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SBI ने दिया सस्ते होम लोन का तोहफा

स्‍टेट बैंक ऑफ इंडि‍या (एसबीआई) ने होम लोन की ब्‍याज दरों को कम कर दि‍या है. एसबीआई की होम लोन की दर घटाकर 9.1-9.15 फीसदी की दी गई है. यह ब्‍याज दर 6 साल के नि‍चले लेवल पर पहुंच गई है. एसबीआई ने ब्‍याज दरों में 0.15 फीसदी की कमी की है. रि‍जर्व बैंक ऑफ इंडि‍या (आरबीआई) की ओर से ब्‍याज दरों को कम करने के बाद यह कदम उठाया गया है.

अब कि‍तनी हो जाएगी ब्‍याज दरें 

– नई ब्याज दरों के तहत एसबीआई का एक साल केे एमसीएलआर की दर 8.90 फीसदी हो जाएगी.

– महि‍लाओं के लि‍ए यह ब्‍याज दर 9.01 फीसदी कर दी गई है.

– बाकी सभी कस्‍टमर्स के लि‍ए यह ब्‍याज दर 9.15 फीसदी कर दी गई है.

– वहीं, एसबीआई ने ओवरनाइट एमसीएलआर को 8.65 फीसदी रखा है जबकि‍ एक माह के लि‍ए यह रेट 8.75 फीसदी है.

आईसीआईसीआई भी घटा चुका है रेट

– आईसीआईसीआई बैंक ने सभी अवधि‍ वाले एमसीएलआर आधारि‍त मार्जि‍न कॉस्‍ट ऑफ फंड्स में कमी की है.

– बैंक ने ब्‍याज दर में 0.10 फीसदी की कटौती की है.

– आईसीआईसीआई बैंक की यह दर 8.95 फीसदी होगी.

लगातार दबाव के बाद ब्‍याज दर में कटौती

– रि‍जर्व बैंक ऑफ इंडि‍या (आरबीआई) की ओर से बैंकों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है.

– रेग्‍युलेटर की ओर से लोगों को ब्‍याज दरों में कटौती का फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं.

– इसके अलावा, फाइनेंशि‍यल ईयर की दूसरी छमाही में ‘व्‍यस्‍त सीजन’ से पहले लोन की डि‍मांड बढ़ने वाली है. इसे देखते हुए बैंकों ने यह कदम उठाया है.

एंड्रायड यूजर ऐसे पाएं बेहतर अनुभव

एंड्रायड, एक ऐसा ओएस है जिस पर देश-दुनिया के करोड़ो लोग हर समय लगे रहते हैं. यूजर फ्रैंडली होने की वजह से यह ऑपरेट करने में लोगों को काफी आसान लगता है. लेकिन हर यूजर को इसके सिर्फ कुछेक फीचर्स के बारे में ही पता होता है. अगर आप एंड्रायड के हर फीचर को जान जाएं तो आपको यह और खास लगने लगेगा.

एंड्रायड को कुछ स्‍पेशल टच की मदद से आसानी से आपॅरेट किया जा सकता है. बस आपको टाईमिंग और कहां टच करना है, इसके बारे में सही जानकारी होनी चाहिए.  

एप की सेटिंग में जाने के लिए

अगर आप किसी एप की सेटिंग में जाना चाहते हैं तो पूरी प्रक्रिया करने की जरूरत नहीं है. आप सिर्फ उसी एप पर देर तक अपनी फिंगर को टैप किए रहें. एप की सेटिंग अपने आप खुलकर सामने आ जाएगी.

शब्‍द पर डबल टैप से पाएं शॉर्टकट

जब से एंड्रायड में मार्शमैलो आया है, काफी सारे अपग्रेडेशन आ गए हैं. अगर आप किसी शब्‍द पर डबल टैप करें तो कॉपी पेस्‍ट का फंक्‍शन खुलकर सामने आ जाता था, लेकिन अब किसी शब्‍द पर डबल टैप करने से तीन वर्टिकल डॉट वाला मेन्‍यू बटन सामने आता है जिसमें कॉपी और शेयर की विकल्‍प होता है. यह मेन्‍यू बटन, आपको उस शब्‍द को वेब पर सर्च करने, ट्रांसलेट करने और गूगल एसिस्‍टेंट में भी मदद करता है. आप इसे बिना स्‍क्रीन को छोड़े हुए भी कर सकते हैं.

