वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ शब्दों में कहा है कि गैर चांदी के जेवरों पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क केवल 6 करोड़ से अधिक के सालाना कारोबार वाले सुनारों पर लगाया गया है और इसे वापस नहीं लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी सुनार को जांच के नाम पर परेशान नहीं किया जाएगा.

वित्त मंत्री ने इन जेवरों पर उत्पाद शुल्क को सही बताते हुए यह भी साफ कर दिया कि सरकार की जरी के कारीगर को तकलीफ देने की कोई मंशा नहीं है लेकिन अब लोगों को लक्जरी आइटम पर शुल्क देने की आदत डाल लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि लक्जरी आइटमों पर कर नहीं दिया जाएगा तो इसका बोझ जरूरी चीजों पर जोड़कर लोगों से वसूला जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि एक बार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क अपने आप हट जाएगा.जेटली ने कहा कि इस शुल्क को हटाने के लिए छोटे स्वर्णकार और दस्तकारों का सहारा लेना गलत है. यह उत्पाद शुल्क केवल बड़े सुनारों और इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों पर लगाया गया है. उन्होंने कहा कि वह भरोसा देना चाहते हैं कि किसी भी दुकान पर कोई भी एक्साईज अधिकारी जांच के लिए नहीं जाएगा और सुनारों को यह शुल्क अपने वैट रिटर्न के आधार पर ही देना होगा. उन्होंने कहा कि यदि कोई अधिकारी जांच के लिए आता है तो उसका फोटो खींचकर मुझे भेज दें.

उन्होंने कहा कि सुनारों को परेशानी न हो इसलिए सरकार ने अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी की अगुआई में एक समिति बनाई है और इसमें सुनारों के भी तीन लोग रहेंगे. सरकार इस समिति की सिफारिशों के आधार पर आगे भी कदम उठाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि इसके दायरे में आने वाले सुनारों के पंजीकरण की तारीख बढ़ाकर 30 जून तक कर दी है. अब तक केवल 206 सुनारों ने ही अपना पंजीकरण कराया है.

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