लेखक-बृहस्पति कुमार पांडेय

खेतीबारी के नजरिए से अक्तूबर का महीना बहुत ही खास होता है. इस महीने जहां खरीफ की ज्यादातर फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है. किसान खेती, बागबानी, मछलीपालन, मधुमक्खीपालन, पशुपालन, मशरूम उत्पादन आदि से अच्छी पैदावार और लाभ लेने के लिए इन कामों को अक्तूबर महीने में समय से निबटाएं. अगर आप ने धान की फसल की कटाई कंबाइन से कराई है, तो पराली न जलाएं. इस से मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्त्व व लाभदायक कीट नष्ट हो जाते हैं. साथ ही, इस से मिट्टी की उर्वराशक्ति क्षीण होने लगती है. ऐसे में ली जाने वाली फसल का उत्पादन घट सकता है.

वहीं पराली प्रबंधन यानी फसल अवशेष प्रबंधन के लिए स्ट्रा चौपर, सुपर सीडर, स्ट्रा बेलर, स्ट्रा रीपर, रीपर कम बाइंडर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, कटर कम स्प्रैडर जैसे यंत्रों का इस्तेमाल किया जा सकता है. ध्यान रखें कि अक्तूबर महीने में फसल की कटाई के उपरांत ज्यादातर खेत खाली हो चुके होते हैं और किसान रबी सीजन में ली जाने वाली फसलों की बोआई की तैयारी कर रहे होते हैं. ऐसी अवस्था में मिट्टी में संतुलित उर्वरकों की मात्रा के प्रयोग को ध्यान में रखते हुए खाली खेत से मिट्टी के नमूने ले कर मिट्टी जांच प्रयोगशाला में जरूर भेज दें. इस से मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, जिंक, लोहा, तांबा, मैंगनीज व दूसरे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की दी जाने वाली मात्रा का पता चल जाता है,

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