Kahani In Hindi : वेश्या शब्द के साथ ही स्त्री की एक तिरस्कृत छवि दिमाग में घूम जाती है लेकिन मुंबई में मैं जिस वेश्या से मिला उस ने मेरे मन में इस शब्द के मायने ही बदल दिए.
हवाएं जब उम्मीद के विपरीत बहती हैं तो कुछ अप्रत्याशित होता है और जब कुछ अप्रत्याशित होता है तो समय के गर्भ से एक नई कहानी जन्म लेती है. यह कुदरत का दस्तूर है.
मुंबई सैंट्रल रेलवे स्टेशन पर एक प्रौढ़ बैठा हुआ था. उस की उम्र 45 के आसपास रही होगी, लेकिन स्वस्थ इतना कि अपनी उम्र से 10 साल छोटा लग रहा था. वह उत्तर भारत के एक गांव जटपुर का रहने वाला था.
उस की सामान्य देह, मध्यम आकार की मूंछ, सफाचट दाढ़ी और उस का ठेठ देहाती लहजा उस उसे मुंबई वालों से कुछ अलग ठहराता था. वैसे तो वह धोतीकुरता या फिर कुरतापाजामा पहनता था लेकिन मुंबई आया तो पैंटशर्ट पहन कर जो उस के शरीर पर ठीक से फब नहीं रहे थे.
हर उत्तर भारतीय जिस ने कभी मुंबई के दर्शन नहीं किए उसे मुंबई एक शानदार आधुनिक शहर ही लगता है. यह मुंबइया फिल्मों का असर है जो मुंबई नगरिया कल्पना में ऐसी नजर आती है. उस की कल्पना में मुंबई की गरीबी, झोंपड़पट्टियां और चालें नजर नहीं आती हैं. हर उत्तर भारतीय के लिए मुंबई एक मायानगरी है. ऐसे ही उस प्रौढ़ रणवीर को भी लगा था. लेकिन मुंबई आ कर उस का यह भ्रम दूर हुआ. उस ने अभी मुंबई के पौश इलाके नहीं देखे थे. वह तो बेचारा पहली बार मुंबई आया था, अपने बेटे को एक शिक्षण संस्थान में छोड़ने जहां उस के बेटे ने एडमिशन लिया था. वह आज गर्व से अपना सीना चौड़ा किए हुए था. उस के लिए यह बड़ी बात थी.
रणवीर अपने बेटे को उस संस्थान में छोड़ कर अब मुंबई सैंट्रल रेलवे स्टेशन पर बैठा था. उसे मुंबई बिलकुल भी ऐसी नहीं लगी थी जैसी उस ने सोची थी. वह स्टेशन पर बैठा वहां लगे भीमकाय सीलिंग फैन को देख रहा था जिस की पंखुडि़यां बहुत बड़ीबड़ी थीं.
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