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अब बिना सिम के करें कॉल!

अब कॉल करने के लिए सिम की जरुरत नहीं है. यह सब मुमकिन है स्मार्टफोन एप 'टेक्स्ट मी' से. आपको यह एप डाउनलोड करना है. उसके बाद आप किसी को भी कॉल अथवा मैसेज कर सकते हैं.

इस एप के जरिए कॉल करने से आपको किसी को अपना असली नंबर बताने की भी जरुरत नहीं है. इस एप से आपको जो नंबर मिलेंगे आप उनसे कॉल कर पाएंगे. जानिए इसके फायदे और फीचर्स-

एप से मिलेंगे नंबर

इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि आप टेक्सट मी अकाउंट से अनेक फोन नंबरों को रख सकते हैं व उन्हें डिलीट भी कर सकते हैं. यह एप यूजर द्वारा उपयोग किए जाने वाले नंबर को उसके नाम से कॉल रिसीव करने वाले के फोन पर दिखाता है, जो कि यूरोप अथवा अमरीका के कोड के साथ होता.

डाउनलोड करें ये एप

अपने स्मार्टफोन में टेक्सट मी एप को डाउनलोड करके यदि आप एक मोबाइल नंबर ही यूज करते हैं तो उसका कोई चार्ज नहीं है.

देखेने पड़ेंगे विज्ञापन

कुछ विज्ञापन देखने की शर्त पर इस एप से आप कितने ही नंबरों पर कॉल अथवा एसएमएस कर सकते इस एप द्वारा यदि आप एक से अधिक मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो उसके लिए न्यूनतम 60 रुपए प्रत्येक माह चुकाने होंगे.

नहीं देना पड़ेगा अपना नंबर

एप उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कि अपना फोन नंबर दिए बिना ही किसी से बात करना चाहते हैं.

सिम लेने की भी जरूरत नहीं

साथ ही कई बार ऐसा भी होता है कि आप घर पर छुट्टी पर हैं और ऑफिस के लोग आपको परेशान कर रहे हैं और आप चाहते हैं कि उस नंबर की जगह एक नया नंबर ले लिया जाए तो यह एप बहुत काम आएगा. यानि इस एप से आपको अब दूसरी सिम लेने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.

बैटरी जिसे कभी नहीं करना होगा चार्ज

आमतौर पर लोग अपने स्मार्टफोन की बैटरी ड्रेन होने से परेशान रहते हैं. थोड़ी देर फोन यूज करने के बाद उसे चार्ज करने की जरुरत पड़ ही जाती है. अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो ये बैटरी आपके लिए ही इजाद की गई है. दरअसल, इरविन में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के शोधकर्ताओं ने खेल-खेल में एक ऐसी तकनीक खोज निकाली है जिससे एक बेहतर बैटरी तैयार की जा सकेगी जो ताउम्र आपका साथ देगी.

इस यूनिवर्सिटी की पीएचडी की छात्रा म्या ली थाई ने बताया कि उनकी टीम ने एक सुचालक नैनोवायर (जो कि इंसान के बाल से हजार गुना पतला होता है) का प्रयोग किया है, जिसकी सतह इलेक्ट्रॉन्स के स्टोरेज और ट्रांसफर को सपॉर्ट करती है. ये नैनोवायर बेहद ही नाजुक होता है. इसी के चलते टीम ने इस पर एक गोल्ड नैनोवायर को मैगनीज डाइऑक्साइड शेल का कोट चढ़ाया है.

यही नहीं, इसकी प्रोटेक्शन के लिए इसे प्लेक्सिग्लैस जैसे जेल कोट से कवर किया गया है. यूनिवर्सिटी के रसायन विज्ञान विभाग के चेयरमैन रेजनल्ड पेनर ने बताया कि इस बैटरी को 3 महीने तक 2 लाख से ज्यादा बार टेस्ट किया गया ताकि इसकी क्षमता का पता लगाया जा सके. टेस्ट के बाद इस बैटरी की क्षमता जस की तस ही रही. अमूमन इस तरह की चीजें 7000 साइकल्स के बाद खराब हो जाती है, लेकिन इस बैटरी ने एक अद्भूत कारनामा कर दिखाया है.

