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नीम से कीड़ों की रोकथाम

तमाम फसलों में कीड़ों की समस्या हमेशा से रही है और पुराने जमाने से ले कर आज तक कीड़ों से बचाव के लिए तरहतरह की तरकीबें आजमाई जाती रही हैं. कीटों की रोकथाम के लिए रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल काफी अरसे से लगातार किया जा रहा?है. पहले तो इन के खराब असर को ज्यादा महसूस नहीं किया गया, मगर अब यह बात पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि रासायनिक कीटनाशक इनसानों की सेहत के लिए बेहद घातक होते हैं. लिहाजा अब वक्त आ गया है रासायनिक कीटनाशकों के बगैर काम चलाने का. ऐसे में कुदरती खूबियों से भरपूर नीम का इस्तेमाल काफी कारगर साबित हो सकता?है.

रासायनिक कीटनाशक महज इनसानों की सेहत के लिए ही घातक नहीं होते, बल्कि ये जानवरों को भी काफी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में इकलौता रास्ता है कि वानस्पतिक कीटनाशक ही इस्तेमाल किए जाएं और तमाम वानस्पतिक कीटनाशकों में नीम काफी असरदार साबित हुआ है. नीम को पुराने जमाने से ही औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है और अब यह तमाम फसलों के लिए भी बेहतरीन कीटनाशक का काम करता है.

नीम के कीटनाशक तत्त्वों की जांचपड़ताल को ले कर भारत सहित कई देशों में खोजबीन की गई है. तमाम प्रयोगों के बाद यह हकीकत सामने आई है कि नीम के पेड़ के फल, बीज, डाल, तना व पत्तियों में असरदार कीटनाशक की खूबियां मौजूद हैं. नीम कीड़ों के खिलाफ कई तरह से काम करता है.

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रयोगों से नीम के कीटनाशक गुणों की हकीकत का खुलासा हुआ है. नीम तमाम कीड़ों के खिलाफ निम्न तरीके से रोकथाम करता?है.

एंटीफीडेंट : यह फसल को कीड़ों द्वारा खाने के रूप में लेने से रोकता है. यानी इस के असर से कीड़े फसल को खा नहीं पाते.

कीड़ा वृद्धि बाधक : अगर कीट नीम वाली यानी नीम के असर वाली फसल को खा लेता है, तो इस से उस का विकास रुक जाता है. वृद्धि न होने से कीट उतना घातक नहीं रह पाता.

कीटनाशक : वैसे तो नीम के असर वाली फसल को खाने से कीड़े घबराते हैं और अगर गलती से खा लें तो फिर उन का बचना मुश्किल होता है. नीम की तेजी अमूमन कीड़ों को मार देती है.

नीम की इन्हीं खूबियों को देखते हुए कई कंपनियों ने नीम से बने कारगर कीटनाशक बाजार में पेश किए हैं. इन कीटनाशकों का किसानों द्वारा धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. नींबीसिडिन, नीमार्क, नीमाप्लस, नीमगोल्ड, नीमगार्ड, मार्गोसाइड, मार्गोइकोनीम व आजोनीम वगैरह नीम से बनाए गए खास कीटनाशक हैं. नामी कंपनियों द्वारा बनाए गए इन कीटनाशकों के अलावा नीम द्वारा कीटनाशक बनाने की घरेलू विधियां भी आजमाई जा रही?हैं, जो बेहद आसान हैं.

