तमाम फसलों में कीड़ों की समस्या हमेशा से रही है और पुराने जमाने से ले कर आज तक कीड़ों से बचाव के लिए तरहतरह की तरकीबें आजमाई जाती रही हैं. कीटों की रोकथाम के लिए रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल काफी अरसे से लगातार किया जा रहा?है. पहले तो इन के खराब असर को ज्यादा महसूस नहीं किया गया, मगर अब यह बात पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि रासायनिक कीटनाशक इनसानों की सेहत के लिए बेहद घातक होते हैं. लिहाजा अब वक्त आ गया है रासायनिक कीटनाशकों के बगैर काम चलाने का. ऐसे में कुदरती खूबियों से भरपूर नीम का इस्तेमाल काफी कारगर साबित हो सकता?है.

रासायनिक कीटनाशक महज इनसानों की सेहत के लिए ही घातक नहीं होते, बल्कि ये जानवरों को भी काफी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में इकलौता रास्ता है कि वानस्पतिक कीटनाशक ही इस्तेमाल किए जाएं और तमाम वानस्पतिक कीटनाशकों में नीम काफी असरदार साबित हुआ है. नीम को पुराने जमाने से ही औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है और अब यह तमाम फसलों के लिए भी बेहतरीन कीटनाशक का काम करता है.

नीम के कीटनाशक तत्त्वों की जांचपड़ताल को ले कर भारत सहित कई देशों में खोजबीन की गई है. तमाम प्रयोगों के बाद यह हकीकत सामने आई है कि नीम के पेड़ के फल, बीज, डाल, तना व पत्तियों में असरदार कीटनाशक की खूबियां मौजूद हैं. नीम कीड़ों के खिलाफ कई तरह से काम करता है.

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रयोगों से नीम के कीटनाशक गुणों की हकीकत का खुलासा हुआ है. नीम तमाम कीड़ों के खिलाफ निम्न तरीके से रोकथाम करता?है.

एंटीफीडेंट : यह फसल को कीड़ों द्वारा खाने के रूप में लेने से रोकता है. यानी इस के असर से कीड़े फसल को खा नहीं पाते.

कीड़ा वृद्धि बाधक : अगर कीट नीम वाली यानी नीम के असर वाली फसल को खा लेता है, तो इस से उस का विकास रुक जाता है. वृद्धि न होने से कीट उतना घातक नहीं रह पाता.

कीटनाशक : वैसे तो नीम के असर वाली फसल को खाने से कीड़े घबराते हैं और अगर गलती से खा लें तो फिर उन का बचना मुश्किल होता है. नीम की तेजी अमूमन कीड़ों को मार देती है.

नीम की इन्हीं खूबियों को देखते हुए कई कंपनियों ने नीम से बने कारगर कीटनाशक बाजार में पेश किए हैं. इन कीटनाशकों का किसानों द्वारा धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. नींबीसिडिन, नीमार्क, नीमाप्लस, नीमगोल्ड, नीमगार्ड, मार्गोसाइड, मार्गोइकोनीम व आजोनीम वगैरह नीम से बनाए गए खास कीटनाशक हैं. नामी कंपनियों द्वारा बनाए गए इन कीटनाशकों के अलावा नीम द्वारा कीटनाशक बनाने की घरेलू विधियां भी आजमाई जा रही?हैं, जो बेहद आसान हैं.

घर में बनाएं कीटनाशक

कड़वी नीम के पके हुए मीठे फल गांवों के बच्चों द्वारा चाव से चूसे जाते हैं. ये फल बच्चों के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. इन से बच्चे फोड़ेफुंसियों से बचे रहते हैं. ये फल पेड़ स टूट कर खुदबखुद जमीन पर गिर जाते?हैं. इन्हें झाड़ू की मदद से जमा कर लेते हैं. रात भर में टूटे फलों को सुबहसुबह ही बटोर लेना चाहिए, ताकि वे जानवरों, गाडि़यों या इनसानों द्वारा कुचले न जाएं. इन में से सड़े या खराब फलों को छांट कर अलग कर देना चाहिए. इन फलों को कुछ जगहों पर ‘गल्ला’ कहते हैं, तो कई लोग इन्हें ‘निंबोली’ भी कहते हैं. नीम के फलों को पेड़ से सीधे भी तोड़ सकत हैं, पर वे पूरी तरह पके नहीं होते हैं. उन्हें 2-3 दिनों तक रख कर पकाना पड़ता है. नीम के फलों को जमा करने के बाद बांस या जूट की टोकरी में रख देते हैं. फलों को रखने के लिए धातु या प्लास्टिक के डब्बों या बर्तनों का इस्तेमाल सही नहीं रहता है. हवादार टोकरी न होने पर फलों को जमा कर के पेड़ के नजदीक ही ढेर बना देना ठीक रहता है.

फलों को जमा करने के 2 दिनों यानी 48 घंटों के अंदर फलों का गूदा अलग कर लेना चाहिए. इस काम के लिए एक बर्तन में पानी डाल कर उस में जमा किए गए फलों को डाल देना चाहिए. इस के बाद हाथों से फलों को रगड़ने से फलों का गूदा निकल जाता है. गूदा हटाने के बाद नीम के बीजों को पक्के फर्श या किसी भी सूखी जगह पर फैला कर धूप में सुखा लेते हैं. धूप में सुखाने के बाद बीजों को 2-3 दिनों तक किसी छायादार जगह पर भी सुखाना चाहिए. अच्छी तरह सूखने के बाद बीजों को बोरे या?टोकरे में रखते हैं.

कीटनाशक यानी नीम का सत बनाने के लिए नीम के बीजों को पीस लिया जाता है. एक बाल्टी में नाप कर पानी भरने के बाद उस में तोल के हिसाब से पीसे हुए नीम के बीज डालते?हैं. करीब 10 मिनट तक लकड़ी के डंडे से?घोल को मिलाने के बाद 6 से 16 घंटों के लिए छोड़ दें. इस के बाद फिर से करीब 10 मिनट तक लकड़ी के डंडे से घोल को मिलाएं. इस के बाद घोल को बारीक कपड़े से अच्छी तरह छान लें. घोल छानते वक्त खयाल रखें कि बड़े कण?घोल में न आने पाएं. घोल में कण आने से छिड़काव के वक्त मशीन के जाम होने का डर रहता है. नीम के बीजों से बने घोल को छिड़काव करने वाली मशीन में डाल कर फसलों पर स्प्रे करना चाहिए.

फीसदी मात्रा : नीम के घोल को हर किस्म के कीटों की रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और इस की कोई भी मात्रा कारगर साबित होती है, क्योंकि यह नुकसान रहित होता है.

वैसे वैज्ञानिकों की सलाह के मुताबिक फीसदी मात्रा के हिसाब से घोल बनाया जा सकता है. मसलन 5 फीसदी का घोल बनाने के लिए 500 ग्राम नीम के बीजों का पाउडर 10 लीटर पानी में मिलाया जाता है. कुल मिला कर नीम से बना यह कीटनाशक हर फसल की कीड़ों से हिफाजत करता?है और इस से इनसानों या जानवरों को कोई खतरा भी नहीं रहता. 

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