किसी भी स्‍क्रीन पर जूम इन

कई एप आपको किसी भी स्‍क्रीन पर दो अंगुलियों को रखकर जूम इन करने की सुविधा प्रदान करती हैं. हालांकि, सारी एप ये सुविधा नहीं देती हैं. पर अगर आप एंड्रायड यूजर हैं तो इस प्रक्रिया को फॉलो करें – Settings > Accessibility > Magnification gestures, इसके माध्‍यम से आप किसी भी स्‍क्रीन को मैग्‍नी‍फाई कर सकते हैं.

गूगल कीबोर्ड को छोटा करना

अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको स्‍क्रीन पर बहुत बड़ा गूगल कीबोर्ड नहीं चाहिए तो आप इसके एंटर बटन पर प्रेस करें, ऐसा कुछ सेकेंड के लिए करना होगा. आपके सामने कीबोर्ड के लिए नए विकल्‍प खुलकर आ जाएंगे.

होम स्‍क्रीन से एप डिलीट करना

अगर आप किसी एप को डिलीट या अनइंस्‍टॉल करना चाहते हैं तो होमस्‍क्रीन पर उस एप के आईकन पर लॉन्‍ग प्रेस करें और आपके सामने अनइंस्‍टॉल का ऑप्‍शन आ जाएगा, उस पर ले जाएं. एप रिमूव हो जाएगी.

रिटायरमेंट से पहले हो जाएगा PF का हिसाब

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कहा कि अब मृत्यु संबंधी दावे महज 7 दिन के भीतर ही निपटाए जाएंगे. ईपीएफओ ने फील्ड में काम करने वाले अपने अधिकारियों को मृत्यु संबंधी क्लेम को सात दिन के अंतर निपटाने के बारे में दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. इसी तरह सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों का हिसाब सेवा पूरी होने से पहले ही तय करने को कहा गया है.

श्रम मंत्रालय ने एक नोटीफिकेशन में बताया कि मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से 26 अक्तूबर को हुई बैठक में दिए गए दिशानिर्देशों पर की गई कार्रवाई की समीक्षा की है. इसमें केंद्रीय भविष्य निधि कोष आयुक्त ने मंत्री को बताया कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर ईपीएफओ ने सेवानिवृत्ति और मृत्यु संबंधी दावों के निपटान के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. सोशल मीडिया पर की जाने वाली पीएफ से जुड़ी शिकायतों के निपटाने पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा.

सर्वाधिक गोल करने वाले क्लोस ने लिया संन्यास

जर्मनी के स्टार फुटबॉलर और विश्व कप में सर्वकालिक सर्वाधिक गोल करने वाले मिरोस्लाव क्लोस ने संन्यास लेने की घोषणा कर दी. जर्मनी की तरफ से 137 अंतरराष्ट्रीय मैचों में सर्वाधिक 71 गोल करने वाले क्लोस पिछले सीजन में लाजियो के साथ अनुबंध समाप्त होने के बाद किसी क्लब से नहीं जुड़ पाए थे. अब वह राष्ट्रीय टीम के कोचिंग स्टाफ से जुड़ेंगे.

38 साल के क्लोस ने दो साल पहले मेजबान ब्राजील के खिलाफ सेमीफाइनल में जर्मनी की 7-1 से जीत के दौरान विश्व कप में रिकार्ड 16वां गोल किया था. उन्होंने ब्राजील के स्टार रोनाल्डो का रिकॉर्ड तोड़ा था. जर्मनी ने तब खिताब भी जीता था.