ऐसे में कहा जा रहा है कि इस बैटरी को हकीकत में तब्दील किया जा सकता है. अगर ये बैटरी मार्केट में आती है तो लोगों को कभी भी अपने फोन की बैटरी चार्ज नहीं करनी पड़ेगी.

आखिर कौन है सलमान का लेटेस्ट प्यार..

सलमान खान का लेटेस्ट प्यार कोई और नहीं बल्कि फास्ट एक्शन फिल्में हैं तभी तो सूरज बड़जात्या से भी उन्होंने एक्शन फिल्म बनाने की ही डिमांड कर दी है. इसीलिए आजकल सलमान खान धूम 4 और रेस 3 में काम करने को लेकर एक्साइटेड हैं.

सलमान खान और करण जौहर एक साथ एक फिल्म प्रोड्यूस करने वाले हैं. इस फिल्म में कैटरीना कैफ को रिप्लेस कर जैकलीन फर्नांडीज़ और सुशांत सिंह राजपूत को फाइनल कर लिया गया है. इस फिल्म को तरूण मनसुखानी डायरेक्ट कर रहे हैं और ये पूरी तरह से एक्शन फिल्म होगी. इतना ही नहीं, फिल्म फास्ट एंड फ्यूरियस की तर्ज पर बनेगी और पूरी सीरीज़ होगी.

खैर, अब सलमान खान प्रोडक्शन्स और करण जौहर प्रोडक्शन्स मिलकर क्या धूम सीरिज़ को टक्कर दे पाएगा ये देखने वाली बात होगी. क्योंकि ज़ाहिर सी बात है कि अगर फिल्म धूम के टक्कर की होगी, तो कलेक्शन भी उसी हिसाब से होगा. वैसे धूम 4 में लगभग सबकुछ फाइनल है .

नए विलेन सलमान

पहले पार्ट में जॉन अब्राहम की अपार सफलता के बाद यशराज ने इस विलेन ही लीड वाले कॉन्सेप्ट पर काम किया और इसके बाद ऋतिक रोशन और आमिर खान ने धूम 2 और धूम 3 से कमाल कर दिया.

कास्ट है फाइनल :

परिणीति चोपड़ा

हालांकि जब परिणीति ने अपना मेकओवर किया तभी से खबरें थीं कि ये किसी काफी बड़े प्रोजेक्ट के लिए है और इस अफवाह के सच होने के बाद फिल्म से जुड़ी बाकी अफवाहें भी सच होने के आसार हैं.

ऋतिक रोशन

फाइनल धूम 4 के लिए ऋतिक रोशन फाइनल हैं. गौरतलब है कि हाल ही में उन्होंने अपनी कृष 4 को भी आगे बढ़ा दी है. इसलिए कारण एक ही माना जा रहा है – धूम 4. ऋतिक रोशन यशराज फिल्म्स के साथ ठग भी कर रहे थे लेकिन सूत्रों की मानें तो ऋतिक एक साथ इतनी एक्शन फिल्में नहीं करना चाह रहे थे. इसके बाद ठग का पूरा कॉन्सेप्ट बदल दिया गया!

अमिताभ बच्चन

काफी समय से बिग बी का नाम इस फिल्म से जोड़ा जा रहा है और अगर उन्होंने इस अफवाह को हामी नहीं भरी है तो इसे नकारा भी नहीं है. वैसे भी बिग बी को यशराज ने एक प्रोजेक्ट के लिए अप्रोच किया है.

प्रभास

बाहुबली फिल्म के लिए बाहुबली स्टार प्रभास को भी अप्रोच किया गया है और माना जा रहा है कि वो इस यशराज फिल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू करने के लिए तैयार हैं.