घर में बनाएं कीटनाशक

कड़वी नीम के पके हुए मीठे फल गांवों के बच्चों द्वारा चाव से चूसे जाते हैं. ये फल बच्चों के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. इन से बच्चे फोड़ेफुंसियों से बचे रहते हैं. ये फल पेड़ स टूट कर खुदबखुद जमीन पर गिर जाते?हैं. इन्हें झाड़ू की मदद से जमा कर लेते हैं. रात भर में टूटे फलों को सुबहसुबह ही बटोर लेना चाहिए, ताकि वे जानवरों, गाडि़यों या इनसानों द्वारा कुचले न जाएं. इन में से सड़े या खराब फलों को छांट कर अलग कर देना चाहिए. इन फलों को कुछ जगहों पर ‘गल्ला’ कहते हैं, तो कई लोग इन्हें ‘निंबोली’ भी कहते हैं. नीम के फलों को पेड़ से सीधे भी तोड़ सकत हैं, पर वे पूरी तरह पके नहीं होते हैं. उन्हें 2-3 दिनों तक रख कर पकाना पड़ता है. नीम के फलों को जमा करने के बाद बांस या जूट की टोकरी में रख देते हैं. फलों को रखने के लिए धातु या प्लास्टिक के डब्बों या बर्तनों का इस्तेमाल सही नहीं रहता है. हवादार टोकरी न होने पर फलों को जमा कर के पेड़ के नजदीक ही ढेर बना देना ठीक रहता है.

फलों को जमा करने के 2 दिनों यानी 48 घंटों के अंदर फलों का गूदा अलग कर लेना चाहिए. इस काम के लिए एक बर्तन में पानी डाल कर उस में जमा किए गए फलों को डाल देना चाहिए. इस के बाद हाथों से फलों को रगड़ने से फलों का गूदा निकल जाता है. गूदा हटाने के बाद नीम के बीजों को पक्के फर्श या किसी भी सूखी जगह पर फैला कर धूप में सुखा लेते हैं. धूप में सुखाने के बाद बीजों को 2-3 दिनों तक किसी छायादार जगह पर भी सुखाना चाहिए. अच्छी तरह सूखने के बाद बीजों को बोरे या?टोकरे में रखते हैं.

कीटनाशक यानी नीम का सत बनाने के लिए नीम के बीजों को पीस लिया जाता है. एक बाल्टी में नाप कर पानी भरने के बाद उस में तोल के हिसाब से पीसे हुए नीम के बीज डालते?हैं. करीब 10 मिनट तक लकड़ी के डंडे से?घोल को मिलाने के बाद 6 से 16 घंटों के लिए छोड़ दें. इस के बाद फिर से करीब 10 मिनट तक लकड़ी के डंडे से घोल को मिलाएं. इस के बाद घोल को बारीक कपड़े से अच्छी तरह छान लें. घोल छानते वक्त खयाल रखें कि बड़े कण?घोल में न आने पाएं. घोल में कण आने से छिड़काव के वक्त मशीन के जाम होने का डर रहता है. नीम के बीजों से बने घोल को छिड़काव करने वाली मशीन में डाल कर फसलों पर स्प्रे करना चाहिए.

फीसदी मात्रा : नीम के घोल को हर किस्म के कीटों की रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और इस की कोई भी मात्रा कारगर साबित होती है, क्योंकि यह नुकसान रहित होता है.

वैसे वैज्ञानिकों की सलाह के मुताबिक फीसदी मात्रा के हिसाब से घोल बनाया जा सकता है. मसलन 5 फीसदी का घोल बनाने के लिए 500 ग्राम नीम के बीजों का पाउडर 10 लीटर पानी में मिलाया जाता है. कुल मिला कर नीम से बना यह कीटनाशक हर फसल की कीड़ों से हिफाजत करता?है और इस से इनसानों या जानवरों को कोई खतरा भी नहीं रहता. 

बिंद्रा बनें रियो ओलंपिक के गुडविल एम्बेसडर

रियो ओलंपिक के लिए भारत के गुडविल एम्बेसडर सलमान खान को घोषित किया गया तो इस पर खूब विवाद हुआ. अब भारतीय ओलंपिक महासंघ (आईओए) इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहता है.