अब क्लोस की योजना जर्मनी के कोचिंग स्टाफ से जुड़ने की है. इसके लिये मुख्य कोच जोचिम लोउ ने उनके सामने पेशकश की थी. जर्मन फुटबॉल संघ (डीएफबी) के बयान के अनुसार क्लोस अपना कोचिंग करियर शुरू करने से पहले स्वयं अभ्यास कार्यक्रम से जुड़ेंगे.

क्लोस ने कहा, ‘‘मुझे राष्ट्रीय टीम में सबसे अधिक सफलता मिली. वह समय शानदार रहा और उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. इसलिए मैं फिर से डीएफबी में वापसी करने को लेकर खुश हूं.’’

उत्तर प्रदेश में कौन कहां है…?

उत्तर प्रदेश में कौन कहां है? सरकार बनी सपा आपसी लड़ाई लड़ते हुए, मरहम-पट्टी कर रही है. बसपा बिखराव के साथ संभलने में लगी है. भाजपा अपने को जितना मजबूत दिखा रही थी उतनी है नहीं. ‘265 प्लस‘ का नारा, कमजोर पड़ा है. मोदी छाप सर्जिकल स्ट्राइक का कोरामिन उसे मिल गया है. कांग्रेस सरकार बनाने के इरादे को मजबूत कर रही है. सोनिया गांधी का बनारस रोड शो, राहुल गांधी की खाट सभायें सफल रहीं. हर वर्ग में बनती उसकी नयी पहचान है. कह सकते हैं, कि कांग्रेस में एकजुटता बढ़ी है. विश्वास बढ़ा है. लोग तीन दशक बाद प्रदेश के लोग कांग्रेस को देख और सुन रहे हैं.

लालू-नीतीश के होने की उम्मीद थी, वह नहीं है. वामपंथी चुनाव परिदृश्य में, अब तक कहीं नहीं. लखनऊ में आयोजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक कार्यक्रम में जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पहुंचे थे. उन्हें पार्टी से पूछना और बताना चाहिये कि वामपंथी राजनीतिक दल कहीं क्यों नहीं हैं? क्या वे इतने भी नहीं हैं, कि चुनाव को वर्ग संघर्ष को स्पष्ट करने का जरिया बना सकें? जबकि फासीवाद का पहला हमला उन पर और उस वर्ग पर होता है, जो समाज में बहुसंख्यक है. जिसकी शुरुआत हो चुकी है. शायद उन्होंने मान लिया है, कि उत्तर प्रदेश उनके लायक नहीं है, जहां धर्म, जाति और पुरातन की जकड़ है. जहां वर्ग नहीं वर्ण है. जहां आदमी नहीं हिंदू, मुसलमान, दलित रहते हैं. जहां ब्राम्हण, क्षत्रीय और सिंह बने यादव हैं.

भाजपा का समीकरण यही है, और कांग्रेस भी इसी समीकरण को साध रही है. सपा, बसपा इस समीकरण से अलग नहीं. इन सबके अलावा जो भी है, वह बेहाल है, उनकी बस जुड़ने की राजनीति है. और जुड़ने के लिये आधार वह पलड़ा है, जो सही तरीके से ‘तौलना‘ जाने. तराजू कहीं नहीं, बस मोल-भाव है. वैसे सभी राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिये चुनावी गठजोड़ के साथ अखाड़े में अकेले दम ठोक रहे हैं. भाजपा भी अपना दल- अनुप्रिया पटेल को जोड़ने के बाद थम गयी है और संघ के स्वयं सेवकों की सक्रियता बढ़ गयी है. जो जीत सके, उसे अपना बनाने की नीति है.

कांग्रेस ने राहुल गांधी की यात्राओं के जरिये अब तक का चुनावी समीकरण बिगाड दिया है. क्योंकि उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के होने को खारिज मान लिया था. यह मान लिया था, कि कांग्रेस बेदम है. उसकी वापसी दमदार नहीं हो सकती. लेकिन पिछले महीने देवरिया से शुरू हुई राहुल गांधी की किसान सभा मेरठ होते हुए जब दिल्ली पहुंची, उसके सफल होने की खबर उसके साथ थी. शायद, पहली बार राहुल गांधी को बेबाक सफलता मिली. कांग्रेस और राहुल गांधी के लिये लोगों में गहरा आकषर्ण नजर आया. तमाम स्थितियों का आंकलन यही है, कि कांग्रेस खारिज नहीं हुई है. भाजपा ने भी यह जान लिया है.

नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्तर पर अल्प संख्यक समुदाय को सहला रहे हैं, कि ‘‘मुसलमानों को वोट बैंक समझना गलत है.‘‘ मगर भाजपा जब तक संघ और हिंदूवादी संगठनो के दायरे में है, और वह इस दायरे से कभी नहीं निकल सकती, तब तक उसकी नीतियां नहीं बदलेंगी. वह अपना ‘हिंदू कार्ड‘ भी नहीं छोडेंगी. सपा, बसपा और कांग्रेस के निशाने पर भापजा और नरेंद्र मोदी ही है. यदि मोदी न हों, तो भाजपा उत्तर प्रदेश में कमजोर है. मोदी यहां डफली और मुनादी की तरह बज रहे हैं, और चुनाव तक उनकी ही डफली बजती रहेगी, उनकी ही मुनादी होती रहेगी.

अब आप सोचें और बतायें- विकास का एजेण्डा कहां है? आम आदमी का हित कहां है? चुनाव हमारी किस समस्या का समाधान है? सरकारें यदि आम जनता के हितों की पक्षधर नहीं, तो चुनी हुई सरकारों का मतलब क्या है?

आम जनता बाजार में जैसे श्रम का स्त्रोत और उपभोक्ता है, राजनीति के बाजार में भी वह सरकार बनाने और भारी मुनाफा कमाने का जरिया है.

जयललिता होने की महत्ता

तमिलनाडु की राजनीति रोचक मोड़ ले रही है. मुख्यमंत्री जे जयललिता बुरी तरह बीमार हैं. वे अपोलो अस्पताल के आईसीयू में भरती हैं. वहां वे किसी से नहीं मिल सकतीं. डाक्टर तरहतरह के उपचार कर रहे हैं और दिलासा दे रहे हैं कि वे ठीक हो जाएंगी पर अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम पार्टी के विधायकों, सांसदों व कार्यकर्ताओं के चेहरे उतरे हैं.

जयललिता में कुछ ऐसा करिश्मा है कि वे बिना कुछ खास काम किए लगातार जीतती रही हैं और बारबार भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने के बावजूद बहुत बड़ी तादाद में तमिल जनता की चहेती बनी हुई हैं. जयललिता एक जमाने में एम जी रामचंद्रन की सहभागी एक्ट्रैस थीं और उन्हीं के साथ वे राजनीति में आईं. वे आराध्य एमजीआर से ज्यादा लोकप्रिय हुईं.

जयललिता की बीमारी क्या है, कैसी है, क्या ठीक होने लायक है, ये सवाल, सवाल ही हैं क्योंकि राज्य का काम तो जैसेतैसे चल ही रहा है. यह विडंबना है इस देश की कि जिस नेता को चुना गया राज्य सरकार चलाने के लिए, उस की गंभीर बीमारी के बावजूद उसे न तो हटाने की मांग की जाती है न दूसरे नंबर का कोई नेता सरकार चलाने के लिए अपना दावा पेश करता है.

व्यक्तिपूजा इस हद तक यहां चलती है कि नेता को बीमार देख कर भी समर्थकों को नेता की चिंता रहती है, सरकार की नहीं. देश के अधिकांश राज्यों में भी सरकारें लड़खड़ाती चलती हैं तो इसलिए कि लोग नेता को वरीयता देते हैं, शासन को नहीं, नेता के फैसलों को नहीं. देश इसी का खमियाजा भुगत रहा है. व्यक्तिपूजा के चक्कर में नेता के अच्छे कामों और बेकार कामों का अंतर गायब हो जाता है और निकम्मे व असफल नेता भी ऊंची उड़ाने भरते रहते हैं अगर वे चुनाव जीत जाएं.