दो विलेन इस बार धूम 4 में दो विलेन होंगे और दोनों ही लीड में होंगे. फिल्म को विजय राज कृष्णा आचार्य ही डायरेक्ट करेंगे और फिल्म के लिए सारी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.

 

 

अब दबंग गर्ल बनेंगी पाक पत्रकार

बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा 2015 में 'तेवर' के बाद से ही बड़े पर्दे पर एक्टिंग करती हुई नजर नहीं आई हैं. लेकिन 2016 में उनकी फिल्मों की लाइन लगेगी. इसके अलावा वो एक फिल्म में पाकिस्तानी पत्रकार के किरदार में भी नजर आ सकती हैं.

सोनाक्षी इन दिनों 'अकीरा' और 'फोर्स-2' जैसी फिल्मों में काम कर रही हैं, जिनमें वह फैन्स को अपने दमदार एक्शन अवतार से चौंकाने को तैयार हैं. सोनाक्षी काफी समय से अपूर्व लखिया की फिल्म 'हसीना' में दाउद इब्राहिम की बहन का किरदार निभाने को लेकर भी चर्चाओं में हैं और अब वह एक और पाकिस्तान से जुड़ा किरदार निभाने को लेकर चर्चा में है.

खबरे हैं कि सोनाक्षी, सबा इम्तियाज के पॉपुलर नॉवेल 'कराची, यू आर किलिंग मी!' पर बनने वाली फिल्म में काम करने को तैयार हैं. 'नूर' टाइटल से बनने जा रही इस फिल्म में सोनाक्षी कराची की एक पत्रकार का किरदार निभाने वाली हैं.

कहा जा रहा है कि यह फिल्म सुनहिल सिप्पी द्वारा निर्देशित किया जाएगा. यह उनकी पहली निर्देशित फिल्म होगी, जिसे अगले साल रिलीज करने की तैयारी है. सबा इम्तियाज के नॉवेल 'कराची, यू आर किलिंग मी!' की कहानी एक महिला पत्रकार आयशा और उसके काम के संघर्ष के इद-गिर्द घूमती है.

 

अब विदेशी टुरिस्ट दिलायेंगे टैक्स में छूट

घर पर सैलानियों को ठहराने वालों को केन्द्र सरकार टैक्स में छूट का तोहफा दे सकती है. इससे अपने घर में पर्यटकों की आवभगत करने वालों की मोटी कमाई भी हो सकेगी. सरकार विदेशी पावणों को घर पर ठहराने को स्टार्ट अप का दर्जा देना चाहत है. इसी के तहत ये सभी छूट मिलने वाली हैं. पर्यटन मंत्रालय ने एक नई गाइडलाइन बनाई है, जिसके तहत घरों में पर्यटकों को ठहराने पर पहले से चली आ रही नीति में बदलाव किए गए हैं.

पीएम को दिया था प्रजेन्टेशन

जनवरी में सचिवों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में एक प्रेजेंटेशन दिया था. उसमें कहा गया था कि स्टार्ट-अप इंडिया की मूल भावना के अनुसार रोजगार के मौके बनाने और देश में होटल के 1.9 लाख कमरों की कमी को दूर करने में होम स्टे का सिस्टम बड़ा योगदान कर सकता है. इसे पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने वाले कदम के रूप में देखा जाना चाहिए.

होम स्टे के बारे में सचिवों की समिति ने प्रस्ताव दिया है कि यह सेवा देने वालों से कोई सर्विस टैक्स या दूसरे वाणिज्यिक टैक्स न लिए जाएं और उनकी लाइसेंसिंग प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी जाए.

 

 

महंगाई डायन खाए जात है…!