सलमान खान के बाद अब अभिनव बिंद्रा भी रियो ओलंपिक खेलों के गुडविल एंबेसडर बनने के लिए  तैयार हो गए हैं. बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान के इन खेलों का गुडविल एंबेसडर बनने के बाद से विवाद खड़ा हो गया है,  लेकिन ओलंपिक की निजी प्रतियोगिताओं में भारत के इकलौते स्वर्ण पदक विजेता शूटर अभिनव ब्रिंद्रा भी इन खेलों का गुडविल एंबेसडर बनने को राज़ी हो गए हैं.

ब्रिंद्रा ने खत लिखकर बताया कि भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष और महासचिव ने उनसे भारतीय दल का गुडविल एंबेसडर बनने की पेशकश की थी. उन्होंने कहा कि उन्हें फ़ख़्र महसूस हो रहा है कि वे भारतीय कॉन्टिंजेंट के गुडविल एंबेसडर नियुक्त किए गए हैं. अभिनव ने लिखा है कि उन्हें इसके काबिल समझा गया और वे इसे पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं. इस मशहूर शूटर ने कहा कि उनका पूरा जीवन ओलंपिक के लिए समर्पित रहा है और आगे भी रहेगा. वे पूरे फ़ोकस के साथ रियो ओलंपिक खेलों में बेहतरीन करने की कोशिश करेंगे.

उन्होंने यह भी लिखा है कि इस बारे वे 15 जुलाई तक आईओए और खिलाड़ियों की मदद के लिए तैयार रहेंगे और उसके बाद अपने गेम पर फ़ोकस करेंगे. रियो ओलंपिक खेल 5 से 21 अगस्त तक आयोजित होंगे. उन्होंने खेलप्रेमियों से भी भारतीय टीम की मदद करने की अपील की है. रियो ओलंपिक खेलों के लिए आईओए की मार्केटिंग टीम आईओएस (IOS) के ज़रिये इसके अलावा भारत रत्न सचिन तेंदुलकर और संगीतकार एआर रहमान से भी पेशकश की गई है. लेकिन इन सितारों की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है.

ब्रिटेन में बढ़ा भारत का निवेश

ब्रिटेन में भारतीय कंपनियों का निवेश 2015 में करीब 65 % बढ़ा और अमेरिका तथा फ्रांस के बाद भारत इस देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत बना गया है. यहां जारी एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में तीव्र-वृद्धि दर्ज करने वाली भारतीय कंपनियों की संख्या साल भर पहले 36 थी जो बढ़कर 62 हो गई.

इस श्रेणी में ऐसी कंपनियों को रखा गया है जिनका कारोबार 10 % से अधिक की दर से बढ रहा है. ग्रांट थार्नटन यूके एलएलपी द्वारा भारतीय उद्योग मंडल सीआईआई के साथ मिल कर प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया कि तीव्र वृद्धि वाली भारतीय कंपनियों का कुल कारोबार 2015 में बढ़कर 26 अरब पाउंड हो गया जो 2014 में 22 अरब पाउंड था.

इस रिपोर्ट का शीर्षक है – 'इंडिया मीट्स ब्रिटेन 2016 : ट्रैकिंग दी यूकेज टाप इंडियन कंपनीज.' ग्रांट थार्नटन यूके एलएलपी में दक्षिण एशियाई समूह प्रमुख अनुज चंदे ने कहा, 'इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भारतीय कंपनियों द्वारा ब्रिटेन में निवेश का स्तर ऊंचा है. 2015 में भारत से यहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 65 % बढ़ा जिससे ब्रिटेन के लिए भारत एफडीआई का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत बन गया है.'

 

नही पसीजे जेटली, देना होगा उत्पाद शुल्क

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ शब्दों में कहा है कि गैर चांदी के जेवरों पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क केवल 6 करोड़ से अधिक के सालाना कारोबार वाले सुनारों पर लगाया गया है और इसे वापस नहीं लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी सुनार को जांच के नाम पर परेशान नहीं किया जाएगा.

