सुन कर सभी चुप हो गए थे. क्योंकि यह मामला साधारण नहीं था.
मृतका के पति पायलट बाबिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पुलिस ने जांच शुरू की, जिस में कई विरोधाभास देखने को मिले. बाबिस ने मीडिया को बताया था कि वह घटना के समय लुटेरों से घिरा हुआ था.जबकि पुलिस जांच में पता चला कि उस दौरान वह घर के बाहर चारों ओर घूम रहा था. उस का आवागमन बेसमेंट से ले कर बालकनी तक हुआ था. इस विरोधाभास पर पुलिस को बाबिस पर ही शक हो गया.

डेटा एनालिस्ट की ली मदद इस आधार पर पुलिस औफिसर निकोस रिगास ने अपने सहकर्मियों को नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया. उन्होंने जांच टीम से कहा, ‘‘संदिग्ध युवती का पति भी हो सकता है. यह भी हो सकता है कि क्राइम सीन उस के द्वारा बनाया गया हो. वह खुद को बचाने की कोशिश में हो.’’
‘‘…लेकिन सर, इस पालतू कुत्ते को किस ने मारा होगा?और सर वह छोटी बच्ची..?’’ एक सहकर्मी ने जिज्ञासा जताई. ‘‘यही तो समझने की बात है, जिस ओर तुम लोगों का ध्यान ही नहीं गया?’’ निकोस रिगास बोले. ‘‘वह कैसे सर?’’ फोरैंसिक जांचकर्ता ने सवाल किया.

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‘‘मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि पालतू कुत्ते को संदिग्ध ने ही मारा होगा और हत्या को सही ठहराने के लिए बच्ची को उस की मां के मृत शरीर के बगल में रख दिया. हैरत की बात है कि उसे कोई चोट नहीं आई. यह भी हो सकता है उस वक्त बच्ची कहीं और सो रही हो.’’ रिगास ने समझाया.
‘‘तो सर, हमें अब क्या करना चाहिए?’’ ‘‘आप लोग इस में अब कुछ अधिक नहीं कर पाएंगे. इस केस को डेटा एनलिस्ट की मदद से हैंडल किया जाएगा.’’ ‘‘वह कैसे सर?’’ सभी चौंक पड़े. ‘‘बस आप सभी देखते जाइए और अपनीअपनी रिपोर्ट का डेटा सौफ्ट कौपी के साथ हार्ड कौपी में 12 घंटे के भीतर उपलब्ध करवाइए.’’ रिगास ने आदेश दिया.

‘‘यस सर!’’ सभी सहकर्मियों ने एक साथ कहा. ‘‘और हां, आईटी के क्राइम सेल के साथ अभी घंटे भर के अंदर मीटिंग तय करवाइए.’’ यह आदेश उन्होंने अपने पीए को दिया. इसी दौरान एक सहकर्मी ने उत्सुकता के साथ बताया, ‘‘सर, क्या मृतका के पति बाबिस एनाग्नोस्टोपोलास से पूछताछ की जाए?’’
‘‘अभी उस पर नजर रखिए. मुझे जानकारी मिली है कि वह इस समय ग्रीस में नहीं है, लेकिन इंस्टाग्राम पर सक्रिय है. उस ने पुर्तगाल यात्रा के दौरान अपनी पत्नी के साथ एक तसवीर पोस्ट की है.’’
‘‘जी सर, मैं ने वह तसवीर देखी है. उस में उस ने लिखा है— हमेशा एक साथ! विदाई, मेरे प्यार!’’ महिला सहकर्मी तपाक से बोल पड़ी.

‘‘तुम उस पर नजर रखो. उस के डेटा का कलेक्शन करो. हर तरह की डिटेल्स जुटाओ… जैसे उन के आपसी संबंध, शादीब्याह, अफेयर, डेटिंग, चैटिंग, डिनर, साथसाथ ट्रैवलिंग, फैमिली बैकग्राउंड, हौबी, उन के फ्रैंड सर्कल, प्रोफेशन इत्यादिइत्यादि. इंस्टाग्राम के अतिरिक्त दूसरे सोशल साइट्स और डेटिंग ऐप को भी खंगालो.’’जांच दल की महिला सहकर्मी के द्वारा हेलीकौप्टर पायलट बाबिस और कैरोलिन के बारे में जुटाई गई जानकारी के बाद पता चला कि कैरोलिन क्राउच और बाबिस का प्रेम विवाह हुआ था. उन की शादी जुलाई, 2019 में अलगार्वे में हुई थी.

सोशल साइट पर उस की शादी की कई यादगार तसवीरें देखने को मिलीं. उन में एक मार्मिक तसवीर उस की शादी के लिए तैयार होने की है, जिस में उस के बाल और मेकअप 2 स्थानीय स्टाइलिस्टों द्वारा किया गया था.इस तसवीर को उतारने वाले फोटोग्राफर को जब कैरोलिन की हत्या की जानकारी मिली तो वह स्तब्ध हो गया था, क्योंकि उसे मिला वह पहला असाइनमेंट था.

