Story In Hindi : घरगृहस्थी और बच्चों की जिम्मेदारियां निभाती स्त्री अपना मूल्य आंकती नहीं है. कनिका ने तो अपने अस्तित्व को जिंदगीभर दबा कर रख दिया था लेकिन आज उसे एहसास हो रहा था कि अपने अधिकारों की लड़ाई खुद लड़नी होगी.
‘‘कनिका को अपने आने की खबर तो कर देती. कहीं ऐसा न हो कि उन्हें सरप्राइज देने के चक्कर में खुद सरप्राइज्ड हो जाओ,’’ मीनाक्षी का पति उसे सम झाते हुए बोला.
‘‘नहीं, मैं तो उस के चेहरे पर अचानक से मु झे देख कर आने वाली खुशी देखना चाहती हूं. अच्छा, अब मैं चलूं. आप भी वहां पहुंच कर मु झे खबर कर देना और अपना ध्यान रखना,’’ मीनाक्षी अपना बैग ले कर बाहर निकलते हुए बोली.
मीनाक्षी का पति 2 दिनों के लिए औफिस टूर पर जा रहा था और उन के दोनों ही बच्चे बाहर रह कर पढ़ाई कर रहे थे. वैसे तो उस की छोटी बहन उस के ही शहर में रहती थी लेकिन मिलनाजुलना कम ही हो पाता था. एक तो घरगृहस्थी का चक्कर, दूसरा कनिका के पति और सास को उस के मायके वालों का वहां आना कम ही पसंद था.
2-3 दिनों पहले जब मीनाक्षी की कनिका से बात हुई तब कनिका की आवाज से लग रहा था कि कुछ सही नहीं है. मीनाक्षी ने मिलने आने के लिए कहा तो कनिका हंसते हुए बोली, ‘अरे दीदी, घबराओ मत, मैं ठीक हूं. हलकाफुलका बुखार है. दवा ले ली है, शाम तक सही हो जाऊंगी.’
कल ही उस के पति ने औफिस टूर के बारे में बताया तो उस ने कनिका से मिलने का प्रोग्राम बनाया. पता था कि उस के पति व सास को अच्छा नहीं लगेगा लेकिन कनिका की खुशी के लिए वह उन की बेरुखी सह लेगी.
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