खाने की चीजों के दाम चढ़ने से सरकार परेशान है. महंगाई की फिक्र कर रही सरकार ने समय से पहले राज्यों के खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रियों की बैठक बुलाई है. सरकार दाल (विशेषकर अरहर) और चीनी के दाम बढ़ने से परेशान है. वो चाहती है कि राज्य सरकारें अपनी मशीनरी को कसें और कालाबाजारी को रोकने जैसे अन्य कदम उठाए जाएं.

 सरकार ने 51 हजार मीट्रिक टन दाल बाजार से और 26 हजार मीट्रिक टन दाल विदेश से मंगाई है. लिहाजा वह जानती है कि दाल की कमी नहीं है, इसलिए राज्य अपने यहां दाल की कमी नहीं होने दें. अरहर पर सरकार राज्यों को विशेष रियायत भी दे रही है.

दिलचस्प बात यह है कि सरकार के पास पर्याप्त दाल होने के बावजूद राज्य दाल की डिमांड नहीं कर रहे हैं. बताया जाता है कि आंध्र प्रदेश के अलावा किसी राज्य ने सरकार से दाल नहीं मांगी है. सरकार इस बात की भी फिक्र कर रही है कि उसके कहने के बावजूद पश्चिम बंगाल और केरल जैसे कई राज्यों ने दाल की स्टॉक सीमा तय नहीं की है.

पिछले साल भी विदेश से मंगाई दाल को बमुश्किल सरकार दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्यों में खपा सकी थी. सरकार इस बात को समझ रही है कि दाल को गरीब की थाली से जोड़कर देखा जाता है और अगर बाजार में दाल महंगी बिकती है तो सरकार की बड़ी आलोचना होती है. पिछले साल विभिन्न मंत्रालयों के बीच दाल को लेकर तालमेल की कमी थी, लेकिन इस बार सरकार ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होने देना चाहती.

चीनी की मिठास में कमी सरकार को अभी से अखर रही है. यही वजह है कि उसने चीनी की स्टॉक लिमिट तय कर दी है और सब्सिडी पर भी रोक लगा दी है.सरकार का रुख यही है कि चीनी के दाम 40 रुपए से नीचे रखने के लिए जो भी बन पड़ेगा वो किया जाएगा, भले ही इसके लिए चीनी के कारखानों के साथ कड़ाई ही क्यों न दिखानी पड़े.

 

विश्व बैंक ने की ‘आधार’ की सराहना

भारत की विशिष्ट पहचान पत्र वाली ‘आधार’ योजना की सफलता से विश्व बैंक काफी प्रभावित है. वह इसके अनुभवों का लाभ अफ्रीकी महाद्वीप सहित अन्य देशों में पहुंचाने के विकल्प तलाश रहा है. यह जानकारी विश्व बैंक में भारत के एक शीर्ष अधिकारी ने दी.

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के महानिदेशक डॉ अजय भूषण पांडे ने कहा , ‘यहां लोग (विश्व बैंक में) आधार के बड़े प्रशंसक हैं. वे ऐसे विकल्प तलाश रहे हैं कि अन्य देशों को उनकी रणनीतियां बनाने में आधार के अनुभवों के उपयोग करने की सलाह दे सकें.’ पांडे यहां विश्व बैंक के अधिकारियों के साथ बैठकें करने के लिए आए थे.

इन बैठकों में उन्होंने आधार के संबंध में अपनी बातें रखीं. इसके अलावा उन्होंने उन देशों के प्रतिनिधियों से भी विमर्श किया जो ‘आधार’ को अपने यहां लागू करना चाहते हैं.

एक आधार कार्ड का खर्च एक डॉलर से भी कम

अपनी प्रस्तुति में उन्होंने बताया कि कैसे आधार का प्रयोग विभिन्न तरह के सब्सिडी कार्यक्रमों के लिए किया जा रहा है और इससे सरकार के धन की बचत हुई है. उन्होंने कहा कि आधार के तहत अब एक अरब से भी ज्यादा लोगों की ऑनलाइन पहचान है. इसके अलावा एक आधार कार्ड को जारी करने का खर्च एक डॉलर से भी कम है.