कैरोलिन जब 15 साल की थी, तभी उस की मुलाकात बाबिस से हुई थी. उन के बीच प्यार हो गया. उन की शादी एथेंस के उसी अपमार्केट इलाके में हुई थी, जहां कैरोलिन मृत पाई गई.शादी के समय वह 18 साल की थी. बाबिस के मातापिता एथेंस में रहते हैं, जबकि कैरोलिन के मातापिता एलोनिसोस द्वीप पर वहां से 6 घंटे की दूरी पर रहते हैं. हालांकि कैरोलिन का जन्म यूके में हुआ था, जिस से वह ब्रिटिश नागरिक बन गई थी.शादी के बाद वह अपने पति और बच्ची के साथ ग्लाइका नेरा में रह रही थी. इसी तरह से पुलिस ने उन के बारे में कई जानकारियां जुटाईं, जिन में कैरोलिन द्वारा लिखी गई डायरी भी थी. डायरी में उस ने अपने से करीब दोगुनी उम्र के पति के साथ संबंधों की अंतरंगता के बारे में लिखा था.

कैरोलिन की हत्या की जांच ग्रीक पुलिस ने नए सिरे से शुरू की. उन्होंने तमाम तकनीकी उपकरणों को अपने कब्जे में ले लिया और उन में दर्ज डेटा का विश्लेषण किया.इसी क्रम में पुलिस अधिकारी को वह सुराग मिल गया, जिस की उन्हें तलाश थी. वह सुराग कैरोलिन के स्मार्टवाच में छिपा था.खास तरह की उस बायोमैट्रिक घड़ी में उन की मौत का दिन और उन की नाड़ी के जीवित रहने तक चलने की रीडिंग दर्ज थी. उस के साथ बाबिस के मोबाइल की काल डिटेल्स आदि का मिलान किया गया. इस काम के लिए पुलिस ने गूगल के सर्विलांस सिस्टम का उपयोग किया.

इस तरह से की गई तकनीकी जांच में संदिग्ध के तौर पर कैरोलिन के पति बाबिस के होने का शक पुख्ता हो गया. बाबिस ने भले ही कहा कि उसे लुटेरों ने बांध दिया था, लेकिन जांच में इस बात का पुष्टि हो गई कि उस दौरान उस का फोन इस्तेमाल में था. उस का डेटा उस की पत्नी के स्मार्टवाच के डेटा से मेल नहीं खा रहा था.कैरोलिन की स्मार्टवाच से पता चला कि कैरोलिन का दिल उस वक्त भी धड़क रहा था, जिस वक्त उस के पति द्वारा हत्या किए जाने का दावा किया गया था. उस के फोन पर गतिविधि ट्रैकर ने उसे घर के चारों ओर घूमते हुए दिखाया, जबकि उस ने कहा कि वह बंधा हुआ था.

इस तरह से रिकौर्ड किए गए समय, जिस पर घर के सीसीटीवी कैमरे से डेटा कार्ड निकाल लिए गए थे, से घटना की अलग ही कहानी सामने आई.बाबिस ने पुलिस को बताया था कि 11 मई, 2021 की सुबह 5 बजे के आसपास लुटेरों ने उस के घर में दरवाजा तोड़ कर प्रवेश किया और उस के साथ कैरोलिन को बांध दिया. घर में लूटपाट की और कैरोलिन की गला घोंट कर हत्या कर दी. सुबह 6 बजे पुलिस को बुलाने पर लुटेरे भाग गए.

दिल की धड़कनें घड़ी में हुईं कैद

इस के विपरीत जांच में पाया गया कि आधी रात को 12 बज कर 35 मिनट पर दंपति की ग्राउंड फ्लोर पर लगी सीसीटीवी कैमरे ने आखिरी तसवीर उतारी थी. उस में बाबिस सोफे पर बैठा दिखा था. उस की गोद में बेटी बैठी थी, उस के हाथ में फोन था. उस समय उस की कैरोलिन से बातचीत चल रही थी, जो किसी बात को ले कर कड़वी बहस में बदल गई थी. रात 1.20 बजे कैमरे की डिवाइस में स्टोर डेटा के अनुसार उस में से मेमोरी कार्ड हटा दिया गया था. पुलिस का कहना है कि ऐसा कैरोलिन द्वारा स्टूपिड कहने के बाद किया गया. पुलिस ने पाया कि मेमोरी कार्ड को आधा काट कर शौचालय में बहा दिया गया था. इसे अधिकारी ने पूर्वनियोजित हत्या की योजना बताया.

रात 12.35 बजे से सुबह 4 बजे तक बाबिस और कैरोलिन के बीच टेक्स्ट मैसेज के साथ बहस होती रही. उस दौरान कैरोलिन ने अपने एक दोस्त को भी मैसेज किया, जिस में उस ने लिखा कि वह अपने पति को छोड़ रही है और अभी रात में ही घर से किसी होटल में चली जाएगी.उसी बहस में बात इतनी बिगड़ गई कि कैरोलिन ने बाबिस से तलाक लेने तक के लिए कह दिया. कैरोलिन की कलाई से जुड़े फिटनैस ट्रैकर से पुलिस को पता लग गया कि उस दिन सुबह 4 बजे कैरोलिन के दिल की धड़कनें बढ़ गई थीं. अचानक दिल की बदली हुई गतिविधि से पता चला कि इस से दंपति के बीच लड़ाई बढ़ गई थी.

बाबिस ने इस बारे में पूछने पर बताया कि कैरोलिन ने उसे मारा, जिस से उसे भी उस पर गुस्सा आ गया और उसे बिस्तर पर धकेल दिया. उस के बाद उस ने तकिए से चेहरा दबा दिया.कैरोलिन के फिटनैस ट्रैकर से ही पता चला कि 4.11 बजे उस के दिल की धड़कनें रुक गईं. उस समय वह मर चुकी थी. पुलिस जांच में पता चला कि बाबिस ने उस के मुंह में रुई भर दी थी और फिर उस का गला घोंट दिया था.इस के बाद बाबिस ने ठंडे दिमाग से हत्या को नाटकीय रूप देने की योजना बनाई. पुलिस जांच के अनुसार, उस ने खिड़की के नीचे की कुंडी तोड़ी और अलमारी में थोड़ी तोड़फोड़ की. घर में लूटपाट का सीन बनाया.

