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स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रेरणास्रोत है प्रधानमंत्री जी

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सबको स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपने को पूरा किया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी ने 03 वर्ष पूर्व दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा कवर योजना आयुष्मान भारत प्रारम्भ की थी. आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत देश में 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जा रहा है. इस योजना से प्रदेश में 06 करोड़ लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.

मुख्यमंत्री जी लोक भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों को आयुष्मान कार्ड का वितरण कर रहे थे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने 15 लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड अपने कर कमलों से प्रदान किए. उल्लेखनीय है कि आज प्रदेश के प्रत्येक जनपद में ब्लाॅक स्तर पर एक ही दिन में लगभग 01 लाख पात्र लोगों को इस योजना के अन्तर्गत आयुष्मान कार्ड का वितरण किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार एस0ई0सी0सी0 की सूची में कुछ परिवार आयुष्मान भारत योजना से वंचित रह गये थे. प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान से 8.45 लाख वंचित परिवारों के लगभग 45 लाख व्यक्तियों को जोड़ा गया. प्रदेश के 40 लाख से अधिक अन्त्योदय परिवार, जो आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से आच्छादित होने से रह गये थे, उन परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत आच्छादित किया जा रहा है. इससे प्रदेश की एक बड़ी आबादी लाभान्वित होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी प्रवासी एवं निवासी श्रमिकों, जिनका रजिस्ट्रेशन श्रम विभाग में है, उनको 02 लाख रुपये का सामाजिक सुरक्षा कवर एवं 05 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध करा रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी इन सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रेरणास्रोत हैं. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता के साथ-साथ आमजन को जीने की एक राह दिखायी है. इसके अन्तर्गत लाभार्थी आयुष्मान भारत योजना में इम्पैनल्ड किसी अस्पताल में अपना उपचार करा सकता है.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने कहा कि लौकिक व अलौकिक जगत में जो मानवीय कार्य किये जाते हैं, वे दूसरों की जिन्दगी बनाते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक करोड़ से अधिक परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान किया जा रहा है. पूर्ववर्ती सरकार में मात्र 30 हजार रुपये स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान किया गया था. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में वर्तमान में 05 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रधानमंत्री जी का अनुकरण करते हुए प्रदेश में सबसे निचले स्तर पर खड़े व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए आज 40 लाख से अधिक परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत जोड़ा जा रहा है.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि अन्तिम पायदान के 40 लाख अन्त्योदय राशन कार्डधारक परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत जोड़ा जा रहा है.इस अवसर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री अतुल गर्ग, नीति आयोग के सदस्य डाॅ0 विनोद पाॅल, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, निदेशक आई0आई0टी0 कानपुर श्री अभय करंदीकर, टीम-09 के सभी सदस्य, सूचना निदेशक श्री शिशिर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के 40.79 लाख अन्त्योदय राशन कार्डधारक परिवारों के 1.30 करोड़ सदस्यों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान में शामिल किया गया है. शुरुआती 10 दिनों में ही लगभग 02 लाख लोगों ने इस योजना के अन्तर्गत अपना कार्ड बनवा लिया. समय-समय पर ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ के अन्तर्गत नई श्रेणियों को जोड़े जाने की भी व्यवस्था प्रदेश सरकार ने की और यह सुनिश्चित किया कि प्रदेश का कोई भी गरीब और वंचित परिवार योजना के दायरे से बाहर न रहे.

इसी क्रम में श्रम विभाग में पंजीकृत 11.65 लाख निर्माण श्रमिक परिवारों को भी योजना की पात्रता सूची में जोड़ा गया. ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ के माध्यम से प्रदेश के लगभग 61 लाख परिवारों के 1.87 करोड़ व्यक्तियों को 05 लाख रुपए तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलना सम्भव हो सका है.

प्रारम्भ में ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश की 24 प्रतिशत आबादी को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल रहा था, लेकिन प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ लागू होने से 13 प्रतिशत अतिरिक्त परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवर से जोड़ा गया. इसका परिणाम है कि आज प्रदेश की लगभग 37 प्रतिशत आबादी को 05 लाख रुपए तक की निःशुल्क उपचार सुविधा का लाभ मिल रहा है. इससे सतत विकास लक्ष्य के तहत गरीबी उन्मूलन और सबके लिए स्वास्थ्य के लक्ष्यों की पूर्ति में मदद मिलेगी.

त्योहारों के समय में निर्बाध विद्युत आपूर्ति आवश्यक – मुख्यमंत्री

लखनऊ . मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सायं 06 बजे से प्रातः 07 बजे तक निरन्तर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि वर्तमान समय पर्वों एवं त्योहारों का है. प्रदेशवासी नवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं. विभिन्न स्थलों पर रामलीला आदि का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे समय में रात्रि में निर्बाध विद्युत आपूर्ति आवश्यक है.

मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में विद्युत व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे. सभी मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, ए0डी0जी0, बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक में सम्मिलित हुए. उन्होंने यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन को प्रदेश में विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति के सम्बन्ध में गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्युत संयंत्रों को पर्याप्त कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक उपभोक्ता बिजली के बिल का भुगतान करना चाहता है. त्रुटिपूर्ण विद्युत बिलों से उपभोक्ता परेशान होता है, जिससे विद्युत बिल का कलेक्शन प्रभावित होता है. त्रुटिपूर्ण विद्युत बिलों के कारण उपभोक्ता को परेशानी नहीं होनी चाहिए. एग्रीमेण्ट के अनुसार कार्य न करने वाली विद्युत बिलिंग एजेंसियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए. ऐसी एजंेसियों की सिक्योरिटी जब्त की जाए, उनके विरुद्ध एफ0आई0आर0 कराने के साथ ही ब्लैक लिस्ट भी किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने विद्युत बिलों के सम्बन्ध में शीघ्र ही एकमुश्त समाधान योजना (ओ0टी0एस0) लागू करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि खराब ट्रांसफार्मर्स को निर्धारित व्यवस्था के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 48 तथा शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टों में आवश्यक रूप से बदला जाए. बदले गए ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता भी परखी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर्स की क्षमता वृद्धि के सम्बन्ध में पूर्व में लागू व्यवस्था को पुनः क्रियान्वित किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही की जाए. ट्यूबवेल के कनेक्शन समयबद्ध ढंग से प्रदान किए जाएं. जिस किसी किसान ने ट्यूबवेल के कनेक्शन के सम्बन्ध में भुगतान कर दिया है, उन्हें तत्काल विद्युत कनेक्शन प्रदान कर दिए जाएं. ऐसे मामलों को लम्बित न रखा जाए. सौभाग्य योजना सहित अन्य योजनाओं के लाभार्थियों के विद्युत बिलों में गड़बड़ी के मामलों का तत्काल समाधान कराया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगमों तथा केस्को के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विद्युत व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. उन्होंने सभी विद्युत वितरण निगमों को विद्युत व्यवस्था सुचारु बनाए रखने तथा लाइन लॉस को कम करने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बैठक में दिए गए निर्देशों के सम्बन्ध में सभी विद्युत वितरण निगमों के प्रबन्ध निदेशक फीडर स्तर पर जवाबदेही तय कर कार्य करें. यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन के स्तर पर प्रतिदिन इनकी समीक्षा विद्युत वितरण निगमवार होनी चाहिए. हर दूसरे दिन अपर मुख्य सचिव ऊर्जा द्वारा प्रगति की समीक्षा की जाए तथा रिपोर्ट ऊर्जा मंत्री को उपलब्ध करायी जाए. ऊर्जा मंत्री द्वारा प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा की जाए.

इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकान्त शर्मा, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव ऊर्जा श्री आलोक सिन्हा, पुलिस महानिदेशक श्री मुकुल गोयल, यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन श्री एम0 देवराज, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम एवं पारेषण निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री पी0 गुरुप्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

स्वाद सुगंध से भरपूर अल्पान केला, बिहार का चीनिया केला

लेखक- भानु प्रकाश राणा

अल्पान केले को विभिन्न प्रदेशों में चंपा, चीनी चंपा, चीनिया, डोरा वाज्हाई, कारपुरा चाक्काराकेली इत्यादि नामों से जानते हैं. ये सभी प्रजातियां मैसूर समूह में आती हैं. स्वाद और सुगंध से भरपूर यह प्रजाति किसानों के लिए फायदे की फसल होती है. डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार के प्रोफैसर सह मुख्य वैज्ञानिक (पौधा रोग) डाक्टर एसके सिंह ने बताया कि यह बिहार, तमिलनाडु, बंगाल व असम की एक मुख्य व प्रचलित किस्म है. इस का पौधा लंबा और पतला होता है. फल छोटे, उन की छाल पीली और पतली, कड़े गूदेदार, मीठा, कुछकुछ खट्टा व स्वादिष्ठ होता है. फलों का घौंद 20-25 किलोग्राम का होता है. प्रति घौंद 20-22 हत्था और प्रति हत्था 20-22 फिंगर्स (केला) होता है. इस प्रकार से कुल फलों की संख्या 250-450 हो सकती है. प्रकंद से लगाने पर फसल चक्र 16-17 महीने का होता है.

केले की खेती के लिए 6 से 7.5 पीएच मान की अम्लीय मिट्टी काफी अच्छी मानी जाती है. खेतों की मिट्टी की जांच कराने के बाद उस का सही इलाज कर के किसी भी खेत में केले की खेती की जा सकती है. केले की खेती के लिए सब से अच्छी बात यह है कि इसे सालभर में कभी भी लगाया जा सकता है. इस के पौधों को मजबूत बनाने के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम की जरूरत होती है. प्रति हेक्टेयर केले के 3,630 पौधे ही लगाने चाहिए और पौधों के बीच तकरीबन 1.82 मीटर की दूरी रखनी चाहिए. चीनिया केला बिहार की लोकप्रिय किस्म है. इस के पौधे केले की दूसरी प्रजातियों की तुलना में ज्यादा कोमल, पतले और कम बढ़वार वाले होते हैं. वैशाली जिले में चीनिया केले की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. इस के अलावा समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर जिलों में भी इस की बहुतायत खेती होती है. चीनिया केले का तना लंबा, पतला और हलके रंग का होता है. इस के पत्ते चौड़े और लंबे होते हैं. इस केले की घौंद काफी कसी हुई होती है. पके हुए चीनिया केले के छिलके का रंग चमकीला पीला होता है. इस के फलों की भंडारण कूवत बाकी किस्म के केलों से बेहतर होती है.

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पके हुए फलों को कमरे के सामान्य तापमान पर 3-4 दिनों के लिए भंडारित किया जा सकता है. इस का पौधा पनामा रोग के प्रति कुछ हद तक अवरोधी होता है. इस में केवल धारीदार विषाणु रोग का प्रकोप ज्यादा होता है. लेकिन बिहार के वैशाली इलाके में यह प्रजाति पर पनामा बिल्ट, अंत:विगलन रोग व शीर्ष गुच्छ रोग भी ज्यादा लगता है. भारत में इस प्रजाति के केलों की खेती मुख्यत: बहुवर्षीय पद्धति के आधार पर हो रही है. अल्पान केले की खूबी यह है कि पकने के बाद इस में सुगंध आने लगती है. यह खाने में स्वादिष्ठ और मीठा होता है. वैशाली जिले में उत्पादित अल्पान प्रजाति के केले की आपूर्ति देशप्रदेश के विभिन्न भागों में बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां से केला नेपाल तक जाता है.