वित्त मंत्री ने इन जेवरों पर उत्पाद शुल्क को सही बताते हुए यह भी साफ कर दिया कि सरकार की जरी के कारीगर को तकलीफ देने की कोई मंशा नहीं है लेकिन अब लोगों को लक्जरी आइटम पर शुल्क देने की आदत डाल लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि लक्जरी आइटमों पर कर नहीं दिया जाएगा तो इसका बोझ जरूरी चीजों पर जोड़कर लोगों से वसूला जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि एक बार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क अपने आप हट जाएगा.जेटली ने कहा कि इस शुल्क को हटाने के लिए छोटे स्वर्णकार और दस्तकारों का सहारा लेना गलत है. यह उत्पाद शुल्क केवल बड़े सुनारों और इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों पर लगाया गया है. उन्होंने कहा कि वह भरोसा देना चाहते हैं कि किसी भी दुकान पर कोई भी एक्साईज अधिकारी जांच के लिए नहीं जाएगा और सुनारों को यह शुल्क अपने वैट रिटर्न के आधार पर ही देना होगा. उन्होंने कहा कि यदि कोई अधिकारी जांच के लिए आता है तो उसका फोटो खींचकर मुझे भेज दें.

उन्होंने कहा कि सुनारों को परेशानी न हो इसलिए सरकार ने अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी की अगुआई में एक समिति बनाई है और इसमें सुनारों के भी तीन लोग रहेंगे. सरकार इस समिति की सिफारिशों के आधार पर आगे भी कदम उठाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि इसके दायरे में आने वाले सुनारों के पंजीकरण की तारीख बढ़ाकर 30 जून तक कर दी है. अब तक केवल 206 सुनारों ने ही अपना पंजीकरण कराया है.

 

फेसबुक इंक को बड़ा मुनाफा

फेसबुक इंक के राजस्व में साल की पहली तिमाही में 50% का इजाफा हुआ है. कंपनी के चर्चित मोबाइल ऐप और लाइव विडियो की सुविधा ने नए ऐडवर्टाइजर्स को जुड़ने और मौजूदा विज्ञापनदाताओं को अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित किया है. बुधवार को करीब एक घंटे के ही कारोबार में कंपनी के शेयरों में 9.5% का इजाफा हुआ. कंपनी के शेयर 118.39 डॉलर पर पहुंच गए. चार साल पहले कंपनी के आईपीओ की शुरुआत के मुकाबले यह स्तर तिगुना है.

फेसबुक का रेवेन्यू 52% बढ़कर 5.38 अरब डॉलर यानी करीब 35,000 करोड़ रुपये हो गया है. फेसबुक के रेवेन्यू में सबसे बड़ी हिस्सेदारी विज्ञापनों की रही है. विज्ञापन से कंपनी की कमाई में मोबाइल ऐड की 82% हिस्सेदारी रही.

कंपनी ने बताया कि 31 मार्च तक कुल 1.65 अरब लोग फेसबुक से जुड़ चुके हैं. पिछले साल इसी दौरान फेसबुक के कुल 1.44 अरब यूजर थे. कंपनी के नतीजे पेश करते हुए जकरबर्ग ने कहा कि यूजर प्रतिदिन करीब 50 मिनट फेसबुक, इंस्टाग्राम और मेसेंजर पर गुजारते हैं.

विज्ञापनदाता अब टीवी से हटकर मोबाइल और वेब प्लेटफॉर्म पर भी बड़ा निवेश कर रहे हैं. इसका सबसे अधिक फायदा फेसबुक को ही मिल रहा है. हालांकि कंपनी को मोबाइल विडियो मार्केट में प्रतिद्वंद्वी कंपनी स्नैपचैट और यूट्यूब से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. स्नैपचैट और यूट्यूब पर हर दिन करीब एक अरब विडियोज को लोग देखते हैं.