इसी तरह से उस ने अपने पालतू कुत्ते को मार कर सीढ़ी के डब्बे में लटका दिया. उसे दिखा कर ही पुलिस को बताया लुटेरों ने उसे रास्ते में ही मार डाला होगा. फिर उस ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और खुद को बिस्तर से बांध लिया. उस के बाद पड़ोसी को फोन कर लुटेरों के बारे में बताया.इस डेटा ट्रेल के आगे बाबिस की एक नहीं चली. हालांकि उसे दबोचने में भी पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.कारण जब तक पुलिस को उस के आरोपी होने का प्रमाण मिला था, तब तक वह दूसरे देश में जा छिपा था. इस तरह से स्मार्टवाच ने कैरोलिन के अंतिम क्षण की जानकारी दे कर इस केस को खोलने में मदद की.
बाद में पुलिस ने बाबिस को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली. उसे ग्रीक की बड़ी जेल कोरयाडालोस में रखा गया. उस की गिरफ्तारी एक बहुचर्चित घटना थी.

मीडिया जगत से ले कर सोशल एक्टिविस्टों में उन की घोर निंदा हुई. सामाजिक संस्थाओं ने उसे सख्त सजा देने की मांग के साथ प्रदर्शन किए. पुलिस के सामने बाबिस को जेल से कोर्ट तक ले जाने की समस्या थी. इस की वजह यह थी कि प्रदर्शनकारी बाबिस को अपने हाथों से सजा देने की मांग कर रहे थे. रास्ते में बाबिस की जान को खतरा भी था, इसलिए भारी पुलिस सुरक्षा के बीच बाबिस को बुलेटपू्रफ जैकेट पहना कर जेल ले जाया गया और जज के सामने पेश किया.

वकीलों की शुरू हुई बहस में वह जल्द ही टूट गया और उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने 17 जून, 2021 को अपनी पत्नी को गला घोंट कर मारने की बात स्वीकार कर ली. साथ ही भावुकता के साथ कहा कि वह उस दौर के 6 मिनट का समय कभी नहीं भूल सकता है. क्योंकि पत्नी का गला घोंटते वक्त उस की बेटी लिडिया का चेहरा उस के सामने ही था. हालांकि उस ने हत्या का नाटक रचने के बारे में बताया कि ऐसा उस ने इसलिए किया, क्योंकि वह जेल नहीं जाना चाहता था और अपनी बेटी की परवरिश करना चाहता था.

पूछताछ में बाबिस ने अपने पालतू कुत्ते का गला घोंटने की भी बात स्वीकार ली. उस ने कहा कि उस ने ऐसा बनावटी घटना को प्रभावशाली दिखाने के लिए किया. हैलीकौप्टर पायलट बाबिस एनाग्नोस्टोपोलोस के अपना जुर्म स्वीकार करने के बाद अदालत ने 17 जून, 2021 को उसे कैरोलिन क्राउच और पालतू कुत्ते की हत्या का दोषी ठहराते हुए 15 साल जेल की सजा सुनाई.

खूबसूरत पत्नी की हत्या के बाद बाबिस को अब पछतावा हो रहा है, जबकि उस की बेटी लिडिया के पालनपोषण की जिम्मेदारी कैरोलिन क्राउच के ब्रिटिश पिता ने उठा ली है.हालांकि बाबिस चाहता है कि सजा काटने के बाद वही अपनी बेटी की देखभाल करे, लेकिन लिडिया के नानानानी नहीं चाहते कि वह अपनी ही मां के हत्यारे पिता की बेटी कहलाए.

संपादकीय

लगभग आजादी के बाद से भारत सरकारों का गरीबों की मुसीबतों से ध्यान बंटाने में कश्मीर बड़े काम का रहा है. जब भी महंगाईबेरोजगारीसूखाबाढ़पानी की कमीफसल के दामोंमजदूर कानूनमकानों की बात होती हैसरकारें कश्मीर के सवाल को खड़ा कर देती है कि पहले इसे सुलझा लें पिुर इन छोटे मामलों को देखेंगे. 1947 से ही कश्मीर की आग में लगातार तेल डाला जाता रहा है ताकि यह जलती रहे और देश की जनता को मूर्ख बनाया जाता रहे.

 

भारतीय जनता पार्टी के लिए तो यह मामला बहुत दिल के करीब है क्योंकि मुगल और अफगान शासनों के बाद डोगरा राज जब कश्मीर में आया तो ढेरों पंडितों को वहां अच्छे ओहदे मिले पर 1985 के बाद जब कश्मीर में आतंकवाद पनपने लगा तो उन्हें कश्मीर छोड़ कर जम्मू या अन्य राज्यों में जाना पड़ा. इन पंडितों की बुरी हालत का बखान भाजपा के लिए चुनावी मुद्दा रहा हैगरीबोंकिसानोंमजदूरों की मुसीबतें नहीं.