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बिहार के कई हिस्सों में इस प्रजाति के केले की खेती होती है. इस प्रजाति के केले उत्तर प्रदेश के बलिया, गोरखपुर, वाराणसी, ?ारखंड के देवघर, रांची, हजारीबाग, कोडरमा सहित बिहार के पटना, बिहारशरीफ, जहानाबाद, गया, छपरा, मुंगेर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, दरभंगा, मधुबनी, मोतिहारी जिले के कारोबारी यहां से केला ले जाते हैं. पनामा बिल्ट रोग लगने के कारण भी केले के उत्पादन पर काफी असर पड़ रहा है. इस रोग के प्रबंधन की तकनीक डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध है. केवल जरूरत इस बात की है कि इस रोग के प्रति केला उत्पादक किसानों को जागरूक किया जाए.

राजनीति कैप्टन हुए आउट, चन्नी नए कप्तान

अपमान का बोझ लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जब इस्तीफा देने गवर्नर हाउस पहुंचे तो उस वक्त उन के साथ पत्नी परनीत कौर भी मौजूद थीं. राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को इस्तीफा सौंपने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुल कर कांग्रेस आलाकमान से अपनी नाराजगी जाहिर की. पटियाला राजघराने से ताल्लुक रखने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जब दूसरी बार 2017 में पंजाब की कमान संभाली थी तो चंडीगढ़ के मुख्यमंत्री आवास से ले कर पटियाला के महल तक रंगगुलाल उड़ा था कि जैसे फागुन झूम उठा हो. ढोलनगाड़ों की आवाजें और झूमतीनाचती पगडि़यों के साथ पंजाब की जनता ने अपने नए सरदार का इस्तकबाल किया था.

‘चाउंदा है पंजाब, कैप्टन दी सरकार’ नारे ने ‘हरहर मोदी, घरघर मोदी’ के नारे को ध्वस्त किया और तत्कालीन सत्ताधारी शिअद-भाजपा को घुटने टेकने पर मजूबर कर दिया. पंजाब में सब ठीक चल रहा था जब तक नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस जौइन नहीं की थी. सिद्धू ने पार्टी में आते ही कप्तान की कुरसी हिलानी शुरू कर दी. बेबाक अंदाज वाले सिद्धू राहुल और प्रियंका वाड्रा की पसंद थे. पार्टी जीती तो सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चाएं तेज हो गईं. लेकिन कैप्टन ने साफ कह दिया कि पंजाब को डिप्टी सीएम की जरूरत नहीं है. अतिमहत्त्वाकांक्षी सिद्धू के लिए यह नाक का सवाल बन गया. फिर उन की पत्नी को चुनाव में टिकट न मिलने से वे और नाराज हो गए. बीते 6 महीने में दिल्ली आ कर उन्होंने राहुलप्रियंका के साथ कई मीटिंगें कीं, दबाव बनाया. उन के इस तांडव ने अमरिंदर सिंह के प्रति आलाकमान के रवैए में भी तल्खी ला दी और शक, सवाल व अपमान से परेशान आखिरकार अमरिंदर को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. अपमान का बोझ लिए अमरिंदर सिंह जब इस्तीफा देने गवर्नर हाउस पहुंचे तो उस वक्त उन के साथ पत्नी परनीत कौर भी मौजूद थीं. कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर भी राजनेता हैं और मनमोहन सिंह सरकार में भारत की विदेश राज्यमंत्री रह चुकी हैं. राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को इस्तीफा सौंपने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुल कर कांग्रेस आलाकमान से अपनी नाराजगी जाहिर की.

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उन्होंने कहा, ‘मैं ने आज सुबह ही इस्तीफा देने का फैसला कर लिया था. बीते एक महीने में जिस तरह से 3 बार विधायकों की मीटिंग दिल्ली और पंजाब में बुलाई गई थी, उस से साफ था कि आलाकमान को मुझ पर संदेह है. ऐसे में मैं ने पद से इस्तीफा दे दिया है और पार्टी अब जिसे चाहे सीएम बना सकती है. मेरे लिए भविष्य की राजनीति के विकल्प खुले हैं. सोनिया गांधी की पसंद थे अमरिंदर 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह का मुख्यमंत्री बनना, हालांकि कांग्रेस के कुछ आला नेताओं को नापसंद गुजरा था, मगर उन की नाराजगी को नजरअंदाज कर के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सहमति उन के ही पक्ष में बनी थी. आखिर बनती भी क्यों न, कैप्टन अमरिंदर सिंह को राजनीति में लाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से अमरिंदर सिंह की दोस्ती स्कूल के जमाने की थी और कैप्टन गांधीनेहरू परिवार के खासे करीबी माने जाते हैं. सियासत उन के खून में थी तो जनता का दिल जीतने की कला भी उन्हें आती थी. यही वजह रही कि पंजाब की जनता ने उन्हें सिरआंखों पर बिठाया.