सिलिकॉन वैली स्थित कई कंपनियों के नतीजों के बाद फेसबुक के परिणामों ने तकनीकी जगत में एक उम्मीद बंधाने का काम किया है. सिनोवुस ट्रस्ट कंपनी में सीनियर पोर्टफोलियो मैनेजर के पद पर काम कर रहे डेनियल मॉर्गन ने कहा, 'पिछले सप्ताह इंटल और आईबीएफ और फिर ऐपल एवं ट्विटर के आंकड़े आए थे. लेकिन अब फेसबुक के आंकड़ों ने उम्मीद बंधाने का काम किया है.'

 

एंड्रॉयड फोन्स में कभी क्यों न देखें पॉर्न??

इंटरनेट पोर्नोग्राफी ने भारत में लोगों को तेजी से अपनी ओर खींचा है. ज्‍यादातर लोग अब पीसी की तुलना में स्मार्टफोन के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ रहे हैं. इसी कारण वयस्क सामग्री को अब एप के रूप में पेश किया जा रहा है. गूगल प्ले स्टोर पर ऐसे एप्स मौजूद हैं और एंड्रॉयड यूजर्स हर दिन अनगिनत बार पोर्न वेबसाइट्स पर विजिट करते हैं. अश्लील सामग्री देखना पूरी तरह से व्यक्तिगत है और देश में कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है. हालांकि, ऐसे कई कारण है जिसके चलते एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर पोर्न देखने से बचना चाहिए.

1.अवैध वीएएस (वैल्यू एडेड सर्विसेज) सब‌क्रिप्‍शन:

पोर्न ज्यादातर नि: शुल्क है. हालांकि, इसको देखना महंगा साबित हो सकता है. लोकप्रिय अश्लील वेबसाइटों मुनाफा कमाने की कोशिश में अवैध वीएएस एक्टिवेट करती हैं. इसका मतलब यह है जिस समय आप अपने एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर विशेष वेबसाइट ओपेन करते है तो एक वीएएस सदस्यता ऑटोमैटिक फोन में सक्रिय हो जाती है.

जूसअप पैक, कुंडली, ड्रीम गर्ल पैक, आदि के लिए मासिक या दैनिक शुल्क के साथ इस तरह सदस्यता खुद-ब-खुद सक्रिय हो जाती है. आमतौर पर प्रति दिन 5 या 35 रुपए प्रति माह रुपये कीमत होने की वजह से उपयोगकर्ता का ध्यान इस ओर नहीं जाता है.

अगर आपकी जानकारी और सहमति के बिना मोबाइल बैसेंल कम हो रहा है तो "STOP" टाइप करके 155,223 पर मैसेज करें और निर्देश का पालन करें. ट्राई द्वारा आवंटित किया गया यह यह एक टोल फ्री नंबर है. इसके लिए सबसे अच्छा वैकल्पिक हल है फोन को एयरप्लेन मोड पर रखें और वाई-फाई से कनेक्ट करें. इस तरह मोबाइल डेटा के खर्च से बच सकते हैं.

2. अधिक अश्लील टिकर:

पोर्न टिकर एंड्रॉयड के साथ सदियों पुरानी समस्या है. ये एक कानूनी एंड्रॉयड एप्लिकेशन का नकली वर्जन के रूप में आते हैं. जैसे कि अगर आप एंड्रॉयड मोबाइल पर पोर्न देखी और फिर लोकप्रिय गेम डाउनलोड करने के लिए प्ले स्टोर पर गए तो अश्लील टिकर टैम्पल रन, टॉकिंग टॉम आदि के रूप में आ सकते हैं. इसलिए अगर आप बिना जांचें परखे इस पर क्लिक करते हैं तो ट्रोजन वायरस मोबाइल में डाउनलोड हो सकता है.

इसलिए हमेशा इस बात की सलाह दी जाती है कि इंकॉग्निटो मोड में ही इस तरह की वेबसाइट ब्राउज करें और "आप पर नजर रखने के लिए वेबसाइटों को अनुमति न दें".  तुरंत ही कैश क्लिर करें और बिना जांच के एप डाउनलोड ना करें.