अब कश्मीर के मसले में पाकिस्तान की जगह अफगानिस्तान के तालिबानी भी आ कूद पड़े हैं. अफगानों ने कश्मीर पर 1752 से 1819 तक राज किया था और एक लाख से ज्यादा पश्तून वहां रहते हैं. तालिबानी शासकों ने साफसाफ कह दिया है कि उन्हें कश्मीर के मामले में बोलने का हक है. और चूंकि अफगानिस्तान पर पूरे कब्जे के बाद तालिबानियों के हौसले अब बुलंद हैं और चीनरूस भी उन से उलझने को तैयार नहीं और पाकिस्सन तो उन का साथी ही हीकश्मीर का विवाद अब तेज होगा ही.

नरेंद्र मोदी की सरकार अब इस मामले को चुनावों में वैसे भुनाती हैंयह देखना है. 1947 के बाद अफगानिस्तान कश्मीर के मामले में आमतौर पर चुप रहा है और पाकिस्तान ही कश्मीर की पैरवी करता रहा है. पाकिस्तान का नाम ले कर अपने यहां ङ्क्षहदू खतरे में है का नारा लगा कर चुनाव जीतना काफी आसान है. लोगों को चाहे फर्क नहीं पड़ता हो पर हवा जो बांजी जाती है उस में हाय पाकिस्तान हाय पाकिस्तान इतना होता है कि चुनाव में लगता है कि विपक्षी दल तो हैं ही नहीं और चुनाव में पाकिस्तान और देश में से एक को चुनना है. रोटीकपड़ामकान बाद में देखेंगेकश्मीर और पाकिस्तान को सुलझा लें.

तालिबानी लड़ाकूओं से निपटना भारत के लिए आसान नहीं होगा. काबुल और इस्लाबाद की दोस्ती की वजह से तालिबानी लड़ाकू आसानी से भारतीय सीमा पर डटे सैनिकों से भिडऩे आ सकते हैं. चूंकि तालिबानी मरने से डरते नहीं हैं और उन के जो अमेरिकी हथियारों का भंडार है उसे कश्मीर में ही इस्तेमाल किया जा सकता हैहमारे लिए ङ्क्षचता की बात है. हमें कश्मीर को तो बचाना है पर यह जो बहाना बनेगा सरकार के निकम्मेपन को छिपाने कायह दोहरी मार होगी.

अफगानिस्तान में अमरकी सेनाओं को भी भगा देने से अफगानों की हिम्मत बहुत बढ़ गई है और वे तालिबानी पंजे कहांकहां फैलाएंगे पता नहीं. भारत उन के चुंगल में फंसेगा या बचेगा अभी नहीं कहा जा सकता. कट्टर हिंदू भाजपा सरकार और कट्टर इस्लामी तालिबानी सरकारों को आपस में बनेगी इन की गुंजाइश कम है. गरीबों की रोजी रोटी और मकान के मसले चुनावी जंग में फिर पीछे कहीं चले जाएंगे.

मुलायम और लालू भेंट : उत्तर प्रदेश के रास्ते, केंद्र की तैयारी

उत्तर प्रदेश के रास्ते केंद्र की तैयारी बंगाल विधानसभा चुनाव से विपक्षी दलों ने जो सबक लिया वह यह कि सही रणनीति पर काम किया जाए तो भाजपा जैसी पार्टी को भी बुरी तरह मात दी जा सकती है. यही कारण है कि बेजान पड़ा विपक्ष अब अलग तेवर में नजर आ रहा है. 73 साल के लालू प्रसाद यादव ने 82 साल के मुलायम सिंह यादव से दिल्ली में मुलाकात की. इस बारे में लालू यादव और अखिलेश यादव ने ट्विटर के जरिए जनता को बताया. तब यह साफ हो गया कि लालू और मुलायम की जोड़ी सक्रिय हो गई है. यह जोड़ी सब से पहले उत्तर प्रदेश के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को घेरने का काम करेगी. उस के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार बनाने के लिए कड़ी चुनौती देने की योजना पर काम करेगी.

लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात देने के लिए सब से जरूरी है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात दी जाए. उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा की सीटें हैं. यहां अगर भाजपा को रोका जा सका तो लोकसभा चुनाव में उस की राह कठिन हो जाएगी. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मुलायम के साथ चर्चा की जानकारी देते कहा, ‘‘मुलायम के साथ खेतखलिहान, गैरबराबरी, अशिक्षा, किसानों, गरीबों और बेरोजगारों के लिए हमारी सा झा चिंताएं और लड़ाई है. आज देश को पूंजीवाद और संप्रदायवाद नहीं बल्कि लोकसमता एवं समाजवाद की अत्यंत जरूरत है.’’ इस मुलाकात के समय सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ उन के बेटे व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मौजूद थे. वैसे, लालू और मुलायम पुराने दोस्त होने के साथ ही साथ रिश्तेदार भी हैं. लालू यादव के साले साधू यादव की बेटी और मुलायम सिंह यादव के नाती की शादी हुई है. ऐसे में एकदूसरे से मिलना कोई खास बात नहीं है.