अरुण जेटली को दी थी जबरदस्त पटखनी अमरिंदर सिंह पहली बार 1980 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते थे. भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली को कैप्टन ने कड़ी शिकस्त दी और सूबे की सियासत में कांग्रेस का मजबूत चेहरा बन कर उभरे थे. यही वजह रही कि राहुल गांधी के नेतृत्व पर उंगली उठाने के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें पंजाब में कांग्रेस का फिर से कैप्टन बना दिया. खास बात यह रही कि इस के लिए उस शख्स को हटाया गया जो राहुल गांधी की खास पसंद थे – प्रताप सिंह बाजवा. कांग्रेस के साथ कभी हां कभी न कैप्टन और राजीव गांधी की दोस्ती स्कूल के जमाने से थी. वे गांधी परिवार के खासमखास थे. मगर वर्ष 1984 में जब पंजाब में आतंकियों के खात्मे के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने औपरेशन ब्लूस्टार को हरी झंडी दी और स्वर्णमंदिर में पुलिस घुसी तो अमरिंदर सिंह ने इस का तीखा विरोध करते हुए लोकसभा और कांग्रेस दोनों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इस के बाद उन्होंने शिरोमणि अकाली दल की सदस्यता ले ली. पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा और राज्य सरकार में मंत्री बन गए. मगर 1992 में उन का अकाली दल से भी मोहभंग हो गया और उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (पी) के नाम से अपनी नई पार्टी बना ली. लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में उन की पार्टी की करारी हार हुई और कैप्टन अमरिंदर सिंह को मात्र 856 वोट ही हासिल हुए.

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इस शिकस्त ने कैप्टन को बड़ा निराश किया, जिस के चलते वर्ष 1998 में अमरिंदर ने घर वापसी की और पार्टी सहित कांगेस में शामिल हो गए. इस के बाद अमरिंदर सिंह 1999 से 2002 और 2010 से 2013 तक पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और इसी बीच वर्ष 2002 से 2007 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. कैप्टन की जबरदस्त रैलियों ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पंजाब में स्पष्ट बहुमत दिलाया. पंजाब में 10 वर्षों बाद कांग्रेस को अपने नेतृत्व में जीत दिलाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य के 26वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. सेना से रहा जुड़ाव अमरिंदर सिंह ने नैशनल डिफैंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी में पढ़ाई करने के बाद वर्ष 1963 में भारतीय सेना जौइन की थी. उन्हें दूसरी बटालियन सिख रेजीमैंट में तैनात किया गया था. इसी रेजीमैंट में उन के पिता एवं दादा ने भी सेवाएं दी थीं. सेना में उन का कैरियर छोटा रहा. जब अमरिंदर के पिता राजा यादविंदर सिंह को इटली का राजदूत नियुक्त किया गया था, उस वक्त अमरिंदर फौज में थे,

मगर 1965 के शुरुआती दिनों में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि घर पर उन की आवश्यकता थी. हालांकि, पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ने के तत्काल बाद वे फिर सेना में शामिल हो गए और युद्ध अभियानों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. वर्ष 1965 में अमरिंदर भारतपाकिस्तान युद्ध में बतौर कैप्टन लड़े. युद्ध समाप्त होने के बाद 1966 की शुरुआत में उन्होंने फौज से फिर इस्तीफा दे दिया. सिद्धू के पाकिस्तान प्रेम से नाराज कप्तान पाकिस्तान और वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रति नवजोत सिंह सिद्धू का प्यार अमरिंदर की आंख की किरकिरी बना हुआ है. पंजाब का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से लगा हुआ है. ड्रग्स और हथियार की सप्लाई वहां से होती है. अमरिंदर का कहना है अगर सिद्धू मुख्यमंत्री बनते हैं तो देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी. बिना लागलपेट, ठीक भाजपा की तरह, कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू के पाकिस्तानी कनैक्शन की बात कह डाली है. उन्होंने साफ कहा है कि अगले विधानसभा चुनाव में अगर सिद्धू को कांग्रेस सीएम का चेहरा बनाती है तो वे खुल कर विरोध करेंगे.

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उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बताया है. कैप्टन अमरिंदर ने दावा किया है कि सिद्धू की न केवल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से अच्छी दोस्ती है, बल्कि पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से उन के संबंध हैं. सोनिया गांधी ने क्यों फेरी नजर कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में दोढाई साल तो पंजाब का शासन बढि़या चला मगर बीते डेढ़ साल का समय अमरिंदर के लिए अच्छा नहीं रहा. नवजोत सिंह सिद्धू के आने के बाद तो पंजाब की समस्याएं दिल्ली के कानों तक गूंजने लगीं. कोविड महामारी और उस के बाद लौकडाउन की वजहों से जनता को काफी परेशानी हुई. सरकार ने कुछ साहसिक कदम तो उठाए मगर उन में भी कुछ की अन्य राजनीतिक दलों द्वारा काफी आलोचना हुई. पंजाब में विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार और भाईभतीजावाद भी हाल के दिनों में बढ़ा है. पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष ने राज्य के शीर्ष मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के खूब आरोप लगाए हैं जिन को कैप्टन हैंडल नहीं कर पाए. हाल ही में अमृतसर में हथियारों और विस्फोटकों की आवाजाही भी सामने आई और विपक्ष ने पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था को ले कर कैप्टन को घेरा.