3. सिक्योरिटी का सबसे बड़ा खतरा:

उस एंड्रॉयड फोन में पोर्न ब्राउज करना जिसमें बैंकिंग एप्लिकेशन और आपका जीमेल अकाउंट मौजूद है, सिक्योरिटी के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है. इस तरह फोन की सिक्योरिटी और प्राइवेसी किसी भी साइबर अपराधी के हित में है.

4. रैनसमवेयर:

वास्तव में इंटरनेट पर कुछ भी फ्री ऑनलाइन नहीं है. आपको या तो नकद या डेटा के रूप में सब कुछ चुकाना पड़ता है. रैनसमवेयर मालवेयर एक खतरनाक वायरस है जो डिवाइस को लॉक कर देता है और यूजर से उनकी फाइलों की रिकवरी के लिए पैसे की मांग करता है. रैनसमवेयर मालवेयर की सबसे तेजी से बढ़ती किस्म है और यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है. आपकी डिवाइस की हर एक चीज शातिर साइबर आपराधी की दया पर निर्भर हो जाती है. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पैसे देने के बाद भी फोन अनलॉक जाएगा. अश्लील वेबसाइटों को पहले से ही इस पर महारत हासिल है.

आया स्मार्ट फोन से भी सस्ता लैपटॉप

कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी लेनोवो ने स्मार्टफोन से भी सस्ता लैपटॉप बाजार में उतारकर सबको हैरान कर दिया है. कंपनी भारत में किफायती आइडियापैड 100एस (Lenovo IdeaPad 100S) लैपटॉप लॉन्च किया है. इसकी कीमत 14,999 रुपये है. यह ई-कॉमर्स साइट स्नैपडील पर उपलब्ध है. यह विंडोज 10 ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ है, इस कीमत में यह इसकी सबसे बड़ी खासियत है.

लेनोवो आइडियापैड 100एस 11.6 इंच एचडी (1366×768 पिक्सल) डिस्प्ले के साथ है. इसके अलावा यह 1.83 गीगाहर्ट्ज क्वाड-कोर इंटल एटम ज़ेड3735एफ प्रोसेसर, 2 जीबी रैम और 32 जीबी इंटरनल स्टोरेज के साथ काम करता है. माइक्रोएसडी कार्ड के जरिए मैमोरी को बढ़ाया जा सकता है.

लैपटॉप 0.3 मेगापिक्सल वेबकैम, ब्लूटूथ वी4.0, वाई-फाई, दो यूएसबी 2.0 पोर्ट, एचडीएमआई पोर्ट जैसे फीचर्स के साथ है. कंपनी का दावा है कि यह 8 घंटे का बैटरी बैकअप देने में सक्षम है.

आइडियापैड 100एस 1 किलोग्राम वजन और 292 x 202 x 17.5 एमएम डायमेंशन के साथ है. लैपटॉप लॉन्च के मौके पर अशोक नायर निदेशक, होम एंड स्मॉल बिजनेस, लेनोवो इंडिया ने कहा, "सस्ते दाम पर हल्की नोटबुक और बेहतर कार्यक्षमता के साथ यह उपभोक्ताओं के लिए अच्छा विकल्प होगा जो हमेशा कनेक्ट रहना चाहता हैं. IdeaPad 100S दोनों परिवार और पेशेवर उपयोगकर्ताओं के लिए बेजोड़ अनुभव प्रदान करता है.

रामानुजन पर बनी फिल्म देख रो पड़ीं हस्तियां

अमेरिका के सिलिकॉन वैली में मैथमैटिश्यन श्रीनिवास रामानुजन पर बनी मूवी 'द मैन हू न्यू इनफिनिटी' की स्क्रीनिंग हुई. अमेरिका की 50 जानी-मानी हस्तियों को रामानुजन को जानने का मौका मिला. मैथ्स को लेकर उनके स्ट्रगल और इसमें उनकी दिलचस्पी को देख कर लोग इमोशनल हो गए.

