दुनिया में जब-जब भी मनुष्य पर संकट आया इतिहास गवाह है कि धर्म के ठेकेदार, ईश्वर के स्वयंभू एजेंट्स और अमीर पूंजीपति मैदान छोड़ कर अपनी-अपनी बिलों में घुस जाते हैं. आपदाओं से अगर कोई लड़ता है तो वह है विज्ञान. आज कोरोना वायरस के संकट में पूरा विश्व थरथर काँप रहा है. मानव जीवन मुश्किल में है. हर दिन सैकड़ों ज़िंदगियाँ काल के गाल में समा रही हैं. ऐसे वक़्त में पोंगा पंडित, मौलवी-मौलाना, पादरी जो विज्ञान की धज्जियां उड़ाते हुए धार्मिक अंधविश्वासों, पाखंड और मान्यताओं को स्थापित करने में दिन रात एक किये रहते थे, सारे के सारे सिरे से नदारद हो गए हैं. गोमूत्र को हर मर्ज़ की दवा बताने वाले कोरोना से खुद को बचाने के लिए सात किवाड़ों के पीछे जा छिपे हैं. अब कोई गोमूत्र नहीं पी रहा और ना ही गोबर का लेप अपने शरीर पर कर रहा है. अब कोई व्रत नहीं कर रहा, कथाएं नहीं बांच रहा, गण्डा-ताबीज़ नहीं बाँट रहा है क्योंकि धर्म के ठेकेदारों को ये अच्छी तरह मालूम है कि इन चीज़ों से ना कभी कुछ हुआ है और ना कभी कुछ होगा.

ये अच्छी तरह जानते हैं की रोग का इलाज साइंस के पास ही है फिर भी ये धर्म के नाम पर विज्ञान का अपमान करने से बाज़ नहीं आते. आपसी नफरत, झूठ, अंधविश्वास व अवैज्ञानिक तथ्यों की घुट्टी पिलाकर इंसानियत का भारी नुकसान करते हैं. और जब मानव जाति पर आपदा आती है तो ये दुम दबा कर भाग खड़े होते हैं. आज अगर कोरोना जैसी त्रासदी से कोई लड़ रहा है तो वह हैं विज्ञान की आराधना करने वाले डॉक्टर्स, नर्स और मेडिकल स्टाफ, जो अपनी जान जोखिम में डाल कर आम आदमी से ले कर धर्म के उन ठेकेदारों की भी जान बचाने में लगे हैं जिन्होंने अपने पाखंड को स्थापित करने के लिए तमाम डॉक्टर्स की बलि ले ली. डॉक्टर कफील को बिहार की जनता कैसे भुला सकती है जो बिहार में दिमागी बुखार से तड़प रहे सैकड़ों बच्चों की जाने बचाने के लिए भयानक बारिश में भी अपनी कार से ऑक्सीजन सिलिंडर की खोज में मारे मारे फिरे थे, सैकड़ों बच्चों की जाने बचाने के लिए जिहोने रात और दिन में फर्क नहीं किया, रात दिन उनके इलाज में जुटे रहे मगर वही डॉक्टर कफील आज धर्म के इन्ही ठेकेदारों और इनके इशारे पर नाच रहे राजनेताओं की साजिश और बदनीयती का शिकार होकर जेल की सलाखों में कैद हैं. अगर इस वक़्त वो बाहर होते तो शायद कोरोना से लड़ने में अपना योगदान ही दे रहे होते.
धर्म के इन ठेकेदारों और इनके इशारे पर नाचने वाले सत्ता के लालची नेताओं को बहुत अच्छी तरह मालूम है कि कोरोना जैसे रोग के भयावह प्रकोप में उन्हें उनका काल्पनिक ईश्वर बचाने नहीं आएगा. वैज्ञानिक ही उनको जीवन दान देंगे.

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