सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने पांच पावर स्टेशंस की पहचान की है, जहां कोयले का स्टॉक ‘क्रिटिकल’ लेवल और दो पावर स्टेशंस में ‘सुपर क्रिटिकल’ लेवल तक पहुंच गया है. यह सालभर के बाद देश में कोयले की कमी का शुरुआती संकेत है. अभी कम से कम 15 पावर स्टेशंस ऐसे हैं, जिनके पास पांच दिनों या इससे कम के लिए कोयला बचा है.
किसी पिट हेड पावर प्लांट के पास जब सिर्फ चार दिन के लिए कोयला बचा होता है तो उसे ‘क्रिटिकल’ माना जाता है. वहीं, सुपर क्रिटिकल लेवल का मतलब है कि पावर प्लांट के पास तीन दिन चलने लायक भी कोयला नहीं है. वहीं, नॉन पिट हेड पावर प्लांट के लिए क्रिटिकल स्टॉक पोजिशन का मतलब यह है कि उसके पास सात दिनों से कम का स्टॉक बचा है. वहीं, जब ऐसे प्लांट्स के पास चार दिनों के लायक कोयला बचा होता है तो उसे सुपर क्रिटिकल माना जाता है.
इस बारे में कोल इंडिया के एक अधिकारी ने बताया, ‘पिट हेड पावर प्लांट्स के पास अगर कुछ दिनों के लिए कोयला बचा हो तो हम उसे गंभीर नहीं मानते क्योंकि जरूरत पड़ने पर उसे अतिरिक्त कोयले की सप्लाई की जा सकती है.’ उन्होंने बताया कि कई ऐसे प्लांट्स हैं, जिनके लिए फाइनैंशल ईयर की शुरुआत से जितना कोयला भेजा जाना था, उतना भेजा जा चुका है. मिसाल के लिए, पश्चिम बंगाल में संतालडिही थर्मल पावर प्लांट को इस बीच जितना कोयला मिलना चाहिए था, उससे डबल सप्लाई की जा चुकी है.
पिछले साल इस दौरान इन पावर प्लांट्स के पास 2.3 करोड़ टन कोयला था, जो 19 दिनों के लिए काफी था. कुछ महीनों से कोल इंडिया ने प्रॉडक्शन घटाया है क्योंकि काफी स्टॉक होने की वजह से पावर प्लांट्स कंपनी से एक्स्ट्रा कोयला नहीं ले रहे थे. इससे पिछले दो महीनों में कोल इंडिया के प्रॉडक्शन और सप्लाई में कमी आई है.