इसके अलावा इसका प्रयोग कभी भी, कहीं भी बिना किसी टोकन के किया जा सकता है. इसके ढेर सारे प्रयोग हैं. इसके अलावा आधार से दरवाजे तक बैंकिंग व्यवस्था पहुंची है, सब्सिडियों का सीधा हस्तांतरण संभव हुआ है जिससे सरकार की अरबों डॉलर की बचत हुई है.

उन्होंने बताया कि कई अफ्रीकी देशों के लिए यह काफी आकर्षक है. वह भी ऐसी ही व्यवस्था को अपनाकर अपने नागरिकों को एक पहचान पत्र जारी करना चाहते हैं. इस तरह से वह काफी धन बचाने में सक्षम हो सकेंगे साथ ही अपने सब्सिडी कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू कर सकेंगे.  

 

सोलर सिस्टम ऊर्जा का नया भविष्य

सूरज ऊर्जा का कभी न खत्म होने वाला भंडार है. ऐसे में इस का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने में ही अक्लमंदी है. साधारण बिजली महंगी होने के साथसाथ अकसर गायब भी रहती है और जनरेटर व डीजल का इस्तेमाल करना सभी के लिए मुमकिन नहीं होता. यानी अब वक्त आ गया है सोलर ऊर्जा का. यकीनन सोलर ऊर्जा यानी धूप से मिलने वाली ऊर्जा भविष्य की जरूरत है. सोलर ऊर्जा से चलने वाली मशीनों को ले कर नएनए प्रयोग हो रहे हैं. सोलर के साथ सब से खास बात यह है कि इस से ध्वनि प्रदूषण, बिजली बिल और पावर कट की खामियों से बचा जा सकता है. बिजली की कटौती, बिजली की बढ़ती कीमत, लो वोल्टेज की समस्या और जनरेटर के महंगे इस्तेमाल से सोलर ऊर्जा की मांग बढ़ती जा रही है.

घरेलू सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने 40 फीसदी छूट देने का काम भी शुरू किया है, जिस की वजह से सोलर वाटर पंप सिस्टम, सोलर पावर प्लांट, सोलर रूफटौफ इनवर्टर, सोलर वाटर हीटर की मांग बढ़ती जा रही?है. किसानों के लिए सोलर सब्सिडी योजना सरकार चला रही है, जिस की वजह से किसानों को 75 फीसदी अनुदान मिल जाता है. किसानों के अलावा दूसरे लोगों के लिए भी सोलर सिस्टम लगाना सरल होता जा रहा?है. जिस तरह से केंद्र और प्रदेश सरकारें सोलर सिस्टम को बढ़ावा दे रही हैं, उस के चलते बैंक भी अब सोलर सिस्टम को बढ़ावा दे रहे हैं.

पूरे देश में मिलने वाला वातावरण ऐसा होता है, जिस में सूर्य की किरणें खूब मिलती हैं. सूर्य की इन किरणों का सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत अच्छा इस्तेमाल किया जा सकता है. धीरेधीरे सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल पूरे देश में होने लगा है. अब इस का इस्तेमाल फैक्टरियों में भी होने लगा है. सोलर पावर प्लांट के इस्तेमाल से बिजली बनाने का काम तेजी से होने लगा है, जिस से बिजली के इस्तेमाल की दूसरी चीजों को चलाया जा सकता है. यह बिजली की जगह इस्तेमाल होने लगा है. नई पीढ़ी के लिए सोलर ऊर्जा का नया रास्ता बनता जा रहा है. इस से बिजली की महंगी दरों से ही नहीं उस पर निर्भर रहने से भी बचा जा सकता है. आज के समय में सोलर ऊर्जा के इस्तेमाल से कई चीजों को चलाया जा रहा?है.