पंजाब में बेअदबी की घटनाएं न तो बादल सरकार में बंद हुईं और न ही अमरिंदर सरकार में. अमरिंदर द्वारा बरगाड़ी कांड के आरोपियों पर कार्रवाई नहीं करने और बारबार जांच समितियों का गठन करने को ले कर कांग्रेस के कई विधायक व मंत्री लंबे समय से उन्हें घेर रहे थे. पंजाब में पिछले चुनाव के दौरान खनन का मुद्दा भी अहम रहा है. अकालियों को इस मुद्दे पर घेरने वाले अमरिंदर भी प्रदेश को खनन से मुक्ति नहीं दिला सके. अलबत्ता पिछले साढ़े 4 साल के दौरान अमरिंदर गुट के कई विधायकों पर भी अवैध खनन के आरोप लगे. अमरिंदर कई मौकों पर पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव जैसे पदों पर नियुक्तियां कर के विवादों में घिरे रहे. अमरिंदर सिंह ने सेवानिवृत्त आईएएस को अपना मुख्य प्रधान सचिव नियुक्त किया. विवाद होने पर उन्होंने 2 बार इस्तीफा भी दिया, लेकिन अमरिंदर उन्हें फिर से अपने साथ ले आए. अमरिंदर ने सरकारी आवास से भी दूरी बना कर रखी. आम जनता से मुलाकात तो बहुत दूर की बात है.

सिसवां फार्म हाउस में मुलाकात के लिए जाने वाले विधायक और मंत्री भी कई बार मायूस हो कर लौटे हैं. ये सारी बातें सोनिया गांधी के कानों तक पहुंचाई गईं जिस के चलते उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिल्ली भी तलब किया था. पंजाब में विधानसभा चुनाव में सिर्फ 5 महीने बचे हैं, ऐसे में अपने ही विधायकों की नाराजगी और विपक्षी आरोपों से बुरी तरह घिरे कैप्टन को गद्दी से उतरने का इशारा हो गया. एक लाइन पर अमरिंदर और भाजपा पाकिस्तान के प्रति कांग्रेस सहित उस के कई नेताओं का रुख भाजपा जितना आक्रामक नहीं है. अगर अमरिंदर कांग्रेस का विरोध नहीं करते थे तो यह भी सच है कि उन के विचार पार्टी के साथ मेल भी नहीं खाते थे. कैप्टन अमरिंदर सिंह पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग में खुद शामिल थे. सेना के मसलों में उन की संवेदनशीलता साफ छलक आती है. यही वजह है कि नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्तान प्रेम पर वे भड़क उठते हैं. पाकिस्तान को ले कर भाजपा का स्टैंड भी बिलकुल क्लीयर रहा है. वह पाकिस्तान को आतंक फैलाने की फैक्ट्री की तरह देखता है.

इस मामले में अमरिंदर का रुख भी आक्रामक रहा है. वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी मसले पर सौफ्ट स्टैंड लेते नहीं दिखे हैं. यही बात उन्हें भाजपा के करीब ला देती है.  पंजाब में दलित मुख्यमंत्री कांग्रेस ने पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर से इस्तीफा ले कर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया है. चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बने हैं. वे अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री थे. 58 साल के चन्नी अमरिंदर सिंह के प्रबल विरोधी रहे हैं. चन्नी 3 बार विधायक बन चुके हैं. 2007 में वे निर्दलीय विधायक बने थे. इस के बाद 2012 और 2017 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे. चन्नी ने अपने कैरियर की शुरुआत पिता के टैंट कारोबार से की थी. इस के बाद वे पार्षद का चुनाव लड़े. फिर विधायक बने. 2015-16 में वे विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. पंजाब की राजनीति में चन्नी ने अपनी जगह बनाई.

अपनी मेहनत से वे पंजाब के मुख्यमंत्री की कुरसी पर बैठने में सफल हुए. आज वे पंजाब में कांग्रेस का चेहरा बन गए हैं. पंजाब में करीब 32 फीसदी दलित वोटर हैं. देश में सब से अधिक दलित आबादी अनुपात के हिसाब से पंजाब में है. बाबा साहब अंबेडकर के बाद सब से प्रमुख दलित चिंतक और नेता कांशीराम पंजाब के ही रहने वाले थे. पंजाब के विधानसभा चुनाव में दलित सब से प्रमुख फैक्टर हैं. गौरतलब है कि पंजाब और उत्तर प्रदेश दोनों ही प्रदेशों के विधानसभा चुनाव 2022 में हैं. पंजाब में 79 साल के कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ कांग्रेस में बगावत चल रही थी. ऐसे में कांग्रेस अगर उन की अगुआई में चुनाव लड़ती तो हार जाती. साथ ही, कैप्टन अमरिंदर उम्र के जिस मोड़ पर हैं वहां अब आगे उन को ले जाना संभव नहीं था.

आटा-साटा: कुप्रथा ने ली सुमन की जान

लेखिका-कस्तूर सिंह भाटी/सहयोग: मनीष व्यास

सौजन्य-मनोहर कहानियां

सुमन चौधरी ग्रैजुएट थी और उस ने नावां से ब्यूटीपार्लर का कोर्स किया था. वह गोरे रंग की कजरारी आंखों वाली बेहद सुंदर युवती थी. वह राजस्थान के नागौर जिले के गांव हेमपुरा के रहने वाले नानूराम चौधरी की बेटी थी. सुमन के अलावा नानूराम के 3 बेटे थे. 2 सुमन से बड़े और एक छोटा. सुमन 3 भाइयों के बीच अकेली बहन थी, इसलिए वह घर में सभी की लाडली थी. वह पढ़ाईलिखाई में होशियार थी लेकिन पिता की मृत्यु हो जाने के बाद वह ग्रैजुएशन से आगे नहीं पढ़ सकी. अन्य लड़कियों की तरह सुमन ने भी रंगीन ख्वाब देखे थे. उस की चाहत थी कि उसे भी सपनों का राजकुमार मिलेगा, जो सुंदर और बांका होने के साथ पढ़ालिखा और उस का हर तरह से खयाल रखने वाला होगा.