नेता को दिखाने भर को कुरसी पर नहीं बैठाया जाता. उसे तो काम कर के दिखाना होता है और इस के लिए उस का स्वस्थ होना जरूरी है. जयललिता स्वस्थ हों, यह इच्छा करना हर तमिलनाडुवासी का हक है पर जब तक वे बीमार हैं, मुख्यमंत्री का काम कोई देखने वाला होना चाहिए. यह पद ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता.

हमेशा काम आएंगे ये कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर, करें इंस्टॉल

मार्केट में इन दिनों कई हाईटेक सॉफ्टवेयर आ रहे हैं. हालांकि, जरूरी नहीं कि वो हर यूजर्स के काम के हों. वैसे, ज्यादातर यूजर्स अपने कम्प्यूटर/लैपटॉप में काम के मुताबिक सॉफ्टेवयर इन्स्टॉल करते हैं. सिस्टम में जितने कम सॉफ्टवेयर होंगे वो उतना ही बेहतर रन करेगा. साथ ही, हैंग होना, स्लो वर्किंग करना जैसी समस्याएं भी नहीं आएंगी. हम ऐसे ही कुछ सॉफ्टवेयर के बारे में बता रहे हैं…

ये ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो हार्ड डिस्क में कम स्पेस लेते हैं और इन्हें आसानी से इन्स्टॉल भी किया जा सकता है. सबसे अच्छी बात ये है कि ये सभी यूजर फ्रेंडली होते हैं. यानी ये हर यूजर की जरूरत होते हैं और उन्हें आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है.

एडोब फोटोशॉप (Adobe Photoshop)

कम्प्यूटर/लैपटॉप का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को अक्सर फोटो एडिटिंग सॉफ्टवेयर का काम पड़ता है. ऐसे में सबसे बेस्ट ऑप्शन एडोब फोटोशॉप है. हालांकि, इस सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए यूजर्स को छोटी-मोटी ट्रेनिंग की जरूरत होती है. वैसे, घर बैठ भी इसे आसानी से सीखा जा सकता है. खासकर यूजर्स अपने काम की कमांड सीखकर इस पर बेहतर काम कर सकते हैं.

एंटीवायरस (Antivirus)

आपने नया कम्प्यूटर/लैपटॉप खरीदा है या फिर सिस्टम पुराना है. उसमें सबसे एंटीवायरस जरूर होना चाहिए. नए सिस्टम में तो सबसे पहले एंटीवायरस ही इन्स्टॉल करना चाहिए. मार्केट में कई तरह के एंटीवायरस मौजूद हैं. साथ ही, इन्हें इंटरनेट से भी आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है. ऐसे में आप जब भी कोई एंटीवायरस खरीदें उसे लगातार अपडेट करते रहें. ज्यादातर एंटीवायरस एक साल के सब्स्क्रिप्शन के साथ आते हैं. जिन्हें बाद में अपडेट करना होता है.

​​VLC मीडिया प्लेयर

सिस्टम में एंटरटेनमेंट के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर होना चाहिए, जो सभी तरह की ऑडियो/वीडियो फाइल को प्ले कर सके. ऐसे में VLC मीडिया प्लेयर बेस्ट ऑप्शन है. इसकी खासियत है कि इसे सिस्टम में इन्स्टॉल करने के बाद किसी दूसरे सॉफ्टवेयर की जरूरत नहीं होगी. ये फाइल में मौजूद सभी ऑडियो को भी सपोर्ट करता है. साथ ही, ये मल्टीफीचर्स के साथ आता है.

एडोब रीडर (Adobe Reader)

किसी भी कम्प्यूटर/लैपटॉप पर ये काफी काम का सॉफ्टवेयर है. दरअसल, जब भी यूजर्स कोई ऑनलाइन या ऑफलाइन PDF फाइल ओपन करता है तो उसके लिए एडोब रीडर का होना जरूरी है. इतना ही नहीं, ऑनलाइन ई-बुक्स या दूसरी ई-फाइल के लिए भी एडोब रीडर का होना जरूरी है.