जकरबर्ग और पिचई ने भी की शिरकत

फिल्म देखने के बाद फेसबुक फाउंडर मार्क जकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने उनके नाम पर फाउंडेशन बनाने का ऐलान किया. रूसी अरबपति और डिजिटल स्काई टेक्नॉलजी के संस्थापक यूरी मिलर ने यह स्क्रीनिंग की थी. इसमें जकरबर्ग और पिचई के साथ गूगल के फाउंडर सर्गेई ब्रिन, ओकुलुस वीआर के सीईओ ब्रेंडन इर्बी जैसी शख्सियतें मौजूद थीं.

देव पटेल हैं लीड रोल में

ऑस्कर विनिंग मूवी 'स्लम डॉग मिलिनेयर' फेम देव पटेल रामानुजन के रोल में हैं. वहीं, प्रफेसर जी. एच. हार्डी का रोल जेरेमी आयरंस ने किया है. पटेल ने मैथ्स की बेहद मुश्किल इक्वेशन को समझने के लिए प्रफेसर केन ओनो से मदद ली है. रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को मद्रास के इरोड में हुआ था. महज 33 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. मैथ्स पर लिखे एक आर्टिकल ने उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रफेसर जी.एच. हार्डी से मिलवाया. उन्होंने ही रामानुजन को इंग्लैंड बुलाया. मैथ्स को लेकर किए गए उनके अनैलेसिस ने दुनियाभर में हलचल मचा दी. उनके जीवन के इसी ताने बाने को मूवी में बुना गया है.

कमाल के थे रामानुजन

10 साल की उम्र में हाई स्कूल में टॉप किया था.

12 साल की उम्र में ट्रिगोनोमेट्री में महारत हासिल कर ली थी.

सिर्फ मैथ्स में रुचि होने की वजह से इंटर में फेल हो गए. ऐसा कहा जाता है कि वह एक सवाल को हल करने में ही ज्यादा वक्त लगा देते थे, जिससे परीक्षा का समय निकल जाता था.

जब वह सातवीं में थे, तब बीएससी के बच्चों को मैथ्स पढ़ाते थे.

17 साल की उम्र में बरनौली नंबर पर रिसर्च पूरी की.

 

क्यों कोई नहीं बनना चाहता पाक का कोच…

पाकिस्तान क्रिकेट टीम के मुख्य कोच पद की जिम्मेदारी कोई भी पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर नहीं उठाना चाहता है. पाकिस्कान क्रिकेट टीम के कोच पद के लिए आवेदन तारीख समाप्त होने के बाद भी किसी भी मशहूर खिलाड़ी ने कोच बनने के पद के लिए आवेदन नहीं किया है. पीसीबी ने टीम के कोच पद के लिए आवेदन भरने की अंतिम तारीख 25 अप्रैल रखी थी.

माना जा रहा था कि मोहसिन खान, मोइन खान और आकिब जावेद जैसे सीनियर खिलाड़ी टीम के कोच बनने की रेस में शामिल हो सकते हैं, लेकिन इनमें से किसी ने भी आवेदन नहीं भरा है.

इन सबके बीच राष्ट्रीय बोर्ड के सामने अजीब स्थिति पैदा हो गई है. पूर्व पाकिस्तानी दिग्गज क्रिकेटरों ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) पर विदेशी कोच की नियुक्ति का मन बना लेने का आरोप लगाते हुए मुख्य कोच पद के लिए आवेदन ही नहीं दिया है.

पीसीबी के विश्वसनीय सूत्रों ने यह जानकारी दी कि पूर्व क्रिकेटरों ने इस पद के लिए अनिच्छा जाहिर की है. इन क्रिकेटरों का कहना है कि जब बोर्ड ने इस पद के लिए विदेशी कोच को नियुक्त करने का मन बना लिया है तो वह फालतू में आवेदन और अपना समय बरबाद क्यों करें.