जवान होने पर सुमन का रूपसौंदर्य निखर आया था. उस की मोहक मुसकान देख कर देखने वाला एकटक उसे ताकता रह जाता था. सुमन चौधरी जाट थी. इसलिए उस के रिश्तेदारों और उस की बिरादरी के कई लोग अपने घर की बहू बनाने को लालायित हो उठे. रिश्तेदार सुमन के लिए अच्छेअच्छे रिश्ते लाने लगे. मगर सुमन के चाचा व भाइयों ने ये रिश्ते लौटा दिए और रिश्तेदारों से कहा, ‘‘सुमन का रिश्ता तो बचपन में ही तय हो चुका है. बात पक्की हो रखी है आटासाटा प्रथा के तहत.’’ तब रिश्तेदार शांत बैठ गए. सुमन जब 19 बरस की हो गई थी तो आज से 2 साल पहले उस की शादी तय कर दी गई. सुमन की शादी गांव भूणी जिला नागौर के नेमाराम चौधरी से तय कर दी. सुमन उस वक्त नहीं जानती थी कि उस का पति न केवल मामूली सा पढ़ालिखा है बल्कि उम्र में भी उस से दोगुना है और वह बकरियां चराने वाला व खेती करने वाला मजदूर है.

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सुमन के चाचा और भाइयों ने सुमन के बदले 4 शादियों की सौदेबाजी की. वैसे भी राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में आज भी लड़की का रिश्ता उस के परिजन ही तय करते हैं. परिजन लड़की का रिश्ता जिस युवक से कर देते हैं, उसी से लड़की को शादी करनी पड़ती है. लड़की को भले ही वह लड़का पसंद न हो, मगर परिजनों द्वारा किए गए रिश्ते को लड़की को निभाना ही होता है.

सुमन के बदले हुईं 4 शादियां

सुमन भी ग्रामीण परिवेश की शर्मीली लड़की थी. उस ने सोचा था कि उस की पढ़ाई और उस की सुंदरता के अनुरूप हमउम्र युवक से शादी तय की होगी, मगर जब नेमाराम शादी करने हेमपुरा आया और दुलहन बना कर सुमन को अपने साथ भूणी गांव ले गया, तब सुमन को अपने पति की असलियत पता चली.
सुमन ससुराल चली तो गई लेकिन अपने भाग्य को कोसने लगी. मगर अब क्या हो सकता था. वह चुप लगा गई. सुमन की 2 ननदों की शादी गांव लिचाना जिला नागौर में सुमन के भाइयों के सालों से की गई.
इस शादी के बाद सुमन के 2 भाई उस की ननदों की 2 ननदों से शादी कर अपने घर हेमपुरा ले आए. सुमन को अब जा कर आटासाटा के खेल के बारे में पूरा पता लगा था.

सुमन को उस के पति नेमाराम ने एक दिन कहा, ‘‘तुझ से शादी करने के लिए मैं ने अपनी 2 बहनें तुम्हारे भाइयों के 2 सालों से ब्याही हैं. और मेरी बहनों की 2 ननदें तुम्हारे भाइयों से ब्याही हैं. यानी तेरे बदले 4 शादियों की सौदेबाजी हुई है. अब समझ गई न कि तेरी जैसी ग्रैजुएट और सुंदर लड़की की मुझ गंवार व उम्र में दोगुने से शादी किस कारण की गई. तेरे कारण 4 घर और बसे हैं.’’सुन कर सुमन को सारा माजरा समझ में आ गया. उस के सगे भाइयों ने अपना घर बसाने के लिए उस का सौदा किया था. वह टूट गई. उसे रिश्ते बेमानी लगने लगे. उस के सगे भाइयों और चाचाताऊ ने अपने फायदे के लिए उसे एक ऐसे व्यक्ति के पल्लू से बांध दिया था, जो उस के किसी तरह काबिल नहीं था.

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सुमन ने अपने आसपास अपने जाट समाज के अलावा अन्य कई जातियों में आटासाटा कुप्रथा का कुरूप चेहरा देखा था. उस ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि वह भी इस प्रथा के तहत ऐसे व्यक्ति से ब्याह दी जाएगी जो उस के लायक नहीं होगा.सुमन ने सोचा कि वह तलाक ले कर अपनी मरजी से शादी कर लेगी. मगर जब उसे पता चला कि उस की शादी से पहले ही नेमाराम के घर वालों ने यह भी शर्त रखी थी कि अगर शादी के बाद सुमन ने नेमाराम से तलाक लिया तो उस के बदले में की गई चारों शादियां टूट जाएंगी.सुमन के तलाक लेने पर सुमन की ननदें और भाभियां भी तलाक ले लेंगी. यानी सुमन की शादी टूटने पर 4 शादियां और टूट जाएंगी. इस कारण सुमन ने तलाक लेने का खयाल अपने मन से निकाल दिया. वह अपनी सुख की खातिर 4 परिवार नहीं बिखरने देना चाहती थी.

सुमन अपने जीवन में सामंजस्य बिठाने की कोशिश करने लगी. इस के अलावा वह कुछ कर भी नहीं सकती थी. समय का पहिया अपनी गति से घूम रहा था. सुमन की शादी को सवा साल हो गया था.
उन्हीं दिनों नेमाराम ने सुमन से एक दिन कहा, ‘‘मैं इराक काम करने जा रहा हूं.’’ सुन कर सुमन बोली, ‘‘आप 3-4 साल बाद आओगे. मैं अकेली कैसे जी सकूंगी. आप इराक मत जाओ. हम यहीं पर कोई कामधंधा देख लेंगे.’’ ‘‘तुम समझती क्यों नहीं, बड़ी मुश्किल से नंबर आया है. मैं किसी हाल में नहीं रुक सकता और तुम अकेली कहां हो, भरापूरा परिवार है तो सही.’’ नेमाराम ने कहा.

