Story In Hindi : छोटे मासूम को देख सुजाता और सारंग उसे अपने साथ रखने की जिद करने लगे, लेकिन कुछ साल बाद यही मासूम उन दोनों की इनसिक्योरिटी का कारण बन गया. पाइन के घने दरख्तों के बीच खुद किसी दरख्त सा खिला था यह घर. पांव तले नम मिट्टी और ऊपर किसी शांत नदी की तरह बहते बादल. देख कर लगता था कि अगर सुकून की कोई महक होती होगी तो हूबहू इस घर जैसी होती होगी. जैसे दूब सारे मौसम अपने ऊपर झेल कर धरती को ढांपे रखती है वैसे ही शहर के तमाम शोरगुल और आपाधापी से दूर सुब्रत बंदोपाध्याय के इस घर को इन दरख्तों ने ढांप रखा था.
कुल 4 लोग थे इस घर में. सुब्रत, उन की पत्नी सुदेशना और 2 बच्चे सुजाता व सारंग. जिंदगी बिना भंवर वाली धारा सी बह रही थी कि एक दिन जाने कहां से एक छोटी सी लहर आ गई. इतवार था उस दिन. घनी पत्तियों के बीच से किसी तरह जगह बना कर निकल भागी धूप की एक पतली सी लकीर बाहर दरवाजे पर खेल रही थी और भीतर सब अपनेअपने पसंदीदा काम में मगन थे. सुब्रत सोफे में धंसे ‘गोरा’ पढ़ रहे थे. सुदेशना शारदा संगीत का अभ्यास कर रही थीं. सुजाता कलरिंग बुक में उल झी थी और सारंग नए रोबोट में.
अचानक सुदेशना को लगा जैसे दरवाजे पर कोई आहट हुई है. उस ने आवाज दी, ‘सारंग, देखो लगता है दरवाजे पर टवी रो रही है. जाओ अंदर ले आओ उसे.’
मम्मी की आवाज सुन कर सारंग ने रोबोट की तरह झटके लेते हुए टुकड़ोंटुकड़ों में गरदन मोड़ी और उसी अंदाज में चलता दरवाजे तक गया. लेकिन वहां उस की प्यारी बिल्ली टवी नहीं, कुछ और था. कुछ ऐसा जिसे देख कर वह भूल गया कि वह पिछले एक घंटे से रोबोट बना हुआ था और अपने नए रोबोट के साथ धरती को बचाने के लिए एक सीक्रेट मिशन पर काम कर रहा था. सारंग सफेद चेहरा लिए दौड़ता हुआ अंदर आया और बिना कुछ बोले खड़ा हो गया.
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