पतंजलि द्वारा कोरोना के इलाज के लिए बनाई गयी दवा कोरोनिल को किस तरह भारत के बाज़ार में उतार कर बड़ा मुनाफ़ा कमाया जा सके, इस जुगत में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण लम्बे समय से लगे हैं और इस दवा के बारे में एक के बाद एक झूठ बोल रहे हैं. गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना शुरू हुए कुछ ही समय बीता था कि पतंजलि ने कोरोनिल को कोरोना का इलाज कह कर इसका प्रचार शुरू कर दिया था. पहले इस दवा को कोरोना की सटीक दवा बता कर मार्किट में लाने की कोशिश की गयी, लेकिन तब वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने विरोध जताया कि जब सारी दुनिया के साइंटिस्ट्स और डॉक्टर कोरोना का इलाज ढूंढ पाने में विफल हुए जा रहे हैं और अभी इसकी वैक्सीन बनने में भी वक़्त है तो इतनी जल्दी पतंजलि को कोरोना का तोड़ कैसे मिल गया? मोदी सरकार पर दबाव बना तो रामदेव के कोरोनिल को मार्केट में नहीं उतरने दिया गया. बाद में रामदेव को कहना पड़ा कि ये कोरोना की दवाई नहीं बल्कि इम्युनिटी बूस्टर है.
अब जबकि कई कम्पनिया कोरोना की वैक्सीन ईजाद कर चुकी हैं और लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हो गयी हैं, तो बाबा रामदेव अपने कोरोनिल के स्टॉक को फिर मार्किट में उतारने को उतावले हो रहे हैं और अबकी बार तो उन्होंने इसके लिए तगड़ा वाला झूठ बोला है. बाबा में कहा कि कोरोनिल को अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रमाणन योजना के तहत आयुष मंत्रालय से प्रमाण पत्र मिला है कि उनकी बनाई कोरोनिल कोविड-19 का मुकाबला करने वाली पहली साक्ष्य-आधारित दवा है.
ये भी पढ़ें- विभीषण के रोल में शुभेंदु अधिकारी
बाबा के इस दावे से विश्व स्वास्थ्य संगठन के कान खड़े हो गए और उन्होंने तुरंत इस दावे को खारिज करते हुए बयान जारी कर दिया. डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया के ट्विटर अकाउंट से लिखा गया, ‘डब्ल्यूएचओ ने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोरोना के इलाज के लिए रिव्यू या फिर उसे सर्टिफिकेट नहीं दिया है, जिसमें उसके असर के बारे में बताया गया हो.डब्ल्यूएचओ की तरफ से कोरोना के इलाज के लिए अब तक किसी भी पारंपरिक औषधि को मंजूरी नहीं दी गई है.’
इस बयान के आने के बाद बाबा का झूठ पकड़ा गया और फिर आचार्य बालकृष्ण के द्वारा इस पर लीपापोती का काम शुरू हुआ.
ये भी पढ़ें- ‘वे टू पंजाब’- पंजाब में एक भक्त अंकल से मुलाकात
आचार्य बालकृष्ण ने सफाई पेश करते हुए कहा – “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि पतंजलि की कोरोनावायरस की दवा कोरोनिल को भारत के दवा नियामक से डब्ल्यूएचओ के गाइडलाइंस के हिसाब से सर्टिफिकेट मिला है.”
इस बात से स्पष्ट है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दवा को मंजूर नहीं किया है.
इसके बाद एक बालकृष्ण ने एक और ट्वीट किया और कहा, “हम इस बात से खुश हैं कि कोरोना की दवा को भारत के दवा नियामक से मंजूरी मिली है. यह मंजूरी डब्ल्यूएचओ के जीएमपी क्वालिटी मानदंड के हिसाब से दी गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी भी दवा को मंजूरी देने या खारिज करने का काम नहीं करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन वास्तव में दुनिया भर में लोगों के बेहतर और स्वस्थ भविष्य के लिए काम करता है.”
ये भी पढ़ें- ‘वे टू पंजाब’- “मोदी गरीबों को खत्म कर गरीबी खत्म कर ही लेंगे”
कितना फर्क है डब्ल्यूएचओ द्वारा मंजूरी मिलने और डब्ल्यूएचओ के जीएमपी क्वालिटी मानदंड के हिसाब से आयुष मंत्रालय द्वारा मंजूरी मिलने में. लेकिन बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ये भलीभांति जानते हैं कि भारत की भोली जनता इन बातों की तह में जाए बिना ही डब्ल्यूएचओ का लेबल चस्पा होते ही उनकी दवा को हाथोंहाथ खरीद लेगी. लिहाजा झूठ का मुलम्मा चढाने में उन्होंने ज़रा भी देर नहीं लगाईं.
मज़े की बात यह है कि उन्होंने अपने इस झूठ में भाजपा नेता डॉ. हर्षवर्धन और नितिन गडकरी तक को शामिल कर लिया, जिन्होंने ‘कोरोना की दवाई पतंजलि ने बनाई’ और ‘पतंजलि रिसर्च का वैज्ञानिक अनुसंधान विश्व के 158 देशों के लिए बना वरदान’ जैसे दावों से आच्छादित एक लम्बे चौड़े बैनर के सामने खड़े होकर कोरोनिल का प्रचार किया. कितना हास्यास्पद है कि जो दवा भारत के बाज़ार में उतरने के लिए हाथ पैर मार रही है उसको 158 देशों के लिए वरदान बताया जा रहा है और देश के स्वास्थ मंत्री बाबा के साथ खड़े होकर इसका विज्ञापन कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन: टूट रही जातिधर्म की बेड़ियां
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा है कि – ‘मुझे उम्मीद है कि कोरोनिल को प्रमोट करने के ऐसे दावों के साथ स्वास्थ्य मंत्री देश की फजीहत होने से बचाएंगे. मुझे आयुर्वेद में यकीन है, लेकिन यह दावा करना है कि यह कोविड के खिलाफ गारंटीयुक्त उपचार है, यह कुछ और नहीं बल्कि धोखाधड़ी और देश को भ्रमित करने का प्रयास है.
कोरोनिल को कोरोना की दवा बताने पर जब पहले बाबा की किरकिरी हुई थी और इस दवा को बाजार में उतरने से रोक दिया गया था तब बाबा रामदेव को कहना पड़ा था कि कोरोनिल इम्यूनिटी बूस्टर है. हालांकि पतंजलि की कोरोनिल सचमुच कितनी प्रभावी है इसको लेकर अभी तक कोई प्रमाण सामने नहीं आया है.