‘‘तुम्हें इराक में भी मजदूरी ही करनी है तो फिर यहीं रह कर करो न. तुम जितना कमाओगे, मैं उसी में खुश रहूंगी.’’ सुमन बोली.‘‘सुमन, तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारा पति परदेश में कमाने जा रहा है. यह सब मैं अपने घरपरिवार के लिए ही तो कर रहा हूं.’’ नेमाराम ने समझाया.सुमन ने खूब मिन्नतें कीं मगर नेमाराम नहीं माना और करीब 8 महीने पहले वह इराक चला गया. सुमन भरी दुनिया में तनहा और अकेली रह गई. वह टूट गई और कुछ दिन बाद ससुराल से मायके हेमपुरा आ गई.

सुमन मायके में रह रही थी. उस ने ससुराल का रास्ता भुला दिया था. उस का पति इराक जा बैठा था. वह शादीशुदा हो कर भी मायके में बैठी थी. उस की मायके में अब पहले जैसी इज्जत भी नहीं थी. उस की भाभियां उस से सीधे मुंह बात नहीं करती थीं. भाई भी उस से पल्ला झाड़ने लगे थे. सुमन का छोटा भाई जरूर उस का लाडला था. दोनों भाईबहन अपना दुखसुख आपस में जरूर बांट लेते थे. सुमन ने मन ही मन विचार किया कि वह शादीशुदा हो कर मायके में कितने दिन गुजारेगी. पति जाने कब इराक से लौटेगा. उस के जीने की इच्छा खत्म हो गई थी. वह दुनियादारी को समझ गई थी. रिश्तेनाते सब मतलब के हैं. मतलब निकलने के बाद कोई उसे पूछ नहीं रहा था.

कुप्रथा ने झकझोर दिया सुमन को

इसी दौरान वह 28-29 जून, 2021 की रात को घर के पास वाले कुएं में कूद गई. सुमन के कुएं में कूदने पर घरपरिवार में हड़कंप मच गया. गांव वालों ने नावां थाने में सूचना दी और सुमन को कुएं से निकाला. वह उसे अस्पताल ले गए. लेकिन डाक्टर ने सुमन को मृत घोषित कर दिया. सुमन के चाचा तब नावां थाने पहुंचे और थानाप्रभारी धर्मेश दायमा को तहरीर दे कर बताया कि पति के इराक जाने के बाद सुमन मायके आ कर रहने लगी. पिछले 4-5 दिनों से वह मानसिक रोगी और पागलों जैसी हरकतें कर रही थी. आज उस ने घर के पास बने कुएं में कूद कर आत्महत्या कर ली. थानाप्रभारी धर्मेश दायमा रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. गांव वालों से इस संबंध में बात करने के बाद वह अस्पताल पहुंचे और सुमन का पोस्टमार्टम करा कर शव परिजनों को सौंप दिया.

पुलिस इसे आत्महत्या मान कर जांच कर रही थी. वहीं परिजन सुमन को मानसिक रोगी व पागल बता कर आटासाटा के तहत हुई शादी की बात को दबाना चाहते थे.मगर इसी दौरान सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो गई. वह सुमन का सुसाइड नोट था, जो उस ने आटासाटा कुप्रथा के खिलाफ लिखा था. आत्महत्या करने से पहले उस ने उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था. उस ने उस में लिखा था—
मेरा नाम सुमन चौधरी है. मुझे पता है कि सुसाइड करना गलत है, पर सुसाइड करना चाहती हूं. मेरे मरने की वजह मेरा परिवार नहीं, पूरा समाज है, जिस ने आटासाटा नाम की कुप्रथा चला रखी है. इस में लड़कियों को जिंदा मौत मिलती है. लड़कियों ंको समाज के समझदार परिवार अपने लड़कों के बदले बेचते हैं.समाज के लोगों की नजरों में तलाक लेना गलत है, परिवार के खिलाफ शादी करना गलत है तो फिर यह आटासाटा प्रथा भी गलत है. आज इस कुप्रथा के कारण हजारों लड़कियों की जिंदगी और परिवार बरबाद हो गए हैं.

इस कुप्रथा के कारण पढ़ीलिखी लड़कियों की जिंदगी खराब हो जाती है. इसी प्रथा के तहत 17 साल की लड़की की शादी 70 साल के बुजुर्ग से कर दी जाती है. केवल अपने स्वार्थ के कारण.मैं चाहती हूं कि मेरी मौत के बाद यह बातें बनाने और मेरे परिवार वालों पर अंगुली उठाने के बजाय इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं. इस प्रथा को बंद करने के लिए शुरुआत करनी होगी. मेरी हरेक भाइयों को अपनी बहन की राखी की सौगंध, अपनी बहन की जिंदगी खराब कर के अपना घर न बसाएं.आज इस प्रथा के कारण समाज की सोच इतनी खराब हो गई है कि लड़की के पैदा होते ही तय कर लेते हैं कि इस के बदले किस की शादी करानी है.