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भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्षी एकता लालू और मुलायम की बातचीत में अखिलेश यादव का मौजूद रहना और बाद में मुलाकात की जानकारी लोगों को देना बताता है कि मुलाकात का राजनीतिक कारण भी था. लालू यादव ने अपनी फोटो के साथ इस बात को लिखा भी कि किस बात पर दोनों में चर्चा हुई. मुलाकात के समय मुलायम और अखिलेश ने समाजवादी पार्टी की लाल टोपी भी पहन रखी थी जिस से राजनीतिक संदेश दिया जा सके. पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी ने भाजपा को जिस तरह से पटखनी दी है उस से सभी दलों को यह बात सम झ आ गई कि अगर सही तरह से चुनाव लड़ा जाए तो भाजपा को हराया जा सकता है. उस के बाद से दिल्ली में भाजपा को घेरने के लिए विपक्षी एकता के लिए आपसी भेंटमुलाकातों का दौर शुरू हो गया है. इस में अलगअलग नेताओं की आपस में बातें चल रही हैं. सभी का लक्ष्य एक है. तृणमूल कांग्रेस की तरफ से राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं.

लालू, मुलायम और अखिलेश की मुलाकात को भी विपक्षी एकता के सूत्रधार के रूप में देखा जा रहा है. समाजवादी पार्टी ही है मुख्य विपक्षी 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 80 सीटों में से 71 सीटें मिली थीं. भाजपा की सहयोगी अपना दल को 2 सीटें मिली थीं. समाजवादी पार्टी को 5 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 62 सीटें मिलीं. उस को 9 सीटों का नुकसान हुआ. अपना दल को 2 सीटें मिलीं. सपा-बसपा गठबंधन को 16 सीटें मिलीं. इन में बसपा के खाते में 10 और सपा के खाते में 5 सीटें आईं. कांग्रेस के खाते में महज एक सीट आई. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 312 सीटें मिलीं और समाजवादी पार्टी गठबंधन को 54 व बसपा को 19 सीटें ही मिल सकीं. अकेले सपा को 47 सीटें ही मिलीं थी. भाजपा को 61 फीसदी वोट मिले थे. 2012 में जब समाजवादी पार्टी की बहुमत से सरकार बनी थी तो उसे 224 सीटें मिली थीं. भाजपा को 47 सीटें मिलीं थीं और 2007 के विधानसभा चुनाव में बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा की 80 सीटें थीं.

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लोकसभा चुनाव में 2014 के मुकाबले भाजपा को 2019 में 9 सीटों का नुकसान हुआ था, जबकि विधानसभा चुनाव में वह 312 सीटें हासिल कर चुकी थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अगर सत्ता से बाहर किया जा सका तो 2024 में लोकसभा चुनाव में वह केंद्र में सरकार बनाने लायक सीटें नहीं ला पाएगी. ऐसे में सभी दलों के निशाने पर उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव है. सभी बड़े नेताओं को यह लगता है कि अगर भाजपा को उत्तर प्रदेश के चुनाव में पटखनी दे दी गई तो केंद्र की सत्ता से उस को बाहर किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुकाबले सब से बड़े लड़ाके के रूप में समाजवादी पार्टी ही है. जरूरत इस बात की है कि सभी दल रणनीतिक रूप से समाजवादी पार्टी को उस तरह से ही समर्थन दें जिस तरह से पश्चिम बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी का साथ दिया गया था. राह दिखाएंगे पुरानी पीढ़ी के नेता भाजपा के खिलाफ सा झा विपक्षी ताकत को एकजुट करने के लिए पुराने नेता ही राह दिखाने का काम करेंगे. इन में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस नेता शरद पंवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सपा नेता मुलायम सिंह यादव और राजद के नेता लालू प्रसाद यादव प्रमुख हैं.

इन के एकसाथ जुटने से भाजपा का विरोध कर रहे दूसरे नेता भी एकजुट हो सकते हैं. उत्तर प्रदेश में छोटेछोटे कई ऐसे दल हैं जो एकजुट हो कर भाजपा के समीकरण को बिगाड़ने का काम कर सकते हैं. इन में लोकदल प्रमुख है. इस का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव है. अखिलेश यादव ने ‘आम आदमी पार्टी’ से भी बात की है. लोकदल के जयंत चौधरी और आप के संजय सिंह जैसे नई पीढ़ी के नेताओं से अखिलेश यादव बात कर रहे हैं. नए नेताओं के मुकाबले पुराने नेताओं को ले कर जनता में अच्छी राय है. पुरानी पीढ़ी के ये नेता भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता के सूत्रधार बन सकते हैं.

इन में से अधिकांश दल यूपीए सरकार में कांग्रेस के सहयोगी रहे भी हैं. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के साथ इन सभी नेताओं के मधुर संबंध हैं. लालू प्रसाद यादव उन में से सब से खास हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की तरफ से ज्यादातर फैसले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तरफ से लिए गए थे. सोनिया गांधी अपनी बीमारी की वजह से सक्रिय नहीं थीं. केंद्रीय स्तर पर सोनिया गांधी के दोबारा सक्रिय होने से इस बात को बल मिल रहा है कि पिछली पीढ़ी के ये नेता भाजपा के खिलाफ देशभर में माहौल बनाने का काम कर सकते हैं. विपक्षी एकता की असली परीक्षा उत्तर प्रदेश चुनाव में होगी. अगर उत्तर प्रदेश में यह लड़ाई सफल रही तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करना सरल हो जाएगा.

शेष चिह्न

चॉकलेट चाचा : रूपल ने पार्क में क्या देखा

रूपल के पति का तबादला दिल्ली हो गया था. बड़े शहर में जाने के नाम से ही वह तो खिल गई थी. नया शहर, नया घर, नए तरीके का रहनसहन. बड़ी अच्छी जगह के अपार्टमैंट में फ्लैट दिया था कंपनी ने. नीचे बहुत बड़ा एवं सुंदर पार्क था, जिस में शाम के समय ज्यादातर महिलाएं अपने बच्चों को ले कर आ जातीं. बच्चे वहीं खेल लेते और महिलाएं भी हवा व बातों का आनंद लेतीं. हरीभरी घास में रंगबिरंगे कपड़े पहने बच्चे बड़े ही अच्छे लगते.