एडोब फ्लैश प्लेयर (Adobe Flash Player)

एडोब प्लेयर की तरह फ्लैश प्लेयर भी हर यूजर्स के काम आता है. दरअसल, जब यूट्यूब या किसी दूसरी वेबसाइट पर आप ऑनलाइन वीडियो देखते हैं, तब आपके सिस्टम में एडोब फ्लैश प्लेयर का होना जरूरी है. यदि सिस्टम में ये सॉफ्टवेयर नहीं होगा, तो फ्लैश प्लेयर की एरर आएगी. इसे ऑनलाइन भी इन्स्टॉल किया जा सकता है.

जिप (Zip)

यूजर्स के काम आने वाले सॉफ्टवेयर में जिप (Zip) भी शामिल है. इसके कई सॉफ्टेवयर मौजूद हैं, जिन्हें इंटरनेट से फ्री डाउनलोड भी किया जा सकता है. बहुत सारी फाइल को जिप फाइल में कनवर्ट करके रखा जा सकता है. इसमें किसी तरह का वायरस नहीं आता है. साथ ही, ये फाइल को कम्प्रेस भी कर देता है. इतना ही नहीं, इंटरनेट से मल्टी फाइल भी जिप फॉर्मेट में डाउनलोड होती हैं.

फोल्डर लॉक (Folder Lock)

सिस्टम में फाइल के प्रोटेक्शन के लिए फोल्डर लॉक का होना भी जरूरी है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से यूजर्स अपनी जरूरी फाइल, वीडियो, ऑडियो या अन्य सभी को लॉक कर सकता है. इसमें पासवर्ड होता है ऐसे में इसे सिर्फ पासवर्ड से ही ओपन किया जा सकता है. यानी सिस्टम गलत हाथों में जाने के बाद भी फाइल सेफ रहेंगी.

रजिस्ट्री क्लीनअप (Registry Cleaners/Tune up Utilities)

कोई यूजर्स जब भी सिस्टम का इस्तेमाल करता है, तो उसकी रजिस्ट्री में कई फाइलें आ जाती है. इन फाइल्स की वजह से कम्प्यूटर की बूटिंग प्रोसेस धीमी हो जाती है और सिस्टम भी स्लो हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि रजिस्ट्री क्लीनअप किया जाए. रजिस्ट्री क्लीन करने के लिए कई सॉफ्टवेयर आते हैं. जिसका सिस्टम में होना जरूरी होता है.

नीरो (Nero : Image Burner)

यदि कोई यूजर्स CD/DVD को राइट करता है, तो इसके लिए सिस्टम में DVD राइटर होना जरूरी है. साथ ही, एक अच्छा सॉफ्टवेयर. राइटर के साथ एक Nero सॉफ्टवेयर की CD आती है. जिसकी मदद से आसानी से CD/DVD को राइट किया जा सकता है. ये सॉफ्टवेयर किसी भी CD/DVD की इमेज बना देता है. जिसे आसानी से राइट किया जा सकता है. इमेज में किसी तरह का वायरस नहीं होता. साथ ही, ये किसी भी CD/DVD की पूरी तरह डुप्लिकेट कॉपी होती है.

फायरफॉक्स और गूगल (Firefox and Google Chrome)

कम्प्यूटर और लैपटॉप पर ज्यादातर यूजर्स इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में मोजिला फायरफॉक्स और गूगल क्रोम किसी भी यूजर्स के लिए जरूरी वेब ब्राउजर्स हैं. ये ब्राउजर्स सर्चिंग और डाउनलोडिंग के लिए भी काम आते हैं. इन ब्राउजर्स को इंटरनेट से डाउनलोड किया जा सकता है. साथ ही, जिनके सिस्टम में ये मौजूद है उन्हें इंटरनेट से अपडेट भी किया जा सकता है.

सानिया एक बार फिर टॉप पर

भारत की स्टार टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा डब्ल्यूटीए फाइनल्स में अपने खिताब का बचाव तो नहीं कर सकीं लेकिन वो लगातार दूसरी बार साल का समापन दुनिया की नंबर एक महिला डबल्स खिलाड़ी के रूप में करेंगी.