सुसाइड नोट में सुमन ने लिखा कि आज समाज के लोगों से मेरी हाथ जोड़ कर विनती है इस प्रथा को बंद कर दें. मेरे मरने की वजह समाज है. सजा देनी है तो उन को दें. और मेरी इच्छा है कि मेरी लाश को अग्नि मेरा छोटा भाई दे और कोई नहीं. मेरा पति भी नहीं. मेरे इन विचारों को सभी लोग अपने परिवार वालों में समझाएं व स्टेटस लगाएं. सुमन ने अपने पापा के लिए आई लव यू लिखा और साथ ही कहा कि इस प्रथा के खिलाफ जानकारी स्कूलकालेज की पुस्तकों तथा अखबारों में दें, जिस से कुछ की जिंदगी बचेगी तो मैं सोचूंगी कि मेरी जिंदगी किसी के काम आ गई.

नावां थानाप्रभारी धर्मेश दायमा कथा लिखने तक सुमन सुसाइड मामले की जांच कर रहे थे. सुमन ने सुसाइड नोट में समाज को ही अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है. उस ने व्यक्ति विशेष को मौत का जिम्मेदार नहीं बताया. इस कारण पुलिस भी इस मामलेमें कोई काररवाई कर पाएगी, यह लगता
नहीं है. जिंदा मौत है आटासाटा कुप्रथाआटासाटा एक सामाजिक कुप्रथा है. इस के तहत किसी एक लड़की की शादी के बदले ससुराल पक्ष को भी अपने घर से एक लड़की की शादी उस के पीहर पक्ष में करानी होती है. इस में योग्यता और गुण नहीं बल्कि लड़की के बदले लड़की की सौदेबाजी होती है.

वर्तमान दौर में जब लड़कियों की बेहद कमी है तो कई समाज में इसे खुले तौर पर किया जाने लगा है. इस के चलते कई पढ़ीलिखी जवान लड़कियों की शादी अनपढ़ और उम्रदराज लोगों से कर दी जाती है. जिस के चलते सुमन जैसी अनेक लड़कियों की जिंदगी तबाह हो रही है.सुमन के घर वाले उसे पागल और मानसिक बीमार भले ही अपने बचाव के लिए कह रहे हों लेकिन सुमन का सुसाइड नोट साफ इशारा कर रहा है कि वह आटासाटा कुप्रथा के चक्रव्यूह में ऐसी उलझी कि उसे अपनी मुक्ति के लिए मौत ही दिखी.

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में समाज की कई जातियों में फैली इस कुप्रथा के बारे में लेखक ने पड़ताल की तो सामने आया कि आटासाटा एक ऐसी कुप्रथा है जहां लड़कियों की 2 नहीं 3 से 4 परिवारों के बीच सौदेबाजी होती है. वह भी सिर्फ इसलिए ताकि उन के नाकारा और उम्रदराज बेटे की शादी हो जाए.
और उन के घरपरिवारों में दूसरे जो लड़के हैं, जिन की किसी कारणवश शादी नहीं हो पा रही है, उन की भी शादी हो जाए.वैसे राजस्थान के ज्यादातर गांवों में इस कुप्रथा का चलन है. ऐसे में पढ़ीलिखी लड़कियों की जिंदगी भी खराब हो रही है. इस कुप्रथा का एक दर्दनाक सच यह भी है कि बेटी होने से पहले ही उस का रिश्ता तय कर दिया जाता है.

कई बार ऐसा भी होता है कि बेटी नहीं होती तो रिश्तेदार की बेटी को दबावपूर्वक दिलाया जाता है. इस शर्त पर कि उन्हें भी वे बेटी दिलाएंगे.ज्यादातर मामलों में लड़के और लड़की के बीच उम्र को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है और 21 साल की लड़की 45-50 साल के व्यक्ति से ब्याह दी जाती है.
कई मामलों में घर में बड़ी बहन होती है और भाई छोटा होता है. दोनों में 7-8 साल का अंतर होता है.
ऐसे में घर वाले बड़ी लड़की की तब तक शादी नहीं करते, जब तक उन का छोटा बेटा शादी लायक न हो जाए.जब वह शादी लायक हो जाता है तो बड़ी बेटी के आटासाटा के बदले में उस की शादी की जाती है. ऐसे में बेटियों की उम्र निकलने के बाद उम्रदराज व्यक्ति से जबरदस्ती शादी कर दी जाती है.

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारा समाज अभी भी इस तरह की प्रथाओं का पालन कर रहा है. महिलाओं को अपना जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता है और हम अपनी बेटियों को नहीं खो सकते. राजस्थान सरकार को इस प्रथा को रोकने के लिए उपाय करने चाहिए.राजस्थान महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने इस बारे में कहा, ‘‘आटासाटा प्रथा बहुत ही कष्टदायक है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जिन का कुरीतियों के नाम पर पूरा जीवन ही कुरबान कर दिया गया हो.‘‘जब मैं आयोग की अध्यक्ष थी तो मेरे पास आटासाटा से जुड़ी 4 बड़ी घटनाएं आई थीं जो इतनी पीड़ादायक थीं कि बेवजह 2 घरों की जिंदगियां बरबाद हो रही थीं. इस में कुछ लोगों को हम ने सजा भी दिलाई थी पर सीधे तौर पर इस में कोई कानून न होने से कोई सख्त काररवाई नहीं की जा सकती थी.

‘‘आजादी के बाद से महिलाओं के कल्याण के लिए कई सुधार हुए और कानूनी प्रावधान भी लाए गए पर दुर्भाग्य है कि अब तक आटासाटा पर रोकथान के लिए कोई कानून या नियमकायदे ही नहीं हैं. जबकि राजस्थान के कई इलाकों में ये बहुतायत से किया जा रहा है. सरकार को चाहिए कि इस कुप्रथा पर प्रभावी रोक लगाने के लिए जल्द से जल्द कानून बनाए जाए.’

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