रूपल ने भी सोसाइटी के रहनसहन को जल्दी ही अपना लिया और शाम के समय अपनी डेढ़ वर्षीय बेटी को पार्क में ले कर जाने लगी. एक दिन उस ने देखा कि एक बुजुर्ग के पार्क में आते ही सभी बच्चे दौड़ कर उन के पास पहुंच गए और चौकलेट चाचा, चौकलेट चाचा कह कर उन से चौकलेट लेने लगे. सभी बच्चों को चौकलेट दे वे रूपल के पास भी आए और उस से भी बातें करने लगे. फिर रूपल व उस की बेटी को भी 1-1 चौकलेट दी.

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पहले तो रूपल ने झिझकते हुए चौकलेट लेने से इनकार कर दिया, किंतु जब चौकलेट चाचा ने कहा कि बच्चों के चेहरे पर खुशी देख उन्हें बहुत अच्छा लगता है, तो उस ने व उस की बेटी ने चौकलेट ले ली.

पूरे अपार्टमैंट के लोग उन्हें चौकलेट चाचा के नाम से पुकारते, इसलिए अब रूपल की बेटी भी उन्हें चौकलेट चाचा कहने लगी और उन से रोज चौकलेट लेने लगी. वह भी और बच्चों की तरह उन्हें देख कर दौड़ पड़ती. ऐसा करतेकरते 6 माह बीत गए. अब तो रूपल की अपार्टमैंट में सहेलियां भी बन गई थीं. एक दिन उस की एक सहेली ने जिस की 10 वर्षीय बेटी थी, उस से पूछा, ‘‘क्या तुम चौकलेट चाचा को जानती हो?’’

रूपल ने कहा, ‘‘हां बहुत अच्छे इंसान हैं. सारे बच्चों को बहुत प्यार करते हैं.’’ उस की सहेली ने कहा, ‘‘मैं ने सुना है कि चौकलेट के बदले लड़कियों को अपने गालों पर किस करने के लिए बोलते हैं.’’

रूपल बोली, ‘‘ऐसा तो नहीं देखा.’’

सहेली ने आगाह करते हुए कहा, ‘‘तुम थोड़ा ध्यान देना इस बार जब वे पार्क में आएं.’’

रूपल ने जवाब में ‘हां’ कह दिया. अगले ही दिन जब रूपल अपनी बेटी को ले कर पार्क गई तो उस ने देखा कि चौकलेट चाचा वहां बैठे थे. उस की बेटी दौड़ कर उन के पास गई और उन के गालों पर किस कर दिया. रूपल तो यह देखते ही सन्न रह गई. वह तो समझ ही न पाई कि कब व कैसे चौकलेट चाचा ने उस की बेटी को किस करने के लिए ट्रेंड कर दिया था. वह चौकलेट के लालच में उन्हें किस करने लगी थी.

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अब जब भी वह पार्क में जाती तो चौकलेट चाचा को देखते ही सतर्क हो जाती और हर बार उन्हें मना करती कि वे उस की बेटी को चौकलेट न दें. वह यह भी देखती कि चौकलेट चाचा अन्य लड़कियों को गले लगाते एवं कुछ की छाती व पीठ पर भी मौका पाते ही हाथ फिरा देते. यह सब देख उसे घबराहट होने लगी थी और वह स्तब्ध रह जाती थी कि चौकलेट चाचा कैसे सब लड़कियों को ट्रेनिंग दे रहे थे और उन की मासूमियत और अपने बुजुर्ग होने का फायदा उठा रहे थे.

उस ने अपने पति को भी यह बात बताई, तो जब कभी वह अपने पति व बेटी के साथ पार्क जाती और चौकलेट चाचा को देखती तो उस के पति यह कह देते कि उन की बेटी को डाक्टर ने चौकलेट खाने के लिए मना किया है, इसलिए वे उसे न दें. पर चौकलेट चाचा तो उसे चौकलेट दिए बिना मानते ही नहीं थे. दोनों पतिपत्नी ने उन्हें कई बार समझाया, पर वे किसी न किसी तरह उन की बेटी को चौकलेट दे ही देते.

अब रूपल चौकलेट चाचा को देखते ही अपनी बेटी को उन के सामने से हटा ले जाती, लेकिन चौकलेट चाचा तो अपार्टमैंट में सब जगह घूमते और उस की बेटी को चौकलेट दे ही देते. बदले में उस की बेटी उन्हें बिना बोले ही किस कर देती.

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अब रूपल मन ही मन डरने लगी थी कि इस तरह तो उस की बेटी चौकलेट या किसी अन्य वस्तु के लिए किसी के भी पीछे चल देगी. और वह इतनी बड़ी भी न थी कि वह उसे समझा सके. इस तरह तो कोई भी उस की बेटी को बहलाफुसला सकता है. उस ने फैसला कर लिया कि अब वह चौकलेट चाचा को मनमानी नहीं करने देगी.