मोबाइल सिंचाई सोलर पैनल सिस्टम

बस्ती जिले के खड़का देवरी गांव के रहने वाले किसान आज्ञाराम वर्मा ने मोबाइल सोलर सिस्टम बना लिया है. सरकार द्वारा आज्ञाराम वर्मा को सिंचाई के लिए सोलर सिस्टम दिया गया था. आज्ञाराम वर्मा के पास अलगअलग जमीनें थीं. ऐसे में एक ही खेत में सोलर पैनल लगाने से काम नहीं चल रहा था. आज्ञाराम वर्मा ने इस के लिए अलग जुगाड़ तकनीक का सहारा लिया. उन्होंने सोलर पैनल को एक ट्राली पर फिट कर दिया. इस के बाद जिस खेत में सिंचाई की जरूरत होती थी, आज्ञाराम ट्रैक्टर के जरीए उसे खींच कर वहां ले जाते थे. पंपसेट के साथ जोड़ देने से एक ही सोलर पंप से कई खेतों की सिंचाई होने लगी. आज्ञाराम वर्मा प्रगतिशील किसान हैं. उन को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया. आज्ञाराम वर्मा कहते हैं, ‘मोबाइल सोलर पैनल के बनने से एक ही सोलर पैनल से कई पंपसेटों से पानी लिया जा सकता है.’

सोलर पावर प्लांट

उन क्षेत्रों में इस से बहुत लाभ होता है, जहां पर बिजली की आवाजाही बड़ी समस्या के रूप में सामने होती है. सोलर पावर प्लांट में सोलर ऊर्जा को बिजली की तरह इस्तेमाल किया जाता?है. सोलर ऊर्जा बैटरी में जमा हो जाती है. इस के बाद उस का इस्तेमाल कभी भी किया जा सकता है. सोलर से मिलने वाली एनर्जी में खर्च कम होता है. इस से बिजली से चलने वाले हर यंत्र को चलाया जा सकता है. सोलर पावर प्लांट 1 किलोवाट से ले कर 10 किलोवाट तक का हो सकता है. जितनी बिजली की जरूरत हो उतने किलोवाट का इस्तेमाल किया जा सकता है.

सोलर रूफटाप इनवर्टर

इस के द्वारा अपने घर की छत पर ही सोलर पैनल लगा कर घर के इनवर्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस से बिजली की खपत कम हो जाती है. सोलर पावर से बैटरी की बैकअप पावर बढ़ जाती है. अब कई सोलर लाइट सिस्टम भी आने लगे हैं, जिन में सोलर पैनल लगे होते हैं, जिस से रात को रोशनी मिलती है. अब सोलर पैनल की कीमत और रखरखाव सरल होने से इस की खपत बढ़ रही है. लाइट के लिए 500 रुपए की कीमत से ले कर ज्यादा कीमत के उपकरण आने लगे हैं. इन को दिन में सूर्य की रोशनी से चार्ज किया जाता है और रात में ये रोशनी देने का काम करते हैं. इन में लगने वाली बैटरी बिजली में लगने वाली बैटरी के मुकाबले ज्यादा चलती है, इसलिए भी इन का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. आटोमैटिक सोलर स्ट्रीट लाइट सिस्टम में सूर्य की रोशनी खत्म होते ही?स्ट्रीट लाइट जल जाती है. इस का इस्तेमाल घर, दुकान और खेत वगैरह कहीं भी हो सकता है.

सोलर वाटर हीटर

जाड़ों में गरम पानी के लिए अब बिजली या एलपीजी गैस से ज्यादा सस्ता सोलर वाटर हीटर आने लगा है. इस में हीटर को सोलर ऊर्जा से चलाया जाता है, जिस से पानी गरम मिलता है. होटलों, घरों व कारखानों में इस का इस्तेमाल बढ़ने लगा है. यह पानी को गरम करने का सब से सस्ता साधन हो गया है. जाड़ों में गरम पानी की जरूरत हर जगह पड़ती है. कपड़े व बरतन धोने के साथ ही साथ गरम पानी से नहाने के लिए भी इस का इस्तेमाल किया जाता है.

सोलर ऊर्जा सिस्टम को लगाने के लिए एक बार पैसा लगाना पड़ता है, इस के बाद सालोंसाल मुफ्त में बिजली मिलती है. अब सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चला रही है. केवल खेती के लिए ही नहीं, जीवन के दूसरे कामों के लिए भी सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ रहा है. बैंकों के द्वारा सोलर सिस्टम को लगवाने के लिए तमाम तरह की योजनाओं के जरीए लोन भी दिए जा रहे हैं.

सरकार जल्द ही इस सोलर पैनल के जरीए बिजली पैदा कर के उसे कुछ घरों तक पहुंचा कर पैसा कमाने की योजना भी तैयार कर रही है. दरअसल सोलर ऊर्जा आने वाले दिनों की जरूरत है. यह सब से सस्ती मिलने वाली ऊर्जा है. जरूरत इस बात की है कि सोलर सिस्टम को सस्ता किया जाए, जिस से यह गरीब लोगों तक पहुंच सके. पूरी दुनिया के देश सोलर एनर्जी पर काम कर रहे हैं. भारत में भी तेजी से में यह काम होने लगा है. खेतीकिसानी से ले कर दूसरे जरूरी काम इस के जरीए होने लगे हैं. यह केवल रोशनी की दिशा में ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद है. इसे लगातार बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है. बिजली के बेहतर जरीए के रूप में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा?है. दिनोंदिन इस का इस्तेमाल और इस से मिलने वाली राहत बढ़ती जा रही है.

प्याज भंडारण का सस्ता तरीका

प्याज पैदा करने के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर है. भारत में प्याज की सब से ज्यादा पैदावार महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात व हरियाणा राज्यों में होती है. देश में प्याज की 3 बार फसलें ली जाती?हैं. एक फसल जनवरी से मार्च तक, दूसरी फसल रबी के मौसम में मार्च से जून तक, तीसरी खरीफ में अक्तूबर से दिसंबर तक. साल में 3 बार प्याज की फसल लेने के बाद भी समयसमय पर प्याज के दाम बढ़ने लगते?हैं.

इस का पहला कारण मौसम की मार?है, जिस से फसल खराब होने पर प्याज की कमी हो जाती है. दूसरा खास कारण है देश में प्याज के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरों की कमी होना. आमतौर पर प्याज का ज्यादा दिनों तक भंडारण घर में नहीं किया जा सकता. किसान प्याज का?भंडारण न कर के बाजार में जल्दी बेच देते हैं, क्योंकि कुछ समय के बाद प्याज खराब होने लगता है.

क्या करें किसान

किसानों को चाहिए कि जब फसल तैयार हो जाए तो उस में तकरीबन 1 महीने पहले से पानी न दें. इस से जमीन एकदम सूख जाएगी और प्याज में नमी भी नहीं रहेगी. उस के बाद प्याज खेत से खोदें. जिस से प्याज ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रहेगी. प्याज भंडारण के कम लागत के तरीकों में किसी कमरे की जमीन पर भूसा बिछा दें और उस के ऊपर प्याज फैला दें. इस में प्याज की नमी को भूसा सोख लेता है और प्याज जल्दी खराब नहीं होता है. कमरे में हवा का आनाजाना सही रहना चाहिए. कमरे में खिड़की आदि जरूर हो.

दूसरे तरीके की जानकारी नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश के राजाराम पटेल के द्वारा मिली. उन्होंने बताया कि सब से पहले जमीन पर सूखे हुए अरहर के पेड़ों को बिछा देते हैं. उस के ऊपर गोल या चौकोर घेरे की बनी हुई जाली रख देते हैं. अब उस के अंदर बीच में एक कोई भी पुराना टूटा हुआ पाइप जिस में जगहजगह हवा आनेजाने के लिए छेद किए हुए हों, रख देते हैं.

अगर घेरा बड़ा है तो पाइपों का ज्यादा इस्तेमाल करना होगा. इन पाइपों के जरीए जमीन की सतह तक हवा आनेजाने का रास्ता रहता है. उस के बाद जाली वाले घेरे में प्याज भर देते हैं. इस को खुली और छायादार जगह में रख देते हैं. इस तरीके से प्याज भंडारण करने में 1 फीसदी ही प्याज खराब होने की गुंजाइश होती है. 6 फुट चौड़े और 5 फुट ऊंचाई वाले घेरे में तकरीबन 5 क्विंटल प्याज आसानी से रखा जा सकता है. अपनी जरूरत के हिसाब से स्टोरेज का निर्माण छोटा या बड़ा भी कर सकते हैं. प्याज को सड़ने से बचाने के लिए खासतौर से नमी और गरमी से बचाना होता है. इस तरह के स्टोरेज में हवा का आनाजाना सही तरह से होता?है, जिस से प्याज जल्दी खराब नहीं होता और जब प्याज के रेट बाजार में सही मिलें तब प्याज को बेचें.

जीरे की फसल में चरमा रोग का खतरा

हाल ही में वर्षा, ओस और बादलों को देखते हुए जीरे की फसल में चरमा (झुलसा या ब्लाइट) रोग लगने का खतरा है. यह रोग ‘आल्टरनेरिया बर्नसाई’ नामक कवक से होता?है. फसल में फूल आने शुरू होने के बाद अगर बादल छाए रहते?हैं, तो यह रोग लग जाता है. जीरे की फसल में फूल आने से ले कर फसल पकने तक यह रोग कभी भी  हो सकता?है. मौसम अनुकूल होने पर यह रोग बहुत तेजी से फैलता?है.

रोग के लक्षण

जीरे की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बों के रूप में रोग के लक्षण दिखाई देते?हैं. धीरेधीरे ये काले रंग में बदल जाते?हैं. पत्तियों से तने व बीज पर इस का बढ़ता?है. इस की वजह से पौधों के सिरे झुक जाते हैं. यह रोग हमेशा फूल आने के बाद ही होता है, क्योंकि उस समय पौधों में ‘बायोकैमिकल’ बदलाव होते हैं जो फफूंद को रोग फैलाने में सहायक होते?हैं.

रोग के लिए सही हालात

रोग में इजाफे के लिए तकरीबन 3 दिनों तक अधिक नमी (90 फीसदी या ज्यादा) और 23 से 28 डिगरी सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. संक्रमण के बाद यदि नमी लगातार बनी रहे या बारिश हो जाए तो रोग भयानक रूप ले लेता?है. आमतौर पर रोग हवा के मुताबिक बढ़ता है. खराब जमीन व पौधों का मलबा संक्रमण करने में मददगार होता है. नए क्षेत्रों में शुरुआती संक्रमण करने में बीज अहम होते?हैं. घने पौधों में रोग तेजी से फैलता है.

रोकथाम

* स्वस्थ बीज बोने के काम में लीजिए.

* सिंचाई का सही इंतजाम करें और ज्यादा सिंचाई न करें.

* ज्यादा पानी वाली फसल जीरे के पास न लगाएं.

* फूल आते समय अगर आकाश में बादल दिखाई दें व रोग के शुरू में डाइफेनोकोनाजोल 0.05 फीसदी या मेंकोजेब 0.2 फीसदी या थायोफिनेट मिथाइल 0.1 फीसदी घोल का छिड़काव करें. जरूरत के मुताबिक 12 से 15 दिनों बाद छिड़काव दोहराएं. ध्यान रहे कि जीरा एक निर्यात की चीज है इसलिए अंधाधुंध दवाओं का इस्तेमाल न करें और समय पर रोगों का इलाज करें, ताकि दवाओं का असर बीजों पर न रहे और जीरे की गुणवत्ता पर खराब असर नहीं पड़े.

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