सानिया और स्विटजरलैंड की मार्टिना हिंगिस की जोड़ी डब्ल्यूटीए फाइनल्स के सेमीफाइनल में हार गयीं थीं जिससे वो साल के अंतिम डब्ल्यूटीए टूर्नामेंट में अपने खिताब का बचाव नहीं कर सकी थीं. लेकिन ताजा जारी डब्ल्यूटीए रैंकिंग में वो अपने शीर्ष स्थान पर बरकरार हैं और लगातार दूसरे साल महिला युगल रैंकिंग में बतौर नंबर वन टेनिस खिलाड़ी साल का समापन करेंगी.

गत चैंपियन सानिया और हिंगिस सेमीफाइनल में एकातेरिना माकारोवा और एलीना वेस्नीना की जोड़ी से हार गयी थीं. सानिया के डब्ल्यूटीए रैंकिंग में 8135 रेटिंग अंक हैं जबकि उनकी पूर्व जोड़ीदार हिंगिस साल का समापन चौथे नंबर पर करेंगी. हिंगिस और सानिया एक साथ शीर्ष रैंकिंग पर थीं लेकिन हाल में स्विस खिलाड़ी रैंकिंग में नीचे फिसल गयीं. दूसरे नंबर पर फ्रांस की कैरोलाइन गार्सिया और क्रिस्टीना म्लोदेनोविच हैं.

सानिया ने ट्विटर पर भी नंबर वन बने रहने पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि लगातार दूसरे साल नंबर वन बने रहना बड़े सम्मान की बात है. भारतीय टेनिस खिलाड़ी ने इस साल हिंगिस के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन और बारबोरा स्ट्राइकोवा के साथ सिनसिनाटी मास्टर्स खिताब जीता है. वो अगस्त में हिंगिस से अलग हो गयी थीं और चेक गणराज्य की बारबोरा साथ खेल रही हैं.

दूसरी ओर पुरुष डबल्स रैंकिंग में रोहन बोपन्ना अपने 22वें स्थान पर बरकरार हैं जबकि लिएंडर पेस एक स्थान गिरकर 56वें स्थान पर खिसक गये हैं. पुरुष एकल रैंकिंग में साकेत मिनेनी 10 स्थान उठकर 193वें नंबर पर पहुंच गए हैं और टॉप 200 सिंगल खिलाड़ियों में भारत के सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग खिलाड़ी हैं.

धोनी को कप्तानी से हटाना बड़ी गलतीः कर्स्टन

पूर्व विश्व कप विजेता कोच गैरी कर्स्टन का मानना है कि भारत का वनडे अंतरराष्ट्रीय टीम की कप्तानी से महेंद्र सिंह धोनी को हटाना बड़ी गलती हो सकती है. कर्स्टन से जब यह पूछा गया कि क्या समय आ गया है कि वनडे टीम की कमान विराट कोहली को सौंप दी जाए तो उन्होंने कहा, ‘आपको मुझसे इसका जवाब नहीं मिलेगा. आप अपने जोखिम पर धोनी को बदल सकते हैं, क्योंकि मेरा अनुभव कहता है कि सभी महान कप्तानों ने अपने करियर के अंत तक शानदार प्रदर्शन किया है. अगर कोई धोनी को जाने देना चाहता है तो क्या पता भारत इंग्लैंड में 2019 विश्व कप के दौरान कुछ प्रभावी मैच विजयी प्रदर्शन गंवा दे.’

धोनी को 'महान खिलाड़ी' करार देते हुए दक्षिण अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज कर्स्टन ने उनके आलोचकों को लताड़ लगाई और कहा कि जो उनकी क्षमता पर संदेह कर रहे हैं वे गलती कर रहे हैं.

धोनी के भविष्य को लेकर जारी बहस के बारे में पूछने पर कर्स्टन ने कहा कि मुझे लगता है कि मैं जब भी भारत आता हूं तो यह सवाल मुझसे पूछा जाता है. तीन साल में मेरा जवाब नहीं बदला है. वह (धोनी) निश्चित तौर पर सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं जिनके साथ मैंने काम किया.