अगले दिन जब चौकलेट चाचा अपने अन्य बुजुर्ग मित्रों के साथ पार्क में आए और जैसे ही उस की बेटी को चौकलेट देने लगे, वह चीख कर बोली, ‘‘मैं आप को कितनी बार बोलूं कि आप मेरी बेटी को चौकलेट न दें.’’ इस बार चौकलेट चाचा रूपल का मूड समझ गए. उन के मित्र तो इतना सुन कर वहां से नदारद हो गए. चौकलेट चाचा भी बिना कुछ बोले वहां से खिसक लिए. किसी बुजुर्ग से इस तरह व्यवहार करना रूपल को अच्छा न लगा, इसलिए वह पार्क में अकेले ही चुपचाप बैठ गई.

तभी वे सभी महिलाएं जो आसपास थीं और यह सब होते देख रही थीं, उस के पास आईं. उन में से एक बोली, ‘‘हां, तुम ने ठीक किया. हम सभी चौकलेट चाचा की इन हरकतों से बहुत परेशान हैं. ये तो लिफ्ट में आतीजाती महिलाओं को भी किसी न किसी बहाने स्पर्श करना चाहते हैं. मगर इन की उम्र का लिहाज करते हुए महिलाएं कुछ बोल नहीं पातीं.’’ उस के इतना कहने पर सब एकएक कर अपनेअपने किस्से बताने लगीं.

अब रूपल को समझ में आ गया था कि चौकलेट चाचा की हरकतों को कोई भी पसंद नहीं कर रहा था, लेकिन कहते हैं न कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे, इसीलिए सभी चुप थीं.

उस दिन वह गहरी सोच में पड़ गई कि क्या यही है हमारा सभ्य समाज, जहां लोग अपनी उम्र की आड़ में या फिर लोगों द्वारा किए गए लिहाज का फायदा उठाते हुए मनमानी या यों कहिए कि बदतमीजी करते हैं? और तो और मासूम बच्चों को भी नहीं छोड़ते.

अब उसे अपने किए पर कोई पछतावा न था और अपने उठाए कदम की वजह से वह अपार्टमैंट की सभी महिलाओं की अच्छी सहेली बन गई थी. उस के द्वारा की गई पहल पर सब उसे बधाइयां  दे रहे थे.

 

शेष चिह्न – भाग 2 : निधि की क्या मजबूरी थी

लेखिका- डा. छाया श्रीवास्तव

‘‘नहीं रे, मजाक नहीं कर रही… दुहेजा है.’’

‘‘कहीं दहेज के चक्कर में पहली को मार तो नहीं डाला. क्या चक्कर है?’’ मैं बोली.

‘‘यह मेरी मौसी की ननद का देवर है,’’ निधि ने बताया.

‘‘सेल्स टेक्स कमिश्नर है. तीसरी बार बेटे को जन्म देते समय पत्नी की मौत हो गई थी.’’

‘‘तो क्या 2 संतान और हैं?’’

‘‘हां, 1 बेटी 10 साल की, दूसरी 8 साल की.’’

‘‘तो तुझे सौतेली मां का दर्जा देने आया है?’’

‘‘यह तो है पर पत्नी की मृत्यु के 4 साल बाद बड़ी मुश्किल से दूसरी शादी को तैयार हुआ है. घर पर बूढ़ी मां हैं. एक बड़ी बहन है जो कहीं दूर ब्याही गई है, बढ़ती बच्चियों को कौन संभाले. वह ठहरे नौकरीपेशा वाले. समय खराब है. इस से उन्हें तैयार होना पड़ा.’’

‘‘तो तू जाते ही मां बनने को तैयार हो गई, मदर इंडिया.’’

‘‘हां रे. अम्मांबाबूजी तो तैयार नहीं थे. मौसी प्रस्ताव ले कर आई थीं. मुझ से पूछा तो मैं क्या करती. जन्म भर अम्मांबाबूजी की छाती पर मूंग तो न दलती. दीदी व उन की बेटी बोझ बन कर ही तो रह रही हैं. फिर 2 बहनें और भी शूल सी गड़ती होंगी उन की आंखों में. कब तक बैठाए रहेंगे बेटियों को छाती पर?

‘‘मैं अगर इस रिश्ते को हां कर दूंगी तो सब संभल जाएगा. धन की उन के यहां कमी नहीं है, लखनऊ में अपनी कोठी है. ढेरों आम व कटहल के बगीचे हैं. नौकरचाकर सब हैं.

‘‘मैं सब को ऊपर उठा दूंगी, मीनू,’’ निधि ने जैसे अपने दर्द को पीते हुए कहा, ‘‘मेरे मातापिता की कुछ उम्र बच जाएगी नहीं तो उन के बाद हम सब कहां जाएंगे. बाबूजी 2 वर्ष बाद ही तो रिटायर हो रहे हैं, फिर पेंशन से क्या होगा इतने बड़े परिवार का? बता तो तू?’’

मैं ने निधि को खींच कर छाती से लगा लिया. लगा, एक इतनी खूबसूरत हस्ती जानबूझ कर अपने को परिवार के लिए कुरबान कर रही है. मेरे साथ वह भी फूटफूट कर रो पड़ी.

निधि शाम को आने का मुझ से वचन ले कर वापस लौट गई. फिर शाम को भारी मन लिए मैं उस के घर पहुंची. उस की मौसी आ चुकी थीं और वर के रूप में भूपेंद्र बैठक में आराम कर रहे थे. निधि को अभी देखा नहीं था. मैं मौसी के पास बैठ कर वर के घर की धनदौलत का गुणगान सुनती रही.

‘‘बेटी, तुम निधि की सहेली हो न,’’ मौसी ने पूछा, ‘‘वह खुश तो है इस शादी से, तुम से कुछ बात हुई?’’