पूर्व स्टार तेज गेंदबाज आकिब जावेद ने कहा, 'पीसीबी पहले से ही विदेशी खिलाड़ी को मुख्य कोच बनाने का मन बना चुका है. अगर वह पाकिस्तानी खिलाड़ी को इस पद पर नियुक्त करने के प्रति गंभीर होते तो वह हमसे सीधे कहते.'

पूर्व दिग्गज क्रिकेटर मोहसिन खान और मोईन खान ने भी आकिब जावेद की बातों का समर्थन करते हुए इस पद के लिए आवेदन नहीं किया. गौरतलब है कि विदेशी खिलाड़ियों में दो बार इंग्लैंड टीम के कोच रह चुके पीटर मूर, ऑस्ट्रेलिया के टॉम मूडी, जेमी सिडन, स्टुअर्ट लॉ और डीन जोंस के अलावा दक्षिण अफ्रीकी टीम के पूर्व कोच मिकी ऑर्थर ने पाकिस्तानी टीम के मुख्य कोच के लिए आवेदन भरा है.

जिस समिति को नए कोच की नियुक्ति करनी है उसमें पूर्व खिलाड़ी रमीज़ राजा और वसीम अकरम जैसे खिलाड़ी हैं और इन्होंने पहले ही पीसीबी से सिफारिश कर ली है कि टीम के लिए इस वक्त सिर्फ़ एक विदेशी कोच ही ठीक रहेगा.

मोहसिन खान को पहले पाकिस्तान टीम का मुख्य चयनकर्ता बनाया जा रहा था, लेकिन मोहिसन चयनकर्ता नहीं बल्कि कोच बनना चाहते थे जो बोर्ड को पसंद नहीं था.

पाकिस्कान पहले ही इंज़माम उल हक को टीम का मुख्य चयनकर्ता बना चुका है. माना जा रहा है कि मई महीने के पहले हफ्ते में कोच की नियुक्ति हो जाएगी. टी20 विश्व कप में करारी हार के बाद वकार यूनिस ने कोच के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और तब से ये स्थान खाली है.

इन नये फीचर्स के साथ आ रहा है WhatsApp

दुनिया का सबसे बड़े इंस्टैंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप ने एंड-टू-एंड एन्क्रीप्शन के साथ कई नए फीचर्स हाल ही में लॉन्च किए थे और अब खबर है कि व्हाट्सएप कुछ हफ्ते में ही कई नए और अहम फीचर्स लाने वाला है. फोनरडार की रिपोर्ट के मुताबिक व्हाट्सएप जल्द ही अपने एंड्रॉयड और iOS यूजर्स के लिए 'कॉल बैक' का फीचर लाने वाला है.जिसकी मदद से सिर्फ एक टैब से ही बिना एप खोले यूजर्स कॉल बैक कर सकेंगे.

ये बटन यूजर्स को नोटिफिकेशन बार पर ही मिलेगा जिससे बिना एप खोले आप कॉलबैक किया जा सकेगा.

रिपोर्ट्स की मानें तो कंपनी अपने iOS प्लेटफॉर्म के लिए वॉइस-मेल का ऑप्शन भी लाने वाली है.

इस फीचर में व्हाट्सएप की मदद से यूजर्स वॉइस-मेल रिकॉर्ड कर सकेंगे और उसे सेंड भी कर सकेंगे. इतना ही नहीं नए फीचर में कंपनी PDF फाइल के साथ Zip फाइलें भी भेजी जा सकेंगी.

अगर ऐसा हुआ तो आप भारी फाइलें भी व्हाट्सएप पर आसानी से शेयर कर सकेंगे.

इन फीचर्स को कंपनी इस वक्त बीटा वर्जन पर टेस्ट कर रही है. कुछ हफ्तों में ही ये फीचर्स आपके सामने होंगे.

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