भारतीय क्रिकेट के साथ पिछले नौ-दस सालों में उनका रिकॉर्ड सब कुछ बोलता है. मेरे नजरिये से इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह भारत के महानतम कप्तानों में शामिल हैं और इस दौरान निश्चित तौर पर भारत के लिए ट्रॉफी जीती है.

भारत ने 2011 में जब विश्व कप जीता था तब धोनी कप्तान और कर्स्टन कोच थे. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज ने कहा कि सीमित ओवरों के क्रिकेट में धोनी का रिकॉर्ड सब कुछ खुद ब खुद बोलता है.

उन्होंने कहा, 'आपको वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके बल्लेबाजी रिकॉर्ड को देखना चाहिए. फिनिशर के रूप में, वह जिस स्थान पर बल्लेबाजी करते हैं उसे देखते हुए उन्हें पीछे नहीं छोड़ा जा सकता. इसलिए अगर कोई उसकी क्षमता पर सवाल उठा रहा है तो मुझे लगता है कि वह बड़ी गलती कर रहा है.

कर्स्टन ने कहा कि अपने भविष्य पर फैसला करने का मामला धोनी पर ही छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा, हर खिलाड़ी के करियर में एक समय ऐसा आता है, जब उसे यह फैसला करना होता है कि वह टीम में रहे या छोड़ दे. हमें यह फैसला धोनी पर छोड़ देना चाहिए.

देश के 7 पावर प्लांट्स में भारी कोयला संकट

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने पांच पावर स्टेशंस की पहचान की है, जहां कोयले का स्टॉक ‘क्रिटिकल’ लेवल और दो पावर स्टेशंस में ‘सुपर क्रिटिकल’ लेवल तक पहुंच गया है. यह सालभर के बाद देश में कोयले की कमी का शुरुआती संकेत है. अभी कम से कम 15 पावर स्टेशंस ऐसे हैं, जिनके पास पांच दिनों या इससे कम के लिए कोयला बचा है.

किसी पिट हेड पावर प्लांट के पास जब सिर्फ चार दिन के लिए कोयला बचा होता है तो उसे ‘क्रिटिकल’ माना जाता है. वहीं, सुपर क्रिटिकल लेवल का मतलब है कि पावर प्लांट के पास तीन दिन चलने लायक भी कोयला नहीं है. वहीं, नॉन पिट हेड पावर प्लांट के लिए क्रिटिकल स्टॉक पोजिशन का मतलब यह है कि उसके पास सात दिनों से कम का स्टॉक बचा है. वहीं, जब ऐसे प्लांट्स के पास चार दिनों के लायक कोयला बचा होता है तो उसे सुपर क्रिटिकल माना जाता है.

इस बारे में कोल इंडिया के एक अधिकारी ने बताया, ‘पिट हेड पावर प्लांट्स के पास अगर कुछ दिनों के लिए कोयला बचा हो तो हम उसे गंभीर नहीं मानते क्योंकि जरूरत पड़ने पर उसे अतिरिक्त कोयले की सप्लाई की जा सकती है.’ उन्होंने बताया कि कई ऐसे प्लांट्स हैं, जिनके लिए फाइनैंशल ईयर की शुरुआत से जितना कोयला भेजा जाना था, उतना भेजा जा चुका है. मिसाल के लिए, पश्चिम बंगाल में संतालडिही थर्मल पावर प्लांट को इस बीच जितना कोयला मिलना चाहिए था, उससे डबल सप्लाई की जा चुकी है.

पिछले साल इस दौरान इन पावर प्लांट्स के पास 2.3 करोड़ टन कोयला था, जो 19 दिनों के लिए काफी था. कुछ महीनों से कोल इंडिया ने प्रॉडक्शन घटाया है क्योंकि काफी स्टॉक होने की वजह से पावर प्लांट्स कंपनी से एक्स्ट्रा कोयला नहीं ले रहे थे. इससे पिछले दो महीनों में कोल इंडिया के प्रॉडक्शन और सप्लाई में कमी आई है.

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