‘‘मौसी? यह आप स्वयं निधि से पूछ लो. पास ही तो बैठी है वह.’’

‘‘वह तो कुछ बोलती ही नहीं है, चुप बैठी है.’’

‘‘इसी में उस की भलाई है,’’ मैं जैसे बगावत पर उतर आई थी.

‘‘मीनू, तुम नहीं जानती घर की परिस्थिति, पर मुझ से कुछ छिपा नहीं है. निधि की मां मुझ से छोटी है. उसी के आग्रह पर मैं अब तक कई लड़के वालों के पतेठिकाने भेजती रही पर बेटा, पैसों के लालची आज के लोग रूपगुण के पारखी नहीं हैं…फिर आरती में क्या कमी है, लेकिन क्या हुआ उस के साथ…मय ब्याज के वापस आ गई…ये निधि है 28 पार कर चुकी है. आगे 2 और हैं.’’

मैं उन के पास से उठ आई, ‘‘चल निधि, कमरे में बैठते हैं.’’

वह उठ कर अंदर आ गई.

मैं ने जबरन निधि को उठाया. उस का हाथमुंह धुलाया और हलका सा मेकअप कर के उसे मौसी की लाई साडि़यों में से एक साड़ी पहना दी, क्योंकि निधि को शाम का चायनाश्ता ले कर अपने को दिखाने जाना था. सहसा वर बैठक से निकल कर बाथरूम की ओर गया तो मैं अचकचा गई. कौन कह सकता है देख कर कि वह 40 का है. क्षण भर में जैसे अवसाद के क्षण उड़ गए. लगा, भले ही वर दुहेजा है पर निधि को मनचाहा वरदान मिल गया.

शाम के समय लड़की दिखाई के वक्त नाश्ते की प्लेटें लिए निधि के साथ मैं भी थी. तैयार हो कर तरोताजा बैठा प्रौढ़ जवान वर सम्मान में उठ कर खड़ा हो गया और उस के मुंह से ‘बैठिए’ शब्द सुन कर मन आश्वस्त हो उठा.

हम दोनों बैठ गए. निधि ने चाय- नाश्ता सर्व किया तो उस ने प्लेट हम लोगों की ओर बढ़ा दी. फिर हम दोनों से औपचारिक वार्त्ता हुई तो मैं ने वहां से उठना ही उचित समझा. खाली प्लेट ले कर मैं बाहर आ गई. दोनों आपस में एकदूसरे को ठीक से देखपरख लें यह अवसर तो देना ही था. फिर पूरे आधे घंटे बाद ही निधि बाहर आई.

‘‘क्या रहा, निधि?’’ मैं निकट चली आई.

‘‘बस, थोड़ी देर इंतजार कर,’’ यह कह कर निधि मुझे ले कर एक कमरे में आ गई. फिर 1 घंटे बाद जो दृश्य था वह ‘चट मंगनी पट ब्याह’ वाली बात थी.

रात 8 बजतेबजते आंगन में ढोलक बज उठी और सगाई की रस्म में जो सोने की चेन व हीरे की अंगूठी उंगलियों में पहनाई गई उन की कीमत 60 हजार से कम न थी.

15 दिन बाद ही छोटी सी बरात ले कर भूपेंद्र आए और निधि के साथ भांवरें पड़ गईं. इतना सोना चढ़ा कि देखने वालों की आंखें चौंधिया गईं. सब यह भूल गए कि वर अधिक आयु का है और विधुर भी है. बस, एक बात से सब जरूर चकरा गए थे कि दूल्हे की दोनों बेटियां भी बरात में आई थीं. पर वे कहीं से भी 12 और 8 की नहीं दिखती थीं. बड़ी मधु 16 वर्ष और छोटी विधु 12 की दिखती थीं. जवानी की डगर पर दोनों चल पड़ी थीं. सब को अंदाज लगाते देर नहीं लगी कि वर 50 की लाइन में आ चुका है.

निधि से कोई कुछ न कह सका. सब तकदीर के भरोसे उसे छोड़ कर चुप्पी लगा गए. 1 माह तक ससुराल में रह कर निधि जब 10 दिन के लिए मायके आई थी तो मैं ही उस से मिलने पहुंची थी. सोने से जैसे वह मढ़ गई थी. एक से बढ़ कर एक महंगे कपड़े, साथ ही सारे नए जेवर.

एक बात निधि को बहुत परेशान किए थी कि वे दोनों लड़कियां किसी प्रकार से विमाता को अपना नहीं पा रही थीं. बड़ी तो जैसे उस से सख्त नफरत करती, न साथ बैठती न कभी अपने से बोलती. पति से इस बात पर चर्चा की तो उन्होंने निधि को समझा दिया कि लोगों ने या इस की सहेलियों ने इस के मन में  उलटेसीधे विचार भर दिए हैं. धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा. अपनी बूढ़ी दादीमां का कहना भी वे दोनों टाल जातीं.

निधि हर समय इसी कोशिश में रहती कि वे दोनों उसे मां के बजाय अपना मित्र समझें. इस को निधि ने बताने की भी कोशिश की पर वे दोनों अवहेलना कर अपने कमरों में चली गईं. खाने के समय पिता के कई बार बुलाने पर वे डाइनिंग रूम में आतीं और थोड़ाबहुत खा कर चल देतीं. पिता भी जैसे पराए हो गए थे. पिता का कहना इस कान से सुनतीं उस कान निकाल देतीं.

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