Family Story Hindi : अब्बू के जाने के बाद दानिया और उस की मां एकदम अकेले पड़ गए जिस का फायदा उमर ने बखूबी उठाया. लेकिन दानिया भी उस से दो कदम आगे निकली और उमर का परदाफाश करने में सफल हो गई.
स्कूल से लौटते हुए दानिया ने दूर से देखा, उस के छोटे से घर से मौलवी उमर मियां जल्दीजल्दी निकल रहे हैं. दानिया के कदम धीमे हो गए, आंखों में पानी आ गया. उस का छोटा सा दिल उदास हुआ. बहुत उदास. स्कूल से घर की दूरी बस 15 मिनट की ही थी पर जिस तरह से स्कूल से निकल कर बच्चे बातें करते, मस्ती करते चलते हैं, उन्हें आधा घंटा लग जाता था.
साथ चलते बच्चों ने टोका, ‘‘जब घर पास आ गया,
तू धीरे चलने लगी?
जल्दी चल.’’
‘‘तुम लोग जाओ, मैं चली जाऊंगी, कुछ सामान लेना है. अम्मी ने आते हुए लाने के लिए कहा था, ले कर आती हूं,’’ कहतेकहते दानिया ने रास्ता बदला और कुछ दूरी पर एक दुकान के बाहर खाली जगह देख कर बैठ गई. वैसे तो आजकल जब से सब के हाथों में फोन आया है, भले ही फोन सस्ता सा हो, बचपन का समय कम हो गया है और दानिया की बात कुछ अलग ही थी, 15 साल की दानिया को वक्त और हालात ने समय से पहले बहुत बड़ा कर दिया था. सांवली रंगत पर तीखे नैननक्श. अपने सुंदर बालों की लंबी सी चोटी बांधती. इस समय तो यूनिफौर्म का रिबन भी बांध रखा था. छोटा सा सरकारी स्कूल था जहां दानिया बचपन से पढ़ रही थी. उत्तर प्रदेश के कैराना कसबे में ही पैदा